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मिरियापोडा

सूची मिरियापोडा

मिरियापोडा (Myriapoda) एक प्राणी उपसंघ है जो आर्थ्रोपोडा संघ का एक मुख्य उपविभाग है। इसमें सहस्त्रपाद व गोजर सहित लगभग १३,००० जातियाँ सम्मिलित हैं। लातीनी भाषा में "मिरियापोडा" का अर्थ "बहुत पैर" है और इसकी सदस्य जातियों के ७५० से लेकर दस से कम टांगें होती है। .

11 संबंधों: टाँग, एक्डीसोज़ोआ, प्राणी, मिरियापोडा, लातिन भाषा, शतपाद, सन्धिपाद, सहस्रपाद, संघ (जीवविज्ञान), जाति (जीवविज्ञान), वर्ग (जीवविज्ञान)

टाँग

मानव शरीर का निचला लिंब टाँग होता है। इसके प्रमुख अंग हैं: पैर, जांघ, घुटना, नितंब एवं उंगलियां। .

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एक्डीसोज़ोआ

एक्डीसोज़ोआ (Ecdysozoa) प्रोटोस्टोम प्राणियों की एक श्रेणी है जिसमें आर्थ्रोपोडा (कीट, केलीसेराटा, क्रस्टेशिया, मिरियापोडा), नेमाटोडा (सूत्रकृमि) और कई अन्य छोटे जीववैज्ञानिक संघ शामिल हैं। इस श्रेणी को सन् 1997 में कई प्राणियों के राइबोसोम आर एन ए के अनुवांशिक अध्ययन में मिली समानताओं के आधार पर प्रस्तावित करा गया था। सन् 2008 में हुई एक जाँच में यह साबित हो गया कि यह एक क्लेड है, यानि इसकी सभी सदस्य जातियाँ अतिप्राचीन काल में एक ही सांझी पूर्वज जाति से क्रमविकसित हुई हैं। .

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प्राणी

प्राणी या जंतु या जानवर 'ऐनिमेलिया' (Animalia) या मेटाज़ोआ (Metazoa) जगत के बहुकोशिकीय और सुकेंद्रिक जीवों का एक मुख्य समूह है। पैदा होने के बाद जैसे-जैसे कोई प्राणी बड़ा होता है उसकी शारीरिक योजना निर्धारित रूप से विकसित होती जाती है, हालांकि कुछ प्राणी जीवन में आगे जाकर कायान्तरण (metamorphosis) की प्रकिया से गुज़रते हैं। अधिकांश जंतु गतिशील होते हैं, अर्थात अपने आप और स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। ज्यादातर जंतु परपोषी भी होते हैं, अर्थात वे जीने के लिए दूसरे जंतु पर निर्भर रहते हैं। अधिकतम ज्ञात जंतु संघ 542 करोड़ साल पहले कैम्ब्रियन विस्फोट के दौरान जीवाश्म रिकॉर्ड में समुद्री प्रजातियों के रूप में प्रकट हुए। .

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मिरियापोडा

मिरियापोडा (Myriapoda) एक प्राणी उपसंघ है जो आर्थ्रोपोडा संघ का एक मुख्य उपविभाग है। इसमें सहस्त्रपाद व गोजर सहित लगभग १३,००० जातियाँ सम्मिलित हैं। लातीनी भाषा में "मिरियापोडा" का अर्थ "बहुत पैर" है और इसकी सदस्य जातियों के ७५० से लेकर दस से कम टांगें होती है। .

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लातिन भाषा

लातीना (Latina लातीना) प्राचीन रोमन साम्राज्य और प्राचीन रोमन धर्म की राजभाषा थी। आज ये एक मृत भाषा है, लेकिन फिर भी रोमन कैथोलिक चर्च की धर्मभाषा और वैटिकन सिटी शहर की राजभाषा है। ये एक शास्त्रीय भाषा है, संस्कृत की ही तरह, जिससे ये बहुत ज़्यादा मेल खाती है। लातीना हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की रोमांस शाखा में आती है। इसी से फ़्रांसिसी, इतालवी, स्पैनिश, रोमानियाई और पुर्तगाली भाषाओं का उद्गम हुआ है (पर अंग्रेज़ी का नहीं)। यूरोप में ईसाई धर्म के प्रभुत्व की वजह से लातीना मध्ययुगीन और पूर्व-आधुनिक कालों में लगभग सारे यूरोप की अंतर्राष्ट्रीय भाषा थी, जिसमें समस्त धर्म, विज्ञान, उच्च साहित्य, दर्शन और गणित की किताबें लिखी जाती थीं। .

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शतपाद

गोजर शतपाद (सेन्टीपीड, गोजर या कांतर या कनखजूरा) एक स्थलवासी आर्थ्रोपोडा है जो जमीन में, बिलों में या पेड़ों की छाल के नीचे छिपे पाये जाते हैं। इसका शरीर लंबा एवं खंडयुक्त होता है तथा सिर पर दो स्पर्श सूत्र पाये जाते हैं। इसके प्रत्येक खंड में दो पैर जुड़े होती हैं जो जोड़ युक्त होते हैं। पहला जोड़ा पैर विषैले पंजों में रूपांतरित हो जाता है। दुनिया में गोजर की लगभग ८००० प्रजातियां हैं। n .

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सन्धिपाद

आर्थ्रोपोडा संघ के प्राणी सन्धिपाद (अर्थोपोडा) प्राणी जगत का सबसे बड़ा संघ है। पृथ्वी पर सन्धिपाद की लगभग दो तिहाई जातियाँ हैं, इसमें कीट भी सम्मिलित हैं। इनका शरीर सिर, वक्ष और उदर में बँटा रहता है। शरीर के चारों ओर एक खोल जैसी रचना मिलती है। प्रायः सभी खंडों के पार्श्व की ओर एक संधियुक्त शाखांग होते हैं। सिर पर दो संयुक्त नेत्र होते हैं। ये जन्तु एकलिंगी होते हैं और जल तथा स्थल दोनों स्थानों पर मिलते हैं। तिलचट्टा, मच्छर, मक्खी, गोजर, झिंगा, केकड़ा आदि इस संघ के प्रमुख जन्तु हैं। .

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सहस्रपाद

मिलिपीड सहस्रपाद आर्थोपोडा संघ का एक प्राणी है। इसका शरीर लंबा एवं खण्डयुक्त तथा काइटिन के बाह्य कंकाल से ढका होता है। सिर पर एक जोड़ी श्रृंगिकाएँ होती हैं। धड़ के प्रत्येक खण्ड में दो जोड़े संधियुक्त पैर होते हैं। इसमें श्वसन अंग वायुनलियाँ हैं। .

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संघ (जीवविज्ञान)

वर्ग आते हैं संघ (अंग्रेज़ी: phylum, फ़ायलम) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में जीवों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। आधुनिक जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में यह श्रेणी वर्गों (क्लासों) से ऊपर और जगत (किंगडम) के नीचे आता है, यानि एक संघ में बहुत से वर्ग होते हैं और बहुत से संघों को एक जीववैज्ञानिक जगत में संगठित किया जाता है। ध्यान दें कि हर जीववैज्ञानिक संघ में बहुत सी भिन्न जीवों की जातियाँ-प्रजातियाँ सम्मिलित होती हैं।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

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जाति (जीवविज्ञान)

जाति (स्पीशीज़) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी है जाति (अंग्रेज़ी: species, स्पीशीज़) जीवों के जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी होती है। जीववैज्ञानिक नज़रिए से ऐसे जीवों के समूह को एक जाति बुलाया जाता है जो एक दुसरे के साथ संतान उत्पन्न करने की क्षमता रखते हो और जिनकी संतान स्वयं आगे संतान जनने की क्षमता रखती हो। उदाहरण के लिए एक भेड़िया और शेर आपस में बच्चा पैदा नहीं कर सकते इसलिए वे अलग जातियों के माने जाते हैं। एक घोड़ा और गधा आपस में बच्चा पैदा कर सकते हैं (जिसे खच्चर बुलाया जाता है), लेकिन क्योंकि खच्चर आगे बच्चा जनने में असमर्थ होते हैं, इसलिए घोड़े और गधे भी अलग जातियों के माने जाते हैं। इसके विपरीत कुत्ते बहुत अलग आकारों में मिलते हैं लेकिन किसी भी नर कुत्ते और मादा कुत्ते के आपस में बच्चे हो सकते हैं जो स्वयं आगे संतान पैदा करने में सक्षम हैं। इसलिए सभी कुत्ते, चाहे वे किसी नसल के ही क्यों न हों, जीववैज्ञानिक दृष्टि से एक ही जाति के सदस्य समझे जाते हैं।, Sahotra Sarkar, Anya Plutynski, John Wiley & Sons, 2010, ISBN 978-1-4443-3785-3,...

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वर्ग (जीवविज्ञान)

गण आते हैं वर्ग (अंग्रेज़ी: class, क्लास) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में जीवों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। आधुनिक जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में यह श्रेणी गणों (ओर्डरों) से ऊपर और संघों (फ़ायलमों) के नीचे आती है, यानि एक वर्ग में बहुत से गण होते हैं और बहुत से वर्गों को एक फ़ायलम में संगठित किया जाता है। ध्यान दें कि हर जीववैज्ञानिक वर्ग में बहुत सी भिन्न जीवों की जातियाँ-प्रजातियाँ सम्मिलित होती हैं।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

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