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मानव कामुक क्रिया

सूची मानव कामुक क्रिया

मानव कामुक क्रिया, मानव कामुक विधि या मानव कामुक व्यवहार वह तरीका है जिसमें मनुष्य अपनी कामुकता को अनुभव और व्यक्त करते हैं। लोग विभिन्न प्रकार के यौन कृत्यों में संलग्न होते हैं, जिसमें अकेले की गई क्रियाओं (जैसे, हस्तमैथुन) से लेकर अन्य व्यक्ति के साथ की गई क्रियाएँ (उदाहरण के लिए, संभोग, अप्रवेशीय मैथुन, मुख मैथुन, आदि) शामिल होती हैं, जो आवृत्ति के विभिन्न पैटर्नों में, व्यापक विविध कारणों के लिए की जाती हैं। .

4 संबंधों: मानव कामुकता, मुखाभिगम, सम्भोग, हस्तमैथुन

मानव कामुकता

मानव कामुकता वह तरीका है जिससे लोग कामुक रूप से अपने आप को अनुभव और अभिव्यक्त करते हैं। इसमें जैविक, कामुक, शारीरिक, भावनात्मक, सामाजिक या आध्यात्मिक भावनाएँ और व्यवहार शामिल हैं। चूंकि यह व्यापक शब्द है, जो समय के साथ बदला हुआ है, इसकी कोई एक सटीक परिभाषा नहीं है। कामुकता के जैविक और शारीरिक पहलू मानव प्रजनन कार्यों से मुख्य रूप से सम्बन्धित हैं, जिसमें मानव कामुक अनुक्रिया चक्र शामिल है। किसी का यौन अभिविन्यास (सेक्सुअल ओरिएंटेशन) उस व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति के लिए यौन रुचि और आकर्षण को प्रभावित कर सकता हैं। कामुकता के शारीरिक और भावनात्मक पहलुओं में व्यक्तियों के बीच बन्धन (बॉण्ड) होता हैं जो गहरी भावनाओं या प्रेम, विश्वास और देखभाल की शारीरिक अभिव्यक्तियों के माध्यम से व्यक्त किया जाता है। सामाजिक पहलुओं को किसी के कामुकता पर मानव समाज के प्रभाव से निपटना पड़ता है, जबकि अध्यात्म का संदर्भ एक व्यक्ति के दूसरे के साथ आध्यात्मिक संबंध से है। कामुकता जीवन के सांस्कृतिक, राजनीतिक, कानूनी, दार्शनिक, नैतिक, नीतिशास्त्रीय और धार्मिक पहलुओं को प्रभावित करती है और उनसे प्रभावित भी होती हैं। यौन गतिविधि में रुचि आमतौर पर बढ़ जाती है जब कोई व्यक्ति यौवनारम्भ (प्यूबर्टी) तक पहुंचता है। किसी व्यक्ति के यौन अभिविन्यास और यौन व्यवहार की उत्पत्ति पर राय भिन्न हैं। कुछ लोग तर्क देते हैं कि कामुकता आनुवांशिकी द्वारा निर्धारित होती है, जबकि दूसरों का मानना है कि यह पर्यावरण द्वारा ढाली जाती है, या ये दोनों कारक व्यक्तिगत यौन अभिविन्यास बनाने के लिए परस्पर क्रिया करते हैं। यह प्रकृति बनाम पोषण विवाद से संबंधित हैं। .

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मुखाभिगम

मुखमैथुन का चित्र विकिमीडिया कॉमन्स से मुखाभिगम (अंग्रेजी: Oral Sex) भी मैथुन का एक तरीका है जिसे प्राय: सम्भोग से पूर्व योनांगों को मुख, जीभ, होंठ के प्रयोग से उत्तेजित किया जाता है। इसे आम बोलचाल की भाषा में मुख मैथुन कहते हैं। यह सामान्यत: स्त्री की योनि में पुरुष लिंग के प्रवेश करने से पूर्व तक ही सीमित रहती है। स्त्री-पुरुष दोनों के पूर्णतया उत्तेजित हो जाने के बाद तो सारा काम लिंग ही करता है। आजकल समलैंगिकता के कारण इस प्रकार का मैथुन प्रचलित है। कामसूत्र के प्रणेता वात्स्यायन ने इस प्रकार के मैथुन को प्रकारान्तर से कुकृत्य कहा है और हेय (वर्जित) बताया है। इसे जब किसी स्त्री पर् पुरुष करता है या जब किसी पुरुष पर कोई स्त्री करती है तो इन दोनों प्रक्रियाओं हेतु भिन्न भिन्न नाम अंगरेजी में प्रयोग करने की परम्परा रही है लेकिन हिन्दी में इसके लिए कोई शब्द नही है| कभी गुदा पर भी इसे किया जाता है, शरीर के अन्य भागो का चुम्बन और उन्हें चाटना इस क्रिया में शामिल नही माना जाता वे पूर्वक्रिया का अंग तो हो सकते है लेकिन मुखमैथुन नही कहला सकते, लोग इसे मैथुन से पहले क्रिया के रूप में कर सकते है, वे इसे मैथुन के बीच अथवा पश्चात् भी कर सकते है या कभी कभी इसे सिर्फ़ स्वतंत्र रूप से किया जाता है महिलाएं मुख मैथुन पसंद करती हैं, इसलिए उन्हें दिखाइए कि आप उन्हें कितना ‘प्यार’ करते हैं और अपने मुख मैथुन (oral sex) ज्ञान के द्वारा उसे परिपूर्णता के निकट पहुंचा कर एक बेहतरीन पार्टनर होने का परिचय दें.

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सम्भोग

सम्भोग (अंग्रेजी: Sexual intercourse या सेक्सुअल इन्टरकोर्स) मैथुन या सेक्स की उस क्रिया को कहते हैं जिसमे नर का लिंग मादा की योनि में प्रवेश करता हैं। सम्भोग अलग अलग जीवित प्रजातियों के हिसाब से अलग अलग प्रकार से हो सकता हैं। सम्भोग को योनि मैथुन, काम-क्रीड़ा, रति-क्रीड़ा भी कहते हैं। संभोग की क्रिया केवल पति-पत्नी के बीच ही हो सकती है । यदि कोई महिला या पुरुष अपने पति-पत्नी के अलावा किसी और से संबंध बनाता है । तो वह अपराध की श्रेणी में आता है। इस अपराध की सजा भारत मे 30 साल की उम्रकैद है। यदि कोई स्त्री पुरुष अपने पति पत्नी को छोड़कर किसी अन्य से संबंध बनाता बनाती है । तो उस स्त्री अथवा पुरुष का उसकी पति अथवा पत्नी से तलाक हो जाता है । तथा उस स्त्री अथवा पुरुष को 30 साल की जेल होती है। विवाह से पूर्व संभोग करने भी अपराध की श्रेणी में आता है । इसकी दज यह है कि उस उन दोनों का विवाह करना अनिवार्य हो जाता है । तथा वे एक-दूसरे से जीवन भर तलाक नही ले सकते है । और किसी अन्य से संभोग भी नही कर सकते है । सृष्टि में आदि काल से सम्भोग का मुख्य काम वंश को आगे चलाना व बच्चे पैदा करना है। जहाँ कई जानवर व पक्षी सिर्फ अपने बच्चे पैदा करने के लिए उपयुक्त मौसम में ही सम्भोग करते हैं वहीं इंसानों में सम्भोग इस वजह के बिना भी हो सकता हैं। सम्भोग इंसानों में सुख प्राप्ति या प्यार या जज्बात दिखाने का भी एक रूप हैं। सम्भोग अथवा मैथुन से पूर्व की क्रिया, जजिसे अंग्रेजी में फ़ोर प्ले कहते हैं, के दौरान हर प्राणी के शरीर से कुछ विशेष प्रकार की गन्ध (फ़ीरोमंस) उत्सर्जित होती है जो विषमलिंगी को मैथुन के लिये अभिप्रेरित व उत्तेजित करती है। कुछ प्राणियों में यह मौसम के अनुसार भी पाया जाता है। वस्तुत: फ़ोर प्ले से लेकर चरमोत्कर्ष की प्राप्ति तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया ही सम्भोग कहलाती है बशर्ते कि लिंग व्यवहार का यह कार्य विषमलिंगियों के बीच हो रहा हो। कई ऐसे प्रकार के सम्भोग भी हैं जिसमें लिंग का उपयोग नर और मादा के बीच नहीं होता जैसे मुख मैथुन, हस्तमैथुन अथवा गुदा मैथुन उन्हें मैथुन तो कहा जा सकता है परन्तु सम्भोग कदापि नहीं। उपरोक्त प्रकार के मैथुन अस्वाभाविक अथवा अप्राकृतिक व्यवहार के अन्तर्गत आते हैं या फिर सम्भोग के साधनों के अभाव में उन्हें केवल मनुष्य की स्वाभाविक आत्मतुष्टि का उपाय ही कहा जा सकता है, सम्भोग नहीं। .

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हस्तमैथुन

गुस्टाव क्लिम्ट की चित्रकारी जिसमें ''एक महिला अपनी जांघों को दूर किये बैठी है'' (1916) हस्तमैथुन (अंग्रेजी: Masturbation) शारीरिक मनोविज्ञान से सम्बन्धित एक सामान्य प्रक्रिया का नाम है जिसे यौन सन्तुष्टि हेतु पुरुष हो या स्त्री, कभी न कभी सभी करते है। इसे केवल युवा ही नहीं बल्कि बुड्ढे-बुड्ढे लोग भी लिंगोत्थान हेतु करते हैं इससे उन्हें यह अहसास होता है कि वे अभी भी यौन-क्रिया करने में सक्षम हैं। अपने यौनांगों को स्वयं उत्तेजित करना युवा लड़कों तथा लड़कियों के लिये उस समय आवश्यक हो जाता है जब उनकी किसी कारण वश शादी नहीं हो पाती या वे असामान्य रूप से सेक्सुअली स्ट्रांग होते हैं। अब तो विज्ञान द्वारा भी यह सिद्ध किया जा चुका है कि इससे कोई हानि नहीं होती। पुरुषों की तरह महिलाएँ भी अपने यौनांगों को स्वयं उत्तेजित करने के तरीके खोज लेती हैं जो उन्हें बेहद संवेदनशील अनुभव और प्रबल उत्तेजना प्रदान करते हैं। फिर चाहें वे अकेली हों या अपनी महिला पार्टनर के साथ। महिलाएँ यदि अपने यौनांगों को स्वयं उत्तेजित न करें तो इस बात की भी सम्भावना बनी रहती है कि विवाह के बाद सेक्स क्रिया के दौरान उन्हें पर्याप्त उत्तेजना से वंचित रहना पड़े। औसत तौर पर पुरुष 12-13 वर्ष की उम्र में ही हस्तमैथुन शुरू कर देते हैं जबकि महिलाएँ तरुणाई (13 से 19 वर्ष) के अन्तिम दौर में हस्तमैथुन का आनन्द लेना शुरू करती हैं, लेकिन उनमें यह मामला इतना ढँका और छिपा हुआ रहता है कि कभी किसी चर्चा में भी सामने नहीं आ पाता। पूर्ण तरुण होने पर हस्तमैथुन का मामला खुले रहस्य की ओर झुकाव तो लेने लगता है पर ज्यादातर लोग इस मामले पर पर्दा ही पड़े रहना देना बेहतर समझते हैं। लेकिन अब जमाना बिल्कुल बदल गया है। अब कुछ ऐसे युवा तैयार हो रहे हैं जो इन वर्जनाओं को तोड़ कर हस्तमैथुन के तरीकों पर चर्चा में खुलकर हिस्सा ले रहे हैं। .

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मानव यौन क्रिया

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