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माइक्रोकंट्रोलर

सूची माइक्रोकंट्रोलर

माइक्रोचिप का PIC 18F252 माइक्रोकन्ट्रोलर (८-बिट, १६-किलोबाइट फ्लैश, ४० मेगा हर्ट्स, DIP-28) माइक्रोकन्ट्रोलर (Microcontroller or MCU) एक आइ॰ सी॰ (एकीकृत परिपथ) है जिसमें पूरा कम्प्यूटर समाहित होता है; अर्थात् एक ही आई॰ सी॰ के अन्दर कम्प्यूटर के चारों भाग (इन्पुट, आउटपुट, सीपीयू और स्मृति या भण्डारण) निर्मित होते हैं। वस्तुतः यह भी एक प्रकार का माइक्रोप्रोसेसर ही है किन्तु इसकी डिजाइन में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि यह आत्मनिर्भर हो (किसी कार्य के लिये दूसरी आई॰ सी॰ की जरूरत कम से कम या नहीं हो); तथा सस्ता हो। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिये प्रायः RAM व ROM भी अन्तःनिर्मित कर दिये जाते हैं जबकि माइक्रोप्रोसेसरों को काम में लाने के लिये RAM व ROM अलग से लगाना पडता है। .

5 संबंधों: एफपीजीए, डिजिटल सिग्नल प्रोसेसर, माइक्रोप्रोसेसर, कंप्यूटर, असेम्बली भाषा

एफपीजीए

बोर्ड पर लगा हुआ अल्टेरा का एक FPGA जिलिंक्स कम्पनी द्वारा निर्मित एक एफपीजीए फिल्ड-प्रोग्रामेबल गेट अरे या एफपीजीए (FPGA) एक विशेष प्रकार का अंकीय एकीकृत परिपथ है जिसे प्रयोक्ता अपनी आवश्यकतानुसार विन्यासित करके विविध प्रकार के कार्य करा सकता है। विन्यास करने के लिये प्रोग्राम करना पड़ता है। चूँकि निर्माण के बाद प्रयोक्ता द्वारा इसकी आन्तरिक बनावट को बदला जा सकता है, इसलिये इसे 'फिल्ड प्रोग्रामेबल' कहते हैं। एफपीजीए का प्रयोग करके वे सारे लॉजिकल कार्य किये/कराये जा सकते हैं जो 'एसिक' (ASICs) द्वारा किये जाते हैं। .

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डिजिटल सिग्नल प्रोसेसर

डिजिटल सिग्नल प्रोसेसर (Digital Signal Processor या DSP) एक विशेश माइक्रोप्रोसेसर है जिसे डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग के लिये विशेष रूप से डिजाइन किया गया होता है। वास्तविक-समय (Real-Time) में डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग करने के लिये कुछ विशेष इन्स्ट्र्क्शन्स को बहुत तेज गति से कार्यान्वित करना आवश्यक होता है। .

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माइक्रोप्रोसेसर

माइक्रोप्रोसेसर (हिन्दी: सूक्ष्मप्रक्रमक) एक ऐसा डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक युक्ति है जिसमें लाखों ट्रांजिस्टरों को एकीकृत परिपथ (इंटीग्रेटेड सर्किट या आईसी) के रूप में प्रयोग कर तैयार किया जाता है। इससे कंप्यूटर के केन्द्रीय प्रक्रमण इकाई (CPU या सीपीयू) की तरह भी काम लिया जाता है।। हिन्दुस्टान लाइव। २४ जनवरी २०१० इंटीग्रेटेड सर्किट के आविष्कार से ही आगे चलकर माइक्रोप्रोसेसर के निर्माण का रास्ता खुला था। माइक्रोप्रोसेसर के अस्तित्व में आने के पूर्व सीपीयू अलग-अलग इलेक्ट्रॉनिक अवयवों को जोड़कर बनाए जाते थे या फिर लघुस्तरीय एकीकरण वाले परिपथों से। सबसे पहला माइक्रोप्रोसेसर १९७० में बना था। तब इसका प्रयोग इलेक्ट्रॉनिक परिकलकों में बाइनरी कोडेड डेसिमल (बीसीडी) की गणना करने के लिए किया गया था। बाद में ४ व ८ बिट माइक्रोप्रोसेसर का उपयोग टर्मिनल्स, प्रिंटर और ऑटोमेशन डिवाइस में किया गया था। विश्व में मुख्यत: दो बड़ी माइक्रोप्रोसेसर उत्पादक कंपनियां है - इंटेल (INTEL) और ए.एम.डी.(AMD)। इनमें से इन्टैल कंपनी के प्रोसेसर अधिक प्रयोग किये जाते हैं। प्रत्येक कंपनी प्रोसेसर की तकनीक और उसकी क्षमता के अनुसार उन्हे अलग अलग कोड नाम देती हैं, जैसे इंटेल कंपनी के प्रमुख प्रोसेसर हैं पैन्टियम -1, पैन्टियम -2, पैन्टियम -3, पैन्टियम -4, सैलेरॉन, कोर टू डुयो आदि.उसी तरह ए.एम.डी. कंपनी के प्रमुख प्रोसेसर हैं के-5, के-6, ऐथेलॉन आदि। .

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कंप्यूटर

निजी संगणक कंप्यूटर (अन्य नाम - संगणक, कंप्यूटर, परिकलक) वस्तुतः एक अभिकलक यंत्र (programmable machine) है जो दिये गये गणितीय तथा तार्किक संक्रियाओं को क्रम से स्वचालित रूप से करने में सक्षम है। इसे अंक गणितीय, तार्किक क्रियाओं व अन्य विभिन्न प्रकार की गणनाओं को सटीकता से पूर्ण करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से निर्देशित किया जा सकता है। चूंकि किसी भी कार्य योजना को पूर्ण करने के लिए निर्देशो का क्रम बदला जा सकता है इसलिए संगणक एक से ज्यादा तरह की कार्यवाही को अंजाम दे सकता है। इस निर्देशन को ही कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग कहते है और संगणक कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा की मदद से उपयोगकर्ता के निर्देशो को समझता है। यांत्रिक संगणक कई सदियों से मौजूद थे किंतु आजकल अभिकलित्र से आशय मुख्यतः बीसवीं सदी के मध्य में विकसित हुए विद्दुत चालित अभिकलित्र से है। तब से अबतक यह आकार में क्रमशः छोटा और संक्रिया की दृष्टि से अत्यधिक समर्थ होता गया हैं। अब अभिकलक घड़ी के अन्दर समा सकते हैं और विद्युत कोष (बैटरी) से चलाये जा सकते हैं। निजी अभिकलक के विभिन्न रूप जैसे कि सुवाह्य संगणक, टैबलेट आदि रोजमर्रा की जरूरत बन गए हैं। परंपरागत संगणकों में एक केंद्रीय संचालन इकाई (सीपीयू) और सूचना भन्डारण के लिए स्मृति होती है। संचालन इकाई अंकगणित व तार्किक गणनाओ को अंजाम देती है और एक अनुक्रमण व नियंत्रण इकाई स्मृति में रखे निर्देशो के आधार पर संचालन का क्रम बदल सकती है। परिधीय या सतह पे लगे उपकरण किसी बाहरी स्रोत से सूचना ले सकते है व कार्यवाही के फल को स्मृति में सुरक्षित रख सकते है व जरूरत पड़ने पर पुन: प्राप्त कर सकते हैं। एकीकृत परिपथ पर आधारित आधुनिक संगणक पुराने जमाने के संगणकों के मुकबले करोड़ो अरबो गुना ज्यादा समर्थ है और बहुत ही कम जगह लेते है। सामान्य संगणक इतने छोटे होते है कि मोबाइल फ़ोन में भी समा सकते है और मोबाइल संगणक एक छोटी सी विद्युत कोष (बैटरी) से मिली ऊर्जा से भी काम कर सकते है। ज्यादातर लोग “संगणकों” के बारे में यही राय रखते है कि अपने विभिन्न स्वरूपों में व्यक्तिगत संगणक सूचना प्रौद्योगिकी युग के नायक है। हालाँकि embedded system|सन्निहित संगणक जो कि ज्यादातर उपकरणों जैसे कि आंकिक श्रव्य वादक|एम.पी.३ वादक, वायुयान व खिलौनो से लेकर औद्योगिक मानव यन्त्र में पाये जाते है लोगो के बीच ज्यादा प्रचलित है। .

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असेम्बली भाषा

असेम्बली भाषा (assembly language) या असेम्बलर भाषा (assembler) कम्प्यूटर तथा अन्य प्रोग्राम करने योग्य युक्तियों (जैसे माइक्रोकन्ट्रोलर) की निम्न-स्तरीय प्रोग्रामन भाषा है। असेम्बली के बाद भाषा तथा मशीन आर्किटेक्चर में प्रायः बहुत घनिष्ट सम्बन्ध होता है। एक विशेष कम्प्यूटर आर्किटेक्चर के लिये असेम्बली भाषा भी विशिष्ट होती है। असेम्बली भाषा को 'सांकेतिक मशीन कोड' भी कह सकते हैं। मशीनी भाषा द्वारा प्रोग्राम तैयार करने मे आने वाली कठिनाईयो को दूर करने हेतु कम्प्यूटर वैज्ञानिको ने एक अन्य कम्प्यूटर प्रोग्राम भाषा का निर्माण किया। इस कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा को असेम्बली भाषा कहते है। कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा के विकास का पहला कदम यह था कि मशीनी भाषा को अंकीय क्रियांवयन संकेतो के स्थान पर अक्षर चिन्ह स्मरणोपकारी का प्रयोग किया गया। स्मरणोपकारी का अर्थ यह है कि -एसी युक्ति जो हमारी स्मृति मे वर्ध्दन करें। जैसे घटाने के लिये मशीनी भाषा मे द्विअंकीय प्रणाली मे 1111 और दशमलव प्रणाली मे 15 का प्रयोग किया जाता है, अब यदि इसके लिये मात्र sub का प्रयोग किया जाए तो यह प्रोग्रामर की समय मे सरलता लाएगी। पारिभाषिक शब्दो मे, वह कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा जिसमे मशीनी भाषा मे प्रयुक्त अंकीय संकेतो के स्थान पर अक्षर अथवा चिन्हो का प्रयोग किया जाता है, असेम्बली भाषा अथवा symbol language कहलाती है। असेम्बली भाषा मे मशीन कोड के स्थान पर ’नेमोनिक कोड’ का प्रयोग किया गया जिन्हे मानव मस्तिष्क आसानी से पहचान सकता था जैसे-LDA(load),Tran(Translation),JMP(Jump) एवं इसी प्रकार के अन्य नेमोनिक कोड जिन्हे आसानी से पहचाना व याद रखा जा सकता था। इनमे से प्रत्येक के लिये एक मशीन कोड भी निर्धारित किया गया, पर असेम्बली कोड से मशीन कोड मे परिवर्तन का काम, कम्प्यूटर मे ही स्थित एक प्रोग्राम के जरिये किया जाने लगा, इस प्रकार के प्रोग्राम को असेम्बलर नाम दिया गया। यह एक अनुवादक की भांति कार्य करता है। .

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