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महात्मा गाँधी सेतु

सूची महात्मा गाँधी सेतु

महात्मा गाँधी सेतु। महात्मा गांधी सेतु पटना से हाजीपुर को जोड़ने को लिये गंगा नदी पर उत्तर-दक्षिण की दिशा में बना एक पुल है। यह दुनिया का सबसे लम्बा, एक ही नदी पर बना सड़क पुल है। इसकी लम्बाई 5,750 मीटर है। भारत की प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने इसका उद्घाटन मई 1982 में किया था। इसका निर्माण गैमोन इंडिया लिमिटेड ने किया था। वर्तमान में यह राष्ट्रीय राजमार्ग 19 का हिस्सा है। .

10 संबंधों: दीघा-सोनपुर रेल-सह-सड़क पुल, पटना, बान्द्रा-वर्ली समुद्रसेतु, महात्मा गांधी, राष्ट्रीय राजमार्ग १९, हाजीपुर, गंगा नदी, आरा-छपरा सेतु, इन्दिरा गांधी, १९८२

दीघा-सोनपुर रेल-सह-सड़क पुल

दीघा-सोनपुर रेल-सह-सड़क पुल अथवा जे पी सेतु (लोकनायक जय प्रकाश नारायण सेतु), गंगा पर बना पुल है जो पटना और सोनपुर को जोड़ता है। इसकी लम्बाई 4,556 मीटर है। दीघा-गाँधी मैदान सड़क से दीघा सड़क सेतु की दूरी 1.7 किलोमीटर है। दीघा सह सम्पर्क पथ छह लेन का है। दीघा सड़क सेतु के 2.56 कि॰मी॰ लम्बे सोनपुर एप्रोच के लिए जमीन मालिकों की आपसी सहमति से उनकी जमीन का 99 साल के लिए अनवरत लीज/ परपीचुअल लीज (Perpetual lease) रजिस्टर्ड एग्रीमेण्ट कर सरकार ने उन्हें जमीन की कीमत का चौगुनी मुआवजा देकर एग्रीमेण्ट किया है। सोनपुर एप्रोच के 600 मीटर दूरी में एलिवेटेड स्ट्रक्चर है। 2.56 कि॰मी॰ सोनपुर एप्रोच में सारण जिला के गंगाजल, चौसिया, भरपुरा और सुलतानपुर गाँव की जमीन है। जेपी सेतु को नेशनल हाइवे-19 से हाजीपुर-छपरा फोर लेन सड़क से जोड़ा जायेगा। एम्स दीघा एलिवेटेड रोड (12.4 किमी लंबा), गंगा पाथ वे (21.1 किमी) और जेपी सेतु (4.5 किमी)- गांधी सेतु से मिलकर यह एक ऐसा थ्रू वे(threeway) बनाएगा, जिससे सोनपुर की तरफ से आसानी से पश्चिमी पटना, फुलवारीशरीफ और एम्स पटना पहुंच जायेगा। इसके बन जाने से दीदारगंज, पटना सिटी, गुलजारबाग, व गायघाट जैसे सुदुर पूर्वी क्षेत्र के व्यक्ति को दीघा, दानापुर, खगौल, फुलवारीशरीफ, एम्स व जानीपुर जैसे सुदुर पश्चिमी क्षेत्रों में जाने-आने के लिए गांधी मैदान या पटना जंक्शन आने-जाने और शहर की मुख्य ट्रैफिक व्यवस्था पर दबाव बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। .

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पटना

पटना (पटनम्) या पाटलिपुत्र भारत के बिहार राज्य की राजधानी एवं सबसे बड़ा नगर है। पटना का प्राचीन नाम पाटलिपुत्र था। आधुनिक पटना दुनिया के गिने-चुने उन विशेष प्राचीन नगरों में से एक है जो अति प्राचीन काल से आज तक आबाद है। अपने आप में इस शहर का ऐतिहासिक महत्व है। ईसा पूर्व मेगास्थनीज(350 ईपू-290 ईपू) ने अपने भारत भ्रमण के पश्चात लिखी अपनी पुस्तक इंडिका में इस नगर का उल्लेख किया है। पलिबोथ्रा (पाटलिपुत्र) जो गंगा और अरेन्नोवास (सोनभद्र-हिरण्यवाह) के संगम पर बसा था। उस पुस्तक के आकलनों के हिसाब से प्राचीन पटना (पलिबोथा) 9 मील (14.5 कि॰मी॰) लम्बा तथा 1.75 मील (2.8 कि॰मी॰) चौड़ा था। पटना बिहार राज्य की राजधानी है और गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर अवस्थित है। जहां पर गंगा घाघरा, सोन और गंडक जैसी सहायक नदियों से मिलती है। सोलह लाख (2011 की जनगणना के अनुसार 1,683,200) से भी अधिक आबादी वाला यह शहर, लगभग 15 कि॰मी॰ लम्बा और 7 कि॰मी॰ चौड़ा है। प्राचीन बौद्ध और जैन तीर्थस्थल वैशाली, राजगीर या राजगृह, नालन्दा, बोधगया और पावापुरी पटना शहर के आस पास ही अवस्थित हैं। पटना सिक्खों के लिये एक अत्यंत ही पवित्र स्थल है। सिक्खों के १०वें तथा अंतिम गुरु गुरू गोबिंद सिंह का जन्म पटना में हीं हुआ था। प्रति वर्ष देश-विदेश से लाखों सिक्ख श्रद्धालु पटना में हरमंदिर साहब के दर्शन करने आते हैं तथा मत्था टेकते हैं। पटना एवं इसके आसपास के प्राचीन भग्नावशेष/खंडहर नगर के ऐतिहासिक गौरव के मौन गवाह हैं तथा नगर की प्राचीन गरिमा को आज भी प्रदर्शित करते हैं। एतिहासिक और प्रशासनिक महत्व के अतिरिक्त, पटना शिक्षा और चिकित्सा का भी एक प्रमुख केंद्र है। दीवालों से घिरा नगर का पुराना क्षेत्र, जिसे पटना सिटी के नाम से जाना जाता है, एक प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र है। .

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बान्द्रा-वर्ली समुद्रसेतु

बांद्रा-वर्ली समुद्रसेतु (आधिकारिक राजीव गांधी सागर सेतु) ८-लेन का, तार-समर्थित कांक्रीट से निर्मित पुल है। यह बांद्रा को मुम्बई के पश्चिमी और दक्षिणी (वर्ली) उपनगरों से जोड़ता है और यह पश्चिमी-द्वीप महामार्ग प्रणाली का प्रथम चरण है। १६ अरब रुपये (४० करोड़ $) की महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम की इस परियोजना के इस चरण को हिन्दुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा पूरा किया गया है। इस पुल का उद्घाटन ३० जून, २००९ को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन प्रमुख श्रीमती सोनिया गांधी द्वारा किया गया लेकिन जन साधारण के लिए इसे १ जुलाई, २००९ को मध्य-रात्रि से खोला गया। साढ़े पांच किलोमीटर लंबे इस पुल के बनने से बांद्रा और वर्ली के बीच यात्रा में लगने वाला समय ४५ मिनट से घटकर मात्र ६-८ मिनट रह गया है। इस पुल की योजना १९८० के दशक में बनायी गई थी, किंतु यह यथार्थ रूप में अब जाकर पूर्ण हुआ है। यह सेतु मुंबई और भारत में अपने प्रकार का प्रथम पुल है। इस सेतु-परियोजना की कुल लागत १६.५० अरब रु है। इस पुल की केवल प्रकाश-व्यवस्था करने के लिए ही ९ करोड़ रु का व्यय किया गया है। इसके कुल निर्माण में ३८,००० कि.मी इस्पात रस्सियां, ५,७५,००० टन कांक्रीट और ६,००० श्रमिक लगे हैं। इस सेतु में लगने वाले इस्पात के खास तारों को चीन से मंगाया गया था। जंग से बचाने के लिए इन तारों पर खास तरह का पेंट लगाने के साथ प्लास्टिक के आवरण भी चढ़ाए गए हैं। अब तैयार होने पर इस पुल से गुजरने पर यात्रियों को चुंगी (टोल) कर देना तय हुआ है। यह चुंगी किराया प्रति वाहन ४०-५० रु तक होगा। इस पुल की कुल ७ कि.मी (ढान सहित) के यात्रा-समय में लगभग १ घंटे की बचत और कई सौ करोड़ वाहन संचालन व्यय एवं ईंधन की भी कटौती होगी। इस बचत को देखते हुए इसकी चुंगी नगण्य है। प्रतिदिन लगभग सवा लाख वाहन इस पुल पर से गुजरेंगे। File:Bandra_Worli_Sea_Link_at_night.jpg|रात्रि दृश्य File:Sealinkup.JPG|माहिम से दृश्य File:Bandra-Worli_Sea_Link_8.jpg|दूर-दृश्य .

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महात्मा गांधी

मोहनदास करमचन्द गांधी (२ अक्टूबर १८६९ - ३० जनवरी १९४८) भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी जिसने भारत को आजादी दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। उन्हें दुनिया में आम जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती है। संस्कृत भाषा में महात्मा अथवा महान आत्मा एक सम्मान सूचक शब्द है। गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले १९१५ में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था।। उन्हें बापू (गुजराती भाषा में બાપુ बापू यानी पिता) के नाम से भी याद किया जाता है। सुभाष चन्द्र बोस ने ६ जुलाई १९४४ को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आज़ाद हिन्द फौज़ के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं। प्रति वर्ष २ अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में और पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है। सबसे पहले गान्धी ने प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष हेतु सत्याग्रह करना शुरू किया। १९१५ में उनकी भारत वापसी हुई। उसके बाद उन्होंने यहाँ के किसानों, मजदूरों और शहरी श्रमिकों को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिये एकजुट किया। १९२१ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने देशभर में गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण व आत्मनिर्भरता के लिये अस्पृश्‍यता के विरोध में अनेकों कार्यक्रम चलाये। इन सबमें विदेशी राज से मुक्ति दिलाने वाला स्वराज की प्राप्ति वाला कार्यक्रम ही प्रमुख था। गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाये गये नमक कर के विरोध में १९३० में नमक सत्याग्रह और इसके बाद १९४२ में अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। दक्षिण अफ्रीका और भारत में विभिन्न अवसरों पर कई वर्षों तक उन्हें जेल में भी रहना पड़ा। गांधी जी ने सभी परिस्थितियों में अहिंसा और सत्य का पालन किया और सभी को इनका पालन करने के लिये वकालत भी की। उन्होंने साबरमती आश्रम में अपना जीवन गुजारा और परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनी जिसे वे स्वयं चरखे पर सूत कातकर हाथ से बनाते थे। उन्होंने सादा शाकाहारी भोजन खाया और आत्मशुद्धि के लिये लम्बे-लम्बे उपवास रखे। .

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राष्ट्रीय राजमार्ग १९

२४० किलोमीटर लंबा यह राजमार्ग गाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश को पटना, बिहार से जोड़ता है। श्रेणी:भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग.

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हाजीपुर

हाजीपुर (Hajipur) भारत गणराज्य के बिहार प्रान्त के वैशाली जिला का मुख्यालय है। हाजीपुर भारत की संसदीय व्यवस्था के अन्तर्गत एक लोकसभा क्षेत्र भी है। 12 अक्टुबर 1972 को मुजफ्फरपुर से अलग होकर वैशाली के स्वतंत्र जिला बनने के बाद हाजीपुर इसका मुख्यालय बना। ऐतिहासिक महत्त्व के होने के अलावा आज यह शहर भारतीय रेल के पूर्व-मध्य रेलवे मुख्यालय है, इसकी स्थापना 8 सितम्बर 1996 को हुई थी।, राष्ट्रीय स्तर के कई संस्थानों तथा केले, आम और लीची के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। .

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गंगा नदी

गंगा (गङ्गा; গঙ্গা) भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है। यह भारत और बांग्लादेश में कुल मिलाकर २,५१० किलोमीटर (कि॰मी॰) की दूरी तय करती हुई उत्तराखण्ड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुन्दरवन तक विशाल भू-भाग को सींचती है। देश की प्राकृतिक सम्पदा ही नहीं, जन-जन की भावनात्मक आस्था का आधार भी है। २,०७१ कि॰मी॰ तक भारत तथा उसके बाद बांग्लादेश में अपनी लंबी यात्रा करते हुए यह सहायक नदियों के साथ दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है। सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण गंगा का यह मैदान अपनी घनी जनसंख्या के कारण भी जाना जाता है। १०० फीट (३१ मी॰) की अधिकतम गहराई वाली यह नदी भारत में पवित्र मानी जाती है तथा इसकी उपासना माँ तथा देवी के रूप में की जाती है। भारतीय पुराण और साहित्य में अपने सौन्दर्य और महत्त्व के कारण बार-बार आदर के साथ वंदित गंगा नदी के प्रति विदेशी साहित्य में भी प्रशंसा और भावुकतापूर्ण वर्णन किये गये हैं। इस नदी में मछलियों तथा सर्पों की अनेक प्रजातियाँ तो पायी ही जाती हैं, मीठे पानी वाले दुर्लभ डॉलफिन भी पाये जाते हैं। यह कृषि, पर्यटन, साहसिक खेलों तथा उद्योगों के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है तथा अपने तट पर बसे शहरों की जलापूर्ति भी करती है। इसके तट पर विकसित धार्मिक स्थल और तीर्थ भारतीय सामाजिक व्यवस्था के विशेष अंग हैं। इसके ऊपर बने पुल, बांध और नदी परियोजनाएँ भारत की बिजली, पानी और कृषि से सम्बन्धित ज़रूरतों को पूरा करती हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं। गंगा की इस अनुपम शुद्धीकरण क्षमता तथा सामाजिक श्रद्धा के बावजूद इसको प्रदूषित होने से रोका नहीं जा सका है। फिर भी इसके प्रयत्न जारी हैं और सफ़ाई की अनेक परियोजनाओं के क्रम में नवम्बर,२००८ में भारत सरकार द्वारा इसे भारत की राष्ट्रीय नदी तथा इलाहाबाद और हल्दिया के बीच (१६०० किलोमीटर) गंगा नदी जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया है। .

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आरा-छपरा सेतु

आरा-छपरा सेतु अथवा वीर कुँवर सिंह सेतु गंगा पर बना है। यह भोजपुर जिले के बबुरा और सारण जिले के डोरीगंज को जोड़ता है। इस पुल के बन जाने के बाद आरा से छपरा की दूरी 100 किमी कम हो गई। आरा साइड में 16 किलोमीटर व छपरा साइड में एक किलोमीटर एप्रोच रोड है। पुल के निर्माण पर 860 करोड़ खर्च अनुमानित है। वर्ष 2010 में 676 करोड़ का लागत से इस सेतु का निर्माण शुरू किया गया। एनएच 30 से शहर में आने वाली गाड़ियों बिना पटना पहुंचे ही उत्तर बिहार पहुंच जाएंगी। .

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इन्दिरा गांधी

युवा इन्दिरा नेहरू औरमहात्मा गांधी एक अनशन के दौरान इन्दिरा प्रियदर्शिनी गाँधी (जन्म उपनाम: नेहरू) (19 नवंबर 1917-31 अक्टूबर 1984) वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 पारी के लिए भारत गणराज्य की प्रधानमन्त्री रहीं और उसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर 1984 में उनकी राजनैतिक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। वे भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं। .

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१९८२

१९८२ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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महात्मा गांधी सेतु, गांधी सेतु

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