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महाकाश्यप

सूची महाकाश्यप

महाकाश्यप महाकाश्यप बुद्ध के प्रमुख शिष्यों में से एक थे। भगवान बुद्ध की मृत्यु के बाद बौद्ध संघ की प्रथम बौद्ध संगीति के लिए सभापति के रूप में महाकाश्यप को चुना गया था। उन्हे बौद्ध धर्म के जेन (Zen) शाखा का पहला प्रधान भी माना जाता है। वे बुद्ध के एकमात्र ऐसे शिष्य थे जिनके साथ भगवान बुद्ध ने वस्त्रों का आदान-प्रदान किया था। बुद्ध ने बहुत बार महाकाश्यप की बड़ाई भी की थी और महाकाश्यप को अपने बराबर का स्थान दिया था। महाकाश्यप कपिल नाम के ब्राह्मण और उन्की पत्नी सुमनदेवी के पुत्र के रूप में मगध में पैदा हुए। वे काफी धन दौलत सुख सुविधाओं के बीच बड़े हुए। उनके न चाहते हुए भी उनका विवाह कर दिया गया। अपने माता पिता कि मृत्यु के बाद कुछ समय तक उन्होंने अपनी पत्नी के साथ अपने माता पिता के धन दौलत को सम्भाला, लेकिन कुछ समय बाद उन दोनो ने संन्यासी बनने का फैसला कर लिया। वे दोनो बुद्ध के अनुयायी बन गये। .

सामग्री की तालिका

  1. 4 संबंधों: प्रथम बौद्ध संगीति, मगध महाजनपद, विवाह, गौतम बुद्ध

  2. अर्हत

प्रथम बौद्ध संगीति

थेरवाद परम्परा के अनुसार प्रथम बौद्ध संगीति महात्मा बुद्ध के परिनिर्वाण के अगले वर्ष (५४३ - ५४२ ईसापूर्व) हुई थी। किन्तु महायान परम्परा के अनुसार यह संगीति इससे भी पूर्व अलग-अलग तिथियों पर होने की सूचना मिलती है। कुछ पाश्चात्य विद्वानों के अनुसार प्रथम संगीति, उक्त तिथि के बाद हुई थी। यह संगीति मगधसम्राट अजातशत्रु द्वारा राजगृह आहूत की गयी थी। इसमें ५०० से ३०० भिक्षुओं ने भाग लिया था। सूत्रों के अनुसार राजगृह में यह संगीति सप्तपर्णी गुफा, क्षत्रिय गुफा, पिप्पल पर्वत या गृधकूट में हुई थी। इस संगीति की अध्यक्षता महाकाश्यप ने की थी। श्रेणी:बौद्ध धर्म श्रेणी:बौद्ध संगीति.

देखें महाकाश्यप और प्रथम बौद्ध संगीति

मगध महाजनपद

मगध प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था। आधुनिक पटना तथा गया ज़िला इसमें शामिल थे। इसकी राजधानी गिरिव्रज (वर्तमान राजगीर) थी। भगवान बुद्ध के पूर्व बृहद्रथ तथा जरासंध यहाँ के प्रतिष्ठित राजा थे। अभी इस नाम से बिहार में एक प्रंमडल है - मगध प्रमंडल। (२) सुमसुमार पर्वत के भाग, (३) केसपुत्र के कालाम, (४) रामग्राम के कोलिय, (५) कुशीमारा के मल्ल, (६) पावा के मल्ल, (७) पिप्पलिवन के मौर्य, (८) आयकल्प के बुलि, (९) वैशाली के लिच्छवि, (१०) मिथिला के विदेह। -- .

देखें महाकाश्यप और मगध महाजनपद

विवाह

हिन्दू विवाह का सांकेतिक चित्रण विवाह, जिसे शादी भी कहा जाता है, दो लोगों के बीच एक सामाजिक या धार्मिक मान्यता प्राप्त मिलन है जो उन लोगों के बीच, साथ ही उनके और किसी भी परिणामी जैविक या दत्तक बच्चों तथा समधियों के बीच अधिकारों और दायित्वों को स्थापित करता है। विवाह की परिभाषा न केवल संस्कृतियों और धर्मों के बीच, बल्कि किसी भी संस्कृति और धर्म के इतिहास में भी दुनिया भर में बदलती है। आमतौर पर, यह मुख्य रूप से एक संस्थान है जिसमें पारस्परिक संबंध, आमतौर पर यौन, स्वीकार किए जाते हैं या संस्वीकृत होते हैं। एक विवाह के समारोह को विवाह उत्सव (वेडिंग) कहते है। विवाह मानव-समाज की अत्यंत महत्वपूर्ण प्रथा या समाजशास्त्रीय संस्था है। यह समाज का निर्माण करने वाली सबसे छोटी इकाई- परिवार-का मूल है। यह मानव प्रजाति के सातत्य को बनाए रखने का प्रधान जीवशास्त्री माध्यम भी है। .

देखें महाकाश्यप और विवाह

गौतम बुद्ध

गौतम बुद्ध (जन्म 563 ईसा पूर्व – निर्वाण 483 ईसा पूर्व) एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ। उनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। उनकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थी जिनका इनके जन्म के सात दिन बाद निधन हुआ, उनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापती गौतमी ने किया। सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और पत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग की तलाश एवं सत्य दिव्य ज्ञान खोज में रात में राजपाठ छोड़कर जंगल चले गए। वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से बुद्ध बन गए। .

देखें महाकाश्यप और गौतम बुद्ध

यह भी देखें

अर्हत

महाकश्यप के रूप में भी जाना जाता है।