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मरखेड़ा

सूची मरखेड़ा

मरखेड़ा विदिशा जिले में बासौदा से कुछ दूरी पर स्थित है। यह गाँव अपने कप्नू नगों के लिए प्रसिद्ध रहा है। यहाँ स्थित सातखनी हवेली प्रसिद्ध है। हवेली के दूसरे द्वार पर कानूनगो परिवार के घोड़े बाँधने की व्यवस्था थी। इससे इनकी वैभवता का पता चलता है। यह गाँव लेटीरी से ६-७ कोस दक्षिण की तरफ ऊँचाई पर यह एक पहाड़ी नदी सांपन के किनारे बसा है। इस स्थान को मध्य भारत एवं गुजरात की सीमा पर बसे गिरासियों ने बसाया था। उनकी "गढ़ी' का प्रमाण अभी भी मिलता है। श्रेणी:विदिशा.

3 संबंधों: दक्षिण, लटेरी, विदिशा

दक्षिण

कुतुबनुमा-दक्षिण को इंगित करता दिशाकमल दक्षिण कुतुबनुमा द्वारा दिखायी जाने वाली चार दिशाओं में से एक दिशा है। दक्षिण दिशा उत्तर दिशा के विपरीत (दूसरी तरफ) होती है और पूर्व एवं पश्चिम दिशाओं से ९० डिग्री (अंश) पर होती है। (उत्तर दक्षिण एक दूसरे के आमने सामने हैं और पूर्व पश्चिम भी एक दुसरे के आमने सामने हैं।) यदि आप सूर्य की तरफ मुख कर के खड़े होंगे तो आपका मुख पूर्व की ओर होगा, दक्षिण दिशा आपके दाएँ हाथ की तरफ होगी, बाएँ हाथ की तरफ उत्तर होगा और पश्चिम आपकी पीठ की ओर होगी। नक्शों में दक्षिण दिशा अधिकतर पन्ने के नीचे की तरफ दिखायी जाती है और उत्तर दिशा पन्ने के ऊपर की ओर। श्रेणी:दिशाएँ भारत उपमहाद्वीप के दक्षिण में समुद्र है.

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लटेरी

यह स्थान सिरोंज से कुछ मील की दूरी पर विदिशा की एक तहसील का मुख्यालय है। एक समय यह स्थान घनघोर जंगलों के महावन से घिरा हुआ था। यहाँ से ५ मील की दूरी पर जगदग्नि ॠषि का आश्रम है, जो अब एक टूटे हुए प्राचीन मंदिर के रूप में विद्यमान है। वे एक मृगुवंशीय ब्राह्मण थे। अभी भी इस पूरे क्षेत्र में पचासो मीलों तक भार्गव ब्राह्मण बहुतायत में बसे हैं। यह स्थान चूँकि प्राकृतिक वन- संपदाओं व झुरमुटों के मध्य स्थित है, अतः देखने में तपोभूमि जैसा लगता है। यहाँ पहाड़ी निर्झर से एक कुण्ड बना है, जिसके दो भाग हैं -- एक भाग में सफेद दूध- सा पानी भरा है, जिसे दूधिया कुण्ड कहते हैं तथा दूसरे में साधारण पानी दूधिया कुण्ड का पानी साबुन के घोल जैसा सफेद दिखता है। इस स्थान को मंदागन कहा जाता है। माना जाता है कि यह सिद्धों का स्थान है। यहाँ मकर"- संक्रांति को प्रतिवर्ष मेला लगाता है। लोग कुण्ड में स्नान करते हैं। लटेरी का प्राचीन नाम लुटेरी था क्‍योंकी यहां पर जंगली इलाका होने के कारण राजपूत लुटेरो का निवास था बाद में इसका नाम बदलकर लटेरी हो गया, लटेरी से 7 किमी दूर ग्राम झूकरजोगी में पंचमढी नामक स्‍थान हिन्‍दुओं की आस्‍था का केन्‍द्र है यहां पर प्राचीन कई गुफाएे हैं पंचमढी सुन्दर मनोहारी पर्याटक स्थल है जिसे सिद्ध स्थान भी माना जाता है ऐसा कहा जाता है कि यहां के अवशेष रामायण और महाभारत काल से जुडे हैं, दूर दूर के पर्याटक और राजनीतिक लोग यहां सिद्ध बाबा के पास अपनी मनो कामना लेकर आते हैं, यहां पर छोटी मदागन का प्राचीन मंदिर लगभग 500 वर्ष से भी ज्‍यादा पुराना है जिसे लगभग 15वी शताब्दी में बनवाया गया था श्रेणी:विदिशा.

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विदिशा

विदिशा जिला विदिशा भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है। यह मालवा के उपजाऊ पठारी क्षेत्र के उत्तर- पूर्व हिस्से में अवस्थित है तथा पश्चिम में मुख्य पठार से जुड़ा हुआ है। ऐतिहासिक व पुरातात्विक दृष्टिकोण से यह क्षेत्र मध्यभारत का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जा सकता है। नगर से दो मील उत्तर में जहाँ इस समय बेसनगर नामक एक छोटा-सा गाँव है, प्राचीन विदिशा बसी हुई है। यह नगर पहले दो नदियों के संगम पर बसा हुआ था, जो कालांतर में दक्षिण की ओर बढ़ता जा रहा है। इन प्राचीन नदियों में एक छोटी-सी नदी का नाम वैस है। इसे विदिशा नदी के रूप में भी जाना जाता है। विदिशा में जन्में श्री कैलाश सत्यार्थी को 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला। .

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