लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
इंस्टॉल करें
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

मनोविकार

सूची मनोविकार

मनोविकार (Mental disorder) किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य की वह स्थिति है जिसे किसी स्वस्थ व्यक्ति से तुलना करने पर 'सामान्य' नहीं कहा जाता। स्वस्थ व्यक्तियों की तुलना में मनोरोगों से ग्रस्त व्यक्तियों का व्यवहार असामान्‍य अथवा दुरनुकूली (मैल एडेप्टिव) निर्धारित किया जाता है और जिसमें महत्‍वपूर्ण व्‍यथा अथवा असमर्थता अन्‍तर्ग्रस्‍त होती है। इन्हें मनोरोग, मानसिक रोग, मानसिक बीमारी अथवा मानसिक विकार भी कहते हैं। मनोरोग मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन की वजह से पैदा होते हैं तथा इनके उपचार के लिए मनोरोग चिकित्सा की जरूरत होती है। .

40 संबंधों: चित्तविभ्रम, चिंता, एकध्रुवीय अवसाद, तनाव, दुश्चिंता, द्विध्रुवी विकार, निम्न रक्तचाप, नैदानिक मनोविज्ञान, फोबिया, बहुव्यक्तित्व विकार, बौद्धिक अशक्‍तता, मधुमेह, मनस्ताप, मनोचिकित्सा, मनोदशा विकार, मनोरोग विज्ञान, मनोविदलता, मनोविश्लेषण, मनोविज्ञान, मनोविज्ञान शब्दावली, मनोविकारविज्ञानी, मानसिक स्वास्थ्य, संज्ञानात्मक विकार, संविभ्रम, स्वलीनता, स्किजोफ्रीनिया, हार्मोन, हिस्टीरिया, विभ्रांति, व्यक्तित्व, व्यक्तित्व विकार, आनुवंशिकी, असामान्य मनोविज्ञान, अवसाद, अंतराबंध, उच्च रक्तचाप, उत्पीड़न भ्रांति, उन्माद, २००९, ७ अक्तूबर

चित्तविभ्रम

चित्तविभ्रम अर्थात् डेलीरियम (Delirium) मानसिक संभ्रांति की उस अवस्था को कहते हैं जिसमें अचेतना, अकुलाहट और उत्तेजना पाई जाती है। इसमें असंबद्ध विचारों के साथ साधारण भ्रम और मतिभ्रम के मायाजाल मस्तिष्क की स्वाभाविक चेतना को धूमिल कर देते हैं। चित्तविभ्रम का प्रमुख भाव एक प्रकार का भय होता हैं, जिसमें संशय और आशंका का पुट रहता है। इसके साथ मस्तिष्क की उत्तेजना और शारीरिक उथल पुथल एवं अंगों की विचित्र हलचल भी देखने को मिलती है। रोगी में आसपास के वातावरण के संबंध में जो निर्मूल अनुमान और भ्रामक धारणाएँ पाई जाती हैं, वे संदेहजनक सुरक्षात्मक ढंग की रहती हैं। इसका आधार हानि की कल्पनिक आशंका में निहित रहता है। चित्तविभ्रम में दिन की अपेक्षा रात्रि में रोगी की अवस्था अधिक चिंताजनक हो जाती है। .

नई!!: मनोविकार और चित्तविभ्रम · और देखें »

चिंता

चिंता संज्ञानात्मक, शारीरिक, भावनात्मक और व्यवहारिक विशेषतावाले घटकों की मनोवैज्ञानिक और शारीरिक दशा है।सेलिगमैन, एम्.इ.पी., वॉकर, इ.ऍफ़.

नई!!: मनोविकार और चिंता · और देखें »

एकध्रुवीय अवसाद

किसी प्रिय व्यक्ति की मृत्यु से उपजा अवसाद एकध्रुवीय अवसाद (unipolar depression) एक मानसिक विकार है जिसमें रोगी लगातार उदास रहता है, उसका आत्माभिमान निम्न स्तर पर आ जाता है, तथा प्रायः आनन्दकर कार्यों में भी उसकी रुचि समाप्त हो जाती है। इसे 'मुख्य अवसादी विकार' (Major depressive disorder (MDD)) भी कहते हैं। 'अवसाद' (डिप्रेशन) शब्द का प्रयोग अनेक स्थितियों में किया जाता है और प्रायः 'अवसाद' का मतलब 'एकध्रुवीय अवसाद' से ही होता है। एकध्रुवीय अवसाद व्यक्ति को अक्षम बना देता है, उसके परिवार, कार्य या विद्यालय के जीवन को भी प्रभावित करता है, व्यक्ति के सोने और खाने की आदतों को प्रभावित करता है, और अन्ततः उसके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। अमेरिका के एकध्रुवीय अवसाद से प्रभावित लगभग 3.4% लोग आत्महत्या कर लेते हैं और ६०% आत्महत्या करने वाले अवसाद या किसी मूड विकार के रोगी रहे होते हैं। .

नई!!: मनोविकार और एकध्रुवीय अवसाद · और देखें »

तनाव

;आयुर्विज्ञान.

नई!!: मनोविकार और तनाव · और देखें »

दुश्चिंता

दुश्चिंता (या, व्यग्रता विकार या घबराहट) (अंग्रेज़ी:Anxiety disorder) एक प्रकार का मनोरोग है। साधारण शब्दों में चिंता या घबराहट आने वाले समय में कुछ बुरा या खराब घटने की आशंका होना है जबकि इनका कोई वास्तविक आधार नहीं होता। थोड़ी-बहुत चिन्ता सभी को होती है और यह हमारे लक्ष्य की प्राप्ति या सफलता के लिए आवश्यक भी है। यदि चिंता बहुत बढ़ जाती है और इसके व्यापक दुष्प्रभाव व्यक्ति के पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन पर पड़ने लगता है तो हम इसे घबराहट और चिंता रोग (Anxiety Disorder) कहते हैं। .

नई!!: मनोविकार और दुश्चिंता · और देखें »

द्विध्रुवी विकार

द्रिध्रुवी विकार एक गंभीर प्रकार का मानसिक रोग है जो एक प्रकार का मनोदशा विकार है। इस रोग से ग्रसित रोगी की मनोदशा बारी-बारी से दो विपरीत अवस्थाओं में जाती रहती है। एक मनोदशा को सनक या उन्माद और दूसरी मनोदशा को अवसाद कहते हैं। सनक की मनोदशा में रोगी अति-आशावादी हो सकता है; अपने बारे मे बढ़ी-चढ़ी धारणा रख सकता है (जैसे मैं बहुत धनी, रचनाशील या शक्तिशाली हूँ); व्यक्ति अति-क्रियाशील हो सकता है (धड़ाधड़ भाषण, तेज गति से बदलते हुए विचार आदि); रोगी सोना नहीं चाहता या सोने को अनावश्यक कहता है आदि। दूसरी तरफ अवसाद की मनोदशा में रोगी उदास रहता है; उसको थकान लगती है; अपने को दोषी महसूस करता है या उसमें आशाहीनता दिखायी देती है। .

नई!!: मनोविकार और द्विध्रुवी विकार · और देखें »

निम्न रक्तचाप

निम्न रक्तचाप (अंग्रेज़ी:हाइपोटेंशन) वह दाब है जिससे धमनियों और नसों में रक्त का प्रवाह कम होने के लक्षण या संकेत दिखाई देते हैं। जब रक्त का प्रवाह काफी कम होता हो तो मस्तिष्क, हृदय तथा गुर्दे जैसे महत्वपूर्ण इंद्रियों में ऑक्सीजन और पौष्टिक पदार्थ नहीं पहुंच पाते जिससे ये इंद्रियां सामान्य रूप से काम नहीं कर पाती और इससे यह स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकती है। उच्च रक्तचाप के विपरीत, निम्न रक्तचाप की पहचान मूलतः लक्षण और संकेत से होती है, न कि विशिष्ट दाब संख्या के। किसी-किसी का रक्तचाप ९०/५० होता है लेकिन उसमें निम्न रक्त चाप के कोई लक्षण दिखाई नहीं पड़ते हैं और इसलिए उन्हें निम्न रक्तचाप नहीं होता तथापि ऐसे व्यक्तियों में जिनका रक्तचाप उच्च है और उनका रक्तचाप यदि १००/६० तक गिर जाता है तो उनमें निम्न रक्तचाप के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। यदि किसी को निम्न रक्तचाप के कारण चक्कर आता हो या मितली आती हो या खड़े होने पर बेहोश होकर गिर पड़ता हो तो उसे आर्थोस्टेटिक उच्च रक्तचाप कहते हैं। खड़े होने पर निम्न दाब के कारण होने वाले प्रभाव को सामान्य व्यक्ति शीघ्र ही काबू में कर लेता है। लेकिन जब पर्याप्त रक्तचाप के कारण चक्रीय धमनी में रक्त की आपूर्ति नहीं होती है तो व्यक्ति को सीने में दर्द हो सकता है या दिल का दौरा पड़ सकता है। जब गुर्दों में अपर्याप्त मात्रा में खून की आपूर्ति होती है तो गुर्दे शरीर से यूरिया और क्रिएटाइन जैसे अपशिष्टों को निकाल नहीं पाते जिससे रक्त में इनकी मात्रा अधिक हो जाती है। स्टेथोस्कोप सहित एक अएनेरॉयड स्फाइगनोमैनोमीटर;चक्रीय धमनी कोरोनरी आर्टेरी यानि वह धमनी जो हृदय के मांस पेशियों को रक्त की आपूर्ति करती है।;आघात यह एक ऐसी स्थिति है जिससे जीवन को खतरा हो सकता है। निम्न रक्तचाप की स्थिति में गुर्दे, हृदय, फेफड़े तथा मस्तिष्क तेजी से खराब होने लगते हैं। .

नई!!: मनोविकार और निम्न रक्तचाप · और देखें »

नैदानिक मनोविज्ञान

नैदानिक मनोविज्ञान, मनोवैज्ञानिक आधार वाले संकट या दुष्क्रियता से बचाव तथा राहत प्रदान करने या व्यक्तिपरक स्वास्थ्य तथा व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देने वाला एक एकीकृत विज्ञान, सिद्धांत तथा नैदानिक ज्ञान है।अमेरिकन साइकोलॉजीकल एसोसिएशन, 12 डिवीजन, प्लांटे, थॉमस.

नई!!: मनोविकार और नैदानिक मनोविज्ञान · और देखें »

फोबिया

दुर्भीति या फोबिया (Phobia) एक प्रकार का मनोविकार है जिसमें व्यक्ति को विशेष वस्तुओं, परिस्थितियों या क्रियाओं से डर लगने लगता है। यानि उनकी उपस्थिति में घबराहट होती है जबकि वे चीजें उस वक्त खतरनाक नहीं होती है। यह एक प्रकार की चिन्ता की बीमारी है। इस बीमारी में पीड़ित व्यक्ति को हल्के अनमनेपन से लेकर डर के भयावह दौरा तक पड़ सकता है। दुर्भीति की स्थिति में व्यक्ति का ध्यान कुछ एक लक्षणों पर केन्द्रित हो सकता है, जैसे-दिल का जोर-जोर से धड़कना या बेहोशी लगना। इन लक्षणों से जुड़े हुए कुछ डर होते है जैसे-मर जाने का भय, अपने उपर नियंत्रण खो देने या पागल हो जाने का डर। .

नई!!: मनोविकार और फोबिया · और देखें »

बहुव्यक्तित्व विकार

बहुव्यक्तित्व विकार व्यक्तित्व की दो परस्परविरोधी अथवा सर्वथा भिन्न शैलियों का उसकी एक ही इकाई में अपनी पृथक्‌ सत्ता सुरक्षित रखते हुए, इकट्ठे रहने का बोध द्विव्यक्तित्व (Dual Personality) है। एक ही व्यक्ति के घेरे में रहकर भी ये अपने में सुसंबद्ध एवं व्यवस्थित होते हैं; एक दूसरे के प्रति तटस्थ एवं विस्मृत रहते हैं। जब एक व्यक्तित्व-खंड चेतना के धरातल पर सक्रिय रहता हैं तो दूसरे की स्मृति नहीं रहती, यद्यपि स्मृति के मामले में अपवाद भी होते हैं। अपने ही भिन्न स्वरूपबोधों की असंपृक्तता व्यवहार में प्रकट होकर लोगों को अचरज में डाल देती है। सर्वथा विरोधी आचरणों से उसके सामाजिक संबंध लगातार बाधित एवं व्यतिक्रमित होते हैं, टूट जाते हैं। द्विव्यक्तित्वधारी, मानसिक चिकित्सा का एक नैदानिक विषय (पैथालाजिकल केस) बन जाता है। ये व्यक्तित्व-खंड दो से ज्यादा भी होते है। इनके कई नाम भी चलते हैं- बहुव्यक्तित्व (मल्टिपुल पर्सनैलिटी), खंडित व्यक्तित्व (स्प्लिट पर्सनैलिटी); असंपृक्त व्यक्तित्व (Dissociative personality), एकांतरित तथा स्थानांतरित (आल्टर्नेंट तथा डिस्प्लेस्ड) व्यक्तित्व आदि। लोककथाओं तथ साहित्य में ऐसे व्यक्तित्व परिवर्तन के दृष्टांत मिलते हैं। राबर्ट लुई सटीवेंसन के प्रसिद्ध उपन्यास 'डॉ॰ जोकिल ऐंड मि.

नई!!: मनोविकार और बहुव्यक्तित्व विकार · और देखें »

बौद्धिक अशक्‍तता

बौद्धिक अशक्‍तता (Intellectual disability) एक सामान्यीकृत मानसिक रोग है जिसमें व्यक्ति की संज्ञात्मक शक्ति (cognitive functioning) काफी हद तक न्यून होती है और दो या अधिक समायोजनात्मक व्यवहारों (adaptive behaviors) में कमी देखी जाती है। इसे पहले मानसिक मन्दता (Mental retardation) कहते थे। मानसिक मंदता विकास संबंधित एक मानसिक अवस्था है, जो की 02% तक लोगों में पाई जाती है। मानसिक मंदता किसी भी वर्ग, धर्म, जाति, या लिंग के व्यक्ति को हो सकती है। सामान्यतः इसके लक्षण बाल्यावस्था या 18 साल के पहले ही नजर आने लगते हैं। .

नई!!: मनोविकार और बौद्धिक अशक्‍तता · और देखें »

मधुमेह

डायबिटीज मेलेटस (डीएम), जिसे सामान्यतः मधुमेह कहा जाता है, चयापचय संबंधी बीमारियों का एक समूह है जिसमें लंबे समय तक उच्च रक्त शर्करा का स्तर होता है। उच्च रक्त शर्करा के लक्षणों में अक्सर पेशाब आना होता है, प्यास की बढ़ोतरी होती है, और भूख में वृद्धि होती है।  यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, मधुमेह कई जटिलताओं का कारण बन सकता है।  तीव्र जटिलताओं में मधुमेह केटोएसिडोसिस, नॉनकेटोटिक हाइपरोस्मोलर कोमा, या मौत शामिल हो सकती है। गंभीर दीर्घकालिक जटिलताओं में हृदय रोग, स्ट्रोक, क्रोनिक किडनी की विफलता, पैर अल्सर और आंखों को नुकसान शामिल है। मधुमेह के कारण है या तो अग्न्याशय  पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता या शरीर की कोशिकायें इंसुलिन को ठीक से जवाब नहीं करती। मधुमेह के तीन मुख्य प्रकार हैं.

नई!!: मनोविकार और मधुमेह · और देखें »

मनस्ताप

मनस्ताप (Psychosis) मन की वह दशा है जिसमें मन संसार के साधारण व्यवहार करने में असमर्थ रहता है। मनोविक्षिप्ति और पागलपन दोनों शब्द असाधारण मनोदशा के बोधक है, परंतु जहाँ पागलपन एक साधारण प्रयोग का शब्द है, जिसका कानूनी उपयोग भी किया जाता है, वहाँ मनोविक्षिप्ति चिकित्साशास्त्र का शब्द है जिसका चिकित्सा में विशेष अर्थ है। पागल व्यक्ति को प्राय: अपने शरीर एवं कामों की सुध-बुध नहीं रहती। उसकी हिफाजत दूसरे लोगों को करनी पड़ती है। अतएव यदि वह कोई अपराध का काम कर डाले, तो उसे दंड का भागी नहीं माना जाता। इससे मिलता-जुलता, परंतु इससे पृथक, अर्थ मनोविक्षिप्ति का है। मनोविक्षिप्त व्यक्ति में साधारण असामान्यता से लेकर बिल्कुल पागलपन जैसे व्यवहार देखे जाते हैं। कुछ मनोविक्षिप्त व्यक्ति थोड़ी ही चिकित्सा से अच्छे हो जाते हैं। ये समाज में रहते हैं और समाज का कोई भी अहित नहीं करते। उनमें अपराध की प्रवृत्ति नहीं रहती। इसके विपरीत, कुछ मनोविक्षिप्त व्यक्तियों में प्रबल अपराध की प्रवृत्ति रहती है। वे अपने भीतरी मन में बदले की भावना रखते हैं, जिसे विक्षिप्त व्यवहारों में प्रकट करते हैं। कुछ ऐसे विक्षिप्त भी होते हैं जिनसे अच्छे और बुरे व्यवहार में अंतर समझने की क्षमता ही नहीं रहती। वे हँसते-हँसते किसी व्यक्ति का गला घोट दे सकते हैं, पर उन्हें ऐसा नहीं जान पड़ता कि उन्होंने कोई जघन्य अपराध का डाला है। इस तरह मनोविक्षिप्ति में पागलपन का समावेश होता है, परंतु सभी मनोविक्षिप्त व्यक्तियों को पागल नहीं कहा जा सकता है। .

नई!!: मनोविकार और मनस्ताप · और देखें »

मनोचिकित्सा

किसी मनोचिकित्सक द्वारा किसी मानसिक रोगी के साथ सम्बन्धपूर्वक बातचीत एवं सलाह मनोचिकित्सा या मनश्चिकित्सा (Psychotherapy) कहलाती है। यह लोगों की व्यवहार सम्बन्धी विविध समस्याओं में बहुत उपयोगी होती है। मनोचिकित्सक कई तरह की तकनीकें प्रयोग करते हैं, जैसे- प्रायोगिक सम्बन्ध-निर्माण, संवाद, संचार तथा व्यवहार-परिवर्तन आदि। इनसे रोगी का मानसिक-स्वास्थ्य एवं सामूहिक-सम्बन्ध (group relationships) सुधरते हैं। डॉ॰ विक्टर फ्रैंकलिन ने गहन अध्ययन के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि पूरा मनोविज्ञान और मनोचिकित्सा की पद्धति जीवन की सार्थकता के विचार पर ही आधारित होती हैं। मनोचिकित्सा शास्त्र में किसी रोगी की बुनियादी दिक्कतों को समझने की कोशिश की जाती है। आधुनिक समाज में हम वास्तविक खुशियों से दूर होते जा रहे हैं। आधुनिकता का सही मतलब हम नहीं समझते हैं। जीवन के लिए क्या और कितना जरूरी है। क्या गैर-जरूरी है। आंख मूंद कर, तर्क किए बगैर हम चीजों का अनुसरण करने लग जाते हैं। जीवन का लुत्फ उठाना और पीड़ा की उपेक्षा करना ही केवल मनुष्य को प्रेरित नहीं करती है। मनोचिकित्सा या एक मनोचिकित्सक के साथ व्यक्तिगत परामर्श, एक साभिप्राय अंतर्वैयक्तिक सम्बन्ध होता है, जिसका प्रयोग प्रशिक्षित मनोचिकित्सक एक ग्राहक या रोगी की जीवनयापन संबंधी समस्याओं के निवारण में सहायता के लिए करते हैं। इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति में अपने कल्याण के प्रति भावना को बढाना होता है। मनोचिकित्सक अनुभवजनित सम्बन्ध निर्माण, संवाद, संचार और व्यवहार पर आधारित तकनीकों की एक विस्तृत श्रंखला का प्रयोग करते हैं, इन तकनीकों की संरचना ग्राहक या रोगी के मानसिक स्वास्थ अथवा समूह के साथ उसके व्यवहार में सुधार करने वाली होती है, (जैसे परिवार में रोगी का व्यवहार).

नई!!: मनोविकार और मनोचिकित्सा · और देखें »

मनोदशा विकार

मनोदशा विकार (Mood disorder) वह मनोविकार है जिसमें मुख्य समस्या व्यक्ति की मनःस्थिति का असामान्य रहना पाया जाता है। श्रेणी:मनोविकार.

नई!!: मनोविकार और मनोदशा विकार · और देखें »

मनोरोग विज्ञान

मनोरोग विज्ञान या मनोरोग विद्या (Psychiatry) चिकित्सा क्षेत्र की एक विशेषज्ञता (specialty) है जो मनोविकारों का अध्ययन करती है। .

नई!!: मनोविकार और मनोरोग विज्ञान · और देखें »

मनोविदलता

मनोविदलता (Schizophrenia/स्किज़ोफ्रेनिया) एक मानसिक विकार है। इसकी विशेषताएँ हैं- असामान्य सामाजिक व्यवहार तथा वास्तविक को पहचान पाने में असमर्थता। लगभग 1% लोगो में यह विकार पाया जाता है। इस रोग में रोगी के विचार, संवेग तथा व्यवहार में आसामान्य बदलाव आ जाते हैं जिनके कारण वह कुछ समय लिए अपनी जिम्मेदारियों तथा अपनी देखभाल करने में असमर्थ हो जाता है। 'मनोविदलता' और 'स्किज़ोफ्रेनिया' दोनों का शाब्दिक अर्थ है - 'मन का टूटना'। .

नई!!: मनोविकार और मनोविदलता · और देखें »

मनोविश्लेषण

मनोविश्लेषण (Psychoanalysis), आस्ट्रिया के मनोवैज्ञानिक सिग्मंड फ्रायड द्वारा विकसित कुछ मनोवैज्ञानिक विचारों (उपायों) का समुच्चय है जिसमें कुछ अन्य मनोवैज्ञानिकों ने भी आगे योगदान किया। मनोविश्लेषण मुख्यत: मानव के मानसिक क्रियाओं एवं व्यवहारों के अध्ययन से सम्बन्धित है किन्तु इसे समाजों के ऊपर भी लागू किया जा सकता है। मनोविश्लेषण के तीन उपयोग हैं.

नई!!: मनोविकार और मनोविश्लेषण · और देखें »

मनोविज्ञान

मनोविज्ञान (Psychology) वह शैक्षिक व अनुप्रयोगात्मक विद्या है जो प्राणी (मनुष्य, पशु आदि) के मानसिक प्रक्रियाओं (mental processes), अनुभवों तथा व्यक्त व अव्यक्त दाेनाें प्रकार के व्यवहाराें का एक क्रमबद्ध तथा वैज्ञानिक अध्ययन करती है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि मनोविज्ञान एक ऐसा विज्ञान है जो क्रमबद्ध रूप से (systematically) प्रेक्षणीय व्यवहार (observable behaviour) का अध्ययन करता है तथा प्राणी के भीतर के मानसिक एवं दैहिक प्रक्रियाओं जैसे - चिन्तन, भाव आदि तथा वातावरण की घटनाओं के साथ उनका संबंध जोड़कर अध्ययन करता है। इस परिप्रेक्ष्य में मनोविज्ञान को व्यवहार एवं मानसिक प्रक्रियाओं के अध्ययन का विज्ञान कहा गया है। 'व्यवहार' में मानव व्यवहार तथा पशु व्यवहार दोनों ही सम्मिलित होते हैं। मानसिक प्रक्रियाओं के अन्तर्गत संवेदन (Sensation), अवधान (attention), प्रत्यक्षण (Perception), सीखना (अधिगम), स्मृति, चिन्तन आदि आते हैं। मनोविज्ञान अनुभव का विज्ञान है, इसका उद्देश्य चेतनावस्था की प्रक्रिया के तत्त्वों का विश्लेषण, उनके परस्पर संबंधों का स्वरूप तथा उन्हें निर्धारित करनेवाले नियमों का पता लगाना है। .

नई!!: मनोविकार और मनोविज्ञान · और देखें »

मनोविज्ञान शब्दावली

कर्ता-प्रेक्षक प्रभाव (Actor-observer effect): स्वयं अपने अनुभव या व्यवहार के लिए (कर्ता) और दूसरे व्यक्ति (प्रेक्षक) के उसी अनुभव या व्यवहार के लिए अलग-अलग गुणारोपण करने की प्रवृत्ति। अनुकूलन (Adaptation): संरचनात्मक या प्रकार्यात्मक परिवर्तन जो किसी जीव के उत्तरजीविता मूल्य में वृद्धि करता है। आक्रमण (Aggression): शशरीरिक या शाब्दिक तौर पर किसी को चोट पहुँचाने के आशय से किया गया व्यवहार। वायु प्रदूषण (Air pollution): वायु की गुणवत्ता का निम्नीकरण। सचेत प्रतिक्रिया (Alarm reaction): सामान्य अनुकूलन संलक्षण की पहली अवस्था जिसमें अधिवृक्कीय और अनुकंपी क्रिया के जरिए उर्जा के सक्रियण द्वारा आपाती प्रतिक्रिया होती है। विसंबंधन (Alienation): किसी समाज या समूह का अंग न होने की भावना। गुदीय अवस्था (Anal stage): फ्रायड द्वारा वर्णित मनोलैंगिक अवस्थाओं में दूसरी, जो शिशु के दूसरे वर्ष में घटित होती है। इसमें सुख की प्रतीति गुदा पर और मल के बतिधारण और निष्कासन पर केंद्रित रहती है। क्षुधा-अभाव (Anorexia nervosa): ऐसा विकार जिसमें शशरीरिक वजन में अत्यधिक कमी निहित है और इसमें वजन बढ़ने या ‘मोटा’ होने का तीव्र भय उत्पन्न होता है। समाजविरोधी व्यक्तित्व (Antisocial personality): ऐसा व्यवहार विकार जिसमें पलायनवृनि, अपरामाशीलता, स्वैरिता, चोरी, मवंसकारिता, लड़ना, सामान्य सामाजिक नियमों का उल्लंघन, खराब काम का इतिहास, आवेगशीलता, अविवेक, आवमकता, दुस्साहसी व्यवहार तथा आगे की योजना बनाने की अयोग्यता आदि विशेषताएँ पायी जाती हैं। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ऐसे व्यवहार का विशिष्ट स्वरूप अलग-अलग होता है। दुश्चिंता (Anxiety): मानसिक व्यथा की एक दशा जिसमें भय, आशंका और शरीरक्रिया भाव बबोमान उदोलन पाया जाता है। दुश्चिंता विकार (Anxiety disorders): ऐसे विकार जिसमें दुश्चिंता ही प्रमुख लक्षण होती है। इस विकार में सुभेद्यता की भावना, आशंका या भय पाया जाता है। अनुप्रयुक्त मनोविज्ञान (Applied psychology): सैद्धान्तिक और प्रयोगात्मक मनोविज्ञान के परिणाम स्वरूप मन, मस्तिष्क एवं व्यवहार के संबन्ध में मिले ज्ञान का व्यावहारिक अनुबयोग। अभिक्षमता (Aptitude): ऐसी विशेषताओं का संयोग जो व्यक्ति की बशिक्षण द्वारा कुछ विशिष्ट कौशलों को अर्जित करने की समर्थता का सूचक होता है। अभिक्षमता परीक्षण (Aptitude tests): व्यक्ति के भावी निष्पादन की क्षमता का मापन करने वाले परीक्षण। आद्यप्ररूप (Archetypes): सामूहिक अचेतन की अंतर्वस्तुओं के लिए युंग द्वारा बयुक्त पद; अनुभव के संगठन के लिए वंशागत प्रतिरूपों को अभिव्यक्त करने वाली प्रतिमाएँ या बतीक। भाव प्रबोधन (Arousal): दूसरों के उपस्थित रहने या निष्पादन के मूल्यांकित होने के विचार से अनुभूत तनाव। अभिवृत्तियाँ (Attitudes): किसी विषय पर मन, विचारों या बत्ययों की वे स्थितियाँ जिनमें संज्ञानात्मक, भावात्मक और व्यवहारात्मक घटक होता है। अभिवृत्ति विषय (Attitude object): किसी अभिवृत्ति का लक्ष्य। गुणारोपण (Attribution): अपने अथवा दूसरों के व्यवहार की व्याख्या करने के लिए उस व्यवहार के कारणों का विवरण देना। सत्ता या प्रभुत्व (Authority): किसी पद (जैसे - प्रबंधकीय) में निहित अधिकार जिनके आधार पर आदेश देना और उनका पालन किए जाने की अपेक्षा करना। स्वलीनता (Autism): शैशवावस्था में बारंभ होने वाला व्यापक विकासात्मक विकार जिसमें अनेक बकार की असमान्यताएँ निहित होती हैं, जैसे - भाषागत, बात्यक्षिक और गतिपरक विकास में न्यूनता, दोषपूर्ण वास्तविक परीक्षण और सामाजिक विरक्ति आदि। संतुलन (Balance): अभिवृत्ति व्यवस्था की वह स्थिति जिसमें एक व्यक्ति (P) और दूसरे व्यक्ति (O) व्यक्ति (P) और अभिवृत्ति विषय (X) दूसरे व्यक्ति (O) और अभिवृत्ति विषय (X) अभिवृत्तियाँ एक ही दिशा में होती हैं या तार्किक रूप से एक-दूसरे से संगत होती है। व्यवहार चिकित्सा (Behaviour therapy): ऐसी उपचार पद्धति जो दुरनुकूलक व्यवहार को परिवर्तित करने के लिए व्यवहारवादी अधिगम सिद्धान्तों के नियमों पर आधारित होती है। विश्वास (Beliefs): किसी विषय से संबंधित विचारों या बत्ययों का संज्ञानात्मक घटक। प्रमुख विशेषक या शीलगुण (Cardinal trait): आलपोर्ट के अनुसार, वह एकल विशेषक जो व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व में प्रमुखता से विद्यमान रहता है। व्यक्ति अध्ययन (Case study): व्यवहार के संबन्ध में सामान्य विकसित करने के लिए किसी व्यक्ति या स्थिति का गहन अमययन। केंद्रीय विशेषक या शीलगुण (Central traits): दूसरों के बारे में विचार निर्मित करने के लिए मयान देने योग्य मुख्य विशेषक। अभिवृत्ति की केंद्रिकता (Centrality of attitude): वह मात्र जहाँ तक कोई एक विशिष्ट अभिवृत्ति पूरी अभिवृत्ति व्यवस्था को बभावित करती है। सेवार्थी-केंद्रित (रोशर्स की) चिकित्सा (Client-centred (Rogerian) therapy): कार्ल रोशर्स द्वारा विकसित चिकित्सा उपागम जिसमें चिकित्सक सेवार्थियों को अपनी सही भावनाओं को स्पष्ट करने और वे कौन हैं उसका मूल्यांकन करने में उनकी सहायता करता है। सहकार्य (Coaction): ऐसी स्थिति जिसमें बहुत से लोग दूसरों की उपस्थिति में उसी कार्य को करते हैं। संज्ञान (Cognition): जानने की प्रक्रिया। ऐसी मानसिक क्रियाएँ जो चिंतन, निर्णयन, भाषा के उपयोग तथा अन्य उच्चतर मानसिक प्रक्रियाओं से संबण् होती हैं। संज्ञानात्मक मूल्यांकन प्रणाली (Cognitive assessment system): परीक्षणों की एक माला जिसका निर्माण चार आधारभूत पास (PASS) प्रक्रियाओं - योजना-अवधान-सहकालिक-आनुक्रमिक का मापन करने के लिए किया गया है। संज्ञानात्मक संगति (Cognitive consistency): ऐसी स्थिति जिसमें विचार या बत्यय तार्किक दृष्टि से एक-दूसरे के सुसंगत होते हैं। संज्ञानात्मक विसंगति (Cognitive dissonance): किसी अभिवृत्ति व्यवस्था की वह स्थिति जिसमें दो संज्ञानात्मक तत्व तार्किक दृष्टि से विरोधात्मक या असंगत होते हैं। संज्ञानात्मक चिकित्सा (Cognitive therapies): विछत और दुरनुकूलक विचार प्रतिरूपों को परिवर्तन करने पर केंद्रित चिकित्सा की विधि। संसक्तता (Cohesiveness): सभी शक्तियाँ (कारक) जो समूह के सदस्यों को समहू में बने रहने का निमिन बनती हैं। सामूहिक अचेतन (Collective unconscious): कार्ल युंग द्वारा अभिगृहीत अचेतन का वंशागत अंश। वह अचेतन जो सभी मानवों में समान रूप से विद्यमान है। संक्रामक या संचारी रोग (Communicable disease): किसी विशिष्ट संवमक कारक द्वारा उत्पन्न ऐसी बीमारी जो मनुष्य से मनुष्य में, पशु से पशु में या पर्यावरण से मनुष्य या पशु में बत्यक्ष या अबत्यक्ष रूप से संचारित या अंतरित होती है। प्रतिस्पर्धा (Competition): एक ही उपेश्य की प्राप्ति के लिए दो व्यक्तियों या समूहों में परस्पर होड़ उत्पन्न होना। प्रतिस्पर्धा सहिष्णुता (Competition tolerance): किसी ऐसी स्थिति को सहन करने की योग्यता जिसमे लोगों को भौतिक स्थान आदि बुनियादी संसामानों तक के लिए अन्य बहुतों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है। अनुपालन (Compliance): सामाजिक बभाव का एक बकार जिसमें एक या अधिक व्यक्ति, बभुत्व न रखते हुए भी, एक या अधिक व्यक्तियों के सीमो अनुरोधों को स्वीकार कर लेते हैं। घटकीय बुद्धि (Componential intelligence): स्टर्नबर्ग के त्रिचापीय सिणंत में यह आलोचनात्मक और विश्लेषणात्मक दृष्टि से सोचने की योग्यता का द्योतक है। द्वंद्व (Conflict): परस्पर-विरोधी अभिबेरकों, अंतर्नोदों, आवश्यकताओं या लक्ष्यों से उत्पन्न हुए विक्षोभ या तनाव की दशा। अनुरूपता (Conformity): सामाजिक बभाव का एक बकार जिसमें व्यक्ति वर्तमान सामाजिक मानकों का अनुपालन करते हुए अपनी अभिवृत्तियों या व्यवहार में परिवर्तन कर लेते हैं। सर्वसम अभिवृत्ति परिवर्तन (Congruent attitude change): विद्यमान अभिवृनि की ही दिशा में अभिवृनि में परिवर्तन। सांदर्भिक बुद्धि (Contextual intelligence): स्टर्नबर्ग के त्रिचापीय सिणंत में यह व्यावहारिक बुद्धि है जिसका उपयोग दैनिक समस्याओं के समाधान में किया जाता है। सामना करना (Coping): ऐसी माँगों के प्रबंधन का प्रयास करने की प्रक्रिया जो बयत्नसामय या व्यक्ति के संसामानों की सीमा का अतिक्रमण करने वाली समझी जाती है। परामर्श या उपबोधन (Counselling): समायोजन की प्राप्ति में व्यक्ति की सहायता के लिए विविमा बकार की कार्यविधियों का सामान्य द्योतक शब्द है, जैसे - सलाह देना, चिकित्सात्मक विचार-विमर्श, परीक्षण देना एवं उनकी व्याख्या करना तथा व्यावसायिक सहायता। परामर्शी साक्षात्कार (Counselling interview): ऐसी साक्षात्कार जिसका उपेश्य व्यक्तित्व और व्यवसाय चयन आदि के क्षेत्र में परामर्श या मार्गदर्शन प्रदान करना है। सर्जनात्मकता (Creativity): विचारों एवं वस्तुओं को उत्पन्न करने की योग्यता तथा समस्या के ऐसे समाधानों को बस्तुत करने की योग्यता जिसमें नयापन हो एवं जो उपयुक्त हों। भीड़ (Crowding): अत्यंत कम स्थान की मनोवैज्ञानिक अनुभूति, अतिसंकीर्णता का बत्यक्षण। भीड़ सहिष्णुता (Crowding tolerance): उच्च सघनता या भीड़-भाड़ वाले पर्यावरण के प्रति मानसिक रूप से समायोजन करने की योग्यता, जैसे - भीड़ वाले घर में रहना। संस्कृति-निरपेक्ष परीक्षण (Culture-fair test): ऐसा परीक्षण जो परीक्षार्थियों में सांस्कृतिक अनुभवों के आधार पर विभेदन नहीं करता। रक्षा युक्तियाँ (Defence mechanisms): फ्रायड के अनुसार वे तरीके जिनमें ‘अहं’ अचेतन रूप से ‘इदम्’ के अस्वीकार्य आवेगों का बयत्न करता है, जैसा कि दमन, प्रक्षेपण, प्रतिक्रिया-निर्माण, उदानीकरण, युक्तिकरण आदि में होता है। संस्था-विमुक्ति (Deinstitutionalisation): पूर्व मानसिक रोगियों कों संस्थाओं से समुदाय में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया। भ्रमासक्ति (Delusions): विरुण् दंग का बभूत साक्ष्य रहने के बावजूद विद्यमान अतार्किक/उच्छृंखल विश्वास निर्वैयक्तिकीकरण या व्यक्तित्व-लोप विकार (Depersonalisation कपेवतकमत) %, slk foPNsnh;k विसाहचर्य विकार जिसमें ‘आत्म’ का बोमा समाप्त हो जाता है। रोगोन्मुखता-दबाव मॉडल (Diathesis-stress model): यह दृष्टिकोण कि जैविक पूर्वप्रवृनि और जीवन के दबाव आदि कारकों की अंतःक्रिया के परिणामस्वरूप कोई विशिष्ट विकार उत्पन्न हो सकता है। दायित्व विसरण (Diffusions of responsibility): यह विचार कि जब अन्य लोग उपस्थित हैं तो किसी कार्य को करने या न करने का उत्तरदायी किसी एक व्यक्ति को नहीं माना जा सकता; कार्य करने के लिए दूसरे सदस्य भी उतने ही उत्तरदायी हैं। विपदा (Disaster): विपदा एक अबत्याशित और बायः आकस्मिक घटना है जो किसी समाज की सामान्य दशाओं को विघटित कर देती है तथा व्यापक क्षति, विनाश और मानवीय कष्ट उत्पन्न करती है। भेदभाव (Discrimination): ऐसा व्यवहार जिसमें यह अनुभव हो कि दो या अधिक व्यक्तियों के बीच, बायः किसी व्यक्ति (या व्यक्तियों) के प्रति उनको किसी अन्य विशिष्ट समुदाय का सदस्य होने के आधार पर उसके प्रति विभेद किया जाना। विस्थापन (Displacement): किसी आवेश को कम संकटकारी या सुरक्षित लक्ष्य की ओर मोड़ देना; मनोविश्लेषणात्मक सिणंत का एक आधारभूत संप्रत्यय; एक रक्षा युक्ति। विच्छेदन (Dissociation): चेतनता में विखंडन जिसके कारण कुछ विचार, भावनाएँ या व्यवहार एक-दूसरे से स्वतंत्र होकर क्रियाशील होते हैं। पारिस्थितिकी (Ecology): जीवविज्ञान की वह शाखा जो जीवों का उनके पर्यावरण के साथ संबंधों का अमययन करती है। अहं (Ego): व्यक्तित्व का वह अंश जो इदम् और बां जगत के बीच अंतर्रोधी का कार्य करता है। विद्युत्-आक्षेपी चिकित्सा (Electroconvulsive therapy, ECT): सामान्यतः इसे आघात चिकित्सा कहा जाता है। यह एकमा्रुवीय अवसाद का एक जैविक उपचार है जिसमें रोगी के सिर से इलेक्ट्रोड संलग्न कर उसमें विद्युत धारा प्रवाहित करके मष्तिष्क तक पहुँचाई जाती है जिससे रोगी को आक्षेप हो जाता है। यह तीव्र अवसाद के रोगियों पर बभावी होती है जिन पर औषधि-चिकित्सा असफल हो जाती है। सांवेगिक बुद्धि (Emotional intelligence): जीवन के सांवेगिक पक्ष से संबंधित विशेषकों या योग्यताओं का समूह, जैसे - अपने निजी संवेगों की पहचान एवं प्रबंधन करने, दूसरों के संवेगों की पहचान एवं प्रबंधन करने, स्वयं अपने को उत्प्रेरित करने एवं अपने आवेगों को नियंत्रित रखने तथा बभावी ढंग से अंतर्वैयक्तिक संबंधों पर व्यवहार करने की योग्यताएँ। इसे एक सांवेगिक लब्धि प्राप्तांक (EQ) के रूप में व्यक्त किया जाता है। तदनुभूति (Empathy): दूसरे की भावनाओं के प्रति एक सांवेगिक अनुक्रिया करना जो दूसरे व्यक्ति की भावनाओं के समान हो। पर्यावरण (Environment): किसी जीव को प्रभावित करने वाली और उसके आस-पास के परिवेश में व्याप्त भौतिक और सामाजिक व्यवस्था की समग्रता। पर्यावरणी मनोविज्ञान (Environmental psychology): मनोविज्ञान की एक शाखा जो भौतिक जगत और मानव व्यवहार के बीच अंतःक्रिया पर केंद्रित होती है। मूल्यांकन बोध (Evaluation apprehension): उपस्थित व्यक्तियों (श्रोताओं) द्वारा नकारात्मक रूप में मूल्यांकित होने का भय। परिश्रांति (Exhaustion): एक ऐसी दशा जिसमें ऊर्जा संसामान व्यवंत हो चुके रहते हैं तथा अनुक्रियाशीलता घटकर न्यूनतम हो जाती है। झाड़फूंक या भूत अपसारण (Exorcism): किसी ‘आत्माग्रस्त’ व्यक्ति से दुष्टात्माओं या शक्तियों को निकाल भगाने के लिए अभिकल्पित मार्म-बेरित उपचार विधि। आनुभविक बुद्धि (Experiential intelligence): स्टर्नबर्ग के त्रिचापीय सिणंत में पूर्णतः नयी समस्याओं का समाधान करने के लिए सर्जनात्मक ढंग से विगत अनुभवों के उपयोग की योग्यता। बहिर्मुखता (Extraversion): व्यक्तित्व की एक विमा जिसमें व्यक्ति की अभिरुचि अपने विचारों या भावनाओं की ओर अंतर्मुखी न होकर प्रकृति या अन्य व्यक्तियों की ओर बहिर्मुखी हो जाती है। अभिवृत्ति की चरमसीमा (Extremeness of attitude): तटस्थ बिन्दु से अभिवृत्ति की अधिकतम दूरी। कारक विश्लेषण (Factor analysis): सहसंबंधों के उपयोग वाली गणितीय प्रक्रिया जिससे विशेषक पदों या परीक्षण अनुक्रियाओं को गुच्छों या कारकों के रूप में अलग-अलग किया जाता है। इसका उपयोग मूल व्यक्तित्व विशेषकों का पता लगाने के लिए अभिकल्पित परीक्षणों के विकास में किया जाता है। तरल बुद्धि (Fluid intelligence): जटिल संबंधों का बत्यक्षण करने, अमूर्त रूप से तर्क करने तथा समस्याओं का समाधान करने की योग्यता। मुक्त साहचर्य (Free association): एक मनोगतिक तकनीक जिसमें रोगी मन में आए हुए किसी विचार, भावना या प्रतिमा का शाब्दिक वर्णन करता है, भले ही वह महत्वहीन क्यों न प्रतीत हो। मूल गुणारोपण त्रुटि (Fundamental attribution error): व्यवहार के लिए बां कारणों की अपेक्षा आंतरिक कारणों का अधिक गुणारोपण करने की प्रवृत्ति। सामान्य अनुकूलन संलक्षण (General adaptation syndrome, GAS): इसमें तीन अवस्थाएँ होती हैं - सचेत अवस्था जो अनुकंपी तंत्रिका तंत्र की क्रियाओं को अग्रसर करती है, प्रतिरोध अवस्था जिसमें जीव संकट का सामना करने का बयत्न करता है तथा परिश्रांति अवस्था जो तब घटित होती है जब जीव संकट पर विजय पाने में असफल रहता है तथा शरीरक्रियात्मक संसामानों को निःशेष कर देता है। आनुवंशिकी (Genetics): जीवविज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत बाणियों में जीनों की गुणता स्थानांतरण का अमययन किया जाता है। गेस्टाल्ट चिकित्सा (Gestalt therapy): चिकित्सा का एक ऐसा उपागम जो सेवार्थी के विचारों, भावनाओं और व्यवहार को एक एकीकृत संपूर्ण में समाकलित करने का प्रयास करता है। सा-कारक (g-factor): बुद्धि की सभी अभिव्यक्तियों में निहित मूल बौण्कि क्षमता का संकेत देने वाला सामान्य बुद्धि कारक। समूह (Group): दो या अधिक व्यक्ति जो एक-दूसरे से अंतक्रिया करते हैं, साझा लक्ष्य रखते हैं, एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं तथा अपने को एक ही समूह का सदस्य समझते हैं। समूह परीक्षण (Group test): वैयक्तिक परीक्षण के विपरीत एक ही समय पर एक से अधिक व्यक्तियों को देने के लिए अभिकल्पित परीक्षण। समूहचिंतन (Groupthink):  ̄चतन करने का एक ढंग जिसमें सर्वसम्मत सहमति पर पहुँचने की इच्छा उचित तार्किक और निर्णयकारी प्रक्रियाओं पर हावी हो जाती हैसमूह मा्रुवीकरण का एक उदाहरण। विभ्रांति (Hallucination): एक मिथ्या बत्यक्षण जिसमें संगत और उपयुक्त वस्तु के दर्शनीय उपीपक के रूप में न रहने पर भी वस्तु की वास्तविकता का बामयकारी बोमा

नई!!: मनोविकार और मनोविज्ञान शब्दावली · और देखें »

मनोविकारविज्ञानी

मनोविज्ञानी एक ऐसा चिकित्सक होता है जो मनोरोग का विशेषज्ञ होता है और मानसिक विकारों के उपचार के लिए योग्य होता है।अमेरिकी मनोरोग एसोसिएशन.

नई!!: मनोविकार और मनोविकारविज्ञानी · और देखें »

मानसिक स्वास्थ्य

मानसिक स्वास्थ्य या तो संज्ञानात्मक अथवा भावनात्मक सलामती के स्तर का वर्णन करता है या फिर किसी मानसिक विकार की अनुपस्थिति को दर्शाता है।About.com (2006, जुलाई 25).

नई!!: मनोविकार और मानसिक स्वास्थ्य · और देखें »

संज्ञानात्मक विकार

संज्ञानात्मक विकार (Cognitive disorders) मनोविकारों की वह श्रेणी है जो व्यक्ति के अधिगम (सीखने), स्मृति, अवगम (perception), तथा समस्यापूर्ति (problem solving) आदि को प्रभावित करते हैं। श्रेणी:मनोविकार.

नई!!: मनोविकार और संज्ञानात्मक विकार · और देखें »

संविभ्रम

संविभ्रम (Paranoia) एक गंभीर भावात्मक विकार है और तर्कसंगत, सुसंबद्ध, जटिल तथा प्राय: उत्पीड़क विभ्रमों या मिथ्या विश्वासों का उत्तरोत्तर बढ़ता हुआ सिलसिला इसका आंतरिक लक्षण है। संविभ्रमी व्यक्ति को अपनी योग्यता, प्रभुता, पद की वरिष्ठता, या निरंतर यातना का भ्रम होता है। यह उन्माद का ही एक रूप है, परंतु इसमें अन्य सभी मानसिक क्रियाएँ बहुधा स्वाभाविक अवस्था में रहती हैं। कमरे में किसी नए व्यक्ति के प्रविष्ट होते ही उपस्थित मित्रमंडली के एकाएक बातचीत बंद कर देने पर, व्यक्ति का यह समझना कि अभी उसकी की चर्चा हो रही थी, एक सामान्य प्रतिक्रिया है। किसी जनसंकुल होटल में घुसने पर सभी अपनी ओर देख रहे हैं यह समझना भी स्वाभविक प्रतिक्रिया है, किंतु संविभ्रमी प्रतिक्रिया में ये भाव स्थायी और व्यापक हो जाते हैं। .

नई!!: मनोविकार और संविभ्रम · और देखें »

स्वलीनता

स्वलीनता (ऑटिज़्म) मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला विकार है जो व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार और संपर्क को प्रभावित करता है। हिन्दी में इसे 'आत्मविमोह' और 'स्वपरायणता' भी कहते हैं। इससे प्रभावित व्यक्ति, सीमित और दोहराव युक्त व्यवहार करता है जैसे एक ही काम को बार-बार दोहराना। यह सब बच्चे के तीन साल होने से पहले ही शुरु हो जाता है।। हिन्दुस्तान लाइव।।७ अक्तूबर, २००९। डॉ अरूण कुमार (मनोवैज्ञानिक) इन लक्षणों का समुच्चय (सेट) आत्मविमोह को हल्के (कम प्रभावी) आत्मविमोह स्पेक्ट्रम विकार (ASD) से अलग करता है, जैसे एस्पर्जर सिंड्रोम। ऑटिज़्म एक मानसिक रोग है जिसके लक्षण जन्म से ही या बाल्यावस्था से नज़र आने लगतें हैं। जिन बच्चो में यह रोग होता है उनका विकास अन्य बच्चो की अपेक्षा असामान्य होता है। .

नई!!: मनोविकार और स्वलीनता · और देखें »

स्किजोफ्रीनिया

स्किज़ोफ्रीनिया (Schizophrenia) मनोदशा में मनुष्य को अपने व्यक्तित्व का कुछ ज्ञान ही नहीं रह जाता। उसके जीवन में न तो उल्लास का प्रश्न रहता है, न विषाद का। अतएव इस मनोदशा को दूसरा बचपन कहा जा सकता है। इस मनोदशा में आने पर रोगी में अपने आपको सँभालने की कोई शक्ति नहीं रहती। वह मलमूत्र के नित्य कार्य भी नहीं कर पाता। बिछावन पर ही वह मलमूत्र कर देता है। उसके हँसने और रोने में कोई विचार ही नहीं रहता। वह किस समय क्या कर डालेगा, इसके विषय में कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता। दो चार मिनट तर्कयुक्त बातें करते हुए वह कोई ऐसी बात कह सकता है जो बिल्कुल अनर्गल हो। वह हँसते हँसते अपने सामने खड़े बालक का गला घोट सकता है। .

नई!!: मनोविकार और स्किजोफ्रीनिया · और देखें »

हार्मोन

ऑक्सीटोसिन हार्मोन का चित्र आड्रेनालिन (Adrenaline) नामक हार्मोन की रासायनिक संरचना हार्मोन या ग्रन्थिरस या अंत:स्राव जटिल कार्बनिक पदार्थ हैं जो सजीवों में होने वाली विभिन्न जैव-रसायनिक क्रियाओं, वृद्धि एवं विकास, प्रजनन आदि का नियमन तथा नियंत्रण करता है। ये कोशिकाओं तथा ग्रन्थियों से स्रावित होते हैं। हार्मोन साधारणतः अपने उत्पत्ति स्थल से दूर की कोशिकाओं या ऊतकों में कार्य करते हैं इसलिए इन्हें 'रासायनिक दूत' भी कहते हैं। इनकी सूक्ष्म मात्रा भी अधिक प्रभावशाली होती है। इन्हें शरीर में अधिक समय तक संचित नहीं रखा जा सकता है अतः कार्य समाप्ति के बाद ये नष्ट हो जाते हैं एवं उत्सर्जन के द्वारा शरीर से बाहर निकाल दिए जाते हैं। हार्मोन की कमी या अधिकता दोनों ही सजीव में व्यवधान उत्पन्न करती हैं। .

नई!!: मनोविकार और हार्मोन · और देखें »

हिस्टीरिया

हिस्टीरिया (Hysteria) की कोई निश्चित परिभाषा नहीं है। बहुधा ऐसा कहा जाता है, हिस्टीरिया अवचेतन अभिप्रेरणा का परिणाम है। अवचेतन अंतर्द्वंद्र से चिंता उत्पन्न होती है और यह चिंता विभिन्न शारीरिक, शरीरक्रिया संबंधी एवं मनोवैज्ञानिक लक्षणों में परिवर्तित हो जाती है। रोगलक्षण में बह्य लाक्षणिक अभिव्यक्ति पाई जाती है। तनाव से छुटकारा पाने का हिस्टीरिया एक साधन भी हो सकता है। उदाहरणार्थ, अपनी विकलांग सास की अनिश्चित काल की सेवा से तंग किसी महिला के दाहिने हाथ में पक्षाघात संभव है। अधिक विकसित एवं शिक्षित राष्ट्रों में हिस्टीरिया कम पाया जाता है। हिस्टीरिया भावात्मक रूप से अपरिपक्व एवं संवेदनशील, प्रारंभिक बाल्यकाल से किसी भी आयु के, पुरुषों या महिलाओं में पाया जाता है। दुर्लालित एवं आवश्यकता से अधिक संरक्षित बच्चे इसके अच्छे शिकार होते हैं। किसी दु:खद घटना अथवा तनाव के कारण दौरे पड़ सकते हैं। .

नई!!: मनोविकार और हिस्टीरिया · और देखें »

विभ्रांति

बिना किसी वाह्य उद्दीपन (stimulus) के ही एक मिथ्या प्रत्यक्षण (perception) होना विभ्रांति (Hallucination) कहलाता है। यह प्रत्यक्षण मिथ्या होने पर भी वास्तविक जैसा प्रतीत होता है। श्रेणी:मनोरोग.

नई!!: मनोविकार और विभ्रांति · और देखें »

व्यक्तित्व

व्यक्तित्व (personality) आधुनिक मनोविज्ञान का बहुत ही महत्वपूर्ण एवं प्रमुख विषय है। व्यक्तित्व के अध्ययन के आधार पर व्यक्ति के व्यवहार का पूर्वकथन भी किया जा सकता है। प्रत्येक व्यक्ति में कुछ विशेष गुण या विशेषताएं होती हो जो दूसरे व्यक्ति में नहीं होतीं। इन्हीं गुणों एवं विशेषताओं के कारण ही प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे से भिन्न होता है। व्यक्ति के इन गुणों का समुच्चय ही व्यक्ति का व्यक्तित्व कहलाता है। व्यक्तित्व एक स्थिर अवस्था न होकर एक गत्यात्मक समष्टि है जिस पर परिवेश का प्रभाव पड़ता है और इसी कारण से उसमें बदलाव आ सकता है। व्यक्ति के आचार-विचार, व्यवहार, क्रियाएं और गतिविधियों में व्यक्ति का व्यक्तित्व झलकता है। व्यक्ति का समस्त व्यवहार उसके वातावरण या परिवेश में समायोजन करने के लिए होता है। जनसाधारण में व्यक्तित्व का अर्थ व्यक्ति के बाह्य रूप से लिया जाता है, परन्तु मनोविज्ञान में व्यक्तित्व का अर्थ व्यक्ति के रूप गुणों की समष्ठि से है, अर्थात् व्यक्ति के बाह्य आवरण के गुण और आन्तरिक तत्व, दोनों को माना जाता है। .

नई!!: मनोविकार और व्यक्तित्व · और देखें »

व्यक्तित्व विकार

व्यक्तित्व विकार भिन्न प्रकार के व्यक्तित्वों और व्यवहारों का एक वर्ग है जिसे अमेरिकन साइकियेट्रिक एसोसियेशन (APA) निम्न प्रकार से परिभाषित करता है, इंटरनेश्नल स्टेटिस्टिकल क्लासिफिकेशन ऑफ डिसीज़ एंड रिलेटेड हेल्थ प्रॉब्लम्स (ICD-10), ने भी व्यक्तित्व विकार को परिभाषित किया है। जिसे विश्व स्वास्थ संगठन (वर्ल्ड हेल्थ और्गनाईज़ेशन) द्वारा प्रकाशित किया गया है। व्यक्तित्व विकार ICD-10 Chapter V: Mental and behavioural disorders के अंतर्गत वर्गीकृत किये गए हैं, विशेषकर मानसिक और व्यवहारिक विकारों के अंतर्गत: 28F60-F69.29 वयस्क व्यक्तित्व और व्यवहार के विकार.

नई!!: मनोविकार और व्यक्तित्व विकार · और देखें »

आनुवंशिकी

पैतृक गुणसूत्रों के पुनर्संयोजन के फलस्वरूप एक ही पीढी की संतानें भी भिन्न हो सकती हैं। आनुवंशिकी (जेनेटिक्स) जीव विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत आनुवंशिकता (हेरेडिटी) तथा जीवों की विभिन्नताओं (वैरिएशन) का अध्ययन किया जाता है। आनुवंशिकता के अध्ययन में ग्रेगर जॉन मेंडेल की मूलभूत उपलब्धियों को आजकल आनुवंशिकी के अंतर्गत समाहित कर लिया गया है। प्रत्येक सजीव प्राणी का निर्माण मूल रूप से कोशिकाओं द्वारा ही हुआ होता है। इन कोशिकाओं में कुछ गुणसूत्र (क्रोमोसोम) पाए जाते हैं। इनकी संख्या प्रत्येक जाति (स्पीशीज) में निश्चित होती है। इन गुणसूत्रों के अंदर माला की मोतियों की भाँति कुछ डी एन ए की रासायनिक इकाइयाँ पाई जाती हैं जिन्हें जीन कहते हैं। ये जीन गुणसूत्र के लक्षणों अथवा गुणों के प्रकट होने, कार्य करने और अर्जित करने के लिए जिम्मेवार होते हैं। इस विज्ञान का मूल उद्देश्य आनुवंशिकता के ढंगों (पैटर्न) का अध्ययन करना है अर्थात्‌ संतति अपने जनकों से किस प्रकार मिलती जुलती अथवा भिन्न होती है। .

नई!!: मनोविकार और आनुवंशिकी · और देखें »

असामान्य मनोविज्ञान

आसामान्य मनोविज्ञान (Abnormal Psychology) मनोविज्ञान की वह शाखा है जो मनुष्यों के असाधारण व्यवहारों, विचारों, ज्ञान, भावनाओं और क्रियाओं का वैज्ञानिक अध्ययन करती है। असामान्य या असाधारण व्यवहार वह है जो सामान्य या साधारण व्यवहार से भिन्न हो। साधारण व्यवहार वह है जो बहुधा देखा जाता है और जिसको देखकर कोई आश्चर्य नहीं होता और न उसके लिए कोई चिंता ही होती है। वैसे तो सभी मनुष्यों के व्यवहार में कुछ न कुछ विशेषता और भिन्नता होती है जो एक व्यक्ति को दूसरे से भिन्न बतलाती है, फिर भी जबतक वह विशेषता अति अद्भुत न हो, कोई उससे उद्विग्न नहीं होता, उसकी ओर किसी का विशेष ध्यान नहीं जाता। पर जब किसी व्यक्ति का व्यवहार, ज्ञान, भावना, या क्रिया दूसरे व्यक्तियों से विशेष मात्रा और विशेष प्रकार से भिन्न हो और इतना भिन्न होकि दूसरे लोगों को विचित्र जान पड़े तो उस क्रिया या व्यवहार को असामान्य या असाधारण कहते हैं। इसका विषय-वस्तु मूलतः अनाभियोजित व्यवहारों (maladaptive behaviour), व्यक्तित्व अशांति (Personality disturbances) एवं विघटित व्यक्तित्व (disorganized personality) का अध्ययन करने तथा उनके उपचार (treatment) के तरीकों पर विचार करने से संबंधित है। असामान्य मनोविज्ञान के अन्तर्गत के अन्तर्गत आने वाले कुछ महत्त्वपूर्ण विषय हैं-.

नई!!: मनोविकार और असामान्य मनोविज्ञान · और देखें »

अवसाद

अवसाद या डिप्रेशन का तात्पर्य मनोविज्ञान के क्षेत्र में मनोभावों संबंधी दुख से होता है। इसे रोग या सिंड्रोम की संज्ञा दी जाती है। आयुर्विज्ञान में कोई भी व्यक्ति डिप्रेस्ड की अवस्था में स्वयं को लाचार और निराश महसूस करता है। उस व्यक्ति-विशेष के लिए सुख, शांति, सफलता, खुशी यहाँ तक कि संबंध तक बेमानी हो जाते हैं। उसे सर्वत्र निराशा, तनाव, अशांति, अरुचि प्रतीत होती है। अवसाद के भौतिक कारण भी अनेक होते हैं। इनमें कुपोषण, आनुवांशिकता, हार्मोन, मौसम, तनाव, बीमारी, नशा, अप्रिय स्थितियों में लंबे समय तक रहना, पीठ में तकलीफ आदि प्रमुख हैं। इनके अतिरिक्त अवसाद के ९० प्रतिशत रोगियों में नींद की समस्या होती है। मनोविश्लेषकों के अनुसार अवसाद के कई कारण हो सकते हैं। यह मूलत: किसी व्यक्ति की सोच की बुनावट या उसके मूल व्यक्तित्व पर निर्भर करता है। अवसाद लाइलाज रोग नहीं है। इसके पीछे जैविक, आनुवांशिक और मनोसामाजिक कारण होते हैं। यही नहीं जैवरासायनिक असंतुलन के कारण भी अवसाद घेर सकता है। इसकी अधिकता के कारण रोगी आत्महत्या तक कर सकते हैं। इसलिए परिजनों को सजग रहना चाहिए और उनके परिवार का कोई सदस्य गुमसुम रहता है, अपना ज्यादातर समय अकेले में बिताता है, निराशावादी बातें करता है तो उसे तुरंत किसी अच्छे मनोचिकित्सक के पास ले जाएं। उसे अकेले में न रहने दें। हंसाने की कोशिश करें। मनोविश्लेषकों के अनुसार प्राकृतिक तौर पर महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा अवसाद की शिकार कम बनती हैं, लेकिन अवांछित दबावों से वह इसकी शिकार हो सकती हैं। इस कारण प्रायः माना जाता है कि महिलाओं को अवसाद जल्दी आ घेरता है। इसके विपरीत पुरुष अक्सर अपनी अवसाद की अवस्था को स्वीकार करने से संकोच करते हैं। मोटे अनुमान के अनुसार दस पुरुषों में एक जबकि दस महिलाओं में हर पांच को अवसाद की आशंका रहती है। अवसाद का संबंध मस्तिष्क के उन्हीं क्षेत्रों द्वारा होता है, जहां से निद्रा चक्र और जागरण की अवस्था नियंत्रित होती है। अवसाद अक्सर दिमाग के न्यूरोट्रांसमीटर्स की कमी के कारण भी होता है। न्यूरोट्रांसमीटर्स दिमाग में पाए जाने वाले रसायन होते हैं जो दिमाग और शरीर के विभिन्न हिस्सों में तारतम्यता स्थापित करते हैं। इनकी कमी से भी शरीर की संचार व्यवस्था में कमी आती है और व्यक्ति में अवसाद के लक्षण दिखाई देते हैं। इस तरह का अवसाद आनुवांशिक होता है। अवसाद के कारण निर्णय लेने में अड़चन, आलस्य, सामान्य मनोरंजन की चीजों में अरुचि, नींद की कमी, चिड़चिड़ापन या कुंठा व्यक्ति में दिखाई पड़ते हैं। अवसाद के कारणों में इसका एक पूरक चिंता (एंग्ज़ायटी) भी है। इसके उपचार में योगासन में प्राणायाम बहुत सहायक सिद्ध हुआ है। कई बार अतिरिक्त चिड़चिड़ापन, अहंकार, कटुता या आक्रामकता अथवा नास्तिकता, अनास्था और अपराध अथवा एकांत की प्रवृत्ति पनपने लगती है या फिर व्यक्ति नशे की ओर उन्मुख होने लगता है। ऐसे में जरूरी है कि हम किसी मनोचिकित्सक से संपर्क करें। व्यक्ति को खुशहाल वातावरण दें। उसे अकेला न छोड़ें तथा छिन्द्रान्वेषण कतई न करें। उसकी रुचियों को प्रोत्साहित कर, उसमें आत्मविश्वास जगाएँ और कारण जानने का प्रयत्न करें। अमेरिका के कुछ वैज्ञानिकों ने गहन शोध के बाद यह दावा किया है कि यदि कोई व्यक्ति लगातार सकारात्मक सोच का अभ्यास करता है, तो वह उसके डिप्रेशन या अवसाद की स्थिति का एकमात्र इलाज हो सकता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ फैमेली फिजिशियन का कहना है कि लोगों को नकारात्मक नहीं सोचना चाहिए। न ही विफलता के भय को लेकर चिंतित होते रहना चाहिए। इनकी बजाय हमेशा सकारात्मक सोच दिमाग में रखना चाहिए जो होगा अच्छा होगा। घर में अन्य सदस्यों को अवसाद की बीमारी होने से भी यह परेशानी महिलाओं को जल्दी पकड़ती है। क्योंकि घर से लगाव पुरुषों के मुकाबले उन्हें ज्यादा होता है। इसके चलते कभी-कभी उनमें आत्महत्या की इच्छा जोर मारने लगती है। इसलिए पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का अवसाद ज्यादा खतरनाक होता है। हालांकि मंदी और कॉम्पटीशन के दौर में डिप्रेशन अब युवाओं को भी अपना शिकार बनाने लगा है इसलिए कोशिश यह रखनी चाहिए कि आप खुशनुमा पलों की तलाश करें और सकारात्मक सोच रखें। इससे बचने के उपायों में व्यस्त रहकर मस्त रहना, अपने लिए समय निकालना, संतुलित आहार सेवन, अपने लिए समय निकालना और सामाजिक मेलजोल बढ़ाना मूल उपाय हैं। युवाओं में बढ़ता तनाव .

नई!!: मनोविकार और अवसाद · और देखें »

अंतराबंध

मनोविदलिता या अंतराबंध (स्किज़ोफ़्रीनीया / Schizophrenia) कई मानसिक रोगों का समूह है जिनमें बाह्य परिस्थितियों से व्यक्ति का संबंध असाधारण हो जाता है। कुछ समय पूर्व लक्षणों के थोड़ा-बहुत विभिन्न होते हुए भी रोग का मौलिक कारण एक ही माना जाता था। किंतु अब प्रायः सभी सहमत हैं कि अंतराबंध जीवन की दशाओं की प्रतिक्रिया से उत्पन्न हुए कई प्रकार के मानसिक विकारों का समूह है। अंतराबंध को अंग्रेजी में डिमेंशिया प्रीकॉक्स (Dementia praecox) भी कहते हैं। अंतराबंध की गणना बड़े मनोविकारों में की जाती है। मानसिक रोगों के अस्पतालों में 55 प्रतिशत इस रोग के रोगी पाए जाते हैं और प्रथम बार आने वालों में ऐसे रोगी 25 प्रतिशत से कम नहीं होते। इस रोग की चिकित्सा में बहुत समय लगने से इस रोग के रोगियों की संख्या अस्पतालों में उत्तरोत्तर बढ़ती रहती है। यह अनुमान लगाया गया है कि साधारण जनता में से दो से तीन प्रतिशत व्यक्ति इस रोग से ग्रस्त होते हैं। पुरुषों में 20 से 24 वर्ष तक और स्त्रियों में 35 से 39 वर्ष तक की आयु में यह रोग सबसे अधिक होता है। अस्पतालों में भर्ती हुए रोगियों में से 40 प्रतिशत शीघ्र ही नीरोग हो जाते हैं। शेष 60 को जीवनपर्यंत या बहुत वर्षों तक अस्पताल ही में रहना पड़ता है। .

नई!!: मनोविकार और अंतराबंध · और देखें »

उच्च रक्तचाप

(HTN) हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप, जिसे कभी कभी धमनी उच्च रक्तचाप भी कहते हैं, एक पुरानी चिकित्सीय स्थिति है जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है। दबाव की इस वृद्धि के कारण, रक्त की धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाये रखने के लिये दिल को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है। रक्तचाप में दो माप शामिल होती हैं, सिस्टोलिक और डायस्टोलिक, जो इस बात पर निर्भर करती है कि हृदय की मांसपेशियों में संकुचन (सिस्टोल) हो रहा है या धड़कनों के बीच में तनाव मुक्तता (डायस्टोल) हो रही है। आराम के समय पर सामान्य रक्तचाप 100-140 mmHg सिस्टोलिक (उच्चतम-रीडिंग) और 60-90 mmHg डायस्टोलिक (निचली-रीडिंग) की सीमा के भीतर होता है। उच्च रक्तचाप तब उपस्थित होता है यदि यह 90/140 mmHg पर या इसके ऊपर लगातार बना रहता है। हाइपरटेंशन प्राथमिक (मूलभूत) उच्च रक्तचाप तथा द्वितीयक उच्च रक्तचाप के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। 90-95% मामले "प्राथमिक उच्च रक्तचाप" के रूप में वर्गीकृत किये जाते हैं, जिसका अर्थ है स्पष्ट अंतर्निहित चिकित्सीय कारण के बिना उच्च रक्तचाप। अन्य परिस्थितियां जो गुर्दे, धमनियों, दिल, या अंतःस्रावी प्रणाली को प्रभावित करती हैं, शेष 5-10% मामलों (द्वितीयक उच्च रक्तचाप) का कारण होतीं हैं। हाइपरटेंशन स्ट्रोक, मायोकार्डियल रोधगलन (दिल के दौरे), दिल की विफलता, धमनियों की धमनी विस्फार (उदाहरण के लिए, महाधमनी धमनी विस्फार), परिधीय धमनी रोग जैसे जोखिमों का कारक है और पुराने किडनी रोग का एक कारण है। धमनियों से रक्त के दबाव में मध्यम दर्जे की वृद्धि भी जीवन प्रत्याशा में कमी के साथ जुड़ी हुई है। आहार और जीवन शैली में परिवर्तन रक्तचाप नियंत्रण में सुधार और संबंधित स्वास्थ्य जटिलताओं के जोखिम को कम कर सकते हैं। हालांकि, दवा के माध्यम से उपचार अक्सर उन लोगों के लिये जरूरी हो जाता है जिनमें जीवन शैली में परिवर्तन अप्रभावी या अपर्याप्त हैं। .

नई!!: मनोविकार और उच्च रक्तचाप · और देखें »

उत्पीड़न भ्रांति

उत्पीड़न भ्रांति एक प्रकार की मानसिक विकृति है जिसमें रोगी के मन में लगातार इस प्रकार के भाव उठते रहते हैं कि वह चारों ओर अपने शत्रुओें से घिरा है, सब व्यक्ति उसका मखौल उड़ा रहे हैं, उसे यातना पहुँचाना चाहते हैं, उसके विरुद्ध षड्यंत्र रच रहे हैं आदि। फ्रायड ने उत्पीड़न भ्रांति का कारण कामग्रंथि को माना है जब कि एडलर इसके मूल में हीन ग्रंथि की सक्रियता मानते हैं। श्रेणी:मनोविकार.

नई!!: मनोविकार और उत्पीड़न भ्रांति · और देखें »

उन्माद

उन्माद (mania/मेनिया) एक प्रकार का मानसिक रोग है जिसको मनस्ताप के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाता है। इसमे व्यक्ति की भावनाओं तथा संवेग में कुछ समय के लिए असामान्य परिवर्तन आ जाते है, जिनका प्रभाव उसके व्यवहार, सोच, निद्रा, तथा सामाजिक मेल जोल पर पड़ने लगता है। यदि इस बीमारी का उपचार नहीं कराया जाए तो इसके बार-बार होने की संभावना बहुत हो जाती है। .

नई!!: मनोविकार और उन्माद · और देखें »

२००९

२००९ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। वर्ष २००९ बृहस्पतिवार से प्रारम्भ होने वाला वर्ष है। संयुक्त राष्ट्र संघ, यूनेस्को एवं आइएयू ने १६०९ में गैलीलियो गैलिली द्वारा खगोलीय प्रेक्षण आरंभ करने की घटना की ४००वीं जयंती के उपलक्ष्य में इसे अंतर्राष्ट्रीय खगोलिकी वर्ष घोषित किया है। .

नई!!: मनोविकार और २००९ · और देखें »

७ अक्तूबर

7 अक्टूबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 280वॉ (लीप वर्ष में 281 वॉ) दिन है। साल में अभी और 85 दिन बाकी है। .

नई!!: मनोविकार और ७ अक्तूबर · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

मनोरोग, मानस रोग, मानसिक बीमारी, मानसिक रोग

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »