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मध्यलिंगता

सूची मध्यलिंगता

'''मध्यलिंगता''' से युक्त एक मनुष्य: एक पुरुष, जिसका शिश्न अतिलघु आकार का है किन्तु स्तन अतिविकसित हैं। मध्यलिंगता (Intersexuality) एक लैंगिक विकृति है। यह वह स्थिति है जब कोई प्राणी किसी एक लिंग की ओर विकसित होते-होते सहसा, किसी कारणवश, दूसरे लिंग को भी धारण कर ले। मनुष्यों में हिजड़ों (eunuchs) की यही अवस्था होती है। मनुष्यों में मध्यलिंगता की स्थिति में पुरुष एवं स्त्री का भेद करने वाले शरीरांगों एवं लक्षणों का विचित्र मिश्रण पाया जा सकता है। आनुवंशिकविज्ञान के अनुसार ऐसी अवस्था का कारण तीन कायिक, या दैहिक क्रोमसोम समूह के साथ दो एक्स (X) क्रोमोसोमों का होना है। (गोल्डश्मिट्)। इस अनुपात के कारण मक्खियों की बाहरी आकृति नर तथा मादा का मिश्रण होती है, यद्यपि जनन से उनके शरीर में नर तथा मादा ऊतक (tissues) नहीं पाए जाते। वे आकृति में या तो नर ही होंगी, या मादा ही। ऐसे प्राणी वंध्या होते हैं। ब्रैवेल ने बतलाया है कि अंतर्लिगी की जनन ग्रंथियाँ तो एक ही प्रकार की होती हैं, किंतु कुछ या सभी सहायक अंग तथा गौण लक्षण दूसरे लिंग का निर्णय मात्र कर देते हैं उनका वास्तविक विकास हार्मोनों के प्रभाव से ही होता है। सन् 1923 में क्रिउ ने कुछ घरेलू पशुओं (बकरे, सूअर, घोड़े, चौपाए, भेड़ तथा ऊँट) की जाँच की और पाया कि उनमें मिथ्या मध्यलिंगता (pseudo-intersexuality) थी, अर्थात् कुछ में तो नारी जननांग अत्यंत संकुचित थे, कुछ में सीधे और स्पष्ट, किंतु अनपेक्षित लंबे थे, तथा कुछ में स्पष्टत: नर के समान, किंतु अपूर्ण नलिकायुक्त थे। कुछ में वृषण तथा डिंब ग्रंथियाँ भी उपस्थित थीं। पुरुषों (मनुष्यों) में कुछ को मासिक धर्म होते तथा कुछ को दूध पिलाते हुए पाया गया है। जननांग में घाव, या शल्यक्रिया, या हार्मोन प्रयोग द्वारा माध्यलिंगता उत्पन्न हो सकती हैं। .

2 संबंधों: लिंग, हिजड़ा

लिंग

व्याकरण से सम्बन्धित 'लिंग' के लिये लिंग (व्याकरण) देखें। ---- मानव पुरुष और स्त्री का वाह्य दृष्य जीवविज्ञान में लिंग (Sex, Gender) से तात्पर्य उन पहचानों या लक्षणों से जिनके द्वारा जीवजगत् में नर को मादा से पृथक् पहचाना जाता है। जंतुओं में असंख्य जंतु ऐसे होते हैं जिन्हें केवल बाह्य चिह्नों से ही नर, या मादा नहीं कहा जा सकता। नर तथा मादा का निर्णय दो प्रकार के चिह्नों, प्राथमिक (primary) और गौण (secondary) लैंगिक लक्षणों (sexual characters), द्वारा किया जाता है। वानस्पतिक जगत् में नर तथा मादा का भेद, विकसित प्राणियों की भाँति, पृथक्-पृथक् नहीं पाया जाता। जो की सत्य है। .

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हिजड़ा

पाकिस्तान में विरोध करते हुए कुछ हिजड़े ऐसे मानव हिजड़ा कहलाते हैं जो लैंगिक रूप से न नर होते हैं न मादा। जन्म के समय लैंगिक विकृति के कारण ऐसा होता है। 'हिजड़ा' शब्द दक्षिण एशिया में प्रचलित है। अधिकांश हिजड़े शारीरिक रूप से 'नर' होते हैं या अन्त:लिंगी (intersex) किन्तु कुछ मादा (स्त्री) भी होते हैं। वे अपने-आप के लिये प्राय: स्त्रीलिंग भाषा का प्रयोग करते हैं (जैसे, मैं सुन्दर लग रही हूँ?)। .

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