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मध्य प्रदेश हिन्दी ग्रन्थ अकादमी

सूची मध्य प्रदेश हिन्दी ग्रन्थ अकादमी

मध्य प्रदेश हिन्दी ग्रन्थ अकादमी भोपाल में जुलाई 1969 से हिन्दी ग्रंथ अकादमी स्थापित है। संस्था का दायित्व केन्द्र प्रवर्तित योजना के अंतर्गत विश्वविद्यालय स्तर की 25 विषयों की पाठयपुस्तकों के साहित्य को हिन्दी में प्रकाशित कर उपलब्ध कराना है। अकादमी द्वारा अब तक विभिन्न विषयों की सैकड़ों पुस्तकों का प्रकाशन किया गया है। मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रन्थ अकादमी का अपना स्वयं का प्रशासनिक भवन है। मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रन्थ अकादमी द्वारा छात्र-छात्राओं के लिये 'न लाभ न हानि' के सिद्धांत पर पुस्तकें सुलभ करायी जाती हैं। अकादमी विभिन्न ३५ विषयों में १००० से अधिक ग्रन्थों का प्रकाशन कर चुकी है। इनमें सभी संकायो की पुस्तकें शामिल हैं। दुर्लभ पाठ्य सामग्री के अनुवाद भी प्रकाशित किये जाते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर अकादमी के अनेक आलेख एवं ग्रन्थों को प्रकाशित किया जाता है। .

2 संबंधों: हिन्दी, छत्तीसगढ़ राज्य हिंदी ग्रंथ अकादमी

हिन्दी

हिन्दी या भारतीय विश्व की एक प्रमुख भाषा है एवं भारत की राजभाषा है। केंद्रीय स्तर पर दूसरी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। यह हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप है जिसमें संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्द का प्रयोग अधिक हैं और अरबी-फ़ारसी शब्द कम हैं। हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। हालांकि, हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत का संविधान में कोई भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया था। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है। हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम की और नेपाल की जनता भी हिन्दी बोलती है।http://www.ethnologue.com/language/hin 2001 की भारतीय जनगणना में भारत में ४२ करोड़ २० लाख लोगों ने हिन्दी को अपनी मूल भाषा बताया। भारत के बाहर, हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 648,983; मॉरीशस में ६,८५,१७०; दक्षिण अफ्रीका में ८,९०,२९२; यमन में २,३२,७६०; युगांडा में १,४७,०००; सिंगापुर में ५,०००; नेपाल में ८ लाख; जर्मनी में ३०,००० हैं। न्यूजीलैंड में हिन्दी चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों में १४ करोड़ १० लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली उर्दू, मौखिक रूप से हिन्दी के काफी सामान है। लोगों का एक विशाल बहुमत हिन्दी और उर्दू दोनों को ही समझता है। भारत में हिन्दी, विभिन्न भारतीय राज्यों की १४ आधिकारिक भाषाओं और क्षेत्र की बोलियों का उपयोग करने वाले लगभग १ अरब लोगों में से अधिकांश की दूसरी भाषा है। हिंदी हिंदी बेल्ट का लिंगुआ फ़्रैंका है, और कुछ हद तक पूरे भारत (आमतौर पर एक सरल या पिज्जाइज्ड किस्म जैसे बाजार हिंदुस्तान या हाफ्लोंग हिंदी में)। भाषा विकास क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी हिन्दी प्रेमियों के लिए बड़ी सन्तोषजनक है कि आने वाले समय में विश्वस्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की जो चन्द भाषाएँ होंगी उनमें हिन्दी भी प्रमुख होगी। 'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (स्वामी दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं। .

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छत्तीसगढ़ राज्य हिंदी ग्रंथ अकादमी

छत्तीसगढ़ राज्य हिंदी ग्रंथ अकादमी का प्रतीक चिन्ह। भारत सरकार ने सन् 1968 में उच्च शिक्षा के माध्यम परिवर्तन पर बल दिया था। इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत भारतीय भाषाओं में उच्च शिक्षा के विद्यार्थियों के लिए विभिन्न विषयों की पुस्तकों के लेखन, प्रकाशन के साथ-साथ उनका विपणन भी किया जाना था। इसी संदर्भ में हिंदी प्रदेशों में ग्रंथ अकादमियों का गठन किया गया। सन् 1970 में एक स्वायत्तशासी संस्था के रूप में मध्यप्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी की स्थापना की गई थी। सन् 2000 में मध्यप्रदेश का एक हिस्सा अलग होकर छत्तीसगढ़ के रूप में सामने आया। नए बने राज्य छत्तीसगढ़ में जनवरी 2006 में विधिवत् रूप से छत्तीसगढ़ राज्य हिंदी ग्रंथ अकादमी की स्थापना की गई, जिसका पंजीयन 06 जून 2006 को हुआ। सन् 2000 में तीन नए बने राज्यों छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तरांचल में छत्तीसगढ़ पहला राज्य है जहां हिंदी ग्रंथ अकादमी की स्थापना की गई। अकादमी के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का पद पदेन है। अध्यक्ष माननीय उच्च शिक्षा मंत्री एवं उपाध्यक्ष माननीय स्कूली शिक्षा मंत्री होते हैं। अकादमी का संपूर्ण कार्य संचालक के अधीन होता है। विधिवत् रूप से अस्तित्व में आने के बाद छत्तीसगढ़ राज्य हिंदी ग्रंथ अकादमी का प्रथम संचालक वरिष्ठ पत्रकार, लेखक श्री रमेश नैयर को बनाया गया। .

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