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मड़ाई

सूची मड़ाई

पशुओं से चलने वाला मढ़ाई यंत्र मड़ाई या 'दंवरी' या दौंरी (threshing) कृषि की वह प्रक्रिया है जिसमें कटी फसल की फलियों से दाने को विमुक्त किया जाता है। यह कटाई एवं ओसौनी के बीच की प्रक्रिया है। इस क्रिया में कटी फसल को किसी प्रकार इतना झकझोरा जाता है कि उसके पके दाने अलग हो जांय। पहले कटी फसल को किसी सख्त तल के ऊपर बिखेर कर बैल अथवा घोड़ों को वृत्तीय पथ पर उसके ऊपर बार-बार चलाया जाता था जिससे दाने अलग हो जाते थे। आजकल इस कार्य के लिये मशीने भी आ गयीं हैं जिन्हे 'थ्रेशर' कहते हैं। कभी-कभी फसलों को सड़क के ऊपर फैलाकर छोड़ दिया जाता है और उसके ऊपर से आने-जाने वाले विभिन्न गाड़ियों के पहियों से फसल की मड़ाई हो जाती है। .

5 संबंधों: फ़सल, बैल, घोड़ा, ओसौनी, कटाई

फ़सल

पंजाब राज्य के एक ग्रामीण घर में सूखती फ़सल फसल या सस्य किसी समय-चक्र के अनुसार वनस्पतियों या वृक्षों पर मानवों व पालतू पशुओं के उपभोग के लिए उगाकर काटी या तोड़ी जाने वाली पैदावार को कहते हैं।, pp.

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बैल

बैलगाड़ी खींचते बैल (मुम्बई) बैलगाड़ी खींचते बैल (थाईलैण्ड) बैल एक चौपाया पालतू प्राणी है। यह गोवंश के अन्तर्गत आता है। बैल प्राय: हल, बैलगाड़ी आदि खींचने के लिये प्रयुक्त होते हैं। सांड इसका एक पर्याय है। .

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घोड़ा

घोड़ा, घोड़ी और उसका बच्चा घोड़े भी खेल में इस्तेमाल किया जाता है। घोड़ा या अश्व (Equus ferus caballus; ऐक़्वस फ़ेरस कैबेलस) ऐक़्वस फ़ेरस (Equus ferus) की दो अविलुप्त उपप्रजातियों में से एक हैं। वह एक विषम-उंगली खुरदार स्तनधारी हैं, जो अश्ववंश (ऐक़्वडी) कुल से ताल्लुक रखता हैं। घोड़े का पिछले ४५ से ५५ मिलियन वर्षों में एक छोटे बहु-उंगली जीव, ऐओहिप्पस (Eohippus) से आज के विशाल, एकल-उंगली जानवर में क्रम-विकास हुआ हैं। मनुष्यों ने ४००० ईसा पूर्व के आसपास घोड़ों को पालतू बनाना शुरू कर दिया, और उनका पालतूकरण ३००० ईसा पूर्व से व्यापक रूप से फैला हुआ माना जाता हैं। कैबेलस (caballus) उपप्रजाति में घोड़े पालतू बनाएँ जाते हैं, यद्यपि कुछ पालतू आबादियाँ वन में रहती हैं निरंकुश घोड़ो के रूप में। ये निरंकुश आबादियाँ असली जंगली घोड़े नहीं हैं, क्योंकि यह शब्द उन घोड़ो को वर्णित करने के लिए प्रयुक्त होता हैं जो कभी पालतू बनाएँ ही नहीं गएँ हो, जैसे कि विलुप्तप्राय शेवालस्की का घोड़ा, जो एक अलग उपप्रजाति हैं और बचा हुआ केवल एकमात्र असली जंगली घोड़ा हैं। वह मनुष्य से जुड़ा हुआ संसार का सबसे प्राचीन पालतू स्तनपोषी प्राणी है, जिसने अज्ञात काल से मनुष्य की किसी ने किसी रूप में सेवा की है। घोड़ा ईक्यूडी (Equidae) कुटुंब का सदस्य है। इस कुटुंब में घोड़े के अतिरिक्त वर्तमान युग का गधा, जेबरा, भोट-खर, टट्टू, घोड़-खर एवं खच्चर भी है। आदिनूतन युग (Eosin period) के ईयोहिप्पस (Eohippus) नामक घोड़े के प्रथम पूर्वज से लेकर आज तक के सारे पूर्वज और सदस्य इसी कुटुंब में सम्मिलित हैं। इसका वैज्ञानिक नाम ईक्वस (Equus) लैटिन से लिया गया है, जिसका अर्थ घोड़ा है, परंतु इस कुटुंब के दूसरे सदस्य ईक्वस जाति की ही दूसरों छ: उपजातियों में विभाजित है। अत: केवल ईक्वस शब्द से घोड़े को अभिहित करना उचित नहीं है। आज के घोड़े का सही नाम ईक्वस कैबेलस (Equus caballus) है। इसके पालतू और जंगली संबंधी इसी नाम से जाने जातें है। जंगली संबंधियों से भी यौन संबंध स्थापति करने पर बाँझ संतान नहीं उत्पन्न होती। कहा जाता है, आज के युग के सारे जंगली घोड़े उन्ही पालतू घोड़ो के पूर्वज हैं जो अपने सभ्य जीवन के बाद जंगल को चले गए और आज जंगली माने जाते है। यद्यपि कुछ लोग मध्य एशिया के पश्चिमी मंगोलिया और पूर्वी तुर्किस्तान में मिलनेवाले ईक्वस प्रज़्वेलस्की (Equus przwalski) नामक घोड़े को वास्तविक जंगली घोड़ा मानते है, तथापि वस्तुत: यह इसी पालतू घोड़े के पूर्वजो में से है। दक्षिण अफ्रिका के जंगलों में आज भी घोड़े बृहत झुंडो में पाए जाते है। एक झुंड में एक नर ओर कई मादाएँ रहती है। सबसे अधिक 1000 तक घोड़े एक साथ जंगल में पाए गए है। परंतु ये सब घोड़े ईक्वस कैबेलस के ही जंगली पूर्वज है और एक घोड़े को नेता मानकर उसकी आज्ञा में अपना सामाजिक जीवन व्यतीत करतेे है। एक गुट के घोड़े दूसरे गुट के जीवन और शांति को भंग नहीं करते है। संकटकाल में नर चारों तरफ से मादाओ को घेर खड़े हो जाते है और आक्रमणकारी का सामना करते हैं। एशिया में काफी संख्या में इनके ठिगने कद के जंगली संबंधी 50 से लेकर कई सौ तक के झुंडों में मिलते है। मनुष्य अपनी आवश्यकता के अनुसार उन्हे पालतू बनाता रहता है। .

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ओसौनी

चीन में सन् १६३४ में प्रचलित ओसाई मशीन ओसौनी (Wind winnowing) प्राचीन काल से प्रचलित एक कृषि कार्य है जिसके द्वारा भूसे से अनाज को अलग किया जाता है। ओसौनी के द्वारा भंदारित अनाज से कीड़ों आदि को भी दूर किया जाता है। इस क्रिया में भूसा एवं दानों का मिश्रण तेज हवा में धीरे-धीरे गिरने के लिये छोड़ दिया जाता है। इससे भारी अनाज आदि उसी स्थान पर नीचे गिरते हैं जबकि भूसा आदि हल्के पदार्थ दूर उड़ जाते हैं। तेज हवा के लिये प्राकृतिक हवा (विंड) का सहारा लिया जा सकता है या कृत्रिम तरीकों (जैसे मशीन द्वारा चालित पंखी) से गतिशील हवा प्राप्त की जा सकती है। पहले दो व्यक्ति एक चादर को हवा में चलाते थे जिससे गतिशील हवा प्राप्त होती थी और उसी के सामने गेहूँ या अन्य अनाज को ओसाया (गिराया) जाता था। श्रेणी:कृषि.

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कटाई

धान की कटाई कर रही एक महिला कटाई या 'कटनी' (harvesting) वह कृषिकार्य है जिसमें तैयार फसल को खेतों से काटकर एकत्रित किया जाता है। इसके बाद उसकी मड़ाई, ओसौनी एवं भंदारण किया जाता है। श्रेणी:कृषि.

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