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मंझन

सूची मंझन

मंझन, हिंदी सूफी प्रेमाख्यान परंपरा के कवि थे। मंझन के जीवनवृत्त के विषय में उसकी एकमात्र कृति "मधुमालती" में संकेतित आत्मोल्लेख पर ही निर्भर रहना पड़ता है। मंझन ने उक्त कृति में शहएवक्त सलीम शाह सूर, अपने गुरू शेख मुहम्मद गौस एवं खिज्र खाँ का गुणानुवाद और अपने निवासस्थान तथा "मधुमालती" की रचना के विषय का उल्लेख किया है। मंझन ने "मधुमालती" की रचना का प्रारंभ उसी वर्ष किया, जिस वर्ष सलीम अपने पिता शेरशाह सूर की मृत्यु (952 हिजरी सन् 1545 ई0) के पश्चात् शासक बना। इसीलिए सूफी-काव्य-परंपरा के अनुसार कवि ने शाह-ए-वक्त सलीम शाह सूर की अत्युक्तिपूर्ण प्रशंसा की है। शत्तारी संप्रदायी सूफी संत शेख मुहम्मद गौस के मंझन के गुरू थे। जिनका पर्याप्त प्रभाव बाबर, हुमायूँ और अकबर तक पर भी था। बड़ी निष्ठा और बड़े विस्तार के साथ कवि ने अने इस गुरू की सिद्धियों की बड़ाई की है। उक्त उल्लेख को देखे हुए मंझन ऐतिहासिक व्यक्ति खिज्र खाँ (नौंना) के कृपापात्र जान पड़ते हैं। मंझन जाति के मुसलमान थे। "मधुमालती" का रचनाकाल 952 हिजरी (सन् 1545 ई0) है। इसमें कनकगिरि नगर के राजा सुरजभान के पुत्र मनोहर और महारस नगर नरेश विक्रमराय की कन्या मधुमालती की सुखांत प्रेमकहानी कही गई है। इसमें "जो सभ रस महँ राउ रस ताकर करौं बखान "कविस्वीकारोक्ति के अनुसार जो सभी रसों का राजा (शृंगार रस) है उसी का वर्णन किया गया है, जिसकी पृष्ठभूमि में प्रेम, ज्ञान और योग है। उनके जीवनदर्शन की मूलभित्ति ज्ञान-योग-संपन्न प्रेम है। प्रेम की जैसी असाधारण और पूर्ण व्यंजना मंझन ने की है वैसी किसी अन्य हिंदी सूफी कवि ने नहीं की। उनकी कविता प्रसादगुण युक्त है। श्रेणी:हिन्दी कवि.

3 संबंधों: मधुमालती, शृंगार रस, हिन्दी

मधुमालती

मधुमालती (Honeysuckle) एक वनस्पति है जो क्षुप (झाड़ी) या लता के रूप में होती है। यह कैप्रीफोलिआसी वंश में आती है। इसकी लगभग १८० प्रजातियाँ ज्ञात हैं। इनमें से लगभग १०० प्रजातियाँ चीन में, २० भारत में, २० यूरोप में, तथा २० उत्तरी अमेरिका में पायी जाती हैं। इसकी सबसे प्रसिद्ध प्रजातियाँ हैं- लोनिकेरा जैपोनिका (Lonicera japonica या जापानी मधुमालती या चीनी मधुमालती), लोनिकेरा पेरिक्लिमेनम (Lonicera periclymenum या woodbine), तथा लोनिकेरा सेमपर्विरेन्स (Lonicera sempervirens या trumpet honeysuckle, या woodbine honeysuckle).

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शृंगार रस

श्रृंगार रस रसों में से एक प्रमुख रस है। यह रति भाव को दर्शाता है। .

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हिन्दी

हिन्दी या भारतीय विश्व की एक प्रमुख भाषा है एवं भारत की राजभाषा है। केंद्रीय स्तर पर दूसरी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। यह हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप है जिसमें संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्द का प्रयोग अधिक हैं और अरबी-फ़ारसी शब्द कम हैं। हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। हालांकि, हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत का संविधान में कोई भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया था। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है। हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम की और नेपाल की जनता भी हिन्दी बोलती है।http://www.ethnologue.com/language/hin 2001 की भारतीय जनगणना में भारत में ४२ करोड़ २० लाख लोगों ने हिन्दी को अपनी मूल भाषा बताया। भारत के बाहर, हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 648,983; मॉरीशस में ६,८५,१७०; दक्षिण अफ्रीका में ८,९०,२९२; यमन में २,३२,७६०; युगांडा में १,४७,०००; सिंगापुर में ५,०००; नेपाल में ८ लाख; जर्मनी में ३०,००० हैं। न्यूजीलैंड में हिन्दी चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों में १४ करोड़ १० लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली उर्दू, मौखिक रूप से हिन्दी के काफी सामान है। लोगों का एक विशाल बहुमत हिन्दी और उर्दू दोनों को ही समझता है। भारत में हिन्दी, विभिन्न भारतीय राज्यों की १४ आधिकारिक भाषाओं और क्षेत्र की बोलियों का उपयोग करने वाले लगभग १ अरब लोगों में से अधिकांश की दूसरी भाषा है। हिंदी हिंदी बेल्ट का लिंगुआ फ़्रैंका है, और कुछ हद तक पूरे भारत (आमतौर पर एक सरल या पिज्जाइज्ड किस्म जैसे बाजार हिंदुस्तान या हाफ्लोंग हिंदी में)। भाषा विकास क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी हिन्दी प्रेमियों के लिए बड़ी सन्तोषजनक है कि आने वाले समय में विश्वस्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की जो चन्द भाषाएँ होंगी उनमें हिन्दी भी प्रमुख होगी। 'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (स्वामी दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं। .

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