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भोजपत्र वृक्ष

सूची भोजपत्र वृक्ष

भोजपत्र का वृक्ष भोजपत्र (संस्कृत: भुर्ज; वैज्ञानिक नाम: Betula utilis; अंग्रेजी: Himalayan Birch) हिमालय क्षेत्र में उगने वाला एक वृक्ष है जो 4,500 m की ऊँचाई तक उगता है। यह बहूपयोगी वृक्ष है - इसका छाल सफेद रंग की होती है जो प्राचीन काल से ग्रंथों की रचना के लिये उपयोग में आती थी। .

4 संबंधों: देहरादून, भूर्ज, संस्कृत भाषा, अंग्रेज़ी भाषा

देहरादून

यह लेख देहरादून नगर पर है। विस्तार हेतु देखें देहरादून जिला। देहरादून (Dehradun), देहरादून जिले का मुख्यालय है जो भारत की राजधानी दिल्ली से २३० किलोमीटर दूर दून घाटी में बसा हुआ है। ९ नवंबर, २००० को उत्तर प्रदेश राज्य को विभाजित कर जब उत्तराखण्ड राज्य का गठन किया गया था, उस समय इसे उत्तराखण्ड (तब उत्तरांचल) की अंतरिम राजधानी बनाया गया। देहरादून नगर पर्यटन, शिक्षा, स्थापत्य, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। इसका विस्तृत पौराणिक इतिहास है। .

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भूर्ज

रजत भूर्ज भूर्ज को अंग्रेजी में बर्च (Birch) कहते हैं। यह बेटुलेसिई (Betulaceae) कुल का पेड़ है। इसके अधिकाश पेड़ मध्यम विस्तार के होते हैं। कुछ तो क्षुप (Shrub) किस्म के भी होते हैं। उत्तर अमरीका, यूरोप, उत्तर एशिया और हिमालय में 1,400 फुट से अधिक ऊँचाई पर ये साधारणतया पाए जाते हैं। इनकी पत्तियॉँ क्रचक्री (serrat) तथा पर्णपाती (deciduous) होती हैं। एक ही पेड़ पर नर और मादा के कैटकिन (catkins) होते हैं। नर कैटकिन शरत्‌ (पतझड़) ऋतु में और मादा कैटकिन वसंत ऋतु में प्रकट होते हैं। इनके फल छोटे छोटे और पंखदार होते हैं। वृक्ष की छाल कागज के सदृश उखड़ती है, जिसे 'भोजपत्र' कहते हैं। एक समय भारत में भोजपत्र पर ही पुस्तकें लिखी जाती थी। भोजपत्र सामान्य कागज से अधिक टिकाऊ समझा जाता है। आज भी भोजपत्र पर तांत्रिक मंत्र और कवचादि लिखे जाते हैं। ऐसे मंत्र और कवच जल्द फलदेनेवाले समझे जाते हैं। पेड़ की भीतरी छाल से जो भोजपत्र प्राप्त होता है। वह लिखने के लिये अच्छा समझा जाता है। कुछ विशिष्ट धार्मिक अवसरों पर लोग इसका वस्त्र भी धारण करते हैं। भूर्ज के पेड़ कई प्रकार के होते हैं। इनकी निम्नलिखित किस्में अधिक महत्व की है: .

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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