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भू-आकारमिति

सूची भू-आकारमिति

भू-आकारमिति (अंग्रेज़ी:Geomorphometry) भूगोल के अंतर्गत भू-आकृति विज्ञान की एक उपशाखा है जो पृथ्वी के धरातल की ज्यामिति का अध्ययन करने वाला विज्ञान है और यह स्थलरूपों के लक्षणों का मात्रात्मक निरूपण, वर्णन एवं विश्लेषण करता है। आसान शब्दों में यह धरातल का मात्रात्मक विश्लेषण (en:Quantitative research) करने वाला विज्ञान है। इवांस ने इसे दो प्रकारों में बाँटा है: विशिष्ट भूआकारमिति, जो असतत रूप से अलग-अलग स्थलरूप का अध्ययन करे और, सामान्य भूआकारमिति, पूरे धरातल को सतत इकाई के रूप में लेकर अध्ययन करे। भू आकृति विज्ञान की यह शाखा नयी नहीं है और भूगोल में कंप्यूटर के प्रयोग से पहले से रही है। किन्तु भूगोल में कम्प्यूटरों के प्रयोग और रिमोट सेंसिंग, जीआइएस और भूसूचना विज्ञान के क्षेत्र में हुई अभिवृद्धि ने भूआकारमिति के अध्ययन विधि में आमूल-चूल परिवर्तन कर दिया है। पुराने समय में यह स्थलाकृतिक नक्शों पर आधारित मापन के द्वारा संपन्न की जाती थी जिनसे विभिन्न प्राचलों की गणना होती थी। अब डिजिटल ऊँचाई मॉडल (DEM) के प्रयोग ने इसके विधितंत्र में काफ़ी बदलाव किया है। रिमोट सेंसिंग के बढ़ते उपयोग के चलते डिजिटल तुंगता मॉडल (DEM) की गुणवत्ता में और इसके परिणाम स्वरूप भूआकारमिति की गणनाओं की शुद्धता में भी काफ़ी परिष्कार हुआ है। .

9 संबंधों: डिजिटल ऊँचाई मॉडल, पैमाना, भू-आकृति विज्ञान, भूसूचनाविज्ञान, भूगोल, समोच्च रेखा, सुदूर संवेदन, स्थलरूप, स्थलाकृतिक मानचित्र

डिजिटल ऊँचाई मॉडल

डिजिटल ऊँचाई मॉडल या डीईएम एक कंप्यूटर आधारित 3D या त्रिविमीय मॉडल है जिसके द्वारा पृथ्वी की सतह का प्रदर्शन या निरूपण किया जाता है। पृथ्वी की सतह को दिखाने के आलावा यह अन्य ग्रहों और उपग्रहों के लिये भी प्रयोग होता है। आसान शब्दों में यह उच्चावच को दर्शाने का माध्यम है। इसमें ऊँचाई के आँकड़ों का उपयोग होता है और इसे सामान्यतः रास्टर आँकड़ों के रूप में सहेजा जाता है। वेक्टर आँकड़ों के रूप में इसे टिन (TIN) के रूप में सहेजते और प्रदर्शित करते हैं। श्रेणी:भौगोलिक सूचना तंत्र श्रेणी:भू-आकृति विज्ञान.

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पैमाना

वास्तविकता और उसके निरूपण के बीच का अनुपात को पैमाना (अंग्रेज़ी:scale) कहते हैं। इसकी इकाई नहीं होती और यह भिन्न अथवा गुणक के रूप में व्यक्त किया जाता है। मानचित्र पर पैमाना का अर्थ है, मानचित्र पर दर्शाये गये दो बिंदुओं और उनके संगत धरातलीय जगहों के बीच दूरियों का अनुपात। मापक धरातल के किन्ही दो बिदुओं के बीच की वास्तविक दूरी तथा मानचित्र पर दर्शित उन्हीं दो बिन्दुओं के बीच की दूरी का अनुपात है। सरल शब्दों म कहा जा सकता है क धरातल व मानच क दूरय के अनुपात को मापक कहते ह। उदाहरण के लए धरातल पर दो थान के बीच क वातवक दूर 1 क. मी.

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भू-आकृति विज्ञान

धरती की सतह भू-आकृति विज्ञान (Geomorphology) (ग्रीक: γῆ, ge, "पृथ्वी"; μορφή, morfé, "आकृति"; और λόγος, लोगोस, "अध्ययन") भू-आकृतियों और उनको आकार देने वाली प्रक्रियाओं का वैज्ञानिक अध्ययन है; तथा अधिक व्यापक रूप में, उन प्रक्रियाओं का अध्ययन है जो किसी भी ग्रह के उच्चावच और स्थलरूपों को नियंत्रित करती हैं। भू-आकृति वैज्ञानिक यह समझने की कोशिश करते हैं कि भू-दृश्य जैसे दिखते हैं वैसा दिखने के पीछे कारण क्या है, वे भू-आकृतियों के इतिहास और उनकी गतिकी को जानने का प्रयास करते हैं और भूमि अवलोकन, भौतिक परीक्षण और संख्यात्मक मॉडलिंग के एक संयोजन के माध्यम से भविष्य के बदलावों का पूर्वानुमान करते हैं। भू-आकृति विज्ञान का अध्ययन भूगोल, भूविज्ञान, भूगणित, इंजीनियरिंग भूविज्ञान, पुरातत्व और भू-तकनीकी इंजीनियरिंग में किया जाता है और रूचि का यह व्यापक आधार इस विषय के तहत अनुसंधान शैली और रुचियों की व्यापक विविधता को उत्पन्न करता है। पृथ्वी की सतह, प्राकृतिक और मानवोद्भव विज्ञान सम्बन्धी प्रक्रियाओं के संयोजन की प्रतिक्रिया स्वरूप विकास करती है और सामग्री जोड़ने वाली और उसे हटाने वाली प्रक्रियाओं के बीच संतुलन के साथ जवाब देती है। ऐसी प्रक्रियाएं स्थान और समय के विभिन्न पैमानों पर कार्य कर सकती हैं। सर्वाधिक व्यापक पैमाने पर, भू-दृश्य का निर्माण विवर्तनिक उत्थान और ज्वालामुखी के माध्यम से होता है। अनाच्छादन, कटाव और व्यापक बर्बादी से होता है, जो ऐसे तलछट का निर्माण करता है जिसका परिवहन और जमाव भू-दृश्य के भीतर या तट से दूर कहीं अन्य स्थान पर हो जाता है। उत्तरोत्तर छोटे पैमाने पर, इसी तरह की अवधारणा लागू होती है, जहां इकाई भू-आकृतियां योगशील (विवर्तनिक या तलछटी) और घटाव प्रक्रियाओं (कटाव) के संतुलन के जवाब में विकसित होती हैं। आधुनिक भू-आकृति विज्ञान, किसी ग्रह के सतह पर सामग्री के प्रवाह के अपसरण का अध्ययन है और इसलिए तलछट विज्ञान के साथ निकट रूप से संबद्ध है, जिसे समान रूप से उस प्रवाह के अभिसरण के रूप में देखा जा सकता है। भू-आकृतिक प्रक्रियाएं विवर्तनिकी, जलवायु, पारिस्थितिकी, और मानव गतिविधियों से प्रभावित होती हैं और समान रूप से इनमें से कई कारक धरती की सतह पर चल रहे विकास से प्रभावित हो सकते हैं, उदाहरण के लिए, आइसोस्टेसी या पर्वतीय वर्षण के माध्यम से। कई भू-आकृति विज्ञानी, भू-आकृतिक प्रक्रियाओं की मध्यस्थता वाले जलवायु और विवर्तनिकी के बीच प्रतिपुष्टि की संभावना में विशेष रुचि लेते हैं। भू-आकृति विज्ञान के व्यावहारिक अनुप्रयोग में शामिल है संकट आकलन जिसमें शामिल है भूस्खलन पूर्वानुमान और शमन, नदी नियंत्रण और पुनर्स्थापना और तटीय संरक्षण। .

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भूसूचनाविज्ञान

भूसूचनाविज्ञान अथवा भू सूचना विज्ञान एक नवीन विज्ञान है जो सूचनाविज्ञान की अवसंरचना और तकनीकों का प्रयोग भौगोलिक सूचनाओं और स्थानिक आँकड़ों के प्रबंधन और विश्लेषण द्वारा भूगोल और अन्य भूवैज्ञानिक विषयों की समस्याओं के समाधान हेतु करता है। वस्तुतः यह सुदूर संवेदन, भौगोलिक सूचना तंत्र, भूमिति विज्ञान, भूसांख्यिकी इत्यादि नवीन शाखाओं का समेकित रूप है। .

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भूगोल

पृथ्वी का मानचित्र भूगोल (Geography) वह शास्त्र है जिसके द्वारा पृथ्वी के ऊपरी स्वरुप और उसके प्राकृतिक विभागों (जैसे पहाड़, महादेश, देश, नगर, नदी, समुद्र, झील, डमरुमध्य, उपत्यका, अधित्यका, वन आदि) का ज्ञान होता है। प्राकृतिक विज्ञानों के निष्कर्षों के बीच कार्य-कारण संबंध स्थापित करते हुए पृथ्वीतल की विभिन्नताओं का मानवीय दृष्टिकोण से अध्ययन ही भूगोल का सार तत्व है। पृथ्वी की सतह पर जो स्थान विशेष हैं उनकी समताओं तथा विषमताओं का कारण और उनका स्पष्टीकरण भूगोल का निजी क्षेत्र है। भूगोल शब्द दो शब्दों भू यानि पृथ्वी और गोल से मिलकर बना है। भूगोल एक ओर अन्य शृंखलाबद्ध विज्ञानों से प्राप्त ज्ञान का उपयोग उस सीमा तक करता है जहाँ तक वह घटनाओं और विश्लेषणों की समीक्षा तथा उनके संबंधों के यथासंभव समुचित समन्वय करने में सहायक होता है। दूसरी ओर अन्य विज्ञानों से प्राप्त जिस ज्ञान का उपयोग भूगोल करता है, उसमें अनेक व्युत्पत्तिक धारणाएँ एवं निर्धारित वर्गीकरण होते हैं। यदि ये धारणाएँ और वर्गीकरण भौगोलिक उद्देश्यों के लिये उपयोगी न हों, तो भूगोल को निजी व्युत्पत्तिक धारणाएँ तथा वर्गीकरण की प्रणाली विकसित करनी होती है। अत: भूगोल मानवीय ज्ञान की वृद्धि में तीन प्रकार से सहायक होता है: सर्वप्रथम प्राचीन यूनानी विद्वान इरैटोस्थनिज़ ने भूगोल को धरातल के एक विशिष्टविज्ञान के रूप में मान्यता दी। इसके बाद हिरोडोटस तथा रोमन विद्वान स्ट्रैबो तथा क्लाडियस टॉलमी ने भूगोल को सुनिइतिहासश्चित स्वरुप प्रदान किया। इस प्रकार भूगोल में 'कहाँ' 'कैसे 'कब' 'क्यों' व 'कितनें' प्रश्नों की उचित वयाख्या की जाती हैं। .

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समोच्च रेखा

समोच्च रेखाएं किसी क्षेत्र के मानचित्र पर सामान ऊँचाई वाले बिदुओं को मिलाने वाली रेखाएँ होती हैं। श्रेणी:मानचित्र भूगोल शब्दावली.

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सुदूर संवेदन

सुदूर संवेदन (अंग्रेज़ी: Remote Sensing) का सामान्य अर्थ है किसी वस्तु के सीधे संपर्क में आये बिना उसके बारे में आँकड़े संग्रह करना। लेकिन वर्तमान वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में सुदूर संवेदन का तात्पर्य आकाश में स्थित किसी प्लेटफार्म (जैसे हवाईजहाज, उपग्रह या गुब्बारे) से पृथ्वी के किसी भूभाग का चित्र लेना। यह एक ऐसी उन्नत विधा है जिसके माध्यम से ऊँचाई पर जाकर बिना किसी भौतिक सम्पर्क के पृथ्वी के धरातलीय रूपों और संसाधनों का अध्ययन वैज्ञानिक विधि से किया जाता हैं। सुदूर संवेदन की तकनीक को संवेदक (Sensor) की प्रकृति के आधार पर मुख्यतः दो प्रकारों में बाँटा जाता है एक्टिव और पैसिव। ज्यादातर पैसिव संवेदकों द्वारा सूर्य का परावर्तित प्रकाश संवेदित किया जाता है। एक्टिव संवेदक वे हैं जो खुद ही विद्युत चुंबकीय विकिरण उत्पन्न करके उसे पृथ्वी की ओर फेंकते हैं और परावर्तित किरणों को संवेदित (रिकार्ड) करते हैं। हवाई छायाचित्र और उपग्रह चित्र सुदूर संवेदन के दो प्रमुख उत्पाद हैं जिनका उपयोग वैज्ञानिक अध्ययनों से लेकर अन्य बहुत से कार्यों में हो रहा है। .

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स्थलरूप

आस्ट्रेलिया मे स्थित आयर्स चट्टान या उल्लेर्रू का एक दृश्य अर्जेंटीना मे स्थित एक शंक्वाकार पहाड़ी स्थलरूप अथवा स्थलाकृति (अंग्रेज़ी: Landform) भूगोल और अन्य पृथ्वी विज्ञानों में प्रयुक्त शब्द है जिसका आशय एक भू-आकृतिक इकाई से है जिसे सामान्यतः उसकी धरातलीय बनावट अर्थात आकृति के द्वारा पहचाना जाता है। सामान्य भाषा में जमीन की ऊँचाई-निचाई द्वारा जो आकृतियाँ बनती हैं उन्हें स्थलरूप कहते हैं। .

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स्थलाकृतिक मानचित्र

स्थलाकृतिक मानचित्र अथवा भूपत्रक (अंग्रेज़ी:Topographic map) एक बड़े पैमाने पर बना मानचित्र होता है जो सामान्य उद्देश्य के लिये बनाया जाता है और इसमें क्षेत्र का सामान्य विन्यास निरूपित होता है। श्रेणी:मानचित्र भूगोल शब्दावली.

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