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भारतीय स्टाम्प अधिनियम, १८९९

सूची भारतीय स्टाम्प अधिनियम, १८९९

भारतीय स्टाम्प अधिनियम, १८९९ (Indian Stamp Act of 1899 (2 of 1899)) भारत सरकार का एक अधिनियम है जो कानूनी लिखतों पर स्टाम्प शुल्क लगाता है। श्रेणी:भारतीय कानून.

2 संबंधों: भारत सरकार, कानूनी लिखत

भारत सरकार

भारत सरकार, जो आधिकारिक तौर से संघीय सरकार व आमतौर से केन्द्रीय सरकार के नाम से जाना जाता है, 29 राज्यों तथा सात केन्द्र शासित प्रदेशों के संघीय इकाई जो संयुक्त रूप से भारतीय गणराज्य कहलाता है, की नियंत्रक प्राधिकारी है। भारतीय संविधान द्वारा स्थापित भारत सरकार नई दिल्ली, दिल्ली से कार्य करती है। भारत के नागरिकों से संबंधित बुनियादी दीवानी और फौजदारी कानून जैसे नागरिक प्रक्रिया संहिता, भारतीय दंड संहिता, अपराध प्रक्रिया संहिता, आदि मुख्यतः संसद द्वारा बनाया जाता है। संघ और हरेक राज्य सरकार तीन अंगो कार्यपालिका, विधायिका व न्यायपालिका के अन्तर्गत काम करती है। संघीय और राज्य सरकारों पर लागू कानूनी प्रणाली मुख्यतः अंग्रेजी साझा और वैधानिक कानून (English Common and Statutory Law) पर आधारित है। भारत कुछ अपवादों के साथ अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्याय अधिकारिता को स्वीकार करता है। स्थानीय स्तर पर पंचायती राज प्रणाली द्वारा शासन का विकेन्द्रीकरण किया गया है। भारत का संविधान भारत को एक सार्वभौमिक, समाजवादी गणराज्य की उपाधि देता है। भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है, जिसका द्विसदनात्मक संसद वेस्टमिन्स्टर शैली के संसदीय प्रणाली द्वारा संचालित है। इसके शासन में तीन मुख्य अंग हैं: न्यायपालिका, कार्यपालिका और व्यवस्थापिका। .

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कानूनी लिखत

कानूनी लिखत (लीगल डॉक्युमेन्ट) का प्रचलित तात्पर्य है, कानूनी दस्तावेज जो किसी अधिकार को प्रदान करता है या उसकी पुष्टि करता है या सच्चाई का लेखा-जोखा रखता है। यह किसी भी तरह का व्यावहारिक लेख होता है जैसे कि: कोई करारनामे का दस्तावेज या लेखा-जोखा जो कि तकनीकी रूप से तैयार व प्रस्तुत किया गया हो। भारतीय मुद्रांक अधिनियम, 1899 के खंड 2 (14) के अनुसार लिखत के अन्तर्गत हर प्रकार के दस्तावेज जिनके द्वारा किसी प्रकार का अधिकार या जिम्मेदारी प्रदान की जाती है, या हस्तान्तरित की जाती है या बढ़ाई जाती है और लिखित किया जाता है। लिखत का निर्वचन पक्षकारों के इरादे के सन्दर्भ में किया जाना चाहिए। इरादे का पता पक्षों द्वारा प्रयुक्त शब्दों द्वारा साधारण और प्राकृतिक अर्थों में लिया जाना चाहिए, क्योंकि शब्द इरादे के अकेले मार्गदर्शक होते हैं। उदाहरण के लिए, सम्पत्ति हस्तान्तरण का लिखत, स्टॉक प्रमाण-पत्र, बॉण्ड, कूपन, नोट, चेक, विलेख (डीड) आदि। श्रेणी:विधि.

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भारतीय मुद्रांक अधिनियम, 1899

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