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भारतीय शुक्र आर्बिटर मिशन

सूची भारतीय शुक्र आर्बिटर मिशन

भारतीय शुक्र ऑर्बिटर मिशन (Indian Venusian orbiter mission) शुक्र के वातावरण का अध्ययन करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा शुक्र के लिए प्रस्तावित एक ऑर्बिटर है। यदि वित्त पोषित होता है, तो इसे 2017 और 2020 के बीच लॉन्च किया जाएगा। शुक्र के एक्सप्लोरेशन के लिए मिशन का उल्लेख 2017-18 के अनुदान ने स्पेस डिपार्टमेंट ने किया गया है। इसरो ने 2017 में बताया कि सरकार ने मिशन की योजना के लिए मंजूरी दे दी है। .

सामग्री की तालिका

  1. 10 संबंधों: ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन वाहन, भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान संस्करण 3, मंगलयान-2, शुक्र, सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, आई-1के, इसरो उपग्रह केंद्र, अरुण जेटली

ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन वाहन

'''पी.एस.एल.वी सी8''' इटली के एक उपग्रह को लेकर सतीश धवन अन्तरिक्ष केन्द्र से उड़ान भरते समय ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान या पी.एस.एल.वी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा संचालित एक उपभोजित प्रक्षेपण प्रणाली है। भारत ने इसे अपने सुदूर संवेदी उपग्रह को सूर्य समकालिक कक्षा में प्रक्षेपित करने के लिये विकसित किया है। पीएसएलवी के विकास से पूर्व यह सुविधा केवल रूस के पास थी। पीएसएलवी छोटे आकार के उपग्रहों को भू-स्थिर कक्षा में भी भेजने में सक्षम है। अब तक पीएसएलवी की सहायता से 70 अन्तरिक्षयान (30 भारतीय + 40 अन्तरराष्ट्रीय) विभिन्न कक्षाओं में प्रक्षेपित किये जा चुके हैं। इससे इस की विश्वसनीयता एवं विविध कार्य करने की क्षमता सिद्ध हो चुकी है। २२ जून, २०१६ में इस यान ने अपनी क्षमता की चरम सीमा को छुआ जब पीएसएलवी सी-34 के माध्यम से रिकॉर्ड २० उपग्रह एक साथ छोड़े गए।http://khabar.ndtv.com/news/file-facts/in-record-launch-isro-flies-20-satellites-into-space-10-facts-1421899?pfrom.

देखें भारतीय शुक्र आर्बिटर मिशन और ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन वाहन

भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम

भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम (Indian human spaceflight programme) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) द्वारा पृथ्वी की निचली कक्ष एक-दो व्यक्ति चालक दल को प्रक्षेपण करने का एक प्रस्ताव है। हाल की रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि मानव अंतरिक्ष उड़ान 2017 के बाद जीएसएलवी-एमके III पर घटित होगा। क्योंकि मिशन सरकार की 12 वीं पंचवर्षीय योजना (2012-2017) में शामिल नहीं है। चूंकि इसरो के पास एक भी मानव रेटेड प्रक्षेपण वाहन नहीं है। और सरकार की ओर से बजट में इस तरह के उड़ान शुरू करने के लिए बजट नहीं है। अत: मानव अंतरिक्ष उड़ान 2020 से पहले नहीं होगी। "भारत की पहली मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा 2021 में करने की योजना बनाई जा रही है।" डॉ राधाकृष्णन, (अध्यक्ष, इसरो) ने दिए गये एक इंटरव्यू में बताया। .

देखें भारतीय शुक्र आर्बिटर मिशन और भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, (संक्षेप में- इसरो) (Indian Space Research Organisation, ISRO) भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है जिसका मुख्यालय बेंगलुरू कर्नाटक में है। संस्थान में लगभग सत्रह हजार कर्मचारी एवं वैज्ञानिक कार्यरत हैं। संस्थान का मुख्य कार्य भारत के लिये अंतरिक्ष संबधी तकनीक उपलब्ध करवाना है। अन्तरिक्ष कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्यों में उपग्रहों, प्रमोचक यानों, परिज्ञापी राकेटों और भू-प्रणालियों का विकास शामिल है। 1969 में स्थापित, इसरो अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए तत्कालीन भारतीय राष्ट्रीय समिति (INCOSPAR) स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और उनके करीबी सहयोगी और वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के प्रयासों से 1962 में स्थापित किया गया। भारत का पहला उपग्रह, आर्यभट्ट, जो 19 अप्रैल 1975 सोवियत संघ द्वारा शुरू किया गया था यह गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था बनाया।इसने 5 दिन बाद काम करना बंद कर दिया था। लेकिन ये अपने आप में भारत के लिये एक बड़ी उपलब्धि थी। 7 जून 1979 को भारत ने दूसरा उपग्रह भास्कर 445 किलो का था, पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया। 1980 में रोहिणी उपग्रह पहला भारतीय-निर्मित प्रक्षेपण यान एसएलवी -3 बन गया जिस्से कक्षा में स्थापित किया गया। इसरो ने बाद में दो अन्य रॉकेट विकसित किये। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान उपग्रहों शुरू करने के लिए ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी),भूस्थिर कक्षा में उपग्रहों को रखने के लिए ध्रुवीय कक्षाओं और भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान। ये रॉकेट कई संचार उपग्रहों और पृथ्वी अवलोकन गगन और आईआरएनएसएस तरह सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम तैनात किया उपग्रह का शुभारंभ किया।जनवरी 2014 में इसरो सफलतापूर्वक जीसैट -14 का एक जीएसएलवी-डी 5 प्रक्षेपण में एक स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल किया गया। इसरो के वर्तमान निदेशक ए एस किरण कुमार हैं। आज भारत न सिर्फ अपने अंतरिक्ष संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम है बल्कि दुनिया के बहुत से देशों को अपनी अंतरिक्ष क्षमता से व्यापारिक और अन्य स्तरों पर सहयोग कर रहा है। इसरो एक चंद्रमा की परिक्रमा, चंद्रयान -1 भेजा, 22 अक्टूबर 2008 और एक मंगल ग्रह की परिक्रमा, मंगलयान (मंगल आर्बिटर मिशन) है, जो सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश पर 24 सितंबर 2014 को भारत ने अपने पहले ही प्रयास में सफल होने के लिए पहला राष्ट्र बना। दुनिया के साथ ही एशिया में पहली बार अंतरिक्ष एजेंसी में एजेंसी को सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा तक पहुंचने के लिए इसरो चौथे स्थान पर रहा। भविष्य की योजनाओं मे शामिल जीएसएलवी एमके III के विकास (भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए) ULV, एक पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान, मानव अंतरिक्ष, आगे चंद्र अन्वेषण, ग्रहों के बीच जांच, एक सौर मिशन अंतरिक्ष यान के विकास आदि। इसरो को शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए साल 2014 के इंदिरा गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मंगलयान के सफल प्रक्षेपण के लगभग एक वर्ष बाद इसने 29 सितंबर 2015 को एस्ट्रोसैट के रूप में भारत की पहली अंतरिक्ष वेधशाला स्थापित किया। जून 2016 तक इसरो लगभग 20 अलग-अलग देशों के 57 उपग्रहों को लॉन्च कर चुका है, और इसके द्वारा उसने अब तक 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर कमाए हैं।http://khabar.ndtv.com/news/file-facts/in-record-launch-isro-flies-20-satellites-into-space-10-facts-1421899?pfrom.

देखें भारतीय शुक्र आर्बिटर मिशन और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन

भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान संस्करण 3

भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान संस्करण 3 (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle mark 3, or GSLV Mk3, जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लाँच वहीकल मार्क 3, या जीएसएलवी मार्क 3, या जीएसएलवी-3), जिसे लॉन्च वाहन मार्क 3 (LVM 3) भी कहा जाता है, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित एक प्रक्षेपण वाहन (लॉन्च व्हीकल) है। इसे भू-स्थिर कक्षा (जियो-स्टेशनरी ऑर्बिट) में उपग्रहों और भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को प्रक्षेपित करने के लिये विकसित किया गया है। जीएसएलवी-III में एक भारतीय तुषारजनिक (क्रायोजेनिक) रॉकेट इंजन की तीसरे चरण की भी सुविधा के अलावा वर्तमान भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान की तुलना में अधिक पेलोड (भार) ले जाने क्षमता भी है। | फ्रंटलाइन| ७ फरवरी २०१४ .

देखें भारतीय शुक्र आर्बिटर मिशन और भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान संस्करण 3

मंगलयान-2

मंगलयान 2 (Mangalyaan 2) भारत का मंगलयान के बाद मंगल ग्रह के लिए दूसरा मिशन है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा मंगल ग्रह के लिए मिशन को 2020 में लांच किया जायेगा। यह मिशन अपने साथ ऑर्बिटर, लैंडर तथा रोवर ले के जाएगा। .

देखें भारतीय शुक्र आर्बिटर मिशन और मंगलयान-2

शुक्र

शुक्र (Venus), सूर्य से दूसरा ग्रह है और प्रत्येक 224.7 पृथ्वी दिनों मे सूर्य परिक्रमा करता है। ग्रह का नामकरण प्रेम और सौंदर्य की रोमन देवी पर हुआ है। चंद्रमा के बाद यह रात्रि आकाश में सबसे चमकीली प्राकृतिक वस्तु है। इसका आभासी परिमाण -4.6 के स्तर तक पहुँच जाता है और यह छाया डालने के लिए पर्याप्त उज्जवलता है। चूँकि शुक्र एक अवर ग्रह है इसलिए पृथ्वी से देखने पर यह कभी सूर्य से दूर नज़र नहीं आता है: इसका प्रसरकोण 47.8 डिग्री के अधिकतम तक पहुँचता है। शुक्र सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद केवल थोड़ी देर के लए ही अपनी अधिकतम चमक पर पहुँचता है। यहीं कारण है जिसके लिए यह प्राचीन संस्कृतियों के द्वारा सुबह का तारा या शाम का तारा के रूप में संदर्भित किया गया है। शुक्र एक स्थलीय ग्रह के रूप में वर्गीकृत है और समान आकार, गुरुत्वाकर्षण और संरचना के कारण कभी कभी उसे पृथ्वी का "बहन ग्रह" कहा गया है। शुक्र आकार और दूरी दोनों मे पृथ्वी के निकटतम है। हालांकि अन्य मामलों में यह पृथ्वी से एकदम अलग नज़र आता है। शुक्र सल्फ्यूरिक एसिड युक्त अत्यधिक परावर्तक बादलों की एक अपारदर्शी परत से ढँका हुआ है। जिसने इसकी सतह को दृश्य प्रकाश में अंतरिक्ष से निहारने से बचा रखा है। इसका वायुमंडल चार स्थलीय ग्रहों मे सघनतम है और अधिकाँशतः कार्बन डाईऑक्साइड से बना है। ग्रह की सतह पर वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी की तुलना मे 92 गुना है। 735° K (462°C,863°F) के औसत सतही तापमान के साथ शुक्र सौर मंडल मे अब तक का सबसे तप्त ग्रह है। कार्बन को चट्टानों और सतही भूआकृतियों में वापस जकड़ने के लिए यहाँ कोई कार्बन चक्र मौजूद नही है और ना ही ज़ीवद्रव्य को इसमे अवशोषित करने के लिए कोई कार्बनिक जीवन यहाँ नज़र आता है। शुक्र पर अतीत में महासागर हो सकते हैलेकिन अनवरत ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण बढ़ते तापमान के साथ वह वाष्पीकृत होते गये होंगे |B.M.

देखें भारतीय शुक्र आर्बिटर मिशन और शुक्र

सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र

सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र का विहंगम दृश्य सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का प्रक्षेपण केंद्र है। यह आंध्र प्रदेश के श्रीहरीकोटा में स्थित है, इसे 'श्रीहरीकोटा रेंज' या 'श्रीहरीकोटा लाँचिंग रेंज' के नाम से भी जाना जाता है। 2002 में इसरो के पूर्व प्रबंधक और वैज्ञानिक सतीश धवन के मरणोपरांत उनके सम्मान में इसका नाम बदला गया। .

देखें भारतीय शुक्र आर्बिटर मिशन और सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र

आई-1के

आई -1के, इनसैट-1000 के रूप में भी जाना जाता है। यह एक उपग्रह बस है जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित और इसकी मार्केटिंग एंट्रिक्स निगम द्वारा की जाती है। आई-1के बस हल्के भूस्थिर उपग्रहों और के साथ संगत (कम्पेटिबल) होना करने के लिए डिज़ाइन किया गया है आमतौर पर मौसम उपग्रहों में इसका प्रयोग किया जाता है। .

देखें भारतीय शुक्र आर्बिटर मिशन और आई-1के

इसरो उपग्रह केंद्र

इसरो उपग्रह केंद्र इसरो का एक प्रमुख केंद्र है| यह बेंगलुरु में स्थित है| यहाँ उपग्रह बनाने तथा उससे समबन्धित कार्य होते हैं| विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के बाद यह इसरो का दूसरा सबसे बड़ा केंद्र है| भारत में संचार एवं दूरसंवेदी उपग्रहों का निर्माण इसी केंद्र में होता है| श्रेणी:भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन.

देखें भारतीय शुक्र आर्बिटर मिशन और इसरो उपग्रह केंद्र

अरुण जेटली

अरुण जेटली (जन्म: 28 जनवरी 1952 नई दिल्ली) भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता हैं। वे वर्तमान समय में भारत के वित्त मंत्री हैं। वे राजग(राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के शासन में केंद्रीय न्याय मन्त्री के साथ-साथ कई बड़े पद पर आसीन थे। .

देखें भारतीय शुक्र आर्बिटर मिशन और अरुण जेटली