लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
इंस्टॉल करें
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

भारतीय कौंसिल अधिनियम, 1892

सूची भारतीय कौंसिल अधिनियम, 1892

1861 ई. के कौंसिल अधिनियम से भारतीय संतुष्ट नहीं थे। इसके साथ ही भारत सरकार भी गृह-सरकार के विरूद्ध अपने अधिकारों में और अधिक वृद्धि चाहती थी इसके लिये वह अधिक से अधिक भारतीयों को शासन में सम्मिलित कर लेना चाहती थी जो उस समय की परिस्थिति में सरकार को आवश्यक लग रहा था। अग्रेज व्यापारी अपने स्वार्थों की रक्षा के लिये कुछ प्रतिनिधित्व चाहते थे और यही कारण था कि वे व्यवस्थापिका सभा के सदस्यों की संख्या में वृद्धि चाहते थे अतः भारत सरकार के सुझावों के अनुरूप 1892 ई.

2 संबंधों: बाल गंगाधर तिलक, बंगाल का विभाजन (1905)

बाल गंगाधर तिलक

बाल गंगाधर तिलक (अथवा लोकमान्य तिलक,; २३ जुलाई १८५६ - १ अगस्त १९२०), जन्म से केशव गंगाधर तिलक, एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और एक स्वतन्त्रता सेनानी थे। ये भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता हुएँ; ब्रिटिश औपनिवेशिक प्राधिकारी उन्हें "भारतीय अशान्ति के पिता" कहते थे। उन्हें, "लोकमान्य" का आदरणीय शीर्षक भी प्राप्त हुआ, जिसका अर्थ हैं लोगों द्वारा स्वीकृत (उनके नायक के रूप में)। इन्हें हिन्दू राष्ट्रवाद का पिता भी कहा जाता है। तिलक ब्रिटिश राज के दौरान स्वराज के सबसे पहले और मजबूत अधिवक्ताओं में से एक थे, तथा भारतीय अन्तःकरण में एक प्रबल आमूल परिवर्तनवादी थे। उनका मराठी भाषा में दिया गया नारा "स्वराज्य हा माझा जन्मसिद्ध हक्क आहे आणि तो मी मिळवणारच" (स्वराज यह मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूँगा) बहुत प्रसिद्ध हुआ। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कई नेताओं से एक क़रीबी सन्धि बनाई, जिनमें बिपिन चन्द्र पाल, लाला लाजपत राय, अरविन्द घोष, वी० ओ० चिदम्बरम पिल्लै और मुहम्मद अली जिन्नाह शामिल थे। .

नई!!: भारतीय कौंसिल अधिनियम, 1892 और बाल गंगाधर तिलक · और देखें »

बंगाल का विभाजन (1905)

पूर्वी बंगाल और असम प्रांत के मानचित्र बंगाल विभाजन के निर्णय की घोषणा 19 जुलाई 1905 को भारत के तत्कालीन वाइसराय लॉर्ड कर्ज़न द्वारा की गयी थी। विभाजन 16 अक्टूबर 1905 से प्रभावी हुआ। विभाजन के कारण उत्पन्न उच्च स्तरीय राजनीतिक अशांति के कारण 1911 में दोनो तरफ की भारतीय जनता के दबाव की वजह से बंगाल के पूर्वी एवं पश्चिमी हिस्से पुनः एक हो गए। .

नई!!: भारतीय कौंसिल अधिनियम, 1892 और बंगाल का विभाजन (1905) · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »