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भारत सारावली

सूची भारत सारावली

भुवन में भारत भारतीय गणतंत्र दक्षिण एशिया में स्थित स्वतंत्र राष्ट्र है। यह विश्व का सातवाँ सबसे बड़ देश है। भारत की संस्कृति एवं सभ्यता विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति एवं सभ्यताओं में से है।भारत, चार विश्व धर्मों-हिंदू धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म के जन्मस्थान है और प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता का घर है। मध्य २० शताब्दी तक भारत अंग्रेजों के प्रशासन के अधीन एक औपनिवेशिक राज्य था। अहिंसा के माध्यम से महात्मा गांधी जैसे नेताओं ने भारत देश को १९४७ में स्वतंत्र राष्ट्र बनाया। भारत, १२० करोड़ लोगों के साथ दुनिया का दूसरे सबसे अधिक आबादी वाला देश और दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र है। .

547 संबंधों: चण्डीगढ़, चोल राजवंश, टीपू सुल्तान, एयर चीफ़ मार्शल, एशिया, एशियाई विकास बैंक, एकीकृत गाइडेड मिसाइल विकास कार्यक्रम, ऐडमिरल, झारखण्ड के जिले, झारखंड का पर्यटन, झारखंड का इतिहास, डल झील, डंडिया रास, डोगरी भाषा, तमिल नाडु का इतिहास, तमिल भाषा, तमिल साहित्य का इतिहास, तमिल खाना, तमिलनाडु के जिले, तुलू भाषा, त्रिपुरा का खाना, त्रिपुरा के जिले, त्रिपुरा की संस्कृति, तेलंगाना राष्ट्र समिति, तेलंगाना के जिले, तेलुगु देशम पार्टी, तेलुगू भाषा, तेलुगू साहित्य, तेलुगू सिनेमा, थार मरुस्थल, दिल्ली, दिल्ली पुलिस, दिल्ली सरकार, दिल्ली सल्तनत, दिल्ली का भूगोल, दिल्ली का इतिहास, दिल्ली के पर्यटन स्थल, दिल्ली के जिले और उपमंडल, दिल्ली की संस्कृति, दक्षिण एशिया, दक्षिण एशिया सहकारी पर्यावरण कार्यक्रम, दक्षिण एशियाई पाषाण युग, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन, दक्षिण भारत, दक्षिण भारतीय व्यंजन, दक्षिणपूर्व एशिया पर भारतीय प्रभाव का इतिहास, दक्खिन के सल्तनत, दक्कन का पठार, द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम, द्रविड़ स्थापत्य शैली, ..., दूरशिक्षा परिषद, देश, देसिया मुरपोक्कु द्रविड़ कड़गम, धर्मनिरपेक्ष 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चण्डीगढ़

चण्डीगढ़, (पंजाबी: ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ), भारत का एक केन्द्र शासित प्रदेश है, जो दो भारतीय राज्यों, पंजाब और हरियाणा की राजधानी भी है। इसके नाम का अर्थ है चण्डी का किला। यह हिन्दू देवी दुर्गा के एक रूप चण्डिका या चण्डी के एक मंदिर के कारण पड़ा है। यह मंदिर आज भी शहर में स्थित है। इसे सिटी ब्यूटीफुल भी कहा जाता है। चंडीगढ़ राजधानी क्षेत्र में मोहाली, पंचकुला और ज़ीरकपुर आते हैं, जिनकी २००१ की जनगणना के अनुसार जनसंख्या ११६५१११ (१ करोड़ १६ लाख) है। भारत की लोकसभा में प्रतिनिधित्व हेतु चण्डीगढ़ के लिए एक सीट आवण्टित है। वर्तमान सोलहवीं लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी की श्रीमति किरण खेर यहाँ से साँसद हैं। इस शहर का नामकरण दुर्गा के एक रूप ‘चंडिका’ के कारण हुआ है और चंडी का मंदिर आज भी इस शहर की धार्मिक पहचान है। नवोदय टाइम्स इस शहर के निर्माण में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की भी निजी रुचि रही है, जिन्होंने नए राष्ट्र के आधुनिक प्रगतिशील दृष्टिकोण के रूप में चंडीगढ़ को देखते हुए इसे राष्ट्र के भविष्य में विश्वास का प्रतीक बताया था। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शहरी योजनाबद्धता और वास्तु-स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध यह शहर आधुनिक भारत का प्रथम योजनाबद्ध शहर है।, चंडीगढ़ के मुख्य वास्तुकार फ्रांसीसी वास्तुकार ली कार्बूजियर हैं, लेकिन शहर में पियरे जिएन्नरेट, मैथ्यु नोविकी एवं अल्बर्ट मेयर के बहुत से अद्भुत वास्तु नमूने देखे जा सकते हैं। शहर का भारत के समृद्ध राज्यों और संघ शसित प्रदेशों की सूची में अग्रणी नाम आता है, जिसकी प्रति व्यक्ति आय ९९,२६२ रु (वर्तमान मूल्य अनुसार) एवं स्थिर मूल्य अनुसार ७०,३६१ (२००६-०७) रु है। .

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चोल राजवंश

चोल (तमिल - சோழர்) प्राचीन भारत का एक राजवंश था। दक्षिण भारत में और पास के अन्य देशों में तमिल चोल शासकों ने 9 वीं शताब्दी से 13 वीं शताब्दी के बीच एक अत्यंत शक्तिशाली हिन्दू साम्राज्य का निर्माण किया। 'चोल' शब्द की व्युत्पत्ति विभिन्न प्रकार से की जाती रही है। कर्नल जेरिनो ने चोल शब्द को संस्कृत "काल" एवं "कोल" से संबद्ध करते हुए इसे दक्षिण भारत के कृष्णवर्ण आर्य समुदाय का सूचक माना है। चोल शब्द को संस्कृत "चोर" तथा तमिल "चोलम्" से भी संबद्ध किया गया है किंतु इनमें से कोई मत ठीक नहीं है। आरंभिक काल से ही चोल शब्द का प्रयोग इसी नाम के राजवंश द्वारा शासित प्रजा और भूभाग के लिए व्यवहृत होता रहा है। संगमयुगीन मणिमेक्लै में चोलों को सूर्यवंशी कहा है। चोलों के अनेक प्रचलित नामों में शेंबियन् भी है। शेंबियन् के आधार पर उन्हें शिबि से उद्भूत सिद्ध करते हैं। 12वीं सदी के अनेक स्थानीय राजवंश अपने को करिकाल से उद्भत कश्यप गोत्रीय बताते हैं। चोलों के उल्लेख अत्यंत प्राचीन काल से ही प्राप्त होने लगते हैं। कात्यायन ने चोडों का उल्लेख किया है। अशोक के अभिलेखों में भी इसका उल्लेख उपलब्ध है। किंतु इन्होंने संगमयुग में ही दक्षिण भारतीय इतिहास को संभवत: प्रथम बार प्रभावित किया। संगमकाल के अनेक महत्वपूर्ण चोल सम्राटों में करिकाल अत्यधिक प्रसिद्ध हुए संगमयुग के पश्चात् का चोल इतिहास अज्ञात है। फिर भी चोल-वंश-परंपरा एकदम समाप्त नहीं हुई थी क्योंकि रेनंडु (जिला कुडाया) प्रदेश में चोल पल्लवों, चालुक्यों तथा राष्ट्रकूटों के अधीन शासन करते रहे। .

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टीपू सुल्तान

टीपू सुल्तान टीपू सुल्तान (1750 - 1799) कर्नाटक (ಟಿಪ್ಪು ಸುಲ್ತಾನ್, سلطان فتح علی خان ٹیپو) भारत के तत्कालीन मैसूर राज्य के शासक थे। .

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एयर चीफ़ मार्शल

एयर चीफ़ मार्शल (एसीएम) वायु सेना का एक चार-सितारा स्तर है जिसका मूल एवं वर्तमान प्रयोग भी रॉयल एयर फ़ोर्स में होता रहा है। श्रेणी:वायु सेना.

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एशिया

एशिया या जम्बुद्वीप आकार और जनसंख्या दोनों ही दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है, जो उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है। पश्चिम में इसकी सीमाएं यूरोप से मिलती हैं, हालाँकि इन दोनों के बीच कोई सर्वमान्य और स्पष्ट सीमा नहीं निर्धारित है। एशिया और यूरोप को मिलाकर कभी-कभी यूरेशिया भी कहा जाता है। एशियाई महाद्वीप भूमध्य सागर, अंध सागर, आर्कटिक महासागर, प्रशांत महासागर और हिन्द महासागर से घिरा हुआ है। काकेशस पर्वत शृंखला और यूराल पर्वत प्राकृतिक रूप से एशिया को यूरोप से अलग करते है। कुछ सबसे प्राचीन मानव सभ्यताओं का जन्म इसी महाद्वीप पर हुआ था जैसे सुमेर, भारतीय सभ्यता, चीनी सभ्यता इत्यादि। चीन और भारत विश्व के दो सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश भी हैं। पश्चिम में स्थित एक लंबी भू सीमा यूरोप को एशिया से पृथक करती है। तह सीमा उत्तर-दक्षिण दिशा में नीचे की ओर रूस में यूराल पर्वत तक जाती है, यूराल नदी के किनारे-किनारे कैस्पियन सागर तक और फिर काकेशस पर्वतों से होते हुए अंध सागर तक। रूस का लगभग तीन चौथाई भूभाग एशिया में है और शेष यूरोप में। चार अन्य एशियाई देशों के कुछ भूभाग भी यूरोप की सीमा में आते हैं। विश्व के कुल भूभाग का लगभग ३/१०वां भाग या ३०% एशिया में है और इस महाद्वीप की जनसंख्या अन्य सभी महाद्वीपों की संयुक्त जनसंख्या से अधिक है, लगभग ३/५वां भाग या ६०%। उत्तर में बर्फ़ीले आर्कटिक से लेकर दक्षिण में ऊष्ण भूमध्य रेखा तक यह महाद्वीप लगभग ४,४५,७९,००० किमी क्षेत्र में फैला हुआ है और अपने में कुछ विशाल, खाली रेगिस्तानों, विश्व के सबसे ऊँचे पर्वतों और कुछ सबसे लंबी नदियों को समेटे हुए है। .

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एशियाई विकास बैंक

एशियाई विकास बैंक के सदस्य राज्य एशियाई विकास बैंक (एडीबी) एक क्षेत्रीय विकास बैंक है जिसकी स्थापना 19 दिसम्बर 1966 को एशियाई देशों के आर्थिक विकास के सुगमीकरण के लिए की गयी थी। यह बैंक यूऍन (UN) इकोनॉमिक कमीशन फॉर एशिया एंड फार ईस्ट (अब यूएनईएससीएपी- UNESCAP) और गैर क्षेत्रीय विकसित देशों के सदस्यों को सम्मिलित करता है। इस बैंक की स्थापना 31 सदस्यों के साथ हुई थी, अब एडीबी के पास अब 67 सदस्य हैं - जिसमे से 48 एशिया और पैसिफिक से हैं और 19 सदस्य बाहरी हैं। एडीबी (ADB) का प्रारूप काफी हद तक वर्ल्ड बैंक के आधार पर बनाया गया था और वर्ल्ड बैंक (विश्व बैंक) के समान यहां भी भारित वोट प्रणाली की व्यवस्था है जिसमे वोटों का वितरण सदस्यों के पूंजी अभिदान अनुपात के आधार पर किया जाता है। वर्तमान में, संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान दोनों के ही पास 552,210 शेयर हैं - इन दोनों के पास शेयरों का सबसे बड़ा हिस्सा है जो कुल का 12.756 प्रतिशत है। .

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एकीकृत गाइडेड मिसाइल विकास कार्यक्रम

एकीकृत गाइडेड मिसाइल विकास कार्यक्रम (अंग्रेज़ी: Integrated Guided Missile Develoment Program-IGMDP; इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम) घोषित परमाणु राज्यों (चीन, ब्रिटेन, फ़्रांस, रूस, और संयुक्त राज्य अमेरिका) के बाद के मिसाइल कार्यक्रमों में से एक है। भारत अपने परिष्कृत मिसाइल और अंतरिक्ष कार्यक्रमों के साथ, देश में ही लंबी दूरी की परमाणु मिसाइलों के विकास में तकनीकी रूप से सक्षम है। बैलिस्टिक मिसाइलों में भारत का अनुसंधान 1960 के दशक में शुरू हुआ। जुलाई 1983 में भारत ने स्वदेशी मिसाइल के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के उद्देश्य के साथ समन्वित निर्देशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम (इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम-IGMDP) की शुरुआत की। आईजीएमडीपी द्वारा देश में ही विकसित सबसे पहली मिसाइल पृथ्वी थी। भारत की दूसरी बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली अग्नि मिसाइलों की श्रृंखला है जिसकी मारक क्षमता पृथ्वी मिसाइलों से ज्यादा है। .

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ऐडमिरल

ऐडमिरल (Admiral) या नौसेनाध्यक्ष किसी देश या राज्य की नौसेना के सर्वोच्च अधिकारी या अधिकारियों को कहा जाता है। तुलना के लिए यह पद थलसेना के 'जनरल' या 'सेनापति' के बराबर समझा जाता है। .

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झारखण्ड के जिले

कोई विवरण नहीं।

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झारखंड का पर्यटन

देवघर और दुमका में लाखों लोग धार्मिक यात्रा में मंदिरों में पूजा करने के लिए हर वर्ष यहाँ आते है। यह धार्मिक पर्यटन के विकास का अच्छा अवसर है। धर्म और कथा का एक साथ आना देवघर, भारत के प्राचीन हिंदू तीर्थ में से एक है। देवघर का शाब्दिक अर्थ है "परमेश्वर का निवास"| ऐसे कई धार्मिक महत्व के स्थल इस पवित्र शहर के आसपास है। रांची में, रांची पहाड़ी की ऊंचाई पर मंदिर है, जो वहां के स्थानीय लोगों के लिए पहाड़ी, पहाड़ी मंदिर के नाम से जाना जाता है। सामान्यतः यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। लेकिन प्रत्येक स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस पर मंदिर के उपरी छोर पर राष्ट्रीय तिरंगा फहराया जाता है जो उन लोगों के सम्मान की दिशा में किया जाता है जिन्होंने स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान अपने प्राणों का बलिदान दिया था। बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में कहा गया है कि उन्हें यहाँ फाँसी दी गयी है। जब देश स्वतंत्र हुआ तो रांची के वासियों ने फैसला किया कि उन शहीदों को सम्मान देने के लिए पहाड़ी पर तिरंगा फहराया जायेगा और इसी तरह परंपरा चली आ रही है और यह वास्तव में इस मंदिर की अलग पहचान है; रांची से करीब ८० किलोमीटर दूर रामगढ -बोकारो मार्ग पर अवस्थित माँ छिन्नमस्तिका का मंदिर यहाँ अवस्थित है, जो देश भर में प्रसिद्ध है। पुराने मंदिर में सिरविहीन देवी कामदेव के शरीरपर खड़ी हुई और रति कमल के आसन पर विराजमान हैं। मन्नत मांगने व् पूरे होनेपर पुनः दर्शन करने यहाँ भक्त काफी संख्या में पहुचते हैं। सभी भगवान शिव के भक्तों का देवघर के महा श्रावणी मेला में स्वागत हैं, जो भगवान शिव का पवित्र स्थान है। श्रद्धालु सुल्तानगंज में उत्तर वाहिनी गंगा में डुबकी लगाने के बाद गंगा का पवित्र जल कांवर में लेकर, नंगे पांव 105 किलोमीटर की दूरी तय कर के देवघर जाते हैं।;जगन्नाथपुर मंदिर उड़ीसा की स्थापत्य कला पर निर्मित यह मंदिर झारखण्ड के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। पहाड़ी पर स्थित मंदिर को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि काफी ऊंचाई पर मणि एक किला विद्यमान हो। जून-जुलाई में यहाँ रथयात्रा के अवसर पर विशाल मेला लगता है। नागवंशी राजा ठाकुर एनी शाहदेव द्वारा १६९१ में रांची से १२ किलोमीटर की दूरी पर इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा की मूर्तियाँ मौजूद हैं।;सूर्य मंदिर रांची से ३९ किलोमीटर की दूरी पर रांची -टाटा रोड पर स्थित यह मंदिर बुंडू के समीप है। संगमरमर से निर्मित इस मंदिर का निर्माण १८ पहियों और ७ घोड़ों के रथ पर विद्यमान भगवान सूर्य के रूप में किया गाया है। २५ जनवरी को टुसू मेला के अवसर पर यहाँ विशेष मेले का आयोजन होता है। श्रधालुओं के विश्राम के लिए यहाँ एक धर्मशाला का निर्माण भी किया गया है।;अंगराबाड़ी रांची से ४० किलोमीटर दूर खूंटी के समीप स्थित यह मंदिर भगवान गणेश, राम-सीता, हनुमान और शिव के प्रति समर्पित है।;सबसे ऊंचा पठार झारखण्ड का सबसे ऊँचा पठार, जिसकी ऊंचाई समुद्रतल से ४४८० फीट है। यहाँ के मंदिर को जैनियों का सबसे पूज्य व पवित्र स्थान माना गया है। जैन मान्यता के अनुसार २४ तीर्थकरों में से २० को मोक्ष की प्राप्ति यहीं हुई है। श्रेणी:झारखंड का पर्यटन.

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झारखंड का इतिहास

झारखंड के कुछ स्थानों में जीवाश्म के कुछ अंश उन कलाकृतियों की ओर इशारा करते हैं जिससे यह पता चलता है कि छोटानागपुर क्षेत्र में होमो इरेकटस से होमो सिपियंस जाति में बदलाव को दर्शाता है। यहाँ पत्थर और अन्य उपकरण, सभ्यताओं के प्रारंभिक वर्षों से 3000 से अधिक वर्ष पहले के हैं। 6 या 7 वीं शताब्दी ई.पू.

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डल झील

डल झील श्रीनगर, कश्मीर में एक प्रसिद्ध झील है। १८ किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई यह झील तीन दिशाओं से पहाड़ियों से घिरी हुई है। जम्मू-कश्मीर की दूसरी सबसे बड़ी झील है। इसमें सोतों से तो जल आता है साथ ही कश्मीर घाटी की अनेक झीलें आकर इसमें जुड़ती हैं। इसके चार प्रमुख जलाशय हैं गगरीबल, लोकुट डल, बोड डल तथा नागिन। लोकुट डल के मध्य में रूपलंक द्वीप स्थित है तथा बोड डल जलधारा के मध्य में सोनालंक द्वीप स्थित है। भारत की सबसे सुंदर झीलों में इसका नाम लिया जाता है। पास ही स्थित मुगल वाटिका से डल झील का सौंदर्य अप्रतिम नज़र आता है। पर्यटक जम्मू-कश्मीर आएँ और डल झील देखने न जाएँ ऐसा हो ही नहीं सकता। डल झील के मुख्य आकर्षण का केन्द्र है यहाँ के शिकारे या हाउसबोट। सैलानी इन हाउसबोटों में रहकर झील का आनंद उठा सकते हैं। नेहरू पार्क, कानुटुर खाना, चारचीनारी आदि द्वीपों तथा हज़रत बल की सैर भी इन शिकारों में की जा सकती है। इसके अतिरिक्त दुकानें भी शिकारों पर ही लगी होती हैं और शिकारे पर सवार होकर विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ भी खरीदी जा सकती हैं। तरह तरह की वनस्पति झील की सुंदरता को और निखार देती है। कमल के फूल, पानी में बहती कुमुदनी, झील की सुंदरता में चार चाँद लगा देती है। सैलानियों के लिए विभिन्न प्रकार के मनोरंजन के साधन जैसे कायाकिंग (एक प्रकार का नौका विहार), केनोइंग (डोंगी), पानी पर सर्फिंग करना तथा ऐंगलिंग (मछली पकड़ना) यहाँ पर उपलब्ध कराए गए हैं। डल झील में पर्यटन के अतिरिक्त मुख्य रूप से मछली पकड़ने का काम होता है। .

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डंडिया रास

रास या रसिया बृजभूमि का लोकनृत्य है, जिसमें वसंतोत्सव, होली तथा राधा और कृष्ण की प्रेम कथा का वर्णन होता है। रास अनेक प्रकर का होता है। यह उस रत को शुरु होति है जब क्रिशना अपनी बान्सुरि बजाति है। उस रत क्रिशना आप्नी गोपियोन कय सथ बासुरि बजाती है। यह नाछ व्रिन्धवन मैं पायी जती है। डांडिया रास की उत्पत्ति हमेशा दुर्गा के सम्मान में प्रदर्शन किया गया है जो भक्ति गरबा नृत्य, के रूप में मूल, इस नृत्य को वास्तव में देवी और महिषासुर, पराक्रमी राक्षस राजा के बीच एक नकली लड़ाई का मंचन होता है और "तलवार नृत्य " उपनाम है। नृत्य के दौरान नर्तकियों चक्कर और विभिन्न लय के साथ संगीत की धुन पर एक जटिल, नृत्य ढंग से अपने पैर और हथियारों की चाल। ढोल ऐसे ढोलक, तबला और दूसरों के रूप में पूरक टक्कर उपकरण के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। नृत्य की छड़ें दुर्गा की तलवार का प्रतिनिधित्व करते हैं। महिलाओं के इस तरह के दर्पण का काम है और भारी गहने के साथ चमकदार रंगीन कढ़ाई चोली, घाघरा (पारंपरिक पोशाक) के रूप में पारंपरिक कपड़े पहनते हैं। पुरुषों विशेष पगड़ी और पहनते हैं, लेकिन यह क्षेत्रीय स्तर भिन्न होता है। डांडिया उत्सव के एक भाग के रूप में, यह बाद किया जाता है, जबकि गरबा, देवी के सम्मान में भक्ति प्रदर्शन के रूप में आरती (पूजा अनुष्ठान) से पहले किया जाता है। पुरुषों और महिलाओं के गरबा के लिए भी डांडिया रास के लिए में शामिल होने और डांडिया रास का परिपत्र आंदोलनों और अधिक जटिल गरबा की तुलना कर रहे हैं। इन नृत्य प्रदर्शन या रास की उत्पत्ति कृष्णा है। आज, रास न केवल गुजरात में नवरात्रि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन साथ ही फसल और फसलों से संबंधित अन्य समारोहों के लिए ही फैली हुई है। सासुतरा के मेर्स चरम ऊर्जा और उत्साह के साथ रास प्रदर्शन करने के लिए विख्यात रहे हैं। इतिहास डांडिया रास नृत्य देवी दुर्गा के सम्मान में प्रदर्शन किया गया है जो भक्ति गरबा नृत्य, के रूप में जन्म लिया है। इस नृत्य को वास्तव में देवी दुर्गा और महिषासुर, पराक्रमी राक्षस राजा के बीच एक नकली लड़ाई का मंचन है। इस नृत्य भी तलवार नृत्य ' उपनाम दिया गया है। नृत्य की छड़ें देवी दुर्गा की तलवार का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन नृत्यों की उत्पत्ति भगवान कृष्ण के जीवन का पता लगाया जा सकता है। आज, रास न केवल गुजरात में नवरात्रि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन साथ ही अन्य फसल से संबंधित त्योहारों और फसलों के लिए ही फैली हुई है। स्वरूप डांडिया नृत्य रास भी सामाजिक कार्यों में और मंच पर किया जाता है। रास जटिल कदम और संगीत के साथ बहुत जटिल हो सकता है का मंचन किया। रास एक लोक कला है और यह समय के साथ बदल जाएगा। अफ्रीकी गुलामों और (मुसलमान थे) जहाज कार्यकर्ताओं सौराष्ट्र के तट पर पहुंचे, वे अपने स्वयं के और खेतों में अफ्रीकी ड्रम के रूप में रास अपनाया। यह हिंदू परंपरा से उत्पन्न है, यह सौराष्ट्र के रूप में मुस्लिम समुदाय द्वारा अपनाया गया था। गायन पर बाद में रास दृश्य में प्रवेश किया। प्रारंभ में, सबसे गीतों भगवान कृष्ण के बारे में थे, लेकिन प्यार, वीर युद्ध लड़े जो योद्धाओं की प्रशंसा और देवी दुर्गा और यहां तक कि मुस्लिम रास गाने के बारे में गाने पैदा हुए थे। मूल भाव भी रूप में जल्दी १५ वीं सदी के रूप में दक्षिण पूर्व एशिया के मसाले के लिए भारतीय (और बाद में यूरोपीय व्यापारियों) द्वारा कारोबार किया गया है कि (के रूप में जाना जाता है) रेशम के धागे के साथ बुना प्रतिष्ठित डबल एकत्स में व्यापार वस्त्रों में प्रतिनिधित्व पाया जाता है। ज्यादातर गुजरात, भारत के पटोला केन्द्रों के सभी का सबसे प्रसिद्ध में जन्म लिया है। क्योंकि उनकी दुर्लभता और कथित मूल्य का, हम इंडोनेशियाई संग्रह से उभरते आज अस्तित्व में कुछ अभी भी है भाग्यशाली हैं। यह रास तेज हो गया है कि लगता है कि आम है, लेकिन यह मामला नहीं है। अनुग्रह और धीमी आंदोलनों बस के रूप में महत्वपूर्ण हैं। सी- ६० कैसेट के आगमन के साथ पूर्व दर्ज " गैर रोक " रास संगीत आया। जल्द ही यह शायद ही कभी आजकल दर्ज हैं जो व्यक्ति रास आइटम को पीछे छोड़ दिया। पश्चिमी ड्रम के डिस्को हरा और उपयोग से लोकप्रिय हो गया है, लेकिन आप अभी भी संगीतकारों केंद्र में बैठने जहां नवरात्रि के दौरान वडोदरा में ललित कला महाविद्यालय का दौरा करने और लोगों को उनके चारों ओर नृत्य करते हुए खेल सकते हैं। गुजराती फिल्में ५० और ६० की देर में दृश्य में प्रवेश किया। यह फिल्म उद्योग से भारी उधार के रूप में रास एक अलग रूप ले लिया। ऐसे पुरुषों के ऊपर से विस्तार एक रस्सी को एक हाथ टाई और दूसरे हाथ में एक छड़ी आयोजित करेंगे जहां महुवा के शहर में एक के रूप में रास के अन्य विशिष्ट रूप हैं। यह देवी दुर्गा की प्रशंसा में सख्ती से था। आप व्यापक परिभाषा का उपयोग करते हैं, यहां तक कि " मंजिरा " रास पास करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। " मंजिरा " के साथ रास में विशेषज्ञ है कि समुदाय हैं। सिर्फ ब्रिटिश पुलिस की तरह, " तारनेतर " पर नाच कुछ पुरुषों मोजे जैसी, उनके पैरों के आसपास कपड़े का रंगीन बैंड पहनते थे। मुंबई शहर डांडिया रास की अपनी खुद की शैली विकसित की। अब, नवरात्रि के दौरान लोगों को डांडिया उपयोग करें, लेकिन यह अधिक एक फ्री स्टाइल नृत्य की तरह करते हैं। रास के दौरान " सिर युवाओं के बीच संयुक्त राज्य अमेरिका में लोकप्रिय है, लेकिन लगता है कि गुजराती फिल्मों से पहुंचे। सिर नर्तकियों के लिए, गायकों के लिए नहीं था। वेशभूषा और संगीत महिलाओं के इस तरह के दर्पण का काम है और भारी गहने के साथ चमकदार पारंपरिक पोशाक है जो रंगीन कढ़ाई चोली, घाघरा और, के रूप में पारंपरिक कपड़े पहनते हैं। पुरुषों विशेष पगड़ी और कय्दिअस पहनते हैं, लेकिन क्षेत्र से क्षेत्र तक हो सकती है। नर्तकियों चक्कर और ड्रम की धड़कन की एक बहुत कुछ के साथ संगीत की धुन पर एक नृत्य ढंग से अपने पैर और हथियारों की चाल। ढोल ऐसे ढोलक, तबला, के रूप में पूरक टक्कर उपकरण के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। सच नृत्य अत्यंत जटिल और ऊर्जावान हो जाता है। इन नृत्यों के दोनों फसल के समय के साथ जुड़े रहे हैं। अंतर डांडिया और गरबा के बीच गरबा और रास के बीच मुख्य अंतर यह है कि गरबा विभिन्न हाथ और पैर आंदोलनों के होते हैं, जबकि रास, (रंगीन सजाया छड़ें की जोड़ी) के साथ खेला जाता है। गरबा में लोगों की संख्या पर ऐसी कोई आवश्यकता नहीं है, जबकि डांडिया कदमों से ज्यादातर लोगों की भी संख्या की आवश्यकता होती है। बजाय लाठी के डांडिया के लिए, कभी कभी, लोगों को भी " तलवार " का उपयोग करें। डांडिया रास का परिपत्र आंदोलनों और अधिक जटिल गरबा की तुलना कर रहे हैं। लोग लाठी के साथ खेलते हैं, यह डांडिया खेलते समय सावधान रहना महत्वपूर्ण है। प्रवासी भारतीयों के बीच कहीं संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और में, रास संगीत के अन्य रूपों को शामिल करने के लिए विकसित किया गया है। यह ज्यादातर भारतीय मूल मिश्रण के कॉलेज के छात्रों को विभिन्न विषयों के साथ समन्वय मजबूत ड्रम धड़कता है और स्टंट के साथ रास संगीत, बिना रुके जहां एक शो मद है। कॉलेजिएट टीमों वे रचनात्मकता, कोरियोग्राफी और उत्पादन तत्वों सहित विभिन्न कारकों पर न्याय कर रहे हैं जहां विभिन्न राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं, पर प्रतिस्पर्धा.

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डोगरी भाषा

डोगरी भारत के जम्मू और कश्मीर प्रान्त में बोली जाने वाली एक भाषा है। वर्ष 2004 में इसे भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है। पश्चिमी पहाड़ी बोलियों के परिवार में, मध्यवर्ती पहाड़ी पट्टी की जनभाषाओं में, डोगरी, चंबयाली, मडवाली, मंडयाली, बिलासपुरी, बागडी आदि उल्लेखनीय हैं। डोगरी इस विशाल परिवार में कई कारणों से विशिष्ट जनभाषा है। इसकी पहली विशेषता यह है कि दूसरी बोलियों की अपेक्षा इसके बोलनेवालों की संख्या विशेष रूप से अधिक है। दूसरी यह कि इस परिवार में केवल डोगरी ही साहित्यिक रूप से गतिशील और सम्पन्न है। डोगरी की तीसरी विशिष्टता यह भी है कि एक समय यह भाषा कश्मीर रियासत तथा चंबा राज्य में राजकीय प्रशासन के अंदरूनी व्यवहार का माध्यम रह चुकी है। इसी भाषा के संबंध से इसके बोलने वाले डोगरे कहलाते हैं तथा डोगरी के भाषाई क्षेत्र को सामान्यतः "डुग्गर" कहा जाता है। .

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तमिल नाडु का इतिहास

आधुनिक भारत का तमिलनाडु नामक क्षेत्र में १५,००० ई॰ पूर्व से १०,००० ई॰ पूर्व के प्रागैतिहासिक काल से मानव सभ्यता के प्रमाण मिलते हैं। .

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तमिल भाषा

तमिल (தமிழ், उच्चारण:तमिऴ्) एक भाषा है जो मुख्यतः तमिलनाडु तथा श्रीलंका में बोली जाती है। तमिलनाडु तथा पुदुचेरी में यह राजभाषा है। यह श्रीलंका तथा सिंगापुर की कई राजभाषाओं में से एक है। .

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तमिल साहित्य का इतिहास

इसी शीर्षक के पुस्तक के लिए देखें तमिल साहित्य का इतिहास (पुस्तक) ---- तमिल भाषा का साहित्य अत्यन्त पुराना है। भारत में संस्कृत के अलावा तमिल का साहित्य ही सबसे प्राचीन साहित्य है। .

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तमिल खाना

Virundhu - ‘Sappadu’ served on a Banana leaf. ''See Image for extended descriptions''. Indian meals(Thali) served on either a Silver or Stainless steel plate. Filter coffee is very popular in and around Chennai (Madras). The South Indian Breakfast and meals served on a banana leaf. श्रेणी:भारतीय खाना श्रेणी:खान पान श्रेणी:तमिलनाडु.

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तमिलनाडु के जिले

यह सूची तमिलनाडु राज्य के जिलों की है:-.

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तुलू भाषा

तुलू भारत के कर्नाटक राज्य के पश्चिमी किनारे में स्थित दक्षिण कन्नड़ और उडुपि जिलों में तथा उत्तरी केरल के कुछ भागों में प्रचलित भाषा है। पहले तुलू ब्राह्मण वैदिक और संस्कृत साहित्य लिखने के लिये 'तिगलारि' नामक लिपि को उपयोग करते थे। लेकिन बहुत कम साहित्य तुलू भाषा में मिला है। पर आज इस लिपि को जाननेवाले बहुत कम हैं। पुरानी तिगलारि लिपि मलयालम लिपि से बहुत मिलती है। अब तुलू लिखने के लिये कन्नड़ लिपि का प्रयोग किया जाता है। यह पंच द्राविड भाषाओं में एक है। दक्षिण कन्नड और उडुपी जिलों की अधिकांश लोगों की मातृभाषा तुळु है। इसलिए ये दोनो जिले सम्मिलित रूप से तुलुनाडु नाम से जाने जाते हैं। केरल के कासरगोड जिले में भी बहुत लोग तुलू भाषा बोलते हैं। .

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त्रिपुरा का खाना

त्रिपुरा भोजन पूर्वोत्तर भारतीय राज्य त्रिपुरा में प्रदत्त भोजन का प्रकार है। त्रिपुरी अनिवार्य रूप से अविशिष्ट हैं और इसलिए मुख्य पाठ्यक्रम मुख्यतः मांस का उपयोग करते हुए तैयार होते हैं, लेकिन सब्जियों के अलावा। पारंपरिक त्रिपुरा भोजन को म्यूई बोरोक कहा जाता है। त्रिपुरी भोजन में एक महत्वपूर्ण घटक है, जिसे बरमा कहा जाता है, जो कि सूखे और मछली की किण्वित होती है। खाना स्वस्थ माना जाता है क्योंकि यह तेल के बिना तैयार किया जाता है। स्वाद बुद्धिमान, बरमा खट्टा पक्ष पर अधिक है त्रिपुरी के भोजन जैसे बांगुई चावल और मछली स्टॉज, बांस की मारियां, किण्वित मछली, स्थानीय जड़ी बूटियों, और मांस के रोस्ट्स राज्य के भीतर और बाहर बेहद लोकप्रिय हैं। त्रिपुरा की सांस्कृतिक विविधता आदिवासी और गैर-आदिवासी लोगों के भोजन की आदतों में परिलक्षित होती है। शहरी केंद्रों में रेस्तरां में भव्य मसालेदार भोजन या दो या तीन किस्मों के चीनी व्यंजनों को छोड़कर, त्रिपुरा के गैर-आदिवासी बंगालियों चावल, मछली, चिकन, मटन और पोर्क पर रहते हैं, हालांकि मुस्लिमों का एक छोटा सा हिस्सा बीफ़ का उपभोग करता है राज्य में आसानी से उपलब्ध नहीं है हालांकि, गैर-आदिवासियों ने राज्य के भीतर काफी मात्रा में उपलब्ध मछलियों की मसालेदार करी बनाने और बांग्लादेश से आयात करने में काफी दर्द किया। मछली की सबसे लोकप्रिय और स्वादिष्ट तैयारियां, हालांकि, उबला हुआ 'इल्सा' सरसों के बीज और हरी मिर्च के साथ छिद्रित है। त्रिपुरा राज्य की परंपरागत व्यंजन म्यूई बोरोक है क्योंकि इसे प्यार से अपने लोगों द्वारा बुलाया जाता है। त्रिपुरियाई लोगों, बार्मा के पारंपरिक भोजन प्लेट में आपको हमेशा एक घटक मिल जाएगा। बरमा सूखे और मछली की किण्वित होती है जो निश्चित रूप से एक त्रिपुरा की पसंदीदा है। पकवान किसी भी तेल के बिना पकाया जाता है और इसलिए इसे बेहद स्वस्थ माना जाता है। बरमा आपकी जीभ पर नमकीन स्वाद के कलियों को बढ़ाएगी क्योंकि यह स्वाद में थोड़ा नमकीन और मसालेदार होता है। तीन तरफ से बांग्लादेश के साथ सीमा के होने के नाते, यह एक स्मार्ट अनुमान नहीं है कि त्रिपुरी भोजन की थाली बांग्लादेश की खाद्य संस्कृति से बेहद प्रेरित है। उत्तर-पूर्व भारत के गैर-आदिवासी बंगालियों के साथ राज्य प्रमुख रूप से आबादी है। राज्य में अधिकांश लोग लगभग मछली, चावल और सब्जियों पर रहते हैं। मटन, सूअर का मांस, और चिकन के व्यंजन के साथ मांस अपने आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। गैर-आदिवासी लोग बांग्लादेश से आयातित ताजा मछली के लिए सही मसालेदार करी तैयार करने के अपने दिन का एक अच्छा समय व्यतीत करते हैं। श्रेणी:त्रिपुरा.

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त्रिपुरा के जिले

यह सूची त्रिपुरा के जिलों की है:-.

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त्रिपुरा की संस्कृति

त्रिपुरा की संस्कृति, भारत के अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के मूल निवासी जनजातियों की संस्कृति जैसी ही है। यहाँ पर बंगाली संस्कृति का प्रभाव है। होजागिरी नृत्य करने के लिए तैयार त्रिपुरी बालाएँ। .

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तेलंगाना राष्ट्र समिति

तेलंगाना राष्ट्र समिति (तेरास) दक्षिण भारतीय राज्य तेलंगाना की क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी है जो वर्तमान में तेलंगाना राज्य में सरकार चला रही है। के॰ चंद्रशेखर राव पार्टी के अध्यक्ष और राज्य के पहले और वर्तमान मुख्यमंत्री है। .

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तेलंगाना के जिले

तेलंगाना के जिले: दक्षिण भारत में तेलंगाना राज्य 31 जिलों में विभाजित है। तेलंगाना राज्य में एक 'जिला' एक प्रशासनिक भौगोलिक इकाई है, जिसका नेतृत्व जिला कलेक्टर, भारतीय प्रशासनिक सेवा से संबंधित अधिकारी है। .

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तेलुगु देशम पार्टी

तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) भारत के आंध्र प्रदेश प्रांत की एक प्रमुख राजनैतिक पार्टी है। तेलुगू फिल्मों के अभिनेता एन टी रामाराव के जमाने में इस पार्टी का अभ्युदय हुआ था। बाद में चंद्रबाबू नायडू इसे नयी उँचाइयों पर ले गये। .

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तेलुगू भाषा

तेलुगु भाषा (तेलुगू:తెలుగు భాష) भारत के आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों की मुख्यभाषा और राजभाषा है। ये द्रविड़ भाषा-परिवार के अन्तर्गत आती है। यह भाषा आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के अलावा तमिलनाडु, कर्णाटक, ओडिशा और छत्तीसगढ़ राज्यों में भी बोली जाती है। तेलुगु के तीन नाम प्रचलित हैं -- "तेलुगु", "तेनुगु" और "आंध्र"। .

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तेलुगू साहित्य

तेलुगु का साहित्य (तेलुगु: తెలుగు సాహిత్యం / तेलुगु साहित्यम्) अत्यन्त समृद्ध एवं प्राचीन है। इसमें काव्य, उपन्यास, नाटक, लघुकथाएँ, तथा पुराण आते हैं। तेलुगु साहित्य की परम्परा ११वीं शताब्दी के आरम्भिक काल से शुरू होती है जब महाभारत का संस्कृत से नन्नय्य द्वारा तेलुगु में अनुवाद किया गया। विजयनगर साम्राज्य के समय यह पल्लवित-पुष्पित हुई। .

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तेलुगू सिनेमा

तेलुगु भाषा के फिल्म उद्योग को टॉलीवुड कहा जाता है। चिरन्जीवी, नागर्जुन आदि इसके नामचीन अभिनेता हैं। .

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थार मरुस्थल

थार मरुस्थल का दृष्य थार मरुस्थल भारत के उत्तरपश्चिम में तथा पाकिस्तान के दक्षिणपूर्व में स्थितहै। यह अधिकांश तो राजस्थान में स्थित है परन्तु कुछ भाग हरियाणा, पंजाब,गुजरात और पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांतों में भी फैला है। अरावली पहाड़ी के पश्चिमी किनारे पर थार मरुस्थल स्थित है। यह मरुस्थल बालू के टिब्बों से ढँका हुआ एक तरंगित मैदान है। .

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दिल्ली

दिल्ली (IPA), आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अंग्रेज़ी: National Capital Territory of Delhi) भारत का एक केंद्र-शासित प्रदेश और महानगर है। इसमें नई दिल्ली सम्मिलित है जो भारत की राजधानी है। दिल्ली राजधानी होने के नाते केंद्र सरकार की तीनों इकाइयों - कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका के मुख्यालय नई दिल्ली और दिल्ली में स्थापित हैं १४८३ वर्ग किलोमीटर में फैला दिल्ली जनसंख्या के तौर पर भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर है। यहाँ की जनसंख्या लगभग १ करोड़ ७० लाख है। यहाँ बोली जाने वाली मुख्य भाषाएँ हैं: हिन्दी, पंजाबी, उर्दू और अंग्रेज़ी। भारत में दिल्ली का ऐतिहासिक महत्त्व है। इसके दक्षिण पश्चिम में अरावली पहाड़ियां और पूर्व में यमुना नदी है, जिसके किनारे यह बसा है। यह प्राचीन समय में गंगा के मैदान से होकर जाने वाले वाणिज्य पथों के रास्ते में पड़ने वाला मुख्य पड़ाव था। यमुना नदी के किनारे स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। यह भारत का अति प्राचीन नगर है। इसके इतिहास का प्रारम्भ सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है। हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले हैं। महाभारत काल में इसका नाम इन्द्रप्रस्थ था। दिल्ली सल्तनत के उत्थान के साथ ही दिल्ली एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक शहर के रूप में उभरी। यहाँ कई प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतों तथा उनके अवशेषों को देखा जा सकता हैं। १६३९ में मुगल बादशाह शाहजहाँ ने दिल्ली में ही एक चारदीवारी से घिरे शहर का निर्माण करवाया जो १६७९ से १८५७ तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही। १८वीं एवं १९वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने लगभग पूरे भारत को अपने कब्जे में ले लिया। इन लोगों ने कोलकाता को अपनी राजधानी बनाया। १९११ में अंग्रेजी सरकार ने फैसला किया कि राजधानी को वापस दिल्ली लाया जाए। इसके लिए पुरानी दिल्ली के दक्षिण में एक नए नगर नई दिल्ली का निर्माण प्रारम्भ हुआ। अंग्रेजों से १९४७ में स्वतंत्रता प्राप्त कर नई दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों से लोगों का प्रवासन हुआ, इससे दिल्ली के स्वरूप में आमूल परिवर्तन हुआ। विभिन्न प्रान्तो, धर्मों एवं जातियों के लोगों के दिल्ली में बसने के कारण दिल्ली का शहरीकरण तो हुआ ही साथ ही यहाँ एक मिश्रित संस्कृति ने भी जन्म लिया। आज दिल्ली भारत का एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक केन्द्र है। .

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दिल्ली पुलिस

दिल्ली पुलिस राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था में संलग्न एक संस्थान है। दिल्ली पुलिस विश्व की सबसे बड़ी महानगरीय पुलिस बलों में से एक है। .

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दिल्ली सरकार

दिल्ली सरकार, भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सर्वोच्च नियंत्रक और प्रशासन प्राधिकारी है। इसमें एक कार्यपालक शाखा है, जिसके अध्यक्ष दिल्ली के लेफ़्टिनेंट गवर्नर, के संग एक न्यायपालिका रूप में दिल्ली उच्च न्यायालय और एक विधायिका है, जो विधान सभा में बैठती है। वर्तमान दिल्ली विधान सभा एकसदनीय है और इसमें ७० सदस्य हैं। .

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दिल्ली सल्तनत

सन् 1210 से 1526 तक भारत पर शासन करने वाले पाँच वंश के सुल्तानों के शासनकाल को दिल्ली सल्तनत (دلی سلطنت) या सल्तनत-ए-हिन्द/सल्तनत-ए-दिल्ली कहा जाता है। ये पाँच वंश ये थे- गुलाम वंश (1206 - 1290), ख़िलजी वंश (1290- 1320), तुग़लक़ वंश (1320 - 1414), सैयद वंश (1414 - 1451), तथा लोधी वंश (1451 - 1526)। इनमें से चार वंश मूलतः तुर्क थे जबकि अंतिम वंश अफगान था। मोहम्मद ग़ौरी का गुलाम कुतुब-उद-दीन ऐबक, गुलाम वंश का पहला सुल्तान था। ऐबक का साम्राज्य पूरे उत्तर भारत तक फैला था। इसके बाद ख़िलजी वंश ने मध्य भारत पर कब्ज़ा किया परन्तु भारतीय उपमहाद्वीप को संगठित करने में असफल रहा। इस सल्तनत ने न केवल बहुत से दक्षिण एशिया के मंदिरों का विनाश किया साथ ही अपवित्र भी किया,रिचर्ड ईटन (2000),, Journal of Islamic Studies, 11(3), pp 283-319 पर इसने भारतीय-इस्लामिक वास्तुकला के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दिल्ली सल्तनत मुस्लिम इतिहास के कुछ कालखंडों में है जहां किसी महिला ने सत्ता संभाली। १५२६ में मुगल सल्तनत द्वारा इस इस साम्राज्य का अंत हुआ। .

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दिल्ली का भूगोल

दिल्ली समुद्रतल से ७०० से १००० फीट की ऊँचाई पर हिमालय से १६० किलोमीटर दक्षिण में यमुना नदी के किनारे पर बसा है। दिल्ली २८ डिग्री ६१' उत्तरी अक्षांश तथा ७७ डिग्री २३' पूर्वी देशांतर पर स्थित है। यह उत्तर, पश्चिम एवं दक्षिण तीन तरफं से हरियाणा राज्य तथा पूरब में उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा घिरा हुआ है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र १,४८४ वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जिसमें शहरी क्षेत्र ७८३ वर्ग किलोमीटर तथा ग्रामीण क्षेत्र ७०० किलोमीटर है। इसकी अधिकतम लम्बाई ५१ किलोमीटर तथा अधिकतम चौड़ाई ४८.४८ किलोमीटर है। दिल्ली में यमुना नदी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में विस्तृत है, जिसमें से भाग ग्रामीण और भाग शहरी घोषित है। दिल्ली उत्तर-दक्षिण में अधिकतम है और पूर्व-पश्चिम में अधिकतम चौढ़ाई है। दिल्ली के अनुरक्षण हेतु तीन संस्थाएं कार्यरत है:-.

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दिल्ली का इतिहास

दिल्ली का लौह स्तम्भ दिल्ली को भारतीय महाकाव्य महाभारत में प्राचीन इन्द्रप्रस्थ, की राजधानी के रूप में जाना जाता है। उन्नीसवीं शताब्दी के आरंभ तक दिल्ली में इंद्रप्रस्थ नामक गाँव हुआ करता था। अभी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की देखरेख में कराये गये खुदाई में जो भित्तिचित्र मिले हैं उनसे इसकी आयु ईसा से एक हजार वर्ष पूर्व का लगाया जा रहा है, जिसे महाभारत के समय से जोड़ा जाता है, लेकिन उस समय के जनसंख्या के कोई प्रमाण अभी नहीं मिले हैं। कुछ इतिहासकार इन्द्रप्रस्थ को पुराने दुर्ग के आस-पास मानते हैं। पुरातात्विक रूप से जो पहले प्रमाण मिलते हैं उन्हें मौर्य-काल (ईसा पूर्व 300) से जोड़ा जाता है। तब से निरन्तर यहाँ जनसंख्या के होने के प्रमाण उपलब्ध हैं। 1966 में प्राप्त अशोक का एक शिलालेख(273 - 300 ई पू) दिल्ली में श्रीनिवासपुरी में पाया गया। यह शिलालेख जो प्रसिद्ध लौह-स्तम्भ के रूप में जाना जाता है अब क़ुतुब-मीनार में देखा जा सकता है। इस स्तंभ को अनुमानत: गुप्तकाल (सन ४००-६००) में बनाया गया था और बाद में दसवीं सदी में दिल्ली लाया गया।लौह स्तम्भ यद्यपि मूलतः कुतुब परिसर का नहीं है, ऐसा प्रतीत होता है कि यह किसी अन्य स्थान से यहां लाया गया था, संभवतः तोमर राजा, अनंगपाल द्वितीय (1051-1081) इसे मध्य भारत के उदयगिरि नामक स्थान से लाए थे। इतिहास कहता है कि 10वीं-11वीं शताब्दी के बीच लोह स्तंभ को दिल्ली में स्थापित किया गया था और उस समय दिल्ली में तोमर राजा अनंगपाल द्वितीय (1051-1081) था। वही लोह स्तंभ को दिल्ली में लाया था जिसका उल्लेख पृथ्वीराज रासो में भी किया है। जबकि फिरोजशाह तुगलक 13 शताब्दी मे दिल्ली का राजा था वो केसे 10 शताब्दी मे इसे ला सकता है। चंदरबरदाई की रचना पृथवीराज रासो में तोमर वंश राजा अनंगपाल को दिल्ली का संस्थापक बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि उसने ही 'लाल-कोट' का निर्माण करवाया था और लौह-स्तंभ दिल्ली लाया था। दिल्ली में तोमर वंश का शासनकाल 900-1200 इसवी तक माना जाता है। 'दिल्ली' या 'दिल्लिका' शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम उदयपुर में प्राप्त शिलालेखों पर पाया गया, जिसका समय 1170 ईसवी निर्धारित किया गया। शायद 1316 ईसवी तक यह हरियाणा की राजधानी बन चुकी थी। 1206 इसवी के बाद दिल्ली सल्तनत की राजधानी बनी जिसमें खिलज़ी वंश, तुग़लक़ वंश, सैयद वंश और लोधी वंश समते कुछ अन्य वंशों ने शासन किया। .

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दिल्ली के पर्यटन स्थल

दिल्ली के प्रमुख पर्यटन स्थलों में लाल किला, चाँदनी चौक, जामा मस्जिद, कुतुब मीनार, राष्ट्रपति भवन, संसद भवन आदि प्रमुख हैं। .

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दिल्ली के जिले और उपमंडल

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को कुल नौ जिले में बांटा हुआ है। हरेक जिले का एक उपायुक्त नियुक्त है और जिले के तीन उपजिले हैं। प्रत्येक उप जिले का एक उप जिलाधीश नियुक्त है। सभी उपायुक्त मंडलीय अधिकारी के अधीन होते हैं। दिल्ली का जिला प्रशासन सभी प्रकार की राज्य एवं केन्द्रीय नीतियों और का प्रवर्तन विभाग होता है। यही विभिन्न अन्य सरकारी कार्यकर्तृयों पर आधिकारिक नियंत्रण रखता है। निम्न लिखित दिल्ली के जिलों और उपजिलों की सूची है:- दिल्ली के जिले मध्य दिल्ली विहंगम दृश्य साउथ ब्लॉक, नई दिल्ली में भारत सरकार का रक्षा मंत्रालय और वित्त मंत्रालय है.

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दिल्ली की संस्कृति

दिल्ली हाट में प्रदर्शित परंपरागत पॉटरी उत्पाद। दिल्ली की संस्कृति यहां के लंबे इतिहास और भारत की राजधानी रूप में ऐतिहासिक स्थिति से पूर्ण प्रभावित रहा है। यह शहर में बने कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारकों से विदित है। भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग ने दिल्ली शहर में लगभग १२०० धरोहर स्थल घोषित किए हैं, जो कि विश्व में किसी भी शहर से कहीं अधिक है। और इनमें से १७५ स्थल राष्ट्रीय धरोहर स्थल घोषित किए हैं। पुराना शहर वह स्थान है, जहां मुगलों और तुर्क शासकों ने कई स्थापत्य के नमूने खडए किए हैं, जैसे जामा मस्जिद (भारत की सबसे बड़ी मस्जिद) और लाल किला। दिल्ली में फिल्हाल तीन विश्व धरोहर स्थल हैं – लाल किला, कुतुब मीनार और हुमायुं का मकबरा। अन्य स्मारकों में इंडिया गेट, जंतर मंतर (१८वीं सदी की खगोलशास्त्रीय वेधशाला), पुराना किला (१६वीं सदी का किला).

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दक्षिण एशिया

thumb दक्षिण एशिया एक अनौपचारिक शब्दावली है जिसका प्रयोग एशिया महाद्वीप के दक्षिणी हिस्से के लिये किया जाता है। सामान्यतः इस शब्द से आशय हिमालय के दक्षिणवर्ती देशों से होता है जिनमें कुछ अन्य अगल-बगल के देश भी जोड़ लिये जाते हैं। भारत, पाकिस्तान, श्री लंका और बांग्लादेश को दक्षिण एशिया के देश या भारतीय उपमहाद्वीप के देश कहा जाता है जिसमें नेपाल और भूटान को भी शामिल कर लिया जाता है। कभी कभी इसमें अफगानिस्तान और म्याँमार को भी जोड़ लेते हैं। दक्षिण एशिया के देशों का एक संगठन सार्क भी है जिसके सदस्य देश निम्नवत हैं.

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दक्षिण एशिया सहकारी पर्यावरण कार्यक्रम

दक्षिणी एशिया सहकारी पर्यावरण कार्यक्रम, जिसे एसएसीईपी (SACEP) भी कहा जाता है, दक्षिण एशियाई सरकारों द्वारा इस क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण, प्रबंधन और वृद्धि को बढ़ावा देने और समर्थन करने के लिए 1982 में स्थापित एक अंतर-सरकारी संगठन है। .

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दक्षिण एशियाई पाषाण युग

दक्षिण एशियाई पाषाण युग, नवपाषाण, मध्यपाषाण और पुरापाषाण युग का संयुक्त युग है। श्रेणी:पाषाण युग.

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दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) दक्षिण एशिया के आठ देशों का आर्थिक और राजनीतिक संगठन है। संगठन के सदस्य देशों की जनसंख्या (लगभग 1.5 अरब) को देखा जाए तो यह किसी भी क्षेत्रीय संगठन की तुलना में ज्यादा प्रभावशाली है। इसकी स्थापना ८ दिसम्बर १९८५ को भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव और भूटान द्वारा मिलकर की गई थी। अप्रैल २००७ में संघ के 14 वें शिखर सम्मेलन में अफ़ग़ानिस्तान इसका आठवा सदस्य बन गया। .

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दक्षिण भारत

भारत के दक्षिणी भाग को दक्षिण भारत भी कहते हैं। अपनी संस्कृति, इतिहास तथा प्रजातीय मूल की भिन्नता के कारण यह शेष भारत से अलग पहचान बना चुका है। हलांकि इतना भिन्न होकर भी यह भारत की विविधता का एक अंगमात्र है। दक्षिण भारतीय लोग मुख्यतः द्रविड़ भाषा जैसे तेलुगू,तमिल, कन्नड़ और मलयालम बोलते हैं और मुख्यतः द्रविड़ मूल के हैं। .

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दक्षिण भारतीय व्यंजन

दक्षिण भारतीय व्यंजन शब्द का प्रयोग भारत के चार दक्षिणी राज्यों आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में पाए जाने वाले व्यंजन के लिए होता है। .

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दक्षिणपूर्व एशिया पर भारतीय प्रभाव का इतिहास

२०० ईसापूर्व से ही दक्षिणपूर्व एशिया भारत द्वारा प्रभावित होता र्हा है। यह प्रभाव १५वीं शताब्दी तक अनवरत चलता रहा। उसके पश्चात स्थानीय राजनीति अधिक प्रभावी हो गयी। भारत ने दक्षिणपूर्व के राज्यों, जैसे बर्मा (ब्रह्मदेश), थाईलैण्ड (स्याम), इण्डोनेशिया, मलय प्रायद्वीप, कम्बोडिया (कम्बोज) और कुछ सीमा तक वियतनाम के साथ व्यापारिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक सम्बन्ध स्थापित किये थे। .

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दक्खिन के सल्तनत

दक्कनी सल्तनतों की स्थिति १५०० इस्वी के आसपास बहमनी सल्तनत का 1518 में विघटन हो गया जिसके फलस्वरूप - गोलकोण्डा, बीजापुर, बिदर, बिरार और अहमदनगर के राज्यों का उदय हुआ। इन पाँचों को सम्मिलित रूप से दक्कन सल्तनत कहा जाता था। श्रेणी:दक्षिण भारत का इतिहास श्रेणी:भारत का इतिहास.

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दक्कन का पठार

दक्कन का पठारदक्कन का पठार जिसे विशाल प्रायद्वीपीय पठार के नाम से भी जाना जाता है, भारत का विशालतम पठार है। दक्षिण भारत का मुख्य भू भाग इस ही पठार पर स्थित है। यह पठार त्रिभुजाकार है। इसकी उत्तर की सीमा सतपुड़ा और विन्ध्याचल पर्वत शृंखला द्वारा और पूर्व और पश्चिम की सीमा क्रमशः पूर्वी घाट एवं पश्चिमी घाट द्वारा निर्धारित होती है। यह पठार भारत के ८ राज्यो में फैला हुआ है। दक्कन शब्द संस्कृत के शब्द दक्षिण का अंग्रेजी अपभ्रंश शब्द डक्कन का हिन्दीकरण है। यह भारत भू भाग का सबसे विशाल खंड है! .

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द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम

द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (शाब्दिक अर्थ."द्रविड़ प्रगति संघ") जिसे द्रमुक नाम से भी जाना जाता है, तमिलनाडु की एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी है। इसका निर्माण जस्टिस पार्टी तथा द्रविड़ कड़गम से पेरियार से मतभेद के कारण हुआ था। इसके गठन की घोषणा १९४९ में हुई थी। इसका प्रमुख मुद्दा समाजिक समानता, खासकर हिन्दू जाति प्रथा के सन्दर्भ में, तथा द्रविड़ लोगो का प्रतिनिधित्व करना है। एम करुणानिधि अभी इसके प्रमुख है। श्रेणी:भारत के राजनीतिक दल श्रेणी:तमिल नाडु के राजनीतिक दल.

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द्रविड़ स्थापत्य शैली

'''द्रविड़ शैली''' दक्षिण भारतीय हिन्दू स्थापत्य कला की तीन में से एक शैली है। यह शैली दक्षिण भारत में विकसित होने के कारण द्रविड़ शैली कहलाती है। तमिलनाडु व निकटवर्ती क्षेत्रों के अधिकांश मंदिर इसी श्रेणी के होते हैं। .

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दूरशिक्षा परिषद

दूरशिक्षा परिषद (DEC) (अंग्रेज़ी:डिस्टेन्स एड्युकेशन काउन्सिल) नई दिल्ली, भारत में स्थित संगठन है, जो मुक्त विश्वविद्यालयों एवं दूरशिक्षा प्रणाली के समन्वय एवं विकास के लिये तथा उनके मानकों की स्थापना के लिये उत्तरदायी है। इस परिषद की स्थापना इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय अधिनियम (१९८५) के अन्तर्गत की गई थी। इसके वर्तमान अध्यक्ष प्रो॰वी एन राजशेखरन पिल्लै हैं। .

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देश

एक देश किसी भी जगह या स्थान है जिधर लोग साथ-साथ रहते है, और जहाँ सरकार होती है। संप्रभु राज्य एक प्रकार का देश है। संयुक्त राष्ट्र १९३ देशों को मानती है। .

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देसिया मुरपोक्कु द्रविड़ कड़गम

देशीया मुरपोक्कु द्रविड़ कलगम जिसे तेमुतिका नाम से भी जाना जाता है, तमिलनाडु की एक प्रमुख राजनीतिक दल है। विजयकान्त अभी इसके प्रमुख है। .

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धर्मनिरपेक्ष राज्य

एक धर्मनिरपेक्ष राज्य धर्मनिरपेक्षता की एक अवधारणा है, जिसके तहत एक राज्य या देश स्वयं को धार्मिक मामलों में आधिकारिक तौर पर, न धर्म और न ही अधर्म का समर्थन करते हुए, तटस्थ घोषित करता है। परंतु भारतीय वाङ्मय में धर्म शब्द का अर्थ अत्यंत व्यापक है। कर्तव्य, आचारसंहिता, नियम, रीति, रस्म, सांप्रदायिक आचार विचार, नैतिक आचरण, शिष्टाचार आदि का समावेश एक शब्द "धर्म" में ही हो जाता है। धर्म का अर्थ जीवनप्रणाली भी माना गया है। सेक्युलर शब्द का हिंदी अनुवाद करना दुष्कर प्रतीत होता है, तथापि उसके लिए कोई शब्द रखना अत्यावश्यक है। सेक्युलर शब्द का कुछ मिलता-जुलता या अनुवाद "लौकिक" हो सकता है। सेक्युलर के लिए लौकिक शब्द हिंदी में प्रचलित है। वास्तव में सेक्युलर शब्द के लिए हिंदी में अभी कोई उपयुक्त शब्द नहीं निकल पाया है। कालांतर में शब्द अपना रूप तथा भाव पकड़ लेते हैं। अतएव धर्मनिरपेक्ष तथा लौकिक शब्द का प्रयोग सेक्युलर के लिए यहाँ किया गया है। .

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नागालैण्ड के जिले

यह सूची नागालैंड के जिलों की है:-.

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निदेशक तत्त्व

किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र के निर्माण में मौलिक अधिकार तथा नीति निर्देश महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राज्य के नीति निर्देशक तत्व (directive principles of state policy) जनतांत्रिक संवैधानिक विकास के नवीनतम तत्व हैं। सर्वप्रथम ये आयरलैंड के संविधान मे लागू किये गये थे। ये वे तत्व है जो संविधान के विकास के साथ ही विकसित हुए है। इन तत्वों का कार्य एक जनकल्याणकारी राज्य (वेलफेयर स्टेट) की स्थापना करना है। .

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नियंत्रण रेखा

हरे रंग में दो पाकिस्तानी अधिकार क्षेत्र दिखाए गये हैं - फैडरली एड्मिनिस्टर्ड नॉर्थर्न एरियाज़ (एफ ए एन ए) उत्तर में, तथा आज़ाद जम्मू एवं कश्मीर (ए जे के) दक्षिण में। नारंगी रंग में भारतीय नियंत्रण वाले जम्मू कश्मीर राज्य को दिखाया गया है और हैचिंग किये क्षेत्र में चीनी नियंत्रण वाला अकसाई चिन क्षेत्र दिखाया गया है। नियंत्रण रेखा (अंग्रेज़ी:लाइन ऑफ कंट्रोल), भारत और पाकिस्तान के बीच खींची गयी ७४० किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है। यह रेखा दोनो देशों के बीच पिछले ५० वर्षों से विवाद का विषय बनी हुई है। वर्तमान नियंत्रण रेखा यहां १९४७ में दोनों देशों के बीच हुए युद्ध को विराम देकर तत्कालीन नियंत्रण स्थिति पर खींची गयी थी, जो आज भी लगभग वैसी ही है।। अमर उजाला तब कश्मीर के कई भागों में पाकिस्तान ने आक्रमण कर दिया था और भारतीय सेनाएं कश्मीर की सुरक्षा हेतु आगे आयीं थीं। उत्तरी भाग में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को कारगिल सैक्टर से पीछे श्रीनगर-लेह राजमार्ग तक पछाड़ दिया था। १९६५ में पाकिस्तान ने फिर आक्रमण किया किन्तु लड़ाई में गतिरोध उत्पन्न हुआ, जिसके चलते यथास्थिति १९७१ तक बनी रही। नियंत्रण रेखा का संयुक्त राज्य मानचित्र। सियाचिन हिमनद के निकट रेखा स्पष्ट नहीं की गयी है। १९७१ में बांग्लादेश युद्ध के उत्तर में पाकिस्तान ने फिर कश्मीर पर आक्रमण किया जिससे नियंत्रण रेखा के दोनों ओर दोनों ही देशों ने एक दूसरे की चौकियों पर नियंण्त्रण किया था। भारत को नियंत्रण रेखा के उत्तरी भाग में लद्दाख क्षेत्र से लगभग ३०० वर्ग मील भूमि मिली थी। ३ जुलाई, १९७२ में शिमला समझौते के परिणामस्वरूप शांतिवार्ता के बाद नियंत्रण रेखा को बहाळ किया गया। पारस्परिक समझौते में आपसी वार्ता से मामले के सुलझ जाने तक यथास्थिति बहाल रखे जाने की बात मानी गयी। यह प्रक्रिया कई माह तक चली और फील्ड कमाण्डरों अगले पांच माहों में लगभग बीस मानचित्र एक दूईसरे को दिये और अंततः कुछ समझौते हुए। फिर भी दोनों देशों के बीच समय समय पर छिटपुट युद्ध होते रहते हैं। साथ ही एक बड़ा युद्ध कार्गिल युद्ध भी हो चुका है। इस रेखा के भारतीय ओर इंडियन कश्मीर बैरियर है जो लंबा पृथक्करण अवरोध है और लंबी विवादित १९७२ लाइन ऑफ कंट्रोल (या सीज़फायर लाइन) पर बना है। यहां भारत द्वारा रेखा के काफी अंदर भारतीय नियंत्रण की ओर दोहरी बाड़ लगायी गई है। इसका उद्देश्य हथियारों की तस्करी और पाकिस्तानी आतंकवादियों व अलगाववादियों द्वारा घुसपैठ रोकना है। यह अवरोध दोहरी बाड़ और कन्सर्टीना तारों के ८-१२ फीट (२.४-३.७ मी.) ऊंचाई तक बना है और विद्युतीकृत है। इसमें गति-सेंसर, ताप-चित्र (थर्मल इमेजिंग) व अलार्म सायरनों का जाल है, जहां जहां विद्युत आपूर्ति उपलब्ध है। एक छोटा भाग ऐसा भि है, जिसमें दोनों बाड़ों के बीच खंदक भी खुदी हुई है। इस अवरोध का निर्माण १९९० के दशक में आरंभ हुआ था, जो २००० में पाक घुसपैठ के चलते कुछ धीमा पड़ गया था, किन्तु नवंबर, २००३ के बाद घोषित रुद्ध विराम के उपरांत फिर आरंभ हुआ और २००४ के अंत तक पूर्ण हुआ। कश्मीर घाटी और जम्मू क्षेत्र में बाड़ ३० सितंबर २००४ को पूर्ण हुई थी। भारतीय सेना स्रोतों व आंकड़ों के अनुसार इस अवरोध से पाक घुसपैठ में ८०% की कमी आयी है। यहीं से पहले पाक घुसपैठिये व आतंकवादी आकर भारतीय क्षेत्र में सैनिकों पर हमले किया करते थे। .

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निर्मला सीतारमन

निर्मला सीतारमन (Nirmala Seetharaman, நிர்மலா சீதாராமன்.) भारत की रक्षामंत्री हैं। सितंबर २०१७ में रक्षा मंत्री बनने से पहले वे भारत की वाणिज्य और उद्योग (स्वतंत्र प्रभार) तथा वित्त व कारपोरेट मामलों की राज्य मंत्री रह चुकी हैं। वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से संबद्ध हैं तथा पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रह चुकी हैं। निर्मला सीतारमन भारत की पहली पूर्णकालिक महिला रक्षा मंत्री हैं; हालांकि इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए अतिरिक्त कार्यभार के रूप में यह मंत्रालय संभाला था। .

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नई दिल्ली

नई दिल्ली भारत की राजधानी है। यह भारत सरकार और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के केंद्र के रूप में कार्य करता है। नई दिल्ली दिल्ली महानगर के भीतर स्थित है, और यह दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के ग्यारह ज़िलों में से एक है। भारत पर अंग्रेज शासनकाल के दौरान सन् 1911 तक भारत की राजधानी कलकत्ता (अब कोलकाता) था। अंग्रेज शासकों ने यह महसूस किया कि देश का शासन बेहतर तरीके से चलाने के लिए कलकत्ता की जगह यदि दिल्‍ली को राजधानी बनाया जाए तो बेहतर होगा क्‍योंकि य‍ह देश के उत्तर में है और यहां से शासन का संचालन अधिक प्रभावी होगा। इस पर विचार करने के बाद अंग्रेज महाराजा जॉर्ज पंचम ने देश की राजधानी को दिल्‍ली ले जाने के आदेश दे दिए। वर्ष 2011 में दिल्ली महानगर की जनसंख्या 22 लाख थी। दिल्ली की जनसंख्या उसे दुनिया में पाँचवीं सबसे अधिक आबादी वाला, और भारत का सबसे बड़ा महानगर बनाती है। क्षेत्रफल के अनुसार भी, दिल्ली दुनिया के बड़े महानगरों में से एक है। मुम्बई के बाद, वह देश का दूसरा सबसे अमीर शहर है, और दिल्ली का सकल घरेलू उत्पाद दक्षिण, पश्चिम और मध्य एशिया के शहरों में दूसरे नम्बर पर आता है। नई दिल्ली अपनी चौड़ी सड़कों, वृक्ष-अच्छादित मार्गों और देश के कई शीर्ष संस्थानो और स्थलचिह्नों के लिए जानी जाती है। 1911 के दिल्ली दरबार के दौरान, 15 दिसम्बर को शहर की नींव भारत के सम्राट, जॉर्ज पंचम ने रखी, और प्रमुख ब्रिटिश वास्तुकार सर एड्विन लुट्यन्स और सर हर्बर्ट बेकर ने इसकी रूपरेखा तैयार की। ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन द्वारा 13 फ़रवरी 1931 को नई दिल्ली का उद्घाटन हुआ। बोलचाल की भाषा में हालाँकि दिल्ली और नयी दिल्ली यह दोनों नाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के अधिकार क्षेत्र को संदर्भित करने के लिए के प्रयोग किये जाते हैं, मगर यह दो अलग-अलग संस्था हैं और नयी दिल्ली, दिल्ली महानगर का छोटा सा हिस्सा है। .

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नंद वंश

३२३ ईसा पूर्व में धनानन्द के शासनकाल में नन्दवंश का साम्राज्य अपनी चरम अवस्था में था नंदवंश प्राचीन भारत का एक नाई राजवंश था जिसने पाँचवीं-चौथी शताब्दी ईसा पूर्व उत्तरी भारत के विशाल भाग पर शासन किया। .

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नक्सलवाद

नक्सलवाद कम्युनिस्ट क्रांतिकारियों के उस आंदोलन का अनौपचारिक नाम है जो भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन के फलस्वरूप उत्पन्न हुआ। नक्सल शब्द की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल के छोटे से गाँव नक्सलबाड़ी से हुई है जहाँ भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के नेता चारू मजूमदार और कानू सान्याल ने 1967 मे सत्ता के खिलाफ़ एक सशस्त्र आंदोलन की शुरुआत की। मजूमदार चीन के कम्यूनिस्ट नेता माओत्से तुंग के बहुत बड़े प्रशंसकों में से थे और उनका मानना था कि भारतीय मज़दूरों और किसानों की दुर्दशा के लिये सरकारी नीतियाँ जिम्मेदार हैं जिसकी वजह से उच्च वर्गों का शासन तंत्र और फलस्वरुप कृषितंत्र पर वर्चस्व स्थापित हो गया है। इस न्यायहीन दमनकारी वर्चस्व को केवल सशस्त्र क्रांति से ही समाप्त किया जा सकता है। 1967 में "नक्सलवादियों" ने कम्युनिस्ट क्रांतिकारियों की एक अखिल भारतीय समन्वय समिति बनाई। इन विद्रोहियों ने औपचारिक तौर पर स्वयं को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से अलग कर लिया और सरकार के खिलाफ़ भूमिगत होकर सशस्त्र लड़ाई छेड़ दी। 1971 के आंतरिक विद्रोह (जिसके अगुआ सत्यनारायण सिंह थे) और मजूमदार की मृत्यु के बाद यह आंदोलन एकाधिक शाखाओं में विभक्त होकर कदाचित अपने लक्ष्य और विचारधारा से विचलित हो गया। आज कई नक्सली संगठन वैधानिक रूप से स्वीकृत राजनीतिक पार्टी बन गये हैं और संसदीय चुनावों में भाग भी लेते है। लेकिन बहुत से संगठन अब भी छद्म लड़ाई में लगे हुए हैं। नक्सलवाद के विचारधारात्मक विचलन की सबसे बड़ी मार आँध्र प्रदेश, छत्तीसगढ, उड़ीसा, झारखंड और बिहार को झेलनी पड़ रही है। .

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नौसेना

भारतीय नौसेना का लोगोनौसेना (Navy) किसी देश की संगठित समुद्री सेना को कहते हैं। इसके अंतर्गत रणपोत, क्रूज़र (cruiser), वायुयानवाहक, ध्वंसक, सुरंगें बिछाने तथा उन्हें नष्ट करने आदि के साधन एवं सैनिकों के अतिरिक्त, समुद्रतट पर निर्माण, देखभाल, पूर्ति तथा प्रशासन, कमान, आयोजन और अनुसंधान संस्थान भी सम्मिलित हैं। इस प्रकार नौसेना सरकार के सीधे नियंत्रण में स्थित सैनिक संगठन है, जिसके प्रशासन के लिए सरकार पृथक् विभागों की स्थापना करती है। नौशक्ति का उद्देश्य सैनिक और वाणिज्य की दृष्टि से समुद्री मार्ग का नियंत्रण करना है। नौसेना ऐसा साधन है जिससे राष्ट्र समुद्र के उपयोग पर अपना अधिकार तो रखते हैं, परंतु शत्रु को इस उपयोग से वंचित रखते हैं। नौसेना में अब वायुयान और नियंत्रित प्रक्षेप्यास्त्रों (guided missiles) का समावेश हो गया है, जिनसे शत्रु के देश के सुदूर आंतरिक भूभाग पर भी प्रहार किया जा सकता है। .

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नेपाली भाषा

नेपाली भाषा के क्षेत्र नेपाली भाषा या खस कुरा नेपाल की राष्ट्रभाषा था। यह भाषा नेपाल की लगभग ४४% लोगों की मातृभाषा भी है। यह भाषा नेपाल के अतिरिक्त भारत के सिक्किम, पश्चिम बंगाल, उत्तर-पूर्वी राज्यों (आसाम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय) तथा उत्तराखण्ड के अनेक भारतीय लोगों की मातृभाषा है। भूटान, तिब्बत और म्यानमार के भी अनेक लोग यह भाषा बोलते हैं। .

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नेपाली साहित्य

नेपाली साहित्य नेपाली भाषा का साहित्य है। यह साहित्य नेपाल, सिक्किम, दार्जिलिंग, भूटान, उत्तराखण्ड,असम आदि स्थानौं में प्रमुखतः लिखे जाते हैं। इस साहित्य में ज्यादातार पहाडी खस ब्राह्मण अर्थात बाहुन जाति के हैं। आदिकवि भानुभक्त आचार्य, महाकवि लक्ष्मी प्रसाद देवकोटा, कविशिरोमणि लेखनाथ पौड्याल, राष्ट्रकवि माधव प्रसाद घिमिरे, मोतीराम भट्ट, हास्यकार भैरव अर्याल, आदि श्रेष्ठतम नेपाली साहित्यकार बाहुन (पहाडी ब्राह्मण) समुदाय के थे। भारत का पड़ोसी देश होने के नाते नेपाल में भी भारत से चली खुलेपन की ताज़ी हवा बराबर पहुँचती रही है और उसके साहित्य पर भी समय-समय पर विभिन्न वादों और साहित्यिक आंदोलनों का पराभूत प्रभाव रहा है। हिन्दी कविता की तरह नेपाली कविता में भी छायावाद,रहस्यवाद, प्रगतिवाद और प्रयोगवाद की तमाम विशेषताएँ मिलती है। प्रकृति, सौन्दर्य, शृंगार और नारी-मन की सुकोमल अभिव्यक्ति के साथ ही जीवन-संघर्ष की आधुनिकतम समस्याओं को वाणी देने में भी नेपाली कवि किसी से पीछे नहीं रहे हैं। आज नेपाली कविता में समय-सापेक्षता, सामाजर्थिक दबाब तथा जीवन का व्यर्थता बोध आदि प्रबरीतियों को जो प्रमुखता मिली हुयी है, वह उसकी इसी शानदार विरासत का प्रतिफल है। .

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पश्चिम बंगाल के जिले

पश्चिम बंगाल में 23 जिले है —, दक्षिण 24 परगना, उत्तर दिनाजपुर जिला, कूचबिहार जिला, कोलकाता जिला, जलपाईगुङी जिला, दार्जिलिंग जिला, नादिया जिला, पश्चिम मेदिनीपुर जिला, पुरूलिया जिला, पूर्व मेदिनीपुर जिला,बाँकुड़ा जिला, बीरभूम जिला, मालदह जिला, मुर्शिदाबाद जिला, वर्धमान जिला, हावङा जिला और हुगली जिलापश्चिमी वर्धमान जिलादक्षिणी दिनाजपुर जिला कलिम्पोग जिलाझाड़ग्राम जिलाअलीपुरद्रार जिलाउत्तर 24 परगना जिला श्रेणी:बंगाल.

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पश्चिमी भारत

पश्चिमी भारत क्षेत्र में भारत के महाराष्ट्र, गोआ और गुजरात राज्य तथा दादरा एवं नगर हवेली एवं दमन एवं दीव केन्द्र शासित प्रदेश आते हैं। यह क्षेत्र उच्चस्तरीय औद्योगिक तथा आवासित है।.

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पाट्टाली मक्कल कॉची

पाट्टाली मक्कल कच्ची (பாட்டாளி மக்கள் கட்சி), तमिलनाडु के एक राजनीतिक पार्टी। इसे एस रामदास ने स्थापित किया था। श्रेणी:भारत के राजनीतिक दल श्रेणी:तमिलनाडु श्रेणी:भारतीय राजनीति श्रेणी:तमिल नाडु के राजनीतिक दल.

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पारसी खाना

श्रेणी:भारतीय खाना श्रेणी:खान पान.

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पाल साम्राज्य

पाल साम्राज्य हर्ष के समय के बाद से उत्तरी भारत के प्रभुत्व का प्रतीक कन्नौज माना जाता था। बाद में यह स्थान दिल्ली ने प्राप्त कर लिया। पाल साम्राज्य की नींव 750 ई. में 'गोपाल' नामक राजा ने डाली। बताया जाता है कि उस क्षेत्र में फैली अशान्ति को दबाने के लिए कुछ प्रमुख लोगों ने उसको राजा के रूप में चुना। इस प्रकार राजा का निर्वाचन एक अभूतपूर्व घटना थी। इसका अर्थ शायद यह है कि गोपाल उस क्षेत्र के सभी महत्त्वपूर्ण लोगों का समर्थन प्राप्त करने में सफल हो सका और इससे उसे अपनी स्थिति मज़बूत करन में काफ़ी सहायता मिली। पाल वंश का सबसे बड़ा सम्राट 'गोपाल' का पुत्र 'धर्मपाल' था। इसने 770 से लेकर 810 ई. तक राज्य किया। कन्नौज के प्रभुत्व के लिए संघर्ष इसी के शासनकाल में आरम्भ हुआ। इस समय के शासकों की यह मान्यता थी कि जो कन्नौज का शासक होगा, उसे सम्पूर्ण उत्तरी भारत के सम्राट के रूप में स्वीकार कर लिया जाएगा। कन्नौज पर नियंत्रण का अर्थ यह भी थी कि उस शासक का, ऊपरी गंगा घाटी और उसके विशाल प्राकृतिक साधनों पर भी नियंत्रण हो जाएगा। पहले प्रतिहार शासक 'वत्सराज' ने धर्मपाल को पराजित कर कन्नौज पर अधिकार प्राप्त कर लिया। पर इसी समय राष्ट्रकूट सम्राट 'ध्रुव', जो गुजरात और मालवा पर प्रभुत्व के लिए प्रतिहारों से संघर्ष कर रहा था, उसने उत्तरी भारत पर धावा बोल दिया। काफ़ी तैयारियों के बाद उसने नर्मदा पार कर आधुनिक झाँसी के निकट वत्सराज को युद्ध में पराजित किया। इसके बाद उसने आगे बढ़कर गंगा घाटी में धर्मपाल को हराया। इन विजयों के बाद यह राष्ट्रकूट सम्राट 790 में दक्षिण लौट आया। ऐसा लगता है कि कन्नौज पर अधिकार प्राप्त करने की इसकी कोई विशेष इच्छा नहीं थी और ये केवल गुजरात और मालवा को अपने अधीन करने के लिए प्रतिहारों की शक्ति को समाप्त कर देना चाहता था। वह अपने दोनों लक्ष्यों में सफल रहा। उधर प्रतिहारों के कमज़ोर पड़ने से धर्मपाल को भी लाभ पहुँचा। वह अपनी हार से शीघ्र उठ खड़ा हुआ और उसने अपने एक व्यक्ति को कन्नौज के सिंहासन पर बैठा दिया। यहाँ उसने एक विशाल दरबार का आयोजन किया। जिसमें आस-पड़ोस के क्षेत्रों के कई छोटै राजाओं ने भाग लिया। इनमें गांधार (पश्चिमी पंजाब तथा काबुल घाटी), मद्र (मध्य पंजाब), पूर्वी राजस्थान तथा मालवा के राजा शामिल थे। इस प्रकार धर्मपाल को सच्चे अर्थों में उत्तरपथस्वामिन कहा जा सकता है। प्रतिहार साम्राज्य को इससे बड़ा धक्का लगा और राष्ट्रकूटों द्वारा पराजित होने के बाद वत्सराज का नाम भी नहीं सुना जाता। विषय सूची इन तीनों साम्राज्यों के बीच क़रीब 200 साल तक आपसी संघर्ष चला। एक बार फिर कन्नौज के प्रभुत्व के लिए धर्मपाल को प्रतिहार सम्राट 'नागभट्ट' द्वितीय से युद्ध करना पड़ा। ग्वालियर के निकट एक अभिलेख मिला है, जो नागभट्ट की मृत्यु के 50 वर्षों बाद लिखा गया और जिसमें उसकी विजय की चर्चा की गई है। इसमें बताया गया है कि नागभट्ट द्वितीय ने मालवा तथा मध्य भारत के कुछ हिस्सों पर विजय प्राप्त की तथा 'तुरुष्क तथा सैन्धव' को पराजित किया जो शायद सिंध में अरब शासक और उनके तुर्की सिपाही थे। उसने बंग सम्राट को, जो शायद धर्मपाल था, को भी पराजित किया और उसे मुंगेर तक खदेड़ दिया। लेकिन एक बार फिर राष्ट्रकूट बीच में आ गए। राष्ट्रकूट सम्राट गोविन्द तृतीय ने उत्तरी भारत में अपने पैर रखे और नागभट्ट द्वितीय को पीछे हटना पड़ा। बुंदेलखण्ड के निकट एक युद्ध में गोविन्द तृतीय ने उसे पराजित कर दिया। लेकिन एक बार पुनः राष्ट्रकूट सम्राट मालवा और गुजरात पर अधिकार प्राप्त करने के बाद वापस दक्षिण लौट आया। ये घटनाएँ लगभग 806 से 870 ई. के बीच हुई। जब पाल शासक कन्नौज तथा ऊपरी गंगा घाटी पर अपना प्रभुत्व क़ायम करने में असफल हुए, तो उन्होंने अन्य क्षेत्रों की तरफ अपना ध्यान दिया। धर्मपाल के पुत्र देवपाल ने, जो 810 ई. में सिंहासन पर बैठा और 40 वर्षों तक राज्य किया, प्रागज्योतिषपुर (असम) तथा उड़ीसा के कुछ क्षेत्रों में अपना प्रभाव क़ायम कर लिया। नेपाल का कुछ हिस्सा भी शायद पाल सम्राटों के अधीन था। देवपाल की मृत्यु के बाद पाल साम्राज्य का विघटन हो गया। पर दसवीं शताब्दी के अंत में यह फिर से उठ खड़ा हुआ और तेरहवीं शताब्दी तक इसका प्रभाव क़ायम रहा। अरब व्यापारी सुलेमान के अनुसार 1 अरब व्यापारी सुलेमान के अनुसार:- पाल वंश के आरम्भ के शासकों ने आठवीं शताब्दी के मध्य से लेकर दसवीं शताब्दी के मध्य, अर्थात क़रीब 200 वर्षों तक उत्तरी भारत के पूर्वी क्षेत्रों पर अपना प्रभुत्व क़ायम रखा। दसवीं शताब्दी के मध्य में भारत आने वाले एक अरब व्यापारी सुलेमान ने पाल साम्राज्य की शक्ति और समृद्धि की चर्चा की है। उसने पाल राज्य को 'रूहमा' कहकर पुकारा है (यह शायद धर्मपाल के छोटे रूप 'धर्म' पर आधारित है) और कहा है कि पाल शासक और उसके पड़ोसी राज्यों, प्रतिहारों और राष्ट्रकूटों में लड़ाई चलती रहती थी, लेकिन पाल शासन की सेना उसके दोनों शत्रुओं की सेनाओं से बड़ी थी। सुलेमान ने बताया है कि पाल शासक 50 हज़ार हाथियों के साथ युद्ध में जाता था और 10 से 15 हज़ार व्यक्ति केवल उसके सैनिकों के कपड़ों को धोने के लिए नियुक्त थे। इससे उसकी सेना का अनुमान लगाया जा सकता है। पाल वंश के बारे में हमें तिब्बती ग्रंथों से भी पता चलता है, यद्यपि यह सतरहवीं शताब्दी में लिखे गए। इनके अनुसार पाल शासक बौद्ध धर्म तथा ज्ञान को संरक्षण और बढ़ावा देते थे। नालन्दा विश्वविद्यालय को, जो सारे पूर्वी क्षेत्र में विख्यात है, धर्मपाल ने पुनः जीवित किया और उसके खर्चे के लिए 200 गाँवों का दान दिया। उसने विक्रमशिला विश्‍वविद्यालय की भी स्थापना की। जिसकी ख्याति केवल नालन्दा के बाद है। यह मगध में गंगा के निकट एक पहाड़ी चोटी पर स्थित था। पाल शासकों ने कई बार विहारों का भी निर्माण किया जिसमें बड़ी संख्या में बौद्ध रहते थे। पाल शासक और तिब्बत पाल शासकों के तिब्बत के साथ भी बड़े निकट के सांस्कृतिक सम्बन्ध थे। उन्होंने प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान सन्तरक्षित तथा दीपकर (जो अतिसा के नाम से भी जाने जाते हैं) को तिब्बत आने का निमंत्रण दिया और वहाँ उन्होंने बौद्ध धर्म के एक नए रूप को प्रचलित किया। नालन्दा तथा विक्रमशील विश्वविद्यालयों में बड़ी संख्या में तिब्बती विद्वान बौद्ध अध्ययन के लिए आते थे। पाल शासकों के दक्षिण पूर्व एशिया के साथ आर्थिक तथा व्यापारिक सम्बन्ध थे। दक्षिण पूर्व एशिया के साथ उनका व्यापार उनके लिए बड़ा लाभदायक था और इससे पाल साम्राज्य की समृद्धि बढ़ी। मलाया, जावा, सुमात्रा तथा पड़ोसी द्वीपों पर राज्य करने वाले शैलेन्द्र वंश के बौद्ध शासकों ने पाल-दरबार में अपने राजदूतों को भेजा और नालन्दा में एक मठ की स्थापना की अनुमति माँगी। उन्होंने पाल शासक देवपाल से इस मठ के खर्च के लिए पाँच ग्रामों का अनुदान माँगा। देवपाल ने उसका यह अनुरोध स्वीकार कर लिया। इससे हमें इन दोनों के निकट सम्बन्धों के बारे में पता चलता है। धर्मपाल (७७०-८१० ई.)- गोपाल के बाद उसका पुत्र धर्मपाल ७७० ई. में सिंहासन पर बैठा। धर्मपाल ने ४० वर्षों तक शासन किया। धर्मपाल ने कन्‍नौज के लिए त्रिदलीय संघर्ष में उलझा रहा। उसने कन्‍नौज की गद्दी से इंद्रायूध को हराकर चक्रायुध को आसीन किया। चक्रायुध को गद्दी पर बैठाने के बाद उसने एक भव्य दरबार का आयोजन किया तथा उत्तरापथ स्वामिन की उपाधि धारण की। धर्मपाल बौद्ध धर्मावलम्बी था। उसने काफी मठ व बौद्ध विहार बनवाये। उसने भागलपुर जिले में स्थित विक्रमशिला विश्‍वविद्यालय का निर्माण करवाया था। उसके देखभाल के लिए सौ गाँव दान में दिये थे। उल्लेखनीय है कि प्रतिहार राजा नागभट्ट द्वितीय एवं राष्ट्रकूट राजा ध्रुव ने धर्मपाल को पराजित किया था। देवपाल (८१०-८५० ई.)- धर्मपाल के बाद उसका पुत्र देवपाल गद्दी पर बैठा। इसने अपने पिता के अनुसार विस्तारवादी नीति का अनुसरण किया। इसी के शासनकाल में अरब यात्री सुलेमान आया था। उसने मुंगेर को अपनी राजधानी बनाई। उसने पूर्वोत्तर में प्राज्योतिषपुर, उत्तर में नेपाल, पूर्वी तट पर उड़ीसा तक विस्तार किया। कन्‍नौज के संघर्ष में देवपाल ने भाग लिया था। उसके शासनकाल में दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ भी मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध रहे। उसने जावा के शासक बालपुत्रदेव के आग्रह पर नालन्दा में एक विहार की देखरेख के लिए ५ गाँव अनुदान में दिए। श्रेणी:भारत के राजवंश श्रेणी:पाल राजवंश.

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पालि भाषा का साहित्य

पालि साहित्य में मुख्यत: बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान् बुद्ध के उपदेशों का संग्रह है। किंतु इसका कोई भाग बुद्ध के जीवनकाल में व्यवस्थित या लिखित रूप धारण कर चुका था, यह कहना कठिन है। .

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पंचायत समिति (ब्लॉक)

पंचायत समिति तहसील (तालुक) के रूप में भारत में सरकार की स्थानीय इकाई होती है। यह उस तहसील के सभी गाँवों पर सामान रूप से कार्य करता है और इसको प्रशासनिक ब्लॉक भी कहते हैं। यह ग्राम पंचायत और जिला परिषद के मध्य की कड़ी होती है। इस संस्था का विभिन्न राज्यों में भिन्न नाम हैं। उदाहरण के लिए आंध्र प्रदेश में इसे मंडल प्रजा परिषद्, गुजरात में तालुका पंचायत और कर्नाटक में मंडल पंचायत के नाम से जाना जाता है। .

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पंचायती राज

पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम, तालुका और जिला आते हैं। भारत में प्राचीन काल से ही पंचायती राज व्यवस्था आस्तित्व में रही हैं। आधुनिक भारत में प्रथम बार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा राजस्थान के नागौर जिले के बगदरी गाँव में 2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई। .

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पंजाब पुलिस (भारत)

पंजाब पुलिस भारत के उत्तर-पश्चिमी राज्य पंजाब में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिये जिम्मेदार संस्था है। पंजाब पुलिस का ध्येय और लक्ष्य अपराध रोकना, भारत के संविधान को अपने अधिकार क्षेत्र में लागू कराना, कानून व्यवस्था बनाए रखना व अपराधियों को कानून के दायरे में सजा दिलाना है। पंजाब पुलिस के वर्तमान प्रमुख सुरेश अरोड़ा हैं। सितम्बर 7, 2011 को पंजाब पुलिस ने प्रवासी भारतीयों के समस्याओं के समाधान के लिये वीडियो कॉंन्फ्रेंसिग की सुविधा शुरु की। .

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पंजाब का इतिहास

पंजाब शब्द का सबसे पहला उल्लेख इब्न-बतूता के लेखन में मिलता है, जिसनें 14वीं शताब्दी में इस क्षेत्र की यात्रा की थी। इस शब्द का 16वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में व्यापक उपयोग होने लगा, और इस शब्द का प्रयोग तारिख-ए-शेरशाही सूरी (1580) नामक किताब में किया गया था, जिसमें "पंजाब के शेरखान" द्वारा एक किले के निर्माण का उल्लेख किया गया था। 'पंजाब' के संस्कृत समकक्षों का पहला उल्लेख, ऋग्वेद में "सप्त सिंधु" के रूप में होता है। यह नाम फिर से आईन-ए-अकबरी (भाग 1) में लिखा गया है, जिसे अबुल फजल ने लिखा था, उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि पंजाब का क्षेत्र दो प्रांतों में विभाजित है, लाहौर और मुल्तान। इसी तरह आईन-ए-अकबरी के दूसरे खंड में, एक अध्याय का शीर्षक इसमें 'पंजाद' शब्द भी शामिल है। मुगल राजा जहांगीर ने तुज-ए-जान्हगेरी में भी पंजाब शब्द का उल्लेख किया है। पंजाब, जो फारसी भाषा की उत्पत्ति है और भारत में तुर्की आक्रमणकारियों द्वारा प्रयोग किया जाता था। पंजाब का शाब्दिक अर्थ है "पांच" (पंज) "पानी" (अब), अर्थात पांच नदियों की भूमि, जो इस क्षेत्र में बहने वाली पाँच नदियां का संदर्भ देते हैं। अपनी उपज भूमि के कारण इसे ब्रिटिश भारत का भंडारगृह बनाया गया था। वर्तमान में, तीन नदियाँ पंजाब (पाकिस्तान) में बहती हैं, जबकि शेष दो नदियाँ हिमाचल प्रदेश और पंजाब (भारत) से निकलती है, और अंततः पाकिस्तान में चली जाता है। .

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पंजाब के जिले

यह पंजाब के जिलों की सूची है:-.

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पंजाबी भाषा

पंजाबी (गुरमुखी: ਪੰਜਾਬੀ; शाहमुखी: پنجابی) एक हिंद-आर्यन भाषा है और ऐतिहासिक पंजाब क्षेत्र (अब भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजित) के निवासियों तथा प्रवासियों द्वारा बोली जाती है। इसके बोलने वालों में सिख, मुसलमान और हिंदू सभी शामिल हैं। पाकिस्तान की १९९८ की जनगणना और २००१ की भारत की जनगणना के अनुसार, भारत और पाकिस्तान में भाषा के कुल वक्ताओं की संख्या लगभग ९-१३ करोड़ है, जिसके अनुसार यह विश्व की ११वीं सबसे व्यापक भाषा है। कम से कम पिछले ३०० वर्षों से लिखित पंजाबी भाषा का मानक रूप, माझी बोली पर आधारित है, जो ऐतिहासिक माझा क्षेत्र की भाषा है। .

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पंजाबी साहित्य

पंजाबी साहित्य का आरंभ कब से होता है, इस विषय में विद्वानों का मतैक्य नहीं है। फरीद को पंजाबी का आदि कवि कहा जाता है; किंतु यदि इस बात को स्वीकार किया जाय कि जिन फरीद की बाणी "आदि ग्रंथ" में संगृहीत है वे फरीद सानी ही थे तो कहना पड़ेगा कि 16वीं शती से पहले का पंजाबी साहित्य उपलब्ध नहीं है। इस दृष्टि से गुरु नानक को ही पंजाबी का आदि कवि मानना होगा। "आदि ग्रंथ" पंजाबी का आदि ग्रंथ है। इसमें सात गुरुओं और 16 भक्तों की वाणियाँ संगृहीत हैं। पदों की कुल संख्या 3384 है। गुरु नानक की रचनाओं में सर्वप्रसिद्ध "जपुजी" है; इसके अतिरिक्त "आसा दी वार," "सोहिला" और "रहिरास" तथा लगभग 500 फुटकर पद और है। भाव और अभिव्यक्ति एवं कला और संगीत की दृष्टि से यह बाणी अत्यंत सुंदर और प्रभावपूर्ण है। भक्ति में "सिमरन" और जीवन में "सेवा" नानक की वाणी के दो प्रमुख स्वर हैं। परवर्ती सिक्ख गुरुओं ने गुरु नानक के भावों की प्राय: अनुकृति और व्याख्या की है। गुरु रामदास (1534-1581 ई.) की कविता में काव्यगुण अधिक है। गुरु अर्जुनदेव (1561-1606 ई.) की वाणी में ज्ञान और विचार की प्रधानता है। "आदि" ग्रंथ में सबसे अधिक पद (1000 से कुछ ऊपर) इन्हीं के हैं। यह बात विशेषत: उल्लेखनीय है कि पूरे ग्रंथ में कुल मिलाकर 350-400 पद पंजाबी के होंगे। गुरु गोविंदसिंह के "दशम ग्रंथ" में भी "चंडी दी वार" एकमात्र पंजाबी की कृति है, जो सिरखंडी छंद में रचना है। इसमें दुर्गा देवी और दैत्यों के युद्ध का वर्णन है। सिक्ख गुरुओं के अतिरिक्त भाई गुरुदास (1558-1637 ई.) की वाणी को गुरुमत साहित्य के अंतर्गत मान्यता दी जाती है। उनके कवित्त और सवैए ब्रजभाषा में हैं, वारें और गीत शुद्ध साहित्यिक पंजाबी में हैं। सूफी कवियों में फरीद के बाद लुत्फ अली का नाम आता है। इनकी रचना "सैफलमलूक" संवेदना, वैराग्य भावना और सरसता के लिए बहुत प्रसिद्ध है। परवर्ती सूफियों पर इसका बहुत अधिक प्रभाव रहा है। प्रेम, विरह और वैराग्य से भरे शाह हुसेन लाहौरी (1538-1599 ई.) के गीत बड़े प्रभावोत्पादक और कवित्वपूर्ण हैं। इनकी काफियों में निरपेक्ष प्रेम का स्वर है। इस्लाम की शरअ से विद्रोह करनेवाला दूसरा कवि सुल्तान बाहू (1629-1690 ई.) हुआ है। इसने अपनी "सीहर्फियों" में अहंकार के त्याग, गुरु की कृपा और सहायता, अंतर्निरीक्षण और आत्मचिंतन पर बल दिया है और उस दुनिया में रहने की आकांक्षा प्रकट की है जहाँ "मैं" और "मेरे" का बखेड़ा नहीं है। शाह शरफ की काफियों में रूपकों द्वारा इश्क हकीकी के रहस्य समझाए गए हैं। पंजाबी सूफी साहित्य के प्रसिद्धतम कवि बुल्लेशाह कसूरी प्रेम, साधना और मिलन के साधक हैं। उनकी कविता की सबे बड़ी विशेषता है भाषा का ओज और प्रभाव। अली हैदर (1690-1785 ई.) की सीहफिंयाँ और काफियाँ कुछ दुरूह और दार्शनिक होने के कारण सर्वप्रिय नहीं हैं। परवर्ती सूफियों में वजीद, फरीद (1720-90 ई.), गुलाम जीलानी (1749-1819), हाशिम (1753-1823), बहादुर (1750-1850 ई.) आदि प्रसिद्ध हैं। पंजाबी सूफी साहत्य प्राय: गेय मुक्तक काव्य है। इस युग का लौकिक साहित्य विशेषतया वारों और शृंगाररसप्रधान किस्सों के रूप में उपलब्ध है। हीर राँझा का किस्सा सबसे अधिक पुरातन और प्रसिद्ध है। सबसे श्रेष्ठ रचना बारिस शाह (1738-1798 ई.) की "हीर" है। वारिस शाह बड़े अनुभवी, प्रतिभाशाली और बहुज्ञ कवि थे। भाषा पर उनका पूर्ण अधिकार था। "मिरजा साहिबाँ" की प्रेमकथा को भी कई कवियों ने काव्यबद्ध किया, पर सबसे पुरातन और उत्तम किस्सा जहाँगीर और शाहजहाँ के राज्यकाल में पीलू ने लिखा। पीलू के बाद हाफिज बरखुरदार ने भी मिरजासाहिबाँ का किस्सा लिखा। उसने "यूसूफ-जुलेखा" और "सस्सी पुन्नू" की प्रेमकथाएँ भी लिखीं। सस्सी और पुन्नू बिलोचिस्तन के एवं जुलेखा और यूसुफ मिस्र के थे। हाशिम (1753-1823 ई.) की "सस्सी" इस नाम के किस्सों में सबसे अधिक लोकप्रिय है। इसके अतिरिक्त उनकी "सोहनी महीवाल," "शीरीं फरहाद" और "लैला मजनूँ" प्रबंध कृतियाँ हैं। पिछले दो किस्से फारसी से लिए गए हैं और "सोहनी महीवाल" गुजरात (पंजाब) की लोकवार्ता से। भावों की सूक्ष्म अभिव्यक्ति के लिए हाशिम अद्वितीय है। अहमदयार (1768-1845) ने 40 किस्से लिखे, जिनमें "हीर राँझा," "सस्सी पुन्नू," "कामरूप", "राजबीबी," "चंदरबदन" उच्च कोटि के हैं। इनके काव्य की विशेषता है वैचित्र्यपूर्ण घटनाओं का तारतम्य, संयत वर्णन एवं आलंकारिक भाषा शैली: किंतु विषय की मैलिकता कम है। अमामबख्श की कृतियों में "बहराम गोर" उत्तम काव्य के अंतर्गत गिना जाता है। इसी समय का एक और कवि कादरयार हुआ है। उसकी प्रसिद्धि "पूरनभगत" और "राजा रसालू" के किस्सों के कारण है। पूरन और रसालू दोनों स्यालकोट के राजा शालिवाहन के पुत्र थे। पंजाबी का वीर साहित्य बहुत समृद्ध है। इसके अंतर्गत गुरु गोविंदसिंह की "चंडी दी वार" शिरोमणि रचना है। नजाबत की "नादरशाह दी हीर" और शाह मुहम्मद (1782-1862 ई.) की अपने आश्रयदाता महाराजा रणजीतसिंह की कथा भी उल्लेखनीय है। मुकबल (1696 ई.) का "जगनामा", जिसमें हसन हुसैन और यजीद के युद्धों का मार्मिक वर्णन है, शिया मुसलमानों में बड़े चाव से पढ़ा जाता है। प्रारंभिक काल का पंजाबी गद्य साहित्य महापुरुषों की जन्मसाखियों, गोष्ठों और टीकाओं के रूप में प्राप्त होता है। भाई बालाकृत गुरु नानक की जन्मसाखी (1535 ई.) सबसे प्राचीन है। बाद में सेवासिंह (1588 ई.) और मनीसिंह (1737 ई.) ने भी गुरुनानक का जीवनचरित लिखा। भाई मनीसिंह की "ग्यान रतनावली" पंजाबी गद्य की उत्तम कृति है। उन्हीं की एक दूसरी गद्यरचना "भगत रतनावली" है जिसमें पहले पाँच गुरुओं के समकालीन कुछ प्रेमी भक्तों की कथाएँ है। इनके अतिरिक्त "पारसभाग," "भरथरी", "मैनावत," हजरत मुहम्मद साहब, कबीर और रविदास की जीवनियाँ, "सतयुग कथा," "पकी रोटी," "गीतासार", "लवकुश संवाद," "जपु परमार्थ" "सिंहासनबत्तीसी" और "विवेक" आदि छोटी बड़ी गद्यकृतियाँ उल्लेखनीय हैं। अमृता प्रीतम आधुनिक पंजाबी साहित्य मुख्यत: सिक्खों की देन हैं और उसमें सिक्खपन का अधिक स्थान मिला है। किंतु जीवन की एकांगिता रहते हुए भी साहित्य प्राय: लौकिक है। इस युग के आदि कवि भाई वीरसिंह (1872-1957 ई.) माने जाते हैं। उनका "राण सूरतसिंह" (1915) 35 सर्गों का अतुकांत प्रबंध काव्य है। इसका उद्देश्य सिक्ख सिद्धांतों की प्रतिष्ठा है। उनकी "लहराँ दे हार" रहस्यवादी रचना है। "मटक हुलारे" में प्रकृतिचित्रण और "बिजलियाँ दे हार" में देशप्रेम मिलता है। प्रो॰ पूर्ण सिंह (1882-1932 ई.) की कविता में वेदांती बौद्ध और पाश्चात्य विचारों का गूढ़ प्रभाव है। इनके विचारों और अलंकारों में अपनी मौलिकता भी स्पष्टत: लक्षित होती है। धनीराम चात्रिक (जन्म 1876 ई.) यथार्थवादी किंतु निराशावादी कवि हैं। उनके "भरथरी हरि" और "नल दमयंती" में शैली और विचारधारा पुरानी है, बाद की कविताओं में शहरी जीवन का चित्रण मौलिक ढंग से हुआ है। पंजाबी काव्य को नए मोड़ देनेवाले कवियों में प्रो॰ मोहनसिंह (जन्म 1905 ई.) सर्वविदित हैं। ईश्वर, जीवन, प्रेम, समाज और प्रकृति के प्रति उनकी नवीन और मौलिक दृष्टि है। "सावे पत्तर" "कसुंभड़े" में वे शरीरवादी और मानववादी हैं तो "अधवाटे" में समाजवादी और छायावादी बनकर आए हैं। मोहनसिंह गीतकार भी है और शैलीकार भी। काव्य में उन्होंने कई नए प्रयोग चलाए हैं। अमृता प्रीतम (जन्म 1909) के अनेक कवितासंग्रह प्रकाशित हैं। ये बड़ी सफल गीतकार हैं। इनकी कविता की प्रेरक शक्ति प्रेम है जो अब मानव प्रेम में परिवर्तित होता जा रहा है। गोपालसिंह दर्दी का "हनेरे सवेरे" काव्य संग्रह उल्लेखनीय है। वे समाज के पापों का चित्रण करने में दक्ष हैं। .

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पंजाबी खाना

पंजाबी खाना भारत के पंजाब प्रांत में और पाकिस्तान में मिलता है। इसके व्यंजनों को कई स्थानीय जगहों में अलग अलग तरह से पकाया जाता है। तन्दूरी बनाने का यहाँ का तरीका भारत के अलावा विदेशों में भी प्रसिद्ध है। इनके मुख्य खानों में मक्खन से बनी चीजें, सब्जी भाजी और मटन के व्यंजन काफी प्रसिद्ध हैं। इनके मुख्य व्यंजनों में सरसों दा साग और मक्की दी रोटी है।। श्रेणी:भारतीय खाना श्रेणी:खान पान श्रेणी:पंजाब.

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प्राकृत

सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र । इसकी रचना मूलतः तीसरी-चौथी शताब्दी ईसापूर्व में की गयी थी। भारतीय आर्यभाषा के मध्ययुग में जो अनेक प्रादेशिक भाषाएँ विकसित हुई उनका सामान्य नाम प्राकृत है और उन भाषाओं में जो ग्रंथ रचे गए उन सबको समुच्चय रूप से प्राकृत साहित्य कहा जाता है। विकास की दृष्टि से भाषावैज्ञानिकों ने भारत में आर्यभाषा के तीन स्तर नियत किए हैं - प्राचीन, मध्यकालीन और अर्वाचीन। प्राचीन स्तर की भाषाएँ वैदिक संस्कृत और संस्कृत हैं, जिनके विकास का काल अनुमानत: ई. पू.

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प्राकृत साहित्य

मध्ययुगीन प्राकृतों का गद्य-पद्यात्मक साहित्य विशाल मात्रा में उपलब्ध है। सबसे प्राचीन वह अर्धमागधी साहित्य है जिसमें जैन धार्मिक ग्रंथ रचे गए हैं तथा जिन्हें समष्टि रूप से जैनागम या जैनश्रुतांग कहा जाता है। इस साहित्य की प्राचीन परंपरा यह है कि अंतिम जैन तीर्थंकर महावीर का विदेह प्रदेश में जन्म लगभग 600 ई. पूर्व हुआ। उन्होंने 30 वर्ष की अवस्था में मुनि दीक्षा ले ली और 12 वर्ष तप और ध्यान करके कैवल्यज्ञान प्राप्त किया। तत्पश्चात् उन्होने अपना धर्मोपदेश सर्वप्रथम राजगृह में और फिर अन्य नाना स्थानों में देकर जैन धर्म का प्रचार किया। उनके उपदेशों को उनके जीवनकाल में ही उनके शिष्यों ने 12 अंगों में संकलित किया। उनके नाम हैं- इन अंगों की भाषा वही अर्धमागधी प्राकृत है जिसमें महावीर ने अपने उपदेश दिए। संभवत: यह आगम उस समय लिपिबद्ध नहीं किया गया एवं गुरु-शिष्य परंपरा से मौखिक रूप में प्रचलित रहा और यही उसके श्रुतांग कहलाने की सार्थकता है। महावीर का निर्वाण 72 वर्ष की अवस्था में ई. पू.

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प्रो कबड्डी लीग

प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) भारत में एक पेशेवर कबड्डी लीग, इंडियन प्रीमियर लीग टी -20 क्रिकेट टूर्नामेंट के प्रारूप पर आधारित है। यह प्रायोजन कारणों के लिए के रूप में स्टार स्पोर्ट्स प्रो कबड्डी में जाना जाता है। टूर्नामेंट के पहले संस्करण में भारत के विभिन्न शहरों का प्रतिनिधित्व करने वाले आठ फ्रेंचाइजी के साथ 2014 में खेला गया था। यह वर्तमान में मशाल स्पोर्ट्स द्वारा प्रबंधित किया जाता है। .

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पृथ्वी

पृथ्वी, (अंग्रेज़ी: "अर्थ"(Earth), लातिन:"टेरा"(Terra)) जिसे विश्व (The World) भी कहा जाता है, सूर्य से तीसरा ग्रह और ज्ञात ब्रह्माण्ड में एकमात्र ग्रह है जहाँ जीवन उपस्थित है। यह सौर मंडल में सबसे घना और चार स्थलीय ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है। रेडियोधर्मी डेटिंग और साक्ष्य के अन्य स्रोतों के अनुसार, पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 बिलियन साल हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण, अंतरिक्ष में अन्य पिण्ड के साथ परस्पर प्रभावित रहती है, विशेष रूप से सूर्य और चंद्रमा से, जोकि पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह हैं। सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान, पृथ्वी अपनी कक्षा में 365 बार घूमती है; इस प्रकार, पृथ्वी का एक वर्ष लगभग 365.26 दिन लंबा होता है। पृथ्वी के परिक्रमण के दौरान इसके धुरी में झुकाव होता है, जिसके कारण ही ग्रह की सतह पर मौसमी विविधताये (ऋतुएँ) पाई जाती हैं। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण के कारण समुद्र में ज्वार-भाटे आते है, यह पृथ्वी को इसकी अपनी अक्ष पर स्थिर करता है, तथा इसकी परिक्रमण को धीमा कर देता है। पृथ्वी न केवल मानव (human) का अपितु अन्य लाखों प्रजातियों (species) का भी घर है और साथ ही ब्रह्मांड में एकमात्र वह स्थान है जहाँ जीवन (life) का अस्तित्व पाया जाता है। इसकी सतह पर जीवन का प्रस्फुटन लगभग एक अरब वर्ष पहले प्रकट हुआ। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिये आदर्श दशाएँ (जैसे सूर्य से सटीक दूरी इत्यादि) न केवल पहले से उपलब्ध थी बल्कि जीवन की उत्पत्ति के बाद से विकास क्रम में जीवधारियों ने इस ग्रह के वायुमंडल (the atmosphere) और अन्य अजैवकीय (abiotic) परिस्थितियों को भी बदला है और इसके पर्यावरण को वर्तमान रूप दिया है। पृथ्वी के वायुमंडल में आक्सीजन की वर्तमान प्रचुरता वस्तुतः जीवन की उत्पत्ति का कारण नहीं बल्कि परिणाम भी है। जीवधारी और वायुमंडल दोनों अन्योन्याश्रय के संबंध द्वारा विकसित हुए हैं। पृथ्वी पर श्वशनजीवी जीवों (aerobic organisms) के प्रसारण के साथ ओजोन परत (ozone layer) का निर्माण हुआ जो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र (Earth's magnetic field) के साथ हानिकारक विकिरण को रोकने वाली दूसरी परत बनती है और इस प्रकार पृथ्वी पर जीवन की अनुमति देता है। पृथ्वी का भूपटल (outer surface) कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेटों में विभाजित है जो भूगर्भिक इतिहास (geological history) के दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान को विस्थापित हुए हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से धरातल का करीब ७१% नमकीन जल (salt-water) के सागर से आच्छादित है, शेष में महाद्वीप और द्वीप; तथा मीठे पानी की झीलें इत्यादि अवस्थित हैं। पानी सभी ज्ञात जीवन के लिए आवश्यक है जिसका अन्य किसी ब्रह्मांडीय पिण्ड के सतह पर अस्तित्व ज्ञात नही है। पृथ्वी की आतंरिक रचना तीन प्रमुख परतों में हुई है भूपटल, भूप्रावार और क्रोड। इसमें से बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और एक ठोस लोहे और निकल के आतंरिक कोर (inner core) के साथ क्रिया करके पृथ्वी मे चुंबकत्व या चुंबकीय क्षेत्र को पैदा करता है। पृथ्वी बाह्य अंतरिक्ष (outer space), में सूर्य और चंद्रमा समेत अन्य वस्तुओं के साथ क्रिया करता है वर्तमान में, पृथ्वी मोटे तौर पर अपनी धुरी का करीब ३६६.२६ बार चक्कर काटती है यह समय की लंबाई एक नाक्षत्र वर्ष (sidereal year) है जो ३६५.२६ सौर दिवस (solar day) के बराबर है पृथ्वी की घूर्णन की धुरी इसके कक्षीय समतल (orbital plane) से लम्बवत (perpendicular) २३.४ की दूरी पर झुका (tilted) है जो एक उष्णकटिबंधीय वर्ष (tropical year) (३६५.२४ सौर दिनों में) की अवधी में ग्रह की सतह पर मौसमी विविधता पैदा करता है। पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (natural satellite) है, जिसने इसकी परिक्रमा ४.५३ बिलियन साल पहले शुरू की। यह अपनी आकर्षण शक्ति द्वारा समुद्री ज्वार पैदा करता है, धुरिय झुकाव को स्थिर रखता है और धीरे-धीरे पृथ्वी के घूर्णन को धीमा करता है। ग्रह के प्रारंभिक इतिहास के दौरान एक धूमकेतु की बमबारी ने महासागरों के गठन में भूमिका निभाया। बाद में छुद्रग्रह (asteroid) के प्रभाव ने सतह के पर्यावरण पर महत्वपूर्ण बदलाव किया। .

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पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन

पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन दक्षिणी एशिया और पूर्वी एशिया के कुछ देशों का मंच है। प्रारम्भ में इसमें १६ देश सम्मिलित हुए। वर्ष २०११ के छठे सम्मेलन में संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस भी सम्मिलित हो गए। इस प्रकार इस मंच में १८ देश सम्मिलित है। इस मंच की वार्षिक मीटिंग में सदस्य देशों के प्रमुख नेता सम्मिलित होते हैं। .

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पूर्वी तटीय मैदानी क्षेत्र

पूर्वी तटीय मैदानी क्षेत्र दक्षिण भारत में पूर्वी घाट (कोरोमंडल तट) और बंगाल की खाड़ी के बीच फैले लंबे समतल क्षेत्र को कहाआ जाता है। यह तमिल नाडु से लेकर पश्चिम बंगाल तक १२० कि॰मी॰ की औसत चौड़ाई में फैला हुआ है। कई नदियों के मुहाने (डेल्टा) इस क्षेत्र में आते हैं। इनमें प्रमुख हैं महानदी, गोदावरी, कावेरी और कृष्णा। इस क्षेत्र में उत्तर-पूर्वी और दक्षिण-पश्चिमी मानसून वर्षाएं होती हैं, जो १००० मि.मी से ३००० मि.मी.

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पूर्वी भारत

पूर्वी भारत, में भारत के पूर्व के क्षेत्र आते हैं। इनमें पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार एवं झारखंड राज्य शामिल हैं। यहां बोली जाने वाली प्रमुख भाषाओं में हिन्दी, बांग्ला, उड़िया, उर्दु तथा मैथिली आती हैं। यहां के बड़े शहरों में कोलकाता, भुवनेश्वर, पटना, कटाक, रांची, राउरकेला हैं। .

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पूर्वी गोलार्ध

पूर्वी गोलार्ध ग्रीनवीच रेखा से पूर्व में स्थित पृथ्वी के आधे भाग के लिए प्रयुक्त भौगोलिक पद है। इस भाग में यूरोप, एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया शामील है। इस गोलार्द्ध "ओरिएंटल गोलार्द्ध" भी कहा जाता है। एक सांस्कृतिक या भू राजनीतिक भावना में इसे 'पुरानी दुनिया' भी संबोधित किया जाता है। उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्धों बांटता है जो भूमध्य रेखा के विपरीत, पूर्वी और पश्चिमी गोलार्द्धों को अलग करनेवाली एक मनमाना काल्पनिक रेखा है। 0° देशांतर पर प्रधान मध्याह्न और 180° देशांतर पर विरोधी मध्याह्न, पारंपरिक स्वीकृत सीमाओं हैं जो पश्चिमी देशांतर से पूर्वी देशांतर विभाजित करते हैं। पूर्वी गोलार्ध, पश्चिमी गोलार्ध से कुल भूमि में ज्यादा बड़ा है, यहाँ आवास की व्यापक विविधता है। .

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फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार

फिल्मफेयर पुरस्कार समारोह भारतीय सिनेमा के इतिहास की सबसे पुरानी और प्रमुख घटनाओं में से एक रही है। इसकी शुरुआत सबसे पहले 1954 में हुई जब राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार की भी स्थापना हुई थी। पुरस्कार जनता के मत एवं ज्यूरी के सदस्यों के मत दोनों के आधार पर दी हर साल दी जाती है। .

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बहुदलीय प्रणाली

बहुदलीय प्रणाली एक प्रणाली हैं, जिसमें राजनीतिक वर्णक्रम के पार विभिन्न राजनीतिक दल राष्ट्रीय चुनाव लड़ते हैं, और सभी के पास या तो अकेले में या गठबन्धन में, सरकारी पद प्राप्त करने की योग्यता हो। दो या दो से अधिक राजनीतिक पार्टियां यदि किसी देश मे चुनाव लड़ती है तो उसे बहुदलीय शासन प्रणाली कहते है .

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बहुजन समाज पार्टी

बहुजन समाज पार्टी (अंग्रेजी: Bahujan Samaj Party) सार्वभौमिक न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे के सर्वोच्च सिद्धांतों की सोच वाला, भारत का एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल है। इसका गठन मुख्यत: एक क्रांतिकारी सामाजिक और आर्थिक आंदोलन के रूप में काम करने के लिए किया गया है जो भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतन्त्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समानता दिलाने, उनमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढाने के लिए कार्य करती है जैसा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में वर्णित है। इसका गठन मुख्यत: भारतीय जाति व्यवस्था के अन्तर्गत सबसे नीचे माने जाने वाले बहुजन, जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक शामिल हैं, ऐसे समाज का प्रतिनिधित्व करने के लिए किया गया था, जिनकी जनसंख्या भारत देश में 85% है। दल का दर्शन बाबा साहेब अम्बेडकर के मानवतावादी बौद्ध दर्शन से प्रेरित है। .

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बांग्ला फिल्मों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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बाउल

बाउल गायक ढोकन दास शान्ति निकेतन में एक बाउल गीत गायक दल बाउल पश्चिम बंगाल का प्रसिद्ध आध्यात्मिक लोक गीत है। बाउल एक विशेष लोकाचार और धर्ममत भी है। इस मत का जन्म बंगाल की माटी में हुआ है। श्रेणी:पश्चिम बंगाल के लोक नृत्य.

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बाङ्ला भाषा

बाङ्ला भाषा अथवा बंगाली भाषा (बाङ्ला लिपि में: বাংলা ভাষা / बाङ्ला), बांग्लादेश और भारत के पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी भारत के त्रिपुरा तथा असम राज्यों के कुछ प्रान्तों में बोली जानेवाली एक प्रमुख भाषा है। भाषाई परिवार की दृष्टि से यह हिन्द यूरोपीय भाषा परिवार का सदस्य है। इस परिवार की अन्य प्रमुख भाषाओं में हिन्दी, नेपाली, पंजाबी, गुजराती, असमिया, ओड़िया, मैथिली इत्यादी भाषाएँ हैं। बंगाली बोलने वालों की सँख्या लगभग २३ करोड़ है और यह विश्व की छठी सबसे बड़ी भाषा है। इसके बोलने वाले बांग्लादेश और भारत के अलावा विश्व के बहुत से अन्य देशों में भी फ़ैले हैं। .

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बिहार में पर्यटन

वैशाली बिहार प्रान्त के तिरहुत प्रमंडल का एक जिला है। मुजफ्फरपुर से अलग होकर १२ अक्टुबर १९७२ को वैशाली एक अलग जिला बना। वैशाली जिले का मुख्यालय हाजीपुर में है। बज्जिका तथा हिन्दी यहाँ की मुख्य भाषा है। ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र यानि "रिपब्लिक" कायम किया गया था। वैशाली जिला भगवान महावीर की जन्म स्थली होने के कारण जैन धर्म के मतावलंबियों के लिये एक पवित्र नगरी है। भगवान बुद्ध का इस धरती पर तीन बार आगमन हुआ। महात्मा बुद्ध के समय सोलह महाजनपदों में वैशाली का स्थान मगध के समान महत्वपूर्ण था। ऐतिहासिक महत्व के होने के अलावे आज यह जिला राष्ट्रीय स्तर के कई संस्थानों तथा केले, आम और लीची के उत्पादन के लिए भी जाना जाता है। इतिहास - वैशाली जन का प्रतिपालक, विश्व का आदि विधाता, जिसे ढूंढता विश्व आज, उस प्रजातंत्र की माता॥ रुको एक क्षण पथिक, इस मिट्टी पे शीश नवाओ, राज सिद्धियों की समाधि पर फूल चढ़ाते जाओ|| (कवि रामधारी सिंह दिनकर की पंक्तियाँ) वैशाली का नामाकरण रामायण काल एक राजा विशाल के नाम पर हुआ है। विष्णु पुराण में इस क्षेत्र पर राज करने वाले 34 राजाओं का उल्लेख है जिसमें प्रथम नभग तथा अंतिम सुमति थे। राजा सुमति भगवान राम के पिता राजा दशरथके समकलीन थे। विश्‍व को सर्वप्रथम गणतंत्र का ज्ञान करानेवाला स्‍थान वैशाली ही है। आज वैश्विक स्‍तर पर जिस लोकशाही को अपनाया जा रहा है वह यहाँ के लिच्छवी शासकों की ही देन है। ईसा पूर्व छठी सदी के उत्तरी और मध्य भारत में विकसित हुए 16 महाजनपदों में वैशाली का स्थान अति महत्वपूर्ण था। नेपाल की तराई से लेकर गंगा के बीच फैली भूमि पर वज्जियों तथा लिच्‍छवियों के संघ (अष्टकुल) द्वारा गणतांत्रिक शासन व्यवस्था की शुरूआत की गई थी। लगभग छठी शताब्दि ईसा पूर्व में यहाँ का शासक जनता के प्रतिनिधियों द्वारा चुना जाता था। मौर्य और गुप्‍त राजवंश में जब पाटलीपुत्र (आधुनिक पटना) राजधानी के रूप में विकसित हुआ, तब वैशाली इस क्षेत्र में होने वाले व्‍यापार और उद्योग का प्रमुख केंद्र था। ज्ञान प्राप्ति के पाँच वर्ष बाद भगवान बुद्ध का वैशाली आगमन हुआ जिसमें वैशाली की प्रसिद्ध नगरवधू आम्रपाली सहित चौरासी हजार नागरिक संघ में शामिल हुए। वैशाली के समीप कोल्‍हुआ में महात्मा बुद्ध ने अपना अंतिम संबोधन दिया था। इसकी याद में महान मौर्य महान सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दि ईसा पूर्व सिंह स्‍तंभ का निर्माण करवाया था। महात्‍मा बुद्ध के महा परिनिर्वाण के लगभग 100 वर्ष बाद वैशाली में दूसरे बौद्ध परिषद का आयोजन किया गया था। इस आयोजन की याद में दो बौद्ध स्‍तूप बनवाए गए। वैशाली के समीप ही एक विशाल बौद्ध मठ है, जिसमें महात्‍मा बुद्ध उपदेश दिया करते थे। भगवान बुद्ध के सबसे प्रिय शिष्य आनंद की पवित्र अस्थियां हाजीपुर (पुराना नाम- उच्चकला) के पास एक स्तूप में रखी गयी थी। पाँचवी तथा छठी सदी के दौरान प्रसिद्ध चीनी यात्री फाहियान तथा ह्वेनसांग ने वैशाली का भ्रमण कर यहाँ का भव्य वर्णन किया है। वैशाली जैन धर्मावलंबियों के लिए भी काफी महत्‍वपूर्ण है। यहीं पर 599 ईसापूर्व में जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्‍म वसोकुंड में हुआ था। ज्ञात्रिककुल में जन्मे भगवान महावीर यहाँ 22 वर्ष की उम्र तक रहे थे। इस तरह वैशाली भारत के दो महत्‍वपूर्ण धर्मों का केंद्र था। बौद्ध तथा जैन धर्मों के अनुयायियों के अलावा ऐतिहासिक पर्यटन में दिलचस्‍पी रखने वाले लोगों के लिए भी वैशाली महत्‍वपूर्ण है। वैशाली की भूमि न केवल ऐतिहासिक रूप से समृद्ध है वरन कला और संस्‍कृति के दृष्टिकोण से भी काफी धनी है। वैशाली जिले के चेचर (श्वेतपुर) से प्राप्त प्राचीन मूर्तियाँ तथा सिक्के पुरातात्विक महत्व के हैं। पूर्वी भारत में मुस्लिम शासकों के आगमन के पूर्व वैशाली मिथिला के कर्नाट वंश के शासकों के अधीन रहा लेकिन जल्द ही यहाँ गयासुद्दीन एवाज़ का शासन हो गया। 1323 में तुग़लक वंश के शासक गयासुद्दीन तुग़लक का राज आया। इसी दौरान बंगाल के एक शासक हाजी इलियास शाह ने 1345 ई से 1358 ई तक यहां शासन किया। चौदहवीं सदी के अंत में तिरहुत समेत पूरे उत्तरी बिहार का नियंत्रण जौनपुर के राजाओं के हाथ में चला गया जो तबतक जारी रहा जबतक दिल्ली सल्तनत के सिकन्दर लोधी ने जौनपुर के शासकों को हराकर अपना शासन स्थापित नहीं किया। बाबर ने अपने बंगाल अभियान के दौरान गंडक तट के पार हाजीपुर में अपनी सैन्य टुकड़ी को भेजा था। 1572 ई॰ से 1574 ई॰ के दौरान बंगाल विद्रोह को कुचलने के क्रम में अकबर की सेना ने दो बार हाजीपुर किले पर घेरा डाला था। 18 वीं सदी के दौरान अफगानों द्वारा तिरहुत कहलानेवाले इस प्रदेश पर कब्जा किया। स्वतंत्रता आन्दोलन के समय वैशाली के शहीदों की अग्रणी भूमिका रही है। वसाबन सिंह्, बेचन शर्मा, अक्षयवट राय, सीताराम सिंह जैसे स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण हिस्सा लिया। आजादी की लड़ाई के दौरान 1920, 1925 तथा 1934 में महात्मा गाँधी का वैशाली जिले में तीन बार आगमन हुआ था। सन 1875 से लेकर 1972 तक यह जिला मुजफ्फरपुर का अंग बना रहा। 12 अक्टुबर 1972 को वैशाली को स्वतंत्र जिले का दर्जा प्राप्त हुआ। श्रेणी:बिहार.

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बिहार सरकार

प्रशासनिक सुविधा के लिए बिहार राज्य को 9 प्रमंडल तथा 38 मंडल (जिला) में बाँटा गया है। जिलों को क्रमश: 101 अनुमंडलों, 534 प्रखंडों, 8,471 पंचायतों, 45,103 गाँवों में बाँटा गया है। राज्य का मुख्य सचिव नौकरशाही का प्रमुख होता है जिसे श्रेणीक्रम में आयुक्त, जिलाधिकारी, अनुमंडलाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी या अंचलाधिकारी तथा इनके साथ जुड़े अन्य अधिकारी एवं कर्मचारीगण रिपोर्ट करते हैं। पंचायत तथा गाँवों का कामकाज़ सीधेतौर पर चुनाव कराकर मुखिया, सरपंच तथा वार्ड सदस्यों के अधीन संचालित किया जाता है। पटना, तिरहुत, सारण, दरभंगा, कोशी, पूर्णिया, भागलपुर, मुंगेर तथा मगध प्रमंडल के अन्तर्गत आनेवाले जिले इस प्रकार हैं.

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बिहार का भूगोल

बिहार 21°58'10" ~ 27°31'15" उत्तरी अक्षांश तथा 82°19'50" ~ 88°17'40" पूर्वी देशांतर के बीच स्थित भारतीय राज्य है। मुख्यतः यह एक हिंदी भाषी राज्य है लेकिन उर्दू, मैथिली, भोजपुरी, मगही, बज्जिका, अंगिका तथा एवं संथाली भी बोली जाती है। राज्य का कुल क्षेत्रफल 94,163 वर्ग किलोमीटर है जिसमें 92,257.51 वर्ग किलोमीटर ग्रामीण क्षेत्र है। 2001 की जनगणना के अनुसार बिहार राज्य की जनसंख्या 8,28,78,796 है जिनमें ६ वर्ष से कम आयु का प्रतिशत 19.59% है। 2002 में झारखंड के अलग हो जाने के बाद बिहार का भूभाग मुख्यतः नदियों के बाढमैदान एवं कृषियोग्य समतल भूमि है। गंगा तथा इसकी सहायक नदियों द्वारा लायी गयी मिट्टियों से बिहार का जलोढ मैदान बना है जिसकी औसत ऊँचाई १७३ फीट है। बिहार का उपग्रह द्वारा लिया गया चित्र .

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बिहार का इतिहास

बिहार के इतिहास को तीन काल-खण्डों में बांटकर देखा जा सकता है। .

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बिहार के जिले

बिहार में कुल 38 जिले हैं जो 9 प्रमण्डलों में बँटे हैं। जिले इस प्रकार है.

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बिहार की संस्कृति

बिहार की संस्कृति भोजपुरी, मैथिली, मगही, तिरहुत तथा अंग संस्कृतियों का मिश्रण है। नगरों तथा गाँवों की संस्कृति में अधिक फर्क नहीं है। नगरों में भी लोग पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते है तथा उनकी मान्यताएँ रुढिवादी है। बिहारी समाज पुरूष प्रधान है और लड़कियों को कड़े नियंत्रण में रखा जाता है। हिंदू और मुस्लिम यद्यपि आपसी सहिष्णुता का परिचय देते हैं लेकिन कई अवसरों पर यह तनाव का रूप ले लेता है। दोनों समुदायों में विवाह को छोड़कर सामाजिक एवं पारिवारिक मूल्य लगभग समान है। जैन एवं बौद्ध धर्म की जन्मस्थली होने के बावजूद यहाँ दोनों धर्मों के अनुयाईयों की संख्या कम है। पटना सहित अन्य शहरों में सिक्ख धर्मावलंबी अच्छी संख्या में हैं।.

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बिहारी खाना

बिहारी खाना (Bihari cuisine) मुख्यत: शाकाहारी (vegetarian) होता है किन्तु मांसाहारी भोजन भी अधिकांश घरों में स्वीकार्य है। .

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बज्जिका

बज्जिका मैथिली भाषा की उपभाषा है, जो कि बिहार के तिरहुत प्रमंडल में बोली जाती है। इसे अभी तक भाषा का दर्जा नहीं मिला है, मुख्य रूप से यह बोली ही है| भारत में २००१ की जनगणना के अनुसार इन जिलों के लगभग १ करोड़ १५ लाख लोग बज्जिका बोलते हैं। नेपाल के रौतहट एवं सर्लाही जिला एवं उसके आस-पास के तराई क्षेत्रों में बसने वाले लोग भी बज्जिका बोलते हैं। वर्ष २००१ के जनगणना के अनुसार नेपाल में २,३८,००० लोग बज्जिका बोलते हैं। उत्तर बिहार में बोली जाने वाली दो अन्य भाषाएँ भोजपुरी एवं मैथिली के बीच के क्षेत्रों में बज्जिका सेतु रूप में बोली जाती है। .

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बंबई स्टॉक एक्सचेंज

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज भारत और एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है। इसकी स्थापना 1875 में हुई थी। इस एक्सचेंज की पहुंच 417 शहरों तक है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज भारतीय शेयर बाज़ार के दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंजों में से एक है। दूसरा एक्सचेंज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज है। भारत को अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय बाजार में अपना श्रेष्ठ स्थान दिलाने में बीएसई की अहम भूमिका है। एशिया के सबसे प्राचीन और देश के प्रथम स्टॉक एक्सचेंज को - बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज सिक्युरिटीज कांट्रेक्ट रेग्युलेशन एक्ट 1956 के तहत स्थाई मान्यता मिली है। इसका लक्ष्य है - 'वैश्विक कीर्ति की पताका फहराकर प्रमुख भारतीय स्टाक एक्सचेंज के रूप में उभरना' .

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बंगाल की खाड़ी

बंगाल की खाड़ी विश्व की सबसे बड़ी खाड़ी है और हिंद महासागर का पूर्वोत्तर भाग है। यह मोटे रूप में त्रिभुजाकार खाड़ी है जो पश्चिमी ओर से अधिकांशतः भारत एवं शेष श्रीलंका, उत्तर से बांग्लादेश एवं पूर्वी ओर से बर्मा (म्यांमार) तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह से घिरी है। बंगाल की खाड़ी का क्षेत्रफल 2,172,000 किमी² है। प्राचीन हिन्दू ग्रन्थों के अन्सुआर इसे महोदधि कहा जाता था। बंगाल की खाड़ी 2,172,000 किमी² के क्षेत्रफ़ल में विस्तृत है, जिसमें सबसे बड़ी नदी गंगा तथा उसकी सहायक पद्मा एवं हुगली, ब्रह्मपुत्र एवं उसकी सहायक नदी जमुना एवं मेघना के अलावा अन्य नदियाँ जैसे इरावती, गोदावरी, महानदी, कृष्णा, कावेरी आदि नदियां सागर से संगम करती हैं। इसमें स्थित मुख्य बंदरगाहों में चेन्नई, चटगाँव, कोलकाता, मोंगला, पारादीप, तूतीकोरिन, विशाखापट्टनम एवं यानगॉन हैं। .

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बंगाली साहित्य

बँगला भाषा का साहित्य स्थूल रूप से तीन भागों में बाँटा जा सकता है - 1.

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बंगाली खाना

श्रेणी:भारतीय खाना श्रेणी:खान पान श्रेणी:पश्चिम बंगाल श्रेणी:बांग्लादेश.

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ब्रिटिश भारत में रियासतें

15 अगस्त 1947 से पूर्व संयुक्त भारत का मानचित्र जिसमें देशी रियासतों के तत्कालीन नाम साफ दिख रहे हैं। ब्रिटिश भारत में रियासतें (अंग्रेजी:Princely states; उच्चारण:"प्रिंस्ली स्टेट्स्") ब्रिटिश राज के दौरान अविभाजित भारत में नाममात्र के स्वायत्त राज्य थे। इन्हें आम बोलचाल की भाषा में "रियासत", "रजवाड़े" या व्यापक अर्थ में देशी रियासत कहते थे। ये ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा सीधे शासित नहीं थे बल्कि भारतीय शासकों द्वारा शासित थे। परन्तु उन भारतीय शासकों पर परोक्ष रूप से ब्रिटिश शासन का ही नियन्त्रण रहता था। सन् 1947 में जब हिन्दुस्तान आज़ाद हुआ तब यहाँ 565 रियासतें थीं। इनमें से अधिकांश रियासतों ने ब्रिटिश सरकार से लोकसेवा प्रदान करने एवं कर (टैक्स) वसूलने का 'ठेका' ले लिया था। कुल 565 में से केवल 21 रियासतों में ही सरकार थी और मैसूर, हैदराबाद तथा कश्मीर नाम की सिर्फ़ 3 रियासतें ही क्षेत्रफल में बड़ी थीं। 15 अगस्त,1947 को ब्रितानियों से मुक्ति मिलने पर इन सभी रियासतों को विभाजित हिन्दुस्तान (भारत अधिराज्य) और विभाजन के बाद बने मुल्क पाकिस्तान में मिला लिया गया। 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश सार्वभौम सत्ता का अन्त हो जाने पर केन्द्रीय गृह मन्त्री सरदार वल्लभभाई पटेल के नीति कौशल के कारण हैदराबाद, कश्मीर तथा जूनागढ़ के अतिरिक्त सभी रियासतें शान्तिपूर्वक भारतीय संघ में मिल गयीं। 26 अक्टूबर को कश्मीर पर पाकिस्तान का आक्रमण हो जाने पर वहाँ के महाराजा हरी सिंह ने उसे भारतीय संघ में मिला दिया। पाकिस्तान में सम्मिलित होने की घोषणा से जूनागढ़ में विद्रोह हो गया जिसके कारण प्रजा के आवेदन पर राष्ट्रहित में उसे भारत में मिला लिया गया। वहाँ का नवाब पाकिस्तान भाग गया। 1948 में सैनिक कार्रवाई द्वारा हैदराबाद को भी भारत में मिला लिया गया। इस प्रकार हिन्दुस्तान से देशी रियासतों का अन्त हुआ। .

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ब्रिटिश राज

ब्रिटिश राज 1858 और 1947 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश द्वारा शासन था। क्षेत्र जो सीधे ब्रिटेन के नियंत्रण में था जिसे आम तौर पर समकालीन उपयोग में "इंडिया" कहा जाता था‌- उसमें वो क्षेत्र शामिल थे जिन पर ब्रिटेन का सीधा प्रशासन था (समकालीन, "ब्रिटिश इंडिया") और वो रियासतें जिन पर व्यक्तिगत शासक राज करते थे पर उन पर ब्रिटिश क्राउन की सर्वोपरिता थी। .

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ब्रिटिश राज के दौरान भारत में प्रमुख अकाल की समयरेखा

१८७६-७८ का बड़ा अकाल ये ब्रिटिश राज के दौरान भारत में प्रमुख अकालों की समयसरेखा है। ये सन् १७६५ से १९४७ तक का कालखन्ड दर्शाती है। बक्सर के युद्ध के बाद ब्रिटिशोंको १७६५ में बंगाल प्रेसीडेंसी की दिवानी मिली और १७८४ में निजामत जिससे वो सिधा प्रशासन करने लगे। १९४७ में ब्रिटिश राज खतम हो कर भारत के भारतीय अधिराज्य और पाकिस्तान अधिराज्य एसे दो विभाग हुए। .

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ब्रिटिश काल में भारत की अर्थव्यवस्था

१८९० में मुम्बई के कल्बादेवी रोड का एक दृष्य १९०९ में भारतीय रेलवे का मानचित्र १९४५ में हुगली का दृष्य बहुत प्राचीन काल से भारतवर्ष का विदेशों से व्यापार हुआ करता था। यह व्यापार स्थल मार्ग और जल मार्ग दोनों से होता था। इन मार्गों पर एकाधिकार प्राप्त करने के लिए विविध राष्ट्रों में समय-समय पर संघर्ष हुआ करता था। जब इस्लाम का उदय हुआ और अरब, फारस मिस्र और मध्य एशिया के विविध देशों में इस्लाम का प्रसार हुआ, तब धीरे-धीरे इन मार्गों पर मुसलमानों का अधिकार हो गया और भारत का व्यापार अरब निवासियों के हाथ में चला गया। अफ्रीका के पूर्वी किनारे से लेकर चीन समुद्र तक समुद्र तट पर अरब व्यापारियों की कोठियां स्थापित हो गईं। यूरोप में भारत का जो माल जाता था वह इटली के दो नगर जिनोआ और वेनिस से जाता था। ये नगर भारतीय व्यापार से मालामाल हो गए। वे भारत का माल कुस्तुन्तुनिया की मंडी में खरीदते थे। इन नगरों की धन समृद्धि को देखकर यूरोप के अन्य राष्ट्रों को भारतीय व्यापार से लाभ उठाने की प्रबल इच्छा उत्पन्न इस इच्छा की पूर्ति में सफल न हो सके। बहुत प्राचीन काल से यूरोप के लोगों का अनुमान था कि अफ्रीका होकर भारतवर्ष तक समुद्र द्वारा पहुंचने का कोई न कोई मार्ग अवश्य है। चौदहवीं शताब्दी में यूरोप में एक नए युग का प्रारंभ हुआ। नए-नए भौगोलिक प्रदेशों की खोज आरंभ हुई। कोलम्बस ने सन् 1492 ईस्वी में अमेरिका का पता लगाया और यह प्रमाणित कर दिया कि अटलांटिक के उस पार भी भूमि है। पुर्तगाल की ओर से बहुत दिनों से भारतवर्ष के आने के मार्ग का पता लगाया जा रहा था। अंत में, अनेक वर्षों के प्रयास के अनंतर सन् 1498 ई. में वास्कोडिगामा शुभाशा अंतरीप (cape of good hope) को पार कर अफ्रीका के पूर्वी किनारे पर आया; और वहाँ से एक गुजराती नियामक को लेकर मालाबार में कालीकट पहुंचा। पुर्तगालवासियों ने धीरे-धीरे पूर्वी व्यापार को अरब के व्यापारियों से छीन लिया। इस व्यापार से पुर्तगाल की बहुत श्री-वृद्धि हुई। देखा -देखी, डच अंग्रेज और फ्रांसीसियों ने भी भारत से व्यापार करना शुरू किया। इन विदेशी व्यापारियों में भारत के लिए आपस में प्रतिद्वंद्विता चलती थी और इनमें से हर एक का यह इरादा था कि दूसरों को हटाकर अपना अक्षुण्य अधिकार स्थापित करें। व्यापार की रक्षा तथा वृद्धि के लिए इनको यह आवश्यक प्रतीत हुआ कि अपनी राजनीतिक सत्ता कायम करें। यह संघर्ष बहुत दिनों तक चलता रहा और अंग्रेजों ने अपने प्रतिद्वंद्वियों पर विजय प्राप्त की और सन् 1763 के बाद से उनका कोई प्रबल प्रतिद्वंदी नहीं रह गया। इस बीच में अंग्रेजों ने कुछ प्रदेश भी हस्तगत कर लिए थे और बंगाल, बिहार उड़ीसा और कर्नाटक में जो नवाब राज्य करते थे वे अंग्रेजों के हाथ की कठपुतली थे। उन पर यह बात अच्छी तरह जाहिर हो गई थी कि अंग्रेजों ने कुछ प्रदेश भी हस्तगत कर लिए थे और बंगाल, बिहार उड़ीसा और कर्नाटक में जो नवाब राज्य करते थे वे अंग्रेजों के हाथ की कठपुतली थे। उन पर यह बात अच्छी तरह जाहिर हो गई थी कि अंग्रेजों का विरोध करने से पदच्युत कर दिए जाएंगे। यह विदेशी व्यापारी भारत से मसाला, मोती, जवाहरात, हाथी दांत की बनी चीजें, ढाके की मलमल और आबेरवां, मुर्शीदाबाद का रेशम, लखनऊ की छींट, अहमदाबाद के दुपट्टे, नील आदि पदार्थ ले जाया करते थे और वहां से शीशे का सामान, मखमल साटन और लोहे के औजार भारतवर्ष में बेचने के लिए लाते थे। हमें इस ऐतिहासिक तथ्य को नहीं भूलना चाहिए कि भारत में ब्रिटिश सत्ता का आरंभ एक व्यापारिक कंपनी की स्थापना से हुआ। अंग्रेजों की राजनीतिक महत्वाकांक्षा तथा चेष्टा भी इसी व्यापार की रक्षा और वृद्धि के लिए हुई थी। उन्नीसवीं शताब्दी के पहले इंग्लैंड का भारत पर बहुत कम अधिकार था और पश्चिमी सभ्यता तथा संस्थाओं का प्रभाव यहां नहीं के बराबर था। सन् 1750 से पूर्व इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति भी नहीं आरंभ हुई थी। उसके पहले भारत वर्ष की तरह इंग्लैंड भी एक कृषिप्रधान देश था। उस समय इंग्लैंड को आज की तरह अपने माल के लिए विदेशों में बाजार की खोज नहीं करनी पड़ती थी। उस समय गमनागमन की सुविधाएं न होने के कारण सिर्फ हल्की-हल्की चीजें ही बाहर भेजी जा सकती थीं। भारतवर्ष से जो व्यापार उस समय विदेशों से होता था, उससे भारत को कोई आर्थिक क्षति भी नहीं थी। सन् 1765 में जब ईस्ट इंडिया कंपनी को मुगल बादशाह शाह आलम से बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी प्राप्त हुई, तब से वह इन प्रांतों में जमीन का बंदोबस्त और मालगुजारी वसूल करने लगी। इस प्रकार सबसे पहले अंग्रेजों ने यहां की मालगुजारी की प्रथा में हेर-फेर किया। इसको उस समय पत्र व्यवहार की भाषा फारसी थी। कंपनी के नौकर देशी राजाओं से फारसी में ही पत्र व्यवहार करते थे। फौजदारी अदालतों में काजी और मौलवी मुसलमानी कानून के अनुसार अपने निर्णय देते थे। दीवानी की अदालतों में धर्म शास्त्र और शहर अनुसार पंडितों और मौलवियों की सलाह से अंग्रेज कलेक्टर मुकदमों का फैसला करते थे। जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने शिक्षा पर कुछ व्यय करने का निश्चय किया, तो उनका पहला निर्णय अरबी, फारसी और संस्कृत शिक्षा के पक्ष में ही हुआ। बनारस में संस्कृत कालेज और कलकत्ते में कलकत्ता मदरसा की स्थापना की गई। पंडितों और मौलवियों को पुरस्कार देकर प्राचीन पुस्तकों के मुद्रित कराने और नवीन पुस्तकों के लिखने का आयोजन किया गया। उस समय ईसाइयों को कंपनी के राज में अपने धर्म के प्रचार करने किया गया। उस समय ईसाइयों को कंपनी के राज में अपने धर्म के प्रचार करने की स्वतंत्रता नहीं प्राप्त थी। बिना कंपनी से लाइसेंस प्राप्त किए कोई अंग्रेज न भारतवर्ष में आकर बस सकता था और न जायदाद खरीद सकता था। कंपनी के अफसरों का कहना था कि यदि यहां अंग्रेजों को बसने की आम इजाजत दे दी जाएगी तो उससे विद्रोह की आशंका है; क्योंकि विदेशियों के भारतीय धर्म और रस्म-रिवाज से भली -भांति परिचित न होने के कारण इस बात का बहुत भय है कि वे भारतीयों के भावों का उचित आदर न करेंगे। देशकी पुरानी प्रथा के अनुसार कंपनी अपने राज्य के हिंदू और मुसलमान धर्म स्थानों का प्रबंध और निरीक्षण करती थी। मंदिर, मस्जिद, इमामबाड़े और खानकाह के आय-व्यय का हिसाब रखना, इमारतों की मरम्मत कराना और पूजा का प्रबंध, यह सब कंपनी के जिम्मे था। अठारहवीं शताब्दी के अंत से इंग्लैंड के पादरियों ने इस व्यवस्था का विरोध करना शुरू किया। उनका कहना था कि ईसाई होने के नाते कंपनी विधर्मियों के धर्म स्थानों का प्रबंध अपने हाथ में नहीं ले सकती। वे इस बात की भी कोशिश कर रहे थे कि ईसाई धर्म के प्रचार में कंपनी की ओर से कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। उस समय देशी ईसाइयों की अवस्था बहुत शोचनीय थी। यदि कोई हिंदू या मुसलमान ईसाई हो जाता था तो उसका अपनी जायदाद और बीवी एवं बच्चों पर कोई हक नहीं रह जाता था। मद्रास के अहाते में देशी ईसाइयों को बड़ी-बड़ी नौकरियां नहीं मिल सकती थीं। इनको भी हिंदुओं के धार्मिक कृत्यों के लिए टैक्स देना पड़ता था। जगन्नाथ जी का रथ खींचने के लिए रथ यात्रा के अवसर पर जो लोग बेगार में पकड़े जाते थे उनमें कभी-कभी ईसाई भी होते थे। यदि वे इस बेगार से इनकार करते थे तो उनको बेंत लगाए जाते थे। इंग्लैंड के पादरियों का कहना था कि ईसाइयों को उनके धार्मिक विश्वास के प्रतिकूल किसी काम के करने के लिए विवश नहीं करना चाहिए और यदि उनके साथ कोई रियायत नहीं की जा सकती तो कम से कम उनके साथ वहीं व्यवहार होना चाहिए जो अन्य धर्माबलंबियों के साथ होता है। धीरे-धीरे इस दल का प्रभाव बढ़ने लगा और अंत में ईसाई पादरियों की मांग को बहुत कुछ अंश में पूरा करना पड़ा। उसके फलस्वरूप अपनी जायदाद से हाथ नहीं धोना पड़ेगा। ईसाइयों को धर्म प्रचार की भी स्वतंत्रता मिल गई। अब राज दरबार की भाषा अंग्रेजी हो गई और अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन देने का निश्चय हुआ। धर्म-शास्त्र और शरह का अंग्रेजी में अनुवाद किया गया और एक ‘ला कमीश’ नियुक्त कर एक नया दंड़ विधान और अन्य नए कानून तैयार किए गए। सन् 1853 ई. में धर्म स्थानों का प्रबंध स्थानीय समितियां बनाकर उनके सुपुर्द कर दिया गया। सन् 1854 में अदालतों में जो थोड़े बहुत पंडित और मौलवी बच गए थे वे भी हटा दिए गए। इस प्रकार देश की पुरानी संस्थाएं नष्ट हो गईं और हिंदू और मुसलमानों की यह धारणा होने लगी कि अंग्रेज उन्हें ईसाई बनाना चाहते हैं। इन्हीं परिवर्तनों का और डलहौजी की हड़पने की नीति का यह फल हुआ कि सन् 1857 में एक बड़ी क्रांति हुई जिसे सिपाही विद्रोह कहते हैं। सन् 1857 के पहले ही यूरोप में औद्योगिक क्रांति हो चुकी थी। इस क्रांति में इंग्लैंड सबका अगुआ था; क्योंकि उसको बहुत-सी ऐसी सुविधाएं थीं जो अन्य देशों को प्राप्त नहीं थी। इंग्लैंड ने ही वाष्प यंत्र का आविष्कार किया। भारत के व्यापार से इंग्लैंड की पूंजी बहुत बढ़ गई थी। उसके पास लोहे और कोयले की इफरात थी। कुशल कारीगरों की भी कमी न थी। इस नानाविध कारणों से इंग्लैंड इस क्रांति में अग्रणी बना। इंग्लैंड के उत्तरी हिस्से में जहां लोहा तथा कोयला निकलता था वहां कल कारखाने स्थापित होने लगे। कारखानों के पास शहर बसने लगे। इंग्लैंड के घरेलू उद्योग-धंधे नष्ट हो गए। मशीनों से बड़े पैमाने पर माल तैयार होने लगा। इस माल की खपत यूरोप के अन्य देशों में होने लगी। देखा-देखी यूरोप के अन्य देशों में भी मशीन के युग का आरंभ हुआ। ज्यों-ज्यों यूरोप के अन्य देशों में नई प्रथा के अनुसार उद्योग व्यवसाय की वृद्धि होने लगी, त्यों-त्यों इंग्लैंड को अपने माल के लिए यूरोप के बाहर बाजार तलाश करने की आवश्यकता प्रतीत होने लगी। भारतवर्ष इंग्लैंड के अधीन था, इसलिए राजनीतिक शक्ति के सहारे भारतवर्ष को सुगमता के साथ अंग्रेजी माल का एक अच्छा-खासा बाजार बना दिया गया। अंग्रेजी शिक्षा के कारण धीरे-धीरे लोगों की अभिरुचि बदल रही थी। यूरोपीय वेशभूषा और यूरोपीय रहन-सहन अंग्रेजी शिक्षित वर्ग को प्रलोभित करने लगा। भारत एक सभ्य देश था, इसलिए यहां अंग्रेजी माल की खपत में वह कठिनाई नहीं प्रतीत हुई जो अफ्रीका के असभ्य या अर्द्धसभ्य प्रदेशों में अनुभूत हुई थी। सबसे पहले इस नवीन नीति का प्रभाव भारत के वस्त्र व्यापार पर पड़ा। मशीन से तैयार किए हुए माल का मुकाबला करना करघों पर तैयार किए हुए माल के लिए असंभव था। धीरे-धीरे भारत की विविध कलाएं और उद्योग नष्ट होने लगे। भारत के भीतरी प्रदेशों में दूर-दूर माल पहुंचाने के लिए जगह-जगह रेल की सड़कें निकाली गईं। भारत के प्रधान बंदरगाह कलकत्ता, बंबई और मद्रास भारत के बड़े-बड़े नगरों से संबद्ध कर दिए गए विदेशी व्यापार की सुविधा की दृष्टि से डलहौजी के समय में पहली रेल की सड़कें बनी थीं। इंगलैंड को भारत के कच्चे माल की आवश्यकता थी। जो कच्चा माल इन बंदरगाहों को रवाना किया जाता था, उस पर रेल का महसूल रियायती था। आंतरिक व्यापार की वृद्धि की सर्वथा उपेक्षा की जाती थी। इस नीति के अनुसार इंग्लैंड को यह अभीष्ट न था कि नए-नए आविष्कारों से लाभ उठाकर भारतवर्ष के उद्योग व्यवसाय का नवीन पद्धति से पुनः संगठन किया जाए। वह भारत को कृषि प्रधान देश ही बनाए रखना चाहता था, जिसमें भारत से उसे हर तरह का कच्चा माल मिले और उसका तैयार किया माल भारत खरीदे। जब कभी भारतीय सरकार ने देशी व्यवसाय को प्रोत्साहन देने का निश्चय किया, तब तब इंग्लैंड की सरकार ने उसके इस निश्चय का विरोध किया और उसको हर प्रकार से निरुत्साहित किया। जब भारत में कपड़े की मिलें खुलने लगीं और भारतीय सरकार को इंग्लैंड से आनेवाले कपड़े पर चुंगी लगाने की आवश्यकता हुई, तब इस चुंगी का लंकाशायर ने घोर विरोध किया और जब उन्होंने यह देखा कि हमारी वह बात मानी न जाएगी तो उन्होंने भारत सरकार को इस बात पर विवश किया कि भारतीय मिल में तैयार हुए कपड़े पर भी चुंगी लगाई जाए, जिसमें देशी मिलों के लिए प्रतिस्पर्द्धा करना संभव न हो। पब्लिक वर्क्स विभाग खोलकर बहुत-सी सड़के भी बनाई गईं जिसका फल यह हुआ कि विदेशी माल छोटे-छोटे कस्बों तथा गांवों के बाजारों में भी पहुंचने लगा। रेल और सड़कों के निर्माण से भारत के कच्चे माल के निर्यात में वृद्धि हो गई और चीजों की कीमत में जो अंतर पाया जाता था। वह कम होने लगा। खेती पर भी इसका प्रभाव पड़ा और लोग ज्यादातर ऐसी ही फसल बोने लगे जिनका विदेश में निर्यात था। यूरोपीय व्यापारी हिंदुस्तानी मजदूरों की सहायता से हिंदुस्तान में चाय, कहवा, जूट और नील की काश्त करने लगे। बीसवीं शताब्दी के पाँचवे दशक में भारतवर्ष में अग्रेजों की बहुत बड़ी पूँजी लगी हुई थी। पिछले पचास-साठ वर्षों में इस पूँजी में बहुत तेजी के साथ वृद्धि हुई। 634 विदेशी कंपनियां भारत में इस समय कारोबार कर रही थीं। इनकी वसूल हुई पूंजी लगभग साढ़े सात खरब रुपया थी और 5194 कंपनियां ऐसी थीं जिनकी रजिस्ट्री भारत में हुई थी और जिनकी पूंजी 3 खरब रुपया थी। इनमें से अधिकतर अंग्रेजी कंपनियां थीं। इंग्लैंड से जो विदेशों को जाता था उसका दशमांश प्रतिवर्ष भारत में आता था। वस्त्र और लोहे के व्यवसाय ही इंग्लैंड के प्रधान व्यवसाय थे और ब्रिटिश राजनीति में इनका प्रभाव सबसे अधिक था। भारत पर इंग्लैंड का अधिकार बनाए रखने में इन व्यवसायों का सबसे बड़ा स्वार्थ था; क्योंकि जो माल ये बाहर रवाना करते थे उसके लगभग पंचमांश की खपत भारतवर्ष में होती थी। भारत का जो माल विलायत जाता था उसकी कीमत भी कुछ कम नहीं थी। इंग्लैंड प्रतिवर्ष चाय, जूट, रुई, तिलहन, ऊन और चमड़ा भारत से खरीदता था। यदि केवल चाय का विचार किया जाए तो 36 करोड़ रुपया होगा। इन बातों पर विचार करने से यह स्पष्ट है कि ज्यों-ज्यों इंग्लैंड का भारत में आर्थिक लाभ बढ़ता गया त्यों-त्यों उसका राजनीतिक स्वार्थ भी बढ़ता गया। .

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ब्रिटैनिका विश्वकोष

एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका (Encyclopædia Britannica; हिन्दी अर्थ: 'ब्रितानी विश्वकोश') ब्रिटैनिका कंपनी द्वारा प्रकाशित अंग्रेजी भाषा का विश्वकोष है। कंपनी ने 32 खंडों में प्रकाशित होने वाले इस प्रिंट संस्करण का प्रकाशन बंद कर दिया है (मार्च, २०१२) और अब डिजिटल संस्करण पर ध्यान दिये जाने की बात कही है। इंसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका को सबसे पहले 1768 में स्कॉटलैंड में प्रकाशित किया गया था। इसके नये संस्करण प्रत्येक दो साल में प्रकाशित होते थे। इसे अंतिम बार 2010 में प्रकाशित किया गया था। हर दो साल पर प्रकाशित होने वाले 32 खंडों के प्रिंटेड संस्करण की कीमत 1400 अमेरिकी डॉलर (करीब 69,900 रुपये) थी। लेकिन अब इसके ऑनलाइन संस्करण के लिए प्रति वर्ष केवल 70 अमेरिकी डॉलर (करीब 2800 रुपये) कीमत चुकानी होगी। इसके अलावा, कंपनी ने लोगों की सुविधानुसार प्रति माह के हिसाब से ऑनलाइन सदस्यता शुल्क 1.99 से लेकर 4.99 अमेरिकी डॉलर तक भी शुरू कर दिया है। .

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बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और महान दर्शन है। इसा पूर्व 6 वी शताब्धी में बौद्ध धर्म की स्थापना हुई है। बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध है। भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में लुंबिनी, नेपाल और महापरिनिर्वाण 483 ईसा पूर्व कुशीनगर, भारत में हुआ था। उनके महापरिनिर्वाण के अगले पाँच शताब्दियों में, बौद्ध धर्म पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैला और अगले दो हजार वर्षों में मध्य, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जम्बू महाद्वीप में भी फैल गया। आज, हालाँकि बौद्ध धर्म में चार प्रमुख सम्प्रदाय हैं: हीनयान/ थेरवाद, महायान, वज्रयान और नवयान, परन्तु बौद्ध धर्म एक ही है किन्तु सभी बौद्ध सम्प्रदाय बुद्ध के सिद्धान्त ही मानते है। बौद्ध धर्म दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है।आज पूरे विश्व में लगभग ५४ करोड़ लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी है, जो दुनिया की आबादी का ७वाँ हिस्सा है। आज चीन, जापान, वियतनाम, थाईलैण्ड, म्यान्मार, भूटान, श्रीलंका, कम्बोडिया, मंगोलिया, तिब्बत, लाओस, हांगकांग, ताइवान, मकाउ, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया एवं उत्तर कोरिया समेत कुल 18 देशों में बौद्ध धर्म 'प्रमुख धर्म' धर्म है। भारत, नेपाल, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, रूस, ब्रुनेई, मलेशिया आदि देशों में भी लाखों और करोडों बौद्ध हैं। .

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बोड़ो भाषा

बोड़ो या बड़ो एक तिब्बती-बर्मी भाषा है जिसे भारत के उत्तरपूर्व, नेपाल और बांग्लादेश मे रहने वाले बोडो लोग बोलते हैं। बोडो भाषा भारतीय राज्य असम की आधिकारिक भाषाओं में से एक है। भारत में यह विशेष संवैधानिक दर्जा प्राप्त २२ अनुसूचित भाषाओं में से एक है। बोडो भाषा आधिकारिक रूप से देवनागरी लिपि में लिखी जाती है। .

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बीबीसी

बीबीसी या ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोंरेशन (ब्रिटिश प्रसारण निगम) विश्व का सबसे बड़ा प्रसारण संघ है, दर्शकों की संख्या में, जिसके केवल ग्रेट ब्रिटेन में ही २६,००० कार्यकर्ता और बजट जीबी£ ४ अरब यूएस$ ७.८ अरब) से अधिक है। and the motto of the BBC is Nation Shall Speak Peace Unto Nation. The BBC is a quasi-autonomous Public Corporation operating as a public service broadcaster. The Corporation is run by the BBC Trust; however, the BBC is, per its charter, to be "free from both political and commercial influence and answers only to its viewers and listeners". Its domestic programming and broadcasts are primarily funded by levying television licence fees (under the Wireless Telegraphy Act 1949), although money is also raised through commercial activities such as sale of merchandise and programming. The BBC World Service, however, is funded by the Foreign and Commonwealth Office. In order to justify the licence fee the BBC is expected to produce a number of high-rating shows in addition to programmes that commercial broadcasters would not normally broadcast. Quite often domestic audiences affectionately refer to the BBC as the Beeb (coined by Kenny Everett). Auntie was a nickname used during the early years, said to originate in the somewhat old fashioned Auntie knows best attitude back when John Reith was in charge. The two terms have been used together as Auntie Beeb.--> .

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बीजू जनता दल

बीजू जनता दल (बीजद) ('''ବିଜୁ ଜନତା ଦଳ'''.) भारतीय राज्य ओडिशा का एक राज्यस्तरीय राजनीतिक दल है जिसका नेतृत्व राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक के पुत्र नवीन पटनायक करते हैं। इसकी स्थापना २६ दिसम्बर १९९७ को हुई। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भारत तिब्बत सीमा पुलिस

भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस (Indo-Tibetan Border Police) भारतीय अर्ध-सैनिक बल है। इसकी स्थापना २४ अक्टूबर १९६२ में भारत-तिब्बत सीमा की चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र से रक्षा हेतु की गई थी। ये बल इस सीमा पर काराकोरम दर्रा से लिपुलेख दर्रा और भारत-नेपाल-चीन त्रिसंगम तक २११५ कि॰मी॰ की लंबाई पर फैली सीमा की रक्षा करता है। आरंभ में इसकी मात्र चार बटालियन की अनुमत थीं, जिन्हें बाद में १९७६ में बल की कार्य-सीमा बढ़ाने पर १९७८ में बढोत्तरी की गई। .

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भारत मे पर्यावरण की समस्या

भारत में पर्यावरण की कई समस्या है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, कचरा, और प्राकृतिक पर्यावरण के प्रदूषण भारत के लिए चुनौतियों हैं। पर्यावरण की समस्या की परिस्थिति 1947 से 1995 तक बहुत ही खराब थी। 1995 से २०१० के बीच विश्व बैंक के विशेषज्ञों के अध्ययन के अनुसार, अपने पर्यावरण के मुद्दों को संबोधित करने और अपने पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार लाने में के अनुसार भारत दुनिया में सबसे तेजी से प्रगति कर रहा है। फिर भी, भारत विकसित अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के स्तर तक आने में इसी तरह के पर्यावरण की गुणवत्ता तक पहुँचने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है। भारत के लिए एक बड़ी चुनौती और अवसर है। पर्यावरण की समस्या का, बीमारी, स्वास्थ्य के मुद्दों और भारत के लिए लंबे समय तक आजीविका पर प्रभाव का मुख्य कारण हैं। .

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भारत में ऊर्जा

भारत में ऊर्जा 31 मार्च 2013 को विद्युत उत्‍पादन केन्‍द्रों की कुल अखिल भारतीय संस्‍थापित क्षमता 2,23,343.60 मेगावाट थी और मांग 1,35,453 मेगावाट थी। २०२० के दशक की आरम्भ तक भारत सभी को बिजली और स्वच्छ भोजन-निर्माण की सुविधाएं पहुंचाने में सफल रहेगा। इंटरनैशनल एनर्जी एजेंसी के अनुसार, भारत इन लक्ष्यों को पाने में अन्य विकासशील देशों से एक दशक आगे है। २०१२-१३ तक भारत में ऊर्जा की स्थिति निम्नलिखित सारणी में दर्शायी गयी है-: .

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भारत में धर्म

तवांग में गौतम बुद्ध की एक प्रतिमा. बैंगलोर में शिव की एक प्रतिमा. कर्नाटक में जैन ईश्वरदूत (या जिन) बाहुबली की एक प्रतिमा. 2 में स्थित, भारत, दिल्ली में एक लोकप्रिय पूजा के बहाई हॉउस. भारत एक ऐसा देश है जहां धार्मिक विविधता और धार्मिक सहिष्णुता को कानून तथा समाज, दोनों द्वारा मान्यता प्रदान की गयी है। भारत के पूर्ण इतिहास के दौरान धर्म का यहां की संस्कृति में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। भारत विश्व की चार प्रमुख धार्मिक परम्पराओं का जन्मस्थान है - हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म तथा सिक्ख धर्म.

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भारत में नगरपालिका प्रशासन

भारत में नगर प्रशासन वर्ष 1666 के बाद से ही अस्तित्व में है | मद्रास नगर निगम के 1666 गठन के साथ और फिर 1726 में कलकत्ता और बॉम्बे नगर निगम| उन्नीसवीं सदी के प्रारंभिक भाग में भारत में लगभग सभी शहरों में नगर निगम प्रशासन की मौजूदगी हो गयी थी| तब भारत के वाइसराय, लार्ड रिप्प ने नगरपालिका शासन की नींव रखी थी| 1 9 1 9 में, भारत सरकार 1 9 1 9 कानून ने लोकतांत्रिक रूप से चुने हुए नगरपालिका सरकार की शक्तियां तैयार कीं। 1935 में भारत सरकार ने राज्य सरकार और प्रांतीय सरकार के अधिकार के तहत नगरपालिका सरकार लायी और विशिष्ट शक्तियां दी गईं। .

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भारत में परिवहन

मुंबई पुणे ऐक्स्पैस वे। भारत में परिवहन देश की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण भाग है। लगभग ३२,८७,२४० किमी२ क्षेत्रफल और १,०२,८७,३७,४३६ की जनसंख्या वाले भारत में परिवहन एक अनिवार्यता भी है और सुविधा भी। १९९० के आर्थिक उदारीकरणों के बाद से देश में भौतिक आधारभूत ढाँचे का बहुत तेज़ी से विकास हुआ है और आज, देश में थल, जल और वायु परिवहन के अच्छे से विकसित विविध प्रकार के परिवहन साधन उपलब्ध हैं। लेकिन, भारत की अपेक्षाकृत निम्न जीडीपी के कारण इस साधनों तक सभी लोगों की पहुँच समान नहीं है। अभी भी केवल १०% जनसंख्या के पास ही मोटरसाइकिले हैं (लगभग १०,२८,७३,७४४)। कारों के स्वामी तो केवल कुछ धनवान लोग ही हैं: २००७ में केवल ०.७% लोगों के पास ही कारें थी (७२,०१,१६३)। सार्वजनिक यातायात अभी भी परिवहन का प्रधान साधन है और भारत का सार्वजनिक परिवन विश्व का सर्वाधिक उपयोग किया जाने वाला साधन है। सुधारों के पश्चात भी, परिवहन के बहुत से पहलू अभी भी पुराने पड़ चुके आधारभूत ढाँचे और निरंतर बढ़ती जनसंख्या के कारण जूझ रहे हैं। अभी भी ट्रक द्वारा गुड़गाँव से मुंबई के बंदरगाह तक सामान लाने-लेजाने में १० दिन का समय लग जाता है। राज्यीय सीमाओं पर घूसखोरी और कर आम बात है और टांस्पेरेंसी इंटर्नैश्नल के एक अनुमानुसार ट्रकवाले वार्षिक ५ अरब डॉलर की घूस देते हैं। यद्यपि भारत के पास विश्व परिवहन का केवल १% ही है, लेकिन यहाँ होने वाली यातायात दुर्घटनाएँ विश्व का ८% हैं। भारत के नगर बहुत ही संकुचित हैं: बहुत से महानगरों में बस की औसत गति केवल ६-१० किमी/घंटा है। भारत का रेल तंत्र विश्व का सबसे बड़ा है और विश्व का चौथा सर्वाधिक उपयोग में लाया जाने वाला। भारत के बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के कारण देश के बंदरगाहों पर दबाव बढ़ रहा है। परिवन ढाँचे और सेवाओं की माँग प्रतिवर्ष १०% की दर से बढ़ रही है। कुल मिलाकर, भारत में परिवहन तंत्र पुरानी पड़ चुकी तकनीकों, अक्षम प्रबंधन, भ्रष्टाचार, आवश्यकता से अधिक कर्मचारियों और निम्न कर्मी उत्पादकता से कारण भुगत रहा है। author.

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भारत में पर्यटन

हर साल, 3 मिलियन से अधिक पर्यटक आगरा में ताज महल देखने आते हैं। भारत में पर्यटन सबसे बड़ा सेवा उद्योग है, जहां इसका राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 6.23% और भारत के कुल रोज़गार में 8.78% योगदान है। भारत में वार्षिक तौर पर 5 मिलियन विदेशी पर्यटकों का आगमन और 562 मिलियन घरेलू पर्यटकों द्वारा भ्रमण परिलक्षित होता है। 2008 में भारत के पर्यटन उद्योग ने लगभग US$100 बिलियन जनित किया और 2018 तक 9.4% की वार्षिक वृद्धि दर के साथ, इसके US$275.5 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है। भारत में पर्यटन के विकास और उसे बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय नोडल एजेंसी है और "अतुल्य भारत" अभियान की देख-रेख करता है। विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद के अनुसार, भारत, सर्वाधिक 10 वर्षीय विकास क्षमता के साथ, 2009-2018 से पर्यटन का आकर्षण केंद्र बन जाएगा.

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भारत में पशुपालन

किसान के घर के पास बंधी हुई गायें भारत में बहुत से किसानों की जीविका पशुपालन से चलती है। दूध, मांस, अण्डा, ऊन आदि की प्राप्ति के अलावा पशुओं का उपयोग शक्ति के स्रोत के रूप में भी होता है (मुख्यतः बैल)। अतः ग्रामीन अर्थव्यवस्था में पशुपालन की महती भूमिका है। .

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भारत में पवन ऊर्जा

भारत में पवन ऊर्जा का विकास 1990 के दशक में शुरू हुआ और पिछले कुछ वर्षों में इसमें काफी वृद्धि हुई है। हालांकि डेनमार्क, या अमेरिका की तुलना में अपेक्षाकृत नवागन्तुक के रूप में भारत में पवन ऊर्जा की स्थापित क्षमता दुनिया में पांचवें स्थान पर है। "विश्व पवन ऊर्जा रिपोर्ट 2008" रिपोर्ट यथा 31 अक्टूबर 2009, भारत में स्थापित पवन ऊर्जा की क्षमता 11806.69 मेगावाट थी, जो मुख्य रूप से तमिलनाडु (4900.765 मेगावाट) http://www.tn.gov.in/policynotes/pdf/energy.pdf, महाराष्ट्र (1945.25 मेगावाट), गुजरात (1580.61 मेगावाट), कर्नाटक (1350.23 मेगावाट) राजस्थान (745.5 मेगावाट), मध्य प्रदेश (212.8 मेगावाट), आन्ध्र प्रदेश (132.45 मेगावाट), केरल (46.5 मेगावाट), ओडिशा (2MW), पश्चिम बंगाल (1.1 मेगावाट) और अन्य राज्यों (3.20 मेगावाट) http://www.indianwindpower.com/installed_wind_capacity.php में फैली हुई थी। ऐसा अनुमान है कि 6,000 मेगावाट की अतिरिक्त पवन ऊर्जा को वर्ष 2012 तक भारत में स्थापित किया जाएगा। भारत में स्थापित कुल ऊर्जा क्षमता का 6% पवन ऊर्जा से प्राप्त होता है और देश की ऊर्जा का 1% इससे उत्पन्न होता है। http://www.peopleandplanet.net/doc.php?id.

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भारत में बौद्ध धर्म

भारत में बौद्ध धर्म से इनका उल्लेख होता हैं: भारत में बौद्ध धर्म का जन्म ईसा पूर्व 6वीं शताब्दी में हुआ था और तब से यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग बन गया है। वर्षों से, सम्पूर्ण भारत में हिन्दु और बौद्ध संस्कृतियों का एक अद्भुत मिलन होता आया है और भारत के आर्थिक उदय और सांस्कृतिक प्रभुत्व में बौद्धों ने महती भूमिका निभाई है। भारत में बौद्ध धर्म ईसा पूर्व 6वी शताब्धी से 8वी शताब्धी तक भारत में बौद्ध धर्म रहा। लेकिन देशी-विदेशी धर्मों के खून खराबे, हिंसक शक्ती से जुंजते हुए बौद्ध धर्म भारत में 12वी शताब्धी तक रहा और हिमालयीन प्रदशों के उपरांत अन्य राज्यों में नहीं के बराबर हो गया। .

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भारत में बौद्ध धर्म का इतिहास

भारत में बौद्ध धर्म का जन्म ईसा पूर्व 6वीं शताब्दी में हुआ था और तब से यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग बन गया है। वर्षों से, सम्पूर्ण भारत में हिन्दु और बौद्ध संस्कृतियों का एक अद्भुत मिलन होता आया है और भारत के आर्थिक उदय और सांस्कृतिक प्रभुत्व में बौद्धों ने महती भूमिका निभाई है। भारत में बौद्ध धर्म ईसा पूर्व 6वी शताब्धी से 8वी शताब्धी तक भारत में बौद्ध धर्म रहा। लेकिन देशी-विदेशी धर्मों के खून खराबे, हिंसक शक्ती से जुंजते हुए बौद्ध धर्म भारत में 12वी शताब्धी तक रहा और हिमालयीन प्रदशों के उपरांत अन्य राज्यों में नहीं के बराबर हो गया। 20वी शताब्धी के मध्य सन 1956 में आधुनिक भारत के निर्माता और बौद्ध विद्वान डॉ॰ भीमराव आंबेडकर द्वारा अपने लाखों अनुयायीओं के साथ बौद्ध धर्म अपनाकर बौद्ध धर्म को भारत पुनर्जीवीत किया। भीमराव आंबेडकर के प्रभाव से एक सर्वेक्षण के अनुसार सन 1959 तक देश के करीब 2 करोड़ लोगों ने बौद्ध धर्म को ग्रहण किया था। .

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भारत में बैंकिंग

भारत की बैंकिंग-संरचना भारत में आधुनिक बैंकिंग सेवाओं का इतिहास दो सौ वर्ष पुराना है। भारत के आधुनिक बैंकिंग की शुरुआत ब्रिटिश राज में हुई। १९वीं शताब्दी के आरंभ में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने ३ बैंकों की शुरुआत की - बैंक ऑफ बंगाल १८०९ में, बैंक ऑफ बॉम्बे १८४० में और बैंक ऑफ मद्रास १८४३ में। लेकिन बाद में इन तीनों बैंको का विलय एक नये बैंक 'इंपीरियल बैंक' में कर दिया गया जिसे सन १९५५ में 'भारतीय स्टेट बैंक' में विलय कर दिया गया। इलाहाबाद बैंक भारत का पहला निजी बैंक था। भारतीय रिजर्व बैंक सन १९३५ में स्थापित किया गया था और बाद में पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ़ इंडिया, केनरा बैंक और इंडियन बैंक स्थापित हुए। प्रारम्भ में बैंकों की शाखायें और उनका कारोबार वाणिज्यिक केन्द्रों तक ही सीमित होती थी। बैंक अपनी सेवायें केवल वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को ही उपलब्ध कराते थे। स्वतन्त्रता से पूर्व देश के केन्द्रीय बैंक के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक ही सक्रिय था। जबकि सबसे प्रमुख बैंक इम्पीरियल बैंक ऑफ इण्डिया था। उस समय भारत में तीन तरह के बैंक कार्यरत थे - भारतीय अनुसूचित बैंक, गैर अनुसूचित बैंक और विदेशी अनुसूचित बैंक। स्वतन्त्रता के उपरान्त भारतीय रिजर्व बैंक को केन्द्रीय बैंक का दर्जा बरकरार रखा गया। उसे 'बैंकों का बैंक' भी घोषित किया गया। सभी प्रकार की मौद्रिक नीतियों को तय करने और उसे अन्य बैंकों तथा वित्तीय संस्थाओं द्वारा लागू कराने का दायित्व भी उसे सौंपा गया। इस कार्य में भारतीय रिजर्व बैंक की नियंत्रण तथा नियमन शक्तियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। .

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भारत में भांग

भारत में भांग (Cannabis) का उपयोग कम से कम २००० ईसापूर्व से हो रहा है। वर्तमान समय में भारत में भांग के कुछ परम्परागत उपयोगों को छोडकर अन्य सभी प्रकार के भांग के उपयोग अवैध है। भारतीय समाज में प्रयुक्त भांग से व्युत्पन्न चीजें ये हैं- चरस (रेजिन), गाँजा (फूल), भांग (पत्तियाँ एवं बीज)। भांग की ठण्डाई वैध है और सरवाधिक लोकप्रिय है। .

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भारत में मानवाधिकार

देश के विशाल आकार और विविधता, विकसनशील तथा संप्रभुता संपन्न धर्म-निरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणतंत्र के रूप में इसकी प्रतिष्ठा, तथा एक भूतपूर्व औपनिवेशिक राष्ट्र के रूप में इसके इतिहास के परिणामस्वरूप भारत में मानवाधिकारों की परिस्थिति एक प्रकार से जटिल हो गई है। भारत का संविधान मौलिक अधिकार प्रदान करता है, जिसमें धर्म की स्वतंत्रता भी अंतर्भूक्त है। संविधान की धाराओं में बोलने की आजादी के साथ-साथ कार्यपालिका और न्यायपालिका का विभाजन तथा देश के अन्दर एवं बाहर आने-जाने की भी आजादी दी गई है। यह अक्सर मान लिया जाता है, विशेषकर मानवाधिकार दलों और कार्यकर्ताओं के द्वारा कि दलित अथवा अछूत जाति के सदस्य पीड़ित हुए हैं एवं लगातार पर्याप्त भेदभाव झेलते रहे हैं। हालांकि मानवाधिकार की समस्याएं भारत में मौजूद हैं, फिर भी इस देश को दक्षिण एशिया के दूसरे देशों की तरह आमतौर पर मानवाधिकारों को लेकर चिंता का विषय नहीं माना जाता है। इन विचारों के आधार पर, फ्रीडम हाउस द्वारा फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2006 को दिए गए रिपोर्ट में भारत को राजनीतिक अधिकारों के लिए दर्जा 2, एवं नागरिक अधिकारों के लिए दर्जा 3 दिया गया है, जिससे इसने स्वाधीन की संभतः उच्चतम दर्जा (रेटिंग) अर्जित की है। .

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भारत में मौत की सज़ा

भारत में मौत की सज़ा कुछ गंभीर अपराधों के लिए दी जाती है।Majumder, Sanjoy.

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भारत में लौह युग

भारतीय उपमहाद्वीप की प्रागितिहास में, लौह युग गत हड़प्पा संस्कृति (कब्र संस्कृति) के उत्तरगामी काल कहलाता है। वर्तमान में उत्तरी भारत के मुख्य लौह युग की पुरातात्विक संस्कृतियां, गेरूए रंग के मिट्टी के बर्तनों की संस्कृति (1200 से 600 ईसा पूर्व) और उत्तरी काले रंग के तराशे बर्तन की संस्कृति (700 से 200 ईसा पूर्व) में देखी जा सकती हैं। इस काल के अंत तक वैदिक काल के जनपद या जनजातीय राज्यों का सोलह महाजनपदों या प्रागैतिहासिक काल के राज्यों के रूप में संक्रमण हुआ, जो ऐतिहासिक बौद्ध मौर्य साम्राज्य के उद्भव में सहायक हुआ। .

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भारत में सामूहिक विनाश के हथियार

भारत के पास परमाणु हथियार के रूप में सामूहिक विनाश के हथियार हैं और अतीत में, रासायनिक हथियार भी थे। हालांकि भारत ने अपने परमाणु शस्त्रागार के आकार के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है पर हाल के अनुमान के मुताबिक भारत के पास लगभग 150-160 परमाणु हथियार हैं। 1999 में भारत के पास 800 किलो रिएक्टर ग्रेड और कुल 8300 किलो असैनिक प्लूटोनियम था जो लगभग 1,000 परमाणु हथियारों के लिए पर्याप्त है। भारत ने 1968 की परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं, भारत का तर्क है कि यह संधि केवल कुछ देशों तक ही परमाणु तकनीक को सीमित करती है और सामान्य परमाणु निरशास्त्रिकारण भी को रोकती है। भारत ने जैविक हथियारों सम्मेलन और रासायनिक हथियार कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किये हैं व पुष्टि भी की है। भारत मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR) का एक सदस्य है और द हेग आचार संहिता (The Hague Code of Conduct) की सदस्यता लेने वाला देश है। .

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भारत में सार्वजनिक अवकाश

भारत अनेकता में एकता वाला देश है जहाँ विविध और उत्कट संस्कृतियों वाले समाज के लोग रहते हैं। यहाँ पर स्‍वतंत्रता दिवस, गणतन्त्र दिवस और गांधी जयंती के रूप में तीन राष्ट्रीय अवकाश दिवश हैं। राज्य और क्षेत्र प्रचलित धार्मिक और भाषाई जनसांख्यिकी के आधार पर क्षेत्रिय त्यौंहार भी होते हैं। हिन्दू धर्म के दीपावली, गणेश चतुर्थी, होली एवं नवरात्रि, इस्लाम में ईद उल-फ़ित्र एवं ईद-उल-अज़हा, बौद्ध धर्म में बुद्ध जयंती एवं आंबेडकर जयंती, इसाई धर्म में क्रिसमिस एवं गुड फ़्राइडे जैसे त्यौंहार देशभर में लोकप्रिय हैं। .

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भारत में साक्षरता

भारत में साक्षरता दर 75.06 है (2011), जो की 1947 में मात्र 18 % थी। भारत की साक्षरता दर विश्व की साक्षरता दर 84% से कम है। भारत में साक्षरता के मामले में पुरुष और महिलाओं में काफ़ी अंतर है जहा पुरुषों की साक्षरता दर 82.14 है वहीं महिलाओं में इसका प्रतिशत केवल 65.46 है। महिलाओं में कम साक्षरता का कारण अधिक आबादी और परिवार नियोजन की जानकारी कमी है। भारत की साक्षरता .

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भारत में संचार

भारतीय दूरसंचार उद्योग दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता दूरसंचार उद्योग है, जिसके पास अगस्त 2010http://www.trai.gov.in/WriteReadData/trai/upload/PressReleases/767/August_Press_release.pdf तक 706.37 मिलियन टेलीफोन (लैंडलाइन्स और मोबाइल) ग्राहक तथा 670.60 मिलियन मोबाइल फोन कनेक्शन्स हैं। वायरलेस कनेक्शन्स की संख्या के आधार पर यह दूरसंचार नेटवर्क मुहैया करने वाले देशों में चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारतीय मोबाइल ग्राहक आधार आकार में कारक के रूप में एक सौ से अधिक बढ़ी है, 2001 में देश में ग्राहकों की संख्या लगभग 5 मिलियन थी, जो अगस्त 2010 में बढ़कर 670.60 मिलियन हो गयी है। चूंकि दूरसंचार उद्योग दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है, इसलिए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 2013 तक भारत में 1.159 बिलियन मोबाइल उपभोक्ता हो जायेंगे.

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भारत में सौर ऊर्जा

भारत में सौर ऊर्जा हेतु विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा किया जाता है। भारत की घनी आबादी और उच्च सौर आतपन सौर ऊर्जा को भारत के लिए एक आदर्श ऊर्जा स्रोत बनाता है। किंतु सौर ऊर्जा निरंतर खर्चीली है और इस पर भारी निवेश की जरूरत पड़ती है। सौर ऊर्जा का स्‍वरूप अस्थिर है जिससे इसे ग्रिड में समायोजित करना मुश्किल होता है। लोगों की जागरुकता का अभाव, उच्‍च उत्‍पादन लागत तथा वर्तमान ऊर्जा को छोड़ने की सीमाएं एवं पारेषण (ट्रांसमशिन) नेटवर्क को देशभर में सौर ऊर्जा क्षमता के भरपूर दोहन की दि‍शा में मुख्‍य बाधा के रूप में माना गया है। हैंडबुक ऑन सोलर रेडिएशन ओवर इंडिया के अनुसार, भारत के अधिकांश भाग में एक वर्ष में 250-300 धूप निकलने वाले दिनों सहित प्रतिदिन प्रति वर्गमीटर 4-7 किलोवाट घंटे का सौर विकिरण प्राप्त होता है। राजस्थान और गुजरात में प्राप्त सौर विकिरण उड़ीसा में प्राप्त विकिरण की अपेक्षा ज्यादा है। देश में 30-50 मेगावाट/ प्रतिवर्ग किलोमीटर छायारहित खुला क्षेत्र होने के बावजूद उपलब्‍ध क्षमता की तुलना में देश में सौर ऊर्जा का दोहन काफी कम है (जो 31-5-2014 की स्थिति के अनुसार 2647 मेगावाट है)। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने सौर ऊर्जा की क्षमता बढ़ाने के लिए काफी प्रयास किए जिसके फलस्वरूप 2016 मकर संक्रांति/पोंगल तक भारत में सौर ऊर्जा की स्‍थापित क्षमता 5,000 मेगावाट का जादुई आंकड़ा पार कर गई। 2015 में हुए पेरिस जलवायु सम्मेलन में नरेंद्र मोदी ने भारत के नेतृत्व में १०० से भी अधिक "सूर्यपुत्र" देशों के संगठन इंटरनेशनल एजेंसी फॉर सोलर टेक्नोलॉजीज़ एंड एप्लीकेशन्स की भी घोषणा की।   http://hindi.economictimes.indiatimes.com/business/business-news/global-solar-alliance-with-india-will-increase-step/articleshow/49972752.cms .

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भारत में सैन्य अकादमियाँ

भारतीय सैन्य सेवा ने पेशेवर सैनिकों को नई पीढ़ी के सैन्य विज्ञान, युद्ध कमान तथा रणनीति और सम्बंधित प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से भारत के विभिन्न हिस्सों में कई प्रतिष्ठित अकादमियों और स्टाफ कॉलेजों की स्थापना की है। .

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भारत में हिन्दू धर्म

हिन्दू धर्म भारत का सबसे बड़ा और मूल धार्मिक समूह है और भारत की 79.8% जनसंख्या (96.8 करोड़) इस धर्म की अनुयाई है। भारत में वैदिक संस्कृति का उद्गम २००० से १५०० ईसा पूर्व में हुआ था। जिसके फलस्वरूप हिन्दू धर्म को, वैदिक धर्म का क्रमानुयायी माना जाता है, जिसका भारतीय इतिहास पर गहन प्रभाव रहा है। स्वयं इण्डिया नाम भी यूनानी के Ἰνδία (इण्डस) से निकला है, जो स्वयं भी प्राचीन फ़ारसी शब्द हिन्दू से निकला, जो संस्कृत से सिन्धु से निकला, जो इस क्षेत्र में बहने वाली सिन्धु नदी के लिए प्रयुक्त किया गया था। भारत का एक अन्य प्रचलित नाम हिन्दुस्तान है, अर्थात "हिन्दुओं की भूमि"। .

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भारत में जैन धर्म

भारत में जैन धर्म छटा सबसे बड़ा धर्म है और पूरे देश भर में प्रचलित है। भारत की 1.028 अरब जनसंख्या में 4,200,000 लोग जैन धर्म के अनुयायी हैं, यद्यपि जैन धर्म का प्रसार बहुत दूर तक है जो जनसंख्या से कहीं अधिक है। भारत के केन्द्र शासित प्रदेशों एवं सभी राज्यों में से ३५ में से ३४ में जैन लोग हैं, केवल लक्षद्वीप एक मात्र केन्द्र शासित प्रदेश है जिसमें जैन धर्म नहीं है। झारखण्ड जैसे छोटे राज्य में भी 16,301 जैन धर्मावलम्बी हैं और वहाँ पर शिखरजी का पवित्र तीर्थस्थल है। भारत की एक जनजाति सराक .

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भारत में ईसाई धर्म

माना जाता है कि भारत में ईसाई धर्म की शुरुवात ईसा मसीह के बारह मूल धर्मदूतों में से एक थॉमस के सन ५२ में केरल में आने के बाद हुई। विद्वानों की सहमति है कि ईसाई धर्म निश्चित तौर पर ६वीं शताब्दी ईस्वी से भारत में स्थापित हो गया था। भारत की २०११ की जनगणना मे मुताबीक २॰३% जनसंख्या ईसाई धर्म की है, जो की लगभग २॰७८ करोड होती है। .

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भारत में विधिक शिक्षा

भारत के सन्दर्भ में विधिक शिक्षा से आशय अपना पेशा शुरू करने से पहले अधिवक्ताओं को दी जाने वाली शिक्षा से है। भारत में विधि की शिक्षा परम्परागत विश्वविद्यालयों के साथ-साथ कानून की शिक्षा के लिये स्थापित कुछ विशिष्ट विश्वविद्यालयों द्वारा दी जाती है। .

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भारत में ग़रीबी

देशों के अनुसार दुनिया में ग़रीबी का नक़्शा जिसमें '''$1.25 प्रति दिन''' से कम में रहने वाली आबादी दिखाई गई है। संयुक्त राष्ट्र की 2009 विकास रिपोर्ट के आधा पर। भारत में ग़रीबी बहुत व्यापक है जहाँ अन्दाज़े के मुताबिक़ दुनिया की सारी ग़रीब आबादी का तीसरा हिस्सा रहता है। 2010 में विश्व बैंक ने सूचना दी कि भारत के 32.7% लोग रोज़ना की 1.25 की अंतर्राष्ट्रीय ग़रीबी रेखा के नीचे रहते हैं और 68.7% लोग रोज़ना की 2 से कम में गुज़ारा करते हैं। योजना आयोग के साल 2009-2010 के गरीबी आंकड़े कहते हैं कि पिछले पांच साल के दौरान देश में गरीबी 37.2 फीसदी से घटकर 29.8 फीसदी पर आ गई है। यानि अब शहर में 28 रुपए 65 पैसे प्रतिदिन और गाँवों में 22 रुपये 42 पैसे खर्च करने वाले को गरीब नहीं कहा जा सकता.

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भारत में आतंकवाद

भारत बहुत समय से आतंकवाद का शिकार हो रहा है। भारत के काश्मीर, नागालैंड, पंजाब, असम, बिहार आदि विशेषरूप से आतंक से प्रभावित रहे हैं। यहाँ कई प्रकार के आतंकवादी जैसे पाकिस्तानी, इस्लामी, माओवादी, नक्सली, सिख, ईसाई आदि हैं। जो क्षेत्र आज आतंकवादी गतिविधियों से लम्बे समय से जुड़े हुए हैं उनमें जम्मू-कश्मीर, मुंबई, मध्य भारत (नक्सलवाद) और सात बहन राज्य (उत्तर पूर्व के सात राज्य) (स्वतंत्रता और स्वायत्तता के मामले में) शामिल हैं। अतीत में पंजाब में पनपे उग्रवाद में आंतकवादी गतिविधियां शामिल हो गयीं जो भारत देश के पंजाब राज्य और देश की राजधानी दिल्ली तक फैली हुई थीं। 2006 में देश के 608 जिलों में से कम से कम 232 जिले विभिन्न तीव्रता स्तर के विभिन्न विद्रोही और आतंकवादी गतिविधियों से पीड़ित थे। अगस्त 2008 में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम.के.

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भारत में आरक्षण

भारत में गरीबी रेखा से नीचे लोगों के जाति और समुदाय प्रोफ़ाइल, सच्चर रिपोर्ट जैसे दर्शाया गया सरकारी सेवाओं और संस्थानों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं रखने वाले पिछड़े समुदायों तथा अनुसूचित जातियों और जनजातियों से सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए भारत सरकार ने अब भारतीय कानून के जरिये सरकारी तथा सार्वजनिक क्षेत्रों की इकाइयों और धार्मिक/भाषाई अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों को छोड़कर सभी सार्वजनिक तथा निजी शैक्षिक संस्थानों में पदों तथा सीटों के प्रतिशत को आरक्षित करने की कोटा प्रणाली प्रदान की है। भारत के संसद में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधित्व के लिए भी आरक्षण नीति को विस्तारित किया गया है। भारत की केंद्र सरकार ने उच्च शिक्षा में 27% आरक्षण दे रखा है और विभिन्न राज्य आरक्षणों में वृद्धि के लिए क़ानून बना सकते हैं। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार 50% से अधिक आरक्षण नहीं किया जा सकता, लेकिन राजस्थान जैसे कुछ राज्यों ने 68% आरक्षण का प्रस्ताव रखा है, जिसमें अगड़ी जातियों के लिए 14% आरक्षण भी शामिल है। आम आबादी में उनकी संख्या के अनुपात के आधार पर उनके बहुत ही कम प्रतिनिधित्व को देखते हुए शैक्षणिक परिसरों और कार्यस्थलों में सामाजिक विविधता को बढ़ाने के लिए कुछ अभिज्ञेय समूहों के लिए प्रवेश मानदंड को नीचे किया गया है। कम-प्रतिनिधित्व समूहों की पहचान के लिए सबसे पुराना मानदंड जाति है। भारत सरकार द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य और राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के अनुसार, हालांकि कम-प्रतिनिधित्व के अन्य अभिज्ञेय मानदंड भी हैं; जैसे कि लिंग (महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है), अधिवास के राज्य (उत्तर पूर्व राज्य, जैसे कि बिहार और उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व कम है), ग्रामीण जनता आदि। मूलभूत सिद्धांत यह है कि अभिज्ञेय समूहों का कम-प्रतिनिधित्व भारतीय जाति व्यवस्था की विरासत है। भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के संविधान ने पहले के कुछ समूहों को अनुसूचित जाति (अजा) और अनुसूचित जनजाति (अजजा) के रूप में सूचीबद्ध किया। संविधान निर्माताओं का मानना था कि जाति व्यवस्था के कारण अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ऐतिहासिक रूप से पिछड़े रहे और उन्हें भारतीय समाज में सम्मान तथा समान अवसर नहीं दिया गया और इसीलिए राष्ट्र-निर्माण की गतिविधियों में उनकी हिस्सेदारी कम रही। संविधान ने सरकारी सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं की खाली सीटों तथा सरकारी/सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में अजा और अजजा के लिए 15% और 7.5% का आरक्षण था।बाद में, अन्य वर्गों के लिए भी आरक्षण शुरू किया गया। 50% से अधिक का आरक्षण नहीं हो सकता, सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से (जिसका मानना है कि इससे समान अभिगम की संविधान की गारंटी का उल्लंघन होगा) आरक्षण की अधिकतम सीमा तय हो गयी। हालांकि, राज्य कानूनों ने इस 50% की सीमा को पार कर लिया है और सर्वोच्च न्यायलय में इन पर मुकदमे चल रहे हैं। उदाहरण के लिए जाति-आधारित आरक्षण भाग 69% है और तमिलनाडु की करीब 87% जनसंख्या पर यह लागू होता है (नीचे तमिलनाडु अनुभाग देखें)। .

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भारत में इस्लाम

भारतीय गणतंत्र में हिन्दू धर्म के बाद इस्लाम दूसरा सर्वाधिक प्रचलित धर्म है, जो देश की जनसंख्या का 14.2% है (2011 की जनगणना के अनुसार 17.2 करोड़)। भारत में इस्लाम का आगमन करीब 7वीं शताब्दी में अरब के व्यापारियों के आने से हुआ था (629 ईसवी सन्‌) और तब से यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग बन गया है। वर्षों से, सम्पूर्ण भारत में हिन्दू और मुस्लिम संस्कृतियों का एक अद्भुत मिलन होता आया है और भारत के आर्थिक उदय और सांस्कृतिक प्रभुत्व में मुसलमानों ने महती भूमिका निभाई है। हालांकि कुछ इतिहासकार ये दावा करते हैं कि मुसलमानों के शासनकाल में हिंदुओं पर क्रूरता किए गए। मंदिरों को तोड़ा गया। जबरन धर्मपरिवर्तन करा कर मुसलमान बनाया गया। ऐसा भी कहा जाता है कि एक मुसलमान शासक टीपू शुल्तान खुद ये दावा करता था कि उसने चार लाख हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करवाया था। न्यूयॉर्क टाइम्स, प्रकाशित: 11 दिसम्बर 1992 विश्व में भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां सरकार हज यात्रा के लिए विमान के किराया में सब्सिडी देती थी और २००७ के अनुसार प्रति यात्री 47454 खर्च करती थी। हालांकि 2018 से रियायत हटा ली गयी है। .

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भारत में कन्या भ्रूण हत्या

भारत में कन्या भ्रूण हत्या कानूनी तरीकों से बाहर जाकर महिला भ्रूण का गर्भपात करवाने की प्रक्रिया के लिए काम में लिया जाने वाला वाक्यांश है। इसकी आवृत्ति की गणना भारत में उचित जन्म लिंगानुपात से ज्ञात किया जाता है जो जन्म के समय लड़के और लड़कियों के अनुपात को निर्देशित करता है। प्राकृतिक अनुपात 103 से 107 के मध्य माना जाता है लेकिन इससे बड़ी संख्या महिला भ्रूण हत्या के रूप में निर्देशित किया जाता है। भारत की दशकीय जनगणना के अनुसार 0 से 6 वर्ष आयु समूह के बच्चों का लिंगानुपात वर्ष 1961 में 102.4 से 1980 में 104.2, वर्ष 2001 में 107.5, वर्ष 2011 में 108.9 तक बढ़ा है। भारत में जनगणना, भारत सरकार (2013) .

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भारत में कार्यरत बैंकों की सूची

यहाँ सहकारी बैंको को छोड़कर भारत में कार्यरत अन्य बैंकों की सूची दी गयी है। .

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भारत में कृषि

भारत के अधिकांश उत्सव सीधे कृषि से जुड़े हुए हैं। होली खेलते बच्चे कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। भारत में कृषि सिंधु घाटी सभ्यता के दौर से की जाती रही है। १९६० के बाद कृषि के क्षेत्र में हरित क्रांति के साथ नया दौर आया। सन् २००७ में भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि एवं सम्बन्धित कार्यों (जैसे वानिकी) का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में हिस्सा 16.6% था। उस समय सम्पूर्ण कार्य करने वालों का 52% कृषि में लगा हुआ था। .

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भारत राष्ट्रीय रग्बी यूनियन टीम

भारत राष्ट्रीय रग्बी यूनियन टीम, भारत की पुरुषों की राष्ट्रीय रग्बी यूनियन टीम है। .

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भारत गणराज्य का इतिहास

भारत गणतन्त्र का इतिहास 26 जनवरी 1950 को शुरू होता है। राष्ट्र को धार्मिक हिंसा, जातिवाद, नक्सलवाद, आतंकवाद और विशेषकर जम्मू और कश्मीर तथा उत्तरपूर्वी भारत में, क्षेत्रीय अलगाववादी विर्द्रोहों का सामना करना पड़ा। भारत एक परमाणु-हथियार सम्पन्न राज्य है; इसने पहला परमाणु परीक्षण १९७४ में किया, व १९९८ में बाद में और पाँच परीक्षण कियें। 1950 के दशक के लेकर 1980 के दशक तक, भारत ने समाजवादी-प्रेरित नीतियों का अनुसरण किया। अर्थव्यवस्था लाइसेंस राज, संरक्षणवाद और सार्वजिक स्वामित्व से बन्धी हुई थी, जिसका परिणामस्वरूप भ्रष्टाचार और धीमा आर्थिक विकास थे। 1991 में शुरू हुएँ नव-उदार आर्थिक सुधारों ने भारत को विश्व में तीसरी सबसे बड़ी और सबसे तेज़ विकसित होती अर्थव्यवस्था में परिवर्तित कर दिया। आज, भारत, वैश्विक मामलों में एक प्रमुख आवाज़ के साथ, एक प्रमुख विश्व शक्ति हैं और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट हेतु प्रयासरत हैं। अनेक अर्थशास्त्रियों, सैन्य विश्लेषकों और बुद्धिजीवियों की यह अपेक्षा हैं कि भारत निकट भविष्य में एक महाशक्ति बनेगा। .

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भारत का ध्वज

भारत के राष्ट्रीय ध्वज जिसे तिरंगा भी कहते हैं, तीन रंग की क्षैतिज पट्टियों के बीच नीले रंग के एक चक्र द्वारा सुशोभित ध्वज है। इसकी अभिकल्पना पिंगली वैंकैया ने की थी।। भास्‍कर डॉट कॉम। १५ अगस्त २००९ इसे १५ अगस्त १९४७ को अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व २२ जुलाई, १९४७ को आयोजित भारतीय संविधान-सभा की बैठक में अपनाया गया था।। भारत के राष्ट्रीय पोर्टल पर इसमें तीन समान चौड़ाई की क्षैतिज पट्टियाँ हैं, जिनमें सबसे ऊपर केसरिया, बीच में श्वेत ओर नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी है। ध्वज की लम्बाई एवं चौड़ाई का अनुपात ३:२ है। सफेद पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है जिसमें २४ आरे होते हैं। इस चक्र का व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है व रूप सारनाथ में स्थित अशोक स्तंभ के शेर के शीर्षफलक के चक्र में दिखने वाले की तरह होता है। भारतीय राष्ट्रध्वज अपने आप मै ही भारत की निति को दर्शाता हुआ दिखाई देता है। आत्मरक्षा, शांति, समृद्धि और सदैव विकास की ओर अग्रसर। राष्ट्रीय झंडा निर्दिष्टीकरण के अनुसार झंडा खादीमें ही बनना चाहिए। यह एक विशेष प्रकार से हाथ से काते गए कपड़े से बनता है जो महात्मा गांधी द्वारा लोकप्रिय बनाया गया था। इन सभी विशिष्टताओं को व्यापक रूप से भारत में सम्मान दिया जाता हैं भारतीय ध्वज संहिता के द्वारा इसके प्रदर्शन और प्रयोग पर विशेष नियंत्रण है। ध्वज का हेराल्डिक वर्णन इस प्रकार से होता है: .

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भारत का प्रधानमन्त्री

भारत गणराज्य के प्रधानमन्त्री (सामान्य वर्तनी:प्रधानमंत्री) का पद भारतीय संघ के शासन प्रमुख का पद है। भारतीय संविधान के अनुसार, प्रधानमन्त्री केंद्र सरकार के मंत्रिपरिषद् का प्रमुख और राष्ट्रपति का मुख्य सलाहकार होता है। वह भारत सरकार के कार्यपालिका का प्रमुख होता है और सरकार के कार्यों के प्रति संसद को जवाबदेह होता है। भारत की संसदीय राजनैतिक प्रणाली में राष्ट्रप्रमुख और शासनप्रमुख के पद को पूर्णतः विभक्त रखा गया है। सैद्धांतिकरूप में संविधान भारत के राष्ट्रपति को देश का राष्ट्रप्रमुख घोषित करता है और सैद्धांतिकरूप में, शासनतंत्र की सारी शक्तियों को राष्ट्रपति पर निहित करता है। तथा संविधान यह भी निर्दिष्ट करता है कि राष्ट्रपति इन अधिकारों का प्रयोग अपने अधीनस्थ अधकारियों की सलाह पर करेगा। संविधान द्वारा राष्ट्रपति के सारे कार्यकारी अधिकारों को प्रयोग करने की शक्ति, लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित, प्रधानमन्त्री को दी गयी है। संविधान अपने भाग ५ के विभिन्न अनुच्छेदों में प्रधानमन्त्रीपद के संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों को निर्धारित करता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद ७४ में स्पष्ट रूप से मंत्रिपरिषद की अध्यक्षता तथा संचालन हेतु प्रधानमन्त्री की उपस्थिति को आवश्यक माना गया है। उसकी मृत्यु या पदत्याग की दशा मे समस्त परिषद को पद छोडना पडता है। वह स्वेच्छा से ही मंत्रीपरिषद का गठन करता है। राष्ट्रपति मंत्रिगण की नियुक्ति उसकी सलाह से ही करते हैं। मंत्री गण के विभाग का निर्धारण भी वही करता है। कैबिनेट के कार्य का निर्धारण भी वही करता है। देश के प्रशासन को निर्देश भी वही देता है तथा सभी नीतिगत निर्णय भी वही लेता है। राष्ट्रपति तथा मंत्रीपरिषद के मध्य संपर्कसूत्र भी वही हैं। मंत्रिपरिषद का प्रधान प्रवक्ता भी वही है। वह सत्तापक्ष के नाम से लड़ी जाने वाली संसदीय बहसों का नेतृत्व करता है। संसद मे मंत्रिपरिषद के पक्ष मे लड़ी जा रही किसी भी बहस मे वह भाग ले सकता है। मन्त्रीगण के मध्य समन्वय भी वही करता है। वह किसी भी मंत्रालय से कोई भी सूचना आवश्यकतानुसार मंगवा सकता है। प्रधानमन्त्री, लोकसभा में बहुमत-धारी दल का नेता होता है, और उसकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा में बहुमत सिद्ध करने पर होती है। इस पद पर किसी प्रकार की समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई है परंतु एक व्यक्ति इस पद पर केवल तब तक रह सकता है जबतक लोकसभा में बहुमत उसके पक्ष में हो। संविधान, विशेष रूप से, प्रधानमन्त्री को केंद्रीय मंत्रिमण्डल पर पूर्ण नियंत्रण प्रदान करता है। इस पद के पदाधिकारी को सरकारी तंत्र पर दी गयी अत्यधिक नियंत्रणात्मक शक्ति, प्रधानमन्त्री को भारतीय गणराज्य का सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्ति बनाती है। विश्व की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या, सबसे बड़े लोकतंत्र और विश्व की तीसरी सबसे बड़ी सैन्य बलों समेत एक परमाणु-शस्त्र राज्य के नेता होने के कारण भारतीय प्रधानमन्त्री को विश्व के सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्तियों में गिना जाता है। वर्ष २०१० में फ़ोर्ब्स पत्रिका ने अपनी, विश्व के सबसे शक्तिशाली लोगों की, सूची में तत्कालीन प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह को १८वीं स्थान पर रखा था तथा २०१२ और २०१३ में उन्हें क्रमशः १९वें और २८वें स्थान पर रखा था। उनके उत्तराधिकारी, नरेंद्र मोदी को वर्ष २०१४ में १५वें स्थान पर तथा वर्ष २०१५ में विश्व का ९वाँ सबसे शक्तिशाली व्यक्ति नामित किया था। इस पद की स्थापना, वर्त्तमान कर्तव्यों और शक्तियों के साथ, २६ जनवरी १९४७ में, संविधान के परवर्तन के साथ हुई थी। उस समय से वर्त्तमान समय तक, इस पद पर कुल १५ पदाधिकारियों ने अपनी सेवा दी है। इस पद पर नियुक्त होने वाले पहले पदाधिकारी जवाहरलाल नेहरू थे जबकि भारत के वर्तमान प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी हैं, जिन्हें 26 मई 2014 को इस पद पर नियुक्त किया गया था। .

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भारत का भूविज्ञान

भारत क काल-स्तरिक (chronostratigraphic) विभागों का मानचित्र भारत का भूवैज्ञानिक मानचित्र भारतीय भू‍वैज्ञानिक क्षेत्र व्‍यापक रूप से भौतिक विशेषताओं का पालन करते हैं और इन्‍हें तीन क्षेत्रों के समूह में रखा जा सकता है.

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भारत का राजचिन्ह

भारत का राजचिन्ह, भारतीय पहचान और विरासत का मूलभूत हिस्‍सा हैं। विश्‍व भर में बसे विविध पृष्‍ठभूमियों के भारतीय इन राष्‍ट्रीय प्रतीकों पर गर्व करते हैं क्‍योंकि वे प्रत्‍येक भारतीय के हृदय में गौरव और देश भक्ति की भावना का संचार करते हैं। right .

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भारत का लैंगिक इतिहास

खजुराहो में अप्सराओं का चित्रण सनातन धर्म में काम को चार पुरुषार्थों में स्थान प्राप्त है। सेक्स के इतिहास में भारत की भूमिका अति महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में ही पहले ऐसे ग्रन्थ (कामसूत्र) की रचना हुई जिसमें संभोग को विज्ञान के रूप में देखा गया। यह भी कहा जा सकता है कि कला और साहित्य के माध्यम से यौन शिक्षा का अग्रदूत भारत ही था। इसी प्रकार, .

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भारत का समुद्री इतिहास

रोम का भारत के साथ समुद्री व्यापार (Periplus Maris Erythraei (1st century CE) के अनुसार) भारत का समुद्री इतिहास ईसापूर्व तीसरी सहस्राब्दी से शुरू होता है जब सिन्धु घाटी के लोगों ने मेसोपोटामिया के साथ समुद्री व्यापार आरम्भ किया। .

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भारत का संविधान

भारत का संविधान, भारत का सर्वोच्च विधान है जो संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। यह दिन (26 नवम्बर) भारत के संविधान दिवस के रूप में घोषित किया गया है जबकि 26 जनवरी का दिन भारत में गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतांत्रिक देश का सबसे लंबा लिखित संविधान है। .

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भारत का सैन्य इतिहास

भरतीय योद्धा का चित्रण: गान्धर्व कला, प्रथम शताब्दी युद्ध के लिये प्रस्थान करते हुए रामचन्द्र भारत के इतिहास में 'सेना' का उल्लेख वेदों, रामायण तथा महाभारत में मिलता है। महाभारत में सर्वप्रथम सेना की इकाई 'अक्षौहिणी' उल्लिखित है। प्रत्येक 'अक्षौहिणी' सेना में पैदल, घुडसवार, हाथी, रथ आदि की संख्या निश्चित होती थी। .

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भारत का विभाजन

माउण्टबैटन योजना * पाकिस्तान का विभाजन * कश्मीर समस्या .

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भारत का आर्थिक विकास

स्वतन्त्रता के बाद भारत ने आर्थिक विकास के लिये समाजवादी आर्थिक नीतियों का अनुसरण किया। कई क्षेत्रों में तो भारत सरकार का एकमात्र अधिकार था। स्वतन्त्रता के उपरान्त तीन दशक तक भारत की प्रति व्यक्ति आय केवल १% प्रति वर्ष की दर से बढ़ी। ८० के दशक के मध्य से भारत ने अपने बाजार को धीरे-धीरे खोलना आरम्भ किया और आर्थिक उदारवाद के मार्ग पर चल निकला। १९९१ के पश्चात और भी अधिक मूलभूत आर्थिक सुधार हुए। २००० के बाद आर्थिक सुधारों को और गति दी गयी और अब भारत मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था की दिशा में बहुत आगे निकल गया है। श्रेणी:भारतीय अर्थव्यवस्था.

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भारत का आर्थिक इतिहास

इस्वी सन ०००१ से २००३ ई तक विश्व के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का अंश; ध्यातव्य है कि १८वीं शताब्दी के पहले तक भारत और चीन विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ थीं भारत का आर्थिक विकास सिंधु घाटी सभ्यता से आरम्भ माना जाता है। सिंधु घाटी सभ्यता की अर्थव्यवस्था मुख्यतः व्यापार पर आधारित प्रतीत होती है जो यातायात में प्रगति के आधार पर समझी जा सकती है। लगभग 600 ई॰पू॰ महाजनपदों में विशेष रूप से चिह्नित सिक्कों को ढ़ालना आरम्भ कर दिया था। इस समय को गहन व्यापारिक गतिविधि एवं नगरीय विकास के रूप में चिह्नित किया जाता है। 300 ई॰पू॰ से मौर्य काल ने भारतीय उपमहाद्वीप का एकीकरण किया। राजनीतिक एकीकरण और सैन्य सुरक्षा ने कृषि उत्पादकता में वृद्धि के साथ, व्यापार एवं वाणिज्य से सामान्य आर्थिक प्रणाली को बढ़ाव मिल। अगले 1500 वर्षों में भारत में राष्ट्रकुट, होयसला और पश्चिमी गंगा जैसे प्रतिष्ठित सभ्यताओं का विकास हुआ। इस अवधि के दौरान भारत को प्राचीन एवं 17वीं सदी तक के मध्ययुगीन विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में आंकलित किया जाता है। इसमें विश्व के की कुल सम्पति का एक तिहाई से एक चौथाई भाग मराठा साम्राज्य के पास था, इसमें यूरोपीय उपनिवेशवाद के दौरान तेजी से गिरावट आयी। आर्थिक इतिहासकार अंगस मैडीसन की पुस्तक द वर्ल्ड इकॉनमी: ए मिलेनियल पर्स्पेक्टिव (विश्व अर्थव्यवस्था: एक हज़ार वर्ष का परिप्रेक्ष्य) के अनुसार भारत विश्व का सबसे धनी देश था और 17वीं सदी तक दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यस्था था। भारत में इसके स्वतंत्र इतिहास में केंद्रीय नियोजन का अनुसरण किया गया है जिसमें सार्वजनिक स्वामित्व, विनियमन, लाल फीताशाही और व्यापार अवरोध विस्तृत रूप से शामिल है। 1991 के आर्थिक संकट के बाद केन्द्र सरकार ने आर्थिक उदारीकरण की नीति आरम्भ कर दी। भारत आर्थिक पूंजीवाद को बढ़ावा देन लग गया और विश्व की तेजी से बढ़ती आर्थिक अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनकर उभरा। .

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भारत का केन्द्रीय मंत्रिमण्डल

केन्द्रीय मंत्रिमंडल, भारत गणराज्य में कार्यकारी अधिकार का प्रयोग करता हैं। इस में वरिष्ठ मंत्री (केबिनेट मंत्री) और कनिष्ठ मंत्री (राज्य मंत्री) सम्मिलित होते हैं, जिनका नेतृत्व प्रधानमंत्री करते हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल नामक एक छोटी कार्यकारी निकाय, भारत में सर्वोच्च निर्णय लेने की संस्था हैं। केवल प्रधानमंत्री और कैबिनेट मंत्री ही कैबिनेट के सदस्य होते हैं। भारत में सबसे वरिष्ठ सिविल सेवक, कैबिनेट सचिव, कैबिनेट सचिवालय का नेतृत्व करते हैं, तथा मंत्रियों की परिषद को प्रशासनिक सहायता प्रदान करते हैं। राज्य मंत्रियों को अपने काम में कैबिनेट मंत्रियों की सहायता के साथ काम सौंपा गया हैं। यह सूची भारत के केन्द्रीय मंत्रियों की सूची है जिसे नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सोलहवीं लोकसभा के गठन के बाद 2014 में चुना गया है। इस सूची में जनवरी 2015 में परिवर्तन किया गया है। .

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भारत का केंद्रीय बजट

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में भारत के केन्द्रीय बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण के रूप में निर्दिष्ट किया गया है, जो कि भारतीय गणराज्य का वार्षिक बजट होता है, जिसे प्रत्येक वर्ष फरवरी के अंतिम कार्य-दिवस में भारत के वित्त मंत्री द्वारा संसद में पेश किया जाता है। भारत के वित्तीय वर्ष की शुरूआत, अर्थात 1 अप्रैल से इसे लागू करने से पहले बजट को सदन द्वारा इसे पारित करना आवश्यक होता है। पूर्व वित्त मंत्री मोरारजी देसाई ने अभी तक सबसे ज्यादा 10 बार बजट प्रस्तुत किया है। .

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भारत का उच्चतम न्यायालय

भारत का उच्चतम न्यायालय या भारत का सर्वोच्च न्यायालय भारत का शीर्ष न्यायिक प्राधिकरण है जिसे भारतीय संविधान के भाग 5 अध्याय 4 के तहत स्थापित किया गया है। भारतीय संघ की अधिकतम और व्यापक न्यायिक अधिकारिता उच्चतम न्यायालय को प्राप्त हैं। भारतीय संविधान के अनुसार उच्चतम न्यायालय की भूमिका संघीय न्यायालय और भारतीय संविधान के संरक्षक की है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 से 147 तक में वर्णित नियम उच्चतम न्यायालय की संरचना और अधिकार क्षेत्रों की नींव हैं। उच्चतम न्यायालय सबसे उच्च अपीलीय अदालत है जो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के उच्च न्यायालयों के फैसलों के खिलाफ अपील सुनता है। इसके अलावा, राज्यों के बीच के विवादों या मौलिक अधिकारों और मानव अधिकारों के गंभीर उल्लंघन से सम्बन्धित याचिकाओं को आमतौर पर उच्च्तम न्यायालय के समक्ष सीधे रखा जाता है। भारत के उच्चतम न्यायालय का उद्घाटन 28 जनवरी 1950 को हुआ और उसके बाद से इसके द्वारा 24,000 से अधिक निर्णय दिए जा चुके हैं। .

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भारत के थलसेनाध्यक्ष

भारत के थलसेनाध्यक्ष (चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ) भारत की थलसेना के सेनापति होते हैं। इस पद पर सामान्यतः जनरल पद के अधिकारी होते हैं। वर्तमान में जनरल बिपिन रावत इस पद पर आसीन हैं, जिन्होंने 31 दिसंबर 2016 को यह पद संभाला। .

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भारत के नागरिकों का मौलिक अधिकार

मौलिक अधिकार भारत के संविधान के तीसरे भाग में वर्णित लोगों के मूल अधिकार हैं। ये अधिकार सभी भारतीय नागरिकों की नागरीक स्वतंत्रता प्रदान करते हैं जैसे सभी भारत के लोग, भारतीय नागरिक के रूप में शान्ति के साथ समान रूप से जीवन व्यापन कर सकते हैं। .

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भारत के नौसेनाध्यक्ष

The Chief of the Naval Staff is the commander and typically the highest-ranking officer in the Indian Navy.

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भारत के प्रशासनिक विभाग

प्रशासनिक दृष्टि से भारत राज्यों या प्रान्तों में विभक्त है; राज्य, जनपदों (या जिलों) में विभक्त हैं, जिले तहसील (तालुक या मण्डल) में विभक्त हैं। यह विभाजन और नीचे तक गया है। .

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भारत के मुख्य न्यायाधीश

भारत गणराज्य में अब तक कुल 45 (वर्तमान मुख्य न्यायाधीश सहित) न्यायाधीशों ने मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवा की है। न्यायमूर्ति श्री एच जे कनिया भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश थे तथा वर्तमान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्र हैं। .

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भारत के राष्ट्रपति

भारत के राष्ट्रपति, भारत गणराज्य के कार्यपालक अध्यक्ष होते हैं। संघ के सभी कार्यपालक कार्य उनके नाम से किये जाते हैं। अनुच्छेद 53 के अनुसार संघ की कार्यपालक शक्ति उनमें निहित हैं। वह भारतीय सशस्त्र सेनाओं का सर्वोच्च सेनानायक भी हैं। सभी प्रकार के आपातकाल लगाने व हटाने वाला, युद्ध/शांति की घोषणा करने वाला होता है। वह देश के प्रथम नागरिक हैं। भारतीय राष्ट्रपति का भारतीय नागरिक होना आवश्यक है। सिद्धांततः राष्ट्रपति के पास पर्याप्त शक्ति होती है। पर कुछ अपवादों के अलावा राष्ट्रपति के पद में निहित अधिकांश अधिकार वास्तव में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले मंत्रिपरिषद् के द्वारा उपयोग किए जाते हैं। भारत के राष्ट्रपति नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में रहते हैं, जिसे रायसीना हिल के नाम से भी जाना जाता है। राष्ट्रपति अधिकतम कितनी भी बार पद पर रह सकते हैं इसकी कोई सीमा तय नहीं है। अब तक केवल पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने ही इस पद पर दो बार अपना कार्यकाल पूरा किया है। प्रतिभा पाटिल भारत की 12वीं तथा इस पद को सुशोभीत करने वाली पहली महिला राष्ट्रपति हैं। उन्होंने 25 जुलाई 2007 को पद व गोपनीयता की शपथ ली थी। - Fadoo Post - 14 july 2017 वर्तमान में राम नाथ कोविन्द भारत के चौदहवें राष्ट्रपति हैं। .

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भारत के राष्ट्रीय उद्यान

नीचे दी गयी सूची भारत के राष्ट्रीय उद्यानों की है। 1936 में भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान था- हेली नेशनल पार्क, जिसे अब जिम कोर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाता है। १९७० तक भारत में केवल ५ राष्ट्रीय उद्यान थे। १९८० के दशक में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और प्रोजेक्ट टाइगर योजना के अलावा वन्य जीवों की सुरक्षार्थ कई अन्य वैधानिक प्रावधान लागू हुए.

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भारत के राष्‍ट्रीय चिन्ह

Indian Signs .

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भारत के राजनीतिक दलों की सूची

भारत में बहुदलीय प्रणाली बहु-दलीय पार्टी व्यवस्था है जिसमें छोटे क्षेत्रीय दल अधिक प्रबल हैं। राष्ट्रीय पार्टियां वे हैं जो चार या अधिक राज्यों में मान्यता प्राप्त हैं। उन्हें यह अधिकार भारत के चुनाव आयोग द्वारा दिया जाता है, जो विभिन्न राज्यों में समय समय पर चुनाव परिणामों की समीक्षा करता है। इस मान्यता की सहायता से राजनीतिक दल कुछ पहचानों पर अपनी स्थिति की अगली समीक्षा तक विशिष्ट स्वामित्व का दावा कर सकते हैं जैसे की पार्टी चिन्ह.

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भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश

भारत राज्यों का एक संघ है। इसमें उन्तीस राज्य और सात केन्द्र शासित प्रदेश हैं। ये राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश पुनः जिलों और अन्य क्षेत्रों में बांटे गए हैं।.

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भारत के शहरों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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भारत के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची

यह सूचियों भारत के सबसे बड़े शहरों पर है। .

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भारत के स्वायत्त विधि विद्यालय

भारत में गुणवत्तापूर्ण कानूनी शिक्षा के बढ़ते महत्व के साथ विभिन्न राष्ट्रीय कानून विद्यालयों को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हुआ है। इस क्रम में छात्रों की आंकक्षाओं का पूरा करने के लिए केन्द्र सरकार ने पहल करते हुए राज्यों के साथ राष्ट्रीय महत्व के विधि विद्यालय / विश्वविद्यालय को स्थापित किया है। वर्तमान में 16 राष्ट्रीय स्तर विधि विद्यालय/विश्वविद्यालय गुणवत्तापूर्ण कानूनी शिक्षा के रुप में समेकित स्नातक और स्नात्तकोत्तर पाठ्यक्रम की पेशकश देशभर के छात्रों को दे रहे हैं। ये विधि संस्थान इन पाठ्यक्रमों के अलावा एनजीओ, सरकारी अधिकारियों प्रशासकों, स्थानीय सरकारी प्रतिनिधियों और पेशेवरों कानूनज्ञ के साथ बॉर कौंसिल के प्रतिनिधियों, अन्य प्रशासकों और पेशेवरों के लिए भी विभिन्न पाठ्यक्रम आयोजित करते हैं। .

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भारत के हिमनदों की सूची

यह भारत के प्रमुख हिमनदों की सूची है। भारत में ज्यादातर हिमनद जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड में पाए जाते हैं। .

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भारत के जल प्रपात

कर्नाटक का जोग प्रपात भारत के जल प्रपातों की राज्यवार सूची .

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भारत के घोटालों की सूची (वर्ष के अनुसार)

आजादी से अब तक देश में काफी बड़े घोटालों का इतिहास रहा है। नीचे भारत में हुए बड़े घोटालों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है-;जीप खरीदी (1948) आजादी के बाद भारत सरकार ने एक लंदन की कंपनी से 2000 जीपों को सौदा किया। सौदा 80 लाख रुपये का था। लेकिन केवल 155 जीप ही मिल पाई। घोटाले में ब्रिटेन में मौजूद तत्कालीन भारतीय उच्चायुक्त वी.के.

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भारत के वित्त मंत्री

भारत का वित्त मंत्री भारत सरकार में एक कैबिनेट मंत्री का दर्जा होता है। उसका काम देश का आम बजट तैयार करना होता है एवं वह देश की अर्थव्यवस्था का मुख्य संचालक होता है। .

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भारत के विश्व धरोहर स्थल

यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत घोषित किए गए भारतीय सांस्‍कृतिक और प्राकृतिक स्‍थलों की सूची - .

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भारत के गृह मंत्री

भारत के गृह मंत्री या गृह मंत्री, भारत सरकार के गृह मंत्रालय के प्रमुख को कहा जाता है। केन्द्रीय कैबिनेट के वरिष्ठतम पदों में से एक, गृह मंत्री की मुख्य जिम्मेदारी भारत की आंतरिक सुरक्षा से सम्बन्धित विषयों को देखना है। 26 मई 2014 से राजनाथ सिंह भारत के तीसवें गृह मंत्री के रूप में कार्य कर रहे हैं। .

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भारत के गृह सचिव

भारत के गृह सचिव जो भारत के गृह मंत्रालय से संबंधित मामले को निपटाता हैं | .

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भारत के कैबिनेट सचिव

भारत के कैबिनेट सचिव भारत के सर्वोच्च कार्यकारी अधिकारी और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी हैं। कैबिनेट सचिव सिविल सेवा बोर्ड, कैबिनेट सचिवालय, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अध्यक्ष और भारत सरकार के नियमों के तहत सभी सिविल सेवाओं के प्रमुख हैं। भारत के वरीयता क्रम में यह पद ११वें क्रमांक पर आता है। .

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भारत के अर्धसैनिक बल

भारत में "अर्धसैनिक बलों" का किसी भी कृत्य में या अधिकारियों द्वारा आधिकारिक तौर पर उल्लेख नहीं किया गया है हालांकि इन्हें पारंपरिक रूप से तीन बलों अर्थात असम राइफल्स, स्पेशल फ्रंटियर फोर्स और भारतीय तटरक्षक बल को परिभाषित करने के लिए किया जाता है। केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को मार्च 2011 से से पूर्व अर्द्धसैनिक बलों के रूप में ही जाना जाता था, पर गृह मंत्रालय ने भ्रम की स्थिति से बचने के लिए पांच केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों अर्थात: सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, एसएसबी के लिए एक समान नामकरण अपनाया।.

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भारत के उच्च न्यायालयों की सूची

भारतीय उच्च न्यायालय भारत के उच्च न्यायालय हैं। भारत में कुल २४ उच्च न्यायालय है जिनका अधिकार क्षेत्र कोई राज्य विशेष या राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के एक समूह होता हैं। उदाहरण के लिए, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय, पंजाब और हरियाणा राज्यों के साथ केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को भी अपने अधिकार क्षेत्र में रखता हैं। उच्च न्यायालय भारतीय संविधान के अनुच्छेद २१४, अध्याय ५ भाग ६ के अंतर्गत स्थापित किए गए हैं। न्यायिक प्रणाली के भाग के रूप में, उच्च न्यायालय राज्य विधायिकाओं और अधिकारी के संस्था से स्वतंत्र हैं .

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भारत के उपराष्ट्रपति

भारत में राष्ट्रपति के बाद उपराष्ट्रपति का पद कार्यकारिणी में दूसरा सबसे बड़ा पद होता है। भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा के अध्यक्ष के तौर पर विधायी कार्यों में भी हिस्सा लेता है। भारत के वर्तमान उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू हैं जो ५ अगस्त २०१७ को चुने गये थे। .

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भारत की झीलों की सूची

यहां भारत की प्रमुख झीलों की सूची दी जा रही है। .

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भारत की थलसेना के रैंक और प्रतीक चिह्न

भारत की थलसेना के रैंक और प्रतीक चिन्ह भारतीय सेना में पदों की श्रेणियाँ निम्न प्रकार से है। .

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भारत की नदियों की सूची

भारत में मुख्यतः चार नदी प्रणालियाँ है (अपवाह तंत्र) हैं। उत्तरी भारत में सिंधु, उत्तरी-मध्य भारत में गंगा, और उत्तर-पूर्व भारत में ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली है। प्रायद्वीपीय भारत में नर्मदा, कावेरी, महानदी, आदि नदियाँ विस्तृत नदी प्रणाली का निर्माण करती हैं। यहाँ भारत की नदियों की एक सूची दी जा रही है: .

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भारत की नौसेना के रैंक और प्रतीक चिन्ह

भारत की नौसेना के रैंक और प्रतीक चिन्ह निम्नलिखित रेखांकन भारतीय नौसेना के अधिकारी रैंकों को प्रस्तुत करता है। ये रैंक आम तौर पर पश्चिमी सैनिकों के साथ मेल खाते हैं, और ब्रिटिश सैन्य रैंकों के उन परिलक्षित होते हैं यद्यपि बेड़े के एडमिरल के पद के लिए प्रावधान विद्यमान है, यह मुख्य रूप से युद्धकालीन उपयोग और सम्मान के लिए किया गया है। भारतीय नौसेना के किसी भी अधिकारी को अभी तक इस रैंक को सम्मानित नहीं किया गया है। सेना और वायुसेना के दोनों अधिकारियों को समकक्ष रैंक से सम्मानित किया गया है - फील्ड मार्शल सैम माणेकशॉ और सेना के कैरप्पा और भारतीय वायु सेना के मार्शल (एमआईएएफ) अर्जन सिंह चीफ ऑफ़ नेवल स्टाफ,नौसेना के चीफ हैं । भारत ने नौसेना में "मिडशिपमैन " रैंक का इस्तेमाल किया है, और सभी भविष्य के अधिकारी भारतीय नौसेना अकादमी में प्रवेश करने के बाद रैंक करते हैं। अध्ययन के अपने पाठ्यक्रम को खत्म करने पर वे सब -लेफ्टिनेंट नियुक्त किए जाते हैं। भारतीय नौसेना में अधिकारियों का अंक चिह्न - कमीशन अधिकारी .

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भारत की पंचवर्षीय योजनाएँ

भारत की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा, भारत के योजना आयोग द्वारा विकसित, कार्यान्वित और इसकी देख रेख में चलने वाली पंचवर्षीय योजनाओं पर आधारित है। प्रधानमंत्री के योजना आयोग का पदेन अध्यक्ष पद के साथ, आयोग का एक मनोनीत उपाध्यक्ष भी होता है जिसका ओहदा, एक कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है। पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल मार्च 2012 में पूरा हो गया है और बारह्वी योजना इस समय चल रही है। .

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भारत की जनसांख्यिकी

ऐसा अनुमान है कि विश्व के सबसे जनाकुल राष्ट्र के रूप में भारत चीन को 2030 तक लाँघ लेगा। भारत की जनसंख्या वृद्धि ने इन चिन्ताओं को जन्म दिया है कि इससे व्यापक बेरोज़गारी और राजनीतिक अस्थिरता फैलेंगी। ध्यान रखें कि ये अनुमान, भविष्य की प्रजनन और मृत्यु दरों के बारे में कल्पनाएँ करते हैं, जो घटनास्वरूप सही नहीं भी हो सकते हैं। प्रजनन दर भी क्षेत्रानुसार भिन्न-भिन्न हैं; कुछ राष्ट्रीय औसत से ऊपर हैं तो कुछ नीचे। स्रोत.

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भारत की जनगणना २०११

भारत की जनगणना 2011 भारत की जनगणना २०११, जनगणना आयुक्त सी.

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भारत की जलवायु

भारत की जलवायु में काफ़ी क्षेत्रीय विविधता पायी जाती है और जलवायवीय तत्वों के वितरण पर भारत की कर्क रेखा पर अवस्थिति और यहाँ के स्थलरूपों का स्पष्ट प्रभाव दृष्टिगोचर होता है। इसमें हिमालय पर्वत और इसके उत्तर में तिब्बत के पठार की स्थिति, थार का मरुस्थल और भारत की हिन्द महासागर के उत्तरी शीर्ष पर अवस्थिति महत्वपूर्ण हैं। हिमालय श्रेणियाँ और हिंदुकुश मिलकर भारत और पाकिस्तान के क्षेत्रों की उत्तर से आने वाली ठंडी कटाबैटिक पवनों से रक्षा करते हैं। यही कारण है कि इन क्षेत्रों में कर्क रेखा के उत्तर स्थित भागों तक उष्णकटिबंधीय जलवायु का विस्तार पाया जाता है। थार का मरुस्थल ग्रीष्म ऋतु में तप्त हो कर एक निम्न वायुदाब केन्द्र बनाता है जो दक्षिण पश्चिमी मानसूनी हवाओं को आकृष्ट करता है और जिससे पूरे भारत में वर्षा होती है। कोपेन के वर्गीकरण का अनुसरण करने पर भारत में छह जलवायु प्रदेश परिलक्षित होते हैं। लेकिन यहाँ यह अवश्य ध्यान रखना चाहिये कि ये प्रदेश भी सामान्यीकरण ही हैं और छोटे और स्थानीय स्तर पर उच्चावच का प्रभाव काफ़ी भिन्न स्थानीय जलवायु की रचना कर सकता है। भारतीय जलवायु में वर्ष में चार ऋतुएँ होती हैं: जाड़ा, गर्मी, बरसात और शरदकाल। तापमान के वितरण मे भी पर्याप्त विविधता देखने को मिलती है। समुद्र तटीय भागों में तापमान में वर्ष भर समानता रहती है लेकिन उत्तरी मैदानों और थार के मरुस्थल में तापमान की वार्षिक रेंज काफ़ी ज्यादा होती है। वर्षा पश्चिमी घाट के पश्चिमी तट पर और पूर्वोत्तर की पहाड़ियों में सर्वाधिक होती है। पूर्वोत्तर में ही मौसिनराम विश्व का सबसे अधिक वार्षिक वर्षा वाला स्थान है। पूरब से पश्चिम की ओर क्रमशः वर्षा की मात्रा घटती जाती है और थार के मरुस्थलीय भाग में काफ़ी कम वर्षा दर्ज की जाती है। भारतीय पर्यावरण और यहाँ की मृदा, वनस्पति तथा मानवीय जीवन पर जलवायु का स्पष्ट प्रभाव है। हाल में वैश्विक तापन और तज्जनित जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की भी चर्चा महत्वपूर्ण हो चली है। मौसम और जलवायु किसी स्थान की दिन-प्रतिदिन की वायुमंडलीय दशा को मौसम कहते हैं और मौसम के ही दीर्घकालिक औसत को जलवायु कहा जाता है। दूसरे शब्दों में मौसम अल्पकालिक वायुमंडलीय दशा को दर्शाता है और जलवायु दीर्घकालिक वायुमंडलीय दशा को दर्शाता है। मौसम व जलवायु दोनों के तत्व समान ही होते हैं, जैसे-तापमान, वायुदाब, आर्द्रता आदि। मौसम में परिवर्तन अल्पसमय में ही हो जाता है और जलवायु में परिवर्तन एक लंबे समय के दौरान होता है। .

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भारत की वायु सेना के रैंक और प्रतीक चिन्ह

भारत की वायु सेना के रैंक और प्रतीक चिन्ह,भारतीय वायु सेना का रैंक संरचना रॉयल एयर फोर्स के आधार पर है। भारतीय वायु सेना में सर्वोच्च रैंक, भारतीय वायु सेना के मार्शल है, जो युद्ध के दौरान विशेष सेवा के बाद भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है । एम आई ए एफ अर्जन सिंह एकमात्र अधिकारी हैं जिन्होंने इस रैंक को हासिल किया है। भारतीय वायु सेना का प्रमुख वायुसेनाध्यक्ष होते है, जो एयर चीफ मार्शल के पद संभालते है। एयर चीफ मार्शल अरुप राहा की सेवानिवृत्ति के बाद 31 दिसंबर 2016 को एयर चीफ मार्शल बीरेंद्र सिंह धनोआ को नियुक्त किया गया था। .

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भारत की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग

निम्नलिखित भारत की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग हैं: .

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भारत छोड़ो आन्दोलन

बंगलुरू के बसवानगुडी में दीनबन्धु सी एफ् अन्ड्रूज का भाषण भारत छोड़ो आन्दोलन, द्वितीय विश्वयुद्ध के समय ८ अगस्त १९४२ को आरम्भ किया गया था|यह एक आन्दोलन था जिसका लक्ष्य भारत से ब्रितानी साम्राज्य को समाप्त करना था। यह आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई अधिवेशन में शुरू किया गया था। यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विश्वविख्यात काकोरी काण्ड के ठीक सत्रह साल बाद ९ अगस्त सन १९४२ को गांधीजी के आह्वान पर समूचे देश में एक साथ आरम्भ हुआ। यह भारत को तुरन्त आजाद करने के लिये अंग्रेजी शासन के विरुद्ध एक सविनय अवज्ञा आन्दोलन था। क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ अपना तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फ़ैसला लिया। 8 अगस्त 1942 की शाम को बम्बई में अखिल भारतीय काँगेस कमेटी के बम्बई सत्र में 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' का नाम दिया गया था। हालांकि गाँधी जी को फ़ौरन गिरफ़्तार कर लिया गया था लेकिन देश भर के युवा कार्यकर्ता हड़तालों और तोड़फ़ोड़ की कार्रवाइयों के जरिए आंदोलन चलाते रहे। कांग्रेस में जयप्रकाश नारायण जैसे समाजवादी सदस्य भूमिगत प्रतिरोधि गतिविधियों में सबसे ज्यादा सक्रिय थे। पश्चिम में सतारा और पूर्व में मेदिनीपुर जैसे कई जिलों में स्वतंत्र सरकार, प्रतिसरकार की स्थापना कर दी गई थी। अंग्रेजों ने आंदोलन के प्रति काफ़ी सख्त रवैया अपनाया फ़िर भी इस विद्रोह को दबाने में सरकार को साल भर से ज्यादा समय लग गया। .

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भारतीय

भारत देश के निवासियों को भारतीय कहा जाता है। भारत को हिन्दुस्तान नाम से भी पुकारा जाता है और इसीलिये भारतीयों को हिन्दुस्तानी भी कहतें है।.

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भारतीय चलचित्र अभिनेता सूची

इस पृष्ठ पर भारतीय चलचित्र के अभिनेताओं की सूची दी गई है। .

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भारतीय चिकित्सा परिषद

भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (Medical Council of India) भारत में चिकित्सा के क्षेत्र में उच्च शिक्षा के समान मानक स्थापित करने तथा भारत एवं विदेश के महाविद्यालयों/विश्वविद्यालयों की चिकित्सकीय डिग्रियों को मान्यता देने का काम करती है। .

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भारतीय चुनाव

चुनाव लोकतंत्र का आधार स्तम्भ हैं। आजादी के बाद से भारत में चुनावों ने एक लंबा रास्ता तय किया है। 1951-52 को हुए आम चुनावों में मतदाताओं की संख्या 17,32,12,343 थी, जो 2014 में बढ़कर 81,45,91,184 हो गई है। 2004 में, भारतीय चुनावों में 670 मिलियन मतदाताओं ने भाग लिया (यह संख्या दूसरे सबसे बड़े यूरोपीय संसदीय चुनावों के दोगुने से अधिक थी) और इसका घोषित खर्च 1989 के मुकाबले तीन गुना बढ़कर $300 मिलियन हो गया। इन चुनावों में दस लाख से अधिक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का इस्तेमाल किया गया। 2009 के चुनावों में 714 मिलियन मतदाताओं ने भाग लिया (अमेरिका और यूरोपीय संघ की संयुक्त संख्या से भी अधिक).

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भारतीय तटरक्षक

भारतीय तटरक्षक की स्थापना शांतिकाल में भारतीय समुद्र की सुरक्षा करने के उद्देश्य से 18 अगस्‍त 1978 को संघ के एक स्‍वतंत्र सशस्‍त्र बल के रूप में संसद द्वारा तटरक्षक अधिनियम,1978 के अंतर्गत की गई। ‘’वयम् रक्षाम: याने हम रक्षा करते हैं’’ भारतीय तटरक्षक का आदर्श वाक्‍य है। वर्तमान में इस बल की कमान इसके महानिदेशक अनुराग गोपालन थपलियाल, के हाथ में हैं। .

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भारतीय दंत परिषद

भारतीय दंतचिकित्सा परिषद भारत में दंतचिकित्सा के नियमन हेतु स्थापित की गई सांविधिक संस्था है। इसकी स्थापना १२ अप्रैल, १९४९ में भारतीय संसद के की धारा १६ के अंतर्गत की गई थी। बाद में २७ अगस्त १९९२ में इसमें भारत के राष्ट्रपति के अध्यादेश द्वारा संशोधन किए गये थे। इसके वर्तमान अध्यक्ष डॉ॰अनिल कोहली हैं। .

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भारतीय नौसेना

भारतीय नौसेना(Indian Navy) भारतीय सेना का सामुद्रिक अंग है जो कि ५६०० वर्षों के अपने गौरवशाली इतिहास के साथ न केवल भारतीय सामुद्रिक सीमाओं अपितु भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की भी रक्षक है। ५५,००० नौसेनिकों से लैस यह विश्व की पाँचवी सबसे बड़ी नौसेना भारतीय सीमा की सुरक्षा को प्रमुखता से निभाते हुए विश्व के अन्य प्रमुख मित्र राष्ट्रों के साथ सैन्य अभ्यास में भी सम्मिलित होती है। पिछले कुछ वर्षों से लागातार आधुनिकीकरण के अपने प्रयास से यह विश्व की एक प्रमुख शक्ति बनने की भारत की महत्त्वाकांक्षा को सफल बनाने की दिशा में है। जून २०१६ से एडमिरल सुनील लांबा भारत के नौसेनाध्यक्ष हैं। .

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भारतीय नौसेना का इतिहास

राजेन्द्र चोल का का साम्राज्य (१०३० ई) भारतीय नौसैना के गौरवपूर्व इतिहास का द्योतक है। भारत की नौसेना का इतिहास बहुत सम्पन्न है और ५००० वर्ष से भी पुराना है। विश्व का पहला ज्वार-भाटीय गोदी सम्भवतः लोथल में २३०० ईसापूर्व बनाया गया था। .

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भारतीय पशु और पक्षी

भारत विशाल देश है। इसमें पशु-पक्षी भी नाना प्रकार, रंग रूप तथा गुणों के पाए जाते हैं। कुछ बृहदाकार हैं तो कुछ सूक्ष्माकार। भारत के प्राचीन ग्रथों में पशुपक्षियों का विस्तृत वर्णन मिलता है। उस समय उनका अधिक महत्व उनके मांस के कारण था। अत: आयुर्वेदिक ग्रंथों में उनका विशेष उल्लेख मिलता है। .

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भारतीय पक्षियों की सूची

यहाँ भारत में पायी जाने वाली पक्षियों की सूची दी गयी है। भारत में पक्षियों की कोई 1301 प्रजातियाँ (species) हैं जिनमें से 42 केवल भारत में पायी जाती हैं; 1 मानव द्वारा विकसित है तथा 26 दुर्लभ प्रजातियाँ हैं। मोर (Pavo cristatus) भारत का राष्ट्रीय पक्षी है। सूची में पक्षियों के पाये जाने का विवरण इस प्रकार है:-.

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भारतीय पुलिस सेवा

भारतीय पुलिस सेवा, जिसे आम बोलचाल में भारतीय पुलिस या आईपीएस, के नाम से भी जाना जाता है, भारत सरकार के अखिल भारतीय सेवा के एक अंग के रूप में कार्य करता है, जिसके अन्य दो अंग भारतीय प्रशासनिक सेवा या आईएएस और भारतीय वन सेवा या आईएफएस हैं जो ब्रिटिश प्रशासन के अंतर्गत इंपीरियल पुलिस के नाम से जाना जाता था। .

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भारतीय प्रबन्धन संस्थान

भारतीय प्रबन्धन संस्थान (आई आई एम) भारत के सर्वोत्तम प्रबंधन संस्थान हैं। प्रबन्धन की शिक्षा के अतिरिक्त ये अनुसंधान व सलाह (कांसल्टेंसी) का कार्य भी करते हैं। वर्तमान में ६ भारतीय प्रबन्धन संस्थान हैं जो बंगलुरू, अहमदाबाद, कोलकाता, लखनऊ, इन्दौर तथा कोझीकोड में स्थित हैं। ये प्रबन्धन में पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा की उपाधि प्रदान करते हैं जो एम बी ए के समतुल्य है। इन संस्थानों में प्रवेश अखिल भारतीय स्तर पर होने वाली प्रवेश परीक्षा कामन ऐडमिशन टेस्ट (सी ए टी) के आधार पर होता है। यह परीक्षा दुनिया की सर्वाधिक प्रतिस्पर्धी परिक्षाओं में से है। .

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भारतीय प्रशासनिक सेवा

भारतीय प्रशासनिक सेवा (अंग्रेजी: Indian Administrative Service) अखिल भारतीय सेवाओं में से एक है। इसके अधिकारी अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी है। भारतीय प्रशासनिक सेवा (तथा भारतीय पुलिस सेवा) में सीधी भर्ती संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से की जाती है तथा उनका आवंटन भारत सरकार द्वारा राज्यों को कर दिया जाता है। आईएएस अधिकारी केंद्रीय सरकार, राज्य सरकारों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में रणनीतिक और महत्वपूर्ण पदों पर काम करते हैं। सरकार के वेस्टमिंस्टर प्रणाली के बाद दूसरे देशों की तरह, भारत में स्थायी नौकरशाही के रूप में आईएएस भारत सरकार के कार्यकारी का एक अविभाज्य अंग है, और इसलिए प्रशासन को तटस्थता और निरंतरता प्रदान करता है। भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफएस / आईएफओएस) के साथ, आईएएस तीन अखिल भारतीय सेवाओं में से एक है - इसका संवर्ग केंद्र सरकार और व्यक्तिगत राज्यों दोनों के द्वारा नियोजित है। उप-कलेक्टर/मजिस्ट्रेट के रूप में परिवीक्षा के बाद सेवा की पुष्टि करने पर, आईएएस अधिकारी को कुछ साल की सेवा के बाद जिला मजिस्ट्रेट और कलेक्टर के रूप में जिले में प्रशासनिक आदेश दिया जाता है, और आमतौर पर, कुछ राज्यों में सेवा के १६ साल की सेवा करने के बाद, एक आईएएस अधिकारी मंडलायुक्त के रूप में राज्य में एक पूरे मंडल का नेतृत्व करता है। सर्वोच्च पैमाने पर पहुंचने पर, आईएएस अधिकारी भारत सरकार के पूरे विभागों और मंत्रालयों की का नेतृत्व करते हैं। आईएएस अधिकारी द्विपक्षीय और बहुपक्षीय वार्ता में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रतिनियुक्ति पर, वे विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, एशियाई विकास बैंक और संयुक्त राष्ट्र या उसकी एजेंसियों जैसे अंतरसरकारी संगठनों में काम करते हैं। भारत के चुनाव आयोग की दिशा में भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए प्रशासन के विभिन्न स्तरों पर आईएएस अधिकारी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राज्य सरकार के कार्मिक विभाग द्वारा उक्त नियमावली के अनुसार सेवा संबंधी मामलों का क्रियान्वयन किया जाता है।पदोन्नति, अनुशासनिक कार्यवाही इत्यादि के सम्बन्ध में भारत सरकार द्वारा ही दिशानिर्देश तैयार की जाती है। इन मामलों पर कार्मिक विभाग द्वारा भारत सरकार को आख्या/रिपोर्ट भेजी जाती है। जिस पर भारत सरकार विचार कर राज्य सरकार (कार्मिक विभाग) को मामलों पर कार्यवाही करने का आदेश देती है। तत्पश्चात् कार्मिक विभाग द्वारा भारत सरकार के आदेशों को जारी कर कार्यवाही की जाती है। .

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान भारत के 23 तकनीकी शिक्षा संस्थान हैं। ये संस्थान भारत सरकार द्वारा स्थापित किये गये "राष्ट्रीय महत्व के संस्थान" हैं। 2018 तक, सभी 23 आईआईटी में स्नातक कार्यक्रमों के लिए सीटों की कुल संख्या 11,279 है। .

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भारतीय पेय

कोई विवरण नहीं।

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भारतीय पोशाक

* धोती.

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भारतीय फ़िल्म अभिनेत्रियों की सूची

यह भारतीय फिल्म अभिनेत्रियों की सूची है। .

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भारतीय फिल्मों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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भारतीय फुटबॉल

भारत में फुटबॉल ब्रिटिश उपनिवेश काल के दौरान अंग्रेजों द्वारा लाया गया था। आरंभ में फुटबॉल मैच सैनिक टीमों के बीच खेले जाते थे। सीघ्र ही फुटबॉल क्लब भी बनने लगे। इनमें से कई क्लब आधुनिक फुटबॉल संगठन फीफा आदि के बनने से भी पहले बन चुके थे। भारत में फुटबॉल मुख्यतः पश्चिम बंगाल, गोआ, केरल, मणिपुर, मिजोरम और सिक्किम में पनपा और यहीं से उसे नई दिशा भी मिली। .

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भारतीय मसालों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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भारतीय महाकाव्य

भारत में संस्कृत तथा अन्य भाषाओं में अनेक महाकाव्यों की रचना हुई है। भारत के महाकाव्यों में वाल्मीकि रामायण, व्यास द्वैपायन रचित महाभारत, तुलसीदासरचित रामचरितमानस, आदि ग्रन्थ परमुख हैं। .

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भारतीय मानक समय

मिर्ज़ापुर और 82.5° पू के स्थान, जो भारतीय मानक समय के संदर्भ लम्बाई के लिए व्यवहार होता है भारतीय मानक समय (संक्षेप में आइएसटी) (अंग्रेज़ी: Indian Standard Time इंडियन् स्टैंडर्ड् टाइम्, IST) भारत का समय मंडल है, एक यूटीसी+5:30 समय ऑफ़सेट के साथ में। भारत में दिवालोक बचत समय (डीएसटी) या अन्य कोइ मौसमी समायोग नहीं है, यद्यपि डीएसटी 1962 भारत-चीन युद्ध, 1965 भारत-पाक युद्ध और 1971 भारत-पाक युद्ध में व्यवहार था। सामरिक और विमानन समय में, आइएसटी का E* ("गूंज-सितारा") के साथ में नामित होता है। --> .

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भारतीय मिठाइयों की सूची

नारीयल के लड्डू श्रेणी:भारतीय खाना श्रेणी:खान पान.

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भारतीय मीडिया

भारत के संचार माध्यम (मीडिया) के अन्तर्गत टेलीविजन, रेडियो, सिनेमा, समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, तथा अन्तरजालीय पृष्ट आदि हैं। अधिकांश मीडिया निजी हाथों में है और बड़ी-बड़ी कम्पनियों द्वारा नियंत्रित है। भारत में 70,000 से अधिक समाचार पत्र हैं, 690 उपग्रह चैनेल हैं (जिनमें से 80 समाचार चैनेल हैं)। आज भारत विश्व का सबसे बड़ा समाचार पत्र का बाजार है। प्रतिदिन १० करोड़ प्रतियाँ बिकतीं हैं। .

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भारतीय युद्धकलाएँ

इस लेख में 'भारतीय युद्धकला' से आशय 'भारतीय उपमहाद्वीप' की युद्धकलाओं से है। ---- अलंकृत '''कटार''' संस्कृत तथा अन्य भारतीय भाषाओं में युद्धकलाओं के अनेक प्रकार और नाम मिलते हैं-.

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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, अधिकतर कांग्रेस के नाम से प्रख्यात, भारत के दो प्रमुख राजनैतिक दलों में से एक हैं, जिन में अन्य भारतीय जनता पार्टी हैं। कांग्रेस की स्थापना ब्रिटिश राज में २८ दिसंबर १८८५ में हुई थी; इसके संस्थापकों में ए ओ ह्यूम (थियिसोफिकल सोसाइटी के प्रमुख सदस्य), दादा भाई नौरोजी और दिनशा वाचा शामिल थे। १९वी सदी के आखिर में और शुरूआती से लेकर मध्य २०वी सदी में, कांग्रेस भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में, अपने १.५ करोड़ से अधिक सदस्यों और ७ करोड़ से अधिक प्रतिभागियों के साथ, ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरोध में एक केन्द्रीय भागीदार बनी। १९४७ में आजादी के बाद, कांग्रेस भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टी बन गई। आज़ादी से लेकर २०१६ तक, १६ आम चुनावों में से, कांग्रेस ने ६ में पूर्ण बहुमत जीता हैं और ४ में सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व किया; अतः, कुल ४९ वर्षों तक वह केन्द्र सरकार का हिस्सा रही। भारत में, कांग्रेस के सात प्रधानमंत्री रह चुके हैं; पहले जवाहरलाल नेहरू (१९४७-१९६५) थे और हाल ही में मनमोहन सिंह (२००४-२०१४) थे। २०१४ के आम चुनाव में, कांग्रेस ने आज़ादी से अब तक का सबसे ख़राब आम चुनावी प्रदर्शन किया और ५४३ सदस्यीय लोक सभा में केवल ४४ सीट जीती। तब से लेकर अब तक कोंग्रेस कई विवादों में घिरी हुई है, कोंग्रेस द्वारा भारतीय आर्मी का मनोबल गिराने का देश में विरोध किया जा रहा है । http://www.allianceofdemocrats.org/index.php?option.

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भारतीय राज्यों के प्रतीक

निम्न दीर्घाओं में भारत के 29 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों के आधिकारिक प्रतीक प्रदर्शित हैं: .

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भारतीय राज्यों के वर्तमान मुख्यमंत्रियों की सूची

भारत गणराज्य में उन्तीस राज्यों और दो केन्द्र-शासित प्रदेशों (दिल्ली और पुद्दुचेरी) की प्रत्येक सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री कहलाता है। भारत के संविधान के अनुसार राज्य स्तर पर राज्यपाल क़ानूनन मुखिया होता है लेकिन वास्तव में कार्यकारी प्राधिकारी मुख्यमंत्री ही होता है। राज्य विधान सभा चुनावों के बाद राज्यपाल सामान्यतः सरकार बनाने के लिए बहुमत वाले दल (अथवा गठबंधन) को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करता है। राज्यपाल, मुख्यमंत्री को नियुक्त करता है जिसकी कैबिनेट विधानसभा के लिए सामूहिक रूप से जिम्मेदार होती है। यदि विधानसभा में विश्वासमत प्राप्त हो तो मुख्यमंत्री का कार्यकाल सामान्यतः अधिकतम पाँच वर्ष का होता है; इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री के कार्यकाल की संख्याओं की कोई सीमा नहीं होती। वर्तमान में पदस्थ इकत्तीस में से तीन, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी, जम्मू और कश्मीर में महबूबा मुफ़्ती और राजस्थान में वसुंधरा राजे महिला हैं। दिसम्बर 1994 से (समय के लिए), सिक्किम के पवन कुमार चामलिंग सबसे लम्बे समय से पदस्थ मुख्यमंत्री हैं। पंजाब के अमरिन्दर सिंह (जन्म 1942) सबसे वृद्ध मुख्यमंत्री हैं जबकि अरुणाचल प्रदेश के पेमा खांडू (जन्म 1979) सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं। भारतीय जनता पार्टी के चौदह पदस्थ, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पाँच पदस्थ तथा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के दो है; इसके अतिरिक्त किसी भी अन्य दल के पदस्थ मुख्यमंत्रियों की संख्या एक से अधिक नहीं है। .

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भारतीय रिज़र्व बैंक

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है। यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है। रिजर्व बैक भारत की अर्थव्यवस्था को नियन्त्रित करता है। इसकी स्थापना १ अप्रैल सन १९३५ को रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया ऐक्ट १९३४ के अनुसार हुई। बाबासाहेब डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जी ने भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना में अहम भूमिका निभाई हैं, उनके द्वारा प्रदान किये गए दिशा-निर्देशों या निर्देशक सिद्धांत के आधार पर भारतीय रिजर्व बैंक बनाई गई थी। बैंक कि कार्यपद्धती या काम करने शैली और उसका दृष्टिकोण बाबासाहेब ने हिल्टन यंग कमीशन के सामने रखा था, जब 1926 में ये कमीशन भारत में रॉयल कमीशन ऑन इंडियन करेंसी एंड फिनांस के नाम से आया था तब इसके सभी सदस्यों ने बाबासाहेब ने लिखे हुए ग्रंथ दी प्राब्लम ऑफ दी रुपी - इट्स ओरीजन एंड इट्स सोल्यूशन (रुपया की समस्या - इसके मूल और इसके समाधान) की जोरदार वकालात की, उसकी पृष्टि की। ब्रिटिशों की वैधानिक सभा (लेसिजलेटिव असेम्बली) ने इसे कानून का स्वरूप देते हुए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 का नाम दिया गया। प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन १९३७ में मुम्बई आ गया। पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन १९४९ से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है। उर्जित पटेल भारतीय रिजर्व बैंक के वर्तमान गवर्नर हैं, जिन्होंने ४ सितम्बर २०१६ को पदभार ग्रहण किया। पूरे भारत में रिज़र्व बैंक के कुल 22 क्षेत्रीय कार्यालय हैं जिनमें से अधिकांश राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं। मुद्रा परिचालन एवं काले धन की दोषपूर्ण अर्थव्यवस्था को नियन्त्रित करने के लिये रिज़र्व बैंक ऑफ इण्डिया ने ३१ मार्च २०१४ तक सन् २००५ से पूर्व जारी किये गये सभी सरकारी नोटों को वापस लेने का निर्णय लिया है। .

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भारतीय रंगमंच

'कुडियट्टम' में सुग्रीव की भूमिका में एक कलाकार भारत में रंगमंच का इतिहास बहुत पुराना है। ऐसा समझा जाता है कि नाट्यकला का विकास सर्वप्रथम भारत में ही हुआ। ऋग्वेद के कतिपय सूत्रों में यम और यमी, पुरुरवा और उर्वशी आदि के कुछ संवाद हैं। इन संवादों में लोग नाटक के विकास का चिह्न पाते हैं। अनुमान किया जाता है कि इन्हीं संवादों से प्रेरणा ग्रहण कर लागों ने नाटक की रचना की और नाट्यकला का विकास हुआ। यथासमय भरतमुनि ने उसे शास्त्रीय रूप दिया। .

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भारतीय रुपया

भारतीय रुपया (प्रतीक-चिह्न: 8px; कोड: INR) भारत की राष्ट्रीय मुद्रा है। इसका बाज़ार नियामक और जारीकर्ता भारतीय रिज़र्व बैंक है। नये प्रतीक चिह्न के आने से पहले रुपये को हिन्दी में दर्शाने के लिए 'रु' और अंग्रेजी में Re.

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भारतीय लेखकों की सूची

यहां भारतीय लेखकों (किसी भी भाषा के साहित्यकार) की सूची दी गयी है। .

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भारतीय लोकसंगीत

भारतीय लोकसंगीत भी भारतीय संस्कृति की भांति अत्यन्त विविधतापूर्ण है। पूरे भारत में लोकसंगीत के अनेक रूप विद्यमान हैं, जैसे भांगड़ा, लावणी, डंडिया, राजस्थानी आदि। .

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भारतीय शांति रक्षा सेना

भारतीय शांति रक्षा सेना (IPKF; भारतीय शान्ति सेना) भारतीय सेना दल था जो 1987 से 1990 के मध्य श्रीलंका में शांति स्थापना ऑपरेशन क्रियान्वित कर रहा था। इसका गठन भारत-श्रीलंका संधि के अधिदेश के अंतर्गत किया गया था जिस पर भारत और श्रीलंका ने 1987 में हस्ताक्षर किये थे जिसका उद्देश्य युद्धरत श्रीलंकाई तमिल राष्ट्रवादियों जैसे लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) और श्रीलंकाई सेना के मध्य श्रीलंकाई गृहयुद्ध को समाप्त करना था। IPKF का मुख्य कार्य केवल LTTE ही नहीं बल्कि विभिन्न उग्रवादी गुटों को निःशस्त्र करना था। इसके शीघ्र बाद एक अंतरिम प्रशासनिक परिषद का गठन किया जाना था। ये भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आज्ञा से भारत और श्रीलंका के बीच हस्ताक्षरित समझौते की शर्तों के अनुसार था। श्रीलंका में संघर्ष के स्तर में वृद्धि को देखते हुए और भारत में शरणार्थियों की घनघोर भीड़ उमड़ पड़ने पर, राजीव गांधी, ने इस समझौते को बढाने के लिए निर्णायक कदम उठाया.

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भारतीय शिक्षा का इतिहास

शिक्षा का केन्द्र: तक्षशिला का बौद्ध मठ भारतीय शिक्षा का इतिहास भारतीय सभ्यता का भी इतिहास है। भारतीय समाज के विकास और उसमें होने वाले परिवर्तनों की रूपरेखा में शिक्षा की जगह और उसकी भूमिका को भी निरंतर विकासशील पाते हैं। सूत्रकाल तथा लोकायत के बीच शिक्षा की सार्वजनिक प्रणाली के पश्चात हम बौद्धकालीन शिक्षा को निरंतर भौतिक तथा सामाजिक प्रतिबद्धता से परिपूर्ण होते देखते हैं। बौद्धकाल में स्त्रियों और शूद्रों को भी शिक्षा की मुख्य धारा में सम्मिलित किया गया। प्राचीन भारत में जिस शिक्षा व्यवस्था का निर्माण किया गया था वह समकालीन विश्व की शिक्षा व्यवस्था से समुन्नत व उत्कृष्ट थी लेकिन कालान्तर में भारतीय शिक्षा का व्यवस्था ह्रास हुआ। विदेशियों ने यहाँ की शिक्षा व्यवस्था को उस अनुपात में विकसित नहीं किया, जिस अनुपात में होना चाहिये था। अपने संक्रमण काल में भारतीय शिक्षा को कई चुनौतियों व समस्याओं का सामना करना पड़ा। आज भी ये चुनौतियाँ व समस्याएँ हमारे सामने हैं जिनसे दो-दो हाथ करना है। १८५० तक भारत में गुरुकुल की प्रथा चलती आ रही थी परन्तु मकोले द्वारा अंग्रेजी शिक्षा के संक्रमण के कारण भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था का अंत हुआ और भारत में कई गुरुकुल तोड़े गए और उनके स्थान पर कान्वेंट और पब्लिक स्कूल खोले गए। .

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भारतीय शैलकर्तित स्थापत्य

अजन्ता की गुफा संख्या-९ का चैत्य (५वीं शताब्दी) भारतीय शैलकर्तित स्थापत्य (Indian rock-cut architecture) विश्व में पाये जाने वाले अन्य शैलकर्तित स्थापत्यों की तुलना में बहुत अधिक विविधता लिए हुए और संख्या में बहुत अधिक है। शैलकर्तित स्थापत्य, कठोर प्राकृतिक शैलों को काट-काटकर बनाये गये मंदिरों, भवनों आदि को कहते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में पाये जाने वाले शैलकर्तित स्थापत्य मुख्यतः धार्मिक स्थापत्य है। महाबलिपुरम का गंगावतरण शैल श्रेणी:भारतीय स्थापत्य.

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भारतीय सशस्‍त्र सेनाएँ

भारतीय सशस्‍त्र सेनाएँ भारत की तथा इसके प्रत्‍येक भाग की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी हैं। भारतीय शस्‍त्र सेनाओं की सर्वोच्‍च कमान भारत के राष्‍ट्रपति के पास है। राष्‍ट्र की रक्षा का दायित्‍व मंत्रिमंडल के पास होता है। इसका निर्वहन रक्षा मंत्रालय द्वारा किया जाता है, जो सशस्‍त्र बलों को देश की रक्षा के संदर्भ में उनके दायित्‍व के निर्वहन के लिए नीतिगत रूपरेखा और जानकारियां प्रदान करता है। भारतीय शस्‍त्र सेना में तीन प्रभाग हैं भारतीय थलसेना, भारतीय जलसेना, भारतीय वायुसेना और इसके अतिरिक्त, भारतीय सशस्त्र बलों भारतीय तटरक्षक बल और अर्धसैनिक संगठनों (असम राइफल्स, और स्पेशल फ्रंटियर फोर्स) और विभिन्न अंतर-सेवा आदेशों और संस्थानों में इस तरह के सामरिक बल कमान अंडमान निकोबार कमान और समन्वित रूप से समर्थन कर रहे हैं डिफेंस स्टाफ। भारत के राष्ट्रपति भारतीय सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर है। भारतीय सशस्त्र बलों भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय (रक्षा मंत्रालय) के प्रबंधन के तहत कर रहे हैं। 14 लाख से अधिक सक्रिय कर्मियों की ताकत के साथ,यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सैन्य बल है। अन्य कई स्वतंत्र और आनुषांगिक इकाइयाँ जैसे: भारतीय सीमा सुरक्षा बल, असम राइफल्स, राष्ट्रीय राइफल्स, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड, भारत तिब्बत सीमा पुलिस इत्यादि। भारतीय सेना के प्रमुख कमांडर भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द हैं। यह दुनिया के सबसे बड़ी और प्रमुख सेनाओं में से एक है। सँख्या की दृष्टि से भारतीय थलसेना के जवानों की सँख्या दुनिया में चीन के बाद सबसे अधिक है। जबसे भारतीय सेना का गठन हुआ है, भारत ने दोनों विश्वयुद्ध में भाग लिया है। भारत की आजादी के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ तीन युद्ध 1948, 1965, तथा 1971 में लड़े हैं जबकि एक बार चीन से 1962 में भी युद्ध हुआ है। इसके अलावा 1999 में एक छोटा युद्ध कारगिल युद्ध पाकिस्तान के साथ दुबारा लड़ा गया। भारतीय सेना परमाणु हथियार, उन्नत अस्त्र-शस्त्र से लैस है और उनके पास उचित मिसाइल तकनीक भी उपलब्ध है। हलांकि भारत ने पहले परमाणु हमले न करने का संकल्प लिया हुआ है। भारतीय सेना की ओर से दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र है। .

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भारतीय सिविल सेवा

भारतीय सिविल सेवा भारत सरकार की नागरिक सेवा तथा स्थायी नौकरशाही है। सिविल सेवा देश की प्रशासनिक मशीनरी की रीढ है। भारत के संसदीय लोकतंत्र में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों, जो कि मंत्रीगण होते हैं, के साथ वे प्रशासन को चलाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। ये मंत्री विधायिकाओं के लिए उत्तरदायी होते हैं जिनका निर्वाचन सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर आम जनता द्वारा होता है। मंत्रीगण परोक्ष रूप से लोगों के लिए भी जिम्मेदार हैं। लेकिन आधुनिक प्रशासन की कई समस्याओं के साथ मंत्रीगण द्वारा व्यक्तिगत रूप से उनसे निपटने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। इस प्रकार मंत्रियों ने नीतियों का निर्धारण किया और नीतियों के निर्वाह के लिए सिविल सेवकों की नियुक्ति की जाती है। कार्यकारी निर्णय भारतीय सिविल सेवकों द्वारा कार्यान्वित किया जाता है। सिविल सेवक, भारतीय संसद के बजाए भारत सरकार के कर्मचारी हैं। सिविल सेवकों के पास कुछ पारंपरिक और सांविधिक दायित्व भी होते हैं जो कि कुछ हद तक सत्ता में पार्टी के राजनैतिक शक्ति के लाभ का इस्तेमाल करने से बचाता है। वरिष्ठ सिविल सेवक संसद के स्पष्टीकरण के लिए जिम्मेवार हो सकते हैं। सिविल सेवा में सरकारी मंत्रियों (जिनकी नियुक्ति राजनैतिक स्तर पर की गई हो), संसद के सदस्यों, विधानसभा विधायी सदस्य, भारतीय सशस्त्र बलों, गैर सिविल सेवा पुलिस अधिकारियों और स्थानीय सरकारी अधिकारियों को शामिल नहीं किया जाता है। .

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भारतीय संसद

संसद भवन संसद (पार्लियामेंट) भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। यह द्विसदनीय व्यवस्था है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति तथा दो सदन- लोकसभा (लोगों का सदन) एवं राज्यसभा (राज्यों की परिषद) होते हैं। राष्ट्रपति के पास संसद के दोनों में से किसी भी सदन को बुलाने या स्थगित करने अथवा लोकसभा को भंग करने की शक्ति है। भारतीय संसद का संचालन 'संसद भवन' में होता है। जो कि नई दिल्ली में स्थित है। लोक सभा में राष्ट्र की जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं जिनकी अधिकतम संख्या ५५२ है। राज्य सभा एक स्थायी सदन है जिसमें सदस्य संख्या २५० है। राज्य सभा के सदस्यों का निर्वाचन / मनोनयन ६ वर्ष के लिए होता है। जिसके १/३ सदस्य प्रत्येक २ वर्ष में सेवानिवृत्त होते है। .

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भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन

* भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय आह्वानों, उत्तेजनाओं एवं प्रयत्नों से प्रेरित, भारतीय राजनैतिक संगठनों द्वारा संचालित अहिंसावादी और सैन्यवादी आन्दोलन था, जिनका एक समान उद्देश्य, अंग्रेजी शासन को भारतीय उपमहाद्वीप से जड़ से उखाड़ फेंकना था। इस आन्दोलन की शुरुआत १८५७ में हुए सिपाही विद्रोह को माना जाता है। स्वाधीनता के लिए हजारों लोगों ने अपने प्राणों की बलि दी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने १९३० कांग्रेस अधिवेशन में अंग्रेजो से पूर्ण स्वराज की मांग की थी। .

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भारतीय हिप हॉप

भारतीय हिप हॉप भारत में एक संगीत की शैली है जिसमें अमेरिकी हिप हॉप और भारत का संगीत संयुक्त करते हैं। भारतीय हिप हॉप की शुरुआत २० साल पहले हुई मानी जाती है। इसमें बाबा सहगल एवं रैपर अार.डी.

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भारतीय जनता पार्टी

भारतीय जनता पार्टी (संक्षेप में, भाजपा) भारत के दो प्रमुख राजनीतिक दलों में से एक हैं, जिसमें दूसरा दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस है। यह राष्ट्रीय संसद और राज्य विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व के मामले में देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है और प्राथमिक सदस्यता के मामले में यह दुनिया का सबसे बड़ा दल है।.

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भारतीय वनस्पतिजात

विशेष: यह सूची लिपि परिवर्तक द्वारा स्वचालित रूप से रोमन से देवनागरी में बदलकर बनायी गयी है। इसमें त्रुटियाँ हैं। कृपया इन्हें ठीक करे। ---- भारत का राष्ट्रीय पुष्प: '''कमल''' आक अध-बिरनी अदोतोदै अगठी अगति ऐनी ऐनी-मर्म अजवा अजोवन अज्वैन अकड़ा अकल्बिर आलूबुखारा अमादा अम्बरी अम्बरी अमला अम्लिसो अमरुद अंजन अंजीर ओनला अरहर अर्जुन अरुम असोक असोका असोका अस्तुखुदास अत्ता बोर अवरुम बबुई बादाम बहेरा बाजीरा बकली बल्पले बनदा बनफ्शा बनफ्शा बनती बनफ्सा बांस बरना बास्क बीते बेली बेर बर्तम बेतु भाबर भन्दा भंग भील भोजपत्र बिदासी बिजसल बिली बीते बोरो बांस बोट ब्राह्मी चलनी चलता चम्बल चम्पका चम्पकं चन्दन चंद्रमुला चौल्मूग्र चौल्मुग्र चवेल चीन चेरोंजी चिलबिल चिल्ला चीन चीरता चिरोंजी चिरु ममिदी छुआ चूका कबाब-चीनी दड़प दवाना देओबंस धामन धनिया धुरा धुब धुप धुप धुपदामारा दोदन डूब दुधि एकांगी फराश गाजर गलगल गंजा घोल गिन्गेल्ली गोखरू गोखुरी-कलां गोव-जीरा गुग्गुल गुगुल गुल्ला गुल्ला गुलर&इसिर्क; गुलर&इसिर्क; गुमहार गुंदला हरीतकी हरमेल हर्रा हज़ार हिंग हिंगोटिया होएइ-ओएपस होरा-गस इन्द्रवाल्ली इस्रेली बाबुल जैफाल जल जमन जम्बा जंगली बादाम जनुम-चेट्टू जतामंसी जवंसा झिंटी कत्सरेय जोवर ज्वारंचुसा कचनार कदम कागज़ी निम्बू कागज़ी निम्बू ककारोंद्र कक्षा कला हिन्सलू कमला कंचुरा कंकर कांता चौलाई कराम्बेल करेला करकर कटहल कतीरा कट्टर कटुक खैरवाल खास-खास खट्टा खेजरी खीर खोपर कीकर किलुवाई कोदरा कूरका कुद्दलिया कुल्थी कुल्थी कुंडरी कुंदुर लुबन कुणी कुरची कुसुम कुठ लाकूचा लकुच लालो लेवर लुन्वो मदर मदर महुआ मखाना मकरी मंकछु मश मश कलाई मसूर मैथ मैथ मौन मस्त मिरिं मिश्रीकंद मोहरू मूंग मोठ मोतिया मुदर मुगुन मुंगन मुंगरा मुन्जीत मुन्जिस्था मुश्क्बाला नर्रा निर्गुन्डी निसोथ पचैकिलुवाई पदम् पदम् पदर पद्मा पद्मा चुंदर पादरू पछली पका पलान्ग्सग पलंकी पलास पलाश पलोज़ पलवल पामा पामा पपताकम्मी परस पीपल परवल पसली पटरी पटसन पटवा-घास पता फुलवारा फुट पिल्लिपेसरा पिन्नी पीपल पीपुल पीत्वा पुलाही पुनर्नवा पुन्नागा पुश्तु रागी राइ राम तुलसी रामदाना रातान्ज्योर राया रेशनी रिन्द्लिया रोष रुग्मिनी रुई रुषा सफ़ेद चमनी सफ़ेद चुग्लम सफ़ेद डामर सफ़ेद-जीरा सक मुनिया साल सलाई सलगम सल्पनी सलवा समां सन सन संतरा संवाक सरिसन सरिवन सरसों सेलू सेंजी शफताल शाल शालारी शरबती शतमूली शतावरी सियाह-जीरा सोफिया सोला सोवा सुन्न सुपारी सुर्ख निम्बू स्य्ल्हेत लिमे तकला तकरी तम्पला तारामीरा तेजपत ठेक्काली थित्मिन टिकोर तीकुर तिल तिलुरा टिंडा तिन्डोरा तिन्दोरी तिर्मल टोला त्रिवृत तुल्दा तुलसी तुम्बा तुन्ला तुर्पेथ तुवर व्यख्रा नाखी वारिन्गिन ज़चुं जीरा जीरा जीरा-सीः अशोका रामतिल मुंज कोदो कहा यथुर जम्बू कांटे मैथ घनेरा जंद काकोली तगर बिभिताकी वसाका धन्क्षिका लवंग लता जातको कर्कता सृंगी कुआ पेरुम पुलागी फालसा पीलू .

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भारतीय वाद्य यंत्र

राजा रवि वर्मा द्वारा चित्रित कादम्बरी '''सितार''' बजाते हुए पुलुवन् पुत्तु बजाती एक महिला जलतरंग Chenda (top) and Chande (below) are different drums. Chande 200 ईसा पूर्व से 200 ईसवीं सन् के समय में भरतमुनि द्वारा संकलित नाट्यशास्‍त्र में ध्‍वनि की उत्‍पत्ति के आधार पर संगीत वाद्यों को चार मुख्‍य वर्गों में विभाजित किया गया है.

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भारतीय वानिकी

तेंदू पत्ता संग्रहण भारत में वानिकी एक प्रमुख ग्रामीण आर्थिक क्रिया, जनजातीय लोगों के जीवन से जुड़ा एक महत्वपूर्ण पहलू और एक ज्वलंत पर्यावरणीय और सामाजिक-राजनैतिक मुद्दा होने के साथ ही पर्यावरणीय प्रबंधन और धारणीय विकास हेतु अवसर उपलब्ध करने वाला क्षेत्र भी है। - इण्डिया वाटर पोर्टल खाद्य एवं कृषि संगठन (एफ॰ए॰ओ॰) के अनुसार वर्ष २००२ में भारत में वनों का क्षेत्रफल ६४ मिलियन हेक्टेयर था जो कुल क्षेत्रफल का लगभग १९% था FAO और मौजूदा आंकलनों के अनुसार भारत में वन और वृक्ष क्षेत्र 78.29 मिलियन हेक्टेयर है, जो देश के भैगोलिक क्षेत्र का 23.81 प्रतिशत है और 2009 के आंकलनों की तुलना में, व्याख्यात्मक बदलावों को ध्यान में रखने के पश्चात देश के वन क्षेत्र में 367 वर्ग कि॰मी॰ की कमी दर्ज की गई है।, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार उपरोक्त आँकड़ों के आधार पर भारत विश्व के दस सर्वाधिक वन क्षेत्र वाले देशों में से एक है लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था में वनों का योगदान काफी कम है और राष्ट्रीय आय में वनों का योगदान २००२ में मात्र १.७% था। साथ ही जनसंख्या के अनुपात में देखा जाए तो स्थिति और खराब नजर आती है क्योंकि भारत में इसी समय के आंकड़ों के अनुसार प्रति व्यक्ति वन क्षेत्र ०.०८ हेक्टेयर था जो विकासशील देशों के लिये औसत ०.५ हेक्टेयर है और पूरे विश्व के लिये ०.६४ हेक्टेयर है। आर्थिक योगदान के अलावा वन संसाधनों का महत्व इसलिए भी है कि ये हमें बहुत से प्राकृतिक सुविधाएँ प्रदान करते हैं जिनके लिये हम कोई मूल्य नहीं प्रदान करते और इसीलिए इन्हें गणना में नहीं रखते। उदाहरण के लिये हवा को शुद्ध करना और सांस लेने योग्य बनाना एक ऐसी प्राकृतिक सेवा है जो वन हमें मुफ़्त उपलब्ध करते हैं और जिसका कोई कृत्रिम विकल्प इतनी बड़ी जनसंख्या के लिये नहीं है। वनों के क्षय से जनजातियों और आदिवासियों का जीवन प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होता है और बाकी लोगों का अप्रत्यक्ष रूप से क्योंकि भारत में जनजातियों की पूरी जीवन शैली वनों पर आश्रित है। वनोपजों में सबसे निचले स्तर पर जलाने के लिये लकड़ी, औषधियाँ, लाख, गोंद और विविध फल इत्यादि आते हैं जिनका एकत्रण स्थानीय लोग करते हैं। उच्च स्तर के उपयोगों में इमारती लकड़ी या कागज उद्द्योग के लिये लकड़ी की व्यावसायिक और यांत्रिक कटाई आती है। एफ॰ए॰ओ॰ के अनुसार भारत जलावन की लकड़ी का विश्व में सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है और यह वनों में लकड़ी के धारणीय पुनर्स्थापन के पाँच गुना अधिक है। वहीं भारतीय कागज़ उद्योग प्रतिवर्ष ३ मिलियन टन कागज का उत्पादन करता है जिसमें कितना कच्चा माल वनों से लकड़ी और बाँस के रूप में आता है यह ज्ञात नहीं। वानिकी के वर्तमान परिदृश्य जनजातियों और स्थानीय लोगों के जीवन, पर्यावरणीय सुरक्षा, संसाधन संरक्षण और विविध सामजिक राजनीतिक सरोकारों से जुड़े हुए हैं। चिपको आंदोलन से लेकर जल, जंगल और जमीन तथा वर्तमान में महान वनों को लेकर चलाया जा रहा आंदोलन इसी राजनैतिक और सामजिक संघर्ष का हिस्सा हैं जो वानिकी और उसकी नीतियों से जुड़ा हुआ है। वानिकी को भारत में एक संवेदनशील और रोचक अध्ययन क्षेत्र के रूप में भी देखा जा रहा है। .

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भारतीय वायुसेना

भारतीय वायुसेना (इंडियन एयरफोर्स) भारतीय सशस्त्र सेना का एक अंग है जो वायु युद्ध, वायु सुरक्षा, एवं वायु चौकसी का महत्वपूर्ण काम देश के लिए करती है। इसकी स्थापना ८ अक्टूबर १९३२ को की गयी थी। आजादी (१९५० में पूर्ण गणतंत्र घोषित होने) से पूर्व इसे रॉयल इंडियन एयरफोर्स के नाम से जाना जाता था और १९४५ के द्वितीय विश्वयुद्ध में इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आजादी (१९५० में पूर्ण गणतंत्र घोषित होने) के पश्च्यात इसमें से "रॉयल" शब्द हटाकर सिर्फ "इंडियन एयरफोर्स" कर दिया गया। आज़ादी के बाद से ही भारतीय वायुसेना पडौसी मुल्क पाकिस्तान के साथ चार युद्धों व चीन के साथ एक युद्ध में अपना योगदान दे चुकी है। अब तक इसने कईं बड़े मिशनों को अंजाम दिया है जिनमें ऑपरेशन ''विजय'' - गोवा का अधिग्रहण, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन कैक्टस व ऑपरेशन पुमलाई शामिल है। ऐसें कई विवादों के अलावा भारतीय वायुसेना संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन का भी सक्रिय हिसा रही है। भारत के राष्ट्रपति भारतीय वायु सेना के कमांडर इन चीफ के रूप में कार्य करते है। वायु सेनाध्यक्ष, एयर चीफ मार्शल (ACM), एक चार सितारा कमांडर है और वायु सेना का नेतृत्व करते है। भारतीय वायु सेना में किसी भी समय एक से अधिक एयर चीफ मार्शल सेवा में कभी नहीं होते। इसका मुख्यालय नयी दिल्ली में स्थित है एवं २००६ के आंकडों के अनुसार इसमें कुल मिलाकर १७०,००० जवान एवं १,३५० लडाकू विमान हैं जो इसे दुनिया की चौथी सबसे बडी वायुसेना होने का दर्जा दिलाती है। .

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भारतीय विधिज्ञ परिषद

भारतीय विधिज्ञ परिषद (Bar Council of India) भारत की एक व्यावसायिक विनियामक संस्था है जो भारत में विधिक व्यवसाय एवं विधिक शिक्षा का नियमन करती है। यह एक स्वायत्त संस्थान है। यही परिषद व्यावसायिक आचरण एवं शिष्टाचार एवं विधि शिक्षा के मानक तय करती है। इसकी स्थापना १९६१ में हुई थी। इसके पूर्व अध्यक्ष अशोक कुमार सेन रहे हैं, जो भारतीय विधि क्षेत्र के प्रख्यात थे। .

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भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इतिहास

भारत की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की विकास-यात्रा प्रागैतिहासिक काल से आरम्भ होती है। भारत का अतीत ज्ञान से परिपूर्ण था और भारतीय संसार का नेतृत्व करते थे। सबसे प्राचीन वैज्ञानिक एवं तकनीकी मानवीय क्रियाकलाप मेहरगढ़ में पाये गये हैं जो अब पाकिस्तान में है। सिन्धु घाटी की सभ्यता से होते हुए यह यात्रा राज्यों एवं साम्राज्यों तक आती है। यह यात्रा मध्यकालीन भारत में भी आगे बढ़ती रही; ब्रिटिश राज में भी भारत में विज्ञान एवं तकनीकी की पर्याप्त प्रगति हुई तथा स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के सभी क्षेत्रों में तेजी से प्रगति कर रहा है। सन् २००९ में चन्द्रमा पर यान भेजकर एवं वहाँ पानी की प्राप्ति का नया खोज करके इस क्षेत्र में भारत ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज की है। चार शताब्दियों पूर्व प्रारंभ हुई पश्चिमी विज्ञान व प्रौद्योगिकी संबंधी क्रांति में भारत क्यों शामिल नहीं हो पाया ? इसके अनेक कारणों में मौखिक शिक्षा पद्धति, लिखित पांडुलिपियों का अभाव आदि हैं। .

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भारतीय विज्ञान संस्थान

भारतीय विज्ञान संस्थान का प्रशासकीय भवन भारतीय विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Science) भारत का वैज्ञानिक अनुसंधान और उच्च शिक्षा के लिये अग्रगण्य शिक्षा संस्थान है। यह बंगलुरु में स्थित है। इस संस्थान की गणना भारत के इस तरह के उष्कृष्टतम संस्थानों में होती है। संस्थान ने प्रगत संगणन, अंतरिक्ष, तथा नाभिकीय प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान किया है।  2016 तक यह संस्थान दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 250 संस्थानों में से एक था .

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भारतीय व्यंजनों का इतिहास

श्रेणी:भारतीय खाना श्रेणी:खान पान.

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भारतीय व्यंजनों की सूची

यह भारतीय व्यंजनों की एक सूची है। भारतीय व्यंजनों में भारत के मूल निवासीय क्षेत्री व्यंजनों की एक विस्तृत विविधता शामिल हैं। भारतीय भोजन भी भारी धार्मिक और सांस्कृतिक विकल्प और परंपराओं से प्रभावित है। यह सूची अधूरी है और इनका विस्तार और अनुवाद किया जाना बाकी है। .

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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) (Communist Party of India) भारत का एक साम्यवादी दल है। इस दल की स्थापना 26 दिसम्बर 1925 को कानपुर नगर में हुई थी। भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी की स्थापना एम एन राय ने की। 1928 ई. में कम्युनिस्ट इण्टरनेशनल ने ही भारत में कम्युनिस्ट पार्टी की कार्य प्रणाली निश्चित की। इस दल के महासचिव एस. सुधाकर रेड्डी है। यह भारत की सबसे पुरानी कम्युनिस्ट पार्टी है। चुनाव आयोग द्वारा इसे राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह दल 'न्यू एज' (New Age) का प्रकाशन करता है। इस दल का युवा संगठन 'आल इंडिया यूथ फेडरेशन' है। २००४ के संसदीय चुनाव में इस दल को ५ ४३४ ७३८ मत (१.४%, १० सीटें) मिले। २००९ के संसदीय चुनाव में इस दल को मात्र ४ सीटें मिली। 2014 के संसदीय चुनाव में दल को मात्र 1 सीटें मिली .

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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)

माकपा का चिह्न भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) अथवा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (संक्षिप्त: माकपा) भारत का एक साम्यवादी दल है। इस दल की स्थापना १९६४ में हुई थी। इस दल के महासचिव सीताराम येचुरी हैं। यह दल लोक लेहर का प्रकाशन करता है। २००४ के संसदीय चुनाव में इस दल को २२ ०६१ ६७७ मत (५.७%, ४३ सीटें) मिले। इस दल का युवा संगठन भारत कि जनवादी नौजवन सभा है। .

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भारतीय कर व्यवस्था

सामान्य रूप से शासन सम्बंधी कार्यसंचालन के लिए व्यक्तिगत इकाइयों पर अनिवार्य उद्ग्रहण के रूप में कर (टैक्स) लगाए जाते हैं। करों को सामान्यत: राजस्ववृद्धि का ही साधन माना जाता है किंतु राष्ट्र की अर्थनीति को भी ये प्रभावित करते हैं। कर लगाने का उद्देश्य विकास कार्यों के लिये धन एकत्र करना तथा यथासंभव राष्ट्र की विषमता को दूर करना है। इसीलिए जिनकी अधिक आय है, उन्हें कम आयवालों की अपेक्षा अधिक मात्रा में कर देना पड़ता है। .

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भारतीय कला

अजन्ता गुफा में चित्रित '''बोधि''' नृत्य करती हुई अप्सरा (१२वीं शताब्दी) भारतीय कला का एक नमूना - '''बनीठनी'''; किशनगढ़, जयपुर, राजस्थान कला, संस्कृति की वाहिका है। भारतीय संस्कृति के विविध आयामों में व्याप्त मानवीय एवं रसात्मक तत्व उसके कला-रूपों में प्रकट हुए हैं। कला का प्राण है रसात्मकता। रस अथवा आनन्द अथवा आस्वाद्य हमें स्थूल से चेतन सत्ता तक एकरूप कर देता है। मानवीय संबन्धों और स्थितियों की विविध भावलीलाओं और उसके माध्यम से चेतना को कला उजागार करती है। अस्तु चेतना का मूल ‘रस’ है। वही आस्वाद्य एवं आनन्द है, जिसे कला उद्घाटित करती है। भारतीय कला जहाँ एक ओर वैज्ञानिक और तकनीकी आधार रखती है, वहीं दूसरी ओर भाव एवं रस को सदैव प्राणतत्वण बनाकर रखती है। भारतीय कला को जानने के लिये उपवेद, शास्त्र, पुराण और पुरातत्त्व और प्राचीन साहित्य का सहारा लेना पड़ता है। .

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भारतीय कवियों की सूची

इस सूची में उन कवियों के नाम सम्मिलित किये गये हैं जो.

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भारतीय कंपनियों की सूची

यह सूची भारत में स्थित बड़ी कंपनियों की सूची है। ध्यात्व्य है की यह सूची अपूर्ण है और इसमें हर आकार-प्रकार की कंपनियों का समावेश नहीं हुआ है। कंपनियों के बारे में जानकारी दिये गये कड़ियों (जालस्थल के पता) से ली जा सकती है। राजस्व अर्जित करने की दृष्टि से भारत की सबसे बड़ी कंपनियाँ: .

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भारतीय कॉमिक्स

भारतीय कॉमिक्स अथवा भारतीय चित्रकथा (अंग्रेजी; Indian comics) वह कॉमिक्स पुस्तकें एवं ग्राफिक उपन्यास जिनका सांस्कृतिक संबंध भारत द्वारा प्रकाशन से जुड़ा हो जिन्हें अंग्रेज़ी अथवा विभिन्न भारतीय भाषाओं में जारी करता है। भारत में कॉमिक्स पठन एवं उसके प्रसंगों को लेकर एक लंबी परंपरा जुड़ी हुई हैं जहाँ व्यापक पैमाने पर दशकों से लोककथाएं एवं पौराणिक गाथाओं को बाल चित्रकथाओं के शक्ल में पहुँचाया जा रहा है। भारतीय कॉमिक्स बहुतायत संख्या में देश में प्रकाशित होती है। लगभग बीते १९८० से १९९० के दशक तक, जब कॉमिक्स उद्योग का दौर काफी शीर्ष पर था तब उस वक्त की कई लोकप्रिय कॉमिक्स की ५००,००० लाख से अधिक प्रतियाँ एक हफ्तें में बिक जाती थी लेकिन समय गुजरने के बाद अब बमुश्किल ५०,००० हजार प्रतियाँ ही बिक पाती हैं। कभी भारतीय कॉमिक्स उद्योग का रहा स्वर्णकालिक दौर, आज की बढ़ती सैटेलाइट टेलीविजन (विशेषकर बच्चों पर बनने वाले चैनलों) एवं विडियो गेम उद्योगों की बढ़ती प्रतिस्पर्धा से आज पतन के दौर में संघर्ष कर रहा है। मगर आज भी विगत तीन दशकों से title.

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भारतीय उपमहाद्वीप

भारतीय उपमहाद्वीप का भौगोलिक मानचित्र भारतीय उपमहाद्वीप, एशिया के दक्षिणी भाग में स्थित एक उपमहाद्वीप है। इस उपमहाद्वीप को दक्षिण एशिया भी कहा जाता है भूवैज्ञानिक दृष्टि से भारतीय उपमहाद्वीप का अधिकांश भाग भारतीय प्रस्तर (या भारतीय प्लेट) पर स्थित है, हालाँकि इस के कुछ भाग इस प्रस्तर से हटकर यूरेशियाई प्रस्तर पर भी स्थित हैं। .

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भांगड़ा

भाँगङा पंजाब की नृत्य शैली है। यह पुरुष प्रधान नृत्य है। आम तौर‍ पर यह नृत्य बैसाखी पर्व पर किया जाता है। भाँगङा नृत्य .

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भूगोल की रूपरेखा

ज्ञान के फलक का तात्पर्य एक ऐसे त्रिविमीय विन्यास है जिसे पूर्णरूपेण समझने के लिए हमें तीन दृष्टि बिन्दुओं से निरीक्षण करना चाहिए। इनमें से किसी भी एक बिन्दु वाला निरीक्षण एक पक्षीय ही होगा और वह संपूर्ण को प्रदर्शित नहीं करेगा। एक बिन्दु से हम सदृश वस्तुओं के संबंध देखते हैं। दूसरे से काल के संदर्भ में उसके विकास का और तीसरे से क्षेत्रीय संदर्भ में उनके क्रम और वर्गीकरण का निरीक्षण करते हैं। इस प्रकार प्रथम वर्ग के अंतर्गत वर्गीकृत विज्ञान (classified science), द्वितीय वर्ग में ऐतिहासिक विज्ञान (historial sciences), और तृतीय वर्ग में क्षेत्रीय या स्थान-संबंधी विज्ञान (spatial sciences) आते हैं। वर्गीकृत विज्ञान पदार्थो या तत्वों की व्याख्या करते हैं अतः इन्हें पदार्थ विज्ञान (material sciences) भी कहा जाता है। ऐतिहासिक विज्ञान काल (time) के संदर्भ में तत्वों या घटनाओं के विकासक्रम का अध्ययन करते हैं। क्षेत्रीय विज्ञान तत्वों या घटनाओं का विश्लेषण स्थान या क्षेत्र के संदर्भ में करते हैं। पदार्थ विज्ञानों के अध्ययन का केन्द्र बिन्दु ‘क्यों ’, ‘क्या’ और ‘कैसे’ है। ऐतिहासिक विज्ञानों का केन्द्र बिन्दु ‘कब’ है तथा क्षेत्रीय विज्ञानों का केन्द्र बिन्दु ‘कहां ’ है। स्थानिक विज्ञानों (Spatial sciences) को दो प्रधान वर्गों में विभक्त किया जाता है-.

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भोजपुरी भाषा

भोजपुरी शब्द का निर्माण बिहार का प्राचीन जिला भोजपुर के आधार पर पड़ा। जहाँ के राजा "राजा भोज" ने इस जिले का नामकरण किया था।भाषाई परिवार के स्तर पर भोजपुरी एक आर्य भाषा है और मुख्य रूप से पश्चिम बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा उत्तरी झारखण्ड के क्षेत्र में बोली जाती है। आधिकारिक और व्यवहारिक रूप से भोजपुरी हिन्दी की एक उपभाषा या बोली है। भोजपुरी अपने शब्दावली के लिये मुख्यतः संस्कृत एवं हिन्दी पर निर्भर है कुछ शब्द इसने उर्दू से भी ग्रहण किये हैं। भोजपुरी जानने-समझने वालों का विस्तार विश्व के सभी महाद्वीपों पर है जिसका कारण ब्रिटिश राज के दौरान उत्तर भारत से अंग्रेजों द्वारा ले जाये गये मजदूर हैं जिनके वंशज अब जहाँ उनके पूर्वज गये थे वहीं बस गये हैं। इनमे सूरिनाम, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, फिजी आदि देश प्रमुख है। भारत के जनगणना (2001) आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 3.3 करोड़ लोग भोजपुरी बोलते हैं। पूरे विश्व में भोजपुरी जानने वालों की संख्या लगभग ४ करोड़ है, हालांकि द टाइम्स ऑफ इंडिया के एक लेख के में ये बताया गया है कि पूरे विश्व में भोजपुरी के वक्ताओं की संख्या १६ करोड़ है, जिसमें बिहार में ८ करोड़ और उत्तर प्रदेश में ७ करोड़ तथा शेष विश्व में १ करोड़ है। उत्तर अमेरिकी भोजपुरी संगठन के अनुसार वक्ताओं की संख्या १८ करोड़ है। वक्ताओं के संख्या के आंकड़ों में ऐसे अंतर का संभावित कारण ये हो सकता है कि जनगणना के समय लोगों द्वारा भोजपुरी को अपनी मातृ भाषा नहीं बताई जाती है। .

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भोजपुरी सिनेमा

भोजपुरी सिनेमा का मुख्य क्षेत्र बिहार है। इसके अलावा यह सिनेमा उत्तर प्रदेश,और नेपाल में भी अपनी जगह बना चुका है। भोजपुरी की पहली फिल्म "गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो" विश्वनाथ शाहाबादी द्वारा 1961 में प्रदर्शित की गई थी। भोजपुरी सिनेमा के विकास में कुछ वर्षों से अधिक बढोत्तरी हुई है। भोजपुरी की सर्वाधिक कमाई करने वाली फिल्मों में ससुरा बड़ा पैसा वाला भी गिनी जाती है। जिसमे मनोज तिवारी मुख्य भूमिका में थे। भोजपुरी फिल्म उद्योग अब 2000 करोड़ रुपये का एक उद्योग है। भोजपुरी की सभी अभिनेत्रियां सोशल मीडिया का जमकर उपयोग कर रही हैं। .

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मणिपुर का इतिहास

प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण मणिपुर का अपना एक प्राचीन एवं समृद्ध इतिहास है। इसका इतिहास पुरातात्विक अनुसंधानों, मिथकों तथा कलिखित इतिहास से प्राप्त होता है। इसका प्राचीन नाम कंलैपाक् है। मणिपुर के नामकरण के संदर्भ में जहाँ पौराणिक कथाओं से उसका संबंध जोड़ा जाता है, वहीं प्राप्त तथ्यों से यह प्रमाणित होता है कि प्राचीन काल में पड़ोसी राज्यों द्वारा मणिपुर को विभिन्न नामों से पुकारा जाता था, जैसे बर्मियों द्वारा कथे, असमियों द्वारा मोगली, मिक्ली आदि। इतिहास से यह भी पता चलता है कि मणिपुर को मैत्रबाक, कंलैपुं या पोंथोक्लम आदि नामों से भी जाना जाता था। ईसवी युग के प्रारंभ होने से पहले से ही मणिपुर का लंबा और शानदार इतिहास है। यहां के राजवंशों का लिखित इतिहास सन 33 ई. में पाखंगबा के राज्याभिषेक के साथ शुरू होता है। उसने इस भूमि पर प्रथम शासक के रूप में १२० वर्षों (33-154 ई) तक शासन किया। उसके बाद अनेक राजाओं ने मणिपुर पर शासन किया। आगे जाकर मणिपुर के महाराज कियाम्बा ने 1467, खागेम्बा ने 1597, चराइरोंबा ने 1698, गरीबनिवाज ने 1714, भाग्यचन्द्र (जयसिंह) ने 1763, गम्भीर सिंह ने 1825 को शासन किया। इन जैसे महावीर महाराजाओं ने शासन कर मणिपुर की सीमाओं की रक्षा की। मणिपुर की स्वतंत्रता और संप्रभुता 19वीं सदी के आरंभ तक बनी रही। उसके बाद सात वर्ष (1819 से 1825 तक) बर्मी लोगों ने यहां पर कब्जा करके शासन किया। 24 अप्रैल, 1891 के खोंगजोम युद्ध (अंग्रेज-मणिपुरी युद्ध) हुआ जिसमें मणिपुर के वीर सेनानी पाओना ब्रजवासी ने अंग्रेजों के हाथों से अपने मातृभूमि की रक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त की। इस प्रकार 1891 में मणिपुर ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया और 1947 में शेष देश के साथ स्वतंत्र हुआ। 1947 में जब अंग्रेजों ने मणिपुर छोड़ा तब से मणिपुर का शासन महाराज बोधचन्द्र के कन्धों पर पड़ा। 21 सितम्बर1949 को हुई विलय संधि के बाद 15 अक्टूबर 1949 से मणिपुर भारत का अंग बना। 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू होने पर यह एक मुख्य आयुक्त के अधीन भारतीय संघ में भाग ‘सी’ के राज्य के रूप में शामिल हुआ। बाद में इसके स्थान पर एक प्रादेशिक परिषद गठित की गई जिसमें 30 चयनित तथा दो मनोनीत सदस्य थे। इसके बाद 1962 में केंद्रशासित प्रदेश अधिनियम के अंतर्गत 30 चयनित तथा तीन मनोनीत सदस्यों की एक विधानसभा स्थापित की गई। 19 दिसंबर, 1969 से प्रशासक का दर्जा मुख्य आयुक्त से बढ़ाकर उपराज्यपाल कर दिया गया। 21 जनवरी, 1972 को मणिपुर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला और 60 निर्वाचित सदस्यों वाली विधानसभा गठित की गई। इसमें 19 अनुसूचित जनजाति और 1 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। राज्य में लोकसभा में दो और राज्यसभा में एक प्रतिनिधि है। .

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मणिपुर के जिले

मणिपुर में 9 जिले हैं -.

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मणिपुरी भाषा

मणिपुरी (या मीतै भाषा, या मैतै भाषा) भारत के असम के निचले हिस्सों एवं मणिपुर प्रांत के लोगों द्वारा बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। इसकी कई उपभाषाएँ भी हैं। मणिपुरी भाषा, मेइतेइ मायेक लिपि में तथा पूर्वी नागरी लिपि में लिखी जाती है। मीतै लिपि में रचित एक पाण्डुलिपि .

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मध्य प्रदेश पुलिस

मध्य प्रदेश पुलिस की स्थापाना वर्ष १९०६ में हुई के वर्तमान पुलिस महानिदेशक ऋषि कुमार शुक्ल है। .

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मध्य प्रदेश सरकार

राज्य का गठन- 1 नवम्बर,1956 ईस्वी मध्यप्रदेश दिवस- 1 नवम्बर मध्यप्रदेश का वर्तमान स्वरूप- 1 नवम्बर, 2000 ईस्वी राज्य भाषा- हिंदी राजकीय पक्षी- दूधराज या शाहबुलबुल राजकीय पशु- बारहसिंगा राजकीय पुष्प- लिलि राजकीय खेल- मलखंब राजकीय नाट्य- माच राजकीय नृत्य- राई राजकीय फ़सल- सोयाबीन राजकीय वृक्ष- बरगद भौगोलिक क्षेत्रफल- 3,08,525 ज़िले- 51 (आगर नवीन है) तहसीलें- 353 विकासखंड- 313 नगर निगम- 16 लोस सीटें- 29 रास सीटें- 11 विस सीटें- 230 +1 (राज्यपाल के द्वारा मनोनीत) लोस सीटों में आरक्षण.

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मध्य प्रदेश का पर्यटन

मध्य प्रदेश भारत के ठीक मध्य में स्थित है। अधिकतर पठारी हिस्से में बसे मध्यप्रदेश में विन्ध्य और सतपुडा की पर्वत श्रृखंलाएं इस प्रदेश को रमणीय बनाती हैं। ये पर्वत श्रृखंलाएं हैं कई नदियों के उद्गम स्थलों को जन्म देती हैं, ताप्ती, नर्मदा,चम्बल, सोन,बेतवा, महानदी जो यहां से निकल भारत के कई प्रदेशों में बहती हैं। इस वैविध्यपूर्ण प्राकृतिक देन की वजह से मध्यप्रदेश एक बेहद खूबसूरत हर्राभरा हिस्सा बन कर उभरता है। जैसे एक हरे पत्ते पर ओस की बूंदों सी झीलें, एक दूसरे को काटकर गुजरती पत्ती की शिराओं सी नदियां। इतना ही विहंगम है मध्य प्रदेश जहां, पर्यटन की अपार संभावनायें हैं। हालांकि 1956 में मध्यप्रदेश भारत के मानचित्र पर एक राज्य बनकर उभरा था, किन्तु यहां की संस्कृति प्राचीन और ऐतिहासिक है। असंख्य ऐतिहासिक सांस्कृतिक धरोहरें विशेषत: उत्कृष्ट शिल्प और मूर्तिकला से सजे मंदिर, स्तूप और स्थापत्य के अनूठे उदाहरण यहां के महल और किले हमें यहां उत्पन्न हुए महान राजाओं और उनके वैभवशाली काल तथा महान योध्दाओं, शिल्पकारों, कवियों, संगीतज्ञों के साथ-साथ हिन्दु, मुस्लिम,जैन और बौध्द धर्म के साधकों की याद दिलाते हैं। भारत के अमर कवि, नाटककार कालिदास और प्रसिध्द संगीतकार तानसेन ने इस उर्वर धरा पर जन्म ले इसका गौरव बढाया है। मध्यप्रदेश का एक तिहाई हिस्सा वन संपदा के रूप में संरक्षित है। जहां पर्यटक वन्यजीवन को पास से जानने का अदभुत अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। कान्हा नेशनल पार्क,बांधवगढ़, शिवपुरी आदि ऐसे स्थान हैं जहां आप बाघ, जंगली भैंसे, हिरणों, बारहसिंघों को स्वछंद विचरते देख पाने का दुर्लभ अवसर प्राप्त कर सकते हैं। मध्यप्रदेश के हर इलाके की अपनी संस्कृति है और अपनी धार्मिक परम्पराएं हैं जो उनके उत्सवों और मेलों में अपना रंग भरती हैं। खजुराहो का वार्षिक नृत्यउत्सव पर्यटकों को बहुत लुभाता है और ओरछा और पचमढी क़े उत्सव वहा/ कि समृध्द लोक और आदिवासी संस्कृति को सजीव बनाते हैं। मध्यप्रदेश की व्यापकता और विविधता को खयाल में रख हम इसे पर्यटन की सुविधानुसार पांच भागों में बांट सकते र्हैं मध्य प्रदेश राज्य में अत्यधिक पर्यटन स्थल हैं। .

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मध्य प्रदेश का इतिहास

मध्य प्रदेश का इतिहास पेलियोलिथिक समय से ही शुरुआत मे आ गया था। इसे मुख्यत: तीन अवधियों में विभाजित किया जा सकता है। .

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मध्य प्रदेश के ज़िले

मध्य प्रदेश में कुल 51 जिले हैं जिनकी सूची निम्न हैं:-.

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मराठा साम्राज्य

मराठा साम्राज्य या मराठा महासंघ एक भारतीय साम्राज्यवादी शक्ति थी जो 1674 से 1818 तक अस्तित्व में रही। मराठा साम्राज्य की नींव छत्रपती शिवाजी महाराज जी ने १६७४ में डाली। उन्होने कई वर्ष औरंगज़ेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया। बाद में आये पेशवाओनें इसे उत्तर भारत तक बढाया, ये साम्राज्य १८१८ तक चला और लगभग पूरे भारत में फैल गया। .

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मराठी चलचित्र

मराठी सिनेमा (मराठी चित्रपट) मराठी भाषा, सबसे पुराने क्षेत्रीय भारतीय फिल्म उद्योग में से एक में भारतीय फिल्म उद्योग है। पहली मराठी बोलती फिल्म अयोध्याचे राजा (प्रभात फिल्म्स द्वारा निर्मित) 1932 में जारी की गई, पहली भारतीय (हिन्दी) सवाक् फिल्म आलम आरा के एक वर्ष बाद ही। मराठी सिनेमा में हाल के वर्षों में काफी वृद्धि हुई है। उद्योग मुंबई, भारत में स्थित है। .

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मराठी भाषा

मराठी भारत के महाराष्ट्र प्रांत में बोली जानेवाली सबसे मुख्य भाषा है। भाषाई परिवार के स्तर पर यह एक आर्य भाषा है जिसका विकास संस्कृत से अपभ्रंश तक का सफर पूरा होने के बाद आरंभ हुआ। मराठी भारत की प्रमुख भाषओं में से एक है। यह महाराष्ट्र और गोवा में राजभाषा है तथा पश्चिम भारत की सह-राजभाषा हैं। मातृभाषियों कि संख्या के आधार पर मराठी विश्व में पंद्रहवें और भारत में चौथे स्थान पर है। इसे बोलने वालों की कुल संख्या लगभग ९ करोड़ है। यह भाषा 900 ईसवी से प्रचलन में है और यह भी हिन्दी के समान संस्कृत आधारित भाषा है। .

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मराठी साहित्य

मराठी साहित्य महाराष्ट्र के जीवन का अत्यंत संपन्न तथा सुदृढ़ उपांग है। .

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मराठी खाना

महाराष्ट्र राज्य या मराठी व्यंजन या मराठी खाना भारतीय राज्य महाराष्ट्र के मराठी लोगों का व्यंजन है। यहाँ पर भोजन में कई प्रकार के विशिष्ट व्यंजन बनाये जाते हैं। परंपरागत रूप से, महाराष्ट्रियों ने अपने भोजन को दूसरों की तुलना में अधिक दृढ़ माना है। महाराष्ट्र के व्यंजन में हल्के और मसालेदार व्यंजन शामिल हैं। गेहूं, चावल, ज्वार, बाजरी, सब्जियां, मसूर और फल आहार शामिल हैं । मूंगफली और काजू अक्सर सब्जियों के साथ परोसे जाते हैं। आर्थिक परिस्थितियों और संस्कृति की वजह से मांस का पारंपरिक रूप से उपयोग किया जाता है। मुंबई, पुणे और अन्य जैसे मेट्रोपॉलिटन शहरों में शहरी आबादी विदेशों के अन्य हिस्सों से प्रभावित हुए है। उदाहरण के लिए, उडुपी व्यंजन, इडली और डोसा, साथ ही चाइनीज और पश्चिमी व्यंजन, जो आज घरेलू खानों में और रेस्तरां में काफी लोकप्रिय हुए हैं। विशिष्ट रूप से महाराष्ट्र के खानों में उड़द के मोदक, आलू पत्तों की सब्जी और थाली पीठ शामिल हैं । .

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मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम

मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कझगम (एमडीएमके (MDMK); மறுமலர்ச்சித் திராவிட முன்னேற்றக் கழகம்) भारत के तमिलनाडु राज्य की एक राजनैतिक पार्टी है जिसका गठन 1994 में डीएमके पार्टी के सक्रियतावादी और राज्य सभा के सदस्य श्री वी.गोपालसामी (वायको के रूप में भी ज्ञात) ने किया था। श्री वी.गोपालसामी अपने छात्र जीवन से ही पार्टी में बढ़े.

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मलयालम फिल्मों की सूची

The Malayalam cinema industry has come a long way since the production of Vigathakumaran in 1928.

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मलयालम भाषा

मलयालं (മലയാളം, मलयालम्‌) या कैरली (കൈരളി, कैरलि) भारत के केरल प्रान्त में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। ये द्रविड़ भाषा-परिवार में आती है। केरल के अलावा ये तमिलनाडु के कन्याकुमारी तथा उत्तर में कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिला, लक्षद्वीप तथा अन्य कई देशों में बसे मलयालियों द्वारा बोली जाती है। मलयालं, भाषा और लिपि के विचार से तमिल भाषा के काफी निकट है। इस पर संस्कृत का प्रभाव ईसा के पूर्व पहली सदी से हुआ है। संस्कृत शब्दों को मलयालम शैली के अनुकूल बनाने के लिए संस्कृत से अवतरित शब्दों को संशोधित किया गया है। अरबों के साथ सदियों से व्यापार संबंध अंग्रेजी तथा पुर्तगाली उपनिवेशवाद का असर भी भाषा पर पड़ा है। .

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मलयालम साहित्य का इतिहास

मलयालम साहित्य का इतिहास शीर्षक पुस्तक के लिए मलयालम साहित्य का इतिहास:परमेश्वरम नायर देखें। ---- मलयालम् भाषा अथवा उसके साहित्य की उत्पत्ति के संबंध में सही और विश्वसनीय प्रमाण प्राप्त नहीं हैं। फिर भी मलयालम् साहित्य की प्राचीनता लगभग एक हजार वर्ष तक की मानी गई हैं। भाषा के संबंध में हम केवल इस निष्कर्ष पर ही पहुँच सके हैं कि यह भाषा संस्कृतजन्य नहीं है - यह द्रविड़ परिवार की ही सदस्या है। परंतु यह अभी तक विवादास्पद है कि यह तमिल से अलग हुई उसकी एक शाखा है, अथवा मूल द्रविड़ भाषा से विकसित अन्य दक्षिणी भाषाओं की तरह अपना अस्तित्व अलग रखनेवाली कोई भाषा है। अर्थात् समस्या यही है कि तमिल और मलयालम् का रिश्ता माँ-बेटी का है या बहन-बहन का। अनुसंधान द्वारा इस पहेली का हल ढूँढने का कार्य भाषा-वैज्ञानिकों का है और वे ही इस गुत्थी को सुलझा सकते हैं। जो भी हो, इस बात में संदेह नहीं है कि मलयालम् का साहित्य केवल उसी समय पल्लवित होने लगा था जबकि तमिल का साहित्य फल फूल चुका था। संस्कृत साहित्य की ही भाँति तमिल साहित्य को भी हम मलयालम् की प्यास बुझानेवाली स्त्रोतस्विनी कह सकते हैं। सन् 3100 ईसापूर्व से लेकर 100 ईसापूर्व तक यह प्राचीन तमिळ का एक स्थानीय रूप थी। ईसा पूर्व प्रथम सदी से इसपर संस्कृत का प्रभाव हुआ। तीसरी सदी से लेकर पन्द्रहवीं सदी के मध्य तक मलयालम का मध्यकाल माना जाता है। इस काल में जैनियों ने भी भाषा को प्रभावित किया। आधुनिक काल में सन् 1795 में परिवर्तन आया जब इस राज्य पर अंग्रेजी शासन पूर्णरूपेण स्थापित हो गया। .

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मलयाली सिनेमा

मलयाली सिनेमा (इसे मौलीवूड, मलयालम सिनेमा, केरल सिनेमा, मलयालम फ़िल्म उद्योग के रूप में भी जाना जाता है।) केरल, भारत आधारित फ़िल्म उद्योग है जहाँ मुख्यतः मलयालम भाषा की फ़िल्में बनती हैं। मलयाली फ़िल्मों की शुरूआत (१९२० से शुरूआत) तिरुवनन्तपुरम आधारित थी। यद्यपि फ़िल्म उद्योग का विकास और अलंकरण 1940 के दशक के अन्त से आरम्भ हुआ। उसके पश्चात फ़िल्म उद्योग चेन्नई (तत्कालीन मद्रस) में स्थानांतरित हो गया, जो बाद में दक्षिण भारतीय सिनेमा का केन्द्र बन गया। १९८० के दशक के अन्त में मलयाली सिनेमा पुनः विस्थापित होकर केरल में स्थापित हो गया। .

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महात्मा गांधी

मोहनदास करमचन्द गांधी (२ अक्टूबर १८६९ - ३० जनवरी १९४८) भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी जिसने भारत को आजादी दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। उन्हें दुनिया में आम जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती है। संस्कृत भाषा में महात्मा अथवा महान आत्मा एक सम्मान सूचक शब्द है। गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले १९१५ में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था।। उन्हें बापू (गुजराती भाषा में બાપુ बापू यानी पिता) के नाम से भी याद किया जाता है। सुभाष चन्द्र बोस ने ६ जुलाई १९४४ को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आज़ाद हिन्द फौज़ के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं। प्रति वर्ष २ अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में और पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है। सबसे पहले गान्धी ने प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष हेतु सत्याग्रह करना शुरू किया। १९१५ में उनकी भारत वापसी हुई। उसके बाद उन्होंने यहाँ के किसानों, मजदूरों और शहरी श्रमिकों को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिये एकजुट किया। १९२१ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने देशभर में गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण व आत्मनिर्भरता के लिये अस्पृश्‍यता के विरोध में अनेकों कार्यक्रम चलाये। इन सबमें विदेशी राज से मुक्ति दिलाने वाला स्वराज की प्राप्ति वाला कार्यक्रम ही प्रमुख था। गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाये गये नमक कर के विरोध में १९३० में नमक सत्याग्रह और इसके बाद १९४२ में अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। दक्षिण अफ्रीका और भारत में विभिन्न अवसरों पर कई वर्षों तक उन्हें जेल में भी रहना पड़ा। गांधी जी ने सभी परिस्थितियों में अहिंसा और सत्य का पालन किया और सभी को इनका पालन करने के लिये वकालत भी की। उन्होंने साबरमती आश्रम में अपना जीवन गुजारा और परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनी जिसे वे स्वयं चरखे पर सूत कातकर हाथ से बनाते थे। उन्होंने सादा शाकाहारी भोजन खाया और आत्मशुद्धि के लिये लम्बे-लम्बे उपवास रखे। .

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महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) महाराष्ट्र में स्थापित एक क्षेत्रीय राजनीतिक दल है जो "भूमि पुत्र"(Son (of)for the soil) के सिद्धांत पर कार्यरत है। उद्धव ठाकरे के साथ मतभेद और चुनाव में टिकट वितरण जैसे प्रमुख निर्णयों में दरकिनार किये जाने की वजह से शिव सेना छोड़ देने के पश्चात, इसे 9 मार्च 2006 को मुंबई में राज ठाकरे द्वारा स्थापित किया गया था। .

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महाराष्ट्र सरकार

महाराष्ट्र राज्य की राज्य व्यवस्था की जानकारी। श्रेणी:महाराष्ट्र.

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महाराष्ट्र का इतिहास

ऐसा माना जाता है कि सन १००० ईसापूर्व से पहले महाराष्ट्र में खेती होती थी लेकिन उस समय मौसम में अचानक परिवर्तन आया और कृषि रुक गई थी। सन् ५०० इसापूर्व के आसपास मुंबई (प्राचीन नाम शुर्पारक, सोपर) एक महत्वपूर्ण पत्तन बनकर उभरा था। यह सोपर ओल्ड टेस्टामेंट का ओफिर था या नहीं इस पर विद्वानों में विवाद है। प्राचीन १६ महाजनपदमहाजनपदों में अश्मक या अस्सक का स्थान आधुनिक अहमदनगर के आसपास है। सम्राट अशोक के शिलालेख भी मुंबई के निकट पाए गए हैं। मौर्यों के पतन के बाद यहाँ यादवों का उदय हुआ (२३० ईसापूर्व)। वकटकों के समय अजन्ता गुफाओं का निर्माण हुआ। चालुक्यों का शासन पहले सन् 550-760 तथा पुनः 973-1180 रहा। इसके बीच राष्ट्रकूटों का शासन आया था। अलाउद्दीन खिलजी वो पहला मुस्लिम शासक था जिसने अपना साम्राज्य दक्षिण में मदुरै तक फैला दिया था। उसके बाद मुहम्मद बिन तुगलक (१३२५) ने अपनी राजधानी दिल्ली से हटाकर दौलताबाद कर ली। यह स्थान पहले देवगिरि नाम से प्रसिद्ध था औैर अहमदनगर के निकट स्थि्त है। बहमनी सल्तनत के टूटने पर यह प्रदेश गोलकुण्डा के आशसन में आया और उसके बाद औरंगजेब का संक्षिप्त शासन। इसके बाद मराठों की शक्ति में उत्तरोत्तर वुद्धि हुई और अठारहवीं सदी के अन्त तक मराठे लगभग पूरे महाराष्ट्र पर तो फैल ही चुके थे और उनका साम्राज्य दक्षिण में कर्नाटक के दक्षिणी सिरे तक पहुँच गया था। १८२० तक आते आते अंग्रेजों ने पेशवाओं को पूर्णतः हरा दिया था और यह प्रदेश भी अंग्रेजी साम्राज्य का अंग बन चुका था। श्रेणी:महाराष्ट्र.

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महाराष्ट्र के जिले

महाराष्ट्र राज्य महाराष्ट्र, १ मई १९६० को भारत का राज्य बनाया गया था। इस दिन को हम महाराष्ट्र दिन के भी नाम से जानते है। शुरू में महाराष्ट्र में २६ जिले थे। उसके बाद १० नये जिले बनाएँ गये है। वर्तमान के महाराष्ट्र में ३६ जिले है। इन जिलों को छह प्रशासनिक विभागों में विभाजित किया गया है। .

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महाराष्ट्र की संस्कृति

महाराष्ट्र भारत देश का तीसरा सबसे बड़ा राज्य हैं। स्कन्दपुराणके अनुसार यह क्षेत्र पंच द्रविडमे से एक हैं| विन्ध्याचल से उत्तर और दक्षिण को मुख्य क्षेत्र माननेवाले ब्राह्मणों की दश सम्प्रदाय में से एक समुह महाराष्ट्र हैं| वह संतों, शिक्षाविदों और क्रांतिकारियों की भूमि मानी जाती हैं, जिनमें महादेव गोविंद रानाडे, विनायक दामोदर सावरकर, सावित्रीबाई फुले, बाल गंगाधर तिलक, आदि प्रसिद्ध हैं। वारकरी धार्मिक आन्दोलन के मराठी संतों का लम्बा इतिहास हैं जिनमें ज्ञानेश्वर, नामदेव, चोखामेला, एकनाथ और तुकाराम जैसे संत शामिल हैं, जो महाराष्ट्र या मराठी संस्कृति की संस्कृति के आधार को एक बनाता हैं। महाराष्ट्र अपने पुरोगामी संस्कृति (सुधारवादी संस्कृति) के लिए भी जाना जाता हैं, जो शुरू पूर्व संतों द्वारा किया गया और महात्मा फुले, शाहू महाराज, डॉ० भीमराव अम्बेडकर ने आधुनिक समय में इसका नेतृत्व में किया। १७ वी सदी के मराठा साम्राज्य के राजा शिवाजी और उनकी हिंदवी स्वराज्य की अवधारणा (लोगों का स्व-शासन) के कारण महाराष्ट्र का पूरी दुनिया में बड़ा प्रभाव हैं। महाराष्ट्र राज्य में कई संस्कृतियों का फैलाव हैं, जिनमें वैदिक हिंदू, मुस्लिम, जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई आदि से संबंधित संस्कृतियाँ शामिल हैं। भगवान गणेश और भगवान विट्ठल महाराष्ट्र के हिंदुओं द्वारा पूजित पारंपरिक देवता हैं। महाराष्ट्र विभिन्न क्षेत्रों में बाँटा गया हैं - मराठवाडा, विदर्भ, खानदेश, कोंकण, आदि तथा प्रत्येक क्षेत्र की लोक गीत, भोजन, जातीयता, मराठी भाषा के विभिन्न बोलियों के रूप में अपनी खुद की सांस्कृतिक पहचान हैं। .

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महाजनपद

महाजनपद, प्राचीन भारत में राज्य या प्रशासनिक इकाईयों को कहते थे। उत्तर वैदिक काल में कुछ जनपदों का उल्लेख मिलता है। बौद्ध ग्रंथों में इनका कई बार उल्लेख हुआ है। 6वीं-5वीं शताब्दी ईसापूर्व को प्रारंभिक भारतीय इतिहास में एक प्रमुख मोड़ के रूप में माना जाता है; जहाँ सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के बाद भारत के पहले बड़े शहरों के उदय के साथ-साथ श्रमण आंदोलनों (बौद्ध धर्म और जैन धर्म सहित) का उदय हुआ, जिसने वैदिक काल के धार्मिक कट्टरपंथ को चुनौती दी। पुरातात्विक रूप से, यह अवधि उत्तरी काले पॉलिश वेयर संस्कृति के हिस्सा रहे है। .

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महिलाओं से छेड़छाड़

महिलाओं से छेड़छाड़ भारत में और कभी-कभी पाकिस्तान और बांग्लादेश ज्योति पुरी द्वारा वुमन, बॉडी, डिज़ायर इन पोस्ट-कलोनियल इंडिया: नरेटिव्ज़ ऑफ़ जेंडर एंड सेक्शुआलिटी.

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मालवा का खाना

मालवा में मुख्य रूप से दाल बाटी खाने का प्रचलन है यही यहाँ का मुख्य व्यंजन है। प्रायः हम मालवा में अनेक उत्सव या त्योहारो में बनते देख सकते हैं श्रेणी:भारतीय खाना श्रेणी:खान पान.

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मिज़ो भाषा

मिजो भाषा मिजोरम की एक प्रमुख भाषा है। मिजोरम को 1954 तक 'लुशाई पर्वतीय जिले' के नाम से जाना जाता था मिजोरम के अतिरिक्त यह भाषा मिजोरम से सटे मणिपुर, त्रिपुरा, चटगांव हिल और चिन हिल्स के आसपास के क्षेत्रों में भी बोली जाती है। मिजो का शाब्दिक अर्थ "उंची भूमि के वासी" है (मि .

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मिज़ोरम के ज़िले

भारतीय राज्य मिज़ोरम में वर्तमान में आठ ज़िले हैं। .

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मगध महाजनपद

मगध प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था। आधुनिक पटना तथा गया ज़िला इसमें शामिल थे। इसकी राजधानी गिरिव्रज (वर्तमान राजगीर) थी। भगवान बुद्ध के पूर्व बृहद्रथ तथा जरासंध यहाँ के प्रतिष्ठित राजा थे। अभी इस नाम से बिहार में एक प्रंमडल है - मगध प्रमंडल। (२) सुमसुमार पर्वत के भाग, (३) केसपुत्र के कालाम, (४) रामग्राम के कोलिय, (५) कुशीमारा के मल्ल, (६) पावा के मल्ल, (७) पिप्पलिवन के मौर्य, (८) आयकल्प के बुलि, (९) वैशाली के लिच्छवि, (१०) मिथिला के विदेह। -- .

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मगही

मगही या मागधी भाषा भारत के मध्य पूर्व में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। इसका निकट का संबंध भोजपुरी और मैथिली भाषा से है और अक्सर ये भाषाएँ एक ही साथ बिहारी भाषा के रूप में रख दी जाती हैं। इसे देवनागरी लिपि में लिखा जाता है। मगही बोलनेवालों की संख्या (2002) लगभग १ करोड़ ३० लाख है। मुख्य रूप से यह बिहार के गया, पटना, राजगीर,नालंदा,जहानाबाद,अरवल,नवादा,शेखपुरा,लखीसराय,जमुई और औरंगाबाद के इलाकों में बोली जाती है। मगही का धार्मिक भाषा के रूप में भी पहचान है। कई जैन धर्मग्रंथ मगही भाषा में लिखे गए हैं। मुख्य रूप से वाचिक परंपरा के रूप में यह आज भी जीवित है। मगही का पहला महाकाव्य गौतम महाकवि योगेश द्वारा 1960-62 के बीच लिखा गया। दर्जनो पुरस्कारो से सम्मानित योगेश्वर प्रसाद सिन्ह योगेश आधुनिक मगही के सबसे लोकप्रिय कवि माने जाते है। 23 अक्तुबर को उनकी जयन्ति मगही दिवस के रूप मे मनाई जा रही है। मगही भाषा में विशेष योगदान हेतु सन् 2002 में डॉ॰रामप्रसाद सिंह को दिया गया। ऐसा कुछ विद्वानों का मानना है कि मगही संस्कृत भाषा से जन्मी हिन्द आर्य भाषा है, परंतु महावीर और बुद्ध दोनों के उपदेश की भाषा मागधी ही थी। बुद्ध ने भाषा की प्राचीनता के सवाल पर स्पष्ट कहा है- ‘सा मागधी मूल भाषा’। अतः मगही ‘मागधी’ से ही निकली भाषा है। .

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मुद्रा (भाव भंगिमा)

---- एक मुद्रा (संस्कृत: मुद्रा, (अंग्रेजी में: "seal", "mark," या "gesture")) हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म में एक प्रतीकात्मक या आनुष्ठानिक भाव या भाव-भंगिमा है। जबकि कुछ मुद्राओं में पूरा शरीर शामिल रहता है, लेकिन ज्यादातर मुद्राएं हाथों और उंगलियों से की जाती हैं। एक मुद्रा एक आध्यात्मिक भाव-भंगिमा है और भारतीय धर्म तथा धर्म और ताओवाद की परंपराओं के प्रतिमा शास्त्र व आध्यात्मिक कर्म में नियोजित प्रामाणिकता की एक ऊर्जावान छाप है। नियमित तांत्रिक अनुष्ठानों में एक सौ आठ मुद्राओं का प्रयोग होता है। योग में, आम तौर पर जब वज्रासन की मुद्रा में बैठा जाता है, तब सांस के साथ शामिल शरीर के विभिन्न भागों को संतुलित रखने के लिए और शरीर में प्राण के प्रवाह को प्रभावित करने के लिए मुद्राओं का प्रयोग प्राणायाम (सांस लेने के योगिक व्यायाम) के संयोजन के साथ किया जाता है। नवंबर 2009 में राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी में प्रकाशित एक शोध आलेख में दिखाया गया है कि हाथ की मुद्राएं मस्तिष्क के उसी क्षेत्र को उत्तेजित या प्रोत्साहित करती हैं जो भाषा की हैं। .

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मुग़ल साम्राज्य

मुग़ल साम्राज्य (फ़ारसी:, मुग़ल सलतनत-ए-हिंद; तुर्की: बाबर इम्परातोरलुग़ु), एक इस्लामी तुर्की-मंगोल साम्राज्य था जो 1526 में शुरू हुआ, जिसने 17 वीं शताब्दी के आखिर में और 18 वीं शताब्दी की शुरुआत तक भारतीय उपमहाद्वीप में शासन किया और 19 वीं शताब्दी के मध्य में समाप्त हुआ। मुग़ल सम्राट तुर्क-मंगोल पीढ़ी के तैमूरवंशी थे और इन्होंने अति परिष्कृत मिश्रित हिन्द-फारसी संस्कृति को विकसित किया। 1700 के आसपास, अपनी शक्ति की ऊँचाई पर, इसने भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश भाग को नियंत्रित किया - इसका विस्तार पूर्व में वर्तमान बंगलादेश से पश्चिम में बलूचिस्तान तक और उत्तर में कश्मीर से दक्षिण में कावेरी घाटी तक था। उस समय 40 लाख किमी² (15 लाख मील²) के क्षेत्र पर फैले इस साम्राज्य की जनसंख्या का अनुमान 11 और 13 करोड़ के बीच लगाया गया था। 1725 के बाद इसकी शक्ति में तेज़ी से गिरावट आई। उत्तराधिकार के कलह, कृषि संकट की वजह से स्थानीय विद्रोह, धार्मिक असहिष्णुता का उत्कर्ष और ब्रिटिश उपनिवेशवाद से कमजोर हुए साम्राज्य का अंतिम सम्राट बहादुर ज़फ़र शाह था, जिसका शासन दिल्ली शहर तक सीमित रह गया था। अंग्रेजों ने उसे कैद में रखा और 1857 के भारतीय विद्रोह के बाद ब्रिटिश द्वारा म्यानमार निर्वासित कर दिया। 1556 में, जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर, जो महान अकबर के नाम से प्रसिद्ध हुआ, के पदग्रहण के साथ इस साम्राज्य का उत्कृष्ट काल शुरू हुआ और सम्राट औरंगज़ेब के निधन के साथ समाप्त हुआ, हालाँकि यह साम्राज्य और 150 साल तक चला। इस समय के दौरान, विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने में एक उच्च केंद्रीकृत प्रशासन निर्मित किया गया था। मुग़लों के सभी महत्वपूर्ण स्मारक, उनके ज्यादातर दृश्य विरासत, इस अवधि के हैं। .

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मुग़ल वास्तुकला

मुगल वास्तुकला, जो कि भारतीय, इस्लामी एवं फारसी वास्तुकला का मिश्रण है, एक विशेष शैली, जो कि मुगल भारत में 16वीं 17वीं एवं 18वीं सदी में लाए|मुगल वास्तुकला का चरम ताजमहल है। .

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मुग़लाई खाना

मुग़लाई खाना विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भागों में पसन्द किया जाता है। .

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मुंबई पुलिस

मुंबई शहर के प्रशासन देखने के लिए मुंबई पुलिस है। श्रेणी:मुम्बई.

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मौर्य राजवंश

मौर्य राजवंश (३२२-१८५ ईसापूर्व) प्राचीन भारत का एक शक्तिशाली एवं महान राजवंश था। इसने १३७ वर्ष भारत में राज्य किया। इसकी स्थापना का श्रेय चन्द्रगुप्त मौर्य और उसके मन्त्री कौटिल्य को दिया जाता है, जिन्होंने नन्द वंश के सम्राट घनानन्द को पराजित किया। मौर्य साम्राज्य के विस्तार एवं उसे शक्तिशाली बनाने का श्रेय सम्राट अशोक को जाता है। यह साम्राज्य पूर्व में मगध राज्य में गंगा नदी के मैदानों (आज का बिहार एवं बंगाल) से शुरु हुआ। इसकी राजधानी पाटलिपुत्र (आज के पटना शहर के पास) थी। चन्द्रगुप्त मौर्य ने ३२२ ईसा पूर्व में इस साम्राज्य की स्थापना की और तेजी से पश्चिम की तरफ़ अपना साम्राज्य का विकास किया। उसने कई छोटे छोटे क्षेत्रीय राज्यों के आपसी मतभेदों का फायदा उठाया जो सिकन्दर के आक्रमण के बाद पैदा हो गये थे। ३१६ ईसा पूर्व तक मौर्य वंश ने पूरे उत्तरी पश्चिमी भारत पर अधिकार कर लिया था। चक्रवर्ती सम्राट अशोक के राज्य में मौर्य वंश का बेहद विस्तार हुआ। सम्राट अशोक के कारण ही मौर्य साम्राज्य सबसे महान एवं शक्तिशाली बनकर विश्वभर में प्रसिद्ध हुआ। .

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मैथिली भाषा

मैथिली भारत के उत्तरी बिहार और नेपाल के तराई क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा है। यह हिन्द आर्य परिवार की सदस्य है। इसका प्रमुख स्रोत संस्कृत भाषा है जिसके शब्द "तत्सम" वा "तद्भव" रूप में मैथिली में प्रयुक्त होते हैं। यह भाषा बोलने और सुनने में बहुत ही मोहक लगता है। मैथिली भारत में मुख्य रूप से दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, शिवहर, भागलपुर, मधेपुरा, अररिया, सुपौल, वैशाली, सहरसा, रांची, बोकारो, जमशेदपुर, धनबाद और देवघर जिलों में बोली जाती है| नेपाल के आठ जिलों धनुषा,सिरहा,सुनसरी, सरलाही, सप्तरी, मोहतरी,मोरंग और रौतहट में भी यह बोली जाती है। बँगला, असमिया और ओड़िया के साथ साथ इसकी उत्पत्ति मागधी प्राकृत से हुई है। कुछ अंशों में ये बंगला और कुछ अंशों में हिंदी से मिलती जुलती है। वर्ष २००३ में मैथिली भाषा को भारतीय संविधान की ८वीं अनुसूची में सम्मिलित किया गया। सन २००७ में नेपाल के अन्तरिम संविधान में इसे एक क्षेत्रीय भाषा के रूप में स्थान दिया गया है। .

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मैकमहोन रेखा

मैकमोहन रेखा पूर्वी-हिमालय क्षेत्र के चीन-अधिकृत एवं भारत अधिकृत क्षेत्रों के बीच सीमा चिह्नित करती है। यही सीमा-रेखा १९६२ के भारत-चीन युद्ध का केन्द्र एवं कारण थी। यह क्षेत्र अत्यधिक ऊंचाई का पर्वतीय स्थान है, जो मानचित्र में लाल रंग से दर्शित है। मैकमहोन रेखा भारत और तिब्बत के बीच सीमा रेखा है। यह अस्तित्व में सन् १९१४ में भारत की तत्कालीन ब्रिटिश सरकार और तिब्बत के बीच शिमला समझौते के तहत आई थी। १९१४ के बाद से अगले कई वर्षो तक इस सीमारेखा का अस्तित्व कई अन्य विवादों के कारण कहीं छुप गया था, किन्तु १९३५ में ओलफ केरो नामक एक अंग्रेज प्रशासनिक अधिकारी ने तत्कालीन अंग्रेज सरकार को इसे आधिकारिक तौर पर लागू करने का अनुरोध किया। १९३७ में सर्वे ऑफ इंडिया के एक मानचित्र में मैकमहोन रेखा को आधिकारिक भारतीय सीमारेखा के रूप में पर दिखाया गया था। इस सीमारेखा का नाम सर हैनरी मैकमहोन के नाम पर रखा गया था, जिनकी इस समझौते में महत्त्वपूर्ण भूमिका थी और वे भारत की तत्कालीन अंग्रेज सरकार के विदेश सचिव थे। अधिकांश हिमालय से होती हुई सीमारेखा पश्चिम में भूटान से ८९० कि॰मी॰ और पूर्व में ब्रह्मपुत्र तक २६० कि॰मी॰ तक फैली है। जहां भारत के अनुसार यह चीन के साथ उसकी सीमा है, वही, चीन १९१४ के शिमला समझौते को मानने से इनकार करता है। चीन के अनुसार तिब्बत स्वायत्त राज्य नहीं था और उसके पास किसी भी प्रकार के समझौते करने का कोई अधिकार नहीं था। चीन के आधिकारिक मानचित्रों में मैकमहोन रेखा के दक्षिण में ५६ हजार वर्ग मील के क्षेत्र को तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र का हिस्सा माना जाता है। इस क्षेत्र को चीन में दक्षिणी तिब्बत के नाम से जाना जाता है। १९६२-६३ के भारत-चीन युद्ध के समय चीनी फौजों ने कुछ समय के लिए इस क्षेत्र पर अधिकार भी जमा लिया था। इस कारण ही वर्तमान समय तक इस सीमारेखा पर विवाद यथावत बना हुआ है, लेकिन भारत-चीन के बीच भौगोलिक सीमा रेखा के रूप में इसे अवश्य माना जाता है। .

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मेघालय के जिले

मेघालय राज्य के तीन मंडलों में कुल ११ जिले हैं। .

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युनेस्को

यूनेस्को (UNESCO) 'संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (United Nations Educational Scientific and Cultural Organization)' का लघुरूप है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) संयुक्त राष्ट्र का एक घटक निकाय है। इसका कार्य शिक्षा, प्रकृति तथा समाज विज्ञान, संस्कृति तथा संचार के माध्यम से अंतराष्ट्रीय शांति को बढ़ावा देना है। संयुक्त राष्ट्र की इस विशेष संस्था का गठन १६ नवम्बर १९४५ को हुआ था। इसका उद्देश्य शिक्षा एवं संस्कृति के अंतरराष्ट्रीय सहयोग से शांति एवं सुरक्षा की स्थापना करना है, ताकि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में वर्णित न्याय, कानून का राज, मानवाधिकार एवं मौलिक स्वतंत्रता हेतु वैश्विक सहमति बन पाए। इसका मुख्यालय पैरिस, फ्रांस में स्थित है। .

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यूटीसी+०५:३०

UTC+5:30: नीला (दिसंबर), नारंगी (जून), पीला (वर्ष पर्यन्त), हल्का नीला- समुद्री क्षेत्र यूटीसी+05:30 (UTC+5:30) यूटीसी से ५ घंटे ३० मिनट आगे का समय मंडल है जिसे वर्षपर्यन्त भारत और श्रीलंका में समय जानने के लिये उपयोग किया जाता है। मानकों अनुरूप इसे कुछ यूं लिखते हैं: .

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यूरेशिया

यूरेशिया (en:Eurasia) एक भौगोलिक भूखंड है जो यूरोप और एशिया महाद्वीप को मिलाकर नामित है। यूरेशिया मुख्यतः उत्तरी तथा पूर्वी गोलार्ध में स्थित है। इसके पश्चिम में अटलांटिक महासागर, पूरब में प्रशान्त महासागर, उत्तर में और दक्षीन में अफ्रीका महाद्वीप, भूमध्य सागर तथा हिन्द महासागर स्थित हैं। यूरोप और एशिया को दो अलग-अलग महाद्वीप कहना एक ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विभाजन है जबकि दोनों के बीच में कोई स्पष्ट भौतिक विभाजक है ही नहीं। इसी कारण विश्व के कुछ देशों में यूरेशिया को ही पाँच या छः महाद्वीपों में सबसे बड़ा माना जाता है। .

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राम नाथ कोविन्द

रामनाथ कोविन्द (जन्म: १ अक्टूबर १९४५) भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो २० जुलाई २०१७ को भारत के १४वें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। २५ जुलाई २०१७ को उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर ने भारत के राष्ट्रपति के पद की शपथ दिलायी।https://plus.google.com/107807291734419802285/posts/Vkif7q6AG7r वे राज्यसभा सदस्य तथा बिहार राज्य के राज्यपाल रह चुके हैं। .

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राष्ट्रप्रमुख

राष्ट्रप्रमुख अथवा राज्यप्रमुख,अंतर्राष्ट्रीय विधिशास्त्र में, किसी संप्रभु राज्य का एक सार्वजनिक राजनैतिक व्यक्तित्व होता है, जो कि राज्य के अंतर्राष्ट्रीय व्यक्तित्व को स्वरूपित करता है, और सैद्धांतिक रूप से उसे संपूर्ण राज्य के चिन्हात्मक मानवीय स्वरूप के रूप में देखा जाता है। विभिन्न देशों में राष्ट्रप्रमुख को राजा, सम्राट, राष्ट्रपति, परमाधिपति, महाराज्यपाल, अयातुल्लाह, राजकुमार, परम-नेता, इत्यादि जैसे विभिन्न उपधियों से संबोधित किया जाता है। राष्ट्रप्रमुख का पद, राजकीय व्यवस्थापिका का सर्वोच्च अंग होता है, और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर, राष्ट्रप्रमुख को उस देश के औपचारिक प्रमुख एवं एकमात्र वैधिक प्राधिकारी के रूप में देखा जाता है तथा अन्य तमाम राजकीय प्रतिनिधियों को उसके प्रतिनिधि के रूप में देखा जाता है। अनेक देशों में, सैद्धान्तिकरूपतः, राज्य की तमाम शक्तियाँ उसी के व्यय पर निहित होती है, और शासनापालिका, न्यायपालिका तथा विधानपालिका, इत्यादि सारे संसाधनों के शक्तियों का स्रोत राष्ट्रप्रमुख ही होता है। वहीं सरकार, शासनयंत्र का वह अंग होती है, जो कि, राष्ट्रप्रमुख पर निहित, राज्य के कार्यकारी प्राधिकारों का उपयोग करती है। जबकि अन्य कई शासन-पद्धतियों में न्यायपालिका और विधानपालिका को राष्ट्रप्रमुख के शक्ति के दायरे से स्वतंत्र रखा जाता है। साथ ही कई देश ऐसे भी हैं, जहाँ राष्ट्रप्रमुख के विवेकाधीन, केवल नाममात्र अधिकार निहित होते हैं। ऐसे देशों में राष्ट्रप्रमुख का पद केवल एक परंपरागत प्रमुखत्मक पद होता है। हालाँकि, सामान्यतः, राष्ट्रप्रमुख के पद पर एक व्यक्ति ही विराजमान होता है, परंतु यह आवश्यक नहीं है। कई देशों की विधि में, एक से अधिक व्यक्ति, व्यक्तिसमुह, परिषद् या संस्था को राष्ट्रप्रमुख का दर्जा दिया गया है। सामान्यतः, राष्ट्रप्रमुख की शक्तियाँ और प्राधिकार, अन्य संस्थानों और अधिकारियों पर निहित होते हैं, जिनका उपयोग, राष्ट्रप्रमुख स्वयं नहीं कर सकता हैं। विभिन्न देशों में, स्थानीय विधि, संविधान अथवा ऐतिहासिक परंपरा के अनुसार, राष्ट्रप्रमुख की विवेकाधीन शक्तियाँ भिन्न होती हैं। इन शक्तियों के आधार पर, विभिन्न देशों के राष्ट्रप्रमुख पदों को विभिन्न भेदों में वर्गीकृत किया जा सकता है। कई देशों में राष्ट्रप्रमुख को परम सत्ता प्रदान होती है, जबकि कुछ देशों में राष्ट्रप्रमुख सत्ताहीन होता है, अर्थात उसे किसी प्रकार की कोई शक्ति नहीं दी जाती है। अधिकांश देशों में राष्ट्रप्रमुख की शक्तियों को राज्य के विभिन्न अंगों में विभाजित किया गया है, और राष्ट्रप्रमुख पर विस्तृत मात्रा में शक्तियाँ निहित होती हैं, तथा इन शक्तियों पर विभिन्न प्रकार के रोक-थाम का प्रावधान होता है। .

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राष्ट्रमंडल देशों की सूची

यह राष्ट्रमंडल देशों की सूची है, जो किसी समय ब्रिटिश उपनिवेश .

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (मराठी: राष्ट्रवादी कांग्रेस पक्ष) मुख्य रूप से महाराष्ट्र आधारित एक राजनैतिक पार्टी है। शरद पवार इसके अध्यक्ष है। यह भारत की एक राष्ट्रीय पार्टी है। श्रेणी:भारत के राजनीतिक दल श्रेणी:महाराष्ट्र की राजनीति.

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राष्ट्रकुल

रष्ट्रमण्डल देशों का मानचित्र राष्ट्रकुल, या राष्ट्रमण्डल देश (अंग्रेज़ी:कॉमनवेल्थ ऑफ नेशंस) (पूर्व नाम ब्रितानी राष्ट्रमण्डल), ५३ स्वतंत्र राज्यों का एक संघ है जिसमे सारे राज्य अंग्रेजी राज्य का हिस्सा थे (मोज़ाम्बीक और स्वयं संयुक्त राजशाही को छोड़ कर)। इसका मुख्यालय लंदन में स्थित है। इसका मुख्य उद्देश्य लोकतंत्र, साक्षरता, मानवाधिकार, बेहतर प्रशासन, मुक्त व्यापार और विश्व शांति को बढ़ावा देना है। इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय प्रत्येक चार वर्ष में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों और बैठक में भाग लेती हैं। इसकी स्थापना १९३१ में हुई थी, लेकिन इसका आधुनिक स्वरूप १९४७ में भारत और पाकिस्तान के स्वतंत्र होने के बाद निश्चित हुआ। राष्ट्रमंडल या राष्ट्रकुल देशों का कोई संविधान या चार्टर नहीं है। इसके प्रमुखों की प्रत्येक दो वर्ष में एक बार बैठक होती है। भारत सहित एंटीगुआ, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, ब्रुनेई, कनाडा, साइप्रस, घाना आदि इसके सदस्य हैं। जिम्बाब्वे को २००२ में राष्ट्रकुल की सदस्यता से हटाया गया था और २००३ में यह प्रतिबंध अनिश्चित काल तक बढ़ाया गया था। राष्ट्रकुल समूह के देशों की कुल जनसंख्या १.९ अरब है, जो विश्व की जनसंख्या की एक-तिहाई भाग है। फिजी को कॉमनवेल्थ समूह से २०००-०१ में प्रतिबंधित किया गया था, उसके बाद पुन: उस पर २००६ में प्रतिबंध लगा। नाइजीरिया को १९९५ से १९९९ तक प्रतिबंधित किया गया। पाकिस्तान पर १९९९ में प्रतिबंध लगा था। लंदन घोषणा के तहत ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय राष्ट्रमंडल देशों के समूह की प्रमुख होती हैं। राष्ट्रमंडल सचिवालय की स्थापना १९६५ में हुई थी। इसके महासचिव मुख्य कार्यकारी के तौर पर काम करते हैं। वर्तमान में कमलेश शर्मा इसके महासचिव हैं। उनका चयन नवंबर, २००७ को हुआ। इसके पहले महासचिव कनाडा के आर्नल्ड स्मिथ थे। .

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राष्ट्रकूट राजवंश

राष्ट्रकूट (ರಾಷ್ಟ್ರಕೂಟ) दक्षिण भारत, मध्य भारत और उत्तरी भारत के बड़े भूभाग पर राज्य करने वाला राजवंश था। .

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राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार

राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार फ़िल्मों के क्षेत्र में दिये जाने वाले भारत के काफी पुराने पुरस्कार हैं जो सन १९५४ से दिये जा रहे हैं। यह पुरस्कार तीन खंडो मे प्रदान किये जाते है; फीचर फिल्म,गैर फीचर फिल्म और सिनेमा पर श्रेष्ठ लेखन| .

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राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान

राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS, NOS या राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय), भारत के मुक्त विद्यालयों की शिक्षा-परिषद है। यह एक स्वायत्त संगठन है। इसकी स्थापना भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा 1989 के नवम्बर में हुई थी। इसका उद्देश्य देश के सुदूरवर्ती क्षेत्रों के विद्यार्थियों को सस्ती शिक्षा सुलभ कराना है। केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद (सीबीएसई) और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद आदि की भांति राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान भी माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर पर परीक्षा संचालित करता है। माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर लगभग 15 लाख छात्रों के वर्तमान नामांकन के साथ यह दुनिया में सबसे बड़ी खुली स्कूली शिक्षा प्रणाली है। .

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राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद

राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (National Assessment and Accreditation Council) (NAAC, नैक) एक संस्थान है जो भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों का आकलन तथा प्रत्यायन (मान्यता) का कार्य करती है। इसकी स्थापना १९९४ में की गयी थी। .

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राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड

राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) भारत की एक विशेष प्रतिक्रिया यूनिट है जिसका मुख्य रूप से आतंकवाद विरोधी गतिविधियों के लिए उपयोग किया गया है। इसका गठन भारतीय संसद के राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड अधिनियम के तहत कैबिनेट सचिवालय द्वारा १९८६ में किया गया था। यह पूरी तरह से केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बल के ढांचे के भीतर काम करता है। एनएसजी गृह मंत्रालय के निरीक्षण में काम करती है और इसका नेतृत्व भारतीय पुलिस सेवा का महानिदेशक करता है। महानिदेशक हमेशा एक आईपीएस अधिकारी होता है जबकि इसमें भर्ती भारत की केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बल और भारतीय सशस्त्र बलों से की जाती है। एनएसजी के सदस्यों को ब्लैक कैट के नाम से भी जाना जाता है क्योकि वे विशेष कार्यो में काले ओवरऔल और नक़ाब या हेलमेट पहनते हैं। एनएसजी भूमिकाओं में शामिल अति विशिष्ट व्यक्तियों की रक्षा, विरोधी तोड़फोड़ की जाँच का आयोजन, बचाव बंधकों, महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को आतंकवादी खतरों को निष्क्रिय, आतंकवादियों को उलझाने और अपहरण और चोरी करने के लिए जवाब है। इस कार्य को एनएसजी के विशेष रेंजर्स समूह (SRG) द्वारा किया जाता है, एनएसजी ज्यादा वीवीआईपी सुरक्षा के लिए भारत में उच्च जोखिम वाले अति महत्वपूर्ण व्यक्तियों, राजनेता द्वारा एक स्थिति के प्रतीक के रूप में अधिक के लिए के बाद की मांग की है। विशेष कार्य समूह के आतंकवाद विरोधी और अपहरण विरोधी अभियानों में हड़ताल बल, SRG और दूसरों के द्वारा समर्थित है। एनएसजी के विशिष्ट लक्ष्यों में शामिल हैं: एनएसजी में कुल 14,500 कर्मी हैं। एनएसजी जर्मनी के GSG 9 (9 Grenzschutzgruppe या "सीमा गार्ड समूह 9") पर आधारित है।.

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राजधानी

राजधानी वह नगरपालिका होती है, जिसे किसी देश, प्रदेश, प्रान्त या अन्य प्रशासनिक ईकाई अथवा क्षेत्र में सरकार की गद्दी होने का प्राथमिक दर्जा हासिल होता है। राजधानी मिसाली तौर पर एक शहर होता है, जहाँ संबंधित सरकार के दफ़्तर और सम्मेलन -टिकाने स्थित होते हैं और आम तौर पर अपने क़ानून या संविधान द्वारा निर्धारित होती है। .

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राजस्थान पुलिस

राजस्थान पुलिस भारत के राजस्थान राज्य की लोकप्रिय नागरिक सेवा है। राजस्थान पुलिस का ध्येय "अपराधियोँ में डर, आमजन में.

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राजस्थान में पर्यटन

राजस्थान भारत का एक राज्य है जो पर्यटन के लिए सबसे अच्छा राज्य माना जाता है। राजस्थान राज्य में हर ज़िले में कई दर्शनीय स्थल देखने को मिलते है, यहां विशेषरूप से दुर्ग है जो लगभग हर ज़िले में है। इनके अलावा राजस्थान में कई पौराणिक मन्दिर भी है। प्राकृतिक सुंदरता और महान इतिहास से संपन्न राजस्थान में पर्यटन उद्योग समृद्धिशाली है। राजस्थान देशीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यकटों, दोनों के लिए एक उचित पर्यटन स्थल है। भारत की सैर करने वाला हर तीसरा विदेशी सैलानी राजस्थान देखने ज़रूर आता है क्योंकि यह भारत आने वाले पर्यकटों के लिए "गोल्डन ट्रायंगल" का हिस्सा है। जयपुर के महल, उदयपुर की झीलें और जोधपुर, बीकानेर तथा जैसलमेर के भव्य दुर्ग भारतीय और विदेशी सैलानोयों के लिए सबसे पसंदीदा जगहों में से एक हैं। इन प्रसिद्ध स्थलों को देखने के लिए यहां हज़ारों पर्यटक आते हैं। जयपुर का हवामहल, जोधपुर, बीकानेर के धोरे और जैसलमेर के धोरे काफी प्रसिद्ध हैं। जोधपुर का मेहरानगढ़ दुर्ग,चित्तौड़गढ़ दुर्ग काफी प्रसिद्ध है। यहां राजस्थान में कई पुरानी हवेलियाँ भी है जो वर्तमान में हैरीटेज होटलें बन चुकी हैं। पर्यटन ने यहाँ आतिथ्य क्षेत्र में भी रोज़गार को बढ़ावा दिया है। यहां की मुख्य मिठाई "घेवर" है। .

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राजस्थान सरकार

राजस्थान सरकार भारतीय राज्य राजस्थान और इसके ३३ जिलों का सर्वोच्च अधिकारप्राप्त प्राधिकरण है। .

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राजस्थान का संगीत

राजस्थान का संगीत एक संगीत है राजस्थान जो भारत का एक राज्य है। इसके प्रमुख संगीत के क्षेत्र जोधपुर,जयपुर,जैसलमेर तथा उदयपुर इत्यादि माने जाते हैं। ऐसा ही संगीत नज़दीकी राष्ट्र पाकिस्तान (सिंध) में भी सुनने को मिलता है। .

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राजस्थान का इतिहास

पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार राजस्थान का इतिहास पूर्व पाषाणकाल से प्रारंभ होता है। आज से करीब एक लाख वर्ष पहले मनुष्य मुख्यतः बनास नदी के किनारे या अरावली के उस पार की नदियों के किनारे निवास करता था। आदिम मनुष्य अपने पत्थर के औजारों की मदद से भोजन की तलाश में हमेशा एक स्थान से दूसरे स्थान को जाते रहते थे, इन औजारों के कुछ नमूने बैराठ, रैध और भानगढ़ के आसपास पाए गए हैं। अतिप्राचीनकाल में उत्तर-पश्चिमी राजस्थान वैसा बीहड़ मरुस्थल नहीं था जैसा वह आज है। इस क्षेत्र से होकर सरस्वती और दृशद्वती जैसी विशाल नदियां बहा करती थीं। इन नदी घाटियों में हड़प्पा, ‘ग्रे-वैयर’ और रंगमहल जैसी संस्कृतियां फली-फूलीं। यहां की गई खुदाइयों से खासकरकालीबंग के पास, पांच हजार साल पुरानी एक विकसित नगर सभ्यता का पता चला है। हड़प्पा, ‘ग्रे-वेयर’ और रंगमहल संस्कृतियां सैकडों किलोमीटर दक्षिण तक राजस्थान के एक बहुत बड़े इलाके में फैली हुई थीं। इस बात के प्रमाण मौजूद हैं कि ईसा पूर्व चौथी सदी और उसके पहले यह क्षेत्र कई छोटे-छोटे गणराज्यों में बंटा हुआ था। इनमें से दो गणराज्य मालवा और सिवि इतने शक्तिशाली थे कि उन्होंने सिकंदर महान को पंजाब से सिंध की ओर लौटने के लिए बाध्य कर दिया था। उस समय उत्तरी बीकानेर पर एक गणराज्यीय योद्धा कबीले यौधेयत का अधिकार था। महाभारत में उल्लिखित मत्स्य पूर्वी राजस्थान और जयपुर के एक बड़े हिस्से पर शासन करते थे। जयपुर से 80 कि॰मी॰ उत्तर में बैराठ, जो तब 'विराटनगर' कहलाता था, उनकी राजधानी थी। इस क्षेत्र की प्राचीनता का पता अशोक के दो शिलालेखों और चौथी पांचवी सदी के बौद्ध मठ के भग्नावशेषों से भी चलता है। भरतपुर, धौलपुर और करौली उस समय सूरसेन जनपद के अंश थे जिसकी राजधानी मथुरा थी। भरतपुर के नोह नामक स्थान में अनेक उत्तर-मौर्यकालीन मूर्तियां और बर्तन खुदाई में मिले हैं। शिलालेखों से ज्ञात होता है कि कुषाणकाल तथा कुषाणोत्तर तृतीय सदी में उत्तरी एवं मध्यवर्ती राजस्थान काफी समृद्ध इलाका था। राजस्थान के प्राचीन गणराज्यों ने अपने को पुनर्स्थापित किया और वे मालवा गणराज्य के हिस्से बन गए। मालवा गणराज्य हूणों के आक्रमण के पहले काफी स्वायत्त् और समृद्ध था। अंततः छठी सदी में तोरामण के नेतृत्तव में हूणों ने इस क्षेत्र में काफी लूट-पाट मचाई और मालवा पर अधिकार जमा लिया। लेकिन फिर यशोधर्मन ने हूणों को परास्त कर दिया और दक्षिण पूर्वी राजस्थान में गुप्तवंश का प्रभाव फिर कायम हो गया। सातवीं सदी में पुराने गणराज्य धीरे-धीरे अपने को स्वतंत्र राज्यों के रूप में स्थापित करने लगे। इनमें से मौर्यों के समय में चित्तौड़ गुबिलाओं के द्वारा मेवाड़ और गुर्जरों के अधीन पश्चिमी राजस्थान का गुर्जरात्र प्रमुख राज्य थे। लगातार होने वाले विदेशी आक्रमणों के कारण यहां एक मिली-जुली संस्कृति का विकास हो रहा था। रूढ़िवादी हिंदुओं की नजर में इस अपवित्रता को रोकने के लिए कुछ करने की आवश्यकता थी। सन् 647 में हर्ष की मृत्यु के बाद किसी मजबूत केंद्रीय शक्ति के अभाव में स्थानीय स्तर पर ही अनेक तरह की परिस्थितियों से निबटा जाता रहा। इन्हीं मजबूरियों के तहत पनपे नए स्थानीय नेतृत्व में जाति-व्यवस्था और भी कठोर हो गई। .

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राजस्थान के जिले

राजस्थान के ७ मंडलों में ३३ जिले हैं जो इस प्रकार हैं।- श्रेणी:राजस्थान से सम्बन्धित सूचियाँ.

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राजस्थान की अर्थव्यवस्था

राजस्थान की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि कार्यों एव पशुपालन पर ही निर्भर करती है, तथा कृषि के उपरान्त पशुपालन को ही जीविका का प्रमुख साधन माना जा सकता है।राजस्थान मुख्यत: एक कृषि व पशुपालन प्रधान राज्य है और अनाज व सब्जियों का निर्यात करता है। अल्प व अनियमित वर्षा के बावजूद, यहाँ लगभग सभी प्रकार की फ़सलें उगाई जाती हैं। रेगिस्तानी क्षेत्र में बाजरा, कोटा में ज्वार व उदयपुर में मुख्यत: मक्का उगाई जाती हैं। राज्य में गेहूँ व जौ का विस्तार अच्छा-ख़ासा (रेगिस्तानी क्षेत्रों को छोड़कर) है। ऐसा ही दलहन (मटर, सेम व मसूर जैसी खाद्य फलियाँ), गन्ना व तिलहन के साथ भी है। चावल की उन्नत किस्मों को भी यहाँ उगाया जाने लगा है। 'चंबल घाटी' और 'इंदिरा गांधी नहर परियोजनाओं' के क्षेत्रों में इस फ़सल के कुल क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है। कपास व तंबाकू महत्त्वपूर्ण नक़दी फ़सलें हैं। हाँलाकि यहाँ का अधिकांश क्षेत्र शुष्क या अर्द्ध शुष्क है, फिर भी राजस्थान में बड़ी संख्या में पालतू पशू हैं व राजस्थान सर्वाधिक ऊन का उत्पादन करने वाला राज्य है। ऊँटों व शुष्क इलाकों के पशुओं की विभिन्न नस्लों पर राजस्थान का एकाधिकार है। .

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राजस्थानी भाषा

हिन्दी, ब्रजभाषा, मेवाती, मारवाड़ी, जैसी कई भाषाओं के मिश्रित झुंड को राजस्थानी भाषा का नाम दिया गया इसे वर्तमान में देवनागरी में लिखा जाता है। राजस्थानी भाषा भारत के राजस्थान प्रान्त व मालवा क्षेत्र तथा पाकिस्तान के कुछ भागों में करोड़ों लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है। इस भाषा का इतिहास बहुत पुराना है। इस भाषा में प्राचीन साहित्य विपुल मात्रा में उपलब्ध है। इस भाषा में विपुल मात्रा में लोक गीत, संगीत, नृत्य, नाटक, कथा, कहानी आदि उपलब्ध हैं। इस भाषा को सरकारी मान्यता प्राप्त नहीं है। इस कारण इसे स्कूलों में पढाया नहीं जाता है। इस कारण शिक्षित वर्ग धीरे धीरे इस भाषा का उपयोग छोड़ रहा है, परिणामस्वरूप, यह भाषा धीरे धीरे ह्रास की और अग्रसर है। कुछ मातृभाषा प्रेमी अच्छे व्यक्ति इस भाषा को सरकारी मान्यता दिलाने के प्रयास में लगे हुए हैं। .

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राजस्थानी साहित्य

राजस्थानी साहित्य ई॰ सन् १००० से विभिन्न विधाओं में लिखी गई है। लेकिन सर्वसम्मत रूप से माना जाता है कि राजस्थानी साहित्य पर कार्य सूरजमल मिसराणा के कार्य के बाद आरम्भ हुआ।South Asian arts.

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राजस्थानी व्यंजन

राजस्थानी खाना विशेष रूप से शाकाहारी भोजन होता है और यह अपने स्वाद के कारण सारे विश्व में प्रसिद्ध हो गया है। अपनी भौगोलिक परिस्थितियों के कारण पारंपरिक राजस्थानी खाने में बेसन, दाल, मठा, दही, सूखे मसाले, सूखे मेवे, घी, दूध का अधिकाधिक प्रयोग होता है। हरी सब्जियों की तात्कालिक अनुपलब्धता के कारण पारंपरिक राजस्थानी खाने में इनका प्रयोग कम ही रहा है। मुख्यत: निम्न राजस्थानी खाने अधिक प्रचलित हैं।.

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राज्य सभा

राज्य सभा भारतीय लोकतंत्र की ऊपरी प्रतिनिधि सभा है। लोकसभा निचली प्रतिनिधि सभा है। राज्यसभा में 250 सदस्य होते हैं। जिनमे 12 सदस्य भारत के राष्ट्रपति के द्वारा नामांकित होते हैं। इन्हें 'नामित सदस्य' कहा जाता है। अन्य सदस्यों का चुनाव होता है। राज्यसभा में सदस्य 6 साल के लिए चुने जाते हैं, जिनमे एक-तिहाई सदस्य हर 2 साल में सेवा-निवृत होते हैं। किसी भी संघीय शासन में संघीय विधायिका का ऊपरी भाग संवैधानिक बाध्यता के चलते राज्य हितों की संघीय स्तर पर रक्षा करने वाला बनाया जाता है। इसी सिद्धांत के चलते राज्य सभा का गठन हुआ है। इसी कारण राज्य सभा को सदनों की समानता के रूप में देखा जाता है जिसका गठन ही संसद के द्वितीय सदन के रूप में हुआ है। राज्यसभा का गठन एक पुनरीक्षण सदन के रूप में हुआ है जो लोकसभा द्वारा पास किये गये प्रस्तावों की पुनरीक्षा करे। यह मंत्रिपरिषद में विशेषज्ञों की कमी भी पूरी कर सकती है क्योंकि कम से कम 12 विशेषज्ञ तो इस में मनोनीत होते ही हैं। आपातकाल लगाने वाले सभी प्रस्ताव जो राष्ट्रपति के सामने जाते हैं, राज्य सभा द्वारा भी पास होने चाहिये। भारत के उपराष्ट्रपति (वर्तमान में वैकेया नायडू) राज्यसभा के सभापति होते हैं। राज्यसभा का पहला सत्र 13 मई 1952 को हुआ था। .

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राज्यपाल (भारत)

भारत का संविधान संघात्मक है। इसमें संघ तथा राज्यों के शासन के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है। संविधान के भाग 6 में राज्य शासन के लिए प्रावधान है। यह प्रावधान जम्मू-कश्मीर को छोड़कर सभी राज्यों के लिए लागू होता है। जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति के कारण उसके लिए अलग संविधान है। संघ की तरह राज्य की भी शासन पद्धति संसदीय है। राज्यपाल की नियुक्ति राज्यों में होती है तथा केंद्र प्रशासित प्रदेशों में उपराज्यपाल की नियुक्ति होती है भारत में 7 केंद्र शासित राज्य हैं जिनमें से 3 केंद्र शासित राज्यों में उप राज्यपाल का पद है वह 3 केंद्र शासित राज्य निम्न है अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह,दिल्ली और पुडुचेरी बाकी चार केंद्र शासित राज्यों में प्रशासक होते हैं वहां पर उप राज्यपाल का पद नहीं होता है वह 4 केंद्र शासित राज्य है। चंडीगढ़, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली, लक्ष्यदीप। राज्य की कार्यपालिका का प्रमुख राज्यपाल (गवर्नर) होता है, जो मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार कार्य करता है। कुछ मामलों में राज्यपाल को विवेकाधिकार दिया गया है, ऐसे मामले में वह मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना भी कार्य करता है। राज्यपाल अपने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी होते हैं। इनकी स्थिति राज्य में वही होती है जो केन्द्र में राष्ट्रपति की होती है। केन्द्र शासित प्रदेशों में उपराज्यपाल होते हैं। 7 वे संशोधन 1956 के तहत एक राज्यपाल एक से अधिक राज्यो के लिए भी नियुक्त किया जा सकता है। .

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रक्षा मंत्रालय (भारत)

रक्षा मंत्रालय का प्रमुख कार्य है रक्षा और सुरक्षा संबंधी मामलों पर नीति निर्देश बनाना और उनके कार्यान्वयन के लिए उन्हें सुरक्षा बलों के मुख्यालयों, अंतर सेना संगठनों, रक्षा उत्पाद प्रतिष्ठानों और अनुसंधान व विकास संगठनों तक पहुंचाना। सरकार के नीति निर्देशों को प्रभावी ढंग से तथा आवंटित संसाधनों को ध्यान में रखकर उन्हें कार्यान्वित करना भी उसका काम है। रक्षा मंत्रालय चार विभागों का मिला जुला रूप है। इसमें रक्षा विभाग (डीओडी), रक्षा उत्पाद विभाग (डीडीपी), रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग (डीडीआर एंड डी) और पूर्व सैनिकों के कल्याण और वित्त प्रभाग के विभाग शामिल हैं। .

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रुपए का इतिहास

भारतीय १० रुपये के नोटों की गड्डियां भारतीय १ रुपये का सिक्का भारत विश्व कि उन प्रथम सभ्यताओं में से है जहाँ सिक्कों का प्रचलन लगभग छठी सदी ईसापूर्व में शुरू हुआ। रुपए शब्द का अर्थ शब्द रूपा से जोड़ा जा सकता है जिसका अर्थ होता है चाँदी। संस्कृत में रूप्यकम् का अर्थ है चाँदी का सिक्का। रुपया शब्द सन 1540 - 1545 के बीच शेरशाह सूरी के द्वारा जारी किए गए चाँदी के सिक्कों लिए उपयोग में लाया गया। मूल रुपया चाँदी का सिक्का होता था, जिसका वजन 11.34 ग्राम था। यह सिक्का ब्रिटिश भारत के शासन काल में भी उपयोग मे लाया जाता रहा। बीसवीं सदी में फ़ारस की खाड़ी के देशों (खाड़ी देश) तथा अरब मुल्कों में भारतीय रुपया मुद्रा के तौर पर प्रचलित था। सोने की तस्करी को रोकने तथा भारतीय मुद्रा के बाहर में प्रयोग को रोकने के लिए मई १९५९ में भारतीय रिज़र्व बैंक ने गल्फ़ रुपी (खाड़ी रुपया) का विपणन किया। साठ के दशक में कुवैत तथा बहरीन ने अपनी स्वतंत्रता के बाद अपनी ख़ुद की मुद्रा प्रयोग में लानी शुरु की तथा १९६६ में भारतीय रुपये में हुए अवमूल्यन से बचने के लिए क़तर ने भी अपनी मुद्रा शुरु कर दी। .

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रेलवे सुरक्षा बल

 रेलवे सुरक्षा बल देके सर्वोत्तम सुरक्षा बलों में सेे एक है।यह एक ऐसा सुरक्षा बल है जो देश में रेल यात्रियों की सुरक्षा, भारतीय रेलवे की सम्पत्तियों की रक्षा तथा किन्हीं देश विरोधी गतिविधियों में रेलवे सुविधाओं के इस्तेमाल की निगरानी रखना है।यह एक केंद्रीय सैन्य सुरक्षा बल है जो पैरा मिलिट्री फोर्स के रूप में भी जाना जाता है जिसे दोषियों को गिरफ्तार करने, जाँच पड़ताल करने एवं अपराधियों के विरूद्ध मुकदमा चलाने का अधिकार होता है। यह प्रायः आरपीएफ के नाम से जाना जाता है यह सुरक्षा बल भारतीय रेल मंत्रालय केअधीन होता है। रेलवे सुरक्षा बलों की तादाद ६५००० के लगभग है। रेलवे सुरक्षा बल का मुखिया डाइरेक्टर जनरल होता है जो कि प्रायः भारतीय पुलिस सेवा का अधिकारी होते हैं।इस समय १९८२ बैच के उत्तराखण्ड कैडर के आइपीएस अधिकारी मिस्टर एस.

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लावणी

लावणी संगीत की एक विधा है जो प्रमुख रूप से भारतीय राज्य महाराष्ट्र में प्रसिद्ध है। .

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लोक सभा

लोक सभा, भारतीय संसद का निचला सदन है। भारतीय संसद का ऊपरी सदन राज्य सभा है। लोक सभा सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर लोगों द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों से गठित होती है। भारतीय संविधान के अनुसार सदन में सदस्यों की अधिकतम संख्या 552 तक हो सकती है, जिसमें से 530 सदस्य विभिन्न राज्यों का और 20 सदस्य तक केन्द्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। सदन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं होने की स्थिति में भारत का राष्ट्रपति यदि चाहे तो आंग्ल-भारतीय समुदाय के दो प्रतिनिधियों को लोकसभा के लिए मनोनीत कर सकता है। लोकसभा की कार्यावधि 5 वर्ष है परंतु इसे समय से पूर्व भंग किया जा सकता है .

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लोकतंत्र

लोकतंत्र (शाब्दिक अर्थ "लोगों का शासन", संस्कृत में लोक, "जनता" तथा तंत्र, "शासन") या प्रजातंत्र एक ऐसी शासन व्यवस्था है जिसमें जनता अपना शासक खुद चुनती है। यह शब्द लोकतांत्रिक व्यवस्था और लोकतांत्रिक राज्य दोनों के लिये प्रयुक्त होता है। यद्यपि लोकतंत्र शब्द का प्रयोग राजनीतिक सन्दर्भ में किया जाता है, किंतु लोकतंत्र का सिद्धांत दूसरे समूहों और संगठनों के लिये भी संगत है। मूलतः लोकतंत्र भिन्न भिन्न सिद्धांतों के मिश्रण से बनते हैं, पर मतदान को लोकतंत्र के अधिकांश प्रकारों का चरित्रगत लक्षण माना जाता है। .

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लोकसभा अध्यक्ष

लोकसभा अध्यक्ष, भारतीय संसद के निम्नसदन, लोकसभा का सभापति एवं अधिष्ठाता होता है। उसकी भूमिका वेस्टमिंस्टर प्रणाली पर आधारित किसी भी अन्य शासन-व्यवस्था के वैधायिकीय सभापति के सामान होती है। उसका निर्वाचन लोकसभा चुनावों के बाद, लोकसभा की प्रथम बैठक में ही कर लिया जाता है। वह संसद के सदस्यों में से ही पाँच साल के लिए चुना जाता है। उससे अपेक्षा की जाती है कि वह अपने राजनितिक दल से इस्तीफा दे दे, ताकि कार्यवाही में निष्पक्षता बनी रहे। वर्त्तमान लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन है, जोकि अपनी पूर्वाधिकारी, मीरा कुमार के बाद, इस पद की दूसरी महिला पदाधिकारी हैं। .

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शासनप्रमुख

शासनप्रमुख या सरकारप्रमुख, एक जातिवाचक शब्द है, जिसका उपयोग, किसी संप्रभु राज्य (जिसे सामान्यतः "देश" कहा जाता है) की कार्यकारी शाखा के प्रमुख अथवा उसके उपाधिकारी के लिए किया जाता है। व्यावहारिक तौरपर, सरकरप्रमुख, किसी देश, संघाधीन राज्य या स्वशासित क्षेत्र की सरकार के मुखिया, अर्थात कार्यपालिका के प्रमुख को कहा जाता है, अमूमन जिसके निर्देशानुसार सरकार कार्य करती है। यह पद राष्ट्रप्रमुख के पद से भिन्न होता है, जोकि किसी देश का वैधिक प्रमुख होता है, हालाँकि कई देशों में, विशेष तौरपर अध्यक्षीय प्रणालियों और तानाशाहियों में, राष्ट्रप्रमुख तथा शासनप्रमुख, का कार्यभार, एक ही पदाधिकारी के ऊपर होता है। तथा कई देशों में इन दोनों पदों को पूणतः विभक्त रखा जाता है, जबकि कुछ प्रणालियों में शासनप्रमुख के कुछ शक्तियों और कार्यभार को राष्ट्रप्रमुख के विवेकाधीन रखा गया है। शासनप्रमुख की शक्तियाँ, अधिकार, नियुक्ति-प्रक्रिया और सरकार के अन्य अंगों से संबंध, विभिन्न देशों में, शासन-प्रणाली और प्रशासनिक संरचना, विधि-विधान और ऐतिहासिक परंपरा के आधार पर, भिन्न होती हैं। अमूमन, शासनप्रमुखगण, कैबिनेट, मंत्रिपरिषद अथवा सचिवगण के परिषद् के प्रमुख होते हैं, जिनपर सरकार के विभिन्न विभागों का कार्यभार होता है। शासनप्रमुखगण पर विएना संविधि द्वारा विशेष राजनयिक प्रतिरक्षा भी निहित होती है। अधिकांश संसदीय गणराज्यों में, और विशेषतः, वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली से प्रभावित व्यवस्थाओं में, शासनप्रमुख और राष्ट्रप्रमुख के पदों और अधिकारों को पूणतः विभक्त रखा जाता है, और शासनप्रमुख को आम तौरपर "प्रधानमंत्री" कहा जाता है। वहीँ, अध्यक्षीय गणराज्यों में राष्ट्रप्रमुख तथा शासनप्रमुख, दोनों का कार्यभार एक ही व्यक्ति को दिया जाता है, जिसे "राष्ट्रपति" कहा जाता है। कुछ गणराज्यों में, राष्ट्रपति के अधीन एक अतिरिक्त पदाधिकारी होता है, तथा कार्यकारी शक्तियां दोनों पर विभिन्न मात्रा में निहित होती है। इन्हें अर्ध-अध्यक्षीय प्रणाली कहा जाता है। ऐसी व्यवस्था श्रीलंका और फ्रांस में देखि जा सकती है। वर्त्तमान समय में अधिकांश राजतंत्र, वेस्ट्मिन्स्टर व्यवस्था (या उसके सामानांतर व्यवस्था) का पालन करती हैं, परंतु सऊदी अरब, वैटिकन सिटी, संयुक्त अरब अमीरात, इत्यादि तथा पूर्वतः अधिकांश निरंकुश राजतंत्रों में शासनप्रमुख के तौरपर एक "प्रधानमंत्री" अथवा उसी के सामान एक अधिकारी को शासन सँभालने हेतु नियुक्त तो किया जाता है, परंतु उसे शासक द्वारा कभी भी इच्छानुसार पद से हटाया जा सकता है, अतः वह पूर्णतः शासक के नियंत्रण में कार्य करता है। .

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शास्त्रीय नृत्य

भारत में नृत्‍य की जड़ें प्राचीन परंपराओं में है। इस विशाल उपमहाद्वीप में नृत्‍यों की विभिन्‍न विधाओं ने जन्‍म लिया है। प्रत्‍येक विधा ने विशिष्‍ट समय व वातावरण के प्रभाव से आकार लिया है। राष्‍ट्र शास्‍त्रीय नृत्‍य की कई विधाओं को पेश करता है, जिनमें से प्रत्‍येक का संबंध देश के विभिन्‍न भागों से है। प्रत्‍येक विधा किसी विशिष्‍ट क्षेत्र अथवा व्‍यक्तियों के समूह के लोकाचार का प्रतिनिधित्‍व करती है। भारत के कुछ प्रसिद्ध शास्‍त्रीय नृत्‍य हैं - .

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शास्त्रीय संगीत

भारतीय शास्त्रीय संगीत या मार्ग, भारतीय संगीत का अभिन्न अंग है। शास्त्रीय संगीत को ही ‘क्लासिकल म्जूजिक’ भी कहते हैं। शास्त्रीय गायन ध्वनि-प्रधान होता है, शब्द-प्रधान नहीं। इसमें महत्व ध्वनि का होता है (उसके चढ़ाव-उतार का, शब्द और अर्थ का नहीं)। इसको जहाँ शास्त्रीय संगीत-ध्वनि विषयक साधना के अभ्यस्त कान ही समझ सकते हैं, अनभ्यस्त कान भी शब्दों का अर्थ जानने मात्र से देशी गानों या लोकगीत का सुख ले सकते हैं। इससे अनेक लोग स्वाभाविक ही ऊब भी जाते हैं पर इसके ऊबने का कारण उस संगीतज्ञ की कमजोरी नहीं, लोगों में जानकारी की कमी है। .

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शिशुनाग वंश

शिशुनाग ४१२ई॰पू॰ गद्दी पर बैठे। महावंश के अनुसार वह लिच्छवि राजा के वेश्या पत्‍नी से उत्पन्‍न पुत्र था। पुराणों के अनुसार वह क्षत्रिय था। इसने सर्वप्रथम मगध के प्रबल प्रतिद्वन्दी राज्य अवन्ति पर वहां के शासक अवंतिवर्द्धन के विरुद्ध विजय प्राप्त की और उसे अपने साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया। इस प्रकार मगध की सीमा पश्‍चिम मालवा तक फैल गई। तदुपरान्त उसने वत्स को मगध में मिलाया। वत्स और अवन्ति के मगध में विलय से, पाटलिपुत्र के लिए पश्‍चिमी देशों से, व्यापारिक मार्ग के लिए रास्ता खुल गया।.

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शिवसेना

शिवसेना भारत का एक राष्ट्रीय राजनैतिक दल है जो मुख्य रूप से महाराष्ट्र प्रान्त में सक्रिय है। इसकी स्थापना १९ जून १९६६ को एक प्रमुख राजनीतिक कार्टूनिस्ट बाळासाहेब ठाकरे ने की थी। वर्तमान समय में इस दल के लोक सभा में 18, राज्य सभा में ४ और महाराष्ट्र विधान सभा में 63 निर्वाचित सदस्य हैं। इस दल का प्रतीक चिन्ह (लोगो) बाघ है। पूरे देश में शिव सेना को एक कट्टर हिन्दू राष्ट्रवादी दल के रूप में जाना जाता है। शिवसेना के मध्यप्रदेश में कुशाग्र शर्मा एक मुख्य हिंदुवादी राजनितीज्ञ है। पिछले कुछ दशकों से मुंबई की महानगरपालिका पर शिवसेना का ही राज है। .

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शंघाई सहयोग संगठन

शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation) या SCO; सरल चीनी: 上海合作组织; परम्परागत चीनी: 上海合作組織; फीनयिन: Shànghǎi Hézuò Zǔzhī; रूसी: Шанхайская организация сотрудничества (ШОС), Shankhayskaya organizatsiya sotrudnichestva) यूरेशिया का राजनीतिक आर्थिक, और सैनिक संगठन है जिसकी स्थापना २००१ में संघाई में चीन, कजकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, तजकिस्तान और उज्बेकिस्तान के नेताओं ने मिलकर की। २४ जून २०१६ को भारत और पाकिस्तान को भी औपचारिक तौर पर अस्ताना म॓ॱ आयोजित शिखर सम्मेलन मेॱ संगठन का सदस्य बनाया गया। तथ्य चीन, कजकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस और तजकिस्तान ने 1996 मेॱ "शंघाई V" नाम से सॱगठन की स्थापना शऺघाई मेऺ की । सन् 2001 मेॱ वापस शिऺघाई मे आयोजित शिखर सम्मेलन मेऺ उज्बेकिस्तान को शामिल कर "शंघाई VI" मेऺ बदल दिया गया जो अब शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation) या SCO नाम से जाना जाता है। इसका मुख्यालय बीजिऺग मेऺ है। .

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शुंग राजवंश

शुंग साम्राज्य का विस्तार शुंग वंश प्राचीन भारत का एक शासकीय वंश था जिसने मौर्य राजवंश के बाद शासन किया। इसका शासन उत्तर भारत में १८७ ई.पू.

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समय मण्डल

समय मण्डल मानचित्र समय मण्डल पृथ्वी के ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ पर समय का एक सा मानकीकरण कर दिया गय है। यह सारे क्षेत्र अपने स्थानीय समय को ग्रीनविच मीन टाईम(ग्रीनविच मानक समय) के अनुसार गणते हैं। भारत में यह समय गणना +5:30 घंटे है। .

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समाजवादी पार्टी

समाजवादी पार्टी भारत का एक राजनीतिक दल है। यह भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश में आधारित है। यह ४ अक्टूबर १९९२ को स्थापित किया गया था। समाजवादी पार्टी के संस्थापक व संरक्षक मुलायम सिंह यादव, उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री और देश के पूर्व रक्षा मंत्री रह चुके है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। .

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सम्प्रभु राज्य

राष्ट्र कहते हैं, एक जन समूह को, जिनकी एक पहचान होती है, जो कि उन्हें उस राष्ट्र से जोङती है। इस परिभाषा से तात्पर्य है कि वह जन समूह साधारणतः समान भाषा, धर्म, इतिहास, नैतिक आचार, या मूल उद्गम से होता है। ‘राजृ-दीप्तो’ अर्थात ‘राजृ’ धातु से कर्म में ‘ष्ट्रन्’ प्रत्यय करने से संस्कृत में राष्ट्र शब्द बनता है अर्थात विविध संसाधनों से समृद्ध सांस्कृतिक पहचान वाला देश ही एक राष्ट्र होता है | देश शब्द की उत्पत्ति "दिश" यानि दिशा या देशांतर से हुआ जिसका अर्थ भूगोल और सीमाओं से है | देश विभाजनकारी अभिव्यक्ति है जबकि राष्ट्र, जीवंत, सार्वभौमिक, युगांतकारी और हर विविधताओं को समाहित करने की क्षमता रखने वाला एक दर्शन है | सामान्य अर्थों में राष्ट्र शब्द देश का पर्यायवाची बन जाता है, जहाँ कुछ असार्वभौमिक राष्ट्र, जिन्होंने अपनी पहचान जुङने के बाद, पृथक सार्वभौमिकिता बनाए रखी है। एक राष्ट्र कई राज्यों में बँटा हो सकता है तथा वे एक निर्धारित भौगोलिक क्षेत्र में रहते हैं, जिसे राष्ट्र कहा जाता है। देश को अपने रहेने वालों का रक्षा करना है। .

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सर्व शिक्षा अभियान

मध्य प्रदेश के गांव में एक प्राथमिक स्कूल. सर्व शिक्षा अभियान भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसकी शुरूआत अटल बिहारी बाजपेयी द्वारा एक निश्चित समयावधि के तरीके से प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण को प्राप्त करने के लिए किया गया, जैसा कि भारतीय संविधान के 86वें संशोधन द्वारा निर्देशित किया गया है जिसके तहत 6-14 साल के बच्चों (2001 में 205 मिलियन अनुमानित) की मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के प्रावधान को मौलिक अधिकार बनाया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य 2010 तक संतोषजनक गुणवत्ता वाली प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण को प्राप्त करना है। एसएसए (SSA) में 8 मुख्य कार्यक्रम हैं। इसमें आईसीडीएस (ICDS) और आंगनवाड़ी आदि शामिल हैं। इसमें केजीबीवीवाई (KGBVY) भी शामिल है। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना की शुरूआत 2004 में हुई जिसमें सारी लड़कियों को प्राथमिक शिक्षा देने का सपना देखा गया, बाद में यह योजना एसएसए के साथ विलय हो गई। .

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सर्वाधिक कमाई करने वाली भारतीय फिल्मों की सूची

श्रेणी:हिन्दी फ़िल्में श्रेणी:भारतीय फ़िल्मों से संबंधित सूचियाँ.

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सातवाहन

सातवाहन प्राचीन भारत का एक राजवंश था। इसने ईसापूर्व २३० से लेकर दूसरी सदी (ईसा के बाद) तक केन्द्रीय दक्षिण भारत पर राज किया। यह मौर्य वंश के पतन के बाद शक्तिशाली हुआ था। इनका उल्लेख ८वीं सदी ईसापूर्व में मिलता है। अशोक की मृत्यु (सन् २३२ ईसापूर्व) के बाद सातवाहनों ने खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया था। सीसे का सिक्का चलाने वाला पहला वंश सातवाहन वंश था, और वह सीसे का सिक्का रोम से लाया जाता था। .

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साहित्य अकादमी पुरस्कार

साहित्य अकादमी पुरस्कार भारत में एक साहित्यिक सम्मान है, जो साहित्य अकादमी प्रतिवर्ष भारत की अपने द्वारा मान्यता प्रदत्त प्रमुख भाषाओं में से प्रत्येक में प्रकाशित सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृति को पुरस्कार प्रदान करती है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल २२ भारतीय भाषाओं के अलावा ये राजस्थानी और अंग्रेज़ी भाषा; याने कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं। पहली बार ये पुरस्कार सन् 1955 में दिए गए। पुरस्कार की स्थापना के समय पुरस्कार राशि 5,000/- रुपए थी, जो सन् 1983 में ब़ढा कर 10,000/- रुपए कर दी गई और सन् 1988 में ब़ढा कर इसे 25,000/- रुपए कर दिया गया। सन् 2001 से यह राशि 40,000/- रुपए की गई थी। सन् 2003 से यह राशि 50,000/- रुपए कर दी गई है। .

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सिन्धु-गंगा के मैदान

सिन्धु-गंगा मैदान का योजनामूलक मानचित्र सिन्धु-गंगा का मैदान, जिसे उत्तरी मैदानी क्षेत्र तथा उत्तर भारतीय नदी क्षेत्र भी कहा जाता है, एक विशाल एवं उपजाऊ मैदानी इलाका है। इसमें उत्तरी तथा पूर्वी भारत का अधिकांश भाग, पाकिस्तान के सर्वाधिक आबादी वाले भू-भाग, दक्षिणी नेपाल के कुछ भू-भाग तथा लगभग पूरा बांग्लादेश शामिल है। इस क्षेत्र का यह नाम इसे सींचने वाली सिन्धु तथा गंगा नामक दो नदियों के नाम पर पड़ा है। खेती के लिए उपजाऊ मिट्टी होने के कारण इस इलाके में जनसंख्या का घनत्व बहुत अधिक है। 7,00,000 वर्ग किमी (2,70,000 वर्ग मील) जगह पर लगभग 1 अरब लोगों (या लगभग पूरी दुनिया की आबादी का 1/7वां हिस्सा) का घर होने के कारण यह मैदानी इलाका धरती की सर्वाधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में से एक है। सिन्धु-गंगा के मैदानों पर स्थित बड़े शहरों में अहमदाबाद, लुधियाना, अमृतसर, चंडीगढ़, दिल्ली, जयपुर, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, कोलकाता, ढाका, लाहौर, फैसलाबाद, रावलपिंडी, इस्लामाबाद, मुल्तान, हैदराबाद और कराची शामिल है। इस क्षेत्र में, यह परिभाषित करना कठिन है कि एक महानगर कहां शुरू होता है और कहां समाप्त होता है। सिन्धु-गंगा के मैदान के उत्तरी छोर पर अचानक उठने वाले हिमालय के पर्वत हैं, जो इसकी कई नदियों को जल प्रदान करते हैं तथा दो नदियों के मिलन के कारण पूरे क्षेत्र में इकट्ठी होने वाली उपजाऊ जलोढ़ मिटटी के स्रोत हैं। इस मैदानी इलाके के दक्षिणी छोर पर विंध्य और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाएं तथा छोटा नागपुर का पठार स्थित है। पश्चिम में ईरानी पठार स्थित है। .

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सिन्धी भाषा

सिंधी भारत के पश्चिमी हिस्से और मुख्य रूप से गुजरात और पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। इसका संबंध भाषाई परिवार के स्तर पर आर्य भाषा परिवार से है जिसमें संस्कृत समेत हिन्दी, पंजाबी और गुजराती भाषाएँ शामिल हैं। अनेक मान्य विद्वानों के मतानुसार, आधुनिक भारतीय भाषाओं में, सिन्धी, बोली के रूप में संस्कृत के सर्वाधिक निकट है। सिन्धी के लगभग ७० प्रतिशत शब्द संस्कृत मूल के हैं। सिंधी भाषा सिंध प्रदेश की आधुनिक भारतीय-आर्य भाषा जिसका संबंध पैशाची नाम की प्राकृत और व्राचड नाम की अपभ्रंश से जोड़ा जाता है। इन दोनों नामों से विदित होता है कि सिंधी के मूल में अनार्य तत्व पहले से विद्यमान थे, भले ही वे आर्य प्रभावों के कारण गौण हो गए हों। सिंधी के पश्चिम में बलोची, उत्तर में लहँदी, पूर्व में मारवाड़ी और दक्षिण में गुजराती का क्षेत्र है। यह बात उल्लेखनीय है कि इस्लामी शासनकाल में सिंध और मुलतान (लहँदीभाषी) एक प्रांत रहा है और 1843 से 1936 ई. तक सिन्ध, बम्बई प्रांत का एक भाग होने के नाते गुजराती के विशेष संपर्क में रहा है। पाकिस्तान में सिंधी भाषा नस्तालिक (यानि अरबी लिपि) में लिखी जाती है जबकि भारत में इसके लिये देवनागरी और नस्तालिक दोनो प्रयोग किये जाते हैं। .

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सिन्धी भाषा का साहित्य

सिन्धी साहित्य सिन्धी साहित्य गद्य और पद्य दोनों में है। .

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सिख धर्म

सिख धर्म (सिखमत और सिखी भी कहा जाता है; पंजाबी: ਸਿੱਖੀ) एक एकेश्वरवादी धर्म है। इस धर्म के अनुयायी को सिख कहा जाता है। सिखों का धार्मिक ग्रन्थ श्री आदि ग्रंथ या ज्ञान गुरु ग्रंथ साहिब है। आमतौर पर सिखों के 10 सतगुर माने जाते हैं, लेकिन सिखों के धार्मिक ग्रंथ में 6 गुरुओं सहित 30 भगतों की बानी है, जिन की सामान सिख्याओं को सिख मार्ग पर चलने के लिए महत्त्वपूर्ण माना जाता ह। सिखों के धार्मिक स्थान को गुरुद्वारा कहते हैं। 1469 ईस्वी में पंजाब में जन्मे नानक देव ने गुरमत को खोजा और गुरमत की सिख्याओं को देश देशांतर में खुद जा जा कर फैलाया था। सिख उन्हें अपना पहला गुरु मानते हैं। गुरमत का परचार बाकि 9 गुरुओं ने किया। 10वे गुरु गोबिन्द सिंह जी ने ये परचार खालसा को सोंपा और ज्ञान गुरु ग्रंथ साहिब की सिख्याओं पर अम्ल करने का उपदेश दिया। संत कबीर, धना, साधना, रामानंद, परमानंद, नामदेव इतियादी, जिन की बानी आदि ग्रंथ में दर्ज है, उन भगतों को भी सिख सत्गुरुओं के सामान मानते हैं और उन कि सिख्याओं पर अमल करने कि कोशिश करते हैं। सिख एक ही ईश्वर को मानते हैं, जिसे वे एक-ओंकार कहते हैं। उनका मानना है कि ईश्वर अकाल और निरंकार है। .

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सिंधु घाटी सभ्यता

सिंधु घाटी सभ्यता अपने शुरुआती काल में, 3250-2750 ईसापूर्व सिंधु घाटी सभ्यता (3300 ईसापूर्व से 1700 ईसापूर्व तक,परिपक्व काल: 2600 ई.पू. से 1900 ई.पू.) विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्यता है। जो मुख्य रूप से दक्षिण एशिया के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में, जो आज तक उत्तर पूर्व अफगानिस्तान,पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम और उत्तर भारत में फैली है। प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया की प्राचीन सभ्यता के साथ, यह प्राचीन दुनिया की सभ्यताओं के तीन शुरुआती कालक्रमों में से एक थी, और इन तीन में से, सबसे व्यापक तथा सबसे चर्चित। सम्मानित पत्रिका नेचर में प्रकाशित शोध के अनुसार यह सभ्यता कम से कम 8000 वर्ष पुरानी है। यह हड़प्पा सभ्यता और 'सिंधु-सरस्वती सभ्यता' के नाम से भी जानी जाती है। इसका विकास सिंधु और घघ्घर/हकड़ा (प्राचीन सरस्वती) के किनारे हुआ। मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा, राखीगढ़ी और हड़प्पा इसके प्रमुख केन्द्र थे। दिसम्बर २०१४ में भिर्दाना को सिंधु घाटी सभ्यता का अब तक का खोजा गया सबसे प्राचीन नगर माना गया है। ब्रिटिश काल में हुई खुदाइयों के आधार पर पुरातत्ववेत्ता और इतिहासकारों का अनुमान है कि यह अत्यंत विकसित सभ्यता थी और ये शहर अनेक बार बसे और उजड़े हैं। 7वी शताब्दी में पहली बार जब लोगो ने पंजाब प्रांत में ईटो के लिए मिट्टी की खुदाई की तब उन्हें वहां से बनी बनाई इटे मिली जिसे लोगो ने भगवान का चमत्कार माना और उनका उपयोग घर बनाने में किया उसके बाद 1826 में चार्ल्स मैसेन ने पहली बार इस पुरानी सभ्यता को खोजा। कनिंघम ने 1856 में इस सभ्यता के बारे में सर्वेक्षण किया। 1856 में कराची से लाहौर के मध्य रेलवे लाइन के निर्माण के दौरान बर्टन बंधुओं द्वारा हड़प्पा स्थल की सूचना सरकार को दी। इसी क्रम में 1861 में एलेक्जेंडर कनिंघम के निर्देशन में भारतीय पुरातत्व विभाग की स्थापना की। 1904 में लार्ड कर्जन द्वारा जॉन मार्शल को भारतीय पुरातात्विक विभाग (ASI) का महानिदेशक बनाया गया। फ्लीट ने इस पुरानी सभ्यता के बारे में एक लेख लिखा। १९२१ में दयाराम साहनी ने हड़प्पा का उत्खनन किया। इस प्रकार इस सभ्यता का नाम हड़प्पा सभ्यता रखा गया व दयाराम साहनी को इसका खोजकर्ता माना गया। यह सभ्यता सिन्धु नदी घाटी में फैली हुई थी इसलिए इसका नाम सिन्धु घाटी सभ्यता रखा गया। प्रथम बार नगरों के उदय के कारण इसे प्रथम नगरीकरण भी कहा जाता है। प्रथम बार कांस्य के प्रयोग के कारण इसे कांस्य सभ्यता भी कहा जाता है। सिन्धु घाटी सभ्यता के १४०० केन्द्रों को खोजा जा सका है जिसमें से ९२५ केन्द्र भारत में है। ८० प्रतिशत स्थल सरस्वती नदी और उसकी सहायक नदियों के आस-पास है। अभी तक कुल खोजों में से ३ प्रतिशत स्थलों का ही उत्खनन हो पाया है। .

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सिंधी खाना

श्रेणी:भारतीय खाना श्रेणी:खान पान.

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सिक्किम का खाना

श्रेणी:भारतीय खाना श्रेणी:खान पान.

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सिक्किम का इतिहास

गुरु रिन्पोचे, सिक्किम के संरक्षक सन्त की मूर्ति. नाम्ची की मूर्ति ११८ फ़ीट पर विश्व में उनकी सबसे ऊँची मूर्ति है। बौद्ध भिक्षु गुरु रिन्पोचे का ८वीँ सदी में सिक्किम दौरा सिक्किम से सम्बन्धित सबसे प्राचीन विवरण है। अभिलेखित है कि उन्होंने बौद्ध धर्म का प्रचार किया, सिक्किम को आशीष दिया तथा कुछ सदियों पश्चात आने वाले राज्य की भविष्यवाणी करी। मान्यता के अनुसार १४वीँ सदी में ख्ये बुम्सा, पूर्वी तिब्बत में खाम के मिन्यक महल के एक राजकुमार को एक रात दैवीय दृष्टि के अनुसार दक्षिण की ओर जाने का आदेश मिला। इनके ही वंशजों ने सिक्किम की राजतन्त्र की स्थापना करी। १६४२ में ख्ये के पाँचवें वंशज फुन्त्सोंग नामग्याल को तीन बौद्ध भिक्षु- जो कि उत्तर, पूर्व तथा दक्षिण से आये थे, द्वारा सिक्किम का प्रथम चोग्याल(राजा) घोषित किया गया। इस प्रकार सिक्किम में राजतन्त्र का आरम्भ हुआ। फुन्त्सोंग नामग्याल के पुत्र, तेन्सुंग नामग्याल ने उनके पश्चात १६७० में कार्य-भार संभाला। तेन्सुंग ने राजधानी को युक्सोम से रबदेन्त्से स्थानान्तरित कर दिया। १७०० में सिक्किम पर भूटान का आक्रमण हुआ जिसमें चोग्याल की अर्ध-बहन था, जिसको राज-गद्दी से वंचित कर दिया गया था। तिब्बतियों की सहयता से चोग्याल को राज-गद्दी पुनः सौँप दी गयी। १७१७ तथा १७३३ के बीच में सिक्किम को नेपाल तथा भूटान के अनेक आक्रमणों का सामना करना पड़ा जिसके कारण अन्तत: रबदेन्त्से का पतन हो गया। सिक्किम के पुराने राजशाही का ध्वज .

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सिक्किम के जिले

यह सूची सिक्किम के जिलों की है:-.

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संथाली भाषा

संताली मुंडा भाषा परिवार की प्रमुख भाषा है। यह असम, झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ, बिहार, त्रिपुरा तथा बंगाल में बोली जाती है। संथाली, हो और मुंडारी भाषाएँ आस्ट्रो-एशियाई भाषा परिवार में मुंडा शाखा में आती हैं। संताल भारत, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान में लगभग ६० लाख लोगों से बोली जाती है। उसकी अपनी पुरानी लिपि का नाम 'ओल चिकी' है। अंग्रेजी काल में संथाली रोमन में लिखी जाती थी। भारत के उत्तर झारखण्ड के कुछ हिस्सोँ मे संथाली लिखने के लिये देवनागरी लिपि का प्रयोग होता है। संतालों द्वारा बोली जानेवाली भाषा को संताली कहते हैं। .

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संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र (United Nations) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसके उद्देश्य में उल्लेख है कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून को सुविधाजनक बनाने के सहयोग, अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति, मानव अधिकार और विश्व शांति के लिए कार्यरत है। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना २४ अक्टूबर १९४५ को संयुक्त राष्ट्र अधिकारपत्र पर 50 देशों के हस्ताक्षर होने के साथ हुई। द्वितीय विश्वयुद्ध के विजेता देशों ने मिलकर संयुक्त राष्ट्र को अन्तर्राष्ट्रीय संघर्ष में हस्तक्षेप करने के उद्देश्य से स्थापित किया था। वे चाहते थे कि भविष्य में फ़िर कभी द्वितीय विश्वयुद्ध की तरह के युद्ध न उभर आए। संयुक्त राष्ट्र की संरचना में सुरक्षा परिषद वाले सबसे शक्तिशाली देश (संयुक्त राज्य अमेरिका, फ़्रांस, रूस और संयुक्त राजशाही) द्वितीय विश्वयुद्ध में बहुत अहम देश थे। वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र में १९३ देश है, विश्व के लगभग सारे अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त देश। इस संस्था की संरचन में आम सभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक व सामाजिक परिषद, सचिवालय और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय सम्मिलित है। .

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संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग

शरणार्थियों के लिये संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त कार्यालय (यूएनएचसीआर) जो कि संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के नाम से भी जाना जाता है, संयुक्त राष्ट्र संघ की एक एजेंसी है जिसका कार्य सरकार या संयुक्त राष्ट्र के निवेदन पर शरणार्थियों की रक्षा और उनके स्वैच्छिक प्रत्यावर्तन, स्थानीयएकीकरण या किसी तीसरे देश में पुनर्वास में उनकी सहायता करना है इसका मुख्यालय जेनेवा, स्विट्जरलैंड में हैं और यह संयुक्त राष्ट्र विकास समूह का एक सदस्य है। यूएनएचसीआर एक बार 1954 में और दुबारा 1981 में नोबेल शांति पुरस्कार जीत चुका है। .

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संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्ट्र

यू एन सदस्य राष्ट्रों का नक्शा यह लेख संयुक्त राष्ट्र (यू.एन.) के सदस्य राष्ट्र की सूची प्रस्तुत करता है| वास्तविक विश्व में १९२ यू एन सदस्य राज्य है और प्रतेक राज्य संयुक्त राष्ट्र सामान्य सभा का सदस्य भी है| संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र, अध्याय २, लेख ४: मूलतः केवल स्वतंत्र राष्ट्र यू एन सदस्य बन सकते है और सारे वास्तविक सदस्य स्वतंत्र राष्ट्र है| परन्तु यू एन के चार संस्तापिक सदस्य - बेलारूस, भारत, फिलीपींस व उक्रेन प्रवेश के समय पूर्णतः स्वतंत्र नही थे| एक राष्ट्र को यू एन सदस्य बनने के लिए सुरक्षा परिषद् व सामान्य सभा की स्वीकृति की आवश्यकता होती है, इसलिए कई राष्ट्र जो स्वयं को स्वतंत्र मानते है वह बिना इस स्वीकृति के यू एन के सदस्य नही बन सकते| अंतर्राष्ट्रीय संघटनाये, असरकारी संघटनाये और अन्य राष्ट्र जिनका स्वतंत्रिक अस्तित्व निश्चित रूप से परिभाषित नही है, वे केवल संयुक्त राष्ट्र सामान्य सभा के अवेक्षक बन सकते है, जिससे वे यू एन में अपना पक्ष रख सकते है परन्तु किसी प्रश्न पर मतदान नही कर सकते| .

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संसदीय प्रणाली

संसदीय प्रणाली (parliamentary system) लोकतांत्रिक शासन की वह प्रणाली है जिसमें कार्यपालिका अपनी लोकतांत्रिक वैधता विधायिकता (संसद) से प्राप्त करती है तथा विधायिकता के प्रति उत्तरदायी होती है। इस प्रकार संसदीय प्रणाली में कार्यपालिका और विधायिका परस्पर सम्बन्धित (जुड़े हुए) होते हैं। इस प्रणाली में राज्य का मुखिया तथा सरकार का मुखिया अलग-अलग व्यक्ति होते हैं। भारत में संसदीय शासन प्रणाली है। इसके विपरीत अध्यक्षीय प्रणाली (presidential system) में प्रायः राज्य का अध्यक्ष सरकार (कार्यपालिका) का भी अध्यक्ष होता है। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि अध्यक्षीय प्रणाली में कार्यपालिका अपनी लोकतांत्रिक वैधता विधायिका से नहीं प्राप्त करती। शासन प्रणालियाँ लाल: अध्यक्षीय प्रणाली नारंगी: संसदीय प्रणाली हरा: संसदीय गणतंत्र जहाँ अध्यक्ष का चुनाव संसद करती है। श्रेणी:राजनीति विज्ञान.

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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संस्कृत साहित्य

बिहार या नेपाल से प्राप्त देवीमाहात्म्य की यह पाण्डुलिपि संस्कृत की सबसे प्राचीन सुरक्षित बची पाण्डुलिपि है। (११वीं शताब्दी की) ऋग्वेदकाल से लेकर आज तक संस्कृत भाषा के माध्यम से सभी प्रकार के वाङ्मय का निर्माण होता आ रहा है। हिमालय से लेकर कन्याकुमारी के छोर तक किसी न किसी रूप में संस्कृत का अध्ययन अध्यापन अब तक होता चल रहा है। भारतीय संस्कृति और विचारधारा का माध्यम होकर भी यह भाषा अनेक दृष्टियों से धर्मनिरपेक्ष (सेक्यूलर) रही है। इस भाषा में धार्मिक, साहित्यिक, आध्यात्मिक, दार्शनिक, वैज्ञानिक और मानविकी (ह्यूमैनिटी) आदि प्राय: समस्त प्रकार के वाङ्मय की रचना हुई। संस्कृत भाषा का साहित्य अनेक अमूल्य ग्रंथरत्नों का सागर है, इतना समृद्ध साहित्य किसी भी दूसरी प्राचीन भाषा का नहीं है और न ही किसी अन्य भाषा की परम्परा अविच्छिन्न प्रवाह के रूप में इतने दीर्घ काल तक रहने पाई है। अति प्राचीन होने पर भी इस भाषा की सृजन-शक्ति कुण्ठित नहीं हुई, इसका धातुपाठ नित्य नये शब्दों को गढ़ने में समर्थ रहा है। संस्कृत साहित्य इतना विशाल और scientific है तो भारत से संस्कृत भाषा विलुप्तप्राय कैसे हो गया? .

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संघ

रातो द्रस्तांग की तिब्बती बौद्ध मठ के बाहर कुछ भिक्षु (२०१५) संघ संस्कृत का शब्द है- जिसका अर्थ सभा, समुदाय या संगठन है। बुद्धं शरणं गच्छामि। धम्मं शरणं गच्छामि। संघं शरणं गच्छामि।.

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संगीत नाटक अकादमी

संगीत नाटक अकादमी भारत सरकार द्वारा स्थापित भारत की संगीत एवं नाटक की राष्ट्रीय स्तर की सबसे बड़ी अकादमी है। इसका मुख्यालय दिल्ली में है। .

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सुनील लांबा

सुनील लांबा, परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा पदक, एडीसी (जन्म १७ जुलाई १९५७) वर्तमान और भारतीय नौसेना के नौसेना स्टाफ के 23 वें प्रमुख हैं । उन्होंने 31 मई 2016 को एडमिरल आर के धवन के बाद कार्यालय ग्रहण किया और मई 201 9 तक अपना पद संभाला। वह स्टाफ कमेटी के प्रमुखों का भी अध्यक्ष (सीओसी) है। .

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स्टार स्क्रीन पुरस्कार

स्टार स्क्रीन पुरस्कार समारोह भारत का एकमात्र पुरस्कार है जिसे मोशन पिक्चर आर्टस एवं साइन्स अकादमी से मानयता मिली है। .

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सेना

सन् १९०५ में कोहाट ज़िले, ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा में भारतीय सिख सैनिक सेना पर खर्च सेना पर सर्वाधिक खर्च करने वाले दस देश (२००७) सशस्त्र सैनिकों की संख्या सेना या फ़ौज किसी देश या उसके नागरिकों या फिर किसी शासन-व्यवस्था और उस से सम्बन्धित लोगों के हितों व ध्येयों को बढ़ाने और उनकी रक्षा के लिये घातक बल-प्रयोग की क्षमता रखने वाला सशस्त्र संगठन होता है। सेना का काम देश व नागरिकों की रक्षा, उनके शत्रुओं पर प्रहार करना और शत्रुओं के प्रहारों को खदेड़ देना होता है। अलग-अलग व्यस्थाओं में सेना की ज़िम्मेदारियाँ भी भिन्न हो सकती हैं। कुछ स्थनों व कालों में सेना का इस्तेमाल विषेश राजनैतिक विचारधाराओं को बढ़ावा देने, व्यापारिक हितों और कम्पनियों को लाभ कराने, जनसंख्या-वृद्धि को रोकने, इमारतों व सड़कों का निर्माण करने, आपातकालीन बच-बचाव करने, सामाजिक रीतियों में भाग लेने और विषेश स्थनों पर पहरा देने के लिये भी किया जाता रहा है। व्यावसायिक रूप से सैनिक बनने की परम्परा लिखित इतिहास से पुरानी है। .

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सीमा सुरक्षा बल

सीमा सुरक्षा बल (बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स,Border Security Force - संक्षेप में सीसुब या बीएसएफ, BSF) भारत का एक प्रमुख अर्धसैनिक बल है एवँ विश्व का सबसे बड़ा सीमा रक्षक बल है। जिसका गठन 1 दिसम्बर 1965 में हुआ था। इसकी जिम्मेदारी शांति के समय के दौरान भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर निरंतर निगरानी रखना, भारत भूमि सीमा की रक्षा और अंतर्राष्ट्रीय अपराध को रोकना है। इस समय बीएसएफ की 188 बटालियन है और यह 6,385.36 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा करती है जो कि पवित्र, दुर्गम रेगिस्तानों, नदी-घाटियों और हिमाच्छादित प्रदेशों तक फैली है। सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों में सुरक्षा बोध को विकसित करने की जिम्मेदारी भी बीएसएफ को दी गई है। इसके अलावा सीमा पर होने वाले अपराधों जैसे तस्करी/घुसपैठ और अन्य अवैध गतिविधियों को रोकने की जवाबदेही भी इस पर है। .

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हरियाणा का पर्यटन

हरियाणा में बहुत से पर्यटन स्थल है, जो कि निम्नलिखित हैं -.

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हरियाणा का इतिहास

हालाँकि हरियाणा अब पंजाब का एक हिस्सा नहीं है पर यह एक लंबे समय तक ब्रिटिश भारत में पंजाब प्रान्त का एक भाग रहा है और इसके इतिहास में इसकी एक महत्वपूर्ण भूमिका है। हरियाणा के बानावाली और राखीगढ़ी, जो अब हिसार में हैं, सिंधु घाटी सभ्यता का हिस्सा रहे हैं, जो कि ५,००० साल से भी पुराने हैं। .

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हरियाणा के जिले

उत्तर भारत में स्थित हरियाणा जनसंख्या के हिसाब से भारत का १७वां सबसे बड़ा राज्य है। जनसामान्य को बेहतर प्रशासनिक सेवाएं देने के लिये राज्य को ६ मण्डलों तथा २२ जिलों में विभाजित किया गया है। १ नवंबर १९६६ को जब तत्कालीन पूर्वी पंजाब के विभाजन द्वारा हरियाणा राज्य की स्थापना हुई थी, तब राज्य में ७ जिले थे; रोहतक, जींद, हिसार, महेंद्रगढ़, गुडगाँव, करनाल तथा अम्बाला। २०१७ तक इन जिलों के पुनर्गठन के बाद १४ नए जिले जोड़े जा चुके हैं। निम्नलिखित सूची हरियाणा राज्य के जिलों की है: श्रेणी:हरियाणा के जिले श्रेणी:हरियाणा से सम्बन्धित सूचियाँ.

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हरियाणा की राजनीति

उत्तर भारत के हरियाणा राज्य की राजनीति के मुख्य खिलाड़ी शासन कर रही भारतीय जनता पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस और इंडियन नैशनल लोकदल हैं। हरियाणा की विधानसभा में 90 सीटें हैं। लोकसभा (संसद के निचले सदन) में हरियाणा की 10 सीटें हैं। श्रेणी:हरियाणा की राजनीति.

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हरियाणवी भाषा

हरियाणवी भारत के हरियाणा प्रान्त में बोली जाने वाली भाषा है। वैसे तो हरियाणवी में कई लहजे हैं साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में बोलियों की भिन्नता है। लेकिन मोटे रूप से इसको दो भागों में बाँटा जा सकता है। एक उत्तर हरियाणा में बोली जाने वाली तथा दूसरी दक्षिण हरियाणा में बोली जाने वाली। उत्तर हरियाणा में बोली जाने वाली हरियाणवी थोड़ा सरल होती है तथा हिन्दी भाषी व्यक्ति इसे थोड़ा बहुत समझ सकते हैं। दक्षिण हरियाणा में बोली जाने वाली बोली को ठेठ हरियाणवी कहा जाता है। यह कई बार उत्तर हरियाणा वालों को भी समझ में नहीं आती। इसके अतिरिक्त विभिन्न क्षेत्रों में हरियाणवी के कई रूप प्रचलित हैं जैसे बाँगर, राँघड़ी आदि। .

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हरियाणवी सिनेमा

हरियाणवी सिनेमा उत्तर भारत के राज्य हरियाणा का प्रमुख सिनेमा है जो हरियाणवी भाषा में फिल्मों को प्रस्तुत करता है। .

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हर्यक वंश

हर्यकहर्यक वंश की स्थापना ५४४ ई. पू.

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हिन्द महासागर

हिंद महासागर हिंद महासागर और चीन सागर के इस मानचित्र को हंगरी में जन्मे तुर्क मानचित्रकार और प्रकाशक इब्राहिम मुटेफेरीका द्वारा 1728 में उत्कीर्ण किया गया था हिन्द महासागर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा समुद्र है और पृथ्वी की सतह पर उपस्थित पानी का लगभग 20% भाग इसमें समाहित है। उत्तर में यह भारतीय उपमहाद्वीप से, पश्चिम में पूर्व अफ्रीका; पूर्व में हिन्दचीन, सुंदा द्वीप समूह और ऑस्ट्रेलिया, तथा दक्षिण में दक्षिणध्रुवीय महासागर से घिरा है। विश्व में केवल यही एक महासागर है जिसका नाम किसी देश के नाम यानी, हिन्दुस्तान (भारत) के नाम है। संस्कृत में इसे रत्नाकर यानि रत्न उत्पन्न करने वाला कहते हैं, जबकि प्राचीन हिन्दु ग्रंथों में इसे हिन्दु महासागर कहा गया है। वैश्विक रूप से परस्पर जुड़े समुद्रों के एक घटक हिंद महासागर को, अंध महासागर से 20° पूर्व देशांतर जो केप एगुलस से गुजरती है और प्रशांत महासागर से 146°55' पूर्व देशांतर पृथक करती हैं। हिंद महासागर की उत्तरी सीमा का निर्धारण फारस की खाड़ी में 30° उत्तर अक्षांश द्वारा होता है। हिंद महासागर की पृष्टधाराओं का परिसंचरण असममित है। अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी सिरों पर इस महासागर की चौड़ाई करीब 10,000 किलोमीटर (6200 मील) है; और इसका क्षेत्रफल 73556000 वर्ग किलोमीटर (28400000 वर्ग मील) है जिसमें लाल सागर और फारस की खाड़ी शामिल हैं। सागर में जल की कुल मात्रा 292,131,000 घन किलोमीटर (70086000 घन मील) होने का अनुमान है। हिन्द महासागर में स्थित मुख्य द्वीप हैं; मेडागास्कर जो विश्व का चौथा सबसे बड़ा द्वीप है, रीयूनियन द्वीप; कोमोरोस; सेशेल्स, मालदीव, मॉरिशस, श्रीलंका और इंडोनेशिया का द्वीपसमूह जो इस महासागर की पूर्वी सीमा का निर्धारण करते हैं। .

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हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत

हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत भारतीय शास्त्रीय संगीत के दो प्रमुख शैली में से एक है। दूसरी प्रमुख शैली है - कर्नाटक संगीत। यह एक परम्प्रिक उद्विकासी है जिसने 11वीं और 12वीं शताब्दी में मुस्लिम सभ्यता के प्रसार ने भारतीय संगीत की दिशा को नया आयाम दिया। यह दिशा प्रोफेसर ललित किशोर सिंह के अनुसार यूनानी पायथागॉरस के ग्राम व अरबी फ़ारसी ग्राम के अनुरूप आधुनिक बिलावल ठाठ की स्थापना मानी जा सकती है। इससे पूर्व काफी ठाठ शुद्ध मेल था। किंतु शुद्ध मेल के अतिरिक्त उत्तर भारतीय संगीत में अरबी-फ़ारसी अथवा अन्य विदेशी संगीत का कोई दूसरा प्रभाव नहीं पड़ा। "मध्यकालीन मुसलमान गायकों और नायकों ने भारतीय संस्कारों को बनाए रखा।" राजदरबार संगीत के प्रमुख संरक्षक बने और जहां अनेक शासकों ने प्राचीन भारतीय संगीत की समृद्ध परंपरा को प्रोत्साहन दिया वहीं अपनी आवश्यकता और रुचि के अनुसार उन्होंने इसमें अनेक परिवर्तन भी किए। हिंदुस्तानी संगीत केवल उत्तर भारत का ही नहीं। बांगलादेश और पाकिस्तान का भी शास्त्रीय संगीत है। .

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हिन्दू धर्म का इतिहास

हिन्दू धर्म का इतिहास अति प्राचीन है। इस धर्म को वेदकाल से भी पूर्व का माना जाता है, क्योंकि वैदिक काल और वेदों की रचना का काल अलग-अलग माना जाता है। यहां शताब्दियों से मौखिक परंपरा चलती रही, जिसके द्वारा इसका इतिहास व ग्रन्थ आगे बढ़ते रहे। उसके बाद इसे लिपिबद्ध करने का काल भी बहुत लंबा रहा है। हिन्दू धर्म के सर्वपूज्य ग्रन्थ हैं वेद। वेदों की रचना किसी एक काल में नहीं हुई। विद्वानों ने वेदों के रचनाकाल का आरंभ 2000 ई.पू.

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हिन्दू मंदिर स्थापत्य

अंकोरवाट मंदिर (कम्बोडिया) भारतीय स्थापत्य में हिन्दू मन्दिर का विशेष स्थान है। हिन्दू मंदिर में अन्दर एक गर्भगृह होता है जिसमें मुख्य देवता की मूर्ति स्थापित होती है। गर्भगृह के ऊपर टॉवर-नुमा रचना होती है जिसे शिखर (या, विमान) कहते हैं। मन्दिर के गर्भगृह के चारों ओर परिक्रमा के लिये स्थान होता है। इसके अलावा मंदिर में सभा के लिये कक्ष हो सकता है। .

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हिन्दू वर्ण व्यवस्था

वर्ण-व्‍यवस्‍था हिन्दू धर्म में सामाजिक विभाजन का एक आधार है। हिंदू धर्म-ग्रंथों के अनुसार समाज को चार वर्णों में विभाजित किया गया है- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। इसमे ब्राह्मण वर्ण को सबसे श्रेष्ठ माना गया है। हालाकी शूद्र वर्ण को बाकी सब वर्ण की सेवा करने का प्रावधान इन धर्म ग्रंथो मे किया गया है। सुत्तनिपात मृतुराज क्षत्रिय, ब्राह्मण, वैश्य,शूद्र, चंडाल और भंगी- किसी को कोभी नहीं छोड़ता, सबको कुचल डालता है। वे सभी जो सुरत है, विनम्र हो सत्कर्मों में लगे है, सुदंत है, आत्मसंयम का जीवन जीते है, वे सभी परिनिवृत है, चाहे वे क्षत्रिय हो, ब्राह्मण हो, वैश्य हो, शूद्र हो, चण्डाल हो या भंगी हो विद्वानों का मत है कि आरंभ में यह विभाजन कर्म आधारित था लेकिन बाद में यह जन्‍माधारित हो गया। वर्तमान में हिंदू समाज में इसी का विकसित रूप जाति-व्‍यवस्‍था के रूप में देखा जा सकता है। जाति एक अंतर्विवाही समूह है। 1901 की जाति आधारित जनगणना के अनुसार भारत में दो हजार से अधिक जातियां निवास करती हैं। .

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हिन्दी

हिन्दी या भारतीय विश्व की एक प्रमुख भाषा है एवं भारत की राजभाषा है। केंद्रीय स्तर पर दूसरी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। यह हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप है जिसमें संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्द का प्रयोग अधिक हैं और अरबी-फ़ारसी शब्द कम हैं। हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। हालांकि, हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत का संविधान में कोई भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया था। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है। हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम की और नेपाल की जनता भी हिन्दी बोलती है।http://www.ethnologue.com/language/hin 2001 की भारतीय जनगणना में भारत में ४२ करोड़ २० लाख लोगों ने हिन्दी को अपनी मूल भाषा बताया। भारत के बाहर, हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 648,983; मॉरीशस में ६,८५,१७०; दक्षिण अफ्रीका में ८,९०,२९२; यमन में २,३२,७६०; युगांडा में १,४७,०००; सिंगापुर में ५,०००; नेपाल में ८ लाख; जर्मनी में ३०,००० हैं। न्यूजीलैंड में हिन्दी चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों में १४ करोड़ १० लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली उर्दू, मौखिक रूप से हिन्दी के काफी सामान है। लोगों का एक विशाल बहुमत हिन्दी और उर्दू दोनों को ही समझता है। भारत में हिन्दी, विभिन्न भारतीय राज्यों की १४ आधिकारिक भाषाओं और क्षेत्र की बोलियों का उपयोग करने वाले लगभग १ अरब लोगों में से अधिकांश की दूसरी भाषा है। हिंदी हिंदी बेल्ट का लिंगुआ फ़्रैंका है, और कुछ हद तक पूरे भारत (आमतौर पर एक सरल या पिज्जाइज्ड किस्म जैसे बाजार हिंदुस्तान या हाफ्लोंग हिंदी में)। भाषा विकास क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी हिन्दी प्रेमियों के लिए बड़ी सन्तोषजनक है कि आने वाले समय में विश्वस्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की जो चन्द भाषाएँ होंगी उनमें हिन्दी भी प्रमुख होगी। 'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (स्वामी दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं। .

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हिन्दी सिनेमा

हिन्दी सिनेमा, जिसे बॉलीवुड के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दी भाषा में फ़िल्म बनाने का उद्योग है। बॉलीवुड नाम अंग्रेज़ी सिनेमा उद्योग हॉलिवुड के तर्ज़ पर रखा गया है। हिन्दी फ़िल्म उद्योग मुख्यतः मुम्बई शहर में बसा है। ये फ़िल्में हिन्दुस्तान, पाकिस्तान और दुनिया के कई देशों के लोगों के दिलों की धड़कन हैं। हर फ़िल्म में कई संगीतमय गाने होते हैं। इन फ़िल्मों में हिन्दी की "हिन्दुस्तानी" शैली का चलन है। हिन्दी और उर्दू (खड़ीबोली) के साथ साथ अवधी, बम्बईया हिन्दी, भोजपुरी, राजस्थानी जैसी बोलियाँ भी संवाद और गानों में उपयुक्त होते हैं। प्यार, देशभक्ति, परिवार, अपराध, भय, इत्यादि मुख्य विषय होते हैं। ज़्यादातर गाने उर्दू शायरी पर आधारित होते हैं।भारत में सबसे बड़ी फिल्म निर्माताओं में से एक, शुद्ध बॉक्स ऑफिस राजस्व का 43% का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि तमिल और तेलुगू सिनेमा 36% का प्रतिनिधित्व करते हैं,क्षेत्रीय सिनेमा के बाकी 2014 के रूप में 21% का गठन है। बॉलीवुड भी दुनिया में फिल्म निर्माण के सबसे बड़े केंद्रों में से एक है। बॉलीवुड कार्यरत लोगों की संख्या और निर्मित फिल्मों की संख्या के मामले में दुनिया में सबसे बड़ी फिल्म उद्योगों में से एक है।Matusitz, जे, और पायानो, पी के अनुसार, वर्ष 2011 में 3.5 अरब से अधिक टिकट ग्लोब जो तुलना में हॉलीवुड 900,000 से अधिक टिकट है भर में बेच दिया गया था। बॉलीवुड 1969 में भारतीय सिनेमा में निर्मित फिल्मों की कुल के बाहर 2014 में 252 फिल्मों का निर्माण। .

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हिमाचल प्रदेश सरकार

हिमाचल प्रदेश सरकार, जिसे स्थानीय स्तर पर राज्य सरकार के रूप में जाना जाता है, को हिमाचल प्रदेश और उसके 12 जिलों के सर्वोच्च संचालन का अधिकार है। भारत में अन्य राज्यों की तरह हिमाचल प्रदेश राज्य के राज्यपाल, केंद्र सरकार की सलाह पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त होते है। मुख्यमंत्री कार्यकारी शक्तियों के साथ सरकार के मुखिया है। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला है। विधान सभा, सचिवालय भवन और हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय शिमला में स्थित है। वर्तमान हिमाचल प्रदेश विधानसभा एकसदनीय है। नवम्बर २०१२ मे कांग्रेस ने राज्य का विधानसभा चुनाव जीता। वीरभद्र सिंह राज्य के मुख्यमंत्री बने। .

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हिमाचल प्रदेश का भूगोल

हिमाचल प्रदेश हिमालय पर्वत की शिवालिक श्रेणी का हिस्सा है। शिवालिक पर्वत श्रेणी से ही घग्गर नदी निकलती है। राज्य की अन्य प्रमुख नदियों में सतलुज और व्यास शामिल है। हिमाचल हिमालय का सुदूर उत्तरी भाग लद्दाख के ठंडे मरुस्थल का विस्तार है और लाहौल एवं स्पिति जिले के स्पिति उपमंडल में है। हिमालय की तीनों मुख्य पर्वत श्रंखलाएँ, बृहत हिमालय, लघु हिमालय; जिन्हें हिमाचल में धौलाधार और उत्तरांचल में नागतीभा कहा जाता है और उत्तर-दक्षिण दिशा में फैली शिवालिक श्रेणी, इस हिमालय खंड में स्थित हैं। लघु हिमालय में 1000 से 2000 मीटर ऊँचाई वाले पर्वत ब्रिटिश प्रशासन के लिए मुख्य आकर्षण केंद्र रहे हैं। हिमाचल का शब्दिक अर्थ है ‘बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच स्थित भूमि’ पश्चिमी हिमालय की गोद में स्थित हिमाचल प्रदेश में प्रवेश के लिए विभिन्न रास्ते अपनाए जाते हैं, जिनमें या तो हम प्रवेश कर सकते हैं पंजाब के मैदानों से, या शिवालिक पहाडि़यों से, या शिमला की पहाडि़यों से, जो ढकी हुई हैं। लहलहाते हरे-भरे चील के वनों से। यह अदभुत भूमि प्रत्येक आगन्तुक को अपनी ओर आकर्षित करती है। हिमाचल प्रेदश की भौगोलिक स्थिति है 330, 22 से 330 12 उत्तरी अक्षांश तथा 750, 47 से 790, 4 पूर्वी देशांतर। इसकी पूर्वी दिशा में स्थित है तिब्बत देश, उत्तर में जम्मू तथा कश्मीर, दक्षिण पूर्व में उत्तराचंल, दक्षिण में हरियाणा एवं पश्चिम में पंजाब प्रदेश। हिमाचल प्रदेश की सारी भूमि पहाडि़यों एवं ऊंची चाटियों से भरी हुई है। इन चोटियों की समुद्र तल से ऊंचाई 350 मीटर से सात हजार के बीच में पाई जाती है। प्राकृतिक संरचना के अनुसार हिमाचल के भू-क्षेत्र को चार भागों में बांटा जा सकता है।.

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हिमाचल प्रदेश का संगीत

हिमाचल प्रदेश भारत के उत्तर-पश्चिम कोने में स्थित एक राज्य है। इस क्षेत्र के लोक संगीत में अधिकतर गीत बिना किसी साथ के गाए जाते हैं। झूरी एक तरह का गीत है जो विवाहेत्तर प्रेम को दर्शाता है। इसके साथ झूमर नामक एक लोक नृत्य किया जाता है, तथा यह म्हासु तथा सिरमौर में काफी प्रसिद्ध है। कुल्लू के लमण गीत भी एक अन्य तरह के प्रेम गीत हैं। श्रेणी:हिमाचल प्रदेश.

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हिमाचल प्रदेश का इतिहास

हिमाचल प्रदेश का इतिहास उतना ही प्राचीन है, जितना कि मानव अस्तित्व का अपना इतिहास है। हिमाचल प्रदेश का इतिहास उस समय में ले जाता है जब सिन्धु घाटी सभ्यता विकसित हुई। इस बात की सत्यता के प्रमाण हिमाचल प्रदेश के विभिन्न भागों में हुई खुदाई में प्राप्त सामग्रियों से मिलते हैं। प्राचीनकाल में इस प्रदेश के आदि निवासी दास, दस्यु और निषाद के नाम से जाने जाते थे। उन्नीसवीं शताब्दी में रणजीत सिंह ने इस क्षेत्र के अनेक भागों को अपने राज्य में मिला लिया। जब अंग्रेज यहां आए, तो उन्होंने गोरखा लोगों को पराजित करके कुछ राजाओं की रियासतों को अपने साम्राज्य में मिला लिया।.

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हिमाचल प्रदेश के जिले

left श्रेणी:हिमाचल प्रदेश श्रेणी:हिमाचल प्रदेश से सम्बन्धित सूचियाँ.

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हिमाचल प्रदेश की संस्कृति

हिमाचल प्रदेश एक उत्तर भारतीय राज्य है। यह उन कुछ राज्यों में से एक था, जो बाहरी रिवाजों से काफी हद तक प्रभावित नहीं हुआ। तकनीकी प्रगति के साथ, राज्य बहुत तेजी से बदल गया है। हिमाचल प्रदेश एक बहुसांस्कृतिक और बहुभाषी राज्य है। सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में से कुछ हिंदी और पहाड़ी है। हिमाचल में रहने वाले हिंदू समुदाय में ब्राह्मण, राजपूत, कन्नट, राशी और कोली शामिल हैं। यहाँ में जनजातीय आबादी भी शामिल है जिसमें मुख्य रूप से गद्दी, किन्नर, गुज्जर, पनवाल और लाहौल शामिल हैं। हिमाचल अपने हस्तशिल्प के लिए अच्छी तरह से जाना जाता है। कालीन, चमड़े के काम, शॉल, पेंटिंग, मेटलवेयर, लकड़ी और पेंटिंग की लोग सराहना करते हैं। पश्मीना शाल उन उत्पादों में से एक है जो मांग में अत्यधिक है। स्थानीय संगीत और नृत्य राज्य की सांस्कृतिक पहचान को दर्शाता है। हिमाचलियों का दिन-प्रतिदिन भोजन उत्तर भारत के बाकी हिस्सों की समान है। यद्यपि हिंदी राज्य की भाषा है, बहुत से लोग पहाड़ी भी बोलते हैं। पहाड़ी में कई बोलियां हैं। अधिकांश आबादी कृषि पद्धतियों में लगी हुई है। घर मिट्टी की ईंटों से निर्मित किया जाता है और छत स्लेट के हैं। .

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हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था

श्रेणी:हिमाचल प्रदेश.

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हिमालय

हिमालय पर्वत की अवस्थिति का एक सरलीकृत निरूपण हिमालय एक पर्वत तन्त्र है जो भारतीय उपमहाद्वीप को मध्य एशिया और तिब्बत से अलग करता है। यह पर्वत तन्त्र मुख्य रूप से तीन समानांतर श्रेणियों- महान हिमालय, मध्य हिमालय और शिवालिक से मिलकर बना है जो पश्चिम से पूर्व की ओर एक चाप की आकृति में लगभग 2400 कि॰मी॰ की लम्बाई में फैली हैं। इस चाप का उभार दक्षिण की ओर अर्थात उत्तरी भारत के मैदान की ओर है और केन्द्र तिब्बत के पठार की ओर। इन तीन मुख्य श्रेणियों के आलावा चौथी और सबसे उत्तरी श्रेणी को परा हिमालय या ट्रांस हिमालय कहा जाता है जिसमें कराकोरम तथा कैलाश श्रेणियाँ शामिल है। हिमालय पर्वत पाँच देशों की सीमाओं में फैला हैं। ये देश हैं- पाकिस्तान, भारत, नेपाल, भूटान और चीन। अन्तरिक्ष से लिया गया हिमालय का चित्र संसार की अधिकांश ऊँची पर्वत चोटियाँ हिमालय में ही स्थित हैं। विश्व के 100 सर्वोच्च शिखरों में हिमालय की अनेक चोटियाँ हैं। विश्व का सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट हिमालय का ही एक शिखर है। हिमालय में 100 से ज्यादा पर्वत शिखर हैं जो 7200 मीटर से ऊँचे हैं। हिमालय के कुछ प्रमुख शिखरों में सबसे महत्वपूर्ण सागरमाथा हिमाल, अन्नपूर्णा, गणेय, लांगतंग, मानसलू, रॊलवालिंग, जुगल, गौरीशंकर, कुंभू, धौलागिरी और कंचनजंघा है। हिमालय श्रेणी में 15 हजार से ज्यादा हिमनद हैं जो 12 हजार वर्ग किलॊमीटर में फैले हुए हैं। 72 किलोमीटर लंबा सियाचिन हिमनद विश्व का दूसरा सबसे लंबा हिमनद है। हिमालय की कुछ प्रमुख नदियों में शामिल हैं - सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र और यांगतेज। भूनिर्माण के सिद्धांतों के अनुसार यह भारत-आस्ट्र प्लेटों के एशियाई प्लेट में टकराने से बना है। हिमालय के निर्माण में प्रथम उत्थान 650 लाख वर्ष पूर्व हुआ था और मध्य हिमालय का उत्थान 450 लाख वर्ष पूर्व हिमालय में कुछ महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी है। इनमें हरिद्वार, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गोमुख, देव प्रयाग, ऋषिकेश, कैलाश, मानसरोवर तथा अमरनाथ प्रमुख हैं। भारतीय ग्रंथ गीता में भी इसका उल्लेख मिलता है (गीता:10.25)। .

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हिंदी साहित्य

चंद्रकांता का मुखपृष्ठ हिन्दी भारत और विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। उसकी जड़ें प्राचीन भारत की संस्कृत भाषा में तलाशी जा सकती हैं। परंतु हिन्दी साहित्य की जड़ें मध्ययुगीन भारत की ब्रजभाषा, अवधी, मैथिली और मारवाड़ी जैसी भाषाओं के साहित्य में पाई जाती हैं। हिंदी में गद्य का विकास बहुत बाद में हुआ और इसने अपनी शुरुआत कविता के माध्यम से जो कि ज्यादातर लोकभाषा के साथ प्रयोग कर विकसित की गई।हिंदी का आरंभिक साहित्य अपभ्रंश में मिलता है। हिंदी में तीन प्रकार का साहित्य मिलता है। गद्य पद्य और चम्पू। हिंदी की पहली रचना कौन सी है इस विषय में विवाद है लेकिन ज़्यादातर साहित्यकार देवकीनन्दन खत्री द्वारा लिखे गये उपन्यास चंद्रकांता को हिन्दी की पहली प्रामाणिक गद्य रचना मानते हैं। .

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हैदराबादी खाना

हैदराबाद के भोजन। श्रेणी:भारतीय खाना श्रेणी:खान पान श्रेणी:हैदराबादमटन हैदराबादी.

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होयसल राजवंश

होयसल प्राचीन दक्षिण भारत का एक राजवंश था। इसने दसवीं से चौदहवीं शताब्दी तक राज किया। होयसल शासक पश्चिमी घाट के पर्वतीय क्षेत्र वाशिन्दे थे पर उस समय आस पास चल रहे आंतरिक संघर्ष का फायदा उठाकर उन्होने वर्तमान कर्नाटक के लगभग सम्पूर्ण भाग तथा तमिलनाडु के कावेरी नदी की उपजाऊ घाटी वाले हिस्से पर अपना अधिकार जमा लिया। इन्होंने ३१७ वर्ष राज किया। इनकी राजधानी पहले बेलूर थी पर बाद में स्थानांतरित होकर हालेबिदु हो गई। Siegessäule in चेन्नकेशव मंदिर, बेलूर Shiva und Parvati, होयसलेश्वर मंदिर, हालेबिदु .

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होयसाल वास्तु-शैली

होयसाल वास्तु-शैली होयसाल वंश की वास्तु शैली थी।.

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जन गण मन

कोई विवरण नहीं।

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जनरल

जनरल ऑफिसर अथवा जनरल अफ़सर (general officer) सेना का उच्चतम पद का अधिकारी होता है और विभिन्न देशों की वायु सेना और मरीन का भी मुखिया होता है। .

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जनसंख्या के आधार पर भारत के राज्य और संघ क्षेत्र

भारत उनतीस राज्यों और सात केन्द्र शासित प्रदेशों का एक संघ है। सन् 2009 में, लगभग 1.15 अरब की जनसंख्या के साथ भारत विश्व का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है। भारत के पास विश्व की कुल भूक्षेत्र का 2.4% भाग है, लेकिन यह विश्व की 17% जनसंख्या का निवास स्थान है। गंगा के मैदानी क्षेत्र विश्व के सबसे विशाल उपजाऊ फैलावों में से एक हैं और यह विश्व के सबसे सघन बसे क्षेत्रों में से एक है। दक्कन के पठार के पूर्वी और पश्चिमी तटीय क्षेत्र भी विश्व के सबसे सघन क्षेत्रों में हैं। पश्चिमी राजस्थान में स्थित थार मरुस्थल विश्व के सबसे सघन मरुस्थलों में से एक है। उत्तर और उत्तर-पूर्व में हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं में बसे राज्यों में ठंडे शुष्क मरुस्थल और उपजाऊ घाटियां हैं। कठिन संरचना के कारण इन राज्यों में देश के अन्य भागों की तुलना में जनसंख्या घनत्व कम है। .

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जनसंख्या के अनुसार देशों की सूची

जनसंख्या के अनुसार देशों का मानचित्र 2007 में यह जनसंख्या के हिसाब से देशों की सूची है, इस सूची में प्रभुता संपन्न राष्ट्र और बसे हुए अधीन क्षेत्र शामिल हैं। यह सूची आईएसओ मानक पर आधारित आईएसओ 3166-1 है। .

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जम्मू और कश्मीर सरकार

जम्मू-कश्मीर सरकार जम्मू और कश्मीर के भारतीय राज्य की सर्वोच्च शासन निकाय और इसके 3 संभाग और 22 जिलों हैं। इसमें एक कार्यकारी अधिकारी शामिल है, जिसका नेतृत्व जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल, एक न्यायपालिका और एक विधायी शाखा है। भारत में अन्य राज्यों की तरह, जम्मू और कश्मीर राज्य का प्रमुख राज्यपाल है, जिसे केंद्र सरकार की सलाह पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया गया है। उनका पद काफी हद तक औपचारिक है। मुख्यमंत्री, सरकार का मुखिया है। महबूबा मुफ़्ती मुख्यमंत्री हैं और निर्मल कुमार सिंह जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री हैं। श्रीनगर और जम्मू जम्मू और कश्मीर की गर्मियों और सर्दियों की राजधानियों हैं जम्मू और कश्मीर का वर्तमान विधानमंडल द्विसदनीय है, जिसमें विधान सभा के 89 सदस्य (एम.एल.ए.) के एक निचले सदन (विधान सभा) और 36 सदस्यों के ऊपरी सदन (विधान परिषद) शामिल हैं। इसका कार्यकाल 6 साल है, जब तक कि जल्द ही भंग न हो। श्रीनगर में "ओल्ड सचिवालय" में विधानसभा को रखा गया है, पूर्व शेर गढ़ी पैलेस जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय में श्रीनगर और जम्मू में शाखाएं हैं। .

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ज़िला न्यायालय (भारत)

भारत में जिला स्तर पर न्याय देने के लिए निर्मित न्यायालय जिला न्यायालय कहलाते हैं। ये न्यायालय एक जिला या कई जिलों के लोगों के लिए होते हैं जो जनसंख्या तथा मुकद्दमों की संख्या को देखते हुए तय की जाती है। ये न्यायालय उस प्रदेश के उच्च न्यायालय के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करते हैं। जिला न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णयों को सम्बन्धित उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है। .

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ज़ी सिने पुरस्कार

ज़ी सिने पुरस्कार हिन्दी फिल्मों के लिए दिए जाने वाले पुरस्कार है। श्रेणी:ज़ी सिने पुरस्कार श्रेणी:फ़िल्म पुरस्कार श्रेणी:हिन्दी फ़िल्म पुरस्कार श्रेणी:हिन्दी फ़िल्में.

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जिला परिषद

राजस्थान में पंचायती राज लोक-प्रशासन व्यवस्था की सर्वोच्च सभा, जिसमें ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों से सदस्यों का चुनाव किया जाता है।.

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ज्ञानपीठ पुरस्कार

पुरस्कार-प्रतीकः वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। भारत का कोई भी नागरिक जो आठवीं अनुसूची में बताई गई २२ भाषाओं में से किसी भाषा में लिखता हो इस पुरस्कार के योग्य है। पुरस्कार में ग्यारह लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है। १९६५ में १ लाख रुपये की पुरस्कार राशि से प्रारंभ हुए इस पुरस्कार को २००५ में ७ लाख रुपए कर दिया गया जो वर्तमान में ग्यारह लाख रुपये हो चुका है। २००५ के लिए चुने गये हिन्दी साहित्यकार कुंवर नारायण पहले व्यक्ति थे जिन्हें ७ लाख रुपए का ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ। प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार १९६५ में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था। उस समय पुरस्कार की धनराशि १ लाख रुपए थी। १९८२ तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिये दिया जाता था। लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिये दिया जाने लगा। अब तक हिन्दी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक सात बार यह पुरस्कार पा चुके हैं। यह पुरस्कार बांग्ला को ५ बार, मलयालम को ४ बार, उड़िया, उर्दू और गुजराती को तीन-तीन बार, असमिया, मराठी, तेलुगू, पंजाबी और तमिल को दो-दो बार मिल चुका है। .

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जैसलमेर की स्थापत्यकला

जैसलमेर के सांस्कृतिक इतिहास में यहाँ के स्थापत्य कला का अलग ही महत्व है। किसी भी स्थान विशेष पर पाए जाने वाले स्थापत्य से वहां रहने वालों के चिंतन, विचार, विश्वास एवं बौद्धिक कल्पनाशीलता का आभास होता है। जैसलमेर में स्थापत्य कला का क्रम राज्य की स्थापना के साथ दुर्ग निर्माण से आरंभ हुआ, जो निरंतर चलता रहा। यहां के स्थापत्य को राजकीय तथा व्यक्तिगत दोनो का सतत् प्रश्रय मिलता रहा। इस क्षेत्र के स्थापत्य की अभिव्यक्ति यहां के किलों, गढियों, राजभवनों, मंदिरों, हवेलियों, जलाशयों, छतरियों व जन-साधारण के प्रयोग में लाये जाने वाले मकानों आदि से होती है। जैसलमेर राज्य में हर २०-३० किलोमीटर के फासले पर छोटे-छोटे दुर्ग दृष्टिगोचर होते हैं, ये दुर्ग विगत १००० वर्षो के इतिहास के मूक गवाह हैं। मध्ययुगीन इतिहास में इनका परम महत्व था। ये राजनैतिक आवश्यकतानुसार निर्मित कराए जाते थे। दुर्ग निर्माण में सुंदरता के स्थान पर मजबूती तथा सुरक्षा को ध्यान में रखा जाता था। परंतु यहां के दुर्ग मजबूती के साथ-साथ सुंदरता को भी ध्यान मं रखकर बनाया गया था। दुर्गो में एक ही मुख्य द्वारा रखने के परंपरा रही है। दुर्ग मुख्यतः पत्थरों द्वारा निर्मित हैं, परंतु किशनगढ़, शाहगढ़ आदि दुर्ग इसके अपवाद हैं। ये दुर्ग पक्की ईंटों के बने हैं। प्रत्येक दुर्ग में चार या इससे अधिक बुर्ज बनाए जाते थे। ये दुर्ग को मजबूती, सुंदरता व सामरिक महत्व प्रदान करते थे। .

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जी-20

बीस वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक के गवर्नर्स का समूह (जी20,जी -20 और बीस का समूह के रूप में भी जाना जाता है), जो कि विश्व की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के वित्त मंत्रीयों और केंद्रीय बैंक के गवर्नर्स का एक संगठन है, जिसमें 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं। जिसका प्रतिनिधित्व यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष और यूरोपीय केंद्रीय बैंक द्वारा किया है। from the Official G-20 website 12 वें जी -20 शिखर सम्मेलन का आयोजन 7और 8 जुलाई 2017 को हैैैम्बर्ग में चान्सलर एन्जेला मर्केल की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। .

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वस्तु एवं सेवा कर (भारत)

गुड्स एंड सर्विसिज़ टैक्स या वस्तु एवं सेवा कर (संक्षेप मे: वसेक या जीएसटी GST, Goods and Services Tax) भारत में १ जुलाई २०१७ से लागू एक महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है जिसे सरकार व कई अर्थशास्त्रियों द्वारा इसे स्वतंत्रता के पश्चात् सबसे बड़ा आर्थिक सुधार बताया है।http://hindi.economictimes.indiatimes.com/business/business-news/know-all-about-indias-biggest-tax-reform-gst/articleshow/57909199.cms http://hindi.moneycontrol.com/news/market-news/gst-beginning-of-new-tax-regime_162197.html मनीकंट्रोल.कॉम इससे केन्द्र एवम् विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा भिन्न भिन्न दरों पर लगाए जा रहे विभिन्न करों को हटाकर पूरे देश के लिए एक ही अप्रत्‍यक्ष कर प्रणाली लागू की जाएगी जिससे भारत को एकीकृत साझा बाजार बनाने में मदद मिलेगी। भारतीय संविधान में इस कर व्यवस्था को लागू करने के लिए संशोधन किया गया है। 1 जुलाई 2017 से पूर्व  किसी भी सामान पर केंद्र एवं राज्य सरकार के द्वारा कई तरह के अलग-अलग कर लगाती हैं लेकिन जीएसटी आने से सभी तरह के सामानों पर एक जैसा ही कर लगाया जाएगा पूर्व में  किसी भी सामान पर 30 से 35% तक कर देना पड़ता था  कुछ चीजों पर तो प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से लगाया जाने वाला कर 50% से ज्यादा होता था  जीएसटी आने के बाद यह कर अधिकतम 28 प्रतिशत  हो जाएगा जिसमें कोई भी अप्रत्यक्ष कर नहीं होगा जीएसटी भारत की अर्थव्यवस्था को एक देश एक कर वाली अर्थव्यवस्था बना देगा।  फिलहाल भारतवासी 17 अलग-अलग तरह के कर  चुकाते हैं जबकि  जीएसटी लागू होने के बाद केवल एक ही तरह का कर दिया जाएगा इसके लागु होते ही एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, वैट, मनोरंजन कर,  लग्जरी कर जैसे बहुत सारे कर खत्म हो जाएंगे| जीएसटी लागू होने के बाद किसी भी सामान और  सेवा पर कर वहां लगेगा जहां वह बिकेगा |  जीएसटी अलग-अलग स्तर पर लगने वाले एक्साइज ड्यूटी, एडिशनल एक्साइज ड्यूटी,सेंट्रल सेल्स टैक्स, वैट, लक्ज़री टैक्स, सर्विस कर, इत्यादि  की जगह अब केवल जीएसटी लगेगा। जीएसटी परिषद ने 66 तरह के प्रोडक्ट्स पर टैक्स की दरें घटाई हैंhttps://www.hindi.nyoooz.com/news/kanpur/tax-reduction-rate-of-66-products-in-gst-the-decision-taken-by-the-council_61223/ | भारत में संचालित जीएसटी टैक्स दर के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत सहित केवल 5 देशों में चार गैर स्तरीय स्लैब है।) .

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वायुसेना

एक वायुसेनिक अड्डा, चित्र में उड़नपट्टी पे गोर करे वायुसेना एक राष्ट्र की सैन्य संगठन की एक शाखा होती है जिसका मुख्य कार्य उस देश की वायु सुरक्षा, वायु चौकसी एव जरूरत होने पर वायु युद्ध करना होता है। इस सेन्य संगठन की संरचना थलसेना, नौसेना या अन्य शाखाओं से अलग और स्वतंत्र होती है। आमतौर पर वायुसेना अपना कर्तव्य पालन करने के लिए वायु नियंत्रण करती है जिसमे की दुश्मन सेना के विमान विशेष तोर पर लड़ाकू विमानों को नष्ट करना, शत्रु पर बमबारी और सतेही सेना को सामरिक सहायता प्रदान करना होता है। वायुसेना कई प्रकार के साजो सामान काम में लेती है व जिसमे विभिन्न प्रकार के हथियार व विमान शामिल होते है। किसी भी वायुसेना के बेड़े में कई प्रकार के लड़ाकू, बम डोही, टोही, तेल टेंकर व सेन्य परिवहन विमान शामिल हो सकते है। सुखोई एसयु-३० एमकेआई लड़ाकू विमान .

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वित्त आयोग

भारतीय वित्त आयोग की स्थापना १९५१ में की गयी थी। इसकी स्थापना का उद्देश्य भारत के केन्द्रीय सरकार एवं राज सरकारों के बीच वित्तीय सम्बन्धों को पारिषित करना था। वित्त आयोग प्रत्येक पाँच वर्ष बाद नियुक्त किया जाता है। अभी तक १५ वित्त आयोग नियुक्त किए जा चुके हैं। २०१७ में नवीनतम वित्त आयोग एन के सिंह (भारतीय योजना आयोग के भूतपूर्व सदस्य) की अध्यक्षता में स्थापित किया गया था। .

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विधान परिषद

विधान परिषद कुछ भारतीय राज्यों में लोकतंत्र की ऊपरी प्रतिनिधि सभा है। इसके सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा चुने जाते हैं। कुछ सदस्य राज्यपाल के द्वारा मनोनित किए जाते हैं। विधान परिषद विधानमंडल का अंग है। आंध्र प्रदेश, बिहार, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के रूप में, (उन्तीस में से) सात राज्यों में विधान परिषद है। इसके अलावा, राजस्थान और असम को भारत की संसद ने अपने स्वयं के विधान परिषद बनाने की मंजूरी दे दी है। .

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विधान सभा

विधान सभा या वैधानिक सभा जिसे भारत के विभिन्न राज्यों में निचला सदन(द्विसदनीय राज्यों में) या सोल हाउस (एक सदनीय राज्यों में) भी कहा जाता है। दिल्ली व पुडुचेरी नामक दो केंद्र शासित राज्यों में भी इसी नाम का प्रयोग निचले सदन के लिए किया जाता है। 7 द्विसदनीय राज्यों में ऊपरी सदन को विधान परिषद कहा जाता है। विधान सभा के सदस्य राज्यों के लोगों के प्रत्यक्ष प्रतिनिधि होते हैं क्योंकि उन्हें किसी एक राज्य के 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के नागरिकों द्वारा सीधे तौर पर चुना जाता है। इसके अधिकतम आकार को भारत के संविधान के द्वारा निर्धारित किया गया है जिसमें 500 से अधिक व् 60 से कम सदस्य नहीं हो सकते। हालाँकि विधान सभा का आकार 60 सदस्यों से कम हो सकता है संसद के एक अधिनियम के द्वारा: जैसे गोवा, सिक्किम, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी। कुछ राज्यों में राज्यपाल 1 सदस्य को अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त कर सकता है, उदा० ऐंग्लो इंडियन समुदाय अगर उसे लगता है कि सदन में अल्पसंख्यकों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। राज्यपाल के द्वारा चुने गए या नियुक्त को विधान सभा सदस्य या MLA कहा जाता है। प्रत्येक विधान सभा का कार्यकाल पाँच वर्षों का होता है जिसके बाद पुनः चुनाव होता है। आपातकाल के दौरान, इसके सत्र को बढ़ाया जा सकता है या इसे भंग किया जा सकता है। विधान सभा का एक सत्र वैसे तो पाँच वर्षों का होता है पर लेकिन मुख्यमंत्री के अनुरोध पर राज्यपाल द्वारा इसे पाँच साल से पहले भी भंग किया जा सकता है। विधानसभा का सत्र आपातकाल के दौरान बढ़ाया जा सकता है लेकिन एक समय में केवल छः महीनों के लिए। विधान सभा को बहुमत प्राप्त या गठबंधन सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाने पर भी भंग किया जा सकता है। .

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विशालविविध देश

१७ देश जिन्हें कंज़र्वेशन इण्टरनेशनल ने विशाल विविध देश माना है। विशालविविध देश कुछ देशों का समूह है जहाँ पृथ्वी पर पाए जाने वाली अधिकतर प्रजातियाँ उपस्थित है और इसीलिए इन्हें सर्वाधिक जैव विविधता वाला देश माना जाता है। १९९८ में कंज़र्वेशन इण्टरनेशनल ने १७ देशों को विशालविविध माना है जिनमे से अधिकतर उष्णकटिबन्धीय देश हैं। सन २००२ में मेक्सिको ने एक अलग संस्था बनाई जिसका ध्यान ऐसे जैवविविध देशों पर केन्द्रित था जिनके पास पारम्परिक ज्ञान भी है। इस संस्था के सदस्य, कंज़र्वेशन इण्टरनेशनल के सारे सदस्य देश नहीं हैं। वर्णमाला के क्रम में, १७ विशाल विविध देश हैं.

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विश्व पर्यटन संगठन

विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO), मद्रीद, स्पेन में स्थित संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था है। यह विश्व में पर्यटन संबंधी देखरेख करती है। श्रेणी:संयुक्त राष्ट्र विशिष्ट संस्थाएं.

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विश्व स्वास्थ्य संगठन

विश्व स्वास्थ्य संगठन का ध्वज विश्व स्वास्थ्य संगठन (वि॰ स्वा॰ सं॰) (WHO) विश्व के देशों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर आपसी सहयोग एवं मानक विकसित करने की संस्था है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के १९३ सदस्य देश तथा दो संबद्ध सदस्य हैं। यह संयुक्त राष्ट्र संघ की एक अनुषांगिक इकाई है। इस संस्था की स्थापना ७ अप्रैल १९४८ को की गयी थी। इसका उद्देश्य संसार के लोगो के स्वास्थ्य का स्तर ऊँचा करना है। डब्‍ल्‍यूएचओ का मुख्यालय स्विटजरलैंड के जेनेवा शहर में स्थित है। इथियोपिया के डॉक्टर टैड्रोस ऐडरेनॉम ग़ैबरेयेसस विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के नए महानिदेशक निर्वाचित हुए हैं। वो डॉक्टर मार्गरेट चैन का स्थान लेंगे जो पाँच-पाँच साल के दो कार्यकाल यानी दस वर्षों तक काम करने के बाद इस पद से रिटायर हो रही हैं।। भारत भी विश्व स्वास्थ्‍य संगठन का एक सदस्य देश है और इसका भारतीय मुख्यालय भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है। .

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विश्व सीमा शुल्क संगठन

विश्व सीमा शुल्क संगठन; World Customs Organization: (WCO) विश्व सीमा शुल्क संगठन की स्थापना 1952 में सीमा शुल्क सहयोग परिषद के रूप में की गयी थी। यह एक अंतरसरकारी संगठन है डब्ल्यूसीओ का मूल उद्देश्य संपूर्ण विश्व में सीमा शुल्क प्रशासनों की प्रभावशीलता एवं कार्यक्षमता में वृद्धि लाना है। वर्ष 1947 में व्यापार एवं प्रशुल्कों पर सामान्य समझौता गैट, द्वारा पहचाने गए सीमाकर मामलों के परीक्षण हेतु 13 यूरोपीय देशों ने एक अध्ययन दल की स्थापना की। डब्ल्यूसीओ की सदस्यता निरंतर विश्व के सभी क्षेत्रों में पहुंच गई 1994 में संगठन ने इसका वर्तमान नाम विश्व सीमाकर संगठन (डब्ल्यूसीओ) अपनाया। आज, डब्ल्यूसीओ के सदस्य विश्व के 94 प्रतिशत से अधिक व्यापार के सीमाकर नियंत्रण के लिए उत्तरदायी हैं। .

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विश्व व्यापार संगठन

विश्व व्यापार संगठन का प्रतीक चिन्ह विश्व व्यापार संगठन (वर्ल्द ट्रेड ऑर्गनाइजेशन/डब्ल्यूटीओ) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो विश्व व्यापार के लिए नियम बनाता है। इसकी स्थापना १९९५ में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बनाए गए गैट (GATT) के स्थान पर लाने के लिए की गई थी। वर्तमान समय में इसके १६४ सदस्य हैं। डब्ल्यूटीओ के सचिव और महानिदेशक जेनेवा में निवास करते हैं। सचिवालय जिसमें अब केवल ५५० लोग काम करते हैं और संगठन के सभी पहलुओं के संचालन का प्रशासनिक कार्य संभालते हैं। सचिवालय के पास कानूनी निर्णय लेने की कोई शक्ति नहीं है लेकिन ऐसा करने वालों को यह महत्वपूर्ण सेवाएं और परामर्श प्रदान करता है। .

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विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग (भारत)

आयोग की स्थापना के समय मौलाना आजाद एवं डॉ॰सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत का विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (अंग्रेज़ी:University Grants Commission, लघु:UGC) केन्द्रीय सरकार का एक उपक्रम है जो सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को अनुदान प्रदान करता है। यही आयोग विश्वविद्यालयों को मान्यता भी देता है। इसका मुख्यालय नयी दिल्ली में है और इसके छः क्षेत्रीय कार्यालय पुणे, भोपाल, कोलकाता, हैदराबाद, गुवाहाटी एवं बंगलुरु में हैं।। हिन्दुस्तान लाइव। २२ फ़रवरी २०१० .

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विशेष सुरक्षा दल

विशेष सुरक्षा दल(अंग्रेज़ी:स्पेशल् प्रोटेक्शन् ग्रुप्; एसपीजी), संघ की एक विशेष सुरक्षा बल है। भारत के प्रधानमंत्री, उनका परिवार, तथा पूर्व प्रधानमंत्रीगण की सुरक्षा, इस विशेष सुरक्षा टुकड़ी की ज़िम्मेदार होती है। यह विशिष्ट बल सीधे केंद्र सरकार के मंत्रिमण्डलीय सचिवालय के अधीन है, और आसूचना ब्यूरो(आईबी) के अंतर्गत उसके एक विभाग के रूप में कार्य करती है। भारतीय प्रधानमंत्री पर प्रति क्षण मण्डरा रहे आत्मघाती संकट के मद्देनज़र, प्रधानमंत्री की सुरक्षा बेहद महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण विषय है। एसपीजी, देश की सबसे पेशेवर एवं आधुनिकतम सुरक्षा बालों में से एक है। .

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विजयनगर साम्राज्य

विजयनगर साम्राज्य - १५वीं सदी में विजयनगर साम्राज्य (1336-1646) मध्यकालीन दक्षिण भारत का एक साम्राज्य था। इसके राजाओं ने ३१० वर्ष राज किया। इसका वास्तविक नाम कर्णाटक साम्राज्य था। इसकी स्थापना हरिहर और बुक्का राय नामक दो भाइयों ने की थी। पुर्तगाली इसे बिसनागा राज्य के नाम से जानते थे। इस राज्य की १५६५ में भारी पराजय हुई और राजधानी विजयनगर को जला दिया गया। उसके पश्चात क्षीण रूप में यह और ८० वर्ष चला। राजधानी विजयनगर के अवशेष आधुनिक कर्नाटक राज्य में हम्पी शहर के निकट पाये गये हैं और यह एक विश्व विरासत स्थल है। पुरातात्त्विक खोज से इस साम्राज्य की शक्ति तथा धन-सम्पदा का पता चलता है। .

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विजयनगर का वास्तुशिल्प

विजयनगर वास्तुशिल्प (ವಿಜಯನಗರ ವಾಸ್ತುಶಿಲ್ಪ) का विकास विजयनगर साम्राज्य के समय में 1336–1565 ई के मध्य हुआ। दक्षिण भारत के इस साम्राज्य की राजधानी विजयनगर थी। श्रेणी:विजयनगर साम्राज्य.

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वृहद भारत

'''वृहद भारत''': केसरिया - भारतीय उपमहाद्वीप; हल्का केसरिया: वे क्षेत्र जहाँ हिन्दू धर्म फैला; पीला - वे क्षेत्र जिनमें बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ वृहद भारत (Greater India) से अभिप्राय भारत सहित उन अन्य देशों से है जिनमें ऐतिहासिक रूप से भारतीय संस्कृति का प्रभाव है। इसमें दक्षिणपूर्व एशिया के भारतीकृत राज्य मुख्य रूप से शामिल है जिनमें ५वीं से १५वीं सदी तक हिन्दू धर्म का प्रसार हुआ था। वृहद भारत में मध्य एशिया एवं चीन के वे वे भूभाग भी सम्मिलित किये जा सकते हैं जिनमे भारत में उद्भूत बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ था। इस प्रकार पश्चिम में वृहद भारत कीघा सीमा वृहद फारस की सीमा में हिन्दुकुश एवं पामीर पर्वतों तक जायेगी। भारत का सांस्कृतिक प्रभाव क्षेत्र .

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वैदिक सभ्यता

प्राचीन भारत वैदिक सभ्यता प्राचीन भारत की सभ्यता है जिसमें वेदों की रचना हुई। भारतीय विद्वान् तो इस सभ्यता को अनादि परम्परा आया हुआ मानते हैं | पश्चिमी विद्वानो के अनुसार आर्यों का एक समुदाय भारत मे लगभग 1500 इस्वी ईसा पूर्व आया और उनके आगमन के साथ ही यह सभ्यता आरंभ हुई थी। आम तौर पर अधिकतर विद्वान वैदिक सभ्यता का काल 1500 इस्वी ईसा पूर्व से 500 इस्वी ईसा पूर्व के बीच मे मानते है, परन्तु नए पुरातत्त्व उत्खननो से मिले अवशेषों मे वैदिक सभ्यता के कई अवशेष मिले हैं जिससे आधुनिक विद्वान जैसे डेविड फ्राले, तेलगिरी, बी बी लाल, एस र राव, सुभाष काक, अरविन्दो यह मानने लगे है कि वैदिक सभ्यता भारत मे ही शुरु हुई थी और ऋग्वेद का रचना शुंग काल में हुयी, क्योंकि आर्यो के भारत मे आने का न तो कोई पुरातत्त्व उत्खननो से प्रमाण मिला है और न ही डी एन ए अनुसन्धानो से कोई प्रमाण मिला है इस काल में वर्तमान हिंदू धर्म के स्वरूप की नींव पड़ी थी जो आज भी अस्तित्व में है। वेदों के अतिरिक्त संस्कृत के अन्य कई ग्रंथो की रचना भी इसी काल में हुई थी। वेदांगसूत्रौं की रचना मन्त्र ब्राह्मणग्रंथ और उपनिषद इन वैदिकग्रन्थौं को व्यवस्थित करने मे हुआ है | अनन्तर रामायण, महाभारत,और पुराणौंकी रचना हुआ जो इस काल के ज्ञानप्रदायी स्रोत मानागया हैं। अनन्तर चार्वाक, तान्त्रिकौं,बौद्ध और जैन धर्म का उदय भी हुआ | इतिहासकारों का मानना है कि आर्य मुख्यतः उत्तरी भारत के मैदानी इलाकों में रहते थे इस कारण आर्य सभ्यता का केन्द्र मुख्यतः उत्तरी भारत था। इस काल में उत्तरी भारत (आधुनिक पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा नेपाल समेत) कई महाजनपदों में बंटा था। .

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वेद

वेद प्राचीन भारत के पवितत्रतम साहित्य हैं जो हिन्दुओं के प्राचीनतम और आधारभूत धर्मग्रन्थ भी हैं। भारतीय संस्कृति में वेद सनातन वर्णाश्रम धर्म के, मूल और सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं, जो ईश्वर की वाणी है। ये विश्व के उन प्राचीनतम धार्मिक ग्रंथों में हैं जिनके पवित्र मन्त्र आज भी बड़ी आस्था और श्रद्धा से पढ़े और सुने जाते हैं। 'वेद' शब्द संस्कृत भाषा के विद् शब्द से बना है। इस तरह वेद का शाब्दिक अर्थ 'ज्ञान के ग्रंथ' है। इसी धातु से 'विदित' (जाना हुआ), 'विद्या' (ज्ञान), 'विद्वान' (ज्ञानी) जैसे शब्द आए हैं। आज 'चतुर्वेद' के रूप में ज्ञात इन ग्रंथों का विवरण इस प्रकार है -.

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खासी भाषा

खसी (Khasi) या खासी पूर्वोत्तर भारत के मेघालय राज्य में खसी समुदाय द्वारा बोली जाने वाली एक भाषा है। यह ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा-परिवार की सदस्य है। खासी (जिसे खसी, खसिया या क्यी भी कहते हैं) ऑस्ट्रो-एशियाई भाषाओं के मोन-ख्मेर परिवार की एक शाखा है। २००१ की भारतीय जनगणना के अनुसार खासी भाषा को बोलने वाले ११,२८,५७५ लोग मेघालय में रहते हैं। खासी भाषा के बहुत से शब्द की इण्डो-आर्य भाषाएं जैसे नेपाली, बांग्ला एवं असमिया से लिये गे हैं। इसके अलावा खासी भाषा की अपनी कोई लिपि नहीं है और यह भारत में अभी तक चल रही मोन-ख्मेर भाषाओ में से एक है। .

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खजुराहो

खजुराहो भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है जो अपने प्राचीन एवं मध्यकालीन मंदिरों के लिये विश्वविख्यात है। यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। खजुराहो को प्राचीन काल में खजूरपुरा और खजूर वाहिका के नाम से भी जाना जाता था। यहां बहुत बड़ी संख्या में प्राचीन हिन्दू और जैन मंदिर हैं। मंदिरों का शहर खजुराहो पूरे विश्व में मुड़े हुए पत्थरों से निर्मित मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। खजुराहो को इसके अलंकृत मंदिरों की वजह से जाना जाता है जो कि देश के सर्वोत्कृष्ठ मध्यकालीन स्मारक हैं। भारत के अलावा दुनिया भर के आगन्तुक और पर्यटक प्रेम के इस अप्रतिम सौंदर्य के प्रतीक को देखने के लिए निरंतर आते रहते है। हिन्दू कला और संस्कृति को शिल्पियों ने इस शहर के पत्थरों पर मध्यकाल में उत्कीर्ण किया था। संभोग की विभिन्न कलाओं को इन मंदिरों में बेहद खूबसूरती के उभारा गया है। .

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गणराज्य

एक गणराज्य या गणतंत्र (रेस पब्लिका) सरकार का एक रूप है जिसमें देश को एक "सार्वजनिक मामला" माना जाता है, न कि शासकों की निजी संस्था या सम्पत्ति। एक गणराज्य के भीतर सत्ता के प्राथमिक पद विरासत में नहीं मिलते हैं। यह सरकार का एक रूप है जिसके अंतर्गत राज्य का प्रमुख राजा नहीं होता। गणराज्य की परिभाषा का विशेष रूप से सन्दर्भ सरकार के एक ऐसे रूप से है जिसमें व्यक्ति नागरिक निकाय का प्रतिनिधित्व करते हैं और किसी संविधान के तहत विधि के नियम के अनुसार शक्ति का प्रयोग करते हैं, और जिसमें निर्वाचित राज्य के प्रमुख के साथ शक्तियों का पृथक्करण शामिल होता हैं, व जिस राज्य का सन्दर्भ संवैधानिक गणराज्य या प्रतिनिधि लोकतंत्र से हैं। 2017 तक, दुनिया के 206 सम्प्रभु राज्यों में से 159 अपने आधिकारिक नाम के हिस्से में "रिपब्लिक" शब्द का उपयोग करते हैं - निर्वाचित सरकारों के अर्थ से ये सभी गणराज्य नहीं हैं, ना ही निर्वाचित सरकार वाले सभी राष्ट्रों के नामों में "गणराज्य" शब्द का उपयोग किया गया हैं। भले राज्यप्रमुख अक्सर यह दावा करते हैं कि वे "शासितों की सहमति" से ही शासन करते हैं, नागरिकों को अपने स्वयं के नेताओं को चुनने की वास्तविक क्षमता को उपलब्ध कराने के असली उद्देश्य के बदले कुछ देशों में चुनाव "शो" के उद्देश्य से अधिक पाया गया है। गणराज्य (संस्कृत से; "गण": जनता, "राज्य": रियासत/देश) एक ऐसा देश होता है जहां के शासनतन्त्र में सैद्धान्तिक रूप से देश का सर्वोच्च पद पर आम जनता में से कोई भी व्यक्ति पदासीन हो सकता है। इस तरह के शासनतन्त्र को गणतन्त्र(संस्कृत; गण:पूरी जनता, तंत्र:प्रणाली; जनता द्वारा नियंत्रित प्रणाली) कहा जाता है। "लोकतंत्र" या "प्रजातंत्र" इससे अलग होता है। लोकतन्त्र वो शासनतन्त्र होता है जहाँ वास्तव में सामान्य जनता या उसके बहुमत की इच्छा से शासन चलता है। आज विश्व के अधिकान्श देश गणराज्य हैं और इसके साथ-साथ लोकतान्त्रिक भी। भारत स्वयः एक लोकतान्त्रिक गणराज्य है। .

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गारो भाषा

गारो भाषा (Garo language) या आचिक भाषा (আ·চিক ভাষা) पूर्वोत्तर भारत के मेघालय राज्य के गारो पहाड़ियाँ ज़िले तथा असम व त्रिपुरा के कुछ भागों में बोली जाने वाली एक भाषा है। इसे बांग्लादेश के कुछ पड़ोसी क्षेत्रों में भी बोला जाता है। गारो भाषा का कोच एवं बोडो भाषाओ से, जो कि तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार की सदस्य हैं, इनसे निकट सामीप्य है। गारो भाषा अधिकांश जनसंख्या द्वारा बोली जाती है और इसकी कई बोलियां प्रचलित हैं, जैसे अबेंग या अम्बेंग, अटोंग, अकावे (या अवे), मात्ची दुआल, चोबोक, चिसक मेगम या लिंगंगम, रुगा, गारा-गञ्चिंग एवं माटाबेंग। .

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गंगोत्री हिमनद

गंगोत्री हिमनद गंगा नदी का उद्गम स्थल है। यह भारत के उत्तराखण्ड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। श्रेणी:उत्तराखण्ड का भूगोल श्रेणी:गंगा नदी.

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गुट निरपेक्ष आंदोलन

गुट निरपेक्ष आंदोलन (NAM) राष्ट्रों की एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है, जिहोंने निश्चय किया है, कि विश्व के वे किसी भी पावर ब्लॉक के संग या विरोध में नहीं रहेंगे। यह आंदोलन भारत के प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति गमाल अब्दुल नासीर युगोस्लाविया के राष्ट्रपति list .

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गुप्त राजवंश

गुप्त राज्य लगभग ५०० ई इस काल की अजन्ता चित्रकला गुप्त राजवंश या गुप्त वंश प्राचीन भारत के प्रमुख राजवंशों में से एक था। मौर्य वंश के पतन के बाद दीर्घकाल तक भारत में राजनीतिक एकता स्थापित नहीं रही। कुषाण एवं सातवाहनों ने राजनीतिक एकता लाने का प्रयास किया। मौर्योत्तर काल के उपरान्त तीसरी शताब्दी इ. में तीन राजवंशो का उदय हुआ जिसमें मध्य भारत में नाग शक्‍ति, दक्षिण में बाकाटक तथा पूर्वी में गुप्त वंश प्रमुख हैं। मौर्य वंश के पतन के पश्चात नष्ट हुई राजनीतिक एकता को पुनस्थापित करने का श्रेय गुप्त वंश को है। गुप्त साम्राज्य की नींव तीसरी शताब्दी के चौथे दशक में तथा उत्थान चौथी शताब्दी की शुरुआत में हुआ। गुप्त वंश का प्रारम्भिक राज्य आधुनिक उत्तर प्रदेश और बिहार में था। गुप्त वंश पर सबसे ज्यादा रिसर्च करने वाले इतिहासकार डॉ जयसवाल ने इन्हें जाट बताया है।इसके अलावा तेजराम शर्माhttps://books.google.co.in/books?id.

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गुजरात का इतिहास

गुजरात, अखंड भारत का एक भौगोलिक क्षेत्र है जहां इतिहास के आरंभ होने के पूर्व से ही लोग निवास करते आ रहे हैं, यह सिद्ध हो चुका है। इस प्रदेश के पश्चिम में विशाल सागर तट है। इस तट पर आकर जो लोग बसे उनके आदिपुरुष अफ्रीका के पूर्वी किनारे से आए होंगे, ऐसा अनुमान किया जाता है। इस अनुमान का आधार यह है कि जब हिमालय का सृजन हुआ, उस दौरान भारत के पश्चिमी भाग से अफ्रीका का भू-खंड अलग हो गया। इस भौगोलिक नवसृजन की प्रक्रिया को ध्यान में रखा जाए तो इस संभावना को नकारा नहीं जा सकता कि आदिमानव समूह, जो अफ्रीका में बसता था वही वर्तमान सौराष्ट्र कहे जाने वाले भू-भाग में भी बसा हुआ था। नक्शे को ध्यान से देखने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि ये दोनों भू-खंड एक दूसरे से अलग हुए हैं और उनके बीच का भाग अरब सागर बना है। विश्व में सिंहों की आबादी गुजरात के सौराष्ट्र स्थित गिर के जंगल और अफ्रीका के जंगल-केवल इन दो जगहों में ही पाई जाती है। इन दोनों—अफ्रीका के सिंह और गिरि के भारतीय सिंह में जो अंतर है, वह पर्यावरण की भिन्नता के साथ सामंजस्य बैठाने के कारण है आया है। सिंहों पर अध्ययन करनेवाले प्राणि वैज्ञानिकों का मानना है कि एशियन लायन और अफ्रीकन लायन का विकास किसी एक ही मूल से हुआ है। इस तरह गुजरात का इतिहास, उसकी भूमि और उस पर लोगों की बनावट अत्यंत प्राचीन है और यह हिमालय के सृजन की भौगोलिक प्रक्रिया से पहले की है। इसके बाद पाषाण युग के प्रगैतिहासिक काल के ताम्र व कांस्य युग तक के कालखंड तथा ईसा पूर्व 322 से सन् 1304 तक की समयावधि के कालखंड हैं। इन कालखंडों में यहाँ अनेक जातियों का आगमन हुआ। वे यहाँ आईं और आकर बस गईं। नृवंश-शास्त्रियों की खोजों के अनुसार सत्तर से बाइस लाख वर्ष पहले गुजरात में जो लोग रहते थे, वे नीग्रो या निग्रिटो जाति के थे। इसका प्रमाण यह है कि उनके अस्थि-पिंजर हमें सौराष्ट्र क्षेत्र में मिले हैं, जिनके सिर लंबे, कद साधारण, कपाल उभरा हुआ और भौहें तथा होंठ लटके हुए हैं। इसके बाद पौराणिक साहित्य तथा उसके पहले के वेदकालीन साहित्य में गुजरात-सौराष्ट्र के भू-प्रदेश और उस पर रहनेवालों के अनेक उल्लेख मिलते हैं। ऐतिहासिक युग के आरंभ के साथ ही विविध जातियों के आगमन और यहां बस जाने का भी इतिहास भी मिलता है। इस प्रकार गुजरात और उसके निवासियों का इतिहास अत्यंत प्राचीन और जीवंत है, जो पृथ्वी के पटल पर हिमालय जैसे भू-भौगोलिक परिवर्तन से पहले ही आरंभ हो चुका था। .

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गुजरात के ज़िले

गुजरात के ज़िले। भारत के गुजरात राज्य में ३३ ज़िले है। Dave, Kapil (૭ ઓક્ટોબર ૨૦૧૨).

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गुजराती भाषा

गुजराती भारत की एक भाषा है जो गुजरात राज्य, दीव और मुंबई में बोली जाती है। गुजराती साहित्य भारतीय भाषाओं के सबसे अधिक समृद्ध साहित्य में से है। भारत की दूसरी भाषाओं की तरह गुजराती भाषा का जन्म संस्कृत भाषा से हुआ है। वहीं इसके कई शब्द ब्रजभाषा के हैं ऐसा भी माना जाता है की इसका जन्म ब्रजभाषा में से भी हुआ अर्थात संस्कृत और ब्रजभाषा के मिले जुले शब्दों से गुजरातीे भाषा का जन्म हुआ। दूसरे राज्य एवं विदेशों में भी गुजराती बोलने वाले लोग निवास करते हैं। जिन में पाकिस्तान, अमेरिका, यु.के., केन्या, सिंगापुर, अफ्रिका, ऑस्ट्रेलीया मुख्य है। भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की मातृभाषा गुजराती थी। गुजराती बोलने वाले भारत के दूसरे महानुभावों में पाकिस्तान के राष्ट्रपिता मुहम्मद अली जिन्ना, महर्षि दयानंद सरस्वती, मोरारजी देसाई, नरेन्द्र मोदी, धीरु भाई अंबानी भी सम्मिलित है। .

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गुजराती साहित्य

गुजराती भाषा आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं में से एक है और इसका विकास शौरसेनी प्राकृत के परवर्ती रूप 'नागर अपभ्रंश' से हुआ है। गुजराती भाषा का क्षेत्र गुजरात, सौराष्ट्र और कच्छ के अतिरिक्त महाराष्ट्र का सीमावर्ती प्रदेश तथा राजस्थान का दक्षिण पश्चिमी भाग भी है। सौराष्ट्री तथा कच्छी इसकी अन्य प्रमुख बोलियाँ हैं। हेमचंद्र सूरि ने अपने ग्रंथों में जिस अपभ्रंश का संकेत किया है, उसका परवर्ती रूप 'गुर्जर अपभ्रंश' के नाम से प्रसिद्ध है और इसमें अनेक साहित्यिक कृतियाँ मिलती हैं। इस अपभ्रंश का क्षेत्र मूलत: गुजरात और पश्चिमी राजस्थान था और इस दृष्टि से पश्चिमी राजस्थानी अथवा मारवाड़ी, गुजराती भाषा से घनिष्ठतया संबद्ध है। गुजराती साहित्य में दो युग माने जाते हैं-.

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गुजराती खाना

श्रेणी:भारतीय खाना श्रेणी:खान पान.

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ग्रेटर चेन्नई पुलिस

ग्रेटर चेन्नई पुलिस, तमिल नाडु पुलिस का एक अनुभाग है, जो चेन्नई शहर में विधि व्यवस्था देखता है। इस विभाग में ३६ उप-भाग हैं और १२१ पुलिस स्टेशन हैं। .

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गृह मंत्रालय, भारत सरकार

यह भारत सरकार का मंत्रालय है। गृह मंत्रालय, राज्यों के संवैधानिक अधिकारों में दखल दिए बिना, सुरक्षा, शान्ति एवं सौहार्द बनाए रखने के लिए राज्य सरकारों को जन शक्ति एवं वित्तीय सहायता, मार्गदर्शन एवं विशेषज्ञता प्रदान करता है। इस मंत्रालय के मंत्री माननीय राजनाथ सिंह है। .

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गोवा का पर्यटन

अंजुना पुलिन तट, गोवा वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही प्रकृति गोवा को कुछ ऐसा ही अलग, लेकिन अदभुत स्वरूप प्रदान करती है। यह स्थान शांतिप्रिय पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को बहुत भाता है। गोवा एक छोटा-सा राज्य है। यहां छोटे-बड़े लगभग 40 समुद्री तट है। इनमें से कुछ समुद्र तट अंर्तराष्ट्रीय स्तर के हैं। इसी कारण गोवा की विश्व पर्यटन मानचित्र के पटल पर अपनी एक अलग पहचान है। .

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गोवा का इतिहास

गोवा के लंबे इतिहास की शुरुआत तीसरी सदी इसा पूर्व से शुरु होती है जब यहाँ मौर्य वंश के शासन की स्थापना हुई थी। बाद में पहली सदी के शुरुआत में इस पर कोल्हापुर के सातवाहन वंश के शासकों का अधिकार स्थापित हुआ और फिर बादामी के चालुक्य शासकों ने इसपर 580 इसवी से 750 इसवी पर राज किया। .

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गोवा के जिले

गोवा राज्य में दो जिले हैं:-.

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गोआ सरकार

गोवा सरकार, एकसदनीय व्यवस्था वाली विधायिका है जिसके अंतर्गत एक चालीस सदस्यों वाली विधान सभा आती है, जिसका मुखिया मुख्यमंत्री होता है। राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। राज्यपाल की भूमिका अधिकतर समारोहिक ही होती है, लेकिन यह तय करने में कि अगली सरकार कौन बनायेगा या फिर विधायिका को निलंबित करने की स्थिति में वो एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अपनी आज़ादी से लेकर 1990 तक गोवा पर स्थायी सरकारों का शासन रहा है पर उसके बाद गठबंधन के दौर के कारण राज्य में राजनैतिक अस्थिरता का माहौल है। गोवा ने 15 साल के अंतराल, यानि 1990 से 2005 के दौरान 14 सरकारें देखीं है। 2005 में राज्यपाल ने विधान सभा को भंग करके राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था। .

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गोआ का खाना

श्रेणी:भारतीय खाना श्रेणी:खान पान.

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ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम

आॅल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (लोकप्रिय रूप: अन्नाद्रमुक) तमिल नाडु और पुदुचेरी, भारत का एक राजनीतिक दल है। इसकी स्थापना सन् 1972 में पूर्व अभिनेता व राजनीतिज्ञ एम जी रामचन्द्रन ने की थी जब वो द्रमुक से अलग हो गये थे। 1989 से इस दल की नेता जयललिता हैं। दल ने तमिलनाडु में छह बार सरकार बनाई है और 2011 से तमिल नाडु में सरकार इसी दल की है। .

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ओड़िया भाषा

ओड़िआ, उड़िया या ओडिया (ଓଡ଼ିଆ, ओड़िआ) भारत के ओड़िशा प्रान्त में बोली जाने वाली भाषा है। यह यहाँ के राज्य सरकार की राजभाषा भी है। भाषाई परिवार के तौर पर ओड़िआ एक आर्य भाषा है और नेपाली, बांग्ला, असमिया और मैथिली से इसका निकट संबंध है। ओड़िसा की भाषा और जाति दोनों ही अर्थो में उड़िया शब्द का प्रयोग होता है, किंतु वास्तव में ठीक रूप "ओड़िया" होना चाहिए। इसकी व्युत्पत्ति का विकासक्रम कुछ विद्वान् इस प्रकार मानते हैं: ओड्रविषय, ओड्रविष, ओडिष, आड़िषा या ओड़िशा। सबसे पहले भरत के नाट्यशास्त्र में उड्रविभाषा का उल्लेख मिलता है: "शबराभीरचांडाल सचलद्राविडोड्रजा:। हीना वनेचराणां च विभाषा नाटके स्मृता:।" भाषातात्विक दृष्टि से उड़िया भाषा में आर्य, द्राविड़ और मुंडारी भाषाओं के संमिश्रित रूपों का पता चलता है, किंतु आज की उड़िया भाषा का मुख्य आधार भारतीय आर्यभाषा है। साथ ही साथ इसमें संथाली, मुंडारी, शबरी, आदि मुंडारी वर्ग की भाषाओं के और औराँव, कुई (कंधी) तेलुगु आदि द्राविड़ वर्ग की भाषाओं के लक्षण भी पाए जाते हैं। .

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ओड़िया साहित्य

१५०० इसवी तक उड़िया साहित्य में धर्म, देव-देवी के चित्रण ही मुख्य ध्येय हुआ करता था पर साहित्य तो सम्पूर्ण रूप से काव्य पर ही आधारित था। उड़िया भाषा के प्रथम महान कवि झंकड़ के सारला दास रहे जिन्हें 'उड़िशा के व्यास' के रूप में जाना जाता है। इन्होने देवी की स्तुति में चंडी पुराण व विलंका रामायण की रचना की थी। 'सारला महाभारत' आज भी घर-घर में पढ़ा जाता है। अर्जुन दास द्वारा लिखित 'राम-विभा' को उड़िया भाषा की प्रथम गीतकाव्य या महाकाव्य माना जाता है। उड़िया साहित्य को काल और प्रकृति के अनुसार निम्नलिखित प्रकार से बाँटा जा सकता है.

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ओड़िशा में पर्यटन

ओडिशा में पर्यटन, भारत सुंदर स्थानों, विदेशी संस्कृतियों, गर्म और दोस्ताना लोगों का एक अद्वितीय संयोजन है। ५०० किलोमीटर (३१० मील) लंबे समुद्र तट, विशाल पर्वतों, शांत झीलों और नदियों के साथ, ओडिशा भारत की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। ओडिशा भारत के प्रमुख पर्यटन क्षेत्रों में से एक है, वन्य जीवन भंडार, समुद्र तटों, मंदिरों, स्मारकों, कला और त्योहारों, के कारण ओडिशा हाल के वर्षों में पर्यटकों के आकर्षण के लिए अच्छी जगह बन गई है। ओडिशा पर्यटन ओडिशा की अर्थव्यवस्था का मुख्य भूमिकाओं में से एक है। ओडिशा पर्यटन पूरे भारत में और विदेशों में से पर्यटकों को ओडिशा आने में आकर्षित करता है। .

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ओड़िशा का खाना

 ओडिशा राज्य इतनी विविधतापूर्ण और जीवंत है कि इसके प्रत्येक जिले में एक अनूठी परंपरा, संस्कृति और यहां तक ​​कि एक विशिष्ट खाद्य विशेषता भी दिखाई देती है। ऐसा उनका स्वादिष्ट स्वाद है, कि इन व्यंजनों को भारत के वांछनीय खाद्य मानचित्र में सही स्थान मिलना चाहिए। लेकिन शायद, यह वर्षों और दशकों से छुपा हुआ रहता है, खाद्य वस्तुओं के शानदार स्वाद को अपने गृहनगर या ओडिशा के समान ही सीमित करता है। इसलिए सभी पेटू प्रेमी के लिए, हमने ओडिशा के प्रसिद्ध जिलों में से कुछ के विशेष व्यंजन नीचे सूचीबद्ध किए हैं।  वोदिशा एक ऐसी अवस्था है जहां ब्रह्मांड के भगवान भोजन करने और विभिन्न किस्मों और विशाल मात्रा के खाद्य पदार्थों की सेवा करने के लिए रहते थे, ताकि लोग भी प्रकृति और मात्रा के द्वारा भी बहुत भोजन कर सकें। यही वजह है कि ओडिशा में शराब बनाने वाली पाक परंपरा है। ओरियाडिश्स समृद्ध और विविध हैं और स्थानीय सामग्री से बने हैं। ओडिशा के व्यंजन का एक विशिष्ट पाक शैली है और यह बर्तन की तैयारी में किया जाता है। उड़ीसा के लोग मिठाई दाँत और मीठे व्यंजन अपने भोजन का अपरिहार्य हिस्सा बनाते हैं। वे अपने असाधारण मुंह-पिघलने और उंगली वाली व्यंजनों के लिए प्रमुख और प्रसिद्ध हैं। ये अक्सर उत्सव के दौरान तैयार होते हैं और सभी प्रमुख त्योहारों के दौरान बड़ी मात्रा में बनाये जाते हैं। अधिकांश मीठे व्यंजन, ब्रेड, मुख्य पाठ्यक्रम भोजन को भगवान जगनांत और राज्य के अन्य देवताओं की भेंट के रूप में माना जाता है।उड़ीसा का व्यंजन सरल, आर्थिक और आकर्षक है, लेकिन लालसा बहुत स्वादिष्ट है। खाना मसालेदार, गर्म है और इस तरह खुशनुमा मुर्गा रखने वाले खाद्य पदार्थ निश्चित रूप से उड़ीसा की पेशकश वाले खाद्य पदार्थों का आनंद उठाएंगे। समान भौगोलिक स्थितियों के कारण, भोजन की तैयारी लगभग पड़ोसी राज्यों बिहार और पश्चिम बंगाल के समान है। हालांकि, उड़ीया व्यंजन दूसरों से अलग करता है, विभिन्न प्रकार के मसालों का इस्तेमाल होता है और जिस तरह से वे इसका इस्तेमाल करते हैं। एक तटीय राज्य होने के नाते, गैर शाकाहारी और मछली अपने पारंपरिक व्यंजनों का अभिन्न अंग बनाते हैं। खाना पकाने की प्रक्रिया सरल होती है और यह बर्तन अपने पोषण को बनाए रखने देता है। मसालेदार और स्वादिष्ट के अलावा, उड़िया के व्यंजन कम कैलोरी मान होते हैं क्योंकि ये कम या कोई तेल से पकाये जाते हैं। दही और नारियल का तेल मुख्यतः तैयारी में इस्तेमाल होता है जो अतिरिक्त ज़िंग देते हैं। पांच मसालों, जीरा, सरसों, मेथी और काल जीरा का 'पंच-फूटना' मिश्रण एक जादुई मिश्रण है जिसका उपयोग सब्जियों और दालों को तड़के करने के लिए किया जाता है और मुंह खाने वाले करी के लिए इस्तेमाल किया जाता है।  एक भोजन पाठ्यक्रम द्वारा परोसा जाता है आम तौर पर, सभी बर्तन एक साथ भेंट किये जाते हैं और फिर केवल खाने शुरू होती है मुख्य पकवान थाली में परोसा जाता है, एक बड़ी प्लेट और अन्य व्यंजन छोटी कटोरे और प्लेटों में परोसा जाता है। उत्सव के अवसरों पर, थाली के बजाय केले के पत्ते का उपयोग किया जाता है। एक विशिष्ट उड़िया भोजन में एक मुख्य पाठ्यक्रम और मिठाई शामिल है। रोटी और नाश्ते के लिए एक मुख्य पाठ्यक्रम के रूप में संरक्षित, जबकि चावल और मसूर दाल दोपहर के भोजन और रात के खाने के दौरान प्रमुख भाग बनाते हैं। चूड (पोहा, चपटा चावल), मुधी (मुरी, फूला हुआ चावल), चुदा दही सहित नाश्ते के लिए एक या अधिक स्वादिष्ट साइड डिश हैं। अलग पिठा नाश्ते को अधिक स्वादिष्ट बनाती है। दोपहर के भोजन पर, एक या एक से अधिक करी, सब्जियां और पिकेलसकंपनी चावल और दाल। दोपहर के भोजन में एक मिठाई का कोर्स शामिल होता है जिसमें एक ही आइटम से अधिक शामिल हो सकता है जो मीठे खाद्य पदार्थों के लिए स्नेह को संतुष्ट कर सकता है। चावल मुख्य भोजन है क्योंकि धान उड़ीसा की प्रमुख फसल है। गेहूं, अन्य अनाज और सब्जियां भी व्यापक रूप से उपयोग की जाती हैं भले ही चावल लगभग सभी शाकाहारी व्यंजनों में उपयोग किया जाता है, विभिन्न मसालों के उपयोग से व्यंजन अलग-अलग स्वाद देता है जीरा पाकला, भेंडी भाजा, आलु पाक साग और कदली भज्जा कुछ लोकप्रिय शाकाहारी व्यंजन हैं। पारंपरिक 'डालना', आलू, कड़वा, बैंगन और पालक जैसे सब्जियों के साथ पकाया जाने वाला दाल स्वादिष्ट और पौष्टिक है। अन्य परंपरागत प्रसन्नियां, पनी संतुला (उड़ीसा शैली मिश्रित सब्जियां), मूंग दालमा, सगा भाजा (तला हुआ पालक), कुकुड़ तकरारी (चिकन एक ग्रेवी में पकाया जाता है), दही बगान (दही के साथ पकाया बैंगन), चिंगुड़ी तारकरी, (झींगे करी)। बडी चुरा एक और मुकुट महिमा खजुरी खाता है, मिठाई और खट्टा टमाटर की चटनी तारीखों के साथ। अपने विशाल समुद्र तट के कारण, बड़ी संख्या में लोग मछली और समुद्री व्यंजनों का सेवन करते हैं। झींगा, मछलियों, केकड़ों से बना व्यंजन सबसे लोकप्रिय और मुंह में पानी हैं। होंठ स्वाद वाली व्यंजनों में माख्ही करी, झींगा मलाई करी, केबड़ा कालिया और मिर्च मछली शामिल हैं। 'चनेवेडा' एक और स्वादिष्ट पकवान है। मौसमी सब्जियां मछली के सिर के साथ पकायी जाती हैं मिठाई दाँत प्रसन्नता से किसी भी व्यंजन का एक अनिवार्य हिस्सा बनाते हैं। पूरे देश में उड़ीसा की मीठे व्यंजन बहुत लोकप्रिय हैं। अनूठा, सबसे शानदार दूध की तैयारी में रज्गुला, रसलाई, खर्मोहण, रसबाली, कलाकंद शामिल हैं। उड़िया डेसर्ट की मुख्य सामग्री में चहना (कुटी पनीर का एक रूप), चावल, नारियल और गेहूं का आटा शामिल हैं। चेनपोडपति, कैरमेलाइज्ड कस्टर्ड-जैसे मिठाई एक और mouthwatering मिठाई विनम्रता है। 'महाप्रसाद' भगवान जगन्नाथ का भोजन है और जगन्नाथ मंदिर के आनंद बाजार में उपलब्ध है। यह दुनिया में सबसे बड़ी रसोईघर है जो इस मंदिर के रसोई घर में बड़े पैमाने पर खाना पकाने का स्थान है जो इस पवित्र भोजन की विशेषता है।  इसे शाकाहारी या गैर शाकाहारी बनाओ, हर खाद्य प्रेमी उड़िया व्यंजनों के स्वादिष्ट व्यंजनों को पसंद कर सकता है, जो विविधता और स्वाद से भरा है चेना पोडा चेना पोडा (बेकड कॉटेज पनीर) उड़ीसा, भारत की एक मिठाई व्यंजन है चेना पॉडा का शाब्दिक अर्थ पनीर बन गया है; चेना कुटीर पनीर है और पोडा जलने का मतलब है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिव्य मिठाई व्यंजन को ओडिशा के न्यागढ़ जिले में बीसवीं सदी के पहले छमाही में उत्पन्न हुआ था। यह भगवान जगन्नाथ को दिया जाता है च्न्हा पांडा घर बनाया पनीर से बना है कॉटेज पनीर को सूजी और गूंध से मिलाया जाता है। यह इलायची के साथ स्वाद है और कुछ सूखे फल जोड़ रहे हैं। यह caramelized चीनी के साथ लेपित कंटेनर में पकाया जाता है पकवान केवल दिव्य है! हालांकि, स्वाद दुनिया के बाहर ही था। आज, यह पश्चिम बंगाल और भारत में कहीं और भी बना है। इसके अलावा यह बेटलीगांव, पलाशही, धूसुरी, भद्रक, ओडिशा में बहुत प्रसिद्ध है  RASABALI रसबाली केंद्रपारा ओडिशा से उत्पन्न हुई है रसाबली को भगवान बलदेवजे को पेश किया जाता है, और उड़ीसा के केन्द्रपाड़ा जिले के बालदेवजे मंदिर में इसका जन्म हुआ। यह पुरी जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ के चपापन भोग में से एक है। रसाबली में चने (कुटी पनीर) की गहरी तली हुई चपटे लाल भूरे रंग के पैटी होते हैं जो मोटे हुए, मीठे दूध में भिगोते हैं। चना (पनीर) को ताड़ के आकार वाले पैटीज़ में सपाट किया जाता है ताकि उन्हें दूध को और अधिक आसानी से अवशोषित करने की अनुमति मिल सके। मोटा हुआ दूध आमतौर पर कुचल इलायची के साथ हल्के ढंग से पका हुआ होता है। मुड़ी (पफड चावल) मुड़ी ओडिशा के लोगों का एक प्रमुख भोजन है विशेष रूप से मुड़ी प्रसिद्ध और अधिकतम ओड़िशा के बरीपादा और मयूरभंज जिले से उत्पादित है, और पूरे राज्य में यह शाम स्नैक्स के रूप में नाश्ता या हाय चाय के दौरान खाया जाता है। यह एक रेत भरे ओवन में चावल को गर्म करके बनाया जाता है। मुरी चावल है क्योंकि मकई के लिए पॉपकॉर्न है। इसमें प्रसंस्करण चावल को कम नाश करने योग्य है। अब कई गैर सरकारी संगठन आगे आए और मुड़ी के उत्पादन के लिए महिलाओं को शामिल करने की पहल की। उड़ीसा विश्वविद्यालय के कृषि और प्रौद्योगिकी (ओयूएटी) के बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) सेल ने मुधी के भौगोलिक संकेत (जीआई) पंजीकरण को लाने का निर्णय लिया है।  दाहरी बार - ओलो ड्यूम 'दहिबाड़ा-घुग्नी-अलुदम' ओडिशा का सबसे लोकप्रिय सड़क खाना ओक कटकैक्सिस्टिक्स है। यह ओडिशा के तीन अलग-अलग व्यंजनों का एक बड़ा संयोजन है। बहुत से लोग सोचते हैं कि अलू डम और घग्नी जैसे करी जैसे दही वदाओं के साथ जोड़ा जाना चाहिए। यह संयोजन नाश्ता, दोपहर के भोजन के लिए और रात के खाने के लिए भी लिया जा सकता है। आजकल आप इसे ओडिशा के हर जगह और कोने में पा सकते हैं और हर कोई इसके बारे में पागलपन रखता है। 10 रुपये प्रति प्लेट से शुरू होने वाली एक सस्ती कीमत टैग के साथ ही गरीबों को भी वहन कर सकता था। एक अतिरिक्त लाभ यह है कि विक्रेता काफी अच्छी मात्रा में सेवा करते हैं। औसतन पूरे शहर में लगभग 4,000 डाहिबारा विक्रेताओं हैं। और एक ही दिन, यहां तक ​​कि छोटे विक्रेताओं के पास 7,000 से 10,000 रुपये तक की कमाई होती है। यदि आप कभी भी कटक जाने के लिए होते हैं, तो आप इस चाट खाने की गंध से बच नहीं सकते इस शहर के प्रसिद्ध क्रिकेट स्टेडियम हमेशा इसे आनंद ले रहे लोगों के साथ भीड़ है। दही बार (दही वडे), मसालेदार अलू डम और फायर गुगुनी (पीले मटर की करी) का मसालेदार विचार।  मीठी लस्सी लस्सी एक बहुत ही सामान्य शब्द है जो भारत के उत्तरी भाग में विशेष रूप से दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में है। और यह पूरे भारत में एक स्वस्थ पेय के रूप में माना जाता है। विभिन्न प्रकार के लस्सी हैं जैसे विमान लस्सी, नमकीन लस्सी, टकसाल लस्सी, भांग लस्सी, आम लस्सी, स्ट्रॉबेरी लस्सी। लेकिन उड़ीसा में लस्सी उत्तरी में सेवारत एक से अलग है। गर्मियों के महीनों के दौरान, इन सभी छोटे तंबू शहर के सभी प्रमुख बाजारों में आते हैं। रंगीन स्क्वैश के साथ बोतलबंद स्टाइल युक्त सजाया। ओडिशा लस्सी को आम तौर पर मीठा दही को पीसकर नारियल, कटा हुआ सूखे फल, कोको पाउडर, गाढ़ा दूध और तुतीय फल मिलाया जाता है। फिर 1 चम्मच राबरी छिड़कें। शीर्ष पर शीर्ष पर चेरी फलों के साथ कोको चिप्स और गार्निश छिड़कें। इसे चम्मच और पुआल के साथ ठंडा परोसें। यह पेय एक पूरे भोजन है एक ग्लास लस्सी पीने के बाद आप कुछ और नहीं खाते हैं यह बहुत अच्छा है गर्मी हरा....

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ओड़िशा का इतिहास

प्राचीन काल से मध्यकाल तक ओडिशा राज्य को कलिंग, उत्कल, उत्करात, ओड्र, ओद्र, ओड्रदेश, ओड, ओड्रराष्ट्र, त्रिकलिंग, दक्षिण कोशल, कंगोद, तोषाली, छेदि तथा मत्स आदि नामों से जाना जाता था। परन्तु इनमें से कोई भी नाम सम्पूर्ण ओडिशा को इंगित नहीं करता था। अपितु यह नाम समय-समय पर ओडिशा राज्य के कुछ भाग को ही प्रस्तुत करते थे। वर्तमान नाम ओडिशा से पूर्व इस राज्य को मध्यकाल से 'उड़ीसा' नाम से जाना जाता था, जिसे अधिकारिक रूप से 04 नवम्बर, 2011 को 'ओडिशा' नाम में परिवर्तित कर दिया गया। ओडिशा नाम की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द 'ओड्र' से हुई है। इस राज्य की स्थापना भागीरथ वंश के राजा ओड ने की थी, जिन्होने अपने नाम के आधार पर नवीन ओड-वंश व ओड्र राज्य की स्थापना की। समय विचरण के साथ तीसरी सदी ई०पू० से ओड्र राज्य पर महामेघवाहन वंश, माठर वंश, नल वंश, विग्रह एवं मुदगल वंश, शैलोदभव वंश, भौमकर वंश, नंदोद्भव वंश, सोम वंश, गंग वंश व सूर्य वंश आदि सल्तनतों का आधिपत्य भी रहा। प्राचीन काल में ओडिशा राज्य का वृहद भाग कलिंग नाम से जाना जाता था। सम्राट अशोक ने 261 ई०पू० कलिंग पर चढ़ाई कर विजय प्राप्त की। कर्मकाण्ड से क्षुब्द हो सम्राट अशोक ने युद्ध त्यागकर बौद्ध मत को अपनाया व उनका प्रचार व प्रसार किया। बौद्ध धर्म के साथ ही सम्राट अशोक ने विभिन्न स्थानों पर शिलालेख गुदवाये तथा धौली व जगौदा गुफाओं (ओडिशा) में धार्मिक सिद्धान्तों से सम्बन्धित लेखों को गुदवाया। सम्राट अशोक, कला के माध्यम से बौद्ध धर्म का प्रचार करना चाहते थे इसलिए सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को और अधिक विकसित करने हेतु ललितगिरि, उदयगिरि, रत्नागिरि व लगुन्डी (ओडिशा) में बोधिसत्व व अवलोकेतेश्वर की मूर्तियाँ बहुतायत में बनवायीं। 232 ई०पू० सम्राट अशोक की मृत्यु के पश्चात् कुछ समय तक मौर्य साम्राज्य स्थापित रहा परन्तु 185 ई०पू० से कलिंग पर चेदि वंश का आधिपत्य हो गया था। चेदि वंश के तृतीय शासक राजा खारवेल 49 ई० में राजगद्दी पर बैठा तथा अपने शासन काल में जैन धर्म को विभिन्न माध्यमों से विस्तृत किया, जिसमें से एक ओडिशा की उदयगिरि व खण्डगिरि गुफाऐं भी हैं। इसमें जैन धर्म से सम्बन्धित मूर्तियाँ व शिलालेख प्राप्त हुए हैं। चेदि वंश के पश्चात् ओडिशा (कलिंग) पर सातवाहन राजाओं ने राज्य किया। 498 ई० में माठर वंश ने कलिंग पर अपना राज्य कर लिया था। माठर वंश के बाद 500 ई० में नल वंश का शासन आरम्भ हो गया। नल वंश के दौरान भगवान विष्णु को अधिक पूजा जाता था इसलिए नल वंश के राजा व विष्णुपूजक स्कन्दवर्मन ने ओडिशा में पोडागोड़ा स्थान पर विष्णुविहार का निर्माण करवाया। नल वंश के बाद विग्रह एवं मुदगल वंश, शैलोद्भव वंश और भौमकर वंश ने कलिंग पर राज्य किया। भौमकर वंश के सम्राट शिवाकर देव द्वितीय की रानी मोहिनी देवी ने भुवनेश्वर में मोहिनी मन्दिर का निर्माण करवाया। वहीं शिवाकर देव द्वितीय के भाई शान्तिकर प्रथम के शासन काल में उदयगिरी-खण्डगिरी पहाड़ियों पर स्थित गणेश गुफा (उदयगिरी) को पुनः निर्मित कराया गया तथा साथ ही धौलिगिरी पहाड़ियों पर अर्द्यकवर्ती मठ (बौद्ध मठ) को निर्मित करवाया। यही नहीं, राजा शान्तिकर प्रथम की रानी हीरा महादेवी द्वारा 8वीं ई० हीरापुर नामक स्थान पर चौंसठ योगनियों का मन्दिर निर्मित करवाया गया। 6वीं-7वीं शती कलिंग राज्य में स्थापत्य कला के लिए उत्कृष्ट मानी गयी। चूँकि इस सदी के दौरान राजाओं ने समय-समय पर स्वर्णाजलेश्वर, रामेश्वर, लक्ष्मणेश्वर, भरतेश्वर व शत्रुघनेश्वर मन्दिरों (6वीं सदी) व परशुरामेश्वर (7वीं सदी) में निर्माण करवाया। मध्यकाल के प्रारम्भ होने से कलिंग पर सोमवंशी राजा महाशिव गुप्त ययाति द्वितीय सन् 931 ई० में गद्दी पर बैठा तथा कलिंग के इतिहास को गौरवमयी बनाने हेतु ओडिशा में भगवान जगन्नाथ के मुक्तेश्वर, सिद्धेश्वर, वरूणेश्वर, केदारेश्वर, वेताल, सिसरेश्वर, मारकण्डेश्वर, बराही व खिच्चाकेश्वरी आदि मन्दिरों सहित कुल 38 मन्दिरों का निर्माण करवाया। 15वीं शती के अन्त तक जो गंग वंश हल्का पड़ने लगा था उसने सन् 1038 ई० में सोमवंशीयों को हराकर पुनः कलिंग पर वर्चस्व स्थापित कर लिया तथा 11वीं शती में लिंगराज मन्दिर, राजारानी मन्दिर, ब्रह्मेश्वर, लोकनाथ व गुन्डिचा सहित कई छोटे व बड़े मन्दिरों का निर्माण करवाया। गंग वंश ने तीन शताब्दियों तक कलिंग पर अपना राज्य किया तथा राजकाल के दौरान 12वीं-13वीं शती में भास्करेश्वर, मेघेश्वर, यमेश्वर, कोटी तीर्थेश्वर, सारी देउल, अनन्त वासुदेव, चित्रकर्णी, निआली माधव, सोभनेश्वर, दक्क्षा-प्रजापति, सोमनाथ, जगन्नाथ, सूर्य (काष्ठ मन्दिर) बिराजा आदि मन्दिरों को निर्मित करवाया जो कि वास्तव में कलिंग के स्थापत्य इतिहास में अहम भूमिका का निर्वाह करते हैं। गंग वंश के शासन काल पश्चात् 1361 ई० में तुगलक सुल्तान फिरोजशाह तुगलक ने कलिंग पर राज्य किया। यह वह दौर था जब कलिंग में कला का वर्चस्व कम होते-होते लगभग समाप्त ही हो चुका था। चूँकि तुगलक शासक कला-विरोधी रहे इसलिए किसी भी प्रकार के मन्दिर या मठ का निर्माण नहीं हुअा। 18वीं शती के आधुनिक काल में ईस्ट इण्डिया कम्पनी का सम्पूर्ण भारत पर अधिकार हो गया था परन्तु 20वीं शती के मध्य में अंग्रेजों के निगमन से भारत देश स्वतन्त्र हुआ। जिसके फलस्वरूप सम्पूर्ण भारत कई राज्यों में विभक्त हो गया, जिसमें से भारत के पूर्व में स्थित ओडिशा (पूर्व कलिंग) भी एक राज्य बना। .

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ओड़िशा के जिले

यह सूची ओड़िशा के जिलों की है:-.

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ओलम्पिक में भारत

1936 के बर्लिन ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम जिसने आगे चल कर फाइनल में जर्मनी को 8-1 से हराया ओलम्पिक में भारत ने सबसे पहले 1900 में, एकमात्र खिलाड़ी के साथ भाग लिया, जिसने एथलेटिक्स में दो रजत पदक जीते। 1920 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में देश ने पहली बार एक टीम भेजी और उसके बाद से हर ग्रीष्मकालीन खेलों में भाग लिया है। १९६४ से शीतकालीन ओलंपिक खेलों में भी भारत ने कई बार भाग लिया है। २०१६ ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक शुरु होने तक भारत के खाते में कुल 26 पदक थे, जो कि सभी ग्रीष्मकालीन खेलों में जीते गए, शीतकालीन खेलों में पदक जीतने में भारत को अभी तक सफलता नहीं मिली है। 1920 और 1980 तक एक लंबे समय तक ओलम्पिक में भारत की राष्ट्रीय हॉकी टीम का दबदबा बना रहा। इस बीच हुए हुए बारह खेलों में से भारत ने ग्यारह पदक जीते जिनमें 8 स्वर्ण पदक थे और 1928-1956 तक छह स्वर्ण पदक लगातार जीते थेा .

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औपनिवेशिक भारत

20 मई 1498 को वास्को डा गामा के कालीकट पहुंचने के साथ ही भारत के यूरोपीय उपनिवेशीकरण का ग्रहण आरम्भ हो गया। औपनिवेशिक भारत, भारतीय उपमहाद्वीप का वह भूभाग है जिसपर यूरोपीय साम्राज्य था। .

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आन्ध्र प्रदेश

आन्ध्र प्रदेश ఆంధ్ర ప్రదేశ్(अनुवाद: आन्ध्र का प्रांत), संक्षिप्त आं.प्र., भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित राज्य है। क्षेत्र के अनुसार यह भारत का चौथा सबसे बड़ा और जनसंख्या की दृष्टि से आठवां सबसे बड़ा राज्य है। इसकी राजधानी और सबसे बड़ा शहर हैदराबाद है। भारत के सभी राज्यों में सबसे लंबा समुद्र तट गुजरात में (1600 कि॰मी॰) होते हुए, दूसरे स्थान पर इस राज्य का समुद्र तट (972 कि॰मी॰) है। हैदराबाद केवल दस साल के लिये राजधानी रहेगी, तब तक अमरावती शहर को राजधानी का रूप दे दिया जायेगा। आन्ध्र प्रदेश 12°41' तथा 22°उ॰ अक्षांश और 77° तथा 84°40'पू॰ देशांतर रेखांश के बीच है और उत्तर में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा, पूर्व में बंगाल की खाड़ी, दक्षिण में तमिल नाडु और पश्चिम में कर्नाटक से घिरा हुआ है। ऐतिहासिक रूप से आन्ध्र प्रदेश को "भारत का धान का कटोरा" कहा जाता है। यहाँ की फसल का 77% से ज़्यादा हिस्सा चावल है। इस राज्य में दो प्रमुख नदियाँ, गोदावरी और कृष्णा बहती हैं। पुदु्चेरी (पांडीचेरी) राज्य के यानम जिले का छोटा अंतःक्षेत्र (12 वर्ग मील (30 वर्ग कि॰मी॰)) इस राज्य के उत्तरी-पूर्व में स्थित गोदावरी डेल्टा में है। ऐतिहासिक दृष्टि से राज्य में शामिल क्षेत्र आन्ध्रपथ, आन्ध्रदेस, आन्ध्रवाणी और आन्ध्र विषय के रूप में जाना जाता था। आन्ध्र राज्य से आन्ध्र प्रदेश का गठन 1 नवम्बर 1956 को किया गया। फरवरी 2014 को भारतीय संसद ने अलग तेलंगाना राज्य को मंजूरी दे दी। तेलंगाना राज्य में दस जिले तथा शेष आन्ध्र प्रदेश (सीमांन्ध्र) में 13 जिले होंगे। दस साल तक हैदराबाद दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी होगी। नया राज्य सीमांन्ध्र दो-तीन महीने में अस्तित्व में आजाएगा अब लोकसभा/राज्यसभा का 25/12सिट आन्ध्र में और लोकसभा/राज्यसभा17/8 सिट तेलंगाना में होगा। इसी माह आन्ध्र प्रदेश में राष्ट्रपति शासन भी लागू हो गया जो कि राज्य के बटवारे तक लागू रहेगा। .

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आन्ध्र प्रदेश का खाना

खाना, आंध्र प्रदेश का खाना, आंध्र प्रदेश का.

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आम आदमी पार्टी

आम आदमी पार्टी, संक्षेप में आप, सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल एवं अन्ना हजारे के लोकपाल आंदोलन से जुड़े बहुत से सहयोगियों द्वारा गठित एक भारतीय राजनीतिक दल है। इसके गठन की आधिकारिक घोषणा २६ नवम्बर २०१२ को भारतीय संविधान अधिनियम की ६३ वीं वर्षगाँठ के अवसर पर जंतर मंतर, दिल्ली में की गयी थी। सन् २०११ में इंडिया अगेंस्ट करपशन नामक संगठन ने अन्ना हजारे के नेतृत्व में हुए जन लोकपाल आंदोलन के दौरान भारतीय राजनीतिक दलों द्वारा जनहित की उपेक्षा के खिलाफ़ आवाज़ उठाई। अन्ना भ्रष्टाचार विरोधी जनलोकपाल आंदोलन को राजनीति से अलग रखना चाहते थे, जबकि अरविन्द केजरीवाल और उनके सहयोगियों की यह राय थी कि पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा जाये। इसी उद्देश्य के तहत पार्टी पहली बार दिसम्बर २०१३ में दिल्ली विधानसभा चुनाव में झाड़ू चुनाव चिन्ह के साथ चुनावी मैदान में उतरी। पार्टी ने चुनाव में २८ सीटों पर जीत दर्ज की और कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में सरकार बनायी। अरविन्द केजरीवाल ने २८ दिसम्बर २०१३ को दिल्ली के ७वें मुख्य मन्त्री पद की शपथ ली। ४९ दिनों के बाद १४ फ़रवरी २०१४ को विधान सभा द्वारा जन लोकपाल विधेयक प्रस्तुत करने के प्रस्ताव को समर्थन न मिल पाने के कारण अरविंद केजरीवाल की सरकार ने त्यागपत्र दे दिया। .

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आहोम साम्राज्य

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आईएसओ ४२१७

Exchange rates display at a Bureau de change listing currency names in English and their ISO 4217 codes. This list displays the United Kingdom as 'England', one of its constituent countries, in addition to displaying the Republic of China as 'Taiwan' and South Korea as 'Korea'. € आईएसओ ४२१७ (अंग्रेज़ी:ISO 4217) एक अंतर्राष्ट्रीय मानक है, जो तीन-अक्षरीय मुद्रा कूट बताता है। इसको अंतर्राष्ट्रीय मानक संगठन द्वारा मानकीकृत किया गया है। .

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आंध्र प्रदेश के जिले

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आइएसओ 3166-2:आइएन

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आइएसओ ३१६६ - १

देशों की सूची - ISO 3166-1.

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इण्टरपोल

फ्रांस के लियों शहर में स्थित इन्टरपोल का मुख्यालय इण्टरपोल (Interpol) का पूरा नाम है - अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संस्था (International Criminal Police Organization)। यह अन्तरराष्ट्रीय संस्था है जो विभिन्न देशों के पुलिस के बीच सहयोग करके अन्तरराष्ट्रीय अपराधियों को पकड़ती है। .

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इंडियन प्रीमियर लीग

इंडियन प्रीमियर लीग (संक्षिप्त में IPL) भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड द्वारा संचालित ट्वेन्टी ट्वेन्टी प्रतियोगिता है। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के भारत में एक पेशेवर ट्वेन्टी ट्वेन्टी क्रिकेट लीग भारतीय शहरों का प्रतिनिधित्व मताधिकार टीमों द्वारा हर साल चुनाव लड़ा है। लीग, 2007 में भारत (बीसीसीआई) के सदस्य ललित मोदी ने क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा स्थापित किया गया, अप्रैल और हर साल के मई के ऊपर निर्धारित है। 2016 में आईपीएल का टाइटल प्रायोजक विवो इलेक्ट्रॉनिक्स, इस प्रकार लीग को आधिकारिक तौर पर विवो इंडियन प्रीमियर लीग के रूप में जाना जाता है। आईसीसी भविष्य यात्रा कार्यक्रम में एक विशेष विंडो है। आईपीएल दुनिया में सबसे-भाग लिया क्रिकेट लीग है और सभी खेल लीग के बीच छठे स्थान पर है। 2010 में आईपीएल बन गया दुनिया में पहली बार खेल के आयोजन यूट्यूब पर सीधा प्रसारण किया जाएगा। आईपीएल की ब्रांड वैल्यू अमेरिकी मूल्यांकन, गूंथा हुआ आटा और फेल्प्स के एक प्रभाग द्वारा अमेरिका में 2015 में 3.5 अरब $ होने का अनुमान था। बीसीसीआई के मुताबिक, 2015 आईपीएल सीजन भारतीय अर्थव्यवस्था के जीडीपी में 11.5 लाख ₹ (अमेरिका $ 182 मिलियन) का योगदान दिया। 13 टीमों को लीग के पहले सत्र के बाद से प्रतिस्पर्धा करने के लिए है, छह में कम से कम एक बार खिताब जीत लिया है। जबकि राजस्थान रॉयल्स, डेक्कन चार्जर्स और सनराइजर्स हैदराबाद एक बार जीत लिया है तथा मुंबई इंडियंस, चेन्नई सुपर किंग्स तीन बार और कोलकाता नाइट राइडर्स, ने दो बार जीत लिया है। चेन्नई सुपर किंग्स मौजूदा चैंपियन 2018 के मौसम जीत चुके हैं। 2014 तक इस टूर्नामेंट में शीर्ष तीन टीमों को चैंपियंस लीग ट्वेंटी20 के लिए क्वालीफाई किया। हालांकि, चैंपियंस लीग ट्वेंटी20 2015 में बंद किया गया था और तब से मृत हो गया है। .

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इंडियन बैडमिंटन लीग

भारतीय बैडमिंटन लीग(संछिप्त में आई॰बी॰एल) भारतीय बैडमिंटन संघ (बीएआई) द्वारा शुरू की गयी फ्रेंचाइजी आधारित बैडमिंटन प्रतियोगिता है। इस प्रतियोगिता का पहला संस्करण 14 से 31 अगस्त 2013 तक भारत में खेला जायेगा। इसमें भारतीय खिलाड़ियों के साथ-साथ विदेशी खिलाड़ी भी शामिल होंगे। पहले आई॰बी॰एल के लिए खिलाड़ियों की नीलामी 22 जुलाई 2013 को दिल्ली में आयोजित की गई थी। इस लीग में 6 टीमें हिस्सा लेंगी। इन छह फ्रेंचाइजी टीमों में हैदराबाद हॉटशॉट्स, बांगा बीट्स, क्रिश दिल्ली स्मैशर्स, अवध वारियर्स, पुणे पिस्टंस और मुम्बई मास्टर्स शामिल हैं। बीएआई ने सभी शीर्ष बैडमिंटन खिलाड़ियों के लिए इस लीग में भाग लेना अनिवार्य कर दिया गया है। .

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इंडियन सुपर लीग

इंडियन सुपर लीग (जिसे हीरो इंडियन सुपर लीग) के नाम से भी जाना जाता है) भारतीय व्यवसायिक फुटबॉल लीग है। लीग में पुरे भारत से १० फ्रेंचाइजी टीमें है। यह सितम्बर से दिसंबर के बिच खेली जाती है और फ़ाइनलस में श्रुंखला का विजेता घोषित किया जाता है। इसका गठन २०१३ में भारत में फुटबॉल को प्रोत्साहित करने व भारतीय फुटबॉल को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लाने के लिए किया गया था। यह लीग ट्वेन्टी ट्वेन्टी क्रिकेट, इंडियन प्रीमियर लीग व मेजर लीग सॉकर के क़दमों पर चलती है। दो बार कोलकाता ने एवं दो बार चेन्नई ने इस प्रोटियोगिता का खिताब अपने नाम किया है। २०१८ में 2 नई दलो ने नामांकन किया है वह है बेंगलुरु और जमशेदपुर । .

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कन्नड़ फिल्मों की सूची

The list of Kannada feature films released by the Kannada film Industry located in Bangalore, Karnataka.

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कन्नड़ भाषा

कन्नड़ (ಕನ್ನಡ) भारत के कर्नाटक राज्य में बोली जानेवाली भाषा तथा कर्नाटक की राजभाषा है। यह भारत की उन २२ भाषाओं में से एक है जो भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में साम्मिलित हैं। name.

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कन्नड़ साहित्य

प्राचीन कन्नड शिलालेख (578 ई; बदामी चालुक्य राजवंश; बदामी गुफा मंदिर संख्या-३) कन्नड साहित्य का इतिहास लगभग डेढ़ हजार वर्ष पुराना है। R.S. Mugali (2006), The Heritage of Karnataka, pp.

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कबड्डी

कबड्डी एक खेल है, जो मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में खेली जाती है। कबड्डी नाम का प्रयोग प्राय: उत्तर भारत में किया जाता है, इस खेल को दक्षिण में चेडुगुडु और पूरब में हु तू तू के नाम से भी जानते हैं। यह खेल भारत के पड़ोसी देश नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और पाकिस्तान में भी उतना ही लोकप्रिय है। तमिल, कन्नड और मलयालम में ये मूल शब्द, (கை-பிடி) "कै" (हाथ), "पिडि" (पकडना) का रूपान्तरण है, जिसका अनुवाद है 'हाथ पकडे रहना'। कबड्डी, बांग्लादेश का राष्ट्रीय खेल है। .

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कर्नाटक में पर्यटन

केशव मंदिर, सोमनाथपुर अपने विस्तृत भूगोल एवं लम्बे इतिहास के कारण कर्नाटक में बड़ी संख्या में पर्यटन आकर्षण भरे हुए हैं। राज्य में जहां एक ओर प्राचीन शिल्पकला से परिपूर्ण मंदिर हैं तो वहीं आधुनिक नगर भी हैं, जहां एक ओर नैसर्गिक पर्वतमालाएं हैं तो वहीं अनान्वेषित वन संपदा भी है और जहां व्यस्त व्यावसायिक कार्यकलापों में उलझे शहरी मार्ग हैं, वहीम दूसरी ओर लम्बे सुनहरे रेतीले एवं शांत सागरतट भी हैं। कर्नाटक राज्य को भारत के राज्यों में सबसे प्रचलित पर्यटन गंतव्यों की सूची में चौथा स्थान मिला है। राज्य में उत्तर प्रदेश के बाद सबसे अधिक राष्ट्रीय संरक्षित उद्यान एवं वन हैं, जिनके साथ ही यहां राज्य पुरातत्त्व एवं संग्रहालय निदेशलय द्वारा संरक्षित ७५२ स्मारक भी हैं। इनके अलावा अन्य २५,००० स्मारक भी संरक्षण प्राप्त करने की सूची में हैं। बीजापुर का गोल गुम्बज, बाईज़ैन्टाइन साम्राज्य के हैगिया सिफिया के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गुम्बद है। पारिस्थितिकी पर्यटन स्थल हैं जिनमें कुद्रेमुख, मडिकेरी तथा अगुम्बे आते हैं। राज्य में २५ वन्य जीवन अभयारण्य एवं ५ राष्ट्रीय उद्यान हैं। इनमें से कुछ प्रसिद्ध हैं: बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान, बनेरघाटा राष्ट्रीय उद्यान एवं नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान। हम्पी में विजयनगर साम्राज्य के अवशेष तथा पत्तदकल में प्राचीन पुरातात्त्विक अवशेष युनेस्को विश्व धरोहर चुने जा चुके हैं। इनके साथ ही बादामी के गुफा मंदिर तथा ऐहोल के पाषाण मंदिर बादामी चालुक्य स्थापात्य के अद्भुत नमूने हैं तथा प्रमुख पर्यटक आकर्षण बने हुए हैं। बेलूर तथा हैलेबिडु में होयसाल मंदिर क्लोरिटिक शीस्ट (एक प्रकार के सोपस्टोन) से बने हुए हैं एवं युनेस्को विश्व धरोहर स्थल बनने हेतु प्रस्तावित हैं। यहाम बने गोल गुम्बज तथा इब्राहिम रौज़ा दक्खन सल्तनत स्थापत्य शैली के अद्भुत उदाहरण हैं। श्रवणबेलगोला स्थित गोमतेश्वर की १७ मीटर ऊंची मूर्ति जो विश्व की सर्वोच्च एकाश्म प्रतिमा है, वार्षिक महामस्तकाभिषेक उत्सव में सहस्रों श्रद्धालु तीर्थायात्रियों का आकर्षण केन्द्र बनती है।कीएय (२०००), पृ.

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कर्नाटक में शिक्षा

भारतीय विज्ञान संस्थान, भारत का एक प्रतिष्ठित विज्ञान संस्थान, बंगलुरु में स्थित है २००१ की जनसंख्या अनुसार, कर्नाटक की साक्षरता दर ६७.०४% है, जिसमें ७६.२९% पुरुष तथा ५७.४५% स्त्रियाँ हैं। राज्य में भारत के कुछ प्रतिष्ठित शैक्षिक और अनुसंधान संस्थान भी स्थित हैं, जैसे भारतीय विज्ञान संस्थान, भारतीय प्रबंधन संस्थान, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कर्नाटक और भारतीय राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय। मार्च २००६ के अनुसार, कर्नाटक में ५४,५२९ प्राथमिक विद्यालय हैं, जिनमें २,५२,८७५ शिक्षक तथा ८४.९५ लाख विद्यार्थी हैं। इसके अलावा ९४९८ माध्यमिक विद्यालय जिनमें ९२,२८७ शिक्षक तथा १३.८४ लाख विद्यार्थी हैं। राज्य में तीन प्रकार के विद्यालय हैं, सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त निजी (सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्राप्त) एवं पूर्णतया निजी (कोई सरकारी सहायता नहीं)। अधिकांश विद्यालयों में शिक्षा का माध्यम कन्नड़ एवं अंग्रेज़ी है। विद्यालयों में पढ़ाया जाने वाला पाठ्यक्रम या तो सीबीएसई, आई.सी.एस.ई या कर्नाटक सरकार के शिक्षा विभाग के अधीनस्थ राज्य बोर्ड पाठ्यक्रम (एसएसएलसी) से निर्देशित होता है। कुछ विद्यालय ओपन स्कूल पाठ्यक्रम भी चलाते हैं। राज्य में बीजापुर में एक सैनिक स्कूल भि है। विद्यालयों में अधिकतम उपस्थिति को बढ़ावा देने हेतु, कर्नाटक सरकार ने सरकारी एवं सहायता प्राप्त विद्यालयों में विद्यार्थियों हेतु निःशुल्क अपराह्न-भोजन योजना आरंभ की है। राज्य बोर्ड परीक्षाएं माध्यमिक शिक्षा अवधि के अंत में आयोजित की जाती हैं, जिसमें उत्तीर्ण होने वाले छात्रों को द्विवर्षीय विश्वविद्यालय-पूर्व कोर्स में प्रवेश मिलता है। इसके बाद विद्यार्थी स्नातक पाठ्यक्रम के लिये अर्हक होते हैं। राज्य में यहां के विश्वविद्यालयों जैसे बंगलुरु विश्वविद्यालय,गुलबर्ग विश्वविद्यालय, कर्नाटक विश्वविद्यालय, कुवेंपु विश्वविद्यालय, मंगलौर विश्वविद्यालय तथा मैसूर विश्वविद्यालय, आदि से मान्यता प्राप्त ४८१ स्नातक महाविद्यालय हैं। १९९८ में राज्य भर के अभियांत्रिकी महाविद्यालयों को नवगठित बेलगाम स्थित विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अंतर्गत्त लाया गया, जबकि चिकित्सा महाविद्यालयों को राजीव गांधी स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के अधिकारक्षेत्र में लाया गया था। इनमें से कुछ अच्छे महाविद्यालयों को मानित विश्वविद्यालय का दर्जा भि प्रदान किया गया था। राज्य में १२३ अभियांत्रिकी, ३५ चिकित्सा ४० दंतचिकित्सा महाविद्यालय हैं। राज्य में वैदिक एवं संस्कृत शिक्षा हेतु उडुपी, शृंगेरी, गोकर्ण तथा मेलकोट प्रसिदध स्थान हैं। केन्द्र सरकार की ११वीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत्त मुदेनहल्ली में एक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की सथापना को स्वीकृति मिल चुकी है। ये राज्य का प्रथम आई.आई.टी संस्थान होगा। इसके अतिरिक्त मेदेनहल्ली-कानिवेनारायणपुरा में विश्वेश्वरैया उन्नत प्रौद्योगिकी संस्थान का ६०० करोड़ रुपये की लागत से निर्माण प्रगति पर है। .

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कर्नाटक सरकार

बंगलुरु स्थित कर्नाटक सरकार का विधान भवन: विधान सौध कर्नाटक राज्य में भारत के अन्र राज्यों कि भांति ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया द्वारा चुनी गयी एक द्विसदनीय संसदीय सरकार है: विधान सभा एवं विधानपरिषद। विधाण सभा में २४ सदस्य हैं जो पांच वर्ष की अवधि हेतु चुने जाते हैं। विधान परिषद एक ७५ सदस्यीय स्थायी संस्था है और इसके एक-तिहाई सदस्य (२५) प्रत्येक २ वर्ष में सेवा से निवृत्त होते जाते हैं। कर्नाटक सरकार की अध्यक्षता शासन में आयी पार्टी के सदस्य द्वारा चुने गये मुख्य मंत्री करते हैं। मुख्य मंत्री अपने मंत्रिमंडल सहित तय किये गए विधायी एजेंडा का पालन अपनी अधिकांश कार्यकारी शक्तियों के उपयोग से करते हैं। फिर भी राज्य का संवैधानिक एवं औपचार्क अध्यक्ष राज्यपाल ही कहलाता है। राज्यपाल को ५ वर्ष की अवधि हेतु केन्द्र सरकार के परामर्ष से भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। कर्नाटक राज्य की जनता द्वारा आम चुनावों के माध्यम से २८ सदस्य लोक सभा हेतु भी चुने जाते हैं। विधान परिषद के सदस्य भारत के संसद के उच्च सदन, राज्य सभा हेतु १२ सदस्य चुन कर भेजते हैं। प्रशासनिक सुविधा हेतु कर्नाटक राज्य को चार राजस्व विभागों, ४९ उप-मंडलों, २९ जिलों, १७५ तालुक तथा ७४५ राजस्व वृत्तों में बांटा गया है। प्रत्येक जिले के प्रशासन का अध्यक्ष वहां का उपायुक्त (डिप्टी कमिश्नर) होता है। उपायुक्त एक भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी होता है तथा उसकी सहायता हेतु राज्य सरकार के अनेक उच्चाधिकारी तत्पर रहते हैं। भारतीय पुलिस सेवा से एक अधिकारी राज्य में उपायुक्त पद पर आसीन रह्ता है। उसके अधीन भी राज्य पुलिस सेवा के अनेक उच्चाधिकारी तत्पर रहते हैं। पुलिस उपायुक्त जिले में न्याय और प्रशासन संबंधी देखभाल के लिये उत्तरदायी होता है। भारतीय वन सेवा से एक अधिकारी वन उपसंक्षक अधिकारी (डिप्टी कन्ज़र्वेटर ऑफ फ़ॉरेस्ट्स) के पद पर तैनात होता है। ये जिले में वन और पादप संबंधी मामलों हेतु उत्तरदायी रहता है। प्रत्येक विभाग के विकास अनुभाग के जिला अधिकारी राज्य में विभिन्न प्रकार की प्रगति देखते हैं, जैसे राज्य लोक सेवा विभाग, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, पशुपालन आदि। ''गंद बेरुंड'' बीच में बना है। इसके ऊपर घेरे हुए चार सिंह चारों दिशाओं में देख रहे हैं। इसे सारनाथ में अशोक स्तंभ से लिया गया है। इस चिह्न में दो शरभ हैं, जिनके हाथी के सिर और सिंह के धड़ हैं। राज्य की न्यायपालिका में सर्वोच्च पीठ कर्नाटक उच्च न्यायालय है, जिसे स्थानीय लोग "अट्टार कचेरी" बुलाते हैं। ये राजधानी बंगलुरु में स्थित है। इसके अधीन जिला और सत्र न्यायालय प्रत्येक जिले में तथा निम्न स्तरीय न्यायालय ताल्लुकों में कार्यरत हैं। कर्नाटक राज के आधिकारिक चिह्न में ''गंद बेरुंड'' बीच में बना है। इसके ऊपर घेरे हुए चार सिंह चारों दिशाओं में देख रहे हैं। इसे सारनाथ में अशोक स्तंभ से लिया गया है। इस चिह्न में दो शरभ हैं, जिनके हाथी के सिर और सिंह के धड़ हैं। कर्नाटक की राजनीति में मुख्यतः तीन राजनैतिक पार्टियों: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और जनता दल का ही वर्चस्व रहता है। कर्नाटक के राजनीतिज्ञों ने भारत की संघीय सरकार में प्रधानमंत्री तथा उपराष्ट्रपति जैसे उच्च पदों की भी शोभा बढ़ायी है। वर्तमान संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यू.पी.ए सरकार में भी तीन कैबिनेट स्तरीय मंत्री कर्नाटक से हैं। इनमें से उल्लेखनीय हैं पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान क़ानून एवं न्याय मंत्रालय – वीरप्पा मोइली हैं। राज्य के कासरगोड और शोलापुर जिलों पर तथा महाराष्ट्र के बेलगाम पर दावे के विवाद राज्यों के पुनर्संगठन काल से ही चले आ रहे हैं। .

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कर्नाटक संगीत

300px कर्नाटक संगीत या संस्कृत में कर्णाटक संगीतं भारत के शास्त्रीय संगीत की दक्षिण भारतीय शैली का नाम है, जो उत्तरी भारत की शैली हिन्दुस्तानी संगीत से काफी अलग है। कर्नाटक संगीत ज्यादातर भक्ति संगीत के रूप में होता है और ज्यादातर रचनाएँ हिन्दू देवी देवताओं को संबोधित होता है। इसके अलावा कुछ हिस्सा प्रेम और अन्य सामाजिक मुद्दों को भी समर्पित होता है। जैसा कि आमतौर पर भारतीय संगीत मे होता है, कर्नाटक संगीत के भी दो मुख्य तत्व राग और ताल होता है। कर्नाटक शास्त्रीय शैली में रागों का गायन अधिक तेज और हिंदुस्तानी शैली की तुलना में कम समय का होता है। त्यागराज, मुथुस्वामी दीक्षितार और श्यामा शास्त्री को कर्नाटक संगीत शैली की 'त्रिमूर्ति' कहा जाता है, जबकि पुरंदर दास को अक्सर कर्नाटक शैली का पिता कहा जाता है। कर्नाटक शैली के विषयों में पूजा-अर्चना, मंदिरों का वर्णन, दार्शनिक चिंतन, नायक-नायिका वर्णन और देशभक्ति शामिल हैं। .

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कर्नाटक का इतिहास

बदामी के चालुक्यों के अन्दर ही सम्पूर्ण कर्नाटक एक शासन सूत्र में बंध पाया था। वे अपने शासनकाल में बनाई गई कलाकृतियों के लिए भी जाने जाते हैं। इसी कुल के पुलकेशिन द्वितीय (609-42) ने हर्षवर्धन को हराया था। पल्लवों के साथ युद्ध में वे धीरे-धीरे क्षीण होते गए। बदामी के चालुक्यों की शक्ति क्षीण होने के बाद राष्ट्रकूटों का शासन आया पर वे अधिक दिन प्रभुत्व मे नहीं रह पाए। कल्याण के चालुक्यों ने सन् 973 में उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया। सोमेश्वर प्रथम ने चोलों के आक्रमण से बचने की सफलतापूर्वक कोशिश की। उसने कल्याण में अपनी राजधानी स्थापित की और चोल राजा राजाधिराज की कोप्पर में सन् 1054 में हत्या कर दी। उसका बेटा विक्रमादित्य षष्टम तो इतना प्रसिद्ध हुआ कि कश्मीर के कवि दिल्हण ने अपनी संस्कृत रचना के लिए उसके नायक चुना और विक्रमदेव चरितम की रचना की। वो एक प्रसिद्ध कानूनविद विज्ञानेश्वर का भी संरक्षक था। उसने चोल राजधानी कांची को 1085 में जीत लिया। चालुक्य साम्राज्य अपने महत्तम विस्तार पर - सातवीं सदी यादवों (या सेवुना) ने देवगिरि (आधुनिक दौलताबाद, जो बाद में मुहम्मद बिन तुगलक की राजधानी बना) से शासन करना आरंभ किया। पर यादवों को दिल्ली सल्तनत की सेनाओं ने 1296 में हरा दिया। यादवों के समय भास्कराचार्य जैसे गणितज्ञों ने अपनी अमर रचनाए कीं। हेमाद्रि की रचनाए भी इसी काल में हुईं। चालुक्यों की एक शाखा इसी बीच शकितशाली हो रही थी - होयसल। उन्होंने बेलुरु, हेलेबिदु और सोमनाथपुरा में मन्दिरों की रचना करवाई। जब तमिल प्रदेश में चोलों और पाण्ड्यों में संघर्ष चल रहा था तब होयसलों ने पाण्ड्यों को पीछे की ओर खदेड़ दिया। बल्लाल तृतीय (मृत्यु 1343) को दिल्ली तथा मदुरै दोनों के शासकों से युद्ध कना पड़ा। उसके सैनिक हरिहर तथा बुक्का ने विजयनगर साम्राज्य की नींव रखी। होयसलों के शासनकाल में कन्नड़ भाषा का विकास हुआ। विजयनगर साम्राज्य की स्थापना के समय वो दक्षिण में एक हिन्दू शक्ति के रूप में देखा गया जो दिल्ली और उत्तरी भारत पर सत्तारूढ़ मुस्लिम शासकों के विरूद्ध एक लोकप्रिय शासक बना। हरिहर तथा बुक्का ने न केवल दिल्ली सल्तनत का सामना किया बल्कि मदुरै के सुल्तान को भी हराया। कृष्णदेव राय इस काल का सबसे महान शासक हुआ। विजयनगर के पतन (1565) के बाद बहमनी सल्तनत के परवर्ती राज्यों का छिटपुत शासन हुआ। इन राज्यों को मुगलों ने हरा दिया और इसी बीच बीजापुर के सूबेदार शाहजी के पुत्र शिवाजी के नेतृत्व में मराठों की शक्ति का उदय हुआ। मराठों की शक्ति अठारहवीं सदी के अन्त तक क्षीण होने लगी थी। दक्षिण में हैदर अली ने मैसूर के वोड्यार राजाओं की शक्ति हथिया ली। चौथे आंग्ल-मैसूर युद्ध में हैदर अली के पुत्र टीपू सुल्तान को मात देकर अंग्रेजों ने मैसूर का शासन अपने हाथों में ले लिया। सन् 1818 में पेशवाओं को हरा दिया गया और लगभग सम्पूर्ण राज्य पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया। सन् 1956 में कर्नाटक राज्य बना। श्रेणी:कर्नाटक का इतिहास.

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कर्नाटक के जिले

कर्नाटक के जिले यह सूची कर्नाटक के जिलों की है:-.

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कर्नाटक की जनसांख्यिकी

२००१ की भारतीय जनगणना के अनुसार, कर्नाटक की कुल जनसंख्या ५२,८५०,५६२ है, जिसमें से २६,८९८,९१८ (५०.८९%) पुरुष और २५,९५१,६४४ स्त्रियाँ (४३.११%) हैं। यानि प्रत्येक १००० पुरुष ९६४ स्त्रियाँ हैं। इसके अनुसार १९९१ की जनसंख्या में १७.२५% की वृद्धि हुई है। राज्य का जनसंख्या घनत्व २७५.६ प्रति वर्ग कि.मी है और ३३.९८% लोग शहरी क्षेत्रों में रहते हैं। यहाँ की साक्षरता दर ६६.६% है, जिसमें ७६.१% पुरुष और ५६.९% स्त्रियाँ साक्षर हैं। यहाँ की कुल जनसंख्या का ८३% हिन्दू हैं और ११% मुस्लिम, ४% ईसाई, ०.७८% जैन, ०.७३% बौद्ध और शेष लोग अन्य धर्मावलंबी हैं। कर्नाटक की आधिकारिक भाषा कन्नड़ है और स्थानीय भाषा के रूप में ६४.७५% लोगों द्वारा बोली जाती है। १९९१ के अनुसार अन्य भाषायी अल्पसंख्यकों में उर्दु (९.७२%), तेलुगु (८.३४%), तमिल (५.४६%), मराठी (३.९५%), टुलु (३.३८%, हिन्दी (१.८७%), कोंकणी (१.७८%), मलयालम (१.६९%) और कोडव तक्क भाषी ०.२५% हैं। राज्य की जन्म दर २.२% और मृत्यु दर ०.७२% है। इसके अलावा शिशु मृत्यु (मॉर्टैलिटी) दर ५.५% एवं मातृ मृत्यु दर ०.१९५% है। कुल प्रजनन (फर्टिलिटी) दर २.२ है। स्वास्थ्य एवं आरोग्य के क्षेत्र (सुपर स्पेशियलिटी हैल्थ केयर) में कर्नाटक की निजी क्षेत्र की कंपनियाँ विश्व की सर्वश्रेष्ठ संस्थाओं से तुलनीय हैं। कर्नाटक में उत्तम जन स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं, जिनके आंकड़े व स्थिति भारत के अन्य अधिकांश राज्यों की तुलना में काफी बेहतर है। इसके बावजूद भी राज्य के कुछ अति पिछड़े इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव है। प्रशासनिक उद्देश्य हेतु, कर्नाटक को चार रेवेन्यु मंडलों, ४९ उप-मंडलों, २९ जिलों, १७५ तालुकों और ७४५ होब्लीज़/रेवेन्यु वृत्तों में बांटा गया है। प्रत्येक जिला प्रशासन का अध्यक्ष जिला उपायुक्त होता है, जो भारतीय प्रशासनिक सेवा (आई.ए.एस) से होता है और उसके अधीन कर्नाटक राज्य सेवाओं के अनेक अधिकारीगण होते हैं। राज्य के न्याय और कानून व्यवस्था का उत्तरदायित्व पुलिस उपायुक्त पर होता है। ये भारतीय पुलिस सेवा का अधिकारी होता है, जिसके अधीन कर्नाटक राज्य पुलिस सेवा के अधिकारीगण कार्यरत होते हैं। भारतीय वन सेवा से वन उपसंरक्षक अधिकारी तैनात होता है, जो राज्य के वन विभाग की अध्यक्षता करता है। जिलों के सर्वांगीण विकास, प्रत्येक जिले के विकास विभाग जैसे लोक सेवा विभाग, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, पशु-पालन, आदि विभाग देखते हैं। राज्य की न्यायपालिका बंगलुरु में स्थित कर्नाटक उच्च न्यायालय (अट्टार कचेरी) और प्रत्येक जिले में जिले और सत्र न्यायालय तथा तालुक स्तर के निचले न्यायालय के द्वारा चलती है। .

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कश्मीर का इतिहास

भारत के उत्तरतम राज्य जम्मू और कश्मीर का इतिहास अति प्राचीन काल से आरंभ होता है। राजधानी में डल झील में एक शिकारे से दृश्य .

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कश्मीरी भाषा

कश्मीरी भाषा एक भारतीय-आर्य भाषा है जो मुख्यतः कश्मीर घाटी तथा चेनाब घाटी में बोली जाती है। वर्ष २००१ की जनगणना के अनुसार भारत में इसके बोलने वालों की संख्या लगभग ५६ लाख है। पाक-अधिकृत कश्मीर में १९९८ की जनगणना के अनुसार लगभग १ लाख कश्मीरी भाषा बोलने वाले हैं। कश्मीर की वितस्ता घाटी के अतिरिक्त उत्तर में ज़ोजीला और बर्ज़ल तक तथा दक्षिण में बानहाल से परे किश्तवाड़ (जम्मू प्रांत) की छोटी उपत्यका तक इस भाषा के बोलने वाले हैं। कश्मीरी, जम्मू प्रांत के बानहाल, रामबन तथा भद्रवाह में भी बोली जाती है। प्रधान उपभाषा किश्तवाड़ की "कश्तवाडी" है। कश्मीर की भाषा कश्मीरी (कोशुर) है ये कश्मीर में वर्तमान समय में बोली जाने वाली भाषा है। कश्मीरी भाषा के लिए विभिन्न लिपियों का उपयोग किया गया है, जिसमें मुख्य लिपियां हैं- शारदा, देवनागरी, रोमन और परशो-अरबी है। कश्मीर वादी के उत्तर और पश्चिम में बोली जाने वाली भाषाएं - दर्ददी, श्रीन्या, कोहवाड़ कश्मीरी भाषा के उलट थीं। यह भाषा इंडो-आर्यन और हिंदुस्तानी-ईरानी भाषा के समान है। भाषाविदों का मानना ​​है कि कश्मीर के पहाड़ों में रहने वाले पूर्व नागावासी जैसे गंधर्व, यक्ष और किन्नर आदि,बहुत पहले ही मूल आर्यन से अलग हो गए। इसी तरह कश्मीरी भाषा को आर्य भाषा जैसा बनने में बहुत समय लगा। नागा भाषा स्वतः ही विकसित हुई है इस सब के बावजूद, कश्मीरी भाषा ने अपनी विशिष्ट स्वर शैली को बनाए रखा और 8 वीं-9 वीं शताब्दी में अन्य आधुनिक भारतीय भाषाओं की तरह, कई चरणों से गुजरना पड़ा। .

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कश्मीरी साहित्य

परम्परागत रूप से कश्मीर का साहित्य संस्कृत में था। नीचे काश्मीर के संस्कृत के प्रमुख साहित्यकारों के नाम दिये गये हैं-.

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कश्मीरी खाना

कश्मीरी नून चाय हिन्दुस्तानी प्रदेश कश्मीर से कश्मीरी खाना (कश्मीरी: कॉशुर खयून(देवनागरी) کٲشُر خیون(नस्तालीक़)) कश्मीर की प्राचीन परंपरा पर आधारित है। ऋग्वेद में इस क्षेत्र के मांस खाने परंपराओं का उल्लेख है। कश्मीर की प्राचीन महाकाव्य, अर्थात् निल्मातापूर्ण हमें बताता है कि कश्मीरियों मांस भक्षण करते थे। यह आदत आज कश्मीर में बनी रहती है। आज कश्मीर व्यंजन में सबसे उल्लेखनीय घटक मटन है, जिनमें से ३० किस्मों से अधिक हैं। इसके अलावा करने के लिए ध्यान दिया जाना चाहिए बाल्टी करी, अपने विदेशी स्वाद के लिए यूनाइटेड किंगडम में लोकप्रिय है, कि बाल्टिस्तान से फैला है। .

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क़व्वाली

क़व्वाली (उर्दू: قوٌالی) भारतीय उपमहाद्वीप में सूफ़ीवाद और सूफ़ी परंपरा के अंतर्गत भक्ति संगीत की एक धारा के रूप में उभर कर आई। इसका इतिहास 700 साल से भी ज्यादा पुराना है। वर्तमान में यह भारत, पाकिस्तान एवं बांग्लादेश सहित बहुत से अन्य देशों में संगीत की एक लोकप्रिय विधा है। क़व्वाली का अंतर्राष्ट्रीय स्वरुप नुसरत फतेह अली खान और के गायन से सामने आया। .

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काराकोरम

काराकोरम एक विशाल पर्वत श्रृंखला है जिसका विस्तार पाकिस्तान, भारत और चीन के क्रमश: गिलगित-बल्तिस्तान, लद्दाख़ और शिन्जियांग क्षेत्रों तक है। यह एशिया की विशाल पर्वतमालाओं में से एक है और हिमालय पर्वतमाला का एक हिस्सा है। काराकोरम किर्गिज़ भाषा का शब्द है जिस का मतलब है 'काली भुरभुरी मिट्टी'। विश्व के किसी भी स्थान की अपेक्षा, काराकोरम पर्वतमाला में पाँच मील से भी ऊँची सबसे अधिक चोटियों स्थित हैं (60 से ज़्यादा), जिनमें दुनिया की दूसरी सबसे ऊँची चोटी के2, (8611 मी / 28251 फुट) भी शामिल है। के2 की ऊँचाई विश्व के सर्वोच्च शिखर एवरेस्ट पर्वत (8848 मी / 29029 फुट) से सिर्फ 237 मीटर (778 फीट) कम है। काराकोरम श्रृंखला का विस्तार 500 किमी (311 मील) तक है और ध्रुवीय क्षेत्रों को छोड़कर दुनिया के सबसे अधिक हिमनद इसी इलाके में हैं। ध्रुवीय क्षेत्रों से बाहर सियाचिन ग्लेशियर 70 किमी और बिआफो ग्लेशियर 63 किमी की लंबाई के साथ दुनिया के दूसरे और तीसरे सबसे लंबे हिमनद हैं। काराकोरम, पूर्वोत्तर में तिब्बती पठार के किनारे और उत्तर में पामीर पर्वतों से घिरा है। काराकोरम की दक्षिणी सीमा, पश्चिम से पूर्व, गिलगित, सिंधु और श्योक नदियों से बनती है, जो इसे पश्चिमोत्तर हिमालय श्रृंखला के अंतिम किनारे से अलग कर दक्षिणपश्चिम दिशा में पाकिस्तान के मैदानी इलाकों की ओर बहती हैं। काराकोरम श्रृंखला का सब से ऊंचा पहाड़ के टू .

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काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान

काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भारत के असम राज्य का एक राष्ट्रीय उद्यान है। यह उद्यान एक सींग का गैंडा (भारतीय गेंडा) के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। .

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काउंसिल ऑफ इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्ज़ामिनेशंस

भोपाल के विद्यालय में विद्यार्थी काउन्सिल ऑफ इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्ज़ामिनेशंस (ICSE) भारत का एक निजी, गैर-सरकारी शिक्षा बोर्ड है। यह बोर्ड १९५६ में आंग्ल-भारतीय शिक्षा हेतु हुई एक अन्तर्राज्यीय बैठक में संगठित किया गया था। इसका मुख्यालय नयी दिल्ली में स्थित है। यह भारत में दो परीक्षाएं संचालित करता है.

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कंचनजंघा

कंचनजंघा (नेपाली:कंचनजंघा Kanchanjaŋghā), (लिम्बू: सेवालुंगमा) विश्व की तीसरी सबसे ऊँची पर्वत चोटी है, यह सिक्किम के उत्तर पश्चिम भाग में नेपाल की सीमा पर है। .

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कुम्भ मेला

हरिद्वार के कुंभ मेले (2010) के दौरान गंगा किनारे स्नान घाट पर श्रद्धालु २००१ के प्रयाग कुम्भ मेले का दृष्य कुंभ पर्व हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु कुंभ पर्व स्थल हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक में स्नान करते हैं। इनमें से प्रत्येक स्थान पर प्रति बारहवें वर्ष और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ भी होता है। २०१३ का कुम्भ प्रयाग में हुआ था। खगोल गणनाओं के अनुसार यह मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारम्भ होता है, जब सूर्य और चन्द्रमा, वृश्चिक राशी में और वृहस्पति, मेष राशी में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति के होने वाले इस योग को "कुम्भ स्नान-योग" कहते हैं और इस दिन को विशेष मंगलिक माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन पृथ्वी से उच्च लोकों के द्वार इस दिन खुलते हैं और इस प्रकार इस दिन स्नान करने से आत्मा को उच्च लोकों की प्राप्ति सहजता से हो जाती है। यहाँ स्नान करना साक्षात स्वर्ग दर्शन माना जाता है। .

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कुषाण राजवंश

कुषाण प्राचीन भारत के राजवंशों में से एक था। कुछ इतिहासकार इस वंश को चीन से आए युएझ़ी लोगों के मूल का मानते हैं। कुछ विद्वानो इनका सम्बन्ध रबातक शिलालेख पर अन्कित शब्द गुसुर के जरिये गुर्जरो से भी बताते हैं। सर्वाधिक प्रमाणिकता के आधार पर कुषाण वन्श को चीन से आया हुआ माना गया है। लगभग दूसरी शताब्दी ईपू के मध्य में सीमांत चीन में युएझ़ी नामक कबीलों की एक जाति हुआ करती थी जो कि खानाबदोशों की तरह जीवन व्यतीत किया करती थी। इसका सामना ह्युगनु कबीलों से हुआ जिसने इन्हें इनके क्षेत्र से खदेड़ दिया। ह्युगनु के राजा ने ह्यूची के राजा की हत्या कर दी। ह्यूची राजा की रानी के नेतृत्व में ह्यूची वहां से ये पश्चिम दिशा में नये चरागाहों की तलाश में चले। रास्ते में ईली नदी के तट पर इनका सामना व्ह्सुन नामक कबीलों से हुआ। व्ह्सुन इनके भारी संख्या के सामने टिक न सके और परास्त हुए। ह्यूची ने उनके चरागाहों पर अपना अधिकार कर लिया। यहां से ह्यूची दो भागों में बंट गये, ह्यूची का जो भाग यहां रुक गया वो लघु ह्यूची कहलाया और जो भाग यहां से और पश्चिम दिशा में बढा वो महान ह्यूची कहलाया। महान ह्यूची का सामना शकों से भी हुआ। शकों को इन्होंने परास्त कर दिया और वे नये निवासों की तलाश में उत्तर के दर्रों से भारत आ गये। ह्यूची पश्चिम दिशा में चलते हुए अकसास नदी की घाटी में पहुँचे और वहां के शान्तिप्रिय निवासिओं पर अपना अधिकार कर लिया। सम्भवतः इनका अधिकार बैक्ट्रिया पर भी रहा होगा। इस क्ष्रेत्र में वे लगभग १० वर्ष ईपू तक शान्ति से रहे। चीनी लेखक फान-ये ने लिखा है कि यहां पर महान ह्यूची ५ हिस्सों में विभक्त हो गये - स्यूमी, कुई-शुआंग, सुआग्म,,। बाद में कुई-शुआंग ने क्यु-तिसी-क्यो के नेतृत्व में अन्य चार भागों पर विजय पा लिया और क्यु-तिसी-क्यो को राजा बना दिया गया। क्यु-तिसी-क्यो ने करीब ८० साल तक शासन किया। उसके बाद उसके पुत्र येन-काओ-ट्चेन ने शासन सम्भाला। उसने भारतीय प्रान्त तक्षशिला पर विजय प्राप्त किया। चीनी साहित्य में ऐसा विवरण मिलता है कि, येन-काओ-ट्चेन ने ह्येन-चाओ (चीनी भाषा में जिसका अभिप्राय है - बड़ी नदी के किनारे का प्रदेश जो सम्भवतः तक्षशिला ही रहा होगा)। यहां से कुई-शुआंग की क्षमता बहुत बढ़ गयी और कालान्तर में उन्हें कुषाण कहा गया। .

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क्षेत्रफल के आधार पर भारत के राज्य और संघ क्षेत्र

श्रेणी:भारत का भूगोल श्रेणी:भारत के राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से संबंधित सूचियाँ.

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क्षेत्रफल के अनुसार देशों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड

केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (अंग्रेज़ी:Central Board of Secondary Education या CBSE) भारत की स्कूली शिक्षा का एक प्रमुख बोर्ड है। भारत के अन्दर और बाहर के बहुत से निजी विद्यालय इससे सम्बद्ध हैं। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं - शिक्षा संस्थानों को अधिक प्रभावशाली ढंग से लाभ पहुंचाना, उन विद्यार्थियों की शैक्षिक आवश्यकताओं के प्रति उत्तरदायी होना जिनके माता-पिता केन्द्रीय सरकार के कर्मचारी हैं और निरंतर स्थानान्तरणीय पदों पर कार्यरत हों। केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में शिक्षा का माध्यम हिन्दी या अंग्रेजी हो सकता है। इसमें कुल ८९७ केन्द्रीय विद्यालय, १७६१ सरकारी विद्यालय, ५८२७ स्वतंत्र विद्यालय, ४८० जवाहर नवोदय विद्यालय और १४ केन्द्रीय तिब्बती विद्यालय सम्मिलित हैं।। हिन्दुस्तान लाइव। १८ फ़रवरी २०१० इसका ध्येय वाक्य है - असतो मा सद्गमय (हे प्रभु ! हमे असत्य से सत्य की ओर ले चलो।)-के.मा.शि.बोर्ड। वर्ल्ड प्रेस .

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केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल

केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) भारत के केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में सबसे बड़ा है। यह भारत सरकार के गृह मंत्रालय के तहत काम करता है। सीआरपीएफ की प्राथमिक भूमिका पुलिस कार्रवाई में राज्य / संघ शासित प्रदेशों की सहायता, कानून-व्यवस्था और आतंकवाद विरोध में निहित है। यह क्राउन प्रतिनिधि पुलिस के रूप में 27 जुलाई 1939 को अस्तित्व में आया। भारतीय स्वतंत्रता के बाद यह 28 दिसंबर 1949 को सीआरपीएफ अधिनियम के लागू होने पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल बन गया। 230 बटालियनों और विभिन्न अन्य प्रतिष्ठानों के साथ, सीआरपीएफ भारत का सबसे बड़ा अर्धसैनिक बल माना जाता है। .

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केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो

केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation) या सीबीआई भारत सरकार की प्रमुख जाँच एजेन्सी है। यह आपराधिक एवं राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हुए भिन्न-भिन्न प्रकार के मामलों की जाँच करने के लिये लगायी जाती है। यह कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के अधीन कार्य करती है। यद्यपि इसका संगठन फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन से मिलता-जुलता है किन्तु इसके अधिकार एवं कार्य-क्षेत्र एफ् बीआई कीतुलना में बहुत सीमित हैं। इसके अधिकार एवं कार्य दिल्ली विशेष पुलिस संस्थापन अधिनियम (Delhi Special Police Establishment Act), १९४६ से परिभाषित हैं। भारत के लिये सीबीआई ही इन्टरपोल की आधिकारिक इकाई है। .

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केरल

केरल (मलयालम: കേരളം, केरळम्) भारत का एक प्रान्त है। इसकी राजधानी तिरुवनन्तपुरम (त्रिवेन्द्रम) है। मलयालम (മലയാളം, मलयाळम्) यहां की मुख्य भाषा है। हिन्दुओं तथा मुसलमानों के अलावा यहां ईसाई भी बड़ी संख्या में रहते हैं। भारत की दक्षिण-पश्चिमी सीमा पर अरब सागर और सह्याद्रि पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य एक खूबसूरत भूभाग स्थित है, जिसे केरल के नाम से जाना जाता है। इस राज्य का क्षेत्रफल 38863 वर्ग किलोमीटर है और यहाँ मलयालम भाषा बोली जाती है। अपनी संस्कृति और भाषा-वैशिष्ट्य के कारण पहचाने जाने वाले भारत के दक्षिण में स्थित चार राज्यों में केरल प्रमुख स्थान रखता है। इसके प्रमुख पड़ोसी राज्य तमिलनाडु और कर्नाटक हैं। पुदुच्चेरी (पांडिचेरि) राज्य का मय्यष़ि (माहि) नाम से जाता जाने वाला भूभाग भी केरल राज्य के अन्तर्गत स्थित है। अरब सागर में स्थित केन्द्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप का भी भाषा और संस्कृति की दृष्टि से केरल के साथ अटूट संबन्ध है। स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व केरल में राजाओं की रियासतें थीं। जुलाई 1949 में तिरुवितांकूर और कोच्चिन रियासतों को जोड़कर 'तिरुकोच्चि' राज्य का गठन किया गया। उस समय मलाबार प्रदेश मद्रास राज्य (वर्तमान तमिलनाडु) का एक जिला मात्र था। नवंबर 1956 में तिरुकोच्चि के साथ मलाबार को भी जोड़ा गया और इस तरह वर्तमान केरल की स्थापना हुई। इस प्रकार 'ऐक्य केरलम' के गठन के द्वारा इस भूभाग की जनता की दीर्घकालीन अभिलाषा पूर्ण हुई। * केरल में शिशुओं की मृत्यु दर भारत के राज्यों में सबसे कम है और स्त्रियों की संख्या पुरुषों से अधिक है (2001 की जनगणना के आधार पर)।.

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केरल में पर्यटन

केरल प्रांत पर्यटकों में बेहद लोकप्रिय है, इसीलिए इसे 'God's Own Country' अर्थात् 'ईश्वर का अपना घर' नाम से पुकारा जाता है। यहाँ अनेक प्रकार के दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें प्रमुख हैं - पर्वतीय तराइयाँ, समुद्र तटीय क्षेत्र, अरण्य क्षेत्र, तीर्थाटन केन्द्र आदि। इन स्थानों पर देश-विदेश से असंख्य पर्यटक भ्रमणार्थ आते हैं। मून्नार, नेल्लियांपति, पोन्मुटि आदि पर्वतीय क्षेत्र, कोवलम, वर्कला, चेरायि आदि समुद्र तट, पेरियार, इरविकुळम आदि वन्य पशु केन्द्र, कोल्लम, अलप्पुष़ा, कोट्टयम, एरणाकुळम आदि झील प्रधान क्षेत्र (backwaters region) आदि पर्यटकों केलिए विशेष आकर्षण केन्द्र हैं। भारतीय चिकित्सा पद्धति - आयुर्वेद का भी पर्यटन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है। राज्य की आर्थिक व्यवस्था में भी पर्यटन ने निर्णयात्मक भूमिका निभाई है .

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केरल सरकार

केरल सरकार एक भारत के केरल राज्य की सरकार हैं | इसका मुखिया मुख्यमंत्री होता हैं | .

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केरल का भूगोल

विज्ञापनों में केरल को 'ईश्वर का अपना घर' (God's Own Country) कहा जाता है, यह कोई अत्युक्ति नहीं है। जिन कारणों से केरल विश्व भर में पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बना है, वे हैं: - उष्ण मौसम, समृद्ध वर्षा, सुंदर प्रकृति, जल की प्रचुरता, सघन वन, लम्बे समुद्र तट और चालीस से अधिक नदियाँ। भौगोलिक दृष्टि से केरल उत्तर अक्षांश 8 डिग्री 17' 30" और 12 डिग्री 47' 40" के बीच तथा पूर्व रेखांश 74 डिग्री 7' 47" और 77 डिग्री 37' 12" के बीच स्थित है। यह सह्याद्रि तथा अरब सागर के बीच एक हरित मेखला की तरह खूबसूरत लगता है। केरल की उत्पत्ति के संबन्ध में परशुराम की कथा प्रसिद्ध है। किंवदन्ती है कि महाविष्णु के दशावतारों में से एक परशुराम ने अपना फरसा समुद्र में फेंक दिया, उससे जो स्थान उभरकर निकला वही केरल बना। .

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केरल का संगीत

संगीत का श्रव्यकला के रूप में महत्वपूर्ण स्थान है। इसके दो पक्ष हैं लोकगीत तथा शास्त्रीय संगीत। अनुष्ठान कलाओं से जुडे लोकगीत, देवता स्तुतिपरक गीत, श्रम से जुडे गीत, तिरुवातिरक्कळी, कुम्मि, कोलाट्टम और मनोरंजन केलिए पुराण कथागीत, वंचिप्पाट्टुकल आदि लोकगीतों के भेद हैं। केरल में अनेक वाद्ययंत्र है जो लोक संगीत से जुडे हैं। यहाँ संगीत शास्त्र नियमों के आधार पर शास्त्रीय गीतों की रचना हुई। वाद्य संगीत तथा वाद्य रहित संगीत दोनों इस विभाग में आते हैं। सोपान संगीत, कथकळि गीत, पंचवाद्य, चेण्डमेलम इत्यादि शास्त्रीय संगीत के अंतर्गत आते हैं। .

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केरल का खाना

केरल (मलयालम: കേരളീയ പാചകശൈലി) का भोजन अपने सभी समृद्धि में इतिहास, भूगोल और भूमि की जनसांख्यिकी संस्कृति से जुड़ा हुआ है। केरल भोजन दोनों शाकाहारी और मांसाहारी मछली, मुर्गी और मांस का उपयोग कर तैयार व्यंजन की एक भीड़ है। 2000 से अधिक वर्षों के लिए, केरल समुद्र-goers द्वारा दौरा किया गया है ग्रीस, रोम, पूर्वी भूमध्य, अरब देशों और यूरोप से व्यापारियों (केरल का इतिहास देखें) भी शामिल है। इस प्रकार, केरल भोजन एक स्वदेशी और विदेशी व्यंजन केरल स्वाद के लिए अनुकूलित व्यंजन का एक मिश्रण है। नारियल केरल में बहुतायत में हो जाना और इसके परिणामस्वरूप, grated नारियल और नारियल का दूध व्यापक रूप से बर्तन का उपयोग किया है और एक thickener और स्वादिष्ट बनाने का मसाला संघटक के रूप में करी.

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केरल का इतिहास

केरल भारत का एक दक्षिणी राज्य है जिसके प्रागैतिहासिक मानवों के बारे में कम ही पता है। मुख्यतः चेर शासनकाल से ही उनका इतिहास आरंभ होता है। .

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केरल के जिले

केरल में 14 जिले हैं.

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केरल की राजनीति

केरल को भारत की राजनीतिक प्रयोगशाला कहा जा सकता है। चुनाव के द्वारा कम्यूनिस्ट पार्टी का सत्ता में आना और विभिन्न पार्टियों के मोर्चों का गठन तथा उनका शासक बनना आदि अनेक राजनीतिक प्रयोग पहली बार केरल में हुए। देश में मशीनी मतपेटी का प्रथम प्रयोग भी केरल में हुआ। केरल में 140 विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र और 20 लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र हैं। विधान सभा में एंग्लो - इंडियन समुदाय के एक प्रतिनिधि को नामित किया जाता है। केरल में अनेक राजनीतिक दल तथा उनके संपोषक संगठन भी हैं। यथा - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी, जनतादल (एस), मुस्लिम लीग, केरल कांग्रेस (एम), केरल कॉग्रेस (जे) आदि। सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के श्रमिक, विद्यार्थी, महिला, युवा, कृषक और सेवा संगठन भी सक्रिय हैं। ट्रेड यूनियनों की संख्या आवश्यकता से अधिक बढ रही है। 1973 में केरल की पंजीकृत ट्रेड यूनियनों की संख्या 1680 थी। यह 1996 में 10326 हो गई। यहाँ सरकारी नौकरी में रत 3000 लोगों के लिए एक ट्रेड यूनियन बनाई गई है। केरल राज्य के आविर्भाव के बाद राज्य में 13 बार चुनाव हुए। बीस मत्रिमंण्डल तथा 12 मुख्यमंत्री हुए हैं। 5 अप्रैल 1957 को ई. एम.

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केरल की संस्कृति

केरल की कला-सांस्कृतिक परंपराएँ सदियों पुरानी हैं। केरल के सांस्कृतिक जीवन में महत्वपूर्ण योगदान देनेवाले कलारूपों में लोककलाओं, अनुष्ठान कलाओं और मंदिर कलाओं से लेकर आधुनिक कलारूपों तक की भूमिका उल्लेखनीय है। केरलीय कलाओं को सामान्यतः दो वर्गों में बाँट सकते हैं - एक दृश्य कला और दूसरी श्रव्य कला। दृश्य कला के अंतर्गत रंगकलाएँ, अनुष्ठान कलाएँ, चित्रकला और सिनेमा आते हैं।.

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केरल की अर्थव्यवस्था

भारतीय संघ का अविभाज्य अंग होने के कारण केरल की आर्थिक व्यवस्था को राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था से पृथक करना उचित नहीं है। फिर भी केरल की आर्थिक व्यवस्था की अपनी विशेषताएँ हैं। मानव संसाधन विकास की आधारभूत सूचना के अनुसार केरल की उपलब्धियाँ प्रशंसनीय है। मानव संसाधन विकास के बुनियादी तत्त्वों में उल्लेखनीय हैं - भारत के अन्य राज्यों की तुलना में आबादी की कम वृद्धि दर, राष्ट्रीय औसत सघनता से ऊँची दर, ऊँची आयु-दर, गंभीर स्वास्थ्य चेतना, कम शिशु मृत्यु दर, ऊँची साक्षरता, प्राथमिक शिक्षा की सार्वजनिकता, उच्च शिक्षा की सुविधा आदि आर्थिक प्रगति के अनुकूल हैं। परन्तु उत्पादन क्षेत्र में मंदी, ऊँची बेरोज़गारी दर, बढ़ता बाज़ार-भाव, निम्न प्रतिशीर्ष आमदनी, उपभोक्ता वाद का प्रभाव आदि के कारण केरल की अर्थ-व्यवस्था जटिल होती जा रही है। लम्बी आयु दर के मामले में केरल की तुलना दक्षिण कोरिया, मलेशिया, चीन आदि से की जा सकती है। किन्तु वे तीनों केरल से भिन्न देश हैं और आर्थिक विकास के पथ पर अग्रसर हैं। यद्यपि मानव संसाधन विकास के सूचकों के अनुसार केरल भारतीय राज्यों में अग्रणी है। भूतकाल में केरल की प्रति व्यक्ति आय दर राष्ट्रीय आय दर से नीचे थी। जबकि केरल की आर्थिक व्यवस्था विकास का गुण प्रकट करती है। अस्सी के दशक के अंत में केरल का आर्थिक विकास औसत राष्ट्रीय आर्थिक विकास की दर से आगे निकल गया है। यह विकास अभी भी जारी है। किन्तु मात्र इसी से राज्य की स्थिति मज़बूत नहीं बनती। वैश्वीकरण के प्रतिकूल प्रभाव ने कृषि तथा अन्य परम्परागत क्षेत्रों का खात्मा कर दिया है। इन क्षेत्रों में विगत छह - सात वर्षों से विकास नहीं हो रहा है। लेकिन अब इस स्थिति में बदलाव आना शुरू हुआ है जो शुभसूचक है। केरल को ऐसा आर्थिक विकास प्राप्त करना है जो न्यायनिष्ठ स्थाई तथा अविलम्ब हो। साथ ही विकास के क्षेत्र में जो नीति अपनाई गयी है उसमें सरकारी हस्तक्षेप कम करने या सामाजिक कल्याण के व्यय कम करने का कोई प्रयास नहीं दिखाई देता। स्वातंत्र्य पूर्व तिरुवितांकूर, कोच्चि, मलबार क्षेत्रों का विकास आधुनिक केरल की आर्थिक व्यवस्था की पृष्ठ भूमि है। भौगोलिक एवं प्राकृतिक विशेषताएँ केरल की आर्थिक व्यवस्था को प्राकृतिक संपदा के वैविध्य के साथ श्रम संबन्धी वैविध्य भी प्रदान करती हैं। केरल तीन प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों में बँटा है। तटीय क्षेत्र सर्वाधिक सघन आबादी वाला क्षेत्र है। (2001 जनगणना के अनुसार प्रति वर्ग किलो मीटर क्षेत्र में 819 का हिसाब भारतीय राज्यों में सबसे ऊँचा है।) यहाँ की उर्वर मिट्टी, नदी तट क्षेत्र, झीलें आदि मछली उत्पादन, चावल, नारियल तथा साग - सब्जियों की खेती के लिए उपयुक्त है। पर्वतीय एवं समुद्र तटीय क्षेत्रों के बीच के प्रदेशों में नारियल, चावल, टप्योका, सुपारी के पेड, काजू के पेड, रबड़, कालीमिर्च, अदरक आदि की खेती होती है। पूर्वी पहाडी क्षेत्र में कॉफी, चाय, रबड़ की खेती औपनिवेशिक काल से चलती चली आ रही है। 20 वीं सदी के मध्य में पूर्वी पहाड़ी क्षेत्र में जनसंचार एवं स्थापन हुआ इससे केरल की आर्थिक व्यवस्था विकसित हुई। केरल में कृषि खाद्यान्न और निर्यात की जानेवाली फसलों के लिए बिल्कुल उपयुक्त है। शासन व्यवस्था तथा व्यापार के कारण निर्यात की जानेवाली फसलों बढोतरी हुई है। कयर उद्योग, लकडी उद्योग, खाद्य तेल उत्पादन आदि भी कृषि पर आधारित हैं। इसी के साथ ही धातुएँ, रसायन वस्तुएँ, इंजीनियरिंग आदि को आधार बनाने वाले बडे-बडे उद्योग भी विकास करने लगे हैं। इन क्षेत्रों में सार्वजनिक तथा निजी प्रतिष्ठान कार्य कर रहे हैं। कयर उत्पादन, कारीगरी, हैण्डलूम आदि केरल के परम्परागत व्यवसाय है। फिर भी यह कहना उचित नही कि केरल की आर्थिक व्यवस्था मात्र कृषि अधारित है। केरल के आर्थिक विकास का उल्लेखनीय पहलू न तो प्राथमिक क्षेत्र माने जानेवाला कृषि उद्योग है और न ही विभिन्न उत्पादन-निर्माण से युक्त उद्योग क्षेत्र है। आर्थिक विकास का मुख्य पहलू तीसरा क्षेत्र है जिसे सेवा - क्षेत्र कहा जाता है। केरलीय आमदनी तथा रोज़गार का अधिकांश भाग यहीं से प्राप्त होता है। केरल प्रायः सभी क्षेत्रों में भारत के अन्य राज्यों के आगे बढ रहा है, साधारणतः कोई भी राज्य प्रथम, द्वितीय और तृतीय क्षेत्रों को पार करके ही आर्थिक विकास के उच्च सोपान पर आरूढ हो सकता है। इस आर्थिक सिद्धांत के विरुद्ध प्रथम क्षेत्र एवं द्वितीय क्षेत्र को छोड तृतीय क्षेत्र में पहुँचकर केरल मृत्यु दर, साक्षरता औरत आयु आदि में विकसित देशों के समक्ष स्थान ग्रहण कर सकता है। कम प्रतिशीर्ष आय तथा ऊँची ऊँची बेरोज़गारी को पूँजी बनाकर केरल कैसे यह स्थिति प्राप्त कर सका यह अनुत्तरित प्रश्न सा रहता है। भारत का कोई भी दूसरा राज्य इस प्रकार दुनिया का ध्यान आकृष्ट नहीं कर सका। आर्थिक क्षेत्र में ही नहीं बल्कि राजनैतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्रों में भी जो विकास केरल में हुआ है उसकी चर्चा विकसित देशों में होती रहती है। 1980 के अंत में केरल की आर्थिक व्यवस्था ने जो उन्नति की उसकी Kerala Model नाम से विदेशों में भी चर्चा हुई। इस उदाहरण को लेकर आज बहुत से प्रश्न उठाये जाते हैं। उसके स्थायित्व पर कई अर्थशास्त्री संदेह प्रकट करते हैं। (13) 19 वीं शताब्दी से सरकार ने एक समाज कल्याण नीति अपनाई है और उसके कार्यान्वयन के अन्तर्गत आधारभूत सुविधाओं के लिए सरकार जो खर्च करती आ रही है वही केरल के सामाजिक विकास का मुख्य स्रोत है। इसके अतिरिक्त भारत के अन्यान्य क्षेत्रों तथा विदेशों, विशेषकर खाडी क्षेत्रों के अप्रवासी केरलीय (Non-resident Keralites) से प्राप्त धन राशी भी इस विकास का कारण है। (14) .

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केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (Central industrial security force; सीआईएसएफ) एक अर्धसैनिक बल हैं, जिसका मुख्य कार्य सरकारी कारखानो एवं अन्य सरकारी उपक्रमों को सुरक्षा प्रदान करना है। ये बल देश के विभिन्न महत्वपूर्ण संस्थानों की भी सुरक्षा करता है। इस बल का गठन 1969 में हुआ था। आज इस बल की संख्या लगभग 1.50 लाख है। ये बल सरकारी उपक्रमों की सुरक्षा के आलावा देश के आंतरिक सुरक्षा,विशिष्ट लोगों की सुरक्षा,मेट्रो,परमाणु संस्थान,ऐतिहासिक धरोहरों,आदि की भी सुरक्षा करता है। श्रेणी:भारत के अर्धसैनिक बल .

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कॉलीवुड

तमिल फिल्म उद्योग तमिल घर भाषा भारत में सिनेमा आधारित है और कभी कभी (तमिल: கோலிவுட் kōlivūṭ) केरल फिल्म उद्योग के रूप में निर्दिष्ट है। नाम, केरल फिल्म उद्योग, Kodambakkam से ली गई है, चेन्नई में क्षेत्र (पूर्व मद्रास), जहां केरल फिल्म उद्योग मुख्यतः फिल्मों का निर्माण कर रहे हैं। तमिल भाषा फिल्में भी श्रीलंका में फिल्माया है। मूक फिल्मों केरल फिल्म उद्योग में 1916 के बाद से उत्पादन किया और 1931 में dawned टाकीज के युग थे। 1930 के दशक के अंत तक, उद्योग हद तक बढ़ती थी कि मद्रास विधानमंडल के राज्य थोड़ा विपक्ष के साथ अग्रणी मनोरंजन कर अधिनियम 1939 पारित किया। .

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कोंकणी भाषा

कोंकणी गोवा, महाराष्ट्र के दक्षिणी भाग, कर्नाटक के उत्तरी भाग, केरल के कुछ क्षेत्रों में बोली जाती है। भाषायी तौर पर यह 'आर्य' भाषा परिवार से संबंधित है और मराठी से इसका काफी निकट का संबंध है। राजनैतिक तौर पर इस भाषा को अपनी पहचान के लिये मराठी भाषा से काफी संघर्ष करना पड़ा है। अब भारतीय संविधान के तहत कोंकणी को आठवीं अनुसूची में स्थान प्राप्त है। १९८७ में गोवा में कोंकणी को मराठी के बराबर राजभाषा का दर्जा दिया गया किन्तु लिपि पर असहमति के कारण आजतक इस पर अमल नहीं किया जा सका। कोंकणी अनेक लिपियों में लिखी जाती रही है; जैसे - देवनागरी, कन्नड, मलयालम और रोमन। गोवा को राज्य का दर्जा मिलने के बाद दवनागरी लिपि में कोंकणी को वहाँ की राजभाषा घोषित किया गया है। .

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कोक बोरोक भाषा

कोक बोरोक या तिप्राकक भाषा या त्रिपुरी भाषा भारत के त्रिपुरा राज्य के त्रिपुरी समुदाय और बंगलादेश के कुछ पड़ोसी क्षेत्रों में बोली जाने वाली भाषाएँ हैं। 'कोक' का अर्थ 'भाषा' और 'बोरोक' का अर्थ 'लोग' होता है। यहाँ बोरोक शब्द से अर्थ त्रिपुरी लोग है। कोक बोरोक तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार की सदस्य है और असम में बोली जाने वाली बोड़ो भाषा और दिमासा भाषा की निकट सम्बन्धी है।, Pauthang Haokip, pp.

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अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह

अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह (बंगाली:আন্দামান ও নিকোবর দ্বীপপুঞ্জ) भारत का एक केन्द्र शासित प्रदेश है। ये बंगाल की खाड़ी के दक्षिण में हिन्द महासागर में स्थित है। अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह लगभग 572 छोटे बड़े द्वीपों से मिलकर बना है जिनमें से सिर्फ कुछ ही द्वीपों पर लोग रहते हैं। यहाँ की राजधानी पोर्ट ब्लेयर है। भारत का यह केन्द्र शासित प्रदेश हिंद महासागर में स्थित है और भौगोलिक दृष्टि से दक्षिण पूर्व एशिया का हिस्सा है। यह इंडोनेशिया के आचेह के उत्तर में 150 किमी पर स्थित है तथा अंडमान सागर इसे थाईलैंड और म्यांमार से अलग करता है। दो प्रमुख द्वीपसमूहों से मिलकर बने इस द्वीपसमूह को 10° उ अक्षांश पृथक करती है, जिसके उत्तर में अंडमान द्वीप समूह और दक्षिण में निकोबार द्वीप समूह स्थित हैं। इस द्वीपसमूह के पूर्व में अंडमान सागर और पश्चिम में बंगाल की खाड़ी स्थित है। द्वीपसमूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर एक अंडमानी शहर है। 2001 की भारत की जनगणना के अनुसार यहाँ की जनसंख्या 356152 है। पूरे क्षेत्र का कुल भूमि क्षेत्र लगभग 6496 किमी² या 2508 वर्ग मील है। .

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अन्तरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति

अन्तरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) (International Olympic Committee (IOC); Comité international olympique (CIO)) एक अन्तर्राष्ट्रीय समिति है जिसका मुख्यालय स्विट्जरलैण्ड के लॉज़ेन में स्थित है। इसकी स्थापना पियरे डे कोबेर्टिन ने 23 जून 1894 को कि थी तथा यूनानी व्यापारी देमित्रिस विकेलस इसके प्रथम अध्यक्ष बने थे। वर्तमान समय में विश्व की कुल 205 राष्ट्रीय ओलम्पिक समितिया (एनओसी) इसकी सदस्य हैं। .

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अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा अभिकरण

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा अभिकरण (अंग्रेज़ी:इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी, लघुनाम:आईएईए) एक स्वायत्त विश्व संस्था है, जिसका उद्देश्य विश्व में परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करना है। यह परमाणु ऊर्जा के सैन्य उपयोग को किसी भी प्रकार रोकने में प्रयासरत रहती है। इस संस्था का गठन २९ जुलाई, १९५७ को हुआ था। इसका मुख्यालय वियना, आस्ट्रिया में है। संस्था ने १९८६ में रूस के चेरनोबल में हुई नाभिकीय दुर्घटना के बाद अपने नाभिकीय सुरक्षा कार्यक्रम को विस्तार दिया है। वर्तमान में इसके महासचिव मिस्र मूल के मोहम्मद अलबारदेई हैं। अलबारदेई को संयुक्त रूप से २००५ का शांति नोबेल पुरस्कार दिया गया। इसके सबसे पहले महासचिव डब्ल्यू स्टर्लिंग कोल (१९५७-१९६१) थे। आईएईए बोर्ड के ३५ सदस्य देशों में से २६ नाभिकीय आपूर्तिकर्ता समूह सदस्य देश हैं। आईएईए सीधे सीधे संयुक्त राष्ट्र संघ के अधीन नहीं है, लेकिन यह संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद को अपनी रिपोर्ट देती है। इस संस्था के मुख्यत: तीन अंग हैं-.

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अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष या अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (अंग्रेज़ी:International Monetary Fund; इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड, लघुरूप:IMF; आईएमएफ) एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है, जो अपने सदस्य देशों की वैश्विक आर्थिक स्थिति पर नज़र रखने का काम करती है। यह अपने सदस्य देशों को आर्थिक और तकनीकी सहायता प्रदान करती है। यह संगठन अन्तर्राष्ट्रीय विनिमय दरों को स्थिर रखने के साथ-साथ विकास को सुगम करने में सहायता करता है। इसका मुख्यालय वॉशिंगटन डी॰ सी॰, संयुक्त राज्य में है। इस संगठन के प्रबंध निदेशक डॉमनिक स्ट्रॉस है। आईएमएफ की विशेष मुद्रा एसडीआर (स्पेशल ड्राइंग राइट्स) है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वित्त के लिए कुछ देशों की मुद्रा का इस्तेमाल किया जाता है, इसे एसडीआर कहते हैं। एसडीआर में यूरो, पाउंड, येन और डॉलर हैं। आईएमएफ की स्थापना १९४४ में की गई थी। विभिन्न देशों की सरकार के ४५ प्रतिनिधियों ने अमेरिका के ब्रिटेन वुड्स में बैठक कर अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक समझौते की रूपरेखा तैयार की थी। २७ दिसंबर, १९४५ को २९ देशों के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद आईएमएफ की स्थापना हुई। वॉशिंगटन डी॰ सी॰ में मुख्यालय आईएमएफ के कुल १८६ सदस्य देश हैं। २९ जून २००९ को कोसोवो गणराज्य १८६वें देश के रूप में शामिल हुआ था। आईएमएफ का उद्देश्य आर्थिक स्थिरता सुरक्षित करना, आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देना, गरीबी कम करना, रोजगार को बढ़ावा देना और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सुविधाजनक बनाना है। सदस्य देशों की संख्या बढ़ने के साथ वैश्विक अर्थ-व्यवस्था में आईएमएफ का कार्य काफी बढ़ा है। कोई भी देश आईएमएफ की सदस्यता के लिए आवेदन कर सकता है। पहले यह आवेदन आईएमएफ के कार्यपालक बोर्ड द्वारा विचाराधीन भेजी जाती है। इसके बाद कार्यकारी बोर्ड, बोर्ड ऑफ गर्वनेस को उसकी संस्तुति के लिए भेजता है। वहां स्वीकृत होने पर सदस्यता मिल जाती है। .

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अरब सागर

अरब सागर जिसका भारतीय नाम सिंधु सागर है, भारतीय उपमहाद्वीप और अरब क्षेत्र के बीच स्थित हिंद महासागर का हिस्सा है। अरब सागर लगभग 38,62,000 किमी2 सतही क्षेत्र घेरते हुए स्थित है तथा इसकी अधिकतम चौड़ाई लगभग 2,400 किमी (1,500 मील) है। सिन्धु नदी सबसे महत्वपूर्ण नदी है जो अरब सागर में गिरती है, इसके आलावा भारत की नर्मदा और ताप्ती नदियाँ अरब सागर में गिरती हैं। यह एक त्रिभुजाकार सागर है जो दक्षिण से उत्तर की ओर क्रमश: संकरा होता जाता है और फ़ारस की खाड़ी से जाकर मिलता है। अरब सागर के तट पर भारत के अलावा जो महत्वपूर्ण देश स्थित हैं उनमें ईरान, ओमान, पाकिस्तान, यमन और संयुक्त अरब अमीरात सबसे प्रमुख हैं। .

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अरुणाचल प्रदेश के जिले

यह सूची अरुणाचल प्रदेश के जिलों की है:-.

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अर्थव्यवस्था के आकार के आधार पर भारत के राज्य

यह सूची भारत के राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के सकल घरेलू उत्पाद के आकार पर आधारित है। .

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असम का भूगोल

'असम' शब्‍द संस्‍कृत के 'असोमा' शब्‍द से बना है, जिसका अर्थ है अनुपम अथवा अद्वितीय। लेकिन आज ज्‍यादातर विद्वानों का मानना है कि यह शब्‍द मूल रूप से 'अहोम' से बना है। ब्रिटिश शासन में इसके विलय से पूर्व लगभग छह सौ वर्षो तक इस भूमि पर अहाम राजाओं ने शासन किया। आस्ट्रिक, मंगोलियन, द्रविड़ और आर्य जैसी विभिन्‍न जातियां प्राचलन काल से इस प्रदेश की पहाडियों और घाटियों में समय-समय पर आकर बसीं और यहां की मिश्रित संस्‍कृति में अपना योगदान दिया। इस तरह असम में संस्‍कृति और सभ्‍यता की समृ‍द्ध परंपरा रही है। .

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असम का खाना

खाना, असम का खाना, असम का.

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असम का इतिहास

असम का इतिहास भारतीय आर्य, तिब्बता-बर्मी और ऑस्ट्रो एशियाई संस्कृति के एक अच्छे मिश्रण की कहानी है। .

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असम के जिले

असम के जिले भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम में २७ जिले (मानचित्र में २३ प्रदर्शित) हैं। .

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असमिया चलचित्र

असमिया चलचित्र असमिया चलचित्र या असमिया सिनेमा, असमिया भाषा में बनाया गया चलचित्र है, जो मुख्य तौर पर असम (भारत) में देखा जाता है। इसकी शुरुआत १९३५ में ज्योतिप्रसाद आगरवाला द्वारा बनाई गई फिल्म जॉयमोती के साथ हुई।, IMDb.com.

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असमिया भाषा

आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं की शृंखला में पूर्वी सीमा पर अवस्थित असम की भाषा को असमी, असमिया अथवा आसामी कहा जाता है। असमिया भारत के असम प्रांत की आधिकारिक भाषा तथा असम में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। इसको बोलने वालों की संख्या डेढ़ करोड़ से अधिक है। भाषाई परिवार की दृष्टि से इसका संबंध आर्य भाषा परिवार से है और बांग्ला, मैथिली, उड़िया और नेपाली से इसका निकट का संबंध है। गियर्सन के वर्गीकरण की दृष्टि से यह बाहरी उपशाखा के पूर्वी समुदाय की भाषा है, पर सुनीतिकुमार चटर्जी के वर्गीकरण में प्राच्य समुदाय में इसका स्थान है। उड़िया तथा बंगला की भांति असमी की भी उत्पत्ति प्राकृत तथा अपभ्रंश से भी हुई है। यद्यपि असमिया भाषा की उत्पत्ति सत्रहवीं शताब्दी से मानी जाती है किंतु साहित्यिक अभिरुचियों का प्रदर्शन तेरहवीं शताब्दी में रुद्र कंदलि के द्रोण पर्व (महाभारत) तथा माधव कंदलि के रामायण से प्रारंभ हुआ। वैष्णवी आंदोलन ने प्रांतीय साहित्य को बल दिया। शंकर देव (१४४९-१५६८) ने अपनी लंबी जीवन-यात्रा में इस आंदोलन को स्वरचित काव्य, नाट्य व गीतों से जीवित रखा। सीमा की दृष्टि से असमिया क्षेत्र के पश्चिम में बंगला है। अन्य दिशाओं में कई विभिन्न परिवारों की भाषाएँ बोली जाती हैं। इनमें से तिब्बती, बर्मी तथा खासी प्रमुख हैं। इन सीमावर्ती भाषाओं का गहरा प्रभाव असमिया की मूल प्रकृति में देखा जा सकता है। अपने प्रदेश में भी असमिया एकमात्र बोली नहीं हैं। यह प्रमुखतः मैदानों की भाषा है। .

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असमिया साहित्य

यद्यपि असमिया भाषा की उत्पत्ति १७वीं शताब्दी से मानी जाती है किंतु साहित्यिक अभिरुचियों का प्रदर्शन १३वीं शताब्दी में कंदलि के द्रोण पर्व (महाभारत) तथा कंदलि के रामायण से प्रारंभ हुआ। वैष्णवी आंदोलन ने प्रांतीय साहित्य को बल दिया। शंकर देव (१४४९-१५६८) ने अपनी लंबी जीवन-यात्रा में इस आंदोलन को स्वरचित काव्य, नाट्य व गीतों से जीवित रखा। असमिया के शिष्ट और लिखित साहित्य का इतिहास पाँच कालों में विभक्त किया जाता है.

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अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (All India Council for Technical Education / AICTE) भारत में नई तकनीकी संस्थाएं शुरू करने, नए पाठयक्रम शुरू करने और तकनीकी संस्थाओं में प्रवेश-क्षमता में फेरबदल करने हेतु अनुमोदन देती है। यह ऐसी संस्थाओं के लिए मानदंड भी निर्धारित करती है। इसकी स्थापना 1945 में सलाहकार निकाय के रूप में की गई थी और बाद में संसद के अधिनियम द्वारा 1987 में इसे संविधिक दर्जा प्रदान किया गया। इसका मुख्यालय नयी दिल्ली में है जहाँ इसके अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सचिव के कार्यालय हैं। कोलकाता, चैन्नई, कानपुर, मुम्बई, चंडीगढ़, भोपाल और बंगलौर में इसके 7 क्षेत्रीय कार्यालय स्थित हैं। हैदराबाद में एक नया क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित किया गया है। यह तकनीकी संस्थाओं के प्रत्यायन या कार्यक्रमों के माध्यम से तकनीकी शिक्षा के गुणवत्ता विकास को भी सुनिश्‍चित करती है। अपनी विनियामक भूमिका के अलावा अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद की एक बढ़ावा देने की भी भूमिका है जिसे यह तकनीकी संस्थाओं को अनुदान देकर महिलाओं, विकलांगों और समाज के कमजोर वर्गों के लिए तकनीकी शिक्षा का विकास, नवाचारी, संकाय, अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने संबंधी योजनाओं के माध्यम से कार्यान्वित करती है। परिषद 21 सदस्यों वाली कार्यकारी समिति के माध्यम से अपना कार्य करती है। 10 सांविधिक अध्ययन बोर्ड द्वारा सहायता प्राप्त है जो नामत: इंजीनियरी और प्रौद्योगिकी में अवर स्नातक अध्ययन, इंजीनियरी और प्रौद्योगिकी में स्नातकोत्तर और अनुसंधान, प्रबंध अध्ययन, व्यावसायिक शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, फर्मास्युटिकल शिक्षा, वास्तुशास्त्र, होटल प्रबंधन और कैटरिंग प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी, टाउन एवं कंट्री पलैनिंग परिषद की सहायता करते हैं। .

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अखिल भारतीय सेवाएं

अखिल भारतीय सेवाएं भारत सरकार द्वारा नियुक्त की गईं तीन सेवाओं को संयुक्त रूप से नाम दिया गया है। ये तीन सेवाएं हैं.

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अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन

अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन, हिन्दी भाषा एवं साहित्य तथा देवनागरी का प्रचार-प्रसार को समर्पित एक प्रमुख सार्वजनिक संस्था है। इसका मुख्यालय प्रयाग (इलाहाबाद) में है जिसमें छापाखाना, पुस्तकालय, संग्रहालय एवं प्रशासनिक भवन हैं। हिंदी साहित्य सम्मेलन ने ही सर्वप्रथम हिंदी लेखकों को प्रोत्साहित करने के लिए उनकी रचनाओं पर पुरस्कारों आदि की योजना चलाई। उसके मंगलाप्रसाद पारितोषिक की हिंदी जगत् में पर्याप्त प्रतिष्ठा है। सम्मेलन द्वारा महिला लेखकों के प्रोत्साहन का भी कार्य हुआ। इसके लिए उसने सेकसरिया महिला पारितोषिक चलाया। सम्मेलन के द्वारा हिंदी की अनेक उच्च कोटि की पाठ्य एवं साहित्यिक पुस्तकों, पारिभाषिक शब्दकोशों एवं संदर्भग्रंथों का भी प्रकाशन हुआ है जिनकी संख्या डेढ़-दो सौ के करीब है। सम्मेलन के हिंदी संग्रहालय में हिंदी की हस्तलिखित पांडुलिपियों का भी संग्रह है। इतिहास के विद्वान् मेजर वामनदास वसु की बहुमूल्य पुस्तकों का संग्रह भी सम्मेलन के संग्रहालय में है, जिसमें पाँच हजार के करीब दुर्लभ पुस्तकें संगृहीत हैं। .

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अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ

अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ का ध्वज अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ, अंतरराष्ट्रीय आधारों पर मजदूरों तथा श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए नियम बनाता है। यह संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट संस्था है। 1969 में इसे विश्व शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मज़दूरों के अधिकारों के लिए अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) का गठन किया गया। यह एक संस्था है जो संयुक्त राष्ट्र में उपस्थित है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रमिक मुद्दों को देखने के लिये स्थापित हुई है। पूरे 193 (यूएन) सदस्य राज्य के इसमें लगभग 187 सदस्य हैं। विभिन्न वर्गों के बीच में शांति प्रचारित करने के लिये, मजदूरों के मुद्दों को देखने के लिये, राष्ट्र को विकसित बनाने के लिये, उन्हें तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिये वर्ष 1969 में इसे नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) मजदूर वर्ग के लोगों के लिये अंतरराष्ट्रीय नियमों के उल्लंघन की सभी शिकायतों को देखता है। इसके पास त्रिकोणिय संचालन संरचना है अर्थात् “सरकार, नियोक्ता और मजदूर का प्रतिनिधित्व करना (सामान्यतया 2:1:1 के अनुपात में)” सरकारी अंगों और सामाजिक सहयोगियों के बीच मुक्त और खुली चर्चा उत्पन्न करने के लिये, अंतरराष्ट्रीय श्रमिक कार्यालय के रूप में अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन सचिवालय कार्य करता है। अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) के कार्यों में अंतरराष्ट्रीय श्रमिक सम्मेलन, स्वीकार करना या कार्यक्रम आयोजित करना, मुख्य निदेशक को चुनना, मजदूरों के मामलों के बारे में सदस्य राज्य के साथ व्यवहार, अंतरराष्ट्रीय श्रमिक कार्यालय कार्यवाही की जिम्मेदारी के साथ ही जाँच कमीशन की नियुक्ति के बारे में योजना बनाने या फैसले लेने के लिये संस्था को अधिकार प्राप्त है। अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) के पास लगभग 28 सरकारी प्रतिनिधि हैं, 14 नियोक्ता प्रतिनिधि और 14 श्रमिकों के प्रतिनिधि हैं। जिसमें भारत से भारतीय मजदूर संघ की भुमिका अहम मानी जाती है। आम नीतियाँ बनाने के लिये, कार्यक्रम की योजना और बजट निर्धारित करने के लिये जून के महीने में जेनेवा में वार्षिक आधार पर ये एक अंतरराष्ट्रीय श्रमिक सभा आयोजित करता है (श्रमिकों की संसद के पास 4 प्रतिनिधि हैं, 2 सरकारी, 1 नियोक्ता और 1 मजदूरों का नुमाइंदा)। .

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अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फ़िल्म अकादमी पुरस्कार

अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फ़िल्म अकादमी पुरस्कार जो कि सामान्यत: आई आई एफ ए के नाम से भी जाने जाते हैं, दुनिया भर में भारतीय चलचित्र के योगदान के सम्मान स्वरूप में दिये जाते हैं। .

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अंगिका भाषा

अंगिका लगभग तीन करोड़लोगों की भाषा है जो बिहार के पूर्वी, उत्तरी व दक्षिणी भागों,झारखण्ड के उत्तर पूर्वी भागों और पं.

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अक्षरधाम मंदिर, दिल्ली

नई दिल्ली में बना स्वामिनारायण अक्षरधाम मन्दिर एक अनोखा सांस्कृतिक तीर्थ है। इसे ज्योतिर्धर भगवान स्वामिनारायण की पुण्य स्मृति में बनवाया गया है। यह परिसर १०० एकड़ भूमि में फैला हुआ है। दुनिया का सबसे विशाल हिंदू मन्दिर परिसर होने के नाते २६ दिसम्बर २००७ को यह गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिका‌र्ड्स में शामिल किया गया। .

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उच्चतर शिक्षा विभाग

उच्चतर शिक्षा विभाग भारत में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत बना उच्च शिक्षा के संवर्धन के लिए एक विभाग है। यह विभाग विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की धारा 3 (यूजीसी) अधिनियम, 1956 के तहत, भारत के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की सलाह पर शिक्षण संस्थानों को डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा देने का अधिकार है .

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उत्तर प्रदेश पुलिस

उत्तर प्रदेश पुलिस भारत के राज्य उत्तर प्रदेश में २३६,२८६वर्ग.कि.मी के क्षेत्र में २० करोड़ जनसंख्या (वर्ष 2011 के अनुसार) में न्याय एवं कानून व्यवस्था बनाये रखने हेतु उत्तरदायी पुलिस सेवा है। ये पुलिस सेवा न केवल भारत वरन विश्व की सबसे बड़ी पुलिस सेवा है। सेवा के महानिदेशक-पुलिस की कमान की शक्ति १.७० लाख के लगभग है जो 75 जिलों में ३१ सशस्त्र बटालियनों एवं अन्य विशिष्ट स्कंधों में बंटी व्यवस्था का नियामन करती है। इन स्कंधों में प्रमुख हैं: इंटेलिजेंस, इन्वेस्टिगेशन, एंटी-करप्शन, तकनीकी, प्रशिक्षण एवं अपराध-विज्ञान, आदि। .

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उत्तर प्रदेश में पर्यटन

उत्तर प्रदेश में पर्यटन भारत भर में सुविख्यात है एवं इसकी पश्चिमी सीमायें देश की राजधानी नई दिल्ली से लगी हुई हैं। उत्तर प्रदेश भारतीय एवं विदेशी पर्यटको के लिए एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस प्रदेश में कई ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थल हैं। उत्तर प्रदेश की आबादी भारत के सभी राज्योँ में सबसे अधिक है। भूगौलिक रूप से भी उत्तर प्रदेश में विविधता देखने को मिलती है- उत्तर की ओर हिमालय पर्वत हैं और दक्षिण में सिन्धु-गंगा के मैदान हैं। भारत का सबसे लोकप्रिय ऐतिहासिक पर्यटन स्थल ताज महल यहां के आगरा शहर में स्थित है। वाराणसी, जो कि हिन्दुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है जो इसी प्रदेश में है। .

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उत्तर प्रदेश सरकार

उत्तर प्रदेश सरकार भारत में एक लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई राज्य सरकार है जिसमें भारत के राष्ट्रपति द्वारा राज्य के नियुक्त संवैधानिक प्रमुख के रूप में राज्यपाल हैं। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल को पांच साल की अवधि के लिए नियुक्त किया जाता है और मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद की नियुक्ति कराता है, जो राज्य के विधायी शक्तियों के साथ-साथ कार्यकारी शक्तियों के साथ निहित हैं। राज्यपाल राज्य का एक औपचारिक प्रमुख बना रहता है, जबकि मुख्यमंत्री और उनकी परिषद दिन-प्रतिदिन सरकारी कार्यों के लिए जिम्मेदार होती हैं। भारतीय राजनीति पर यूपी की प्रभावी सरकार है और सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारतीय संसद के लिए सबसे अधिक संख्या में लोकसभा सीटों को भेजता है। .

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उत्तर प्रदेश का भूगोल

उत्तर प्रदेश भारत का चौथा सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है, जो देश के उत्तर-मध्य भाग में स्थित है। यह काफी बड़े भाग में फैला हुआ है और इसमें समतल जमीन से लेकर उत्तर में ऊँचे पहाड़ भी मौजूद हैं। उत्तर प्रदेश का मौसम भी अलग अलग रहता है और इसका कारण यह है कि इसकी दूरी सागर से काफी दूर है इस कारण वहाँ का बहुत कम प्रभाव ही यहाँ पड़ता है। यहाँ गर्मी में मौसम 49 °C तक बढ़ जाता है और ठंड में -1 °C तक गिर जाता है। .

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उत्तर प्रदेश का खाना

श्रेणी:लखनऊ श्रेणी:भारतीय खाना श्रेणी:उत्तर प्रदेश की संस्कृति श्रेणी:उत्तर प्रदेश की पाकशैलियाँ.

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उत्तर प्रदेश का इतिहास

उत्तर प्रदेश का भारतीय एवं हिन्दू धर्म के इतिहास मे अहम योगदान रहा है। उत्तर प्रदेश आधुनिक भारत के इतिहास और राजनीति का केन्द्र बिन्दु रहा है और यहाँ के निवासियों ने भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका निभायी। उत्तर प्रदेश के इतिहास को निम्नलिखित पाँच भागों में बाटकर अध्ययन किया जा सकता है- (1) प्रागैतिहासिक एवं पूर्ववैदिक काल (६०० ईसा पूर्व तक), (2) हिन्दू-बौद्ध काल (६०० ईसा पूर्व से १२०० ई तक), (3) मध्य काल (सन् १२०० से १८५७ तक), (4) ब्रिटिश काल (१८५७ से १९४७ तक) और (5) स्वातंत्रोत्तर काल (1947 से अब तक)। .

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उत्तर प्रदेश के ज़िले

उत्तर प्रदेश भारत का एक राज्य है और प्रशासनिक रूप से कई ज़िलों में बंटा हुआ है। इन ज़िलों को 'विभाग' नामक भौगोलिक व प्रशासनिक समूहों में एकत्रित किया गया है। वर्तमान काल में उत्तर प्रदेश १८ विभागों में बांटा गया है जो आगे स्वयं ७५ ज़िलों में बंटे हैं।, Lalmani Verma, The Indian Express, 01 Dec 2011 .

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उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था

उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था, भारत की दूसरी सबसे बड़ी राज्य अर्थव्यवस्था है। 2017-18 के बजट के अनुसार उत्तर प्रदेश का जीएसडीपी (राज्यों के सकल देशी उत्पाद) 14.46 लाख करोड़ (230 अरब अमेरिकी डॉलर) हैं। 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश की 22.3% आबादी शहरी है। महाराष्ट्र की शहरी आबादी 5,08,18,259 है, जबकि उत्तर प्रदेश की 4,44,95,063 है। राज्य में दस लाख से अधिक आबादी वाले 7 शहर हैं। 2000 में विभाजन के बाद, नया उत्तर प्रदेश राज्य, पुराने उत्तर प्रदेश राज्य के उत्पादन का लगभग 92% उत्पादन करता है। तेंदुलकर समिति के अनुसार 2011-12 में उत्तर प्रदेश की 29.43% जनसंख्या गरीब थी, जबकि रंगराजन समिति ने राज्य में इसी अवधि के लिए 39.8% गरीब की जानकारी दी थी। 10वीं पंचवर्षीय योजना (2002-2007) में राज्य का वार्षिक आर्थिक विकास दर 5.2% था। जोकि 11वीं पंचवर्षीय योजना (2007-2012) में 7% वार्षिक आर्थिक वृद्धि दर को छू लिया। लेकिन उसके बाद यह 2012-13 में 5.9% और 2013-14 में 5.1% तक गिर गया, हालांकि यह भारत में सबसे कम था। राज्य का कर्ज 2005 में सकल घरेलू उत्पाद का 67 प्रतिशत था। 2012 में, भारत को विप्रेषित धन में राज्य को सबसे अधिक प्राप्त हुआ था, जोकि केरल, तमिलनाडु और पंजाब के साथ 0.1 अरब डॉलर (3,42,884.05 करोड़ रुपये) का था। राज्य सरकार ने मेट्रो रेल परियोजना के लिए पांच शहरों मेरठ, आगरा, कानपुर, लखनऊ और वाराणसी का चयन किया हुआ है। लखनऊ में मेट्रो का परिचालन कुछ मार्गो कि लिये आरम्भ हो चुका है, हालांकि अभी यह अपने शुरूआती स्थिति पर है। उत्तर प्रदेश एक कृषि राज्य है, जिसका 2013-14 में देश के कुल अनाज उत्पादन में 8.89% योगदान था। .

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उत्तर भारत

उत्तरी भारत में अनेक भौगोलिक क्षेत्र आते हैं। इसमें मैदान, पर्वत, मरुस्थल आदि सभी मिलते हैं। यह भारत का उत्तरी क्षेत्र है। प्रधान भौगोलिक अंगों में गंगा के मैदान और हिमालय पर्वतमाला आती है। यही पर्वतमाला भारत को तिब्बत और मध्य एशिया के भागों से पृथक करती है। उत्तरी भारत मौर्य, गुप्त, मुगल एवं ब्रिटिश साम्राज्यों का ऐतिहासिक केन्द्र रहा है। यहां बहुत से हिन्दू तीर्थ जैसे पर्वतों में गंगोत्री से लेकर मैदानों में वाराणासी तक हैं, तो मुस्लिम तीर्थ जैसे अजमेर.

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उत्तराखण्ड में पर्यटन और तीर्थाटन

उत्तराखण्ड में पर्यटन और तीर्थाटन इस राज्य में आय का प्रमुख स्रोत और यहाँ की अर्थव्यवस्था के सबसे महत्वपूर्ण घटकों में से एक है। उत्तराखण्ड में भारत के कुछ सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं जैसे नैनीताल, मसूरी, देहरादून, कौसानी इत्यादि। इसके अतिरिक्त यहाँ कुछ प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान भी हैं जैसे फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान, जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, राजाजी राष्ट्रीय अभयारण्य, नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान इत्यादि। यह सब स्थल भी देश-विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। उत्तराखण्ड को देव भूमि के नाम से भी जाना जाता है। इसका कारण है कि यहाँ वैदिक संस्कृति के कुछ अति महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। उत्तराखण्ड के लगभग हर कोने में किसी ना किसी देवता या देवी का मन्दिर है। इस राज्य में भारत के सबसे प्रमुख धार्मिक नगरों में से एक हरिद्वार में प्रति वर्ष लाखों पर्यटक आते है। हरिद्वार के निकट स्थित ऋषिकेश भारत में योग क एक प्रमुख स्थल है और जो हरिद्वार के साथ मिलकर एक पवित्र हिन्दू तीर्थ स्थल है। इसके अतिरिक्त छोटा चारधाम भी इसी राज्य में स्थित हैं: केदारनाथ, गंगोत्री, बद्रीनाथ, यमुनोत्री तथा दूनागिरी। इन धामों की यात्रा के लिए भी प्रति वर्ष लाखों लोग देशभर से आते हैं। श्रेणी:उत्तराखण्ड में पर्यटन श्रेणी:उत्तराखण्ड के पर्यटन स्थल श्रेणी:उत्तराखण्ड में हिन्दू धर्म.

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उत्तराखण्ड के जिले

उत्तराखण्ड के जिले इस सूची में उत्तराखण्ड के जिले और उनकी जनसंख्या, जिला मुख्यालय, क्षेत्रफल और घनत्व की सूचना है। .

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उत्तरी गोलार्ध

उत्तरी गोलार्ध पीले में दर्शित उत्तरी गोलार्ध उत्तरी ध्रुव के ऊपर से उत्तरी गोलार्ध पृथ्वी का वह भाग है जो भूमध्य रेखा के उत्तर में है। अन्य सौर मण्डल के ग्रहों की उत्तर दिशा पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव के स्थिर समतल में लिया जाता है। पृथ्वी के अक्षीय झुकाव की वजह से उत्तरी गोलार्ध में शीत ऋतु, दक्षिणायन (२२ दिसंबर के आसपास) से वसंत विषुव (लगभग २३ मार्च) तक चलता है और ग्रीष्म ऋतु, उत्तरायण (२१ जून) से शरद विषुव (लगभग २३ सितंबर) तक चलता है। उत्तरी गोलार्ध का उत्तरी ‌छोर पूरी तरह ठोस नहीं है, वहाँ समुद्र के बीच जगह-जगह विशाल हिमखन्ड मिलते हैं। .

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उपमहाद्वीप

उपमहाद्वीप एक महाद्वीप के भीतर एक बड़े, अपेक्षाकृत घुन्ना भूभाग है। शब्दकोश प्रविष्टियों के अनुसार उपमहाद्वीप को महाद्वीप के बाकी हिस्सों से एक निश्चित भौगोलिक या राजनीतिक स्वतंत्रता होती है।वाक्यांश "उपमहाद्वीप" आमतौर पर भारतीय उपमहाद्वीप को संदर्भित करता है, जिसमें भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, मालदीव और श्रीलंका शामिल है। श्रेणी:भूभाग.

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उर्दू भाषा

उर्दू भाषा हिन्द आर्य भाषा है। उर्दू भाषा हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप मानी जाती है। उर्दू में संस्कृत के तत्सम शब्द न्यून हैं और अरबी-फ़ारसी और संस्कृत से तद्भव शब्द अधिक हैं। ये मुख्यतः दक्षिण एशिया में बोली जाती है। यह भारत की शासकीय भाषाओं में से एक है, तथा पाकिस्तान की राष्ट्रभाषा है। इस के अतिरिक्त भारत के राज्य तेलंगाना, दिल्ली, बिहार और उत्तर प्रदेश की अतिरिक्त शासकीय भाषा है। .

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उर्दू साहित्य

उर्दू भारत तथा पाकिस्तान की आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं में से एक है। इसका विकास मध्ययुग में उत्तरी भारत के उस क्षेत्र में हुआ जिसमें आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली और पूर्वी पंजाब सम्मिलित हैं। इसका आधार उस प्राकृत और अपभ्रंश पर था जिसे 'शौरसेनी' कहते थे और जिससे खड़ीबोली, ब्रजभाषा, हरियाणी और पंजाबी आदि ने जन्म लिया था। मुसलमानों के भारत में आने और पंजाब तथा दिल्ली में बस जाने के कारण इस प्रदेश की बोलचाल की भाषा में फारसी और अरबी शब्द भी सम्मिलित होने लगे और धीरे-धीरे उसने एक पृथक् रूप धारण कर लिया। मुसलमानों का राज्य और शासन स्थापित हो जाने के कारण ऐसा होना स्वाभाविक भी था कि उनके धर्म, नीति, रहन-सहन, आचार-विचार का रंग उस भाषा में झलकने लगे। इस प्रकार उसके विकास में कुछ ऐसी प्रवृत्तियाँ सम्मिलित हो गईं जिनकी आवश्यकता उस समय की दूसरी भारतीय भाषाओं को नहीं थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली में बोलचाल में खड़ीबोली का प्रयोग होता था। उसी के आधार पर बाद में उर्दू का साहित्यिक रूप निर्धारित हुआ। इसमें काफी समय लगा, अत: देश के कई भागों में थोड़े-थोड़े अंतर के साथ इस भाषा का विकास अपने-अपने ढंग से हुआ। उर्दू का मूल आधार तो खड़ीबोली ही है किंतु दूसरे क्षेत्रों की बोलियों का प्रभाव भी उसपर पड़ता रहा। ऐसा होना ही चाहिए था, क्योंकि आरंभ में इसको बोलनेवाली या तो बाजार की जनता थी अथवा वे सुफी-फकीर थे जो देश के विभिन्न भागों में घूम-घूमकर अपने विचारों का प्रचार करते थे। इसी कारण इस भाषा के लिए कई नामों का प्रयोग हुआ है। अमीर खुसरो ने उसको "हिंदी", "हिंदवी" अथवा "ज़बाने देहलवी" कहा था; दक्षिण में पहुँची तो "दकिनी" या "दक्खिनी" कहलाई, गुजरात में "गुजरी" (गुजराती उर्दू) कही गई; दक्षिण के कुछ लेखकों ने उसे "ज़बाने-अहले-हिंदुस्तान" (उत्तरी भारत के लोगों की भाषा) भी कहा। जब कविता और विशेषतया गजल के लिए इस भाषा का प्रयोग होने लगा तो इसे "रेख्ता" (मिली-जुली बोली) कहा गया। बाद में इसी को "ज़बाने उर्दू", "उर्दू-ए-मुअल्ला" या केवल "उर्दू" कहा जाने लगा। यूरोपीय लेखकों ने इसे साधारणत: "हिंदुस्तानी" कहा है और कुछ अंग्रेज लेखकों ने इसको "मूस" के नाम से भी संबोधित किया है। इन कई नामों से इस भाषा के ऐतिहासिक विकास पर भी प्रकार पड़ता है। .

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छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ भारत का एक राज्य है। छत्तीसगढ़ राज्य का गठन १ नवम्बर २००० को हुआ था। यह भारत का २६वां राज्य है। भारत में दो क्षेत्र ऐसे हैं जिनका नाम विशेष कारणों से बदल गया - एक तो 'मगध' जो बौद्ध विहारों की अधिकता के कारण "बिहार" बन गया और दूसरा 'दक्षिण कौशल' जो छत्तीस गढ़ों को अपने में समाहित रखने के कारण "छत्तीसगढ़" बन गया। किन्तु ये दोनों ही क्षेत्र अत्यन्त प्राचीन काल से ही भारत को गौरवान्वित करते रहे हैं। "छत्तीसगढ़" तो वैदिक और पौराणिक काल से ही विभिन्न संस्कृतियों के विकास का केन्द्र रहा है। यहाँ के प्राचीन मन्दिर तथा उनके भग्नावशेष इंगित करते हैं कि यहाँ पर वैष्णव, शैव, शाक्त, बौद्ध संस्कृतियों का विभिन्न कालों में प्रभाव रहा है। .

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छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल

छत्तीसगढ़ में कई ऐसे स्थल हैं जो विभिन्न कारणों से पर्यटन हेतु महत्वपूर्ण हैं। इनमें से कुछ पुरातात्विक कारणों से महत्वपूर्ण हैं तो कुछ प्राकृतिक दृश्यों और वन्य जीवों के लिये प्रसिद्द हैं। इन पर्यटन स्थलों की सूची इस प्रकार से है: .

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छत्तीसगढ़ के जिले

यह सूची छत्तीसगढ़ के जिलों की है:-.

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2012 दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामला

दिल्ली के सामूहिक बलात्कार कांड के विरोध में कलकत्ता में हुए प्रदर्शन का एक दृश्य दिल्ली के सामूहिक बलात्कार कांड के विरोध में पूरे देश में प्रदर्शन हुए उन्हीं में से बंगलौर का एक दृश्य 2012 दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामला भारत की राजधानी दिल्ली में 16 दिसम्बर 2012 को हुई एक बलात्कार तथा हत्या की घटना थी, जो संचार माध्यम के त्वरित हस्तक्षेप के कारण प्रकाश में आयी। इसकी संक्षेप में कहानी इस प्रकार है। "भारत की राजधानी नई दिल्ली में भौतिक चिकित्सा की प्रशिक्षण कर रही एक युवती पर दक्षिण दिल्ली में अपने पुरुष मित्र के साथ बस में सफर के दौरान 16 दिसम्बर 2012 की रात में बस के निर्वाहक, मार्जक व उसके अन्य साथियों द्वारा पहले फब्तियाँ कसी गयीं और जब उन दोनों ने इसका विरोध किया तो उन्हें बुरी तरह पीटा गया। जब उसका पुरुष दोस्त बेहोश हो गया तो उस युवती के साथ उन ने बलात्कार करने की कोशिश की। उस युवती ने उनका डटकर विरोध किया परन्तु जब वह संघर्ष करते-करते थक गयी तो उन्होंने पहले तो उससे बेहोशी की हालत में बलात्कार करने की कोशिश की परन्तु सफल न होने पर उसके यौनांग में व्हील जैक की रॉड घुसाकर उसके अन्तरंगों को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया। बाद में वे सभी उन दोनों को एक निर्जन स्थान पर बस से नीचे फेंककर भाग गये। किसी तरह उन्हें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया। वहाँ बलात्कृत युवती की शल्य चिकित्सा की गयी। परन्तु हालत में कोई सुधार न होता देख उसे 26 दिसम्बर 2012 को सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल ले जाया गया जहाँ उस युवती ने 29 दिसम्बर 2012 को यह शरीर सदा-सदा के लिये त्याग दिया।" 30 दिसम्बर 2012 को उसका शव दिल्ली लाकर पुलिस की सुरक्षा में जला दिया गया। भारत सरकार के इस कृत्य की निन्दा करते हुए सोशल मीडिया में ट्वीटर फेसबुक आदि पर काफी कुछ लिखा गया। इस घटना के विरोध में पूरे देश में उग्र व शान्तिपूर्ण प्रदर्शन हुए उन्हीं में से नई दिल्ली, कलकत्ता और बंगलौर में हुए प्रदर्शनों के कुछ दृश्य भी बानगी के तौर पर यहाँ दिये जा रहे हैं। उल्लेखनीय बात यह है कि नई दिल्ली में यौन अपराधों की दर अन्य मैट्रोपॉलिटन शहरों के मुकाबले सर्वाधिक (प्रति 18 घण्टे पर लगभग एक बलात्कार) है। इससे पूर्व भारत की एक मात्र महिला राष्ट्र्पति प्रतिभा पाटिल सुप्रीम कोर्ट द्वारा बलात्कार के पाँच मामलों में दी गयी फाँसी की सजा को माफ करके उम्रकैद में बदल चुकी हैं। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी निन्दा हुई है। सम्प्रति जनता के आक्रोश और समय की माँग को देखते हुए भारत की केन्द्र सरकार बलात्कारियों को जीवन भर के लिये नपुंसक बना देने पर विचार कर रही है। .

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