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भारत का त्रिचरण नाभिकीय कार्यक्रम

सूची भारत का त्रिचरण नाभिकीय कार्यक्रम

मोनाजाइट पाउडर । यही विश्व के थोरियम का मुख्य स्रोत है। भारत में इसके विशाल भण्डार हैं (केरल के समुद्रतटीय रेत में)। भारतीय नाभिकीय विद्युत उत्पादन कार्यक्रम के अंतर्गत एक तीन चरणीय कार्यक्रम (चरण 1, चरण 2, चरण 3) का समावेश है। यह योजना होमी जहांगीर भाभा द्वारा १९५० के दशक में बनायी गयी थी। इसका उद्देश्य दक्षिण भारत के समुद्रतटीय क्षेत्रों में पाये जाने वाले मोनाजाइट रेत में पाये जाने वाले यूरेनियम तथा थोरियम का उपयोग करते हुए दीर्घ अवधि में भारत को ऊर्जा क्षेत्र में स्वावलम्बी बनाना था। ध्यात्व्य है कि भारत के पास थोरियम के भारी भण्डार हैं। भारत के नाभिकीय कार्यक्रम के तीन चरण ये हैं-.

18 संबंधों: तारापुर, थोरियम, थोरियम ईंधन चक्र, दाबित जल रिऐक्टर, द्रुत प्रजनक परीक्षण रिएक्टर, नाभिकीय ईन्धन, न्यूट्रॉन विमन्दक, प्राकृतिक यूरेनियम, प्रजनक रिऐक्टर, भारत, भारत में परमाणु ऊर्जा, भारी जल, मोनाज़ाइट, यूरेनियम, रूस, होमी जहांगीर भाभा, क्वथन जल रिऐक्टर, केरल

तारापुर

तारापुर महाराष्ट्र के पालघर जिले का एक कस्बा है। यह एक औद्योगिक नगर है। यहाँ भारत के चार नाभिकीय रिएक्टर हैं जिनसे विद्युत शक्ति पैदा की जाती है। श्रेणी:महाराष्ट्र के शहर.

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थोरियम

'''मोनाजाइट''' नामक खनिज थोरियम का प्रमुख स्रोत है। यह एक विरल मृदा एवं थोरियम फॉस्फेट है। थोरियम (Thorium) आवर्त सारणी के ऐक्टिनाइड श्रेणी (actinide series) का प्रथम तत्व है। पहले यह चतुर्थ अंतर्वर्ती समूह (fourth transition group) का अंतिम तत्व माना जाता था, परंतु अब यह ज्ञात है कि जिस प्रकार लैथेनम (La) तत्व के पश्चात् 14 तत्वों की लैथेनाइड शृंखला (lanthanide series) प्रांरभ होती है, उसी प्रकार ऐक्टिनियम (Ac) के पश्चात् 14 तत्वों की दूसरी शृंखला आरंभ होती है, जिसे एक्टिनाइड शृंखला कहते हैं। थोरियम के अयस्क में केवल एक समस्थानिक(द्रव्यमान संख्या 232) पाया जाता है, जो इसका सबसे स्थिर समस्थानिक (अर्ध जीवन अवधि 1.4 x 1010 वर्ष) है। परंतु यूरेनियम, रेडियम तथा ऐक्टिनियम अयस्कों में इसके कुछ समस्थानिक सदैव वर्तमान रहते हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्याएँ 227, 228, 230, 231 तथा 234 हैं। इनके अतिरिक्त 224, 225, 226, 229 एवं 233 द्रव्यमान वाले समस्थानिक कृत्रिम उपायों द्वारा निर्मित हुए हैं। थोरियम धातु की खोज 1828 ई में बर्ज़ीलियस ने थोराइट अयस्क में की थी। यद्यपि इसके अनेक अयस्क ज्ञात हैं, परंतु मोनेज़ाइट (monazite) इसका सबसे महत्वपूर्ण स्रोत हैं, जिसमें थोरियम तथा अन्य विरल मृदाओं के फॉस्फेट रहते हैं। संसार में मोनेज़ाइट का सबसे बड़ा भंडार भारत के केरल राज्य में हैं। बिहार प्रदेश में भी थोरियम अयस्क की उपस्थिति ज्ञात हुई है। इनके अतिरिक्त मोनेज़ाइट अमरीका, आस्ट्रलिया, ब्राज़िल और मलाया में भी प्राप्त है। मौनेज़ाइट को सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल की प्रक्रिया कर आंशिक क्षारीय विलयन मिलाने से थोरियम फॉस्फेट का अवक्षेप बनता है। इसको सल्फ्यूरिक या हाइड्रोक्लोरिक अम्ल में घुला कर फिर फॉस्फेट अवक्षिप्त करते हैं। इस क्रिया को दोहराने पर थोरियम का शुद्ध फॉस्फेट मिलता है। थोरियम क्लोराइड को सोडियम के साथ निर्वात में गरम करने से थोरियम धातु मिलती है। थोरियम आयोडाइड (Th I4) के वाष्प को गरम टंग्स्टन तंतु (filament) पर प्रवाहित करने से, या थोरियम ऑक्साइड (ThO2) पर कैल्सियम की प्रक्रिया द्वारा भी, थोरियम धातु प्राप्त हो सकती है। थोरियम का निष्कर्षण .

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थोरियम ईंधन चक्र

थोरियम ईंधन चक्र (thorium fuel cycle) एक नाभिकीय ईंधन चक्र है जो थोरियम के समस्थानिक Th-232 का उपयोग उर्वर पदार्थ (फर्टाइल मैटेरियल) के रूप में करता है। रिएक्टर में Th-232 बदलकर यूरेनियम-२३३ बन जाता है जो नाभिकीय ईंधन है। .

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दाबित जल रिऐक्टर

दाबित भारी जल रिऐक्टर (Pressurized Heavy-Water Reactor (PHWR)) वह पॉवर रिऐक्टर है जिसमें विमन्दक तथा शीतलक के रूप में भारी जल (ड्युटिरियम ऑक्साइड, D2O) का उपयोग किया जाता है। इसमें ईंधन के रूप में प्राकृतिक यूरेनियम का उपयोग किया जाता है। इसमें भारी जल को सामान्य दाब के बजाय उच्च दाब पर रखा जाता है ताकि बिना उबाले ही जल को अधिक ताप तक ले जाया जा सके। यद्यपि भारी जल, साधारण जल की अपेक्षा अधिक महंगा पड़ता है, किन्तु इसके उपयोग से एक लाभ यह होता है कि इसमें प्राकृतिक यूरेनियम से ही काम चल जाता है, अर्थात बिना संवर्धित यूरेनियम (इनरिच्ड यूरेनियम) के भी काम चल जाता है। श्रेणी:नाभिकीय रिएक्टर.

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द्रुत प्रजनक परीक्षण रिएक्टर

द्रुत प्रजनक परीक्षण रिएक्टर (Fast Breeder Test Reactor (FBTR)) भारत के कलपक्कम में स्थित एक प्रजनक रिएक्टर है। इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केन्द्र, कलपक्कम तथा भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुम्बई ने मिलकर इसका डिजाइन तथा निर्माण किया और इसका प्रचाल्न कर रहे हैं। कलपक्कम में ५०० मेगावाट प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर सितम्बर २०१६ में तैयार हो जायेगा| जिसमें बतौर ईंधन प्लूटोनियम-यूरेनियम काम आता है और सोडियम शीतलक के रूप में प्रयुक्त होता है| .

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नाभिकीय ईन्धन

नाभिकीय ईधन (nuclear fuel) या परमाणु ईधन (atomic fuel) उस सामग्री को कहते हैं जिसे विखण्डन (फिज़न) या नाभिकीय संलयन (फ़्युज़न) की प्रक्रियाओं द्वारा नाभिकीय ऊर्जा बनाने के लिये प्रयोग किया जाता है। यूरेनियम-२३५ और प्लूटोनियम-२३९ सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाले नाभिकीय ईधन हैं। .

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न्यूट्रॉन विमन्दक

नाभिकीय इंजीनियरी में उन पदार्थों को न्यूट्रॉन विमन्दक कहते हैं जो द्रुत न्यूट्रॉनों के वेग को कम करके उन्हें मन्द न्यूट्रॉन में बदल देते हैं। ध्यान देने योग्य बात है कि यूरेनियम-२३५ आदि फिसाइल पदार्थ, द्रुत न्यूट्रानों की अपेक्षा मन्द न्यूट्रानों से अधिक तेजी से नाभिकीय अभिक्रिया करते हैं। साधारण जल, भारी जल, ग्रेफाइट आदि प्रमुख विमन्दक हैं। श्रेणी:नाभिकीय ऊर्जा.

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प्राकृतिक यूरेनियम

प्राकृतिक यूरेनियम (Natural uranium) से आशय उस यूरेनियम से है जिसमें यूरेनियम के समस्थानिकों का अनुपात वही होता है जो प्रकृति में सामान्यतः पायी जाती है। प्राकृतिक यूरेनियम में भार के अनुसार 0.711% यूरेनियम-235, 99.284% यूरेनियम-238, तथा अत्यन्त कम मात्रा (0.0055%) में यूरेनियम-234 होता है। यदि प्राकृतिक यूरेनियम से उत्पन्न रेडियोसक्रियता की बात करें तो लगभग 2.2% रेडियोसक्रियता यूरेनियम-235 से आती है, 48.6% यूरेनियम-238 से, और 49.2% यूरेनियम-234 से। .

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प्रजनक रिऐक्टर

प्रजनक रिऐक्टर (breeder reactor) उन नाभिकीय रिएक्टरों को कहते हैं जो जितना विखण्डनीय पदार्थ (fissile material) खर्च करते हैं उससे अधिक उत्पादन करते हैं। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भारत में परमाणु ऊर्जा

भारतीय विद्युत उत्पादन एवं आपूर्ति के क्षेत्र में परमाणु ऊर्जा एक निश्चित एवं निर्णायक भूमिका है। किसी भी राष्ट्र के सम्पूर्ण विकास के लिए विद्युत की पर्याप्त तथा अबाधित आपूर्ति का होना आवश्यक है। विकासशील देश होने के कारण भारत की सम्पूर्ण विद्युत आवश्यकताओं का एक बड़ा भाग गैर पारम्परिक स्रोतों से पूरा किया जाता है क्योंकि पारम्परिक स्रोतों द्वारा बढ़ती हुई आवश्यकताओं को पूरा नहीं किया जा सकता। भारत ने नाभिकीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त की है। इसका श्रेय डॉ॰ होमी भाभा द्वारा प्रारंभ किए गए महत्वपूर्ण प्रयासों को जाता है जिन्होंने भारतीय नाभिकीय कार्यक्रम की कल्पना करते हुए इसकी आधारशिला रखी। तब से ही परमाणु ऊर्जा विभाग परिवार के समर्पित वेज्ञानिकों तथा इंजीनियरों द्वारा बड़ी सतर्कता के साथ इसे आगे बढ़ाया गया है। भारत में गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में परमाणु बिजली केंद्र है। ये केंद्र केंद्र सरकार के अधीन हैं।वर्तमान में (अप्रैल 2015 से जेनुअरी 2016 तक) कुल बिजली उत्पादन में नाभिकीय ऊर्जा का भाग 30869 मिलियन यूनिट है जो कि लगभग 3.3% है। वर्तमान में कुल स्थापित क्षमता 5780 मेगावाट है, तथा 2022 तक 13480 मेगावाट बिजली के उत्पादन की संभावना है, यदि वर्तमान में सभी निर्माणाधीन और कुछ नए प्रोजेक्ट को समयबद्ध तरीके से पूरा कर लिया जाता है। 1983 में गठित परमाणु ऊर्जा विनियामक बोर्ड (एईआरबी) भारत में परमाणु ऊर्जा के लिए नियामक संस्था है। नाभिकीय विज्ञान अनुसंधान बोर्ड (बीआरएनएस) के द्वारा अनुसंधान और विकास संबंधी गतिविधियां की जाती हैं। .

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भारी जल

भारी जल, हाइड्रोजन के समस्थानिक ड्यूटीरियम का आक्साइड हैं। इसमे ०.०१४ % साधारण जल होता हैं। रसायन की भाषा में हाइड्रोजन ऑक्साइड (H2O, अणुभार 18) है। इस के एक अणु में ऑक्सीजन का एक परमाणु हाइड्रोजन के दो परमाणुओं से सह संयोजी बन्ध से जुड़ा रहता है। हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक (आइसोटोप) पाये जाते हैं, अन्य दो ड्यूटीरियम और ट्रिटियम कहलाते हैं, जिनका परमाणु भार क्रमशः 2 और 3 होता है। सामान्यत: प्राकृतिक जल में जल के ऐसे अणुओं की संख्या चार करोड़ दस लाख और एक के अनुपात में होती है जिसमे हाइड्रोजन का दूसरा समस्थानिक पाया जाता है। इस प्रकार के जल के अणु को D2O (अणुभार 20) से निरूपित किया जाता है। ऐसा जल जिसमे 99 प्रतिशत से अधिक अणु D2O के होते हैं उसको भारी जल के नाम से जाना जाता है, इसका घनत्व (1.1044) सामान्य जल (1.0) से अधिक होता है। भारी जल का व्यावसायिक उत्पादन मुख्यतः रासायनिक विधि से किया जाता है जिसमे गतिज समस्थानिक प्रभाव (Kinetic Isotope Effect) तकनीक का प्रयोग होता है। भारी जल का मुख्य उपयोग नाभिकीय संयन्त्रों में होने वाली नाभिकीय विघटन क्रियाओं के दौरान उत्पन्न न्यूट्रॉन को अवशोषित करने के लिये मंदक के रूप में होता है। जिससे की नाभिकीय ऊर्जा का नियन्त्रित उत्पादन और शान्तिपूर्ण उपयोग किया जा सके। यहाँ भारी जल के स्थान पर साधारण जल का भी प्रयोग किया जा सकता है लेकिन उस परिदृश्य में संयन्त्र में यूरेनियम 235 का ही प्रयोग किया जा सकता है, क्योंकि साधारण जल भारी जल की अपेक्षा अधिक न्यूट्रॉन अवशोषित कर लेता है। श्रेणी:रसायन शास्त्र श्रेणी:रसायन शब्दावली श्रेणी:हाइड्रोजन के समस्थानिक.

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मोनाज़ाइट

माडागास्कर में मिले सीरियम-युक्त मोनाज़ाइट के डले मोनाज़ाइट (Monazite) एक लाल-ख़ाकी रंग का फास्फेट खनिज है जिसमें दुर्लभ मृदा तत्व (रेर अर्थ एलिमेन्ट) पाये जाते हैं। यह अक्सर छोटे क्रिस्टलों में पाया जाता है जो किसी रेत, मिट्टी या अन्य पत्थरों के बीछ बिखरे हुये होते हैं। मोनाज़ाइट थोरियम, लैन्थनम और सीरियम तत्वों को उपलब्ध करने के लिये महत्वपूर्ण खनिज हैं। इसमें कुछ मात्रा में युरेनियम भी मौजूद होता है। थोरियम और युरेनियम बहुत रेडियोधर्मी (रेडियोऐक्टिव) हैं और उनके अल्फा क्षय से मोनाज़ाइट में हीलियम गैस भी पैदा हो जाती है जो मोनाज़ाइट को गरम कर के निकाली जा सकती है। मोनाज़ाइट-युक्त रेत भारत, माडागास्कर व दक्षिण अफ़्रीका में बहुत मात्रा में पाई जाती है। .

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यूरेनियम

यूरेनियम आवर्त सारणी की एक अंतर्वर्ती श्रेणी, ऐक्टिनाइड श्रेणी (actinide series), का तृतीय तत्व है। इस श्रेणी में आंतरिक इलेक्ट्रॉनीय परिकक्षा (5 परिकक्षा) के इलेक्ट्रॉन स्थान लेते हैं। प्रकृति में पाए गए तत्वों में यह सबसे भारी तत्व है। कुछ समय पहले तक इस तत्व को छठे अंतर्वर्ती समूह का अंतिम तत्व माना जाता था। .

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रूस

रूस (रूसी: Росси́йская Федера́ция / रोस्सिज्स्काया फ़ेदेरात्सिया, Росси́я / रोस्सिया) पूर्वी यूरोप और उत्तर एशिया में स्थित एक विशाल आकार वाला देश। कुल १,७०,७५,४०० किमी२ के साथ यह विश्व का सब्से बड़ा देश है। आकार की दृष्टि से यह भारत से पाँच गुणा से भी अधिक है। इतना विशाल देश होने के बाद भी रूस की जनसंख्या विश्व में सातवें स्थान पर है जिसके कारण रूस का जनसंख्या घनत्व विश्व में सब्से कम में से है। रूस की अधिकान्श जनसंख्या इसके यूरोपीय भाग में बसी हुई है। इसकी राजधानी मॉस्को है। रूस की मुख्य और राजभाषा रूसी है। रूस के साथ जिन देशों की सीमाएँ मिलती हैं उनके नाम हैं - (वामावर्त) - नार्वे, फ़िनलैण्ड, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, पोलैण्ड, बेलारूस, यूक्रेन, जॉर्जिया, अज़रबैजान, कजाकिस्तान, चीन, मंगोलिया और उत्तर कोरिया। रूसी साम्राज्य के दिनों से रूस ने विश्व में अपना स्थान एक प्रमुख शक्ति के रूप में किया था। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद सोवियत संघ विश्व का सबसे बड़ा साम्यवादी देश बना। यहाँ के लेखकों ने साम्यवादी विचारधारा को विश्व भर में फैलाया। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सोवियत संघ एक प्रमुख सामरिक और राजनीतिक शक्ति बनकर उभरा। संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ इसकी वर्षों तक प्रतिस्पर्धा चली जिसमें सामरिक, आर्थिक, राजनैतिक और तकनीकी क्षेत्रों में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ थी। १९८० के दशक से यह आर्थिक रूप से क्षीण होता चला गया और १९९१ में इसका विघटन हो गया जिसके फलस्वरूप रूस, सोवियत संघ का सबसे बड़ा राज्य बना। वर्तमान में रूस अपने सोवियत संघ काल के महाशक्ति पद को पुनः प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है। यद्यपि रूस अभी भी एक प्रमुख देश है लेकिन यह सोवियत काल के पद से भी बहुत दूर है। .

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होमी जहांगीर भाभा

होमी जहांगीर भाभा (30 अक्टूबर, 1909 - 24 जनवरी, 1966) भारत के एक प्रमुख वैज्ञानिक और स्वप्नदृष्टा थे जिन्होंने भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी। उन्होने मुट्ठी भर वैज्ञानिकों की सहायता से मार्च 1944 में नाभिकीय उर्जा पर अनुसन्धान आरम्भ किया। उन्होंने नाभिकीय विज्ञान में तब कार्य आरम्भ किया जब अविछिन्न शृंखला अभिक्रिया का ज्ञान नहीं के बराबर था और नाभिकीय उर्जा से विद्युत उत्पादन की कल्पना को कोई मानने को तैयार नहीं था। उन्हें 'आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम' भी कहा जाता है। भाभा का जन्म मुम्बई के एक सभ्रांत पारसी परिवार में हुआ था। उनकी कीर्ति सारे संसार में फैली। भारत वापस आने पर उन्होंने अपने अनुसंधान को आगे बढ़ाया। भारत को परमाणु शक्ति बनाने के मिशन में प्रथम पग के तौर पर उन्होंने 1945 में मूलभूत विज्ञान में उत्कृष्टता के केंद्र टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआइएफआर) की स्थापना की। डा.

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क्वथन जल रिऐक्टर

क्वथन जल रिऐक्टर (boiling water reactor (BWR)) विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के लिये प्रयुक्त एक प्रकार का नाभिकीय रिएक्टर है। इसमें शीतलक के रूप में सामान्य जल (light water) प्रयुक्त होता है। दाबित जल रिऐक्टर के बाद विद्युत उत्पादन के लिये यह दूसरा सबसे अधिक प्रचलित परमाणु रिएक्टर है। श्रेणी:नाभिकीय रिएक्टर.

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केरल

केरल (मलयालम: കേരളം, केरळम्) भारत का एक प्रान्त है। इसकी राजधानी तिरुवनन्तपुरम (त्रिवेन्द्रम) है। मलयालम (മലയാളം, मलयाळम्) यहां की मुख्य भाषा है। हिन्दुओं तथा मुसलमानों के अलावा यहां ईसाई भी बड़ी संख्या में रहते हैं। भारत की दक्षिण-पश्चिमी सीमा पर अरब सागर और सह्याद्रि पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य एक खूबसूरत भूभाग स्थित है, जिसे केरल के नाम से जाना जाता है। इस राज्य का क्षेत्रफल 38863 वर्ग किलोमीटर है और यहाँ मलयालम भाषा बोली जाती है। अपनी संस्कृति और भाषा-वैशिष्ट्य के कारण पहचाने जाने वाले भारत के दक्षिण में स्थित चार राज्यों में केरल प्रमुख स्थान रखता है। इसके प्रमुख पड़ोसी राज्य तमिलनाडु और कर्नाटक हैं। पुदुच्चेरी (पांडिचेरि) राज्य का मय्यष़ि (माहि) नाम से जाता जाने वाला भूभाग भी केरल राज्य के अन्तर्गत स्थित है। अरब सागर में स्थित केन्द्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप का भी भाषा और संस्कृति की दृष्टि से केरल के साथ अटूट संबन्ध है। स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व केरल में राजाओं की रियासतें थीं। जुलाई 1949 में तिरुवितांकूर और कोच्चिन रियासतों को जोड़कर 'तिरुकोच्चि' राज्य का गठन किया गया। उस समय मलाबार प्रदेश मद्रास राज्य (वर्तमान तमिलनाडु) का एक जिला मात्र था। नवंबर 1956 में तिरुकोच्चि के साथ मलाबार को भी जोड़ा गया और इस तरह वर्तमान केरल की स्थापना हुई। इस प्रकार 'ऐक्य केरलम' के गठन के द्वारा इस भूभाग की जनता की दीर्घकालीन अभिलाषा पूर्ण हुई। * केरल में शिशुओं की मृत्यु दर भारत के राज्यों में सबसे कम है और स्त्रियों की संख्या पुरुषों से अधिक है (2001 की जनगणना के आधार पर)।.

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