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ब्राह्मी परिवार की लिपियाँ

सूची ब्राह्मी परिवार की लिपियाँ

ब्राह्मी परिवार उन लिपियों का परिवार हैं जिनकी पूर्वज ब्राह्मी लिपि है। इनका प्रयोग दक्षिण एशिया, दक्षिणपूर्व एशिया में होता है, तथा मध्य व पूर्व एशिया के कुछ भागों में भी होता है। इस परिवार की किसी लेखन प्रणाली को ब्राह्मी-आधारित लिपि या भारतीय लिपि कहा जा सकता है। इन लिपियों का प्रयोग कई भाषा परिवारों में होता था, उदाहरणार्थ इंडो-यूरोपियाई, चीनी-तिब्बती, मंगोलियाई, द्रविडीय, ऑस्ट्रो-एशियाई, ऑस्ट्रोनेशियाई, ताई और संभवतः कोरियाई में। इनका प्रभाव आधुनिक जापानी भाषा में प्रयुक्त अक्षर क्रमांकन पर भी दिखता है। .

84 संबंधों: चाम भाषा, चाम लिपि, तमिल भाषा, तमिल लिपि, तालव्य व्यंजन, ताई, तिब्बती भाषा, तिब्बती लिपि, तगालोग भाषा, तेलुगू भाषा, तेलुगू लिपि, थाई भाषा, थाई लिपि, दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, दुर्गा, देवनागरी, पंजाबी भाषा, पूर्वी नागरी लिपि, बर्मी भाषा, बर्मी लिपि, बायबायिन लिपि, बाली भाषा, बाली लिपि, बाङ्ला भाषा, बंगाली लिपि, बुहिद लिपि, बुगिनी भाषा, ब्राह्मी लिपि, बौद्ध धर्म, मध्य एशिया, मलयालम भाषा, मलयालम लिपि, महाप्राण और अल्पप्राण व्यंजन, मिथिलाक्षर, मंगोल भाषा, मूर्धन्य व्यंजन, मोडी, मोज़िला फायरफॉक्स, रंजना लिपि, लाओ लिपि, लिप्यन्तरण, शान, शारदा लिपि, श्रीलंका, सरस्वती लिपि, सिद्धम, सिंहल लिपि, सिंहली भाषा, स्वर, ..., सूत्र, हानगुल, जापान, जापानी भाषा, जावा भाषा, जावाई लिपि, वट्टेऴुत्तु, विराम, व्यंजन, खमेर लिपि, ख्मेर भाषा, गुप्त राजवंश, गुप्त लिपि, गुरमुखी लिपि, गुजराती भाषा, गुजराती लिपि, ग्रन्थ लिपि, ग्रंथ, ऑस्ट्रोनीशियाई भाषाएँ, ओड़िया भाषा, ओड़िआ लिपि, ओष्ठ्य व्यंजन, इस्की, कच्छी भाषा, कन्नड लिपि, कन्नड़ भाषा, कलिंग लिपि, कैथी, कोरियाई भाषा, अनुराधापुर, अशोक, अशोक के अभिलेख, असमिया भाषा, असमिया लिपि सूचकांक विस्तार (34 अधिक) »

चाम भाषा

चाम भाषा दक्षिणपूर्व एशिया के निवासी चाम लोगों की भाषा है। यह चाम लिपि में लिखी जाती है। पहले यह केन्द्रीय वियतनाम के चम्पा राज्य की भाषा थी। चाम भाषा आस्ट्रेलियायी-इण्डोनेशियायी परिवार के मलय-पॉलीनेशियन शाखा की यह भाषा वियतमान के लगभग १ लाख और कम्बोडिया के लगभग २ लाख २० हजार लोगों द्वारा बोली जाती है। (१९९२ के अनुमान के आधार पर) थाइलैण्ड और मलेशिया में भी कुछ लोग चाम भाषा बोलते हैं। पुराने काल में चाम भाषा का विस्तार और बोलने वालों की संख्या और भी अधिक थी क्योंकि यह चाम साम्राज्य की भाषा थी। .

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चाम लिपि

चाम लिपि में १०वीं शताब्दी का शिलालेख, पो नगर, ९६५ ई चाम लिपि ब्राह्मी लिपि से व्युत्पन्न एक लिपि है। यह चाम भाषा को लिखने के लिये प्रयुक्त होती है जो एक आस्ट्रोनेशियायी भाषा है। वियतनाम और कम्बोडिया के लगभग ढाई लाख लोग इसे बोलते हैं। यह लिपि देवनागरी की तरह बायें से दायें लिखी जाती है। चाम लिपि दक्षिण भारत की ग्रंथ लिपि से लगभग २०० ई के समय व्युत्पन्न हुई थी। ग्रन्थ लिपि से व्युत्पन्न होने वाली आरम्भिक लिपियों में से एक है। हिन्दू धर्म तथा बौद्ध धर्म का जब दक्षिण-पूर्व एशिया में प्रसार हुआ तो यह लिपि वहाँ पहुँची। चम्पा सभ्यता के हिन्दू मंदिरों में लिखे शिलालेख संस्कृत और चाम दोनों भाषाओं में हैं। सबसे पुराने शिलालेख माई सों (Mỹ Sơn) मंदिर के हैं और वे लगभग ४०० ई के हैं और अशुद्ध संस्कृत में हैं। इसके बाद के शिलालेख संस्कृत और चाम दोनों में मिलते हैं। .

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तमिल भाषा

तमिल (தமிழ், उच्चारण:तमिऴ्) एक भाषा है जो मुख्यतः तमिलनाडु तथा श्रीलंका में बोली जाती है। तमिलनाडु तथा पुदुचेरी में यह राजभाषा है। यह श्रीलंका तथा सिंगापुर की कई राजभाषाओं में से एक है। .

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तमिल लिपि

तमिल लिपि एक लिपि है जिसमें तमिल भाषा लिखी जाती है। इसके अलावा सौराष्ट्र, बडगा, इरुला और पनिया आदि अल्पसंख्यक भाषाएँ भी तमिल में लिखी जातीं हैं। .

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तालव्य व्यंजन

तालव्य व्यंजन वो व्यंजन होते हैं जिनके उच्चारण में जीभ के पिछले भाग को तालू से संघर्ष करना पड़ता है। च वर्ग के समस्त अक्षर इसी निसर्ग के हैं और इन्हें स्पर्श संघर्षी का भी अभिधान देते हैं। जैसे कि: "च" "छ" "ज" "झ" "ञ"। स्मरण रहे कि बिन्दु वाले अक्षर भी इसी श्रेणी से संबंधित हैं। जैसे कि "च़" का उच्चारण "tch" के समान होगा, ठीक वैसे ही "छ़' की ध्वनि "tchh" जैसी होगी। और ये दोनों अक्षर विदेशी भाषा की ध्वनियों को दर्शाने के लिए प्रयुक्त होते हैं। साथ ही साथ ध्यान देने की आवश्यकता है कि "ज़" या "झ़" तालव्य ध्वनियाँ नहीं हैं बल्कि यह "ऊष्म ध्वनियाँ" मानी जाती हैं। * श्रेणी:उच्चारण के ढंग.

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ताई

पिता के बड़े भाई की पत्नी को ताई कहते हैं। ताऊ की पत्नी को ताई कहते हैं। तक कोई .

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तिब्बती भाषा

तिब्बती भाषा (तिब्बती लिपि में: བོད་སྐད་, ü kä), तिब्बत के लोगों की भाषा है और वहाँ की राजभाषा भी है। यह तिब्बती लिपि में लिखी जाती है। ल्हासा में बोली जाने वाली भाषा को मानक तिब्बती माना जाता है। .

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तिब्बती लिपि

तिब्बती बौद्धधर्म का मूल मंत्र: '''ॐ मणिपद्मे हूँ''' तिब्बती लिपि भारतीय मूल की ब्राह्मी परिवार की लिपि है। इसका उपयोग तिब्बती भाषा, लद्दाखी भाषा तथा कभी-कभी बलती भाषा को लिखने के लिये किया जाता है। इसकी रचना ७वीं शताब्दी में तिब्बत के धर्मराजा स्रोंचन गम्पो (तिब्बती: སྲོང་བཙན་སྒམ་པོ།, Wylie: srong btsan sgam po) के मंत्री थोन्मि सम्भोट (तिब्बती: ཐོན་མི་སམྦྷོ་ཊ།, Wyl. thon mi sam+b+ho Ta) ने की थी। इसलिये इसको सम्भोट लिपि भी कहते हैं। यह लिपि प्राचीन समय से ही तिब्बती, शेर्पा, लद्दाखी, भूटानी, भोटे, सिक्किमी आदि हिमाकयी भाषाओं को लिखने के लिये प्रयुक्त होती है। .

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तगालोग भाषा

तगालोग दक्षिणपूर्वी एशिया के फ़िलिपीन्ज़ देश में बोली जाने वाली ऑस्ट्रोनीशियाई भाषा परिवार की मलय-पोलेनीशियाई शाखा की एक भाषा है। इसे फ़िलिपीन्ज़ के २५% लोग मातृभाषा के रूप में और उस देश के अधिकांश लोग द्वितीय भाषा के रूप में बोलते हैं, जो कि फ़िलिपीन्ज़ की किसी भी अन्य भाषा से अधिक है। अंग्रेज़ी के साथ-साथ, तगालोग को फ़िलिपीन्ज़ की राजभाषा होने का दर्जा प्राप्त है। .

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तेलुगू भाषा

तेलुगु भाषा (तेलुगू:తెలుగు భాష) भारत के आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों की मुख्यभाषा और राजभाषा है। ये द्रविड़ भाषा-परिवार के अन्तर्गत आती है। यह भाषा आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के अलावा तमिलनाडु, कर्णाटक, ओडिशा और छत्तीसगढ़ राज्यों में भी बोली जाती है। तेलुगु के तीन नाम प्रचलित हैं -- "तेलुगु", "तेनुगु" और "आंध्र"। .

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तेलुगू लिपि

तेलुगु लिपि, ब्राह्मी से उत्पन्न एक भारतीय लिपि है जो तेलुगु भाषा लिखने के लिये प्रयुक्त होती है। अक्षरों के रूप और संयुक्ताक्षर में ये अपने पश्चिमी पड़ोसी कन्नड़ लिपि से बहुत मेल खाती है। .

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थाई भाषा

थाई भाषा (थाई: ภาษาไทย) थाईलैंड की मातृभाषा और राष्ट्रभाषा है और यहाँ के ९५% लोग यही भाषा बोलते हैं। .

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थाई लिपि

थाई लिपि में बौद्ध सूत्र थाई लिपि (थाई भाषा: อักษรไทย, अक्षरथय, àksǒn thai), थाई भाषा के अलावा थाईलैण्ड की अन्य अल्पसंख्यक भाषाएँ लिखने के लिये प्रयुक्त होती है। थाई लिपि में ४४ व्यंजन (थाई: พยัญชนะ, बयञचन) और १५ स्वर (थाई: สระ, सर) हैं। थाई स्वरों के कम से कम २८ रूप होते हैं तथा चार टोन-मार्क (थाई: วรรณยุกต์ या วรรณยุต, वन्नयुक/वन्नयुत) होते हैं। देवनागरी की तरह थाई लिपि भी बाएँ से दाएँ लिखी जाती है। इसमें भी मात्राएँ व्यंजन के उपर, नीचे, पहले या बाद में लगाई जाती हैं। थाई लिपि के अपने अंक भी हैं जो हिन्दू अंक प्रणाली पर आधारित है। किन्तु अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दू अंक प्रणाली का भी प्रायः उपयोग किया जाता है। .

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दक्षिण एशिया

thumb दक्षिण एशिया एक अनौपचारिक शब्दावली है जिसका प्रयोग एशिया महाद्वीप के दक्षिणी हिस्से के लिये किया जाता है। सामान्यतः इस शब्द से आशय हिमालय के दक्षिणवर्ती देशों से होता है जिनमें कुछ अन्य अगल-बगल के देश भी जोड़ लिये जाते हैं। भारत, पाकिस्तान, श्री लंका और बांग्लादेश को दक्षिण एशिया के देश या भारतीय उपमहाद्वीप के देश कहा जाता है जिसमें नेपाल और भूटान को भी शामिल कर लिया जाता है। कभी कभी इसमें अफगानिस्तान और म्याँमार को भी जोड़ लेते हैं। दक्षिण एशिया के देशों का एक संगठन सार्क भी है जिसके सदस्य देश निम्नवत हैं.

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दक्षिण पूर्व एशिया

दक्षिण पूर्व एशिया या दक्षिण पूर्वी एशिया एशिया का एक उपभाग है, जिसके अंतर्गत भौगोलिक दृष्टि से चीन के दक्षिण, भारत के पूर्व, न्यू गिनी के पश्चिम और ऑस्ट्रेलिया के उत्तर के देश आते हैं। यह क्षेत्र भूगर्भीय प्लेटों के चौराहे पर स्थित है, जिसकी वजह से इस क्षेत्र में भारी भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधियाँ होती हैं। दक्षिण पूर्व एशिया को दो भौगोलिक भागों में बांटा जा सकता है: मुख्यभूमि दक्षिण पूर्व एशिया, जिसे इंडोचायना भी कहते हैं, के अन्दर कंबोडिया, लाओस, बर्मा (म्यांमार), थाईलैंड, वियतनाम और प्रायद्वीपीय मलेशिया आते हैं और समुद्री दक्षिण पूर्व एशिया, जिसमें ब्रुनेई, पूर्व मलेशिया, पूर्वी तिमोर, इंडोनेशिया, फिलीपींस, क्रिसमस द्वीप और सिंगापुर शामिल हैं। श्रेणी:दक्षिण पूर्व एशिया श्रेणी:एशिया के क्षेत्र.

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दुर्गा

दुर्गा हिन्दुओं की प्रमुख देवी हैं जिन्हें केवल देवी और शक्ति भी कहते हैं। शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं जिनकी तुलना परम ब्रह्म से की जाती है। दुर्गा को आदि शक्ति, प्रधान प्रकृति, गुणवती माया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकार रहित बताया गया है। वह अंधकार व अज्ञानता रुपी राक्षसों से रक्षा करने वाली तथा कल्याणकारी हैं। उनके बारे में मान्यता है कि वे शान्ति, समृद्धि तथा धर्म पर आघात करने वाली राक्षसी शक्तियों का विनाश करतीं हैं। देवी दुर्गा का निरूपण सिंह पर सवार एक निर्भय स्त्री के रूप में की जाती है। दुर्गा देवी आठ भुजाओं से युक्त हैं जिन सभी में कोई न कोई शस्त्रास्त्र होते है। उन्होने महिषासुर नामक असुर का वध किया। महिषासुर (.

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देवनागरी

'''देवनागरी''' में लिखी ऋग्वेद की पाण्डुलिपि देवनागरी एक लिपि है जिसमें अनेक भारतीय भाषाएँ तथा कई विदेशी भाषाएं लिखीं जाती हैं। यह बायें से दायें लिखी जाती है। इसकी पहचान एक क्षैतिज रेखा से है जिसे 'शिरिरेखा' कहते हैं। संस्कृत, पालि, हिन्दी, मराठी, कोंकणी, सिन्धी, कश्मीरी, डोगरी, नेपाली, नेपाल भाषा (तथा अन्य नेपाली उपभाषाएँ), तामाङ भाषा, गढ़वाली, बोडो, अंगिका, मगही, भोजपुरी, मैथिली, संथाली आदि भाषाएँ देवनागरी में लिखी जाती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ स्थितियों में गुजराती, पंजाबी, बिष्णुपुरिया मणिपुरी, रोमानी और उर्दू भाषाएं भी देवनागरी में लिखी जाती हैं। देवनागरी विश्व में सर्वाधिक प्रयुक्त लिपियों में से एक है। मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया की एक ट्राम पर देवनागरी लिपि .

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पंजाबी भाषा

पंजाबी (गुरमुखी: ਪੰਜਾਬੀ; शाहमुखी: پنجابی) एक हिंद-आर्यन भाषा है और ऐतिहासिक पंजाब क्षेत्र (अब भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजित) के निवासियों तथा प्रवासियों द्वारा बोली जाती है। इसके बोलने वालों में सिख, मुसलमान और हिंदू सभी शामिल हैं। पाकिस्तान की १९९८ की जनगणना और २००१ की भारत की जनगणना के अनुसार, भारत और पाकिस्तान में भाषा के कुल वक्ताओं की संख्या लगभग ९-१३ करोड़ है, जिसके अनुसार यह विश्व की ११वीं सबसे व्यापक भाषा है। कम से कम पिछले ३०० वर्षों से लिखित पंजाबी भाषा का मानक रूप, माझी बोली पर आधारित है, जो ऐतिहासिक माझा क्षेत्र की भाषा है। .

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पूर्वी नागरी लिपि

पूर्वी नागरी लिपि ब्राह्मी परिवार की लिपि है। इसमें मुख्यतः बांग्ला, असमिया और विष्णुपुरिया मणिपुरी भाषाएँ लिखी जाती हैं। .

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बर्मी भाषा

बर्मी भाषा बोलने वाले क्षेत्र बर्मी भाषा (बर्मी भाषा में: မြန်မာဘာသာ / म्रन्माभासा), स्वतंत्र देश म्यांमार (बर्मा) की राजभाषा है। यह मुख्य रूप से ब्रह्मदेश (बर्मा का संस्कृत नाम) में बोली जाती है। म्यांमार की सीमा से सटे भारतीय राज्यों असम, मणिपुर एवं अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में भी कुछ लोग इस भाषा का प्रयोग करते हैं। .

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बर्मी लिपि

बर्मी लिपि के अक्षर म्यांमार लिपि या बर्मी लिपि (बर्मी भाषा: ဗမာအက္ခရာ / बमाअक्खरा या မြန်မာအက္ခရာ / म्रन्माअक्खरा), बर्मी भाषा लिखने के लिये प्रयुक्त होती है। यह ब्राह्मी परिवार की लिपि है। इसके अक्षर गोल होते हैं जो ताड़पत्र पर लेखन में सुविधा प्रदान करते थे क्योंकि सीधी रेखाएँ लिखने से पत्तों के फटने का डर रहता है। .

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बायबायिन लिपि

बायबायिन (Baybayin), जो विसाया भाषाओं में बदलित (Badlit) कहलाती है, ब्राह्मी लिपि से व्युत्पन्न एक लिपि है जो फीलीपीन्ज़ में प्राचीन काल से प्रचलित थी। स्पेनियों द्वारा फिलीपीन्ज़ के उपनिवेशीकरण के बाद भी १९वीं शताब्दी के अन्तिम भाग तक इसका प्रयोग जारी रहा। इस लिपि के बारे में प्रथम उल्लेख १६वीं शताब्दी में मिलता है।.

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बाली भाषा

बाली भाषा (स्थानीय उच्चारण बहासा बाली) एक मालाया-पोलिनेशियाई (Malayo-Polynesian) भाषा है। 39 लाख लोगों (२००१ की जनगणना के अनुसार) की यह भाषा बाली के इंडोनेशिया द्वीप में बोली जाती है। इसके अतिरिक्त यह पश्चिमी लोंबोक, उत्तरी नूसा पेनिडा (Nusa Penida) और पूर्वी जावा में भी बोली जाती है। बाली भाषा बोलने वाले लगभग सभी लोग इंडोनेशियाई भाषा भी बोलते हैं। कावी एक संबंधित पुरोहित भाषा है। श्रेणी:बाली श्रेणी:विश्व की भाषाएँ.

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बाली लिपि

अक्षर बाली बाली लिपि इण्डोनेशिया के बाली द्वीप की आस्ट्रोनेशियन बाली भाषा, पुरानी बाली भाषा, तथा संस्कृत लिखने के लिये प्रयुक्त होती है। कभी-कभी यह समीप के द्वीप लोम्बोक की शशक भाषा (Sasak) लिखने के लिये भी प्रयुक्त होती है। बाली में इसे 'अक्षर बाली' या 'हनचरक' कहते हैं। इसमेंमें ३३ व्यंजन, १८ स्वर तथा २ विसर्ग हैं। बाली लिपि, ब्राह्मी से व्युत्पन्न है। यह लिपि दक्षिण एशिया तथा दक्षिणपूर्व एशिया की अनेकानेक लिपियों से अत्यधिक समानता रखती है। .

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बाङ्ला भाषा

बाङ्ला भाषा अथवा बंगाली भाषा (बाङ्ला लिपि में: বাংলা ভাষা / बाङ्ला), बांग्लादेश और भारत के पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी भारत के त्रिपुरा तथा असम राज्यों के कुछ प्रान्तों में बोली जानेवाली एक प्रमुख भाषा है। भाषाई परिवार की दृष्टि से यह हिन्द यूरोपीय भाषा परिवार का सदस्य है। इस परिवार की अन्य प्रमुख भाषाओं में हिन्दी, नेपाली, पंजाबी, गुजराती, असमिया, ओड़िया, मैथिली इत्यादी भाषाएँ हैं। बंगाली बोलने वालों की सँख्या लगभग २३ करोड़ है और यह विश्व की छठी सबसे बड़ी भाषा है। इसके बोलने वाले बांग्लादेश और भारत के अलावा विश्व के बहुत से अन्य देशों में भी फ़ैले हैं। .

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बंगाली लिपि

'कॉ' पर मात्राएं लगाने पर स्वरूप बांग्ला लिपि (বাংলা লিপি) पूर्वी नागरी लिपि का एक परिमार्जित रूप है जिसे बांग्ला भाषा, असमिया या विष्णुप्रिया मणिपुरी लिखने के लिए प्रयोग किया जाता है। पूर्वी नागरी लिपि का संबंध ब्राम्ही लिपि के साथ है। आधुनिक बांग्ला लिपि को चार्ल्स विल्किंस द्वारा 1778 में आधार दिया गया जब उन्होंने इस लिपि के लिए पहली बार टाइपसेट का प्रयोग किया। असमिया एवं मणिपुरी लिखते समय कमोबेश इसी लिपि का प्रयोग थोड़े बहुत परिवर्तन के साथ किया जाता है। उदाहरण के तौर पर, र अक्षर (बांग्ला/मणिपुरी: র; असमिया: ৰ) एवं व (बांग्ला: अनुपलब्ध; असमिया/मणिपुरी: ৱ) में भाषानुसार अंतर दिखते हैं। .

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बुहिद लिपि

बुहिद लिपि ब्राह्मी परिवार की एक लिपि है जिसका उपयोग बुहिद भाषा लिखने में किया जाता है। Buhid script sample.svg श्रेणी:ब्राह्मी लिपि श्रेणी:ब्राह्मी परिवार की लिपियाँ.

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बुगिनी भाषा

बुगिनी भाषा इंडोनेशिया के दक्षिणी प्रांत सुलावेसी के दक्षिणी भाग में बोली जाती है। यह ऑस्ट्रोनेशियाई भाषाओं की मलय-पोलीनेशिया शाखा की "सुलावेशियाई" शाखा से संबंधित है। इस भाषा को बोलने वालो की संख्या ३५ से ४० लाख है। इस शाखा के अंदर भी, बुगिनी भाषा कांपालागियाई के साथ एक समूह में है, जो सुमात्रा, रिआउ, कालिमांटन, सबह, मलय प्रायद्वीप इत्यादि में बोली जाती है। .

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ब्राह्मी लिपि

कान्हेरी गुफा की एक शिला पर ब्राह्मी लेख ब्राह्मी एक प्राचीन लिपि है जिससे कई एशियाई लिपियों का विकास हुआ है। देवनागरी सहित अन्य दक्षिण एशियाई, दक्षिण-पूर्व एशियाई, तिब्बती तथा कुछ लोगों के अनुसार कोरियाई लिपि का विकास भी इसी से हुआ था। इथियोपियाई लिपि पर ब्राह्मी लिपि का स्पष्ट प्रभाव है। .

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बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और महान दर्शन है। इसा पूर्व 6 वी शताब्धी में बौद्ध धर्म की स्थापना हुई है। बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध है। भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में लुंबिनी, नेपाल और महापरिनिर्वाण 483 ईसा पूर्व कुशीनगर, भारत में हुआ था। उनके महापरिनिर्वाण के अगले पाँच शताब्दियों में, बौद्ध धर्म पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैला और अगले दो हजार वर्षों में मध्य, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जम्बू महाद्वीप में भी फैल गया। आज, हालाँकि बौद्ध धर्म में चार प्रमुख सम्प्रदाय हैं: हीनयान/ थेरवाद, महायान, वज्रयान और नवयान, परन्तु बौद्ध धर्म एक ही है किन्तु सभी बौद्ध सम्प्रदाय बुद्ध के सिद्धान्त ही मानते है। बौद्ध धर्म दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है।आज पूरे विश्व में लगभग ५४ करोड़ लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी है, जो दुनिया की आबादी का ७वाँ हिस्सा है। आज चीन, जापान, वियतनाम, थाईलैण्ड, म्यान्मार, भूटान, श्रीलंका, कम्बोडिया, मंगोलिया, तिब्बत, लाओस, हांगकांग, ताइवान, मकाउ, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया एवं उत्तर कोरिया समेत कुल 18 देशों में बौद्ध धर्म 'प्रमुख धर्म' धर्म है। भारत, नेपाल, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, रूस, ब्रुनेई, मलेशिया आदि देशों में भी लाखों और करोडों बौद्ध हैं। .

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मध्य एशिया

मध्य एशिया एशिया के महाद्वीप का मध्य भाग है। यह पूर्व में चीन से पश्चिम में कैस्पियन सागर तक और उत्तर में रूस से दक्षिण में अफ़ग़ानिस्तान तक विस्तृत है। भूवैज्ञानिकों द्वारा मध्य एशिया की हर परिभाषा में भूतपूर्व सोवियत संघ के पाँच देश हमेशा गिने जाते हैं - काज़ाख़स्तान, किरगिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़बेकिस्तान। इसके अलावा मंगोलिया, अफ़ग़ानिस्तान, उत्तरी पाकिस्तान, भारत के लद्दाख़ प्रदेश, चीन के शिनजियांग और तिब्बत क्षेत्रों और रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिणी भाग को भी अक्सर मध्य एशिया का हिस्सा समझा जाता है। इतिहास में मध्य एशिया रेशम मार्ग के व्यापारिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। चीन, भारतीय उपमहाद्वीप, ईरान, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच लोग, माल, सेनाएँ और विचार मध्य एशिया से गुज़रकर ही आते-जाते थे। इस इलाक़े का बड़ा भाग एक स्तेपी वाला घास से ढका मैदान है हालाँकि तियान शान जैसी पर्वत शृंखलाएँ, काराकुम जैसे रेगिस्तान और अरल सागर जैसी बड़ी झीलें भी इस भूभाग में आती हैं। ऐतिहासिक रूप मध्य एशिया में ख़ानाबदोश जातियों का ज़ोर रहा है। पहले इसपर पूर्वी ईरानी भाषाएँ बोलने वाली स्किथी, बैक्ट्रियाई और सोग़दाई लोगों का बोलबाला था लेकिन समय के साथ-साथ काज़ाख़, उज़बेक, किरगिज़ और उईग़ुर जैसी तुर्की जातियाँ अधिक शक्तिशाली बन गई।Encyclopædia Iranica, "CENTRAL ASIA: The Islamic period up to the Mongols", C. Edmund Bosworth: "In early Islamic times Persians tended to identify all the lands to the northeast of Khorasan and lying beyond the Oxus with the region of Turan, which in the Shahnama of Ferdowsi is regarded as the land allotted to Fereydun's son Tur.

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मलयालम भाषा

मलयालं (മലയാളം, मलयालम्‌) या कैरली (കൈരളി, कैरलि) भारत के केरल प्रान्त में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। ये द्रविड़ भाषा-परिवार में आती है। केरल के अलावा ये तमिलनाडु के कन्याकुमारी तथा उत्तर में कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिला, लक्षद्वीप तथा अन्य कई देशों में बसे मलयालियों द्वारा बोली जाती है। मलयालं, भाषा और लिपि के विचार से तमिल भाषा के काफी निकट है। इस पर संस्कृत का प्रभाव ईसा के पूर्व पहली सदी से हुआ है। संस्कृत शब्दों को मलयालम शैली के अनुकूल बनाने के लिए संस्कृत से अवतरित शब्दों को संशोधित किया गया है। अरबों के साथ सदियों से व्यापार संबंध अंग्रेजी तथा पुर्तगाली उपनिवेशवाद का असर भी भाषा पर पड़ा है। .

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मलयालम लिपि

मलयालम लिपि (मलयालम् लिपि में: മലയാളലിപി) ब्राह्मी लिपि से व्युत्पन्न लिपि है। इसका उपयोग मलयालम भाषा सहित पनिय, बेट्ट कुरुम्ब, रवुला और कभी-कभी कोंकणी लिखने में होता है। .

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महाप्राण और अल्पप्राण व्यंजन

भाषाविज्ञान में महाप्राण व्यंजन वह व्यंजन होतें हैं जिन्हें मुख से वायु-प्रवाह के साथ बोला जाता है, जैसे की 'ख', 'घ', 'झ' और 'फ'। अल्पप्राण व्यंजन वह व्यंजन होतें हैं जिन्हें बहुत कम वायु-प्रवाह से बोला जाता है जैसे की 'क', 'ग', 'ज' और 'प'। देवनागरी लिपि में बहुत से वर्णों में महाप्राण और अल्पप्राण के जोड़े होते हैं जैसे 'क' और 'ख', 'च' और 'छ' और 'ब' और 'भ'। कुछ भाषाएँ हैं, जैसे के तमिल, जिनमें महाप्राण व्यंजन होते ही नहीं और कुछ भाषाएँ ऐसी भी हैं जिनमें महाप्राण और अल्पप्राण व्यंजन दोनों प्रयोग तो होतें हैं लेकिन बोलने वालों को दोनों एक से प्रतीत होतें हैं, जैसे अंग्रेज़ी।, Thomas Egenes, pp.

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मिथिलाक्षर

मिथिलाक्षर लिपि अथवा मिथिलाक्षरा का प्रयोग लोग भारत के उत्तर बिहार एवं नेपाल के तराई क्षेत्र की मैथिली भाषा को लिखने के लिये करते हैं। इसे 'मैथिली लिपि' और 'तिरहुता' भी कहा जाता है। इस लिपि का प्राचीनतम् नमूना दरभंगा जिला के कुशेश्वरस्थान के निकट तिलकेश्वरस्थान के शिव मन्दिर में है। इस मन्दिर में पूर्वी विदेह प्राकृत में लिखा है कि मन्दिर 'कात्तिका सुदी' (अर्थात कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा) शके १२५ (अर्थात २०३ ई सन्) में बना था। इस मन्दिर की लिपि और आधुनिक तिरहुता लिपि में बहुत कम अन्तर है। किन्तु २0वीं शताब्दी में क्रमश: अधिकांश मैथिली के लोगों ने मैथिली लिखने के लिये देवनागरी का प्रयोग करना आरम्भ कर दिया। किन्तु अब भी कुछ पारम्परिक ब्राह्मण (पण्डित) 'पाता' (विवाह आदि से सम्बन्धित पत्र) भेजने के लिये इसका प्रयोग करते हैं। सन् २००३ ईसवी में इस लिपि के लिये फॉण्ट का विकास किया गया था। यह लिपि बंगला लिपि से मिलती-जुलती है किन्तु उससे थोड़ी-बहुत भिन्न है। यह पढ़ने में बंगला लिपि की अपेक्षा कठिन है। तिरहुत लिपि के व्यंजन वर्ण .

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मंगोल भाषा

मंगोल भाषा बोलने वाले क्षेत्र मंगोल भाषा अलताइक भाषाकुल की तथा योगात्मक बनावट की भाषा है। यह मुख्यत: अनतंत्र मंगोल, भीतरी मंगोल के स्वतंत्र प्रदेश, बुरयात (Buriyad) मंगोल राज्य में बोली जाती है। इन क्षेत्रों के अरिरिक्त इसके बोलनेवाले मंचूरिया, चीन के कुछ क्षेत्र और तिब्बत तथा अफगानिस्तान आदि में भी पाए जाते हैं। अनुमान है कि इन सब क्षेत्रों में मंगोल भाषा बोलनेवालों की संख्या कोई 40 लाख होगी। इन विशाल क्षेत्रों में रहनेवाले मंगोल जाति के सब लोगों के द्वारा स्वीकृत कोई एक आदर्श भाषा नहीं है। परंतु तथाकथित मंगोलिया के अंदर जनतंत्र मंगोल की हलहा (Khalkha) बोली धीरे-धीरे आदर्श भाषा का पद ग्रहण कर रही है। स्वयं मंगोलिया के लोग भी इस हलहा बोली को परिष्कृत बोली मानते हैं और इसी बोली के निकट भविष्य में आदर्श भाषा बनने की संभावना है। प्राचीन काल में मंगोल लिपि में लिखी जानेवाली साहित्यिक मंगोल पढ़े-लिखे लोगों में आदर्श भाषा मानी जाती थी। परंतु अब यह मंगोल लिपि जनतंत्र मंगोलिया द्वारा त्याग दी गई है और इसकी जगह रूसी लिपि से बनाई गई नई मंगोल लिपि स्वीकार की गई है। इस प्रकार अब मंगोल लिपि में लिखी जानेवाली साहित्यिक भाषा कम और नव मंगोल लिपि में लिखी जानेवाली हलहा बोली अधिक मान्य समझी जाने लगी है। .

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मूर्धन्य व्यंजन

मूर्धन्य व्यंजन (retroflex consonant) ऐसे किरीट व्यंजन (यानि जिह्वा के लचीले के सामने के हिस्से से उच्चारित) होते हैं जो जिह्वा द्वारा वर्त्स्य कटक और कठोर तालू के बीच उच्चारित होते हैं। इनमें "ट", "ठ", "ड", "ढ", "ड़" और "ण" शामिल हैं। .

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मोडी

मोडी या मोड़ी उस लिपि का नाम है जिसका प्रयोग सन १९५० तक महाराष्ट्र की प्रमुख भाषा मराठी को लिखने के लिये किया जाता था। 'मोड़ी' शब्द का उद्गम फारसी के शब्द शिकस्त के अनुवाद से हुआ है जिसका अर्थ होता है 'तोड़ना या मोड़ना' है। इस लिपि के विकास के संबंध मे कई सिद्धांत प्रचलित हैं। उनमें से सिद्धांत है कि इसे हेमादपंत (या हेमाद्री पंडित) ने महादेव यादव और रामदेव यादव के शासन के दौरान (1260-1309) विकसित किया था। एक अन्य सिद्धांत के अनुसार हेमादपंत इसे श्रीलंका से लाये थे। मोड़ी लिपि का मुद्रण देवनागरी लिपि की तुलना में अधिक जटिल है इसलिए इसका प्रयोग १९५० मे आधिकारिक रूप से बंद कर दिया गया और तब से आज तक मराठी भाषा के मुद्रण के लिए सिर्फ देवनागरी लिपि का ही प्रयोग किया जाता है। कुछ भाषाविदों ने हाल ही में पुणे मेंन इस लिपि को पुनर्जीवित करने की कोशिश की शुरुआत की है। .

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मोज़िला फायरफॉक्स

मोज़िला फ़ायरफ़ॉक्स (बस फ़ायरफ़ॉक्स के रूप में जाना जाता है) मोज़िला फाउंडेशन और उसकी सहायक, मोज़िला निगम द्वारा, विंडोज, OS X, लिनक्स और एंड्रॉयड के लिए एक मोबाइल संस्करण के साथ विकसित किया गया एक स्वतंत्र और खुला स्रोत वेब ब्राउज़र है। फ़रवरी 2014 तक, 12% से लेकर 22% लोग दुनिया भर में फ़ायरफ़ॉक्स का उपयोग करते हैं, विभिन्न स्रोतों के अनुसार, यह तीसरा सबसे लोकप्रिय वेब ब्राउजर बन गया है। .

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रंजना लिपि

रंजना लिपि ११वीं शती में ब्राह्मी से व्युत्पन्न एक लिपि है। यह मुख्यतः नेपाल भाषा लिखने के लिए प्रयुक्त होती है किन्तु भारत, तिब्बत, चीन, मंगोलिया और जापान के मठों में भी इसका प्रयोग किया जाता है। यह प्रायः बाएँ से दाएँ लिखी जाती है किन्तु 'कूटाक्षर प्रारूप' के लिये ऊपर से नीचे लिखी जाती है। यह मानक नेपाली की कैलिग्राफिक लिपि मानी जाती है। .

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लाओ लिपि

श्रेणी:लिपि श्रेणी:भाषा-विज्ञान.

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लिप्यन्तरण

सामान्यतः किसी एक लेखन पद्धति में लिखे जाने वाले शब्द या पाठ को किसी अन्य लेखन पद्धति में लिखने को लिप्यन्तरण (transliteration) कहते हैं। लिप्यन्तरण .

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शान

शान (शांतनु मुखर्जी, जन्म ३० सितंबर १९७२) एक भारतीय पार्श्वगायक व टेलिविज़न मेज़बान है। उन्होंने सा रे गा मा पा जैसे कार्यक्रमों की मेज़बानी की है। .

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शारदा लिपि

शारदा लिपि में लिखी एक पाण्डुलिपि शारदा लिपि का उपयोग भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी-पश्चिमी भाग में सीमित था। यह लिपि पश्चिमी ब्राह्मी लिपि से नौवीं शताब्दी में उत्पन्न हुई। आज इसका उपयोग बहुत ही कम होता है (कुछ पुराने पण्डित इसका उपयोग करते हैं)। हिमाचल प्रदेश में यह लिपि तेरहवीं शती तक प्रयोग में आती थी और फल-फूल रही थी। अल बरुनी ने अपने भारत यात्रा वर्णन में इसे "सिद्ध मात्रिक" नाम से उल्लेख किया है इसका कारण यह है कि शारदा वर्णमाला "ओम् स्वस्ति सिद्धम्" से आरम्भ की जाती है। कश्मीर देश की अधिष्ठात्री देवी 'शारदा' मानी जाती हैं दिससे वह देश 'शारदादेश' या 'शारदमंडल' कहलाता है और इसी से वहाँ की लिपि को 'शारदालिपि' कहते हैं। पीछे से उसको (कश्मीर को) 'देवदेश' भी कहते थे। मूल शारदालिपि ईस्वी सन् की दसवीं शताब्दी के आस पास कुटिल लिपि से निकली है और उसका प्रचार कश्मीर तथा पंजाब में रहा। उस में परिवर्तन होकर वर्तमान शारदा लिपि बनी जिसका प्रचार अब कश्मीर में बहुत कम रह गया है। उसका स्थान बहुधा नागरी, गुरुमुखी या टाकरी ने ले लिया है। .

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श्रीलंका

श्रीलंका (आधिकारिक नाम श्रीलंका समाजवादी जनतांत्रिक गणराज्य) दक्षिण एशिया में हिन्द महासागर के उत्तरी भाग में स्थित एक द्वीपीय देश है। भारत के दक्षिण में स्थित इस देश की दूरी भारत से मात्र ३१ किलोमीटर है। १९७२ तक इसका नाम सीलोन (अंग्रेजी:Ceylon) था, जिसे १९७२ में बदलकर लंका तथा १९७८ में इसके आगे सम्मानसूचक शब्द "श्री" जोड़कर श्रीलंका कर दिया गया। श्रीलंका का सबसे बड़ा नगर कोलम्बो समुद्री परिवहन की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण बन्दरगाह है। .

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सरस्वती लिपि

सिंधु घाटी की सभ्यता से सम्बन्धित छोटे-छोटे संकेतों के समूह को सिन्धु लिपि (Indus script) कहते हैं। इसे सिन्धु-सरस्वती लिपि और हड़प्पा लिपि भी कहते हैं। यह लिपि सिन्धु सभ्यता के समय (२६वीं शताब्दी ईसापूर्व से २०वीं शताब्दी ईसापूर्व तक) परिपक्व रूप धारण कर चुकी थी। इसको अभी तक समझा नहीं जा पाया है (यद्यपि बहुत से दावे किये जाते रहे हैं।) उससे सम्बन्धित भाषा अज्ञात है इसलिये इस लिपि को समझने में विशेष कठिनाई आ रही है। भारत में लेखन ३३०० ईपू का है। सबसे पहले की लिपि सरस्वती लिपि थी, उसके पश्चात ब्राह्मी आई। सिन्धु घाटी से प्राप्त मुहरें .

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सिद्धम

सिद्धम लिपि में ''''सिद्धं'''' शब्द क्योटो के मिमिजुका के ऊपर सिद्धम लिपि में लिखा है सिद्धम लिपि का प्रयोग पहले (लगभग ६०० ई - १२०० ई) संस्कृत लिखने के लिये होता था। यह लिपि, ब्राह्मी से व्युत्पन्न है। इसे 'सिद्धमात्रिका' भी कहते हैं। .

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सिंहल लिपि

सिंहल लिपि में लिखा विज्ञापन सिंहल लिपि ब्राह्मी लिपि से व्युत्पन्न हुई लिपि है। यह सिंहल भाषा जो श्रीलंका की राजभाषा है। इसके अतिरिक्त यह लिपि पालि तथा संस्कृत लिखने के लिये प्रयुक्त होती है। अनेक भारतीय भाषाओं की लिपियों की तरह सिंहल भाषा की लिपि भी ब्राह्मो लिपि का ही परिवर्तित विकसित रूप हैं। जिस प्रकार उर्दू की वर्णमाला के अतिरिक्त देवनागरी सभी भारतीय भाषाओं की वर्णमाला है, उसी प्रकार देवनागरी ही सिंहल भाषा की भी वर्णमाला है। सिंहल भाषा को दो रूप मान्य हैं - शुद्ध सिंहल द्वारा सभी स्थानीय स्वनिम निरूपित किए जा सकते हैं। इस वर्णमाला में केवल बत्तीस अक्षर मान्य रहे हैं- मिश्रित सिंहल, शुद्ध सिंहल का विस्तारित रूप है। यह पालि तथा संस्कृत लिखने के लिए आवश्यक है। अतः वर्तमान मिश्रित सिंहल ने अपनी वर्णमाला को न केवल पाली वर्णमाला के अक्षरों से समृद्ध कर लिया है, बल्कि संस्कृत वर्णमाला में भी जो और जितने अक्षर अधिक थे, उन सब को भी अपना लिया है। इस प्रकार वर्तमान मिश्रित सिंहल में अक्षरों की संख्या चौवन है। अट्ठारह अक्षर "स्वर" तथा शेष छत्तीस अक्षर व्यंजन माने जाते हैं। शुद्ध सिंहल, मिश्रित सिंहल का उपसमुच्चय (एक भाग) है। .

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सिंहली भाषा

सिंहली भाषा श्रीलंका में बोली जाने वाली सबसे बड़ी भाषा है। सिंहली के बाद श्रीलंका में सबसे ज्यादा बोली जानेवाली भाषा तमिल है। प्राय: ऐसा नहीं होता कि किसी देश का जो नाम हो, वही उस दश में बसने वाली जाति का भी हो और वही नाम उस जाति द्वारा व्यवहृत होने वाली भाषा का भी हो। सिंहल द्वीप की यह विशेषता है कि उसमें बसने वाली जाति भी "सिंहल" कहलाती चली आई है और उस जाति द्वारा व्यवहृत होने वाली भाषा भी "सिंहल"। .

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स्वर

यह लेख संगीत से सम्बन्धित 'स्वर' के बारे में है। मानव एवं अन्य स्तनपोषी प्राणियों के आवाज के बारे में जानकारी के लिए देखें - स्वर (मानव का) ---- संगीत में वह शब्द जिसका कोई निश्चित रूप हो और जिसकी कोमलता या तीव्रता अथवा उतार-चढ़ाव आदि का, सुनते ही, सहज में अनुमान हो सके, स्वर कहलाता है। भारतीय संगीत में सात स्वर (notes of the scale) हैं, जिनके नाम हैं - षड्ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत व निषाद। यों तो स्वरों की कोई संख्या बतलाई ही नहीं जा सकती, परंतु फिर भी सुविधा के लिये सभी देशों और सभी कालों में सात स्वर नियत किए गए हैं। भारत में इन सातों स्वरों के नाम क्रम से षड्ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद रखे गए हैं जिनके संक्षिप्त रूप सा, रे ग, म, प, ध और नि हैं। वैज्ञानिकों ने परीक्षा करके सिद्ध किया है कि किसी पदार्थ में २५६ बार कंप होने पर षड्ज, २९८ २/३ बार कंप होने पर ऋषभ, ३२० बार कंप होने पर गांधार स्वर उत्पन्न होता है; और इसी प्रकार बढ़ते बढ़ते ४८० बार कंप होने पर निषाद स्वर निकलता है। तात्पर्य यह कि कंपन जितना ही अधिक और जल्दी जल्दी होता है, स्वर भी उतना ही ऊँचा चढ़ता जाता है। इस क्रम के अनुसार षड्ज से निषाद तक सातों स्वरों के समूह को सप्तक कहते हैं। एक सप्तक के उपरांत दूसरा सप्तक चलता है, जिसके स्वरों की कंपनसंख्या इस संख्या से दूनी होती है। इसी प्रकार तीसरा और चौथा सप्तक भी होता है। यदि प्रत्येक स्वर की कपनसंख्या नियत से आधी हो, तो स्वर बराबर नीचे होते जायँगे और उन स्वरों का समूह नीचे का सप्तक कहलाएगा। भारत में यह भी माना गया है कि ये सातों स्वर क्रमशः मोर, गौ, बकरी, क्रौंच, कोयल, घोड़े और हाथी के स्वर से लिए गए हैं, अर्थात् ये सब प्राणी क्रमशः इन्हीं स्वरों में बोलते हैं; और इन्हीं के अनुकरण पर स्वरों की यह संख्या नियत की गई है। भिन्न भिन्न स्वरों के उच्चारण स्थान भी भिन्न भिन्न कहे गए हैं। जैसे,—नासा, कंठ, उर, तालु, जीभ और दाँत इन छह स्थानों में उत्पन्न होने के कारण पहला स्वर षड्ज कहलाता है। जिस स्वर की गति नाभि से सिर तक पहुँचे, वह ऋषभ कहलाता है, आदि। ये सब स्वर गले से तो निकलते ही हैं, पर बाजों से भी उसी प्रकार निकलते है। इन सातों में से सा और प तो शुद्ध स्वर कहलते हैं, क्योंकि इनका कोई भेद नहीं होता; पर शेष पाचों स्वर दो प्रकार के होते हैं - कोमल और तीव्र। प्रत्येक स्वर दो दो, तीन तीन भागों में बंटा रहता हैं, जिनमें से प्रत्येक भाग 'श्रुति' कहलाता है। .

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सूत्र

सूत्र, किसी बड़ी बात को अतिसंक्षिप्त रूप में अभिव्यक्त करने का तरीका है। इसका उपयोग साहित्य, व्याकरण, गणित, विज्ञान आदि में होता है। सूत्र का शाब्दिक अर्थ धागा या रस्सी होता है। जिस प्रकार धागा वस्तुओं को आपस में जोड़कर एक विशिष्ट रूप प्रदान करतअ है, उसी प्रकार सूत्र भी विचारों को सम्यक रूप से जोड़ता है। हिन्दू (सनातन धर्म) में सूत्र एक विशेष प्रकार की साहित्यिक विधा का सूचक भी है। जैसे पतंजलि का योगसूत्र और पाणिनि का अष्टाध्यायी आदि। सूत्र साहित्य में छोटे-छोटे किन्तु सारगर्भित वाक्य होते हैं जो आपस में भलीभांति जुड़े होते हैं। इनमें प्रायः पारिभाषिक एवं तकनीकी शब्दों का खुलकर किया जाता है ताकि गूढ से गूढ बात भी संक्षेप में किन्तु स्पष्टता से कही जा सके। प्राचीन काल में सूत्र साहित्य का महत्व इसलिये था कि अधिकांश ग्रन्थ कंठस्थ किये जाने के ध्येय से रचे जाते थे; अतः इनका संक्षिप्त होना विशेष उपयोगी था। चूंकि सूत्र अत्यन्त संक्षिप्त होते थे, कभी-कभी इनका अर्थ समझना कठिन हो जाता था। इस समस्या के समाधान के रूप में अनेक सूत्र ग्रन्थों के भाष्य भी लिखने की प्रथा प्रचलित हुई। भाष्य, सूत्रों की व्याख्या (commentary) करते थे। बौद्ध धर्म में सूत्र उन उपदेशपरक ग्रन्थों को कहते हैं जिनमें गौतम बुद्ध की शिक्षाएं संकलित हैं। .

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हानगुल

300px 300px हानगुल में कुल ४० अक्षर होते हैं जिनमें से १४ शुद्ध व्यंजन, 5 दोहरे व्यंजन, 10 शुद्ध स्वर और ११ मिश्रित स्वर होते हैं। नोट: कोरियन में अक्षरों के नाम और उच्चारण अलग अलग होते हैं। उदाहरण के लिए अक्षर का नाम "खियक" है लेकिन शब्दों को पढ़ते समय इसका उच्चारण "ख/ग" होता है। दूसरी ध्यान देने योग्य बात अंग्रेजी के समान ही कोरियन में भी एक ही अक्षर का उच्चारण अलग अलग शब्दों में भिन्न भिन्न हो सकता है। लेकिन यह एक वैज्ञानिक तरीके से होता है। किसी अक्षर का उच्चारण इस बात पर निर्भर करता है कि वह शब्द के प्रारंभ में है, पश्चिम में या फ़िर बीच में या अंत में। इस प्रकार किसी शब्द के तीन सम्भव उच्चारण हो सकते हैं। नीचे दिए गए उच्चारण मैकक्यून-राइशाउअर प्रणाली पर आधारित है, क्योंकि वह कोरियाई उच्चारण के क़रीब है। हानगुल में १९ व्यंजन हैं व्यंजनों के नाम - खियक ㄴ - नियन ㄷ - थिगत ㄹ - रियल ㅁ - मियम ㅂ - फियप ㅅ - शियत ㅇ - अंग ㅈ - छियत ㅊ - Aspirated छियत ㅋ - Aspirated खियक ㅌ - Aspirated थिगत ㅍ - Aspirated फियप ㅎ - हियत व्यंजन - नाम ㄲ - सांग खियक (k ㄸ - सांग थिगत ㅃ - सांग फियप ㅆ - सांग शियत ㅉ - सांग छियत हानगुल में २१ स्वर हैं ध्यान दें कि.

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जापान

जापान, एशिया महाद्वीप में स्थित देश है। जापान चार बड़े और अनेक छोटे द्वीपों का एक समूह है। ये द्वीप एशिया के पूर्व समुद्रतट, यानि प्रशांत महासागर में स्थित हैं। इसके निकटतम पड़ोसी चीन, कोरिया तथा रूस हैं। जापान में वहाँ का मूल निवासियों की जनसंख्या ९८.५% है। बाकी 0.5% कोरियाई, 0.4 % चाइनीज़ तथा 0.6% अन्य लोग है। जापानी अपने देश को निप्पॉन कहते हैं, जिसका मतलब सूर्योदय है। जापान की राजधानी टोक्यो है और उसके अन्य बड़े महानगर योकोहामा, ओसाका और क्योटो हैं। बौद्ध धर्म देश का प्रमुख धर्म है और जापान की जनसंख्या में 96% बौद्ध अनुयायी है। .

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जापानी भाषा

जापानी भाषा (जापानी: 日本語 नीहोंगो) जापान देश की मुख्यभाषा और राजभाषा है। द्वितीय महायुद्ध से पहले कोरिया, फार्मोसा और सखालीन में भी जापानी बोली जाती थी। अब भी कोरिया और फार्मोसा में जापानी जाननेवालों की संख्या पर्याप्त है, परंतु धीरे धीरे उनकी संख्या कम होती जा रही है। भाषाविद इसे 'अश्लिष्ट-योगात्मक भाषा' मानते हैं। जापानी भाषा चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार में नहीं आती। भाषाविद इसे ख़ुद की जापानी भाषा-परिवार में रखते हैं (कुछ इसे जापानी-कोरियाई भाषा-परिवार में मानते हैं)। ये दो लिपियों के मिश्रण में लिखी जाती हैं: कांजी लिपि (चीन की चित्र-लिपि) और काना लिपि (अक्षरी लिपि जो स्वयं चीनी लिपिपर आधारित है)। इस भाषा में आदर-सूचक शब्दों का एक बड़ा तंत्र है और बोलने में "पिच-सिस्टम" ज़रूरी होता है। इसमें कई शब्द चीनी भाषा से लिये गये हैं। जापानी भाषा किस भाषा कुल में सम्मिलित है इस संबंध में अब तक कोई निश्चित मत स्थापित नहीं हो सका है। परंतु यह स्पष्ट है कि जापानी और कोरियाई भाषाओं में घनिष्ठ संबंध है और आजकल अनेक विद्वानों का मत है कि कोरियाई भाषा अलटाइक भाषाकुल में संमिलित की जानी चाहिए। जापानी भाषा में भी उच्चारण और व्याकरण संबंधी अनेक विशेषताएँ है जो अन्य अलटाइ भाषाओं के समान हैं परंतु ये विशेषताएँ अब तक इतनी काफी नहीं समझी जाती रहीं जिनमें हम निश्चित रूप से कह सकें कि जापानी भाषा अलटाइक भाषाकुल में ऐ एक है। हाइकु इसकी प्रमुख काव्य विधा है। .

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जावा भाषा

कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग में प्रयुक्त 'जावा' नामक भाषा के लिए देखें - जावा (प्रोग्रामिंग भाषा) ---- जावा भाषा (जावा भाषा में: ꦧꦱꦗꦮ बासा जावा; इण्डॉनेशियाई भाषा: बहासा जावा) इण्डोनेशिया के जावा द्वीप के पूर्वी एवं केन्द्रीय भाग के लोगों की भाषा है। पश्चिमी जावा के उत्तरी भाग में भी कुछ स्थानों पर यह भाषा बोली जाती है। जावा भाषा लगभग 7.55 करोड़ लोगों की मातृभाषा है जो इण्डोनेशिया के कुल जनसंख्या के लगभग ३०% हैं। मलेशिया, सिंगापुर तथा सूरीनाम में भी कुछ लोगों द्वारा यह भाषा बोली जाती है। जावा भाषा अपने पड़ोसी भाषाओं मलय, सुन्दनी (Sundanese), मदुरी (Madurese), बाली आदि से मिलती जुलती है। इसे वर्गीकृत करना कठिन है। इसे आस्ट्रेलियाई-एशियाई परिवार में रखा गया है। संस्कृत का इस पर अमिट प्रभाव है। पुरानी जावा-अंग्रेजी शब्दकोश में २५५००० प्रविष्टियाँ हैं जिनमें से १२६०० सम्स्कृत मूल के हैं। पुरानी जावा भाषा के साहित्यिक रचनाओं में २५% से अधिक शब्द संस्कृत के हैं। जावा के लोगों के नाम में भी संस्कृत की छाप देखी जा सकती है। संस्कृत शब्दों का आज भी खूब प्रयोग होता है। जावा भाषा पर डच और मलय भाषाओं का भी प्रभाव पड़ा है किन्तु संस्कृत जितना बिलकुल नहीं। जावाभाषा की लिपि जावा लिपि है जो ब्राह्मी से व्युत्पन्न है। जावाभाषी क्षेत्र .

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जावाई लिपि

जावाई लिपि में लिखा एक पत्र (१८९०) जावाई लिपि या अक्षर जावा या हनाक्षरक एक लिपि है जो इण्डोनेशिया की कैइ भाषाओं को लिखने में प्रयुक्त होती है। यह ब्राह्मी से व्युत्पन्न लिपि है इसलिये दक्षिण एशिया एवं दक्षिणपूर्व एशिया की अनेक आधुनिक लिपियों से इसका घनिष्ट सम्बन्ध है। यह जावा भाषा (Javanese language), कावी (जावा भाषा का पुराना रूप) तथा संस्कृत लिखने के लिये प्रयुक्त होती है। दक्षिणपूर्व एशिया की लिपियों में बाली लिपि तथा जावा लिपि सर्वाधिक विस्तृत्त एवं कलात्मक हैं। .

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वट्टेऴुत्तु

वट्टेऴुत्तु (तमिल: வட்டெழுத்து) (अर्थात् गोल अक्षर) एक अबुगिडा लेखन प्रणाली है जिसका उपज दक्षिण भारत और श्री लंका के तमिल लोगों द्वारा हुई। इस उच्चारण-आधारित वर्णमाला के ६ठी सदी से १४वीं सदी के बीच के साक्ष्य वर्तमान काल के भारतीय राज्यों तमिल नाडु और केरल में मिलते हैं। बाद में इसकी जगह आधुनिक तमिल लिपि और मलयालम लिपि ने ले ली। वट्टेऴुत्तु जैसे व्यापक शब्द का प्रयोग जॉर्ज कोईड्स व डीजीई हॉल जैसे दक्षिणपूर्व एशिया अध्ययन करने वाले विद्वानों ने किया है। दूसरी सदी तक तमिल को तमिल ब्राह्मी में लिखा जाता था। बाद में तमिल के लिए इस लिपि का प्रयोग होने लगा। तमिल ब्राह्मी भी ब्राह्मी आधारित लिपि ही है। इस गोल लिपि का प्रयोग केरल में तमिल, प्राचीन-मलयालम व मलयालम भाषा लिखने के लिए भी किया जाता था। इस समय मलयालम के लिए मलयालम लिपि का प्रयोग होता है। तमिल भाषा के ३०० ई.पू.

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विराम

विराम शब्द का शाब्दिक अर्थ स्थिरता अथवा रुकावट हो सकता है। संबंधित पृष्ठों के लिये निम्नलिखित सूची देखें.

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व्यंजन

कोई विवरण नहीं।

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खमेर लिपि

खमेर लिपि (អក្ខរក្រមខេមរភាសា; अक्खरक्रम खमेर फिआसा, अनौपचारिक रूप से, अक्सर खमेर; អក្សរខ្មែរ) कम्बोडिया की खमेर भाषा को लिखने में प्रयुक्त होने वाली लिपि है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि खमेर लिपि का विकास भारत की पल्लव लिपि (ग्रन्थ लिपि) से हुआ। खमेर लिपि विश्व की सबसे वृहद वर्णमाला है (गिनीज बुक ऑफ वर्ड रिकॉर्ड्स, 1995).

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ख्मेर भाषा

ख्मेर (ភាសាខ្មែរ) या कम्बोडियाई भाषा, खमेर जाति की भाषा है। यह कम्बोडिया की अधिकारिक भाषा भी है। वियतनामी भाषा के बाद यह सर्वाधिक बोली जाने वाली ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा (Austroasiatic language) है। हिन्दू और बौद्ध धर्म के के कारण खमेर भाषा पर संस्कृत और पालि का गहरा प्रभाव है। .

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गुप्त राजवंश

गुप्त राज्य लगभग ५०० ई इस काल की अजन्ता चित्रकला गुप्त राजवंश या गुप्त वंश प्राचीन भारत के प्रमुख राजवंशों में से एक था। मौर्य वंश के पतन के बाद दीर्घकाल तक भारत में राजनीतिक एकता स्थापित नहीं रही। कुषाण एवं सातवाहनों ने राजनीतिक एकता लाने का प्रयास किया। मौर्योत्तर काल के उपरान्त तीसरी शताब्दी इ. में तीन राजवंशो का उदय हुआ जिसमें मध्य भारत में नाग शक्‍ति, दक्षिण में बाकाटक तथा पूर्वी में गुप्त वंश प्रमुख हैं। मौर्य वंश के पतन के पश्चात नष्ट हुई राजनीतिक एकता को पुनस्थापित करने का श्रेय गुप्त वंश को है। गुप्त साम्राज्य की नींव तीसरी शताब्दी के चौथे दशक में तथा उत्थान चौथी शताब्दी की शुरुआत में हुआ। गुप्त वंश का प्रारम्भिक राज्य आधुनिक उत्तर प्रदेश और बिहार में था। गुप्त वंश पर सबसे ज्यादा रिसर्च करने वाले इतिहासकार डॉ जयसवाल ने इन्हें जाट बताया है।इसके अलावा तेजराम शर्माhttps://books.google.co.in/books?id.

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गुप्त लिपि

गुप्त लिपि, जिसे गुप्त ब्राह्मी लिपि भी कहते हैं, भारत में गुप्त साम्राज्य के काल में संस्कृत लिखने के लिए प्रयोग की जाती थी। गुप्त लिपि ब्राह्मी लिपि से बनी थी, और इसने आगे चलकर देवनागरी, गुरुमुखी, तिब्बतन और बंगाली-असमिया लिपियों को जन्म दिया। .

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गुरमुखी लिपि

गुरमुखी लिपि (ਗੁਰਮੁਖੀ ਲਿਪੀ) एक लिपि है जिसमें पंजाबी भाषा लिखी जाती है। गुरमुखी का अर्थ है गुरूओं के मुख से निकली हुई। अवश्य ही यह शब्द ‘वाणी’ का द्योतक रहा होगा, क्योंकि मुख से लिपि का कोई संबंध नहीं है। किंतु वाणी से चलकर उस वाणी कि अक्षरों के लिए यह नाम रूढ़ हो गया। इस प्रकार गुरूओं ने अपने प्रभाव से पंजाब में एक भारतीय लिपि को प्रचलित किया। वरना सिंध की तरह पंजाब में भी फारसी लिपि का प्रचलन हो रहा था और वही बना रह सकता था। इस लिपि में तीन स्वर और 32 व्यंजन हैं। स्वरों के साथ मात्राएँ जोड़कर अन्य स्वर बना लिए जाते हैं। इनके नाम हैं उड़ा, आया, इड़ी, सासा, हाहा, कका, खखा इत्यादि। अंतिम अक्षर ड़ाड़ा है। छठे अक्षर से कवर्ग आरंभ होता है और शेष अक्षरों का (व) तक वही क्रम है जो देवनागरी वर्णमाला में है। मात्राओं के रूप और नाम इस प्रकार हैं। ट के साथ (मुक्ता), टा (कन्ना), टि (स्यारी), टी (बिहारी), ट (ऐंक ड़े), ट (दुलैंकड़े), टे (लावाँ), टै (दोलावाँ), (होड़ा), (कनौड़ा), (टिप्पी), ट: (बिदै)। इस वर्णमाला में प्राय: संयुक्त अक्षर नहीं हैं। यद्यपि अनेक संयुक्त ध्वनियाँ विद्यमान हैं। .

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गुजराती भाषा

गुजराती भारत की एक भाषा है जो गुजरात राज्य, दीव और मुंबई में बोली जाती है। गुजराती साहित्य भारतीय भाषाओं के सबसे अधिक समृद्ध साहित्य में से है। भारत की दूसरी भाषाओं की तरह गुजराती भाषा का जन्म संस्कृत भाषा से हुआ है। वहीं इसके कई शब्द ब्रजभाषा के हैं ऐसा भी माना जाता है की इसका जन्म ब्रजभाषा में से भी हुआ अर्थात संस्कृत और ब्रजभाषा के मिले जुले शब्दों से गुजरातीे भाषा का जन्म हुआ। दूसरे राज्य एवं विदेशों में भी गुजराती बोलने वाले लोग निवास करते हैं। जिन में पाकिस्तान, अमेरिका, यु.के., केन्या, सिंगापुर, अफ्रिका, ऑस्ट्रेलीया मुख्य है। भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की मातृभाषा गुजराती थी। गुजराती बोलने वाले भारत के दूसरे महानुभावों में पाकिस्तान के राष्ट्रपिता मुहम्मद अली जिन्ना, महर्षि दयानंद सरस्वती, मोरारजी देसाई, नरेन्द्र मोदी, धीरु भाई अंबानी भी सम्मिलित है। .

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गुजराती लिपि

गुजराती लिपि वो लिपि है जिसमें गुजराती और कच्छी भाषाएं लिखी जाती है। .

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ग्रन्थ लिपि

ग्रंथ लिपि (तमिल: கிரந்த ௭ழுத்து, मलयालम: ഗ്രന്ഥലിപി, संस्कृत: ग्रन्थ अर्थात् "पुस्तक") दक्षिण भारत में पहले प्रचलित एक प्राचीन लिपि है। आमतौर पर यह माना जाता है कि ये लिपि एक और प्राचीन भारतीय लिपि ब्राह्मी से उपजी है। मलयालम, तुळु व सिंहल लिपि पर इसका प्रभाव रहा है। इस लिपि का एक और संस्करण "पल्लव ग्रंथ", पल्लव लोगों द्वारा प्रयोग किया जाता था, इसे "पल्लव लिपि" भी कहा जाता था। कई दक्षिण भारतीय लिपियाँ, जेसे कि बर्मा की मोन लिपि, इंडोनेशिया की जावाई लिपि और ख्मेर लिपि इसी संस्करण से उपजीं। .

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ग्रंथ

ग्रंथ का अर्थ पुस्तक होता है। यह मुख्य रूप से धार्मिक और ऐतिहासिक पुस्तकों के लिए प्रयोग किया जाता है। .

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ऑस्ट्रोनीशियाई भाषाएँ

ऑस्ट्रोनीशियाई भाषाओं का ताइवान में ३००० ईपू में जन्मने के बाद फैलाव; संख्याएँ साल बताती हैं (– का अर्थ ईसापूर्व है और + का अर्थ ईसवी है) ऑस्ट्रोनीशियाई भाषाएँ (Austronesian languages) एक भाषा परिवार है जिसकी सदस्य भाषाएँ दक्षिण-पूर्वी एशिया और प्रशांत महासागर के बहुत से द्वीपों पर विस्तृत हैं। एशिया के महाद्वीप की मुख्यभूमि के भी कुछ क्षेत्रों में यह बोली जाती हैं। कुल मिलकर ऑस्ट्रोनीशियाई भाषाएँ बोलने वालों की जनसँख्या ३८.६ करोड़ अनुमानित की गई है। सबसे ज़्यादा लोगों द्वारा बोली जाने वाली ऑस्ट्रोनीशियाई भाषा मलय भाषा है, जिसे लगभग १८ करोड़ लोग बोलते हैं और जो विश्व की ८वीं सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। कई ऑस्ट्रोनीशियाई भाषाओं को १ करोड़ से अधिक लोग बोलते हैं हालांकि ऐसी भी कुछ भाषाएँ है जो गिनती के लोग ही बोलते हैं। लगभग २० ऑस्ट्रोनीशियाई भाषाओं को अपने देशों की राजभाषा होने का दर्जा प्राप्त है। यह भाषाएँ सुदूर पश्चिम में अफ़्रीका के तट के क़रीब स्थित माडागैस्कर से लेकर सुदूर पूर्व में हवाई द्वीपों तक बोली जाती हैं। .

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ओड़िया भाषा

ओड़िआ, उड़िया या ओडिया (ଓଡ଼ିଆ, ओड़िआ) भारत के ओड़िशा प्रान्त में बोली जाने वाली भाषा है। यह यहाँ के राज्य सरकार की राजभाषा भी है। भाषाई परिवार के तौर पर ओड़िआ एक आर्य भाषा है और नेपाली, बांग्ला, असमिया और मैथिली से इसका निकट संबंध है। ओड़िसा की भाषा और जाति दोनों ही अर्थो में उड़िया शब्द का प्रयोग होता है, किंतु वास्तव में ठीक रूप "ओड़िया" होना चाहिए। इसकी व्युत्पत्ति का विकासक्रम कुछ विद्वान् इस प्रकार मानते हैं: ओड्रविषय, ओड्रविष, ओडिष, आड़िषा या ओड़िशा। सबसे पहले भरत के नाट्यशास्त्र में उड्रविभाषा का उल्लेख मिलता है: "शबराभीरचांडाल सचलद्राविडोड्रजा:। हीना वनेचराणां च विभाषा नाटके स्मृता:।" भाषातात्विक दृष्टि से उड़िया भाषा में आर्य, द्राविड़ और मुंडारी भाषाओं के संमिश्रित रूपों का पता चलता है, किंतु आज की उड़िया भाषा का मुख्य आधार भारतीय आर्यभाषा है। साथ ही साथ इसमें संथाली, मुंडारी, शबरी, आदि मुंडारी वर्ग की भाषाओं के और औराँव, कुई (कंधी) तेलुगु आदि द्राविड़ वर्ग की भाषाओं के लक्षण भी पाए जाते हैं। .

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ओड़िआ लिपि

ओड़िआ लिपि, ब्राह्मी लिपि से व्युत्पन्न लिपि है जिसका प्रयोग ओड़िआ भाषा लिखने में होता है। इस लिपि के वर्णों का रूप देखकर ऐसा भ्रम हो सकता है कि इस पर तमिल। मलयालम आदि दक्षिण भारतीय लिपियों का असर है किन्तु ऐसा है नहीं। ओड़िआ लिपि, देवनागरी लिपि और बंगला लिपि से सर्वाधिक मिलती-जुलती है। .

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ओष्ठ्य व्यंजन

औष्ठ्य ध्वनियाँ वो ध्वनियाँ हैं जो दोनों होंठों के मिलने पर उच्चारित होती हैं। जैसे कि "प", "फ", "ब", "ॿ" "भ" और "म"। स्मरण रखिएगा कि "फ़" एक दंतोष्ठ्य ध्वनि है।.

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इस्की

इस्की या 'सूचना अन्तरविनिमय के लिये भारतीय लिपि संहिता' (Indian Standard Code for Information Interchange (ISCII)) भारत में प्रचलिप्त विभिन्न लिपियों को कंप्यूटर पर (डिजिटल रूप में) निरूपित के लिये निर्मित एक मानक इनकोडिंग है। इसके द्वार समर्थित लिपियाँ हैं - असमिया, बांग्ला, देवनागरी, गुजराती, गुरुमुखी, कन्नड़, मलयालम, ओड़िया, तमिल तथा तेलुगू। .

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कच्छी भाषा

कच्छ और गुजरात के कुछ भाग में बोली जाने वाली यह भाषा है। कच्छी भाषा सिन्धी से मिलती जुलती है। थोडा सा पंजाबी से भी मिलती जुलती है। हो सकता है ५००० साल से सिन्ध, पंजाब और कच्छ के लोग एक ही भाषा बोलते होंगे जो आगे सिन्धी, पंजाबी ओर कच्छी में परिवर्तित हुई हो। .

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कन्नड लिपि

बासारलु के मल्लिकार्जुन मन्दिर में १२३४ ई में प्राचीन कन्नड लिपि में लिखा सन्देश कन्नड लिपि ब्राह्मी से व्युत्पन्न एक भारतीय लिपि है जिसका प्रयोग कन्नड लिखने में किया जाता है। .

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कन्नड़ भाषा

कन्नड़ (ಕನ್ನಡ) भारत के कर्नाटक राज्य में बोली जानेवाली भाषा तथा कर्नाटक की राजभाषा है। यह भारत की उन २२ भाषाओं में से एक है जो भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में साम्मिलित हैं। name.

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कलिंग लिपि

श्रेणी:लिपि श्रेणी:भाषा-विज्ञान.

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कैथी

कैथी लिपि का प्रिन्ट रूप (१९वीं शताब्दी के मध्य) कैथी लिपि का हस्तलिखित रूप कैथी एक ऐतिहासिक लिपि है जिसे मध्यकालीन भारत में प्रमुख रूप से उत्तर-पूर्व और उत्तर भारत में काफी बृहत रूप से प्रयोग किया जाता था। खासकर आज के उत्तर प्रदेश एवं बिहार के क्षेत्रों में इस लिपि में वैधानिक एवं प्रशासनिक कार्य किये जाने के भी प्रमाण पाये जाते हैं ।। इसे "कयथी" या "कायस्थी", के नाम से भी जाना जाता है। पूर्ववर्ती उत्तर-पश्चिम प्रांत, मिथिला, बंगाल, उड़ीसा और अवध में। इसका प्रयोग खासकर न्यायिक, प्रशासनिक एवं निजी आँकड़ों के संग्रहण में किया जाता था। .

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कोरियाई भाषा

कोरियाई भाषा दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया की आधिकारिक भाषा है और इसे बोलने वालों की संख्या लगभग ८ करोड़ है। इस भाषा का विकास १४४३ ई० में किंगसेजोंग के शासनकाल में हुआ। इस भाषा की लिपि हंगुल (Hangul 한글) है। कोरियन में 한 (हान/Haan) का अर्थ है - कोरिया अथवा महान और 글/गुल/geul का अर्थ है - लिपि। इस प्रकार हंगुल का अर्थ हुआ - "महान लिपि" अथवा "कोरियन लिपि"। कोरियायी भाषा अल्टाइक कुल की भाषा है जो चीनी की भाँति संसार की प्राचीन भाषाओं में गिनी जाती है। चीनी की भाँति यह भी दाए से बाई ओर लिखी जाती है। इसका इतिहास कोरिया के इतिहास की तरह ही 4000 वर्ष प्राचीन है। प्राचीन काल में चीनी लोग कोरिया में जाकर बस गए थे, इसलिये वहाँ की भाषा भी चीनी भाषा से काफी प्रभावित है। चीनी और कोरियायी के अनेक शब्द मिलते जुलते हैं: उस समय कोरिया के विद्वानों की बोलचाल की भाषा तो कोरियायी थी लेकिन वे चीनी में लिखते थे। चीनी लिपि में लिखी जानेवाली कोरियायी भाषा की लिपि हानमून/hanmun कही जाती थी। जबतक कोई विद्वान प्राचीन चीनी का ज्ञाता न हो तब तक वह पूर्ण विद्वान नहीं माना जाता था। कोरियायी भाषा अपनी शिष्टता और विनम्रता के लिये प्रसिद्ध है। शिष्टता और विनम्रतासूचक कितने ही शब्द इस भाषा में पाए जाते हैं। कोरिया के लोग अभिवादन के समय "आप शांतिपूर्वक आएँ", "आप शांतिपूर्वक सोएँ" जैसे आदरसूचक शब्दों का प्रयोग करते हैं। .

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अनुराधापुर

कुट्टम पोकुना अनुराधापुर (सिंहल: අනුරාධපුරය; तमिल: அனுராதபுரம்) श्री लंका का प्रमुख नगर है। यह श्रीलंका के उत्तर-केन्द्रीय प्रान्त की राजधानी तथा अनुराधापुर जिले का मुख्यालय है। यह नगर श्री लंका के प्राचीन राजधानियों में से एक है। प्राचीन श्रीलंका की सभ्यता के भग्नावशेष यहाँ सुरक्षित रखे गये हैं। यह नगर कई शताब्दियों तक बौद्ध धर्म के थेरवाद सम्प्रदाय का केन्द्र था। नगर अब यूनेस्को की विश्व विरासत है। यह नगर कोलम्बो से २०० किमी उत्तर में मालवातु ओया के किनारे स्थित है। यह विश्व की सबसे प्राचीन नगरियों में से है। यह श्रीलंका की आठ विश्व विरासतों में से एक है। श्रेणी:श्रीलंका.

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अशोक

चक्रवर्ती सम्राट अशोक (ईसा पूर्व ३०४ से ईसा पूर्व २३२) विश्वप्रसिद्ध एवं शक्तिशाली भारतीय मौर्य राजवंश के महान सम्राट थे। सम्राट अशोक का पूरा नाम देवानांप्रिय अशोक मौर्य (राजा प्रियदर्शी देवताओं का प्रिय) था। उनका राजकाल ईसा पूर्व २६९ से २३२ प्राचीन भारत में था। मौर्य राजवंश के चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने अखंड भारत पर राज्य किया है तथा उनका मौर्य साम्राज्य उत्तर में हिन्दुकुश की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी के दक्षिण तथा मैसूर तक तथा पूर्व में बांग्लादेश से पश्चिम में अफ़ग़ानिस्तान, ईरान तक पहुँच गया था। सम्राट अशोक का साम्राज्य आज का संपूर्ण भारत, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, म्यान्मार के अधिकांश भूभाग पर था, यह विशाल साम्राज्य उस समय तक से आज तक का सबसे बड़ा भारतीय साम्राज्य रहा है। चक्रवर्ती सम्राट अशोक विश्व के सभी महान एवं शक्तिशाली सम्राटों एवं राजाओं की पंक्तियों में हमेशा शिर्ष स्थान पर ही रहे हैं। सम्राट अशोक ही भारत के सबसे शक्तिशाली एवं महान सम्राट है। सम्राट अशोक को ‘चक्रवर्ती सम्राट अशोक’ कहाँ जाता है, जिसका अर्थ है - ‘सम्राटों का सम्राट’, और यह स्थान भारत में केवल सम्राट अशोक को मिला है। सम्राट अशोक को अपने विस्तृत साम्राज्य से बेहतर कुशल प्रशासन तथा बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए भी जाना जाता है। सम्राट अशोक ने संपूर्ण एशिया में तथा अन्य आज के सभी महाद्विपों में भी बौद्ध धर्म धर्म का प्रचार किया। सम्राट अशोक के संदर्भ के स्तंभ एवं शिलालेख आज भी भारत के कई स्थानों पर दिखाई देते है। इसलिए सम्राट अशोक की ऐतिहासिक जानकारी एन्य किसी भी सम्राट या राजा से बहूत व्यापक रूप में मिल जाती है। सम्राट अशोक प्रेम, सहिष्णूता, सत्य, अहिंसा एवं शाकाहारी जीवनप्रणाली के सच्चे समर्थक थे, इसलिए उनका नाम इतिहास में महान परोपकारी सम्राट के रूप में ही दर्ज हो चुका है। जीवन के उत्तरार्ध में सम्राट अशोक भगवान बुद्ध की मानवतावादी शिक्षाओं से प्रभावित होकर बौद्ध हो गये और उन्ही की स्मृति में उन्होने कई स्तम्भ खड़े कर दिये जो आज भी नेपाल में उनके जन्मस्थल - लुम्बिनी - में मायादेवी मन्दिर के पास, सारनाथ, बोधगया, कुशीनगर एवं आदी श्रीलंका, थाईलैंड, चीन इन देशों में आज भी अशोक स्तम्भ के रूप में देखे जा सकते है। सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार भारत के अलावा श्रीलंका, अफ़ग़ानिस्तान, पश्चिम एशिया, मिस्र तथा यूनान में भी करवाया। सम्राट अशोक अपने पूरे जीवन में एक भी युद्ध नहीं हारे। सम्राट अशोक के ही समय में २३ विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई जिसमें तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला, कंधार आदि विश्वविद्यालय प्रमुख थे। इन्हीं विश्वविद्यालयों में विदेश से कई छात्र शिक्षा पाने भारत आया करते थे। ये विश्वविद्यालय उस समय के उत्कृट विश्वविद्यालय थे। शिलालेख सुरु करने वाला पहला शासक अशोक ही था, .

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अशोक के अभिलेख

अशोक के शिलालेख पूरे भारतीय उपमहाद्वीप और अफ़्ग़ानिस्तान में मिलें हैं ब्रिटिश संग्राहलय में छठे शिलालेख का एक हिस्सा अरामाई का द्विभाषीय शिलालेख सारनाथ के स्तम्भ पर ब्राह्मी लिपि में शिलालेख मौर्य राजवंश के सम्राट अशोक द्वारा प्रवर्तित कुल ३३ अभिलेख प्राप्त हुए हैं जिन्हें अशोक ने स्तंभों, चट्टानों और गुफ़ाओं की दीवारों में अपने २६९ ईसापूर्व से २३१ ईसापूर्व चलने वाले शासनकाल में खुदवाए। ये आधुनिक बंगलादेश, भारत, अफ़्ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और नेपाल में जगह-जगह पर मिलते हैं और बौद्ध धर्म के अस्तित्व के सबसे प्राचीन प्रमाणों में से हैं। इन शिलालेखों के अनुसार अशोक के बौद्ध धर्म फैलाने के प्रयास भूमध्य सागर के क्षेत्र तक सक्रिय थे और सम्राट मिस्र और यूनान तक की राजनैतिक परिस्थितियों से भलीभाँति परिचित थे। इनमें बौद्ध धर्म की बारीकियों पर ज़ोर कम और मनुष्यों को आदर्श जीवन जीने की सीखें अधिक मिलती हैं। पूर्वी क्षेत्रों में यह आदेश प्राचीन मगधी भाषा में ब्राह्मी लिपि के प्रयोग से लिखे गए थे। पश्चिमी क्षेत्रों के शिलालेखों में खरोष्ठी लिपि का प्रयोग किया गया। एक शिलालेख में यूनानी भाषा प्रयोग की गई है, जबकि एक अन्य में यूनानी और अरामाई भाषा में द्विभाषीय आदेश दर्ज है। इन शिलालेखों में सम्राट अपने आप को "प्रियदर्शी" (प्राकृत में "पियदस्सी") और देवानाम्प्रिय (यानि देवों को प्रिय, प्राकृत में "देवानम्पिय") की उपाधि से बुलाते हैं। .

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असमिया भाषा

आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं की शृंखला में पूर्वी सीमा पर अवस्थित असम की भाषा को असमी, असमिया अथवा आसामी कहा जाता है। असमिया भारत के असम प्रांत की आधिकारिक भाषा तथा असम में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। इसको बोलने वालों की संख्या डेढ़ करोड़ से अधिक है। भाषाई परिवार की दृष्टि से इसका संबंध आर्य भाषा परिवार से है और बांग्ला, मैथिली, उड़िया और नेपाली से इसका निकट का संबंध है। गियर्सन के वर्गीकरण की दृष्टि से यह बाहरी उपशाखा के पूर्वी समुदाय की भाषा है, पर सुनीतिकुमार चटर्जी के वर्गीकरण में प्राच्य समुदाय में इसका स्थान है। उड़िया तथा बंगला की भांति असमी की भी उत्पत्ति प्राकृत तथा अपभ्रंश से भी हुई है। यद्यपि असमिया भाषा की उत्पत्ति सत्रहवीं शताब्दी से मानी जाती है किंतु साहित्यिक अभिरुचियों का प्रदर्शन तेरहवीं शताब्दी में रुद्र कंदलि के द्रोण पर्व (महाभारत) तथा माधव कंदलि के रामायण से प्रारंभ हुआ। वैष्णवी आंदोलन ने प्रांतीय साहित्य को बल दिया। शंकर देव (१४४९-१५६८) ने अपनी लंबी जीवन-यात्रा में इस आंदोलन को स्वरचित काव्य, नाट्य व गीतों से जीवित रखा। सीमा की दृष्टि से असमिया क्षेत्र के पश्चिम में बंगला है। अन्य दिशाओं में कई विभिन्न परिवारों की भाषाएँ बोली जाती हैं। इनमें से तिब्बती, बर्मी तथा खासी प्रमुख हैं। इन सीमावर्ती भाषाओं का गहरा प्रभाव असमिया की मूल प्रकृति में देखा जा सकता है। अपने प्रदेश में भी असमिया एकमात्र बोली नहीं हैं। यह प्रमुखतः मैदानों की भाषा है। .

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असमिया लिपि

अहोम वंश की मुद्रा जिस पर असमिया लिपि में लिखा गया है। असमिया लिपि 'पूर्वी नागरी' का एक रूप है जो असमिया के साथ-साथ बांग्ला और विष्णुपुरिया मणिपुरी को लिखने के लिये प्रयोग की जाती है। केवल तीन वर्णों को छोड़कर शेष सभी वर्ण बांग्ला में भी ज्यों-के-त्यों प्रयुक्त होते हैं। ये तीन वर्ण हैं- ৰ (र), ৱ (व) और ক্ষ (क्ष)। .

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