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ब्राह्मी लिपि

सूची ब्राह्मी लिपि

कान्हेरी गुफा की एक शिला पर ब्राह्मी लेख ब्राह्मी एक प्राचीन लिपि है जिससे कई एशियाई लिपियों का विकास हुआ है। देवनागरी सहित अन्य दक्षिण एशियाई, दक्षिण-पूर्व एशियाई, तिब्बती तथा कुछ लोगों के अनुसार कोरियाई लिपि का विकास भी इसी से हुआ था। इथियोपियाई लिपि पर ब्राह्मी लिपि का स्पष्ट प्रभाव है। .

53 संबंधों: चीनी भाषा, तमिल, तमिल नाडु, तमिल लिपि, तिब्बती भाषा, तिब्बती लिपि, तेलुगू भाषा, तेलुगू लिपि, थाई लिपि, देवनागरी, पाटलिपुत्र, फ़ोनीशियाई वर्णमाला, बर्मी लिपि, बाङ्ला भाषा, बंगाली लिपि, ब्राह्मी परिवार की लिपियाँ, बौद्ध धर्म, भारत, भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग, भारतीय लिपियाँ, मथुरा, मलयालम भाषा, मलयालम लिपि, मगध महाजनपद, मौर्य राजवंश, यूनानी वर्णमाला, रंजना लिपि, ललितविस्तर सूत्र, लाओ लिपि, लिपि, शिक्षा, श्रीलंका, सरस्वती लिपि, सिंहल लिपि, संस्कृत भाषा, हानगुल, जावाई लिपि, व्याख्याप्रज्ञप्ति, खमेर लिपि, खुदाबादी लिपि, गांधार, गुरमुखी लिपि, गुजराती भाषा, गुजराती लिपि, गौतम बुद्ध, गौरीशंकर हीराचंद ओझा, गीइज़ लिपि, ओड़िआ लिपि, कन्नड लिपि, कन्नड़ भाषा, ..., अर्धमागधी, अशोक, अशोक के अभिलेख सूचकांक विस्तार (3 अधिक) »

चीनी भाषा

चीनी भाषा (अंग्रेजी: Chinese; 汉语/漢語, पिनयिन: Hànyǔ; 华语/華語, Huáyǔ; या 中文 हुआ-यू, Zhōngwén श़ोंग-वॅन) चीन देश की मुख्य भाषा और राजभाषा है। यह संसार में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। यह चीन एवं पूर्वी एशिया के कुछ देशों में बोली जाती है। चीनी भाषा चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार में आती है और वास्तव में कई भाषाओं और बोलियों का समूह है। मानकीकृत चीनी असल में एक 'मन्दारिन' नामक भाषा है। इसमें एकाक्षरी शब्द या शब्द भाग ही होते हैं और ये चीनी भावचित्र में लिखी जाती है (परम्परागत चीनी लिपि या सरलीकृत चीनी लिपि में)। चीनी एक सुरभेदी भाषा है। .

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तमिल

एक तमिल परिवार श्रीलंका में तमिल बच्चे भरतनाट्यम तमिल एक मानमूल है, जिनका मुख्य निवास भारत के तमिलनाडु तथा उत्तरी श्री लंका में है। तमिल समुदाय से जुड़ी चीजों को भी तमिल कहते हैं जैसे, तमिल तथा तमिलनाडु के वासियों को भी तमिल कहा जाता है। तामिल, द्रविड़ जाति की ही एक शाखा है। बहुत से विद्वानों की राय है कि 'तामिल' शब्द संस्कृत 'द्राविड' से निकला है। मनुसंहिता, महाभारत आदि प्राचीन ग्रंथों में द्रविड देश और द्रविड जाति का उल्लेख है। मागधी प्राकृत या पाली में इसी 'द्राविड' शब्द का रूप 'दामिलो' हो गया। तामिल वर्णमाला में त, ष, द आदि के एक ही उच्चारण के कारण 'दामिलो' का 'तामिलो' या 'तामिल' हो गया। शंकराचार्य के शारीरक भाष्य में 'द्रमिल' शब्द आया है। हुएनसांग नामक चीनी यात्री ने भी द्रविड देश को 'चि—मो—लो' करके लिखा है। तमिल व्याकरण के अनुसार द्रमिल शब्द का रूप 'तिरमिड़' होता है। आजकल कुछ विद्वानों की राय हो रही है कि यह 'तिरमिड़' शब्द ही प्राचीन है जिससे संस्कृतवालों ने 'द्रविड' शब्द बना लिया। जैनों के 'शत्रुंजय माहात्म्य' नामक एक ग्रंथ में 'द्रविड' शब्द पर एक विलक्षण कल्पना की गई है। उक्त पुस्तक के मत से आदि तीर्थकर ऋषभदेव को 'द्रविड' नामक एक पुत्र जिस भूभाग में हुआ, उसका नाम 'द्रविड' पड़ गया। पर भारत, मनुसंहिता आदि प्राचीन ग्रंथों से विदित होता है कि द्रविड जाति के निवास के ही कारण देश का नाम द्रविड पड़ा। तामिल जाति अत्यंत प्राचीन हे। पुरातत्वविदों का मत है कि यह जाति अनार्य है और आर्यों के आगमन से पूर्व ही भारत के अनेक भागों में निवास करती थी। रामचंद्र ने दक्षिण में जाकर जिन लोगों की सहायता से लंका पर चढ़ाई की थी और जिन्हें वाल्मीकि ने बंदर लिखा है, वे इसी जाति के थे। उनके काले वर्ण, भिन्न आकृति तथा विकट भाषा आदि के कारण ही आर्यों ने उन्हें बंदर कहा होगा। पुरातत्ववेत्ताओं का अनुमान है कि तामिल जाति आर्यों के संसर्ग के पूर्व ही बहुत कुछ सभ्यता प्राप्त कर चुकी थी। तामिल लोगों के राजा होते थे जो किले बनाकर रहते थे। वे हजार तक गिन लेते थे। वे नाव, छोटे मोटे जहाज, धनुष, बाण, तलवार इत्यादि बना लेते थे और एक प्रकार का कपड़ा बुनना भी जानते थे। राँगे, सीसे और जस्ते को छोड़ और सब धातुओं का ज्ञान भी उन्हें था। आर्यों के संसर्ग के उपरांत उन्होंने आर्यों की सभ्यता पूर्ण रूप से ग्रहण की। दक्षिण देश में ऐसी जनश्रुति है कि अगस्त्य ऋषि ने दक्षिण में जाकर वहाँ के निवासियों को बहुत सी विद्याएँ सिखाई। बारह-तेरह सौ वर्ष पहले दक्षिण में जैन धर्म का बड़ा प्रचार था। चीनी यात्री हुएनसांग जिस समय दक्षिण में गया था, उसने वहाँ दिगंबर जैनों की प्रधानता देखी थी। तमिल भाषा का साहित्य भी अत्यंत प्राचीन है। दो हजार वर्ष पूर्व तक के काव्य तामिल भाषा में विद्यमान हैं। पर वर्णमाला नागरी लिपि की तुलना में अपूर्ण है। अनुनासिक पंचम वर्ण को छोड़ व्यंजन के एक एक वर्ग का उच्चारण एक ही सा है। क, ख, ग, घ, चारों का उच्चारण एक ही है। व्यंजनों के इस अभाव के कारण जो संस्कृत शब्द प्रयुक्त होते हैं, वे विकृत्त हो जाते हैं; जैसे, 'कृष्ण' शब्द तामिल में 'किट्टिनन' हो जाता है। तामिल भाषा का प्रधान ग्रंथ कवि तिरुवल्लुवर रचित कुराल काव्य है। .

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तमिल नाडु

तमिल नाडु (तमिल:, तमिऴ् नाडु) भारत का एक दक्षिणी राज्य है। तमिल नाडु की राजधानी चेन्नई (चेऩ्ऩै) है। तमिल नाडु के अन्य महत्त्वपूर्ण नगर मदुरै, त्रिचि (तिरुच्चि), कोयम्बतूर (कोऽयम्बुत्तूर), सेलम (सेऽलम), तिरूनेलवेली (तिरुनेल्वेऽली) हैं। इसके पड़ोसी राज्य आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल हैं। तमिल नाडु में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा तमिल है। तमिल नाडु के वर्तमान मुख्यमन्त्री एडाप्पडी  पलानिस्वामी  और राज्यपाल विद्यासागर राव हैं। .

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तमिल लिपि

तमिल लिपि एक लिपि है जिसमें तमिल भाषा लिखी जाती है। इसके अलावा सौराष्ट्र, बडगा, इरुला और पनिया आदि अल्पसंख्यक भाषाएँ भी तमिल में लिखी जातीं हैं। .

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तिब्बती भाषा

तिब्बती भाषा (तिब्बती लिपि में: བོད་སྐད་, ü kä), तिब्बत के लोगों की भाषा है और वहाँ की राजभाषा भी है। यह तिब्बती लिपि में लिखी जाती है। ल्हासा में बोली जाने वाली भाषा को मानक तिब्बती माना जाता है। .

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तिब्बती लिपि

तिब्बती बौद्धधर्म का मूल मंत्र: '''ॐ मणिपद्मे हूँ''' तिब्बती लिपि भारतीय मूल की ब्राह्मी परिवार की लिपि है। इसका उपयोग तिब्बती भाषा, लद्दाखी भाषा तथा कभी-कभी बलती भाषा को लिखने के लिये किया जाता है। इसकी रचना ७वीं शताब्दी में तिब्बत के धर्मराजा स्रोंचन गम्पो (तिब्बती: སྲོང་བཙན་སྒམ་པོ།, Wylie: srong btsan sgam po) के मंत्री थोन्मि सम्भोट (तिब्बती: ཐོན་མི་སམྦྷོ་ཊ།, Wyl. thon mi sam+b+ho Ta) ने की थी। इसलिये इसको सम्भोट लिपि भी कहते हैं। यह लिपि प्राचीन समय से ही तिब्बती, शेर्पा, लद्दाखी, भूटानी, भोटे, सिक्किमी आदि हिमाकयी भाषाओं को लिखने के लिये प्रयुक्त होती है। .

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तेलुगू भाषा

तेलुगु भाषा (तेलुगू:తెలుగు భాష) भारत के आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों की मुख्यभाषा और राजभाषा है। ये द्रविड़ भाषा-परिवार के अन्तर्गत आती है। यह भाषा आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के अलावा तमिलनाडु, कर्णाटक, ओडिशा और छत्तीसगढ़ राज्यों में भी बोली जाती है। तेलुगु के तीन नाम प्रचलित हैं -- "तेलुगु", "तेनुगु" और "आंध्र"। .

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तेलुगू लिपि

तेलुगु लिपि, ब्राह्मी से उत्पन्न एक भारतीय लिपि है जो तेलुगु भाषा लिखने के लिये प्रयुक्त होती है। अक्षरों के रूप और संयुक्ताक्षर में ये अपने पश्चिमी पड़ोसी कन्नड़ लिपि से बहुत मेल खाती है। .

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थाई लिपि

थाई लिपि में बौद्ध सूत्र थाई लिपि (थाई भाषा: อักษรไทย, अक्षरथय, àksǒn thai), थाई भाषा के अलावा थाईलैण्ड की अन्य अल्पसंख्यक भाषाएँ लिखने के लिये प्रयुक्त होती है। थाई लिपि में ४४ व्यंजन (थाई: พยัญชนะ, बयञचन) और १५ स्वर (थाई: สระ, सर) हैं। थाई स्वरों के कम से कम २८ रूप होते हैं तथा चार टोन-मार्क (थाई: วรรณยุกต์ या วรรณยุต, वन्नयुक/वन्नयुत) होते हैं। देवनागरी की तरह थाई लिपि भी बाएँ से दाएँ लिखी जाती है। इसमें भी मात्राएँ व्यंजन के उपर, नीचे, पहले या बाद में लगाई जाती हैं। थाई लिपि के अपने अंक भी हैं जो हिन्दू अंक प्रणाली पर आधारित है। किन्तु अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दू अंक प्रणाली का भी प्रायः उपयोग किया जाता है। .

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देवनागरी

'''देवनागरी''' में लिखी ऋग्वेद की पाण्डुलिपि देवनागरी एक लिपि है जिसमें अनेक भारतीय भाषाएँ तथा कई विदेशी भाषाएं लिखीं जाती हैं। यह बायें से दायें लिखी जाती है। इसकी पहचान एक क्षैतिज रेखा से है जिसे 'शिरिरेखा' कहते हैं। संस्कृत, पालि, हिन्दी, मराठी, कोंकणी, सिन्धी, कश्मीरी, डोगरी, नेपाली, नेपाल भाषा (तथा अन्य नेपाली उपभाषाएँ), तामाङ भाषा, गढ़वाली, बोडो, अंगिका, मगही, भोजपुरी, मैथिली, संथाली आदि भाषाएँ देवनागरी में लिखी जाती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ स्थितियों में गुजराती, पंजाबी, बिष्णुपुरिया मणिपुरी, रोमानी और उर्दू भाषाएं भी देवनागरी में लिखी जाती हैं। देवनागरी विश्व में सर्वाधिक प्रयुक्त लिपियों में से एक है। मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया की एक ट्राम पर देवनागरी लिपि .

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पाटलिपुत्र

बिहार की राजधानी पटना का पुराना नाम पाटलिपुत्र है। पवित्र गंगा नदी के दक्षिणी तट पर बसे इस शहर को लगभग २००० वर्ष पूर्व पाटलिपुत्र के नाम से जाना जाता था। इसी नाम से अब पटना में एक रेलवे स्टेशन भी है। पाटलीपुत्र अथवा पाटलिपुत्र प्राचीन समय से ही भारत के प्रमुख नगरों में गिना जाता था। पाटलीपुत्र वर्तमान पटना का ही नाम था। इतिहास के अनुसार, सम्राट अजातशत्रु के उत्तराधिकारी उदयिन ने अपनी राजधानी को राजगृह से पाटलिपुत्र स्थानांतरित किया और बाद में चन्द्रगुप्त मौर्य ने यहां साम्राज्य स्थापित कर अपनी राजधानी बनाई। .

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फ़ोनीशियाई वर्णमाला

राजा किलामुवा द्वारा जारी किया गया फ़ोनीशियाई में एक फ़रमान एश्मुन धार्मिक स्थल पर राजा बोदशतार्त द्वारा लिखित पंक्तियाँ तूनिशिया से मिली फ़ोनीशियाई में लिखी बाल हम्मोन और तनित नामक देवताओं को प्रार्थना फ़ोनीशियाई वर्णमाला फ़ोनीशिया की सभ्यता द्वारा अविष्कृत वर्णमाला थी जिसमें हर वर्ण एक व्यंजन की ध्वनी बनता था। क्योंकि फ़ोनीशियाई लोग समुद्री सौदागर थे इसलिए उन्होंने इस अक्षरमाला को दूर-दूर तक फैला दिया और उनकी देखा-देखी और सभ्यताएँ भी अपनी भाषाओँ के लिए इसमें फेर-बदल करके इसका प्रयोग करने लगीं। माना जाता है के आधुनिक युग की सभी मुख्य अक्षरमालाएँ इसी फ़ोनीशियाई वर्णमाला की संताने हैं। देवनागरी सहित, भारत की सभी वर्णमालाएँ भी फ़ोनीशियाई वर्णमाला की वंशज हैं। इसका विकास क़रीब 1050 ईसा-पूर्व में आरम्भ हुआ था और प्राचीन यूनानी सभ्यता के उदय के साथ-साथ अंत हो गया। .

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बर्मी लिपि

बर्मी लिपि के अक्षर म्यांमार लिपि या बर्मी लिपि (बर्मी भाषा: ဗမာအက္ခရာ / बमाअक्खरा या မြန်မာအက္ခရာ / म्रन्माअक्खरा), बर्मी भाषा लिखने के लिये प्रयुक्त होती है। यह ब्राह्मी परिवार की लिपि है। इसके अक्षर गोल होते हैं जो ताड़पत्र पर लेखन में सुविधा प्रदान करते थे क्योंकि सीधी रेखाएँ लिखने से पत्तों के फटने का डर रहता है। .

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बाङ्ला भाषा

बाङ्ला भाषा अथवा बंगाली भाषा (बाङ्ला लिपि में: বাংলা ভাষা / बाङ्ला), बांग्लादेश और भारत के पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी भारत के त्रिपुरा तथा असम राज्यों के कुछ प्रान्तों में बोली जानेवाली एक प्रमुख भाषा है। भाषाई परिवार की दृष्टि से यह हिन्द यूरोपीय भाषा परिवार का सदस्य है। इस परिवार की अन्य प्रमुख भाषाओं में हिन्दी, नेपाली, पंजाबी, गुजराती, असमिया, ओड़िया, मैथिली इत्यादी भाषाएँ हैं। बंगाली बोलने वालों की सँख्या लगभग २३ करोड़ है और यह विश्व की छठी सबसे बड़ी भाषा है। इसके बोलने वाले बांग्लादेश और भारत के अलावा विश्व के बहुत से अन्य देशों में भी फ़ैले हैं। .

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बंगाली लिपि

'कॉ' पर मात्राएं लगाने पर स्वरूप बांग्ला लिपि (বাংলা লিপি) पूर्वी नागरी लिपि का एक परिमार्जित रूप है जिसे बांग्ला भाषा, असमिया या विष्णुप्रिया मणिपुरी लिखने के लिए प्रयोग किया जाता है। पूर्वी नागरी लिपि का संबंध ब्राम्ही लिपि के साथ है। आधुनिक बांग्ला लिपि को चार्ल्स विल्किंस द्वारा 1778 में आधार दिया गया जब उन्होंने इस लिपि के लिए पहली बार टाइपसेट का प्रयोग किया। असमिया एवं मणिपुरी लिखते समय कमोबेश इसी लिपि का प्रयोग थोड़े बहुत परिवर्तन के साथ किया जाता है। उदाहरण के तौर पर, र अक्षर (बांग्ला/मणिपुरी: র; असमिया: ৰ) एवं व (बांग्ला: अनुपलब्ध; असमिया/मणिपुरी: ৱ) में भाषानुसार अंतर दिखते हैं। .

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ब्राह्मी परिवार की लिपियाँ

ब्राह्मी परिवार उन लिपियों का परिवार हैं जिनकी पूर्वज ब्राह्मी लिपि है। इनका प्रयोग दक्षिण एशिया, दक्षिणपूर्व एशिया में होता है, तथा मध्य व पूर्व एशिया के कुछ भागों में भी होता है। इस परिवार की किसी लेखन प्रणाली को ब्राह्मी-आधारित लिपि या भारतीय लिपि कहा जा सकता है। इन लिपियों का प्रयोग कई भाषा परिवारों में होता था, उदाहरणार्थ इंडो-यूरोपियाई, चीनी-तिब्बती, मंगोलियाई, द्रविडीय, ऑस्ट्रो-एशियाई, ऑस्ट्रोनेशियाई, ताई और संभवतः कोरियाई में। इनका प्रभाव आधुनिक जापानी भाषा में प्रयुक्त अक्षर क्रमांकन पर भी दिखता है। .

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बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और महान दर्शन है। इसा पूर्व 6 वी शताब्धी में बौद्ध धर्म की स्थापना हुई है। बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध है। भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में लुंबिनी, नेपाल और महापरिनिर्वाण 483 ईसा पूर्व कुशीनगर, भारत में हुआ था। उनके महापरिनिर्वाण के अगले पाँच शताब्दियों में, बौद्ध धर्म पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैला और अगले दो हजार वर्षों में मध्य, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जम्बू महाद्वीप में भी फैल गया। आज, हालाँकि बौद्ध धर्म में चार प्रमुख सम्प्रदाय हैं: हीनयान/ थेरवाद, महायान, वज्रयान और नवयान, परन्तु बौद्ध धर्म एक ही है किन्तु सभी बौद्ध सम्प्रदाय बुद्ध के सिद्धान्त ही मानते है। बौद्ध धर्म दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है।आज पूरे विश्व में लगभग ५४ करोड़ लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी है, जो दुनिया की आबादी का ७वाँ हिस्सा है। आज चीन, जापान, वियतनाम, थाईलैण्ड, म्यान्मार, भूटान, श्रीलंका, कम्बोडिया, मंगोलिया, तिब्बत, लाओस, हांगकांग, ताइवान, मकाउ, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया एवं उत्तर कोरिया समेत कुल 18 देशों में बौद्ध धर्म 'प्रमुख धर्म' धर्म है। भारत, नेपाल, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, रूस, ब्रुनेई, मलेशिया आदि देशों में भी लाखों और करोडों बौद्ध हैं। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, भारत सरकार के संस्कृति विभाग के अन्तर्गत एक सरकारी एजेंसी है, जो कि पुरातत्व अध्ययन और सांस्कृतिक स्मारकों के अनुरक्षण के लिये उत्तरदायी होती है। इसकी वेबसाइट के अनुसार, ए.एस.

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भारतीय लिपियाँ

भारत में बहुत सी भाषाएं तो हैं ही, उनके लिखने के लिये भी अलग-अलग लिपियाँ प्रयोग की जातीं हैं। किन्तु इन सभी लिपियों में बहुत ही साम्य है। ये सभी वर्णमालाएँ एक अत्यन्त तर्कपूर्ण ध्वन्यात्मक क्रम (phonetic order) में व्यवस्थित हैं। यह क्रम इतना तर्कपूर्ण है कि अन्तरराष्ट्रीय ध्वन्यात्मक संघ (IPA) ने अन्तरराष्ट्रीय ध्वन्यात्मक लिपि के निर्माण के लिये मामूली परिवर्तनों के साथ इसी क्रम को अंगीकार कर लिया। .

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मथुरा

मथुरा उत्तरप्रदेश प्रान्त का एक जिला है। मथुरा एक ऐतिहासिक एवं धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। लंबे समय से मथुरा प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का केंद्र रहा है। भारतीय धर्म,दर्शन कला एवं साहित्य के निर्माण तथा विकास में मथुरा का महत्त्वपूर्ण योगदान सदा से रहा है। आज भी महाकवि सूरदास, संगीत के आचार्य स्वामी हरिदास, स्वामी दयानंद के गुरु स्वामी विरजानंद, कवि रसखान आदि महान आत्माओं से इस नगरी का नाम जुड़ा हुआ है। मथुरा को श्रीकृष्ण जन्म भूमि के नाम से भी जाना जाता है। .

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मलयालम भाषा

मलयालं (മലയാളം, मलयालम्‌) या कैरली (കൈരളി, कैरलि) भारत के केरल प्रान्त में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। ये द्रविड़ भाषा-परिवार में आती है। केरल के अलावा ये तमिलनाडु के कन्याकुमारी तथा उत्तर में कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिला, लक्षद्वीप तथा अन्य कई देशों में बसे मलयालियों द्वारा बोली जाती है। मलयालं, भाषा और लिपि के विचार से तमिल भाषा के काफी निकट है। इस पर संस्कृत का प्रभाव ईसा के पूर्व पहली सदी से हुआ है। संस्कृत शब्दों को मलयालम शैली के अनुकूल बनाने के लिए संस्कृत से अवतरित शब्दों को संशोधित किया गया है। अरबों के साथ सदियों से व्यापार संबंध अंग्रेजी तथा पुर्तगाली उपनिवेशवाद का असर भी भाषा पर पड़ा है। .

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मलयालम लिपि

मलयालम लिपि (मलयालम् लिपि में: മലയാളലിപി) ब्राह्मी लिपि से व्युत्पन्न लिपि है। इसका उपयोग मलयालम भाषा सहित पनिय, बेट्ट कुरुम्ब, रवुला और कभी-कभी कोंकणी लिखने में होता है। .

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मगध महाजनपद

मगध प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था। आधुनिक पटना तथा गया ज़िला इसमें शामिल थे। इसकी राजधानी गिरिव्रज (वर्तमान राजगीर) थी। भगवान बुद्ध के पूर्व बृहद्रथ तथा जरासंध यहाँ के प्रतिष्ठित राजा थे। अभी इस नाम से बिहार में एक प्रंमडल है - मगध प्रमंडल। (२) सुमसुमार पर्वत के भाग, (३) केसपुत्र के कालाम, (४) रामग्राम के कोलिय, (५) कुशीमारा के मल्ल, (६) पावा के मल्ल, (७) पिप्पलिवन के मौर्य, (८) आयकल्प के बुलि, (९) वैशाली के लिच्छवि, (१०) मिथिला के विदेह। -- .

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मौर्य राजवंश

मौर्य राजवंश (३२२-१८५ ईसापूर्व) प्राचीन भारत का एक शक्तिशाली एवं महान राजवंश था। इसने १३७ वर्ष भारत में राज्य किया। इसकी स्थापना का श्रेय चन्द्रगुप्त मौर्य और उसके मन्त्री कौटिल्य को दिया जाता है, जिन्होंने नन्द वंश के सम्राट घनानन्द को पराजित किया। मौर्य साम्राज्य के विस्तार एवं उसे शक्तिशाली बनाने का श्रेय सम्राट अशोक को जाता है। यह साम्राज्य पूर्व में मगध राज्य में गंगा नदी के मैदानों (आज का बिहार एवं बंगाल) से शुरु हुआ। इसकी राजधानी पाटलिपुत्र (आज के पटना शहर के पास) थी। चन्द्रगुप्त मौर्य ने ३२२ ईसा पूर्व में इस साम्राज्य की स्थापना की और तेजी से पश्चिम की तरफ़ अपना साम्राज्य का विकास किया। उसने कई छोटे छोटे क्षेत्रीय राज्यों के आपसी मतभेदों का फायदा उठाया जो सिकन्दर के आक्रमण के बाद पैदा हो गये थे। ३१६ ईसा पूर्व तक मौर्य वंश ने पूरे उत्तरी पश्चिमी भारत पर अधिकार कर लिया था। चक्रवर्ती सम्राट अशोक के राज्य में मौर्य वंश का बेहद विस्तार हुआ। सम्राट अशोक के कारण ही मौर्य साम्राज्य सबसे महान एवं शक्तिशाली बनकर विश्वभर में प्रसिद्ध हुआ। .

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यूनानी वर्णमाला

यूनानी वर्णमाला (Greek alphabet) चौबीस अक्षरों की वर्ण व्यवस्था है जिनके प्रयोग से यूनानी भाषा को आठवीं सदी ईसा-पूर्व से लिखा जा रहा है। प्रत्येक स्वर एवं व्यंजन लिए पृथक चिन्ह वाली यह पहली एवं प्राचीनतम वर्णमाला है। यह वर्णमाला फ़ोनीशियाई वर्णमाला से उत्पन्न हुई थी और यूरोप की कई वर्ण-व्यवस्थाएँ इसी से जन्मी हैं। अंग्रेज़ी लिखने के लिये प्रयुक्त रोमन लिपि तथा रूसी भाषा लिखने के लिए प्रयोग की जाने वाली सीरिलिक वर्णमाला दोनों यूनानी लिपि से जन्मी हैं। दूसरी शताब्दी ईसापूर्व के बाद गणितज्ञों ने यूनानी अक्षरों को अंक दर्शाने के लिए भी प्रयोग करना शुरू कर दिया। यूनानी वर्णों का प्रयोग विज्ञान के कई क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे भौतिकी में तत्वों के नाम, सितारों के नाम, बिरादरी एवं साथी सम्प्रदाय के नाम, ऊष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों के नाम के लिए। .

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रंजना लिपि

रंजना लिपि ११वीं शती में ब्राह्मी से व्युत्पन्न एक लिपि है। यह मुख्यतः नेपाल भाषा लिखने के लिए प्रयुक्त होती है किन्तु भारत, तिब्बत, चीन, मंगोलिया और जापान के मठों में भी इसका प्रयोग किया जाता है। यह प्रायः बाएँ से दाएँ लिखी जाती है किन्तु 'कूटाक्षर प्रारूप' के लिये ऊपर से नीचे लिखी जाती है। यह मानक नेपाली की कैलिग्राफिक लिपि मानी जाती है। .

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ललितविस्तर सूत्र

सिद्धार्थ गौतम के रूप में जन्मने से पूर्व तुषितलोक में बोधिसत्व (बोरोबुदुर, इण्डोनेशिया) ललितविस्तर सूत्र, महायान बौद्ध सम्प्रदाय का ग्रन्थ है। इसमें भगवान बुद्ध की लीलाओं का वर्णन है। इसकी रचना किसी एक व्यक्ति ने नहीं की बल्कि इसकी रचना में कई व्यक्तियों का योगदान है। इसका रचना काल ईसा के पश्चात तीसरी शताब्दी माना गया है। इसमें २७ अध्याय हैं। .

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लाओ लिपि

श्रेणी:लिपि श्रेणी:भाषा-विज्ञान.

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लिपि

लिपि या लेखन प्रणाली का अर्थ होता है किसी भी भाषा की लिखावट या लिखने का ढंग। ध्वनियों को लिखने के लिए जिन चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, वही लिपि कहलाती है। लिपि और भाषा दो अलग अलग चीज़ें होती हैं। भाषा वो चीज़ होती है जो बोली जाती है, लिखने को तो उसे किसी भी लिपि में लिख सकते हैं। किसी एक भाषा को उसकी सामान्य लिपि से दूसरी लिपि में लिखना, इस तरह कि वास्तविक अनुवाद न हुआ हो, इसे लिप्यन्तरण कहते हैं। चीनी लिपि (चित्रलिपि) यद्यपि संसार भर में प्रयोग हो रही भाषाओं की संख्या अब भी हजारों में है, तथापि इस समय इन भाषाओं को लिखने के लिये केवल लगभग दो दर्जन लिपियों का ही प्रयोग हो रहा है। और भी गहराई में जाने पर पता चलता है कि संसार में केवल तीन प्रकार की ही मूल लिपियाँ (या लिपि परिवार) है-.

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शिक्षा

अफगानिस्तान के एक विद्यालय में वृक्ष के नीचे पढ़ते बच्चे शिक्षा में ज्ञान, उचित आचरण और तकनीकी दक्षता, शिक्षण और विद्या प्राप्ति आदि समाविष्ट हैं। इस प्रकार यह कौशलों (skills), व्यापारों या व्यवसायों एवं मानसिक, नैतिक और सौन्दर्यविषयक के उत्कर्ष पर केंद्रित है। शिक्षा, समाज की एक पीढ़ी द्वारा अपने से निचली पीढ़ी को अपने ज्ञान के हस्तांतरण का प्रयास है। इस विचार से शिक्षा एक संस्था के रूप में काम करती है, जो व्यक्ति विशेष को समाज से जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है तथा समाज की संस्कृति की निरंतरता को बनाए रखती है। बच्चा शिक्षा द्वारा समाज के आधारभूत नियमों, व्यवस्थाओं, समाज के प्रतिमानों एवं मूल्यों को सीखता है। बच्चा समाज से तभी जुड़ पाता है जब वह उस समाज विशेष के इतिहास से अभिमुख होता है। शिक्षा व्यक्ति की अंतर्निहित क्षमता तथा उसके व्यक्तित्त्व का विकसित करने वाली प्रक्रिया है। यही प्रक्रिया उसे समाज में एक वयस्क की भूमिका निभाने के लिए समाजीकृत करती है तथा समाज के सदस्य एवं एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए व्यक्ति को आवश्यक ज्ञान तथा कौशल उपलब्ध कराती है। शिक्षा शब्द संस्कृत भाषा की ‘शिक्ष्’ धातु में ‘अ’ प्रत्यय लगाने से बना है। ‘शिक्ष्’ का अर्थ है सीखना और सिखाना। ‘शिक्षा’ शब्द का अर्थ हुआ सीखने-सिखाने की क्रिया। जब हम शिक्षा शब्द के प्रयोग को देखते हैं तो मोटे तौर पर यह दो रूपों में प्रयोग में लाया जाता है, व्यापक रूप में तथा संकुचित रूप में। व्यापक अर्थ में शिक्षा किसी समाज में सदैव चलने वाली सोद्देश्य सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का विकास, उसके ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि एवं व्यवहार में परिवर्तन किया जाता है और इस प्रकार उसे सभ्य, सुसंस्कृत एवं योग्य नागरिक बनाया जाता है। मनुष्य क्षण-प्रतिक्षण नए-नए अनुभव प्राप्त करता है व करवाता है, जिससे उसका दिन-प्रतिदन का व्यवहार प्रभावित होता है। उसका यह सीखना-सिखाना विभिन्न समूहों, उत्सवों, पत्र-पत्रिकाओं, दूरदर्शन आदि से अनौपचारिक रूप से होता है। यही सीखना-सिखाना शिक्षा के व्यापक तथा विस्तृत रूप में आते हैं। संकुचित अर्थ में शिक्षा किसी समाज में एक निश्चित समय तथा निश्चित स्थानों (विद्यालय, महाविद्यालय) में सुनियोजित ढंग से चलने वाली एक सोद्देश्य सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा छात्र निश्चित पाठ्यक्रम को पढ़कर अनेक परीक्षाओं को उत्तीर्ण करना सीखता है। शिक्षा एक गतिशील प्रकिया है निखिल .

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श्रीलंका

श्रीलंका (आधिकारिक नाम श्रीलंका समाजवादी जनतांत्रिक गणराज्य) दक्षिण एशिया में हिन्द महासागर के उत्तरी भाग में स्थित एक द्वीपीय देश है। भारत के दक्षिण में स्थित इस देश की दूरी भारत से मात्र ३१ किलोमीटर है। १९७२ तक इसका नाम सीलोन (अंग्रेजी:Ceylon) था, जिसे १९७२ में बदलकर लंका तथा १९७८ में इसके आगे सम्मानसूचक शब्द "श्री" जोड़कर श्रीलंका कर दिया गया। श्रीलंका का सबसे बड़ा नगर कोलम्बो समुद्री परिवहन की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण बन्दरगाह है। .

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सरस्वती लिपि

सिंधु घाटी की सभ्यता से सम्बन्धित छोटे-छोटे संकेतों के समूह को सिन्धु लिपि (Indus script) कहते हैं। इसे सिन्धु-सरस्वती लिपि और हड़प्पा लिपि भी कहते हैं। यह लिपि सिन्धु सभ्यता के समय (२६वीं शताब्दी ईसापूर्व से २०वीं शताब्दी ईसापूर्व तक) परिपक्व रूप धारण कर चुकी थी। इसको अभी तक समझा नहीं जा पाया है (यद्यपि बहुत से दावे किये जाते रहे हैं।) उससे सम्बन्धित भाषा अज्ञात है इसलिये इस लिपि को समझने में विशेष कठिनाई आ रही है। भारत में लेखन ३३०० ईपू का है। सबसे पहले की लिपि सरस्वती लिपि थी, उसके पश्चात ब्राह्मी आई। सिन्धु घाटी से प्राप्त मुहरें .

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सिंहल लिपि

सिंहल लिपि में लिखा विज्ञापन सिंहल लिपि ब्राह्मी लिपि से व्युत्पन्न हुई लिपि है। यह सिंहल भाषा जो श्रीलंका की राजभाषा है। इसके अतिरिक्त यह लिपि पालि तथा संस्कृत लिखने के लिये प्रयुक्त होती है। अनेक भारतीय भाषाओं की लिपियों की तरह सिंहल भाषा की लिपि भी ब्राह्मो लिपि का ही परिवर्तित विकसित रूप हैं। जिस प्रकार उर्दू की वर्णमाला के अतिरिक्त देवनागरी सभी भारतीय भाषाओं की वर्णमाला है, उसी प्रकार देवनागरी ही सिंहल भाषा की भी वर्णमाला है। सिंहल भाषा को दो रूप मान्य हैं - शुद्ध सिंहल द्वारा सभी स्थानीय स्वनिम निरूपित किए जा सकते हैं। इस वर्णमाला में केवल बत्तीस अक्षर मान्य रहे हैं- मिश्रित सिंहल, शुद्ध सिंहल का विस्तारित रूप है। यह पालि तथा संस्कृत लिखने के लिए आवश्यक है। अतः वर्तमान मिश्रित सिंहल ने अपनी वर्णमाला को न केवल पाली वर्णमाला के अक्षरों से समृद्ध कर लिया है, बल्कि संस्कृत वर्णमाला में भी जो और जितने अक्षर अधिक थे, उन सब को भी अपना लिया है। इस प्रकार वर्तमान मिश्रित सिंहल में अक्षरों की संख्या चौवन है। अट्ठारह अक्षर "स्वर" तथा शेष छत्तीस अक्षर व्यंजन माने जाते हैं। शुद्ध सिंहल, मिश्रित सिंहल का उपसमुच्चय (एक भाग) है। .

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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हानगुल

300px 300px हानगुल में कुल ४० अक्षर होते हैं जिनमें से १४ शुद्ध व्यंजन, 5 दोहरे व्यंजन, 10 शुद्ध स्वर और ११ मिश्रित स्वर होते हैं। नोट: कोरियन में अक्षरों के नाम और उच्चारण अलग अलग होते हैं। उदाहरण के लिए अक्षर का नाम "खियक" है लेकिन शब्दों को पढ़ते समय इसका उच्चारण "ख/ग" होता है। दूसरी ध्यान देने योग्य बात अंग्रेजी के समान ही कोरियन में भी एक ही अक्षर का उच्चारण अलग अलग शब्दों में भिन्न भिन्न हो सकता है। लेकिन यह एक वैज्ञानिक तरीके से होता है। किसी अक्षर का उच्चारण इस बात पर निर्भर करता है कि वह शब्द के प्रारंभ में है, पश्चिम में या फ़िर बीच में या अंत में। इस प्रकार किसी शब्द के तीन सम्भव उच्चारण हो सकते हैं। नीचे दिए गए उच्चारण मैकक्यून-राइशाउअर प्रणाली पर आधारित है, क्योंकि वह कोरियाई उच्चारण के क़रीब है। हानगुल में १९ व्यंजन हैं व्यंजनों के नाम - खियक ㄴ - नियन ㄷ - थिगत ㄹ - रियल ㅁ - मियम ㅂ - फियप ㅅ - शियत ㅇ - अंग ㅈ - छियत ㅊ - Aspirated छियत ㅋ - Aspirated खियक ㅌ - Aspirated थिगत ㅍ - Aspirated फियप ㅎ - हियत व्यंजन - नाम ㄲ - सांग खियक (k ㄸ - सांग थिगत ㅃ - सांग फियप ㅆ - सांग शियत ㅉ - सांग छियत हानगुल में २१ स्वर हैं ध्यान दें कि.

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जावाई लिपि

जावाई लिपि में लिखा एक पत्र (१८९०) जावाई लिपि या अक्षर जावा या हनाक्षरक एक लिपि है जो इण्डोनेशिया की कैइ भाषाओं को लिखने में प्रयुक्त होती है। यह ब्राह्मी से व्युत्पन्न लिपि है इसलिये दक्षिण एशिया एवं दक्षिणपूर्व एशिया की अनेक आधुनिक लिपियों से इसका घनिष्ट सम्बन्ध है। यह जावा भाषा (Javanese language), कावी (जावा भाषा का पुराना रूप) तथा संस्कृत लिखने के लिये प्रयुक्त होती है। दक्षिणपूर्व एशिया की लिपियों में बाली लिपि तथा जावा लिपि सर्वाधिक विस्तृत्त एवं कलात्मक हैं। .

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व्याख्याप्रज्ञप्ति

व्याख्याप्रज्ञप्ति (प्राकृत में: 'विहायापण्णति' या 'विवाहापण्णति'; "Exposition of Explanations") पाँचवाँ जैन आगम है जिसे भगवतीसूत्र भी कहते हैं। कुल १२ जैन आगम हैं जो महावीर स्वामी द्वारा प्रख्यापित माने जाते हैं। व्याख्याप्रज्ञप्ति की रचना सुधर्मस्वामी द्वारा प्राकृत में की गयी है। यह सभी आगमों में बससे बड़ा ग्रन्थ है। कहते हैं कि इसमें ६० हजार प्रश्नों का संग्रह था जिनका उत्तर महावीर स्वामी ने दिया था। .

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खमेर लिपि

खमेर लिपि (អក្ខរក្រមខេមរភាសា; अक्खरक्रम खमेर फिआसा, अनौपचारिक रूप से, अक्सर खमेर; អក្សរខ្មែរ) कम्बोडिया की खमेर भाषा को लिखने में प्रयुक्त होने वाली लिपि है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि खमेर लिपि का विकास भारत की पल्लव लिपि (ग्रन्थ लिपि) से हुआ। खमेर लिपि विश्व की सबसे वृहद वर्णमाला है (गिनीज बुक ऑफ वर्ड रिकॉर्ड्स, 1995).

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खुदाबादी लिपि

खुदाबादी लिपि में लिखा 'सिंधी' खुदाबादी लिपि एक लिपि है जो सिन्धी भाषा को लिखने के लिये उपयोग की जाती है। इसे वानिकी, हटवानिकी या हटकई भी कहते हैं। इस लिपि का आविष्कार खुदाबंद के निवासी सिन्धी स्वर्णकार समुदाय के लोगों ने १५५० में किया था। खुदाबादी लिपि वर्णमाला .

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गांधार

कोई विवरण नहीं।

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गुरमुखी लिपि

गुरमुखी लिपि (ਗੁਰਮੁਖੀ ਲਿਪੀ) एक लिपि है जिसमें पंजाबी भाषा लिखी जाती है। गुरमुखी का अर्थ है गुरूओं के मुख से निकली हुई। अवश्य ही यह शब्द ‘वाणी’ का द्योतक रहा होगा, क्योंकि मुख से लिपि का कोई संबंध नहीं है। किंतु वाणी से चलकर उस वाणी कि अक्षरों के लिए यह नाम रूढ़ हो गया। इस प्रकार गुरूओं ने अपने प्रभाव से पंजाब में एक भारतीय लिपि को प्रचलित किया। वरना सिंध की तरह पंजाब में भी फारसी लिपि का प्रचलन हो रहा था और वही बना रह सकता था। इस लिपि में तीन स्वर और 32 व्यंजन हैं। स्वरों के साथ मात्राएँ जोड़कर अन्य स्वर बना लिए जाते हैं। इनके नाम हैं उड़ा, आया, इड़ी, सासा, हाहा, कका, खखा इत्यादि। अंतिम अक्षर ड़ाड़ा है। छठे अक्षर से कवर्ग आरंभ होता है और शेष अक्षरों का (व) तक वही क्रम है जो देवनागरी वर्णमाला में है। मात्राओं के रूप और नाम इस प्रकार हैं। ट के साथ (मुक्ता), टा (कन्ना), टि (स्यारी), टी (बिहारी), ट (ऐंक ड़े), ट (दुलैंकड़े), टे (लावाँ), टै (दोलावाँ), (होड़ा), (कनौड़ा), (टिप्पी), ट: (बिदै)। इस वर्णमाला में प्राय: संयुक्त अक्षर नहीं हैं। यद्यपि अनेक संयुक्त ध्वनियाँ विद्यमान हैं। .

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गुजराती भाषा

गुजराती भारत की एक भाषा है जो गुजरात राज्य, दीव और मुंबई में बोली जाती है। गुजराती साहित्य भारतीय भाषाओं के सबसे अधिक समृद्ध साहित्य में से है। भारत की दूसरी भाषाओं की तरह गुजराती भाषा का जन्म संस्कृत भाषा से हुआ है। वहीं इसके कई शब्द ब्रजभाषा के हैं ऐसा भी माना जाता है की इसका जन्म ब्रजभाषा में से भी हुआ अर्थात संस्कृत और ब्रजभाषा के मिले जुले शब्दों से गुजरातीे भाषा का जन्म हुआ। दूसरे राज्य एवं विदेशों में भी गुजराती बोलने वाले लोग निवास करते हैं। जिन में पाकिस्तान, अमेरिका, यु.के., केन्या, सिंगापुर, अफ्रिका, ऑस्ट्रेलीया मुख्य है। भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की मातृभाषा गुजराती थी। गुजराती बोलने वाले भारत के दूसरे महानुभावों में पाकिस्तान के राष्ट्रपिता मुहम्मद अली जिन्ना, महर्षि दयानंद सरस्वती, मोरारजी देसाई, नरेन्द्र मोदी, धीरु भाई अंबानी भी सम्मिलित है। .

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गुजराती लिपि

गुजराती लिपि वो लिपि है जिसमें गुजराती और कच्छी भाषाएं लिखी जाती है। .

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गौतम बुद्ध

गौतम बुद्ध (जन्म 563 ईसा पूर्व – निर्वाण 483 ईसा पूर्व) एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ। उनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। उनकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थी जिनका इनके जन्म के सात दिन बाद निधन हुआ, उनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापती गौतमी ने किया। सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और पत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग की तलाश एवं सत्य दिव्य ज्ञान खोज में रात में राजपाठ छोड़कर जंगल चले गए। वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से बुद्ध बन गए। .

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गौरीशंकर हीराचंद ओझा

डॉ गौरीशंकर हीराचंद ओझा डॉ गौरीशंकर हीराचंद ओझा (1863-1947) भारत के इतिहासकार एवं हिन्दी लेखक थे। डॉ॰ ओझा राजस्थान क्षेत्र के मार्गशोधक इतिहास लेखकों में गिने जाते हैं। आपका जन्म सिरोही के रोहिड़ा ग्राम में हुआ था। आपने राजस्थान तथा भारत के इतिहास सम्बन्धी अनेक पुस्तकें लिखी थी। कविराज श्यामलदास ने आपको उदयपुर के इतिहास विभाग में नियुक्त किया था। ओझाजी कविराज श्यामलदास को अपना गुरु मानते थे। 17 अप्रैल, 1947 ई० को अपनी जन्मभूमि रोहिड़ा में ही ओझा जी का देहावसान हो गया। .

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गीइज़ लिपि

250px इथियोपियाई लिपि अथवा गीइज़ (Geʻez;ግዕዝ; Gəʿəz), एक लिपि है जो इथियोपिया तथा इरित्रिया (Eritrea) की कई भाषाओं को लिखने में प्रयुक्त होती है। इसकी विशेष बात यह है कि इस पर ब्राह्मी लिपि का स्पष्ट प्रभाव दिखता है। एक ही व्यंजन को अलग-अलग स्वरों से मिलाने से व्यंजन का स्वरूप थोड़ा सा बदल जाता है, जो ब्राह्मी परिवार की लिपियों की विशेषता है। .

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ओड़िआ लिपि

ओड़िआ लिपि, ब्राह्मी लिपि से व्युत्पन्न लिपि है जिसका प्रयोग ओड़िआ भाषा लिखने में होता है। इस लिपि के वर्णों का रूप देखकर ऐसा भ्रम हो सकता है कि इस पर तमिल। मलयालम आदि दक्षिण भारतीय लिपियों का असर है किन्तु ऐसा है नहीं। ओड़िआ लिपि, देवनागरी लिपि और बंगला लिपि से सर्वाधिक मिलती-जुलती है। .

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कन्नड लिपि

बासारलु के मल्लिकार्जुन मन्दिर में १२३४ ई में प्राचीन कन्नड लिपि में लिखा सन्देश कन्नड लिपि ब्राह्मी से व्युत्पन्न एक भारतीय लिपि है जिसका प्रयोग कन्नड लिखने में किया जाता है। .

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कन्नड़ भाषा

कन्नड़ (ಕನ್ನಡ) भारत के कर्नाटक राज्य में बोली जानेवाली भाषा तथा कर्नाटक की राजभाषा है। यह भारत की उन २२ भाषाओं में से एक है जो भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में साम्मिलित हैं। name.

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अर्धमागधी

मध्य भारतीय आर्य परिवार की भाषा अर्धमागधी संस्कृत और आधुनिक भारतीय भाषाओं के बीच की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। यह प्राचीन काल में मगध की साहित्यिक एवं बोलचाल की भाषा थी। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने इसी भाषा में अपने धर्मोपदेश किए थे। आगे चलकर महावीर के शिष्यों ने भी महावीर के उपदेशों का संग्रह अर्धमागधी में किया जो आगम नाम से प्रसिद्ध हुए। .

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अशोक

चक्रवर्ती सम्राट अशोक (ईसा पूर्व ३०४ से ईसा पूर्व २३२) विश्वप्रसिद्ध एवं शक्तिशाली भारतीय मौर्य राजवंश के महान सम्राट थे। सम्राट अशोक का पूरा नाम देवानांप्रिय अशोक मौर्य (राजा प्रियदर्शी देवताओं का प्रिय) था। उनका राजकाल ईसा पूर्व २६९ से २३२ प्राचीन भारत में था। मौर्य राजवंश के चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने अखंड भारत पर राज्य किया है तथा उनका मौर्य साम्राज्य उत्तर में हिन्दुकुश की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी के दक्षिण तथा मैसूर तक तथा पूर्व में बांग्लादेश से पश्चिम में अफ़ग़ानिस्तान, ईरान तक पहुँच गया था। सम्राट अशोक का साम्राज्य आज का संपूर्ण भारत, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, म्यान्मार के अधिकांश भूभाग पर था, यह विशाल साम्राज्य उस समय तक से आज तक का सबसे बड़ा भारतीय साम्राज्य रहा है। चक्रवर्ती सम्राट अशोक विश्व के सभी महान एवं शक्तिशाली सम्राटों एवं राजाओं की पंक्तियों में हमेशा शिर्ष स्थान पर ही रहे हैं। सम्राट अशोक ही भारत के सबसे शक्तिशाली एवं महान सम्राट है। सम्राट अशोक को ‘चक्रवर्ती सम्राट अशोक’ कहाँ जाता है, जिसका अर्थ है - ‘सम्राटों का सम्राट’, और यह स्थान भारत में केवल सम्राट अशोक को मिला है। सम्राट अशोक को अपने विस्तृत साम्राज्य से बेहतर कुशल प्रशासन तथा बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए भी जाना जाता है। सम्राट अशोक ने संपूर्ण एशिया में तथा अन्य आज के सभी महाद्विपों में भी बौद्ध धर्म धर्म का प्रचार किया। सम्राट अशोक के संदर्भ के स्तंभ एवं शिलालेख आज भी भारत के कई स्थानों पर दिखाई देते है। इसलिए सम्राट अशोक की ऐतिहासिक जानकारी एन्य किसी भी सम्राट या राजा से बहूत व्यापक रूप में मिल जाती है। सम्राट अशोक प्रेम, सहिष्णूता, सत्य, अहिंसा एवं शाकाहारी जीवनप्रणाली के सच्चे समर्थक थे, इसलिए उनका नाम इतिहास में महान परोपकारी सम्राट के रूप में ही दर्ज हो चुका है। जीवन के उत्तरार्ध में सम्राट अशोक भगवान बुद्ध की मानवतावादी शिक्षाओं से प्रभावित होकर बौद्ध हो गये और उन्ही की स्मृति में उन्होने कई स्तम्भ खड़े कर दिये जो आज भी नेपाल में उनके जन्मस्थल - लुम्बिनी - में मायादेवी मन्दिर के पास, सारनाथ, बोधगया, कुशीनगर एवं आदी श्रीलंका, थाईलैंड, चीन इन देशों में आज भी अशोक स्तम्भ के रूप में देखे जा सकते है। सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार भारत के अलावा श्रीलंका, अफ़ग़ानिस्तान, पश्चिम एशिया, मिस्र तथा यूनान में भी करवाया। सम्राट अशोक अपने पूरे जीवन में एक भी युद्ध नहीं हारे। सम्राट अशोक के ही समय में २३ विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई जिसमें तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला, कंधार आदि विश्वविद्यालय प्रमुख थे। इन्हीं विश्वविद्यालयों में विदेश से कई छात्र शिक्षा पाने भारत आया करते थे। ये विश्वविद्यालय उस समय के उत्कृट विश्वविद्यालय थे। शिलालेख सुरु करने वाला पहला शासक अशोक ही था, .

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अशोक के अभिलेख

अशोक के शिलालेख पूरे भारतीय उपमहाद्वीप और अफ़्ग़ानिस्तान में मिलें हैं ब्रिटिश संग्राहलय में छठे शिलालेख का एक हिस्सा अरामाई का द्विभाषीय शिलालेख सारनाथ के स्तम्भ पर ब्राह्मी लिपि में शिलालेख मौर्य राजवंश के सम्राट अशोक द्वारा प्रवर्तित कुल ३३ अभिलेख प्राप्त हुए हैं जिन्हें अशोक ने स्तंभों, चट्टानों और गुफ़ाओं की दीवारों में अपने २६९ ईसापूर्व से २३१ ईसापूर्व चलने वाले शासनकाल में खुदवाए। ये आधुनिक बंगलादेश, भारत, अफ़्ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और नेपाल में जगह-जगह पर मिलते हैं और बौद्ध धर्म के अस्तित्व के सबसे प्राचीन प्रमाणों में से हैं। इन शिलालेखों के अनुसार अशोक के बौद्ध धर्म फैलाने के प्रयास भूमध्य सागर के क्षेत्र तक सक्रिय थे और सम्राट मिस्र और यूनान तक की राजनैतिक परिस्थितियों से भलीभाँति परिचित थे। इनमें बौद्ध धर्म की बारीकियों पर ज़ोर कम और मनुष्यों को आदर्श जीवन जीने की सीखें अधिक मिलती हैं। पूर्वी क्षेत्रों में यह आदेश प्राचीन मगधी भाषा में ब्राह्मी लिपि के प्रयोग से लिखे गए थे। पश्चिमी क्षेत्रों के शिलालेखों में खरोष्ठी लिपि का प्रयोग किया गया। एक शिलालेख में यूनानी भाषा प्रयोग की गई है, जबकि एक अन्य में यूनानी और अरामाई भाषा में द्विभाषीय आदेश दर्ज है। इन शिलालेखों में सम्राट अपने आप को "प्रियदर्शी" (प्राकृत में "पियदस्सी") और देवानाम्प्रिय (यानि देवों को प्रिय, प्राकृत में "देवानम्पिय") की उपाधि से बुलाते हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

धम्मलिपि, ब्राम्ही लिपि, अशोक लिपि

निवर्तमानआने वाली
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