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ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र

सूची ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र

'''ब्रह्मोस''' विश्व की सबसे तीव्रगामी मिसाइल है। ब्रह्मोस एक कम दूरी की रैमजेट, सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया (NPO Mashinostroeyenia) तथा भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने संयुक्त रूप से इसका विकास किया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्रह्मोस के समुद्री तथा थल संस्करणों का पहले ही सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है तथा भारतीय सेना एवं नौसेना को सौंपा जा चुका है। ब्रह्मोस भारत और रूस के द्वारा विकसित की गई अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी देश बना दिया है। .

30 संबंधों: एनडीटीवी खबर, डी एफ-41, पनडुब्बी, पराध्वनिक गति, प्रक्षेपास्त्र, प्रौद्योगिकी, पृथ्वी प्रक्षेपास्त्र, बंगाल की खाड़ी, ब्रह्मपुत्र नदी, ब्रह्मोस 2, भारत, भारतीय नौसेना, भारतीय सशस्‍त्र सेनाएँ, भारतीय वायुसेना, भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली, युद्धपोत, रडार, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, रैमजेट, रूस, लड़ाकू विमान, सुखोई एसयू-३० एमकेआई, सूर्या प्रक्षेपास्त्र, जीपीएस ऐडेड जियो ऑगमेंटिड नैविगेशन, वैश्विक स्थान-निर्धारण प्रणाली, ग्लोनास, क्रूज़ प्रक्षेपास्त्र, अमेरिकी डॉलर, अग्नि पंचम, २००९

एनडीटीवी खबर

एनडीटीवी खबर हिन्दी का एक ऑनलाइन समाचार पोर्टल है।। .

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डी एफ-41

डोंगफेंग -41 (चीनी: 东风-41; शाब्दिक अर्थ: "पुरवाई -41") चीन में विकसित की जा रही एक मिसाइल है। यह ठोस ईंधन से चलने वाली, रोड-मोबाइल, अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक परमाणु मिसाइल हैं। डोंगफेंग-41 कई वारहेड ले जाने में सक्षम एक चीनी अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है। डोंगफेंग-41 एक समय में 10 परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। यह मिसाइल 12,000 से करीब 15,000 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम हैं। .

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पनडुब्बी

सन् १९७८ में ''एल्विन'' प्रथम विश्व युद्ध में प्रयुक्त जर्मनी की यूसी-१ श्रेणी की पनडुब्बी पनडुब्बी(अंग्रेज़ी:सबमैरीन) एक प्रकार का जलयान (वॉटरक्राफ़्ट) है जो पानी के अन्दर रहकर काम कर सकता है। यह एक बहुत बड़ा, मानव-सहित, आत्मनिर्भर डिब्बा होता है। पनडुब्बियों के उपयोग ने विश्व का राजनैतिक मानचित्र बदलने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। पनडुब्बियों का सर्वाधिक उपयोग सेना में किया जाता रहा है और ये किसी भी देश की नौसेना का विशिष्ट हथियार बन गई हैं। यद्यपि पनडुब्बियाँ पहले भी बनायी गयीं थीं, किन्तु ये उन्नीसवीं शताब्दी में लोकप्रिय हुईं तथा सबसे पहले प्रथम विश्व युद्ध में इनका जमकर प्रयोग हुआ। विश्व की पहली पनडुब्बी एक डच वैज्ञानिक द्वारा सन १६०२ में और पहली सैनिक पनडुब्बी टर्टल १७७५ में बनाई गई। यह पानी के भीतर रहते हुए समस्त सैनिक कार्य करने में सक्षम थी और इसलिए इसके बनने के १ वर्ष बाद ही इसे अमेरिकी क्रान्ति में प्रयोग में लाया गया था। सन १६२० से लेकर अब तक पनडुब्बियों की तकनीक और निर्माण में आमूलचूल बदलाव आया। १९५० में परमाणु शक्ति से चलने वाली पनडुब्बियों ने डीज़ल चलित पनडुब्बियों का स्थान ले लिया। इसके बाद समुद्री जल से आक्सीजन ग्रहण करने वाली पनडुब्बियों का भी निर्माण कर लिया गया। इन दो महत्वपूर्ण आविष्कारों से पनडुब्बी निर्माण क्षेत्र में क्रांति सी आ गई। आधुनिक पनडुब्बियाँ कई सप्ताह या महिनों तक पानी के भीतर रहने में सक्षम हो गई है। द्वितीय विश्व युद्ध के समय भी पनडुब्बियों का उपयोग परिवहन के लिये सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए किया जाता था। आजकल इनका प्रयोग पर्यटन के लिये भी किया जाने लगा है। कालपनिक साहित्य संसार और फंतासी चलचित्रों के लिये पनडुब्बियों का कच्चे माल के रूप मे प्रयोग किया गया है। पनडुब्बियों पर कई लेखकों ने पुस्तकें भी लिखी हैं। इन पर कई उपन्यास भी लिखे जा चुके हैं। पनडुब्बियों की दुनिया को छोटे परदे पर कई धारावाहिको में दिखाया गया है। हॉलीवुड के कुछ चलचित्रों जैसे आक्टोपस १, आक्टोपस २, द कोर में समुद्री दुनिया के मिथकों को दिखाने के लिये भी पनडुब्बियो को दिखाया गया है। .

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पराध्वनिक गति

नौसेना का एफ़/ए-18इ/एफ़ सुपर होर्नेट ट्रांससोनिक उड़ान के दौरान पराध्वनिक गति (Supersonic Speed) किसी वस्तु की रफ़्तार को कहते है जब वह ध्वनि की गति (जिसे माक १ कहते है) से तेज़ जाती है। 20 °C (68 °F) के तापमान की शुष्क हवा में यात्रा करने वाली वस्तुओं के लिए यह रफ़्तार लगभग 343 मी/से, 1125 फी/से, 758 मिल प्रतिघंटा या 1235 किमी/घंटा होती है। ध्वनि की गति से पाँच गुना अधिक रफ़्तार (माक ५) को हायपरसोनिक (आवाज़ से जल्द) रफ़्तार कहते हैं। उड़ान जिसके दौरान हवा के केवल कुछ हिस्से जैसे रोटर के पंखें के सिरे पराध्वनिक गति तक पहुँचते हैं तो उस उड़ान को ट्रांससोनिक कहते हैं। यह आम तौर पर मक ०.८ से मक १.२.३ के बीच होता है। .

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प्रक्षेपास्त्र

भारत का अग्नि ३ प्रक्षेपास्त्र प्रक्षेपित कर उपयोग में लाया जाने वाला अस्त्र। इसका प्रयोग दूर स्थित लक्ष्य को बेधने के लिए किया जाता है। इसकी सहायता से विस्फोटकों को हजारों किलोमीटर दूर के लक्ष्य तक पहुंचाया जा सकता है। इस प्रकार सुदूर स्थित दुश्मन के ठिकाने भी कुछ ही समय में नष्ट किए जा सकते हैं। प्रक्षेपास्त्र रासायनिक विस्फोटकों से लेकर परमाणु बम तक का वहन और प्रयोग कर सकता है। .

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प्रौद्योगिकी

२०वीं सदी के मध्य तक मनुष्य ने तकनीक के प्रयोग से पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर निकलना सीख लिया था। एकीकृत परिपथ (IC) के आविष्कार ने कम्प्यूटर क्रान्ति को जन्म दिया । प्रौद्योगिकी, व्यावहारिक और औद्योगिक कलाओं और प्रयुक्त विज्ञानों से संबंधित अध्ययन या विज्ञान का समूह है। कई लोग तकनीकी और अभियान्त्रिकी शब्द एक दूसरे के लिये प्रयुक्त करते हैं। जो लोग प्रौद्योगिकी को व्यवसाय रूप में अपनाते है उन्हे अभियन्ता कहा जाता है। आदिकाल से मानव तकनीक का प्रयोग करता आ रहा है। आधुनिक सभ्यता के विकास में तकनीकी का बहुत बड़ा योगदान है। जो समाज या राष्ट्र तकनीकी रूप से सक्षम हैं वे सामरिक रूप से भी सबल होते हैं और देर-सबेर आर्थिक रूप से भी सबल बन जाते हैं। ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिये कि अभियांत्रिकी का आरम्भ सैनिक अभियांत्रिकी से ही हुआ। इसके बाद सडकें, घर, दुर्ग, पुल आदि के निर्माण सम्बन्धी आवश्यकताओं और समस्याओं को हल करने के लिये सिविल अभियांत्रिकी का प्रादुर्भाव हुआ। औद्योगिक क्रान्ति के साथ-साथ यांत्रिक तकनीकी आयी। इसके बाद वैद्युत अभियांत्रिकी, रासायनिक प्रौद्योगिकी तथा अन्य प्रौद्योगिकियाँ आयीं। वर्तमान समय कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी का है। .

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पृथ्वी प्रक्षेपास्त्र

पृथ्वी प्रक्षेपास्त्र भारत द्वारा स्वदेशीय निर्मित, ज़मीन से ज़मीन पर मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है। श्रेणी:हथियार श्रेणी:भारत के प्रक्षेपास्त्र.

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बंगाल की खाड़ी

बंगाल की खाड़ी विश्व की सबसे बड़ी खाड़ी है और हिंद महासागर का पूर्वोत्तर भाग है। यह मोटे रूप में त्रिभुजाकार खाड़ी है जो पश्चिमी ओर से अधिकांशतः भारत एवं शेष श्रीलंका, उत्तर से बांग्लादेश एवं पूर्वी ओर से बर्मा (म्यांमार) तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह से घिरी है। बंगाल की खाड़ी का क्षेत्रफल 2,172,000 किमी² है। प्राचीन हिन्दू ग्रन्थों के अन्सुआर इसे महोदधि कहा जाता था। बंगाल की खाड़ी 2,172,000 किमी² के क्षेत्रफ़ल में विस्तृत है, जिसमें सबसे बड़ी नदी गंगा तथा उसकी सहायक पद्मा एवं हुगली, ब्रह्मपुत्र एवं उसकी सहायक नदी जमुना एवं मेघना के अलावा अन्य नदियाँ जैसे इरावती, गोदावरी, महानदी, कृष्णा, कावेरी आदि नदियां सागर से संगम करती हैं। इसमें स्थित मुख्य बंदरगाहों में चेन्नई, चटगाँव, कोलकाता, मोंगला, पारादीप, तूतीकोरिन, विशाखापट्टनम एवं यानगॉन हैं। .

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ब्रह्मपुत्र नदी

सुक्लेश्वर घाट से खींचा गया ब्रह्मपुत्र का तस्वीर ब्रह्मपुत्र (असमिया - ব্ৰহ্মপুত্ৰ, बांग्ला - ব্রহ্মপুত্র) एक नदी है। यह तिब्बत, भारत तथा बांग्लादेश से होकर बहती है। ब्रह्मपुत्र का उद्गम तिब्बत के दक्षिण में मानसरोवर के निकट चेमायुंग दुंग नामक हिमवाह से हुआ है।ब्रह्मपुत्र की लंबाई लगभग 2900 किलोमीटर है। ब्रह्मपुत्र का नाम तिब्बत में सांपो, अरुणाचल में डिहं तथा असम में ब्रह्मपुत्र है। ब्रह्मपुत्र नदी बांग्लादेश की सीमा में जमुना के नाम से दक्षिण में बहती हुई गंगा की मूल शाखा पद्मा के साथ मिलकर बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है। सुवनश्री, तिस्ता, तोर्सा, लोहित, बराक आदि ब्रह्मपुत्र की उपनदियां हैं। ब्रह्मपुत्र के किनारे स्थित शहरों में डिब्रूगढ़, तेजपुर एंव गुवाहाटी प्रमुख हैं प्रायः भारतीय नदियों के नाम स्त्रीलिंग में होते हैं पर ब्रह्मपुत्र एक अपवाद है। संस्कृत में ब्रह्मपुत्र का शाब्दिक अर्थ ब्रह्मा का पुत्र होता है। .

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ब्रह्मोस 2

ब्रह्मोस 2 (BrahMos-2) रूस की एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनिया और भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा वर्तमान में संयुक्त रूप से विकासाधीन एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। जो एक साथ ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा गठित है। यह ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल श्रृंखला की दूसरी क्रूज मिसाइल है। ब्रह्मोस-2 की रेंज 290 किलोमीटर और मेक 7 की गति होने की संभावना है। उड़ान के क्रूज चरण के दौरान मिसाइल एक स्क्रैमजेट एयरब्रेस्टिंग जेट इंजन का प्रयोग करेगी। मिसाइल की उत्पादन लागत और भौतिक आयाम सहित अन्य विवरण, अभी तक प्रकाशित नहीं किए गए हैं। इस मिसाइल की 2020 तक परीक्षण के लिए तैयार होने की उम्मीद है। ब्रह्मोस-2 की योजनाबद्ध परिचालन सीमा 290 किलोमीटर तक सीमित कर दी गई है क्योंकि रूस मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) का एक हस्ताक्षरकर्ता सदस्य देश है, जो रूस को 300 किलोमीटर (190 मील। 160 एनएमआई) के ऊपर सीमाओं वाली मिसाइलों को विकसित करने में अन्य देशों की मदद से रोकता है। हालांकि, अब भारत एक मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था हस्ताक्षरकर्ता सदस्य देश बन गया है। इसकी शीर्ष गति वर्तमान ब्रह्मोस 1 की दोगुनी होगी। और यह दुनिया में सबसे तेज क्रूज मिसाइल होगी। ब्रह्मोस 2 को मेक 5 की गाति से पार करने के लिए रूस एक विशेष और गुप्त ईंधन सूत्र विकसित कर रहा है। अक्टूबर 2011 तक मिसाइल के कई रूपों का डिजाइन पूरा किया गया था। और 2012 में परीक्षण शुरू होने वाले थे। चौथी पीढ़ी के बहुउद्देश्यीय रूसी नौसेना विध्वंसक (प्रोजेक्ट 21956) को भी ब्रह्मोस 2 से लैस करने की संभावना है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति ऐ॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम के सम्मान में मिसाइल को ब्रह्मोस-2 (के) का नाम दिया है। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भारतीय नौसेना

भारतीय नौसेना(Indian Navy) भारतीय सेना का सामुद्रिक अंग है जो कि ५६०० वर्षों के अपने गौरवशाली इतिहास के साथ न केवल भारतीय सामुद्रिक सीमाओं अपितु भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की भी रक्षक है। ५५,००० नौसेनिकों से लैस यह विश्व की पाँचवी सबसे बड़ी नौसेना भारतीय सीमा की सुरक्षा को प्रमुखता से निभाते हुए विश्व के अन्य प्रमुख मित्र राष्ट्रों के साथ सैन्य अभ्यास में भी सम्मिलित होती है। पिछले कुछ वर्षों से लागातार आधुनिकीकरण के अपने प्रयास से यह विश्व की एक प्रमुख शक्ति बनने की भारत की महत्त्वाकांक्षा को सफल बनाने की दिशा में है। जून २०१६ से एडमिरल सुनील लांबा भारत के नौसेनाध्यक्ष हैं। .

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भारतीय सशस्‍त्र सेनाएँ

भारतीय सशस्‍त्र सेनाएँ भारत की तथा इसके प्रत्‍येक भाग की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी हैं। भारतीय शस्‍त्र सेनाओं की सर्वोच्‍च कमान भारत के राष्‍ट्रपति के पास है। राष्‍ट्र की रक्षा का दायित्‍व मंत्रिमंडल के पास होता है। इसका निर्वहन रक्षा मंत्रालय द्वारा किया जाता है, जो सशस्‍त्र बलों को देश की रक्षा के संदर्भ में उनके दायित्‍व के निर्वहन के लिए नीतिगत रूपरेखा और जानकारियां प्रदान करता है। भारतीय शस्‍त्र सेना में तीन प्रभाग हैं भारतीय थलसेना, भारतीय जलसेना, भारतीय वायुसेना और इसके अतिरिक्त, भारतीय सशस्त्र बलों भारतीय तटरक्षक बल और अर्धसैनिक संगठनों (असम राइफल्स, और स्पेशल फ्रंटियर फोर्स) और विभिन्न अंतर-सेवा आदेशों और संस्थानों में इस तरह के सामरिक बल कमान अंडमान निकोबार कमान और समन्वित रूप से समर्थन कर रहे हैं डिफेंस स्टाफ। भारत के राष्ट्रपति भारतीय सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर है। भारतीय सशस्त्र बलों भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय (रक्षा मंत्रालय) के प्रबंधन के तहत कर रहे हैं। 14 लाख से अधिक सक्रिय कर्मियों की ताकत के साथ,यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सैन्य बल है। अन्य कई स्वतंत्र और आनुषांगिक इकाइयाँ जैसे: भारतीय सीमा सुरक्षा बल, असम राइफल्स, राष्ट्रीय राइफल्स, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड, भारत तिब्बत सीमा पुलिस इत्यादि। भारतीय सेना के प्रमुख कमांडर भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द हैं। यह दुनिया के सबसे बड़ी और प्रमुख सेनाओं में से एक है। सँख्या की दृष्टि से भारतीय थलसेना के जवानों की सँख्या दुनिया में चीन के बाद सबसे अधिक है। जबसे भारतीय सेना का गठन हुआ है, भारत ने दोनों विश्वयुद्ध में भाग लिया है। भारत की आजादी के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ तीन युद्ध 1948, 1965, तथा 1971 में लड़े हैं जबकि एक बार चीन से 1962 में भी युद्ध हुआ है। इसके अलावा 1999 में एक छोटा युद्ध कारगिल युद्ध पाकिस्तान के साथ दुबारा लड़ा गया। भारतीय सेना परमाणु हथियार, उन्नत अस्त्र-शस्त्र से लैस है और उनके पास उचित मिसाइल तकनीक भी उपलब्ध है। हलांकि भारत ने पहले परमाणु हमले न करने का संकल्प लिया हुआ है। भारतीय सेना की ओर से दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र है। .

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भारतीय वायुसेना

भारतीय वायुसेना (इंडियन एयरफोर्स) भारतीय सशस्त्र सेना का एक अंग है जो वायु युद्ध, वायु सुरक्षा, एवं वायु चौकसी का महत्वपूर्ण काम देश के लिए करती है। इसकी स्थापना ८ अक्टूबर १९३२ को की गयी थी। आजादी (१९५० में पूर्ण गणतंत्र घोषित होने) से पूर्व इसे रॉयल इंडियन एयरफोर्स के नाम से जाना जाता था और १९४५ के द्वितीय विश्वयुद्ध में इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आजादी (१९५० में पूर्ण गणतंत्र घोषित होने) के पश्च्यात इसमें से "रॉयल" शब्द हटाकर सिर्फ "इंडियन एयरफोर्स" कर दिया गया। आज़ादी के बाद से ही भारतीय वायुसेना पडौसी मुल्क पाकिस्तान के साथ चार युद्धों व चीन के साथ एक युद्ध में अपना योगदान दे चुकी है। अब तक इसने कईं बड़े मिशनों को अंजाम दिया है जिनमें ऑपरेशन ''विजय'' - गोवा का अधिग्रहण, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन कैक्टस व ऑपरेशन पुमलाई शामिल है। ऐसें कई विवादों के अलावा भारतीय वायुसेना संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन का भी सक्रिय हिसा रही है। भारत के राष्ट्रपति भारतीय वायु सेना के कमांडर इन चीफ के रूप में कार्य करते है। वायु सेनाध्यक्ष, एयर चीफ मार्शल (ACM), एक चार सितारा कमांडर है और वायु सेना का नेतृत्व करते है। भारतीय वायु सेना में किसी भी समय एक से अधिक एयर चीफ मार्शल सेवा में कभी नहीं होते। इसका मुख्यालय नयी दिल्ली में स्थित है एवं २००६ के आंकडों के अनुसार इसमें कुल मिलाकर १७०,००० जवान एवं १,३५० लडाकू विमान हैं जो इसे दुनिया की चौथी सबसे बडी वायुसेना होने का दर्जा दिलाती है। .

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भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली

भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (Indian Regional Navigational Satellite System) अथवा इंडियन रीजनल नैविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-आईआरएनएसएस भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित, एक क्षेत्रीय स्वायत्त उपग्रह नौवहन प्रणाली है जो पूर्णतया भारत सरकार के अधीन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका नाम भारत के मछुवारों को समर्पित करते हुए नाविक रखा है। इसका उद्देश्य देश तथा देश की सीमा से 1500 किलोमीटर की दूरी तक के हिस्से में इसके उपयोगकर्ता को सटीक स्थिति की सूचना देना है। सात उपग्रहों वाली इस प्रणाली में चार उपग्रह ही निर्गत कार्य करने में सक्षम हैं लेकिन तीन अन्य उपग्रह इसकी द्वारा जुटाई गई जानकारियों को और सटीक बनायेगें। हर उपग्रह की कीमत करीब 150 करोड़ रुपए के करीब है। वहीं पीएसएलवी-एक्सएल प्रक्षेपण यान की लागत 130 करोड़ रुपए है। .

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युद्धपोत

विलियम वैन डे वेल्डे द यंगर द्वारा कैनन शॉट 17 वीं सदी के लाइन के डच जहाज़ को प्रदशित कर रहा है युद्धपोत एक ऐसा जलयान है जिसका निर्माण युद्ध करने के लिए किया गया हो। युद्धपोतों का निर्माण आमतौर पर व्यापारिक जलयानों से पूर्णतया भिन्न रूप से होता है। सशस्त्र होने के साथ ही साथ युद्धपोत की रचना उसको होने वाली क्षति को सहने के लिए भी की जाती है, साथ ही वे व्यापारिक जलयानों की तुलना में अधिक तेज तथा आसानी से मुड़ सकने वाले होते हैं। एक व्यापारिक जलयान के विपरीत, एक युद्धपोत आमतौर पर केवल अपने स्वयं के चालक दल के लिए हथियार, गोला बारूद, तथा आपूर्ति को ढोता है (न कि व्यापारिक माल).

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रडार

रडार तंत्र के विभिन्न भाग रडार (Radar) वस्तुओं का पता लगाने वाली एक प्रणाली है जो सूक्ष्मतरंगों का उपयोग करती है। इसकी सहायता से गतिमान वस्तुओं जैसे वायुयान, जलयान, मोटरगाड़ियों आदि की दूरी (परास), ऊंचाई, दिशा, चाल आदि का दूर से ही पता चल जाता है। इसके अलावा मौसम में तेजी से आ रहे परिवर्तनों (weather formations) का भी पता चल जाता है। 'रडार' (RADAR) शब्द मूलतः एक संक्षिप्त रूप है जिसका प्रयोग अमेरिका की नौसेना ने १९४० में 'रेडियो डिटेक्शन ऐण्ड रेंजिंग' (radio detection and ranging) के लिये प्रयोग किया था। बाद में यह संक्षिप्त रूप इतना प्रचलित हो गया कि अंग्रेजी शब्दावली में आ गया और अब इसके लिये बड़े अक्षरों (कैपिटल) का इस्तेमाल नहीं किया जाता। .

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रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (अंग्रेज़ी:DRDO, डिफेंस रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट ऑर्गैनाइज़ेशन) भारत की रक्षा से जुड़े अनुसंधान कार्यों के लिये देश की अग्रणी संस्था है। यह संगठन भारतीय रक्षा मंत्रालय की एक आनुषांगिक ईकाई के रूप में काम करता है। इस संस्थान की स्थापना १९५८ में भारतीय थल सेना एवं रक्षा विज्ञान संस्थान के तकनीकी विभाग के रूप में की गयी थी। वर्तमान में संस्थान की अपनी इक्यावन प्रयोगशालाएँ हैं जो इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उपकरण इत्यादि के क्षेत्र में अनुसंधान में रत हैं। पाँच हजार से अधिक वैज्ञानिक और पच्चीस हजार से भी अधिक तकनीकी कर्मचारी इस संस्था के संसाधन हैं। यहां राडार, प्रक्षेपास्त्र इत्यादि से संबंधित कई बड़ी परियोजनाएँ चल रही हैं। I love my India .

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रैमजेट

रैमजेट, को कभी-कभी उड़ता स्टोवपाइप या एथोडाइड (अंग्रेजी: athodyd, aero thermodynamic duct), भी कहा जाता है। यह एक प्रकार का एयरब्रीदिंग जेट इंजन है जो इंजन के आगे बढ़ने की गति को हवा दबाने के लिए प्रयोग करता है, बिना किसी एक्सियल कंप्रेसर के। रैमजेट शून्य वायुगति पर थ्रस्ट पैदा नहीं कर सकता। इसलिए एक रैमजेट से चलने वाले वायुयान को सहायता प्राप्त टेक-ऑफ की आवश्यकता पड़ती है, जैसे राकेट से, जिससे इसे उस गति तक पहुँचाया जा सके, जहाँ पर यह थ्रस्ट पैदा करना शुरू कर दे। रैमजेट सुपरसॉनिक गति (3 मैक) पर काफी अच्छी तरह से काम करता है। इस तरह के इंजन 6 मैक तक काम करते हैं।.

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रूस

रूस (रूसी: Росси́йская Федера́ция / रोस्सिज्स्काया फ़ेदेरात्सिया, Росси́я / रोस्सिया) पूर्वी यूरोप और उत्तर एशिया में स्थित एक विशाल आकार वाला देश। कुल १,७०,७५,४०० किमी२ के साथ यह विश्व का सब्से बड़ा देश है। आकार की दृष्टि से यह भारत से पाँच गुणा से भी अधिक है। इतना विशाल देश होने के बाद भी रूस की जनसंख्या विश्व में सातवें स्थान पर है जिसके कारण रूस का जनसंख्या घनत्व विश्व में सब्से कम में से है। रूस की अधिकान्श जनसंख्या इसके यूरोपीय भाग में बसी हुई है। इसकी राजधानी मॉस्को है। रूस की मुख्य और राजभाषा रूसी है। रूस के साथ जिन देशों की सीमाएँ मिलती हैं उनके नाम हैं - (वामावर्त) - नार्वे, फ़िनलैण्ड, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, पोलैण्ड, बेलारूस, यूक्रेन, जॉर्जिया, अज़रबैजान, कजाकिस्तान, चीन, मंगोलिया और उत्तर कोरिया। रूसी साम्राज्य के दिनों से रूस ने विश्व में अपना स्थान एक प्रमुख शक्ति के रूप में किया था। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद सोवियत संघ विश्व का सबसे बड़ा साम्यवादी देश बना। यहाँ के लेखकों ने साम्यवादी विचारधारा को विश्व भर में फैलाया। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सोवियत संघ एक प्रमुख सामरिक और राजनीतिक शक्ति बनकर उभरा। संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ इसकी वर्षों तक प्रतिस्पर्धा चली जिसमें सामरिक, आर्थिक, राजनैतिक और तकनीकी क्षेत्रों में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ थी। १९८० के दशक से यह आर्थिक रूप से क्षीण होता चला गया और १९९१ में इसका विघटन हो गया जिसके फलस्वरूप रूस, सोवियत संघ का सबसे बड़ा राज्य बना। वर्तमान में रूस अपने सोवियत संघ काल के महाशक्ति पद को पुनः प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है। यद्यपि रूस अभी भी एक प्रमुख देश है लेकिन यह सोवियत काल के पद से भी बहुत दूर है। .

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लड़ाकू विमान

एफ-१६ लड़ाकू विमान उड़ान भरता हुआ लड़ाकू विमान एक ऐसा सेन्य विमान होता है जो किसी अन्य सेना के विमानों के साथ हवा से हवा में लड़ाई करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। ऐसे विमान का प्रयोग अमूमन किसी देश की वायुसेना या नौसेना के वायु बेड़े द्वारा होता है। वैसे लड़ाकू विमान ऐसे कई सारे विमानों के परिवार को भी कह सकते है जो की जंग या ऐसी ही परिस्थितियों में दुश्मन पे हमला करने के लिए काम में लाए जाये, चाहे हवा से हवा में, हवा से जमीन पर या किसी अन्य टोही रूप में.

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सुखोई एसयू-३० एमकेआई

सुखोई ३० एमकेआई भारतीय वायुसेना का अग्रिम पन्क्ति का लड़ाकू विमान है। यह बहु-उपयोगी लड़ाकू विमान रूस के सैन्य विमान निर्माता सुखोई तथा भारत के हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से बना है। इस के नाम में स्थित एम के आई का विस्तार मॉडर्नि रोबान्बि कॉमर्स्कि इंडिकि (модернизированный коммерческий индийский) है यानि आधुनिक व्यावसायिक भारतीय (विमान)। इसी श्रृंखला के सुखोई ३०-एमकेके तथा एमके२ विमानों को चीन तथा बाद में इण्डोनेशिया को बेचा गया था। इसके अलावा एमकेएम, एमकेवी तथा एमकेए संस्करणों को मलेशिया, वेनेजुएला तथा अल्जीरिया को भी बेचा गया है। विमान ने सन १९९७ में पहली उड़ान भरी थी। सन २००२ में इसे भारतीय वायुसेना में सम्मिलित कर लिया गया। सन २००४ से इनका निर्माण भारत में ही हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। यह एक ४++ पीढ़ी का लडाकू विमान है। अकतूबर २००९ में ऐसे १०५ विमानो की ६ स्क्वाड्रन भारतीय वायुसेना की सेवा में थी। ऐसे कुल २८० विमान हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा बनाये जाने की योजना है। यह विमान ३००० किमी की दूरी तक जा कर हमला कर सकता है। इसे शक्ति इसके दो एएल-३१ तर्बोफैन इन्जनो से मिलती है जो इसे २६०० किमी प्रति घण्टे की गति देते हैं। यह विमान हवा में ईन्धन भर सकता है। इस विमान में अलग अलग तरह के बम तथा प्रक्षेपास्त्र ले जाने के लिये १२ स्थान है। भविष्य में इसे ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र से लैस किया जायेगा। इसके अतिरिक्त इसमे एक ३० मिमि की तोप भी लगी है। .

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सूर्या प्रक्षेपास्त्र

अप्रसार समीक्षा (द नॉन प्रोलिफरेशन रिव्यू) में छपे एक प्रतिवेदन के अनुसार, १९९५ की सर्दियों में, सूर्य भारत का विकसित किया जा रहा प्रथम अन्तरमहाद्वीपीय प्राक्षेपिक प्रक्षेपास्त्र का कूटनाम है।, अभिगमित १४ जून २००७ माना जाता है कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ) ने १९९४ में इस परियोजना को आरम्भ कर दिया है। इस प्रतिवेदन की २००९ तक किसी अन्य स्रोत से पुष्टि नहीं की गई है। भारत सरकार के अधिकारियों ने बार-बार इस परियोजना के अस्तित्व का खण्डन किया है। प्रतिवेदन के अनुसार, सूर्य एक अन्तरमहाद्वीपीय-दूरी का, सतह पर आधारित, ठोस और तरल प्रणोदक (प्रोपेलेंट) प्रक्षेपास्त्र है। प्रतिवेदन में आगे कहा गया है कि सूर्य भारत की सबसे महत्वाकांक्षी एकीकृत नियन्त्रित प्रक्षेपास्त्र विकास परियोजना है। सूर्य की मारक क्षमता ८,००० से १२,००० किलोमीटर तक अनुमानित है। .

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जीपीएस ऐडेड जियो ऑगमेंटिड नैविगेशन

गगन के नाम से जाना जाने वाला यह भारत का उपग्रह आधारित हवाई यातायात संचालन तंत्र है। अमेरिका, रूस और यूरोप के बाद 10 अगस्त 2010 को इस सुविधा को प्राप्त करने वाला भारत विश्व का चौथा देश बन गया। .

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वैश्विक स्थान-निर्धारण प्रणाली

जी.पी.एस. खंड द्वितीय-एफ़ उपग्रह की कक्षा में स्थिति का चित्रण जी.पी.एस उपग्रह समुदाय का पृथ्वी की कक्षा में घूर्णन करते हुए एक चलित आरेख। देखें, पृथ्वी की सतह पर किसी एक बिन्दु से दिखाई देने वाले उपग्रहों की संख्या कैसे समय के साथ बदलती रहती है। यहां यह ४५°उ. पर है। जीपीएस अथवा वैश्विक स्थान-निर्धारण प्रणाली (अंग्रेज़ी:ग्लोबल पोज़ीशनिंग सिस्टम), एक वैश्विक नौवहन उपग्रह प्रणाली है जिसका विकास संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा विभाग ने किया है। २७ अप्रैल, १९९५ से इस प्रणाली ने पूरी तरह से काम करना शुरू कर दिया था। वर्तमान समय में जी.पी.एस का प्रयोग बड़े पैमाने पर होने लगा है।। हिन्दुस्तान लाइव। १५ दिसम्बर २००९ इस प्रणाली के प्रमुख प्रयोग नक्शा बनाने, जमीन का सर्वेक्षण करने, वाणिज्यिक कार्य, वैज्ञानिक प्रयोग, सर्विलैंस और ट्रेकिंग करने तथा जियोकैचिंग के लिये भी होते हैं। पहले पहल उपग्रह नौवहन प्रणाली ट्रांजिट का प्रयोग अमेरिकी नौसेना ने १९६० में किया था। आरंभिक चरण में जीपीएस प्रणाली का प्रयोग सेना के लिए किया जाता था, लेकिन बाद में इसका प्रयोग नागरिक कार्यो में भी होने लगा। जीपीएस रिसीवर अपनी स्थिति का आकलन, पृथ्वी से ऊपर स्थित किये गए जीपीएस उपग्रहों के समूह द्वारा भेजे जाने वाले संकेतों के आधार पर करता है। प्रत्येक उपग्रह लगातार संदेश रूपी संकेत प्रसारित करता रहता है। रिसीवर प्रत्येक संदेश का ट्रांजिट समय भी दर्ज करता है और प्रत्येक उपग्रह से दूरी की गणना करता है। शोध और अध्ययन उपरांत ज्ञात हुआ है कि रिसीवर बेहतर गणना के लिए चार उपग्रहों का प्रयोग करता है। इससे उपयोक्ता की त्रिआयामी स्थिति (अक्षांश, देशांतर रेखा और उन्नतांश) के बारे में पता चल जाता है। एक बार जीपीएस प्रणाली द्वारा स्थिति का ज्ञात होने के बाद, जीपीएस उपकरण द्वारा दूसरी जानकारियां जैसे कि गति, ट्रेक, ट्रिप, दूरी, जगह से दूरी, वहां के सूर्यास्त और सूर्योदय के समय के बारे में भी जानकारी एकत्र कर लेता है। वर्तमान में जीपीएस तीन प्रमुख क्षेत्रों से मिलकर बना हुआ है, स्पेस सेगमेंट, कंट्रोल सेगमेंट और यूजर सेगमेंट। .

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ग्लोनास

ग्लोनास लोगो ग्लोनास ग्लोनास (GLONASS) (ГЛОНАСС), रूसी अंतरिक्ष बल द्वारा रूसी सरकार के लिए संचालित एक रेडियो-आधारित उपग्रह नौवहन (नेविगेशन) प्रणाली है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका की वैश्विक स्थिति निर्धारण प्रणाली (जीपीएस), चीन की कम्पास नेविगेशन प्रणाली और यूरोपीय संघ (ईयू) की योजनाबद्ध गैलीलियो स्थिति निर्धारण प्रणाली और भारत की भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशनल उपग्रह प्रणाली की एक वैकल्पिक और पूरक प्रणाली है। ग्लोनास के विकास का आरम्भ 1976 में सोवियत संघ में हुआ था। 12 अक्टूबर 1982 से लेकर 1995 तक, कई रॉकेट प्रक्षेपणों के माध्यम से इस प्रणाली में पर्याप्त मात्रा में उपग्रहों को शामिल किया गया। लेकिन दुर्भाग्यवश इसके बाद रूसी अर्थ व्यवस्था चरमरा गयी और इस प्रणाली की स्थिति भी कमजोर हो गई। 2000 के दशक के आरम्भ में व्लादिमीर पुतिन की अध्यक्षता में इस प्रणाली की बहाली को एक शीर्ष सरकारी वरीयता प्रदान की गई और वित्तपोषण में पर्याप्त वृद्धि की गई। फ़िलहाल ग्लोनास रूसी संघीय अंतरिक्ष एजेंसी का सबसे महंगा कार्यक्रम है जिसमें 2010 के इसके बजट का एक तिहाई हिस्सा खर्च हो गया था। 2010 तक ग्लोनास ने रूसी प्रदेश के लगभग 100% हिस्सों को कवर करने की क्षमता हासिल कर लि थी। फरवरी 2011 तक उपग्रह समूह में 22 संचालनीय उपग्रह थे जो लगातार वैश्विक कवरेज प्रदान करने के लिए आवश्यक 24 उपग्रहों की दृष्टि से कम था और 2011 के दौरान इस कमी के पूरा होने की उम्मीद है। ग्लोनास उपग्रहों की डिजाइनों को कई बार नवीकृत किया गया है जिसका सबसे नवीनतम संस्करण ग्लोनास-के (GLONASS-K) है। .

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क्रूज़ प्रक्षेपास्त्र

क्रूज प्रक्षेपास्त्र एक नियंत्रित प्रक्षेपास्त्र को कहा जाता है, जो ज्वलनशील विस्फोटक के द्वारा लक्ष्य भेदने का कार्य करता है। यह प्रक्षेपास्त्र प्राय: जेट इंजन से चालित होता है तथा इसका प्रयोग भूमि आधारित या समुद्र आधारित लक्ष्य के विरुद्ध किया जाता है। इन प्रक्षेपास्त्रों को मुख्य रूप से बड़े विस्फोटकों को लम्बी दुरी तक उच्च सटीकता से ले जाने के लिए बनाया जाता है। श्रेणी:प्रक्षेपास्त्र.

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अमेरिकी डॉलर

एक अमेरिकी डॉलर का नोट अमेरिकी डॉलर संयुक्त राज्य अमेरिका की राष्ट्रीय मुद्रा है। एक डॉलर में सौ सेंट होते हैं। पचास सेंट के सिक्के को आधा डॉलर कहा जाता है। पच्चीस सेंट के सिक्के को क्वार्टर कहते हैं। दस सेंट का सिक्का डाइम कहलाता है और पाँच सेंट के सिक्के को निकॅल कहते हैं। एक सेंट को पैनी के नाम से पुकारा जाता है। डॉलर के नोट १,५,१०,२०,५० और १०० डॉलर में मिलते है। .

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अग्नि पंचम

अग्नि पंचम (अग्नि-५) भारत की अन्तरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र है। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने विकसित किया है। यह अत्याधुनिक तकनीक से बनी 17 मीटर लंबी और दो मीटर चौड़ी अग्नि-५ मिसाइल परमाणु हथियारों से लैस होकर 1 टन पेलोड ले जाने में सक्षम है। 5 हजार किलोमीटर तक के दायरे में इस्तेमाल की जाने वाली इस मिसाइल में तीन चरणों का प्रोपल्शन सिस्टम लगाया गया है। इसे हैदराबाद की प्रगत (उन्नत) प्रणाली प्रयोगशाला (Advanced Systems Laboratory) ने तैयार किया है। इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत है MIRV तकनीक यानी एकाधिक स्वतंत्र रूप से लक्षित करने योग्य पुनः प्रवेश वाहन (Multiple Independently targetable Re -entry Vehicle), इस तकनीक की मदद से इस मिसाइल से एक साथ कई जगहों पर वार किया जा सकता है, एक साथ कई जगहों पर गोले दागे जा सकते हैं, यहां तक कि अलग-अलग देशों के ठिकानों पर एक साथ हमले किए जा सकते हैं। अग्नि 5 मिसाइल का इस्तेमाल बेहद आसान है। इसे रेल सड़क हो या हवा, कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकता है। देश के किसी भी कोने में इसे तैनात कर सकते हैं जबकि किसी भी प्लेटफॉर्म से युद्ध के दौरान इसकी मदद ली जा सकती हैं। यही नहीं अग्नि पांच के लॉन्चिंग सिस्टम में कैनिस्टर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इस की वजह से इस मिसाइल को कहीं भी बड़ी आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है, जिससे हम अपने दुश्मन के करीब पहुंच सकते हैं। अग्नि 5 मिसाइल की कामयाबी से भारतीय सेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी क्योंकि न सिर्फ इसकी मारक क्षमता 5 हजार किलोमीटर है, बल्कि ये परमाणु हथियारों को भी ले जाने में सक्षम है। अग्नि-5 भारत की पहली अंतर महाद्वीपीय यानी इंटरकॉन्टिनेंटल बालिस्टिक मिसाइल है। अग्नी-5 के बाद भारत की गिनती उन 5 देशों में हो गई है जिनके पास है इंटरकॉन्टिनेंटल बालिस्टिक मिसाइल यानी आईसीबीएम है। भारत से पहले अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन ने इंटर-कॉन्टिनेंटल बालिस्टिक मिसाइल की ताकत हासिल की है. ये करीब 10 साल का फासला है जब भारत की ताकत अग्नि-1 मिसाइल से अब अग्नि 5 मिसाइल तक पहुंची है। 2002 में सफल परीक्षण की रेखा पार करने वाली अग्नि-1 मिसाइल- मध्यम रेंज की बालिस्टिक मिसाइल थी। इसकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर थी और इससे 1000 किलो तक के परमाणु हथियार ढोए जा सकते थे। फिर आई अग्नि-2, अग्नि-3 और अग्नि-4 मिसाइलें. ये तीनों इंटरमीडिएट रेंज बालिस्टिक मिसाइलें हैं। इनकी मारक क्षमता 2000 से 3500 किलोमीटर है। और अब भारत का रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी डीआरडीओ परीक्षण करने जा रहा है अग्नि-5 मिसाइल का। 3 जून 2018 को प्रातः 9 बजकर 48 मिनट पर किया गया। जहां तक भारत की पहली अंतर महाद्वीपीय बालिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 की खूबियों का सवाल है। तो ये करीब एक टन का पे-लोड ले जाने में सक्षम होगा। खुद अग्नि-5 मिसाइल का वजन करीब 50 टन है। अग्नि-5 की लंबाई 17 मीटर और चौड़ाई 2 मीटर है। अग्नि-5 सॉलिड फ्यूल की 3 चरणों वाली मिसाइल है। आज जब ओडिशा तट के व्हीलर आईलैंड से भारत की पहली इंटर कॉन्टिनेन्टल बालिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया जाएगा तो डीआरडीओ के प्रमुख डॉ॰ वी. के. सारस्वत समेत तमाम आला मिसाइल वैज्ञानिक मौजूद रहेंगे. अग्नि-5 में RING LASER GYROSCOPE यानि RLG तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। भारत में ही बनी इस तकनीक की खासियत ये हैं कि ये निशाना बेहद सटीक लगाती है। अगर सबकुछ ठीक से हुआ तो अग्नि-5 को 2014 से भारतीय सेना में शामिल कर दिया जाएगा। यही नहीं चीनी मिसाइल डोंगफेंग 31A को अग्नि-5 से कड़ी टक्कर मिलेगी क्योंकि अग्नि-5 की रेंज में चीन का सबसे उत्तरी शहर हार्बिन भी आता है जो चीन के डर की सबसे बड़ी वजह है। .

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२००९

२००९ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। वर्ष २००९ बृहस्पतिवार से प्रारम्भ होने वाला वर्ष है। संयुक्त राष्ट्र संघ, यूनेस्को एवं आइएयू ने १६०९ में गैलीलियो गैलिली द्वारा खगोलीय प्रेक्षण आरंभ करने की घटना की ४००वीं जयंती के उपलक्ष्य में इसे अंतर्राष्ट्रीय खगोलिकी वर्ष घोषित किया है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

ब्रह्मोस, ब्रह्मोस 1, ब्रह्मोस मिसाइल, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण

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