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बोसॉन

सूची बोसॉन

बोसॉन (Boson):- वे कण जो बोस-आइंस्टीन साँख्यिकी का पालन करते है और जिनकी प्रचक्रण (०,१,२,---) होती है, बोसॉन कहलाते है। मूलभूत बलो को संजोकर रखने वाले सभी उर्जा वाहक कण (फोटॉन, ग्लुऑन, गेज बोसॉन) बोसॉन होते है। वे संयोजित कण जिनमे फर्मिऑन की संख्या सम होती है, बोसॉन कहलाते है, उदाहरण - मेसॉन। किसी भी परमाणु का नाभिक फर्मिऑन है अथवा बोसॉन, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसमें मौजूद प्रोटॉन व न्यूट्रॉन का योग सम है अथवा विषम। शीत हीलियम, जिसकी श्यानता (viscosity) शून्य होती है, का विचित्र व्यवहार होता है कि यह अपने में आरपार आ जा सकता है। इसका यह व्यवहार बोसॉनिक गुण के कारण होता है, चूंकि इसका नाभिक बोसॉन होता है और पॉली एक्सक्ल्युसन सिद्धान्त का पालन करने बाध्य नहीं होता इसलीए यह अपने में आरपार गुजर सकता है। भौतिक शास्त्र में दो प्रकार के अणु माने जाते हैं - बोसॉन और फर्मियान। इनमे से बोसॉन सत्येन्द्र नाथ बसु के नाम पर ही हैं। श्रेणी:भौतिकी * श्रेणी:क्वांटम क्षेत्र सिद्धांत श्रेणी:परमाणु भौतिकी श्रेणी:संघनित द्रव्य भौतिकी.

11 संबंधों: न्यूट्रॉन, परमाणु, परमाणु नाभिक, प्रोटॉन, फर्मिऑन, फ़ोटोन, मेसॉन, श्यानता, सत्येन्द्रनाथ बोस, हिलियम, गेज बोसॉन

न्यूट्रॉन

न्यूट्रॉन एक आवेश रहित मूलभूत कण है, जो परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन के साथ पाये जाते हैं। जेम्स चेडविक ने इनकी खोज की थी। इसे n प्रतीक चिन्ह द्वारा दर्शाया जाता है। श्रेणी:भौतिकी श्रेणी:भौतिक शब्दावली श्रेणी:रसायन शास्त्र.

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परमाणु

एक परमाणु किसी भी साधारण से पदार्थ की सबसे छोटी घटक इकाई है जिसमे एक रासायनिक तत्व के गुण होते हैं। हर ठोस, तरल, गैस, और प्लाज्मा तटस्थ या आयनन परमाणुओं से बना है। परमाणुओं बहुत छोटे हैं; विशिष्ट आकार लगभग 100 pm (एक मीटर का एक दस अरबवें) हैं। हालांकि, परमाणुओं में अच्छी तरह परिभाषित सीमा नहीं होते है, और उनके आकार को परिभाषित करने के लिए अलग अलग तरीके होते हैं जोकि अलग लेकिन काफी करीब मूल्य देते हैं। परमाणुओं इतने छोटे है कि शास्त्रीय भौतिकी इसका काफ़ी गलत परिणाम देते हैं। हर परमाणु नाभिक से बना है और नाभिक एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन्स से सीमित है। नाभिक आम तौर पर एक या एक से अधिक न्यूट्रॉन और प्रोटॉन की एक समान संख्या से बना है। प्रोटान और न्यूट्रान न्यूक्लिऑन कहलाता है। परमाणु के द्रव्यमान का 99.94% से अधिक भाग नाभिक में होता है। प्रोटॉन पर सकारात्मक विद्युत आवेश होता है, इलेक्ट्रॉन्स पर नकारात्मक विद्युत आवेश होता है और न्यूट्रान पर कोई भी विद्युत आवेश नहीं होता है। एक परमाणु के इलेक्ट्रॉन्स इस विद्युत चुम्बकीय बल द्वारा एक परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन की ओर आकर्षित होता है। नाभिक में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन एक अलग बल, यानि परमाणु बल के द्वारा एक दूसरे को आकर्षित करते है, जोकि विद्युत चुम्बकीय बल जिसमे सकारात्मक आवेशित प्रोटॉन एक दूसरे से पीछे हट रहे हैं, की तुलना में आम तौर पर शक्तिशाली है। परमाणु के केन्द्र में नाभिक (न्यूक्लिअस) होता है जिसका घनत्व बहुत अधिक होता है। नाभिक के चारो ओर ऋणात्मक आवेश वाले एलेक्ट्रान चक्कर लगाते रहते हैं जिसको एलेक्ट्रान घन (एलेक्ट्रान क्लाउड) कहते हैं। नाभिक, धनात्मक आवेश वाले प्रोटानों एवं अनावेशित (न्यूट्रल) न्यूट्रानों से बना होता है। जब किसी परमाणु में एलेक्ट्रानों की संख्या उसके नाभिक में स्थित प्रोटानों की संख्या के समान होती है तब परमाणु वैद्युकीय दृष्टि से अनावेशित होता है; अन्यथा परमाणु धनावेशित या ऋणावेशित ऑयन के रूप में होता है। आधुनिक रसायनशास्त्र में शताधिक मूल भूत माने गए हैं, जिनमें से कुछ तो धातुएँ हैं जैसे ताँबा, सोना, लोहा, सीसा, चाँदी, राँगा, जस्ता; कुछ और खनिज हैं, जैसे, गंधक, फासफरस, पोटासियम, अंजन, पारा, हड़ताल, तथा कुछ गैस हैं, जैसे, आक्सीजन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन आदि। इन्हीं मूल भूतों के अनुसार परमाणु आधुनिक रसायन में माने जाते हैं। पहले समझा जाता था कि ये अविभाज्य हैं। अब इनके भी टुकड़े कर दिए गए हैं। नाभिक में प्रोटॉन की संख्या किसी रासायनिक तत्व को परिभाषित करता है: जैसे सभी तांबा के परमाणु में 29 प्रोटॉन होते हैं। न्यूट्रॉन की संख्या तत्व के समस्थानिक को परिभाषित करता है। इलेक्ट्रॉनों की संख्या एक परमाणु के चुंबकीय गुण को प्रभावित करता है। परमाणु अणु के रूप में रासायनिक यौगिक बनाने के लिए रासायनिक आबंध द्वारा एक या अधिक अन्य परमाणुओं को संलग्न कर सकते हैं। परमाणु की संघटित और असंघटित करने की क्षमता प्रकृति में हुए बहुत से भौतिक परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है, और रसायन शास्त्र के अनुशासन का विषय है। .

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परमाणु नाभिक

नाभिक, परमाणु के मध्य स्थित धनात्मक वैद्युत आवेश युक्त अत्यन्त ठोस क्षेत्र होता है। नाभिक, नाभिकीय कणों प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन से बने होते है। इस कण को नूक्लियान्स कहते है। प्रोटॉन व न्यूट्रॉन दोनो का द्रव्यमान लगभग बराबर होता है और दोनों का आंतरिक कोणीय संवेग (स्पिन) १/२ होता है। प्रोटॉन इकाई विद्युत आवेशयुक्त होता है जबकि न्यूट्रॉन अनावेशित होता है। प्रोटॉन और न्यूट्रॉन दोनो न्यूक्लिऑन कहलाते है। नाभिक का व्यास (10−15 मीटर)(हाइड्रोजन-नाभिक) से (10−14 मीटर)(युरेनियम) के दायरे में होता है। परमाणु का लगभग सारा द्रव्यमान नाभिक के कारण ही होता है, इलेक्ट्रान का योगदान लगभग नगण्य होता है। सामान्यतः नाभिक की पहचान परमाणु संख्या Z (प्रोटॉन की संख्या), न्यूट्रॉन संख्या N और द्रव्यमान संख्या A(प्रोटॉन की संख्या + न्यूट्रॉन संख्या) से होती है जहाँ A .

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प्रोटॉन

प्राणु संरचना प्राणु (प्रोटॉन) एक धनात्मक विध्युत आवेशयुक्त मूलभूत कण है, जो परमाणु के नाभिक में न्यूट्रॉन के साथ पाया जाता हैं। इसे p प्रतिक चिन्ह द्वारा दर्शाया जाता है। इस पर 1 दो अप-क्वार्क और एक डाउन-क्वार्क से मिलकर बना होता है। स्वतंत्र रूप से यह उदजन आयन H+ के रूप में पाया जाता है। .

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फर्मिऑन

सांख्यिकीय व्यवहार के आधार पर भौतिकी में कणों को दो भागों में बांटा जाता है: बोसॉन एवं फर्मिऑन। फर्मिऑन (fermion):- वे कण जो फर्मी-डिराक सांख्यिकी के अनुसार व्यवहार करते है, जिनका प्रचक्रण विषम अर्ध पूर्णांक (१/२, ३/२, ----) होता है और जो पाउली अपवर्जन नियम का पालन करते है, फर्मिऑन कहलाते है। मूलकण क्वार्क और लेप्टॉन एवं संयोजित कण प्रोटॉन और न्यूट्रॉन इसके उदाहरण है। .

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फ़ोटोन

एक लेसर में प्रसारित होते कलासम्बद्ध प्रकाश के फ़ोटोन भौतिकी में फ़ोटोन या प्रकाशाणु प्रकाश और अन्य विद्युतचुंबकीय विकिरण (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन) के मूलभूत कण को बोला जाता है। फ़ोटोन का द्रव्यमान (और भार) शून्य होता है। सारे मूलभूत कणों की तरह फ़ोटोन भी तरंग-कण द्विरूप दर्शाते हैं, यानी उनमें तरंग और कण दोनों की ही प्रवृत्ति होती है। फोटोन का आधुनिक रूप "अलबर्ट आईंस्टाईन" ने अपने प्रयोगों द्वारा दिया जो कि प्रकाश के तरंग रूप की ब्याख्या नहीं कर सका। .

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मेसॉन

मेसॉन (mason):- वे सभी कण जो एक क्वार्क व एक एन्टी-क्वार्क से मिलकर बनते हैं मेसॉन कहलाते हैं। ब्रह्माण्ड में १४० से अधिक मेसॉन का अस्तित्व है। इनका सांख्यिकीय व्यवहार बोसॉन होता है। पॉयन pion (ud-), केऑन kaon (su-), रो rho (ud-), बी-शून्य B-zero (db-), इटा-सी eta-c (cc-) इनके उदाहरण है। इनकी खोज भारतीय वैज्ञानिक डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा ने की थी।.

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श्यानता

उपर के द्रव की श्यानता नीचे के द्रव की श्यानता से बहुत कम है। श्यानता (Viscosity) किसी तरल का वह गुण है जिसके कारण वह किसी बाहरी प्रतिबल (स्ट्रेस) या अपरूपक प्रतिबल (शीयर स्ट्रेस) के कारण अपने को विकृत (deform) करने का विरोध करता है। सामान्य शब्दों में, यह उस तरल के गाढे़पन या उसके बहने का प्रतिरोध करने की क्षमता का परिचायक है। उदाहरण के लिये, पानी पतला होता है एवं उसकी श्यानता वनस्पति तेल की अपेक्षा कम होती है जो कि गाढा़ होता है। .

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सत्येन्द्रनाथ बोस

सत्येन्द्रनाथ बोस (१ जनवरी १८९४ - ४ फ़रवरी १९७४) भारतीय गणितज्ञ और भौतिक शास्त्री हैं। भौतिक शास्त्र में दो प्रकार के अणु माने जाते हैं - बोसान और फर्मियान। इनमे से बोसान सत्येन्द्र नाथ बोस के नाम पर ही हैं। .

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हिलियम

तरलीकृत हीलियम शुद्ध हीलियम से भरी गैस डिस्चार्ज ट्यूब हिलियम (Helium) एक रासायनिक तत्त्व है जो प्रायः गैसीय अवस्था में रहता है। यह एक निष्क्रिय गैस या नोबेल गैस (Noble gas) है तथा रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन, विष-हीन (नॉन-टॉक्सिक) भी है। इसका परमाणु क्रमांक २ है। सभी तत्वों में इसका क्वथनांक (boiling point) एवं गलनांक (melting point) सबसे कम है। द्रव हिलियम का प्रयोग पदार्थों को अत्यन्त कम ताप तक ठण्डा करने के लिये किया जाता है; जैसे अतिचालक तारों को १.९ डिग्री केल्विन तक ठण्डा करने के लिये। हीलियम अक्रिय गैसों का एक प्रमुख सदस्य है। इसका संकेत He, परमाणुभार ४, परमाणुसंख्या २, घनत्व ०.१७८५, क्रांतिक ताप -२६७.९०० और क्रांतिक दबाव २ २६ वायुमंडल, क्वथनांक -२६८.९० सें.

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गेज बोसॉन

मानक प्रतिमान के अनुसार मूलभूत कण, यहाँ चतुर्थ स्तम्भ में गेज बोसॉन हैं। कण भौतिकी में, गेज बोसॉन (gauge boson) एक बोसॉनिक कण है जो प्रक्रिति के मूलभूत बलो के वाहक की भूमिका निभाता है अर्थात यह एक प्रकार का बल वाहक कण (force carrier particle) है। * श्रेणी:मूलकण श्रेणी:कण भौतिकी श्रेणी:बोसोन.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

बोसान, बोसोन, बोसोन कण

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