लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

बासौदा

सूची बासौदा

विदिशा जिले का बासौदा नगर रंगाई- छपाई कार्य के लिए प्रसिद्ध रहा है। कहा जाता है कि इस नगर का पुराना नाम "वासुदेव नगर' था। अब यह "गंज बासौदा' कहलाता है। पुराने ऐतिहासिक साक्ष्यों में इसे "शहजादपुरा' के नाम से जाना जाता था। हो सकता है कि इसे किसी शाहजादे के नाम पर बसाया गया होगा। इसी काल में यहाँ एक शेख करी मुल्ला की कब्र पर मकबरा बना हुआ है। बाद में बासौदा अगरा वरखेड़ा के शासकों के अधिपत्य में आ गया। उन्होंने यहाँ एक हवेली बनवाई तथा कुछ दूरी पर एक बाग लगवाया, जो अभी तक विद्यमान है। उनके बाद यह सिंधिया के अधिपत्य में आ गया। वर्तमान में बासौदा में जिले की सबसे बड़ी कृषि मंडी है। पत्थर का व्यवसाय यहाँ खूब होता है यहाँ का पत्थर विदेशों में जाता है गंज बासौदा में जिले का सबसे बड़ा मंदिर है। जो नौलखी आश्रम के नाम से प्रसिद्ध है। जिसके महंत श्री नरहरि दास जी महाराज जी है। श्रेणी:विदिशा.

2 संबंधों: विदिशा, गंज बासौदा

विदिशा

विदिशा जिला विदिशा भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है। यह मालवा के उपजाऊ पठारी क्षेत्र के उत्तर- पूर्व हिस्से में अवस्थित है तथा पश्चिम में मुख्य पठार से जुड़ा हुआ है। ऐतिहासिक व पुरातात्विक दृष्टिकोण से यह क्षेत्र मध्यभारत का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जा सकता है। नगर से दो मील उत्तर में जहाँ इस समय बेसनगर नामक एक छोटा-सा गाँव है, प्राचीन विदिशा बसी हुई है। यह नगर पहले दो नदियों के संगम पर बसा हुआ था, जो कालांतर में दक्षिण की ओर बढ़ता जा रहा है। इन प्राचीन नदियों में एक छोटी-सी नदी का नाम वैस है। इसे विदिशा नदी के रूप में भी जाना जाता है। विदिशा में जन्में श्री कैलाश सत्यार्थी को 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला। .

नई!!: बासौदा और विदिशा · और देखें »

गंज बासौदा

गंजबासौदा, मध्य प्रदेश राज्य के विदिशा जिले की एक तहसील एवं नगर है। यह भोपाल से ९६ किमी उत्तर दिल्ली-मुम्बई मुख्य रेल मार्ग पर स्थित है। यहाँ की मण्डी और पत्थर का व्यापार प्रसिद्ध है। यहाँ की जनसंख्या 1लाख है।यहां मुख्यतः हिंदू जैन व मुश्लिम समुदाय निवास करते हैं।यहाँ बोलचाल की भाषा बुंदेली है। .

नई!!: बासौदा और गंज बासौदा · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »