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बालमणि अम्मा का रचनात्मक योगदान

सूची बालमणि अम्मा का रचनात्मक योगदान

बालमणि अम्मा की पेंटिंग बालमणि अम्मा का रचनात्मक योगदान अत्यंत व्यापक है। जिसमें गद्य, पद्य, अनुवाद और बाल साहित्य सभी समाए हुए हैं। उनका रचनाकाल भी 50 से अधिक वर्षों तक फैला हुआ है और वे अपने अंतिम समय तक कुछ न कुछ रचती ही रहीं। इस लेख में उनकी लगभग समस्त रचनाओं को सम्मिलित करने का प्रयास किया गया है। .

36 संबंधों: ऊंजलींमेल, एन॰ नारायण मेनन, धर्ममर्गथिल, नालापत बालमणि अम्मा, निवेदया, निवेद्यम, नगरथिल, प्रणामम, प्रभंकुरम, ब्रिटिश राज, भावनाईल, भवनईल, मथृहृदयम, मलयालम साहित्य का इतिहास, मलयालम साहित्य का इतिहास:परमेश्वरम नायर, मज़्हुवींट कथा, मुथास्सी, लोकांठरांगलील, संध्या (पुस्तक), स्त्री हृदयम, सोपनाम, हिन्दी, जीविताट्टीलुट, घरेलू गौरैया, वाला, वाईलारुंम्पोल, कालिकोट्टा, कुटुंबनी, कूप्पुकई, कोच्चि, कोलकाता, अम्मा, अमृथंगमया, अवार पेयदुन्नु, अंबलथीलेक्कू, छप्पन कविताएं-बालमणि अम्मा

ऊंजलींमेल

ऊंजलींमेल (मलयालम: ഊഞ്ഞാലിന്മേൽ) भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का काव्य संग्रह है, जो 1946 में पहली बार मलयालम भाषा में प्रकाशित हुआ। .

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एन॰ नारायण मेनन

नालापत नारायण मेनन (7 अक्टूबर 1887 – 31 अक्टूबर 1954) केरल राज्य से मलयालम भाषा के भारतीय लेखक थे। .

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धर्ममर्गथिल

धर्ममर्गथिल (मलयालम: ധർമ്മമാർഗ്ഗത്തിൽ) भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का काव्य संग्रह है, जो 1938 में पहली बार मलयालम भाषा में प्रकाशित हुआ और इसका द्वितीय संस्कारण 1954 में आया। .

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नालापत बालमणि अम्मा

नालापत बालमणि अम्मा (मलयालम: എൻ. ബാലാമണിയമ്മ; 19 जुलाई 1909 – 29 सितम्बर 2004) भारत से मलयालम भाषा की प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक थीं। वे हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक महादेवी वर्मा की समकालीन थीं। उन्होंने 500 से अधिक कविताएँ लिखीं। उनकी गणना बीसवीं शताब्दी की चर्चित व प्रतिष्ठित मलयालम कवयित्रियों में की जाती है। उनकी रचनाएँ एक ऐसे अनुभूति मंडल का साक्षात्कार कराती हैं जो मलयालम में अदृष्टपूर्व है। आधुनिक मलयालम की सबसे सशक्त कवयित्रियों में से एक होने के कारण उन्हें मलयालम साहित्य की दादी कहा जाता है। अम्मा के साहित्य और जीवन पर गांधी जी के विचारों और आदर्शों का स्पष्ट प्रभाव रहा। उनकी प्रमुख कृतियों में अम्मा, मुथास्सी, मज़्हुवींट कथाआदि हैं। उन्होंने मलयालम कविता में उस कोमल शब्दावली का विकास किया जो अभी तक केवल संस्कृत में ही संभव मानी जाती थी। इसके लिए उन्होंने अपने समय के अनुकूल संस्कृत के कोमल शब्दों को चुनकर मलयालम का जामा पहनाया। उनकी कविताओं का नाद-सौंदर्य और पैनी उक्तियों की व्यंजना शैली अन्यत्र दुर्लभ है। वे प्रतिभावान कवयित्री के साथ-साथ बाल कथा लेखिका और सृजनात्मक अनुवादक भी थीं। अपने पति वी॰एम॰ नायर के साथ मिलकर उन्होने अपनी कई कृतियों का अन्य भाषाओं में अनुवाद किया। अम्मा मलयालम भाषा के प्रखर लेखक एन॰ नारायण मेनन की भांजी थी। उनसे प्राप्त शिक्षा-दीक्षा और उनकी लिखी पुस्तकों का अम्मा पर गहरा प्रभाव पड़ा था। अपने मामा से प्राप्त प्रेरणा ने उन्हें एक कुशल कवयित्री बनने में मदद की। नालापत हाउस की आलमारियों से प्राप्त पुस्तक चयन के क्रम में उन्हें मलयालम भाषा के महान कवि वी॰ नारायण मेनन की पुस्तकों से परिचित होने का अवसर मिला। उनकी शैली और सृजनधर्मिता से वे इस तरह प्रभावित हुई कि देखते ही देखते वे अम्मा के प्रिय कवि बन गए। अँग्रेजी भाषा की भारतीय लेखिका कमला दास उनकी सुपुत्री थीं, जिनके लेखन पर उनका खासा असर पड़ा था। अम्मा को मलयालम साहित्य के सभी महत्त्वपूर्ण पुरस्कार प्राप्त करने का गौरव प्राप्त है। गत शताब्दी की सर्वाधिक लोकप्रिय मलयालम महिला साहित्यकार के रूप में वे जीवन भर पूजनीय बनी रहीं। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, सरस्वती सम्मान और 'एज्हुथाचन पुरस्कार' सहित कई उल्लेखनीय पुरस्कार व सम्मान प्राप्त हुए। उन्हें 1987 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से अलंकृत किया गया। वर्ष 2009, उनकी जन्म शताब्दी के रूप में मनाया गया। .

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निवेदया

निवेदया भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा के मलयाली कविता संग्रह निवेद्यम का हिन्दी में अनुवाद है, जो वर्ष 2003 में प्रकाशित हुआ। .

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निवेद्यम

निवेद्यम (मलयालम: നിവേദ്യം) भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का काव्य संग्रह है, जो 1987 में पहली बार मलयालम भाषा में प्रकाशित हुआ। .

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नगरथिल

नगरथिल (मलयालम: നഗരത്തിൽ) भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का काव्य संग्रह है, जो 1968 में पहली बार मलयालम भाषा में प्रकाशित हुआ। .

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प्रणामम

प्रणामम (मलयालम: പ്രണാമം) भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का काव्य संग्रह है, जो 1954 में पहली बार मलयालम भाषा में प्रकाशित हुआ। .

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प्रभंकुरम

प्रभंकुरम (मलयालम: പ്രഭാങ്കുരം) भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का काव्य संग्रह है, जो 1942 में पहली बार मलयालम भाषा में प्रकाशित हुआ। .

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ब्रिटिश राज

ब्रिटिश राज 1858 और 1947 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश द्वारा शासन था। क्षेत्र जो सीधे ब्रिटेन के नियंत्रण में था जिसे आम तौर पर समकालीन उपयोग में "इंडिया" कहा जाता था‌- उसमें वो क्षेत्र शामिल थे जिन पर ब्रिटेन का सीधा प्रशासन था (समकालीन, "ब्रिटिश इंडिया") और वो रियासतें जिन पर व्यक्तिगत शासक राज करते थे पर उन पर ब्रिटिश क्राउन की सर्वोपरिता थी। .

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भावनाईल

भावनाईल (मलयालम: വെളിച്ചത്തിൽ) भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का काव्य संग्रह है, जो 1951 में पहली बार मलयालम भाषा में प्रकाशित हुआ। .

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भवनईल

भवनईल (मलयालम: ഭാവനയിൽ) भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का काव्य संग्रह है, जो 1942 में पहली बार मलयालम भाषा में प्रकाशित हुआ। .

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मथृहृदयम

मथृहृदयम (मलयालम: മാതൃഹൃദയം) भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का काव्य संग्रह है, जो 1988 में पहली बार मलयालम भाषा में प्रकाशित हुआ। .

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मलयालम साहित्य का इतिहास

मलयालम साहित्य का इतिहास शीर्षक पुस्तक के लिए मलयालम साहित्य का इतिहास:परमेश्वरम नायर देखें। ---- मलयालम् भाषा अथवा उसके साहित्य की उत्पत्ति के संबंध में सही और विश्वसनीय प्रमाण प्राप्त नहीं हैं। फिर भी मलयालम् साहित्य की प्राचीनता लगभग एक हजार वर्ष तक की मानी गई हैं। भाषा के संबंध में हम केवल इस निष्कर्ष पर ही पहुँच सके हैं कि यह भाषा संस्कृतजन्य नहीं है - यह द्रविड़ परिवार की ही सदस्या है। परंतु यह अभी तक विवादास्पद है कि यह तमिल से अलग हुई उसकी एक शाखा है, अथवा मूल द्रविड़ भाषा से विकसित अन्य दक्षिणी भाषाओं की तरह अपना अस्तित्व अलग रखनेवाली कोई भाषा है। अर्थात् समस्या यही है कि तमिल और मलयालम् का रिश्ता माँ-बेटी का है या बहन-बहन का। अनुसंधान द्वारा इस पहेली का हल ढूँढने का कार्य भाषा-वैज्ञानिकों का है और वे ही इस गुत्थी को सुलझा सकते हैं। जो भी हो, इस बात में संदेह नहीं है कि मलयालम् का साहित्य केवल उसी समय पल्लवित होने लगा था जबकि तमिल का साहित्य फल फूल चुका था। संस्कृत साहित्य की ही भाँति तमिल साहित्य को भी हम मलयालम् की प्यास बुझानेवाली स्त्रोतस्विनी कह सकते हैं। सन् 3100 ईसापूर्व से लेकर 100 ईसापूर्व तक यह प्राचीन तमिळ का एक स्थानीय रूप थी। ईसा पूर्व प्रथम सदी से इसपर संस्कृत का प्रभाव हुआ। तीसरी सदी से लेकर पन्द्रहवीं सदी के मध्य तक मलयालम का मध्यकाल माना जाता है। इस काल में जैनियों ने भी भाषा को प्रभावित किया। आधुनिक काल में सन् 1795 में परिवर्तन आया जब इस राज्य पर अंग्रेजी शासन पूर्णरूपेण स्थापित हो गया। .

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मलयालम साहित्य का इतिहास:परमेश्वरम नायर

परमेश्वरम नायर द्वारा लिखित 'मलयालम साहित्य का इतिहास' शीर्षक इस पुस्तक में मलयालम साहित्य के इतिहास को उसके राजनितिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के साथ रखकर देखा गया है। श्रेणी:मलयालम साहित्य श्रेणी:साहित्य का इतिहास.

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मज़्हुवींट कथा

मज़्हुवींट कथा(मलयालम: മഴുവിന്റെ കഥ, शब्दार्थ, हिन्दी: कुल्हाड़ी की कहानी) भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का काव्य संग्रह है, जो 1966 में पहली बार मलयालम भाषा में प्रकाशित हुआ। .

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मुथास्सी

मुथास्सी(मलयालम: മുത്തശ്ശി) भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का काव्य संग्रह है, जो 1962 में पहली बार मलयालम भाषा में प्रकाशित हुआ। .

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लोकांठरांगलील

लोकांठरांगलील (मलयालम: ലോകാന്തരങ്ങളിൽ) भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का काव्य संग्रह है, जो 1955 में पहली बार मलयालम भाषा में प्रकाशित हुआ। .

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संध्या (पुस्तक)

संध्या (मलयालम: സന്ധ്യ) भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का काव्य संग्रह है, जो 1982 में पहली बार मलयालम भाषा में प्रकाशित हुआ। .

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स्त्री हृदयम

स्त्री हृदयम (मलयालम: സ്ത്രീഹൃദയം) भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का काव्य संग्रह है, जो 1939 में पहली बार मलयालम भाषा में प्रकाशित हुआ। .

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सोपनाम

सोपनाम (मलयालम: സോപാനം) भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का काव्य संग्रह है, जो 1958 में पहली बार मलयालम भाषा में प्रकाशित हुआ। .

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हिन्दी

हिन्दी या भारतीय विश्व की एक प्रमुख भाषा है एवं भारत की राजभाषा है। केंद्रीय स्तर पर दूसरी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। यह हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप है जिसमें संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्द का प्रयोग अधिक हैं और अरबी-फ़ारसी शब्द कम हैं। हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। हालांकि, हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत का संविधान में कोई भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया था। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है। हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम की और नेपाल की जनता भी हिन्दी बोलती है।http://www.ethnologue.com/language/hin 2001 की भारतीय जनगणना में भारत में ४२ करोड़ २० लाख लोगों ने हिन्दी को अपनी मूल भाषा बताया। भारत के बाहर, हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 648,983; मॉरीशस में ६,८५,१७०; दक्षिण अफ्रीका में ८,९०,२९२; यमन में २,३२,७६०; युगांडा में १,४७,०००; सिंगापुर में ५,०००; नेपाल में ८ लाख; जर्मनी में ३०,००० हैं। न्यूजीलैंड में हिन्दी चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों में १४ करोड़ १० लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली उर्दू, मौखिक रूप से हिन्दी के काफी सामान है। लोगों का एक विशाल बहुमत हिन्दी और उर्दू दोनों को ही समझता है। भारत में हिन्दी, विभिन्न भारतीय राज्यों की १४ आधिकारिक भाषाओं और क्षेत्र की बोलियों का उपयोग करने वाले लगभग १ अरब लोगों में से अधिकांश की दूसरी भाषा है। हिंदी हिंदी बेल्ट का लिंगुआ फ़्रैंका है, और कुछ हद तक पूरे भारत (आमतौर पर एक सरल या पिज्जाइज्ड किस्म जैसे बाजार हिंदुस्तान या हाफ्लोंग हिंदी में)। भाषा विकास क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी हिन्दी प्रेमियों के लिए बड़ी सन्तोषजनक है कि आने वाले समय में विश्वस्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की जो चन्द भाषाएँ होंगी उनमें हिन्दी भी प्रमुख होगी। 'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (स्वामी दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं। .

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जीविताट्टीलुट

जीविताट्टीलुट (मलयालम: സഹപാഠികൾ) भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का काव्य संग्रह है, जो 1969 में पहली बार मलयालम भाषा में प्रकाशित हुआ। .

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घरेलू गौरैया

घरेलू गौरैया (पासर डोमेस्टिकस) एक पक्षी है जो यूरोप और एशिया में सामान्य रूप से हर जगह पाया जाता है। इसके अतिरिक्त पूरे विश्व में जहाँ-जहाँ मनुष्य गया इसने उनका अनुकरण किया और अमरीका के अधिकतर स्थानों, अफ्रीका के कुछ स्थानों, न्यूज़ीलैंड और आस्ट्रेलिया तथा अन्य नगरीय बस्तियों में अपना घर बनाया। शहरी इलाकों में गौरैया की छह तरह ही प्रजातियां पाई जाती हैं। ये हैं हाउस स्पैरो, स्पेनिश स्पैरो, सिंड स्पैरो, रसेट स्पैरो, डेड सी स्पैरो और ट्री स्पैरो। इनमें हाउस स्पैरो को गौरैया कहा जाता है। यह शहरों में ज्यादा पाई जाती हैं। आज यह विश्व में सबसे अधिक पाए जाने वाले पक्षियों में से है। लोग जहाँ भी घर बनाते हैं देर सबेर गौरैया के जोड़े वहाँ रहने पहुँच ही जाते हैं। .

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वाला

वाला (मलयालम: வள), भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का कविता संग्रह है, जो वर्ष 2010 में प्रकाशित हुआ। .

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वाईलारुंम्पोल

वाईलारुंम्पोल (मलयालम: വെയിലാറുമ്പോൾ) भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का काव्य संग्रह है, जो 1971 में पहली बार मलयालम भाषा में प्रकाशित हुआ। .

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कालिकोट्टा

कालिकोट्टा (मलयालम: കളിക്കൊട്ട) भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का काव्य संग्रह है, जो 1949 में पहली बार मलयालम भाषा में प्रकाशित हुआ। .

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कुटुंबनी

कुटुंबनी (मलयालम: കുടുംബിനി) भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का काव्य संग्रह है, जो 1936 में पहली बार मलयालम भाषा में प्रकाशित हुआ। .

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कूप्पुकई

कूप्पुकई(मलयालम: കൂപ്പുകൈ) भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का काव्य संग्रह है, जो 1930 में पहली बार मलयालम भाषा में प्रकाशित हुआ और द्वितीय संस्करण 1970 में आया। .

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कोच्चि

कोच्चि, जिसे कोचीन भी कहा जाता था, लक्षद्वीप सागर के दक्षिण-पश्चिम तटरेखा पर स्थित एक बड़ा बंदरगाह शहर है, जो भारतीय राज्य केरल के एर्नाकुलम जिले का एक भाग है। कोच्चि को काफ़ी समय से प्रायः एर्नाकुलम भी कहा जाता है, जिसका अर्थ नगर का मुख्यभूमि भाग इंगित करता है। कोच्चि नगर निगम के अधीनस्थ (जनसंख्या ६,०१,५७४) ये राज्य का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला शहर है। ये कोच्चि महानगरीय क्षेत्र के विस्तार सहित (जनसंख्या २१ लाख) केरल राज्य का सबसे बड़ा शहरी आबादी क्षेत्र है। कोच्चि नगर ग्रेटर कोच्चि क्षेत्र का ही एक भाग है, और इसे भारत सरकार द्वारा द्वितीय दर्जे वाला शहर वर्गीकृत किया गया है। नगर की देख-रेख व अनुरक्षण दायित्त्व १९६७ में स्थापित हुआ कोच्चि नगर निगम देखता है। इसके अलावा पूरे क्षेत्र के सर्वांगीण विकास का भार ग्रेटर कोचीन डवलपमेंट अथॉरिटी (GCDA) एवं गोश्री आईलैण्ड डवलपमेंट अथॉरिटी (GIDA) पर है। कोच्चि १४वीं शताब्दी से ही भारत की पश्चिमी तटरेखा का मसालों का व्यापार केन्द्र रहा है और इसे अरब सागर की रानी के नाम से जाना जाता था। १५०३ में यहां पुर्तगालियों का आधिपत्य हुआ और यह उपनिवेशीय भारत की प्रथम यूरोपीय कालोनी बना और १५३० में गोवा के चुने जाने तक ये पुर्तगालियों का यहां का प्रधान शक्ति केन्द्र रहा था।क्कालांतर में कोच्चि राज्य के रजवाड़े में परिवर्तित होने के क्साथ ही ये डच एवं ब्रिटिश के नियन्त्रण में आ गया। आज केरल में कुल अन्तर्देशीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन संख्या में प्रथम स्थान बनाये हुए है। नीलसन कम्पनी के आउटलुक ट्रैवलर पत्रिका के लिये किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार कोच्चि आज भी भारत के सर्वश्रेष्ठ पर्यटक आकर्षणों में छठवें स्थान पर बना हुआ है। मैकिन्से ग्लोबल संस्थान द्वारा किये गए एक शोध के अनुसार, कोच्चि २०२५ तक के विश्व के सकल घरेलु उत्पाद में ५०% योगदान देने वाले ४४० उभरते हुए शहरों में से एक था। भारतीय नौसेना के दक्षिणी नौसैनिक कमान का केन्द्र तथा भारतीय तटरक्षक का राज्य मुख्यालय भी इसी शहर में स्थित है, जिसमें एयर स्क्वैड्रन ७४७ नाम की एक वायु टुकड़ी भी जुड़ी है। नगर के वाणिज्यिक सागरीय गतिविधियों से सम्बन्धित सुविधाओं में कोच्चि बंदरगाह, अन्तर्राष्ट्रीय कण्टेनर ट्रांस्शिपमेण्ट टर्मिनल, कोचीन शिपयार्ड, कोच्चि रिफ़ाइनरीज़ का अपतटीय (ऑफ़शोर) सिंगल बॉय मूरिंग (एस.पी.एम), एवं कोच्चि मैरीना भी हैं। कोच्चि में ही कोचीन विनिमय एक्स्चेंज, इंटरनेशनल पॅपर एक्स्चेंज भी स्थित हैं, तथा हिन्दुस्तान मशीन टूल्स (एच.एम.टी), सायबर सिटी, एवं किन्फ़्रा हाई-टेक पाक एवं बड़ी रासायनिक निर्माणियां जैसे फ़र्टिलाइज़र्स एण्ड कैमिकल्स त्रावणकौर (फ़ैक्ट), त्रावणकौर कोचीन कैमिकल्स (टीसीसी), इण्डियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (आई.आर.ई.एल), हिन्दुस्तान ऑर्गैनिक कैमिकल्स लिमिटेड (एच.ओ.सी.एल) कोच्चि रिफ़ाइनरीज़ के साथ साथ ही कई विद्युत कंपनियां जैसे टी.ई.एल.के एवं औद्योगिक पार्क भी बने हैं जिनमें कोचीन एपेशल इकॉनोमिक ज़ोन एवं इन्फ़ोपार्क कोच्चि प्रमुख हैं। कोच्चि में ही प्रमुख राज्य न्यायपीठ केरल एवं लक्षद्वीप उच्च न्यायालय एवं कोचीन युनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी भी स्थापित हैं। इसी नगर में केरल का नेशनल लॉ स्कूल, नेशनल युनिवर्सिटी ऑफ़ एडवांस्ड लीगल स्टडीज़ को भी स्थान मिला है। .

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कोलकाता

बंगाल की खाड़ी के शीर्ष तट से १८० किलोमीटर दूर हुगली नदी के बायें किनारे पर स्थित कोलकाता (बंगाली: কলকাতা, पूर्व नाम: कलकत्ता) पश्चिम बंगाल की राजधानी है। यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर तथा पाँचवा सबसे बड़ा बन्दरगाह है। यहाँ की जनसंख्या २ करोड २९ लाख है। इस शहर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। इसके आधुनिक स्वरूप का विकास अंग्रेजो एवं फ्रांस के उपनिवेशवाद के इतिहास से जुड़ा है। आज का कोलकाता आधुनिक भारत के इतिहास की कई गाथाएँ अपने आप में समेटे हुए है। शहर को जहाँ भारत के शैक्षिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों के प्रारम्भिक केन्द्र बिन्दु के रूप में पहचान मिली है वहीं दूसरी ओर इसे भारत में साम्यवाद आंदोलन के गढ़ के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। महलों के इस शहर को 'सिटी ऑफ़ जॉय' के नाम से भी जाना जाता है। अपनी उत्तम अवस्थिति के कारण कोलकाता को 'पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार' भी कहा जाता है। यह रेलमार्गों, वायुमार्गों तथा सड़क मार्गों द्वारा देश के विभिन्न भागों से जुड़ा हुआ है। यह प्रमुख यातायात का केन्द्र, विस्तृत बाजार वितरण केन्द्र, शिक्षा केन्द्र, औद्योगिक केन्द्र तथा व्यापार का केन्द्र है। अजायबघर, चिड़ियाखाना, बिरला तारमंडल, हावड़ा पुल, कालीघाट, फोर्ट विलियम, विक्टोरिया मेमोरियल, विज्ञान नगरी आदि मुख्य दर्शनीय स्थान हैं। कोलकाता के निकट हुगली नदी के दोनों किनारों पर भारतवर्ष के प्रायः अधिकांश जूट के कारखाने अवस्थित हैं। इसके अलावा मोटरगाड़ी तैयार करने का कारखाना, सूती-वस्त्र उद्योग, कागज-उद्योग, विभिन्न प्रकार के इंजीनियरिंग उद्योग, जूता तैयार करने का कारखाना, होजरी उद्योग एवं चाय विक्रय केन्द्र आदि अवस्थित हैं। पूर्वांचल एवं सम्पूर्ण भारतवर्ष का प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र के रूप में कोलकाता का महत्त्व अधिक है। .

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अम्मा

अम्मा (मलयालम: അമ്മ) भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का काव्य संग्रह है, जो 1934 में पहली बार मलयालम भाषा में प्रकाशित हुआ और इसका द्वितीय संस्करण 1970 में आया। .

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अमृथंगमया

अमृथंगमया (मलयालम: അമൃതംഗമയ) भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का काव्य संग्रह है, जो 1978 में पहली बार मलयालम भाषा में प्रकाशित हुआ। .

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अवार पेयदुन्नु

अवार पेयदुन्नु (मलयालम: അവർ പാടുന്നു) भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का काव्य संग्रह है, जो 1952 में पहली बार मलयालम भाषा में प्रकाशित हुआ। .

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अंबलथीलेक्कू

अंबलथीलेक्कू (मलयालम: അമ്പലത്തിൽ) भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का काव्य संग्रह है, जो 1967 में पहली बार मलयालम भाषा में प्रकाशित हुआ। .

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छप्पन कविताएं-बालमणि अम्मा

छप्पन कविताएं भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का की छ्प्पन मलयाली कविताओं का हिन्दी में अनुवाद का संग्रह है, जो भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन द्वारा 1971 में पहली बार प्रकाशित किया गया। .

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