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बाई यांग

सूची बाई यांग

बाय यांग ( ४ मार्च १९२० – १८ सितम्बर १९९६) चीनी फ़िल्म और नाटक अभिनेत्री थीं। वो १९३० के दशक से १९५० के दशक तक देश की लोकप्रिय फ़िल्म अभिनेत्रियों में से एक थीं। वो किन यी, शु शिऊ वेन और झांगरुइफ़ांग के साथ "चार महान नाटक अभिनेत्रियों" में से एक थीं। उनकी प्रसिद्ध फ़िल्मों में क्रॉसरोड्स (१९३७), द स्प्रिंग रिवर फ्लोज ईस्ट (१९४७), एट थाउजेंड ली ऑफ़ क्लाउड एंड मून (१९४७) और न्यूयॉर्कज़ सैक्रिफाइस (१९५५) शामिल हैं। .

10 संबंधों: चेकोस्लोवाकिया, चोंग्किंग, चीनी जनवादी गणराज्य, द्वितीय चीन-जापान युद्ध, बीजिंग, यूजेन ओ' नील, लु शिन्, शंघाई, सांस्कृतिक क्रांति, ऑस्कर वाइल्ड

चेकोस्लोवाकिया

चेकोस्लोवाकिया मध्य यूरोप में स्थित एक देश हुआ करता था जो अक्टूबर १९१८ से १९९२ तक अस्तित्व में रहा। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान १९३९ से १९४५ के एक अंतराल में इसका ज़बरदस्ती जर्मनी में विलय कर दिया गया इसलिए वास्तविकता में यह देश उस ज़माने में अस्तित्व में नहीं था, हालांकि औपचारिक रूप से मित्रपक्ष शक्तियाँ तब भी इसे मान्यता देती रहीं। १९४५ में सोवियत संघ ने इसके एक पूर्वी हिस्से को चेकोस्लोवाकिया से अलग करके अपने क्षेत्र का भाग बना लिया। शीत युद्ध काल में चेकोस्लोवाकिया पर साम्यवाद (कोम्युनिस्ट) शासन रहा और यह देश सोवियत संघ के नेतृत्व में गठित वारसा संधि के मित्रपक्ष में शामिल था। सोवियत संघ के टूटने पर १९९० में यहाँ भी साम्यवाद ख़त्म हो गया। धीरे-धीरे देश के दो मुख्य समुदायों - चेक और स्लोवाक - के बीच तनाव बढ़ता रहा और लगने लगा कि वे एक राष्ट्र में मिलकर नहीं रह पाएँगे। १९९२ में रायशुमारी (लोगों का विभाजन के प्रश्न पर सीधा मतदान) की गई और जनता ने देश को बांटने का फ़ैसला चुना। १ जनवरी १९९३ को देश बिना किसी हिंसा के दो अलग राष्ट्रों में बाँट गया जिन्हें चेक गणतंत्र और स्लोवाकिया के नामों से जाना जाता है। विश्व में अन्य देशों के हुए विभाजनों की तुलना में यह बंटवारा इतने कोमल और शांतिपूर्वक ढंग से हुए कि इस घटना को इतिहासकार और समीक्षक कभी-कभी 'मख़मली तलाक़' कहते हैं।, Craig Zelizer, Kumarian Press, 2009, ISBN 978-1-56549-286-8,...

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चोंग्किंग

चोंग्किंग (सरलीकृत चीनी: 重庆, पारम्परिक चीनी: 重慶) मध्य चीन का एक नगर और जिला है। यह चीन के चार प्रत्यक्ष नियन्त्रित जिलों में से एक है अर्थात इसे भी किसी प्रान्त के बराबर दर्जा प्राप्त है। यह चीन का सर्वाधिक जनसंख्या वाला जिला है और २००५ में यहां की जनसंख्या ३,१४,४२,३०० थी। .

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चीनी जनवादी गणराज्य

चीनी जनवादी गणराज्य (चीनी: 中华人民共和国) जिसे प्रायः चीन नाम से भी सम्बोधित किया जाता है, पूर्वी एशिया में स्थित एक देश है। १.३ अरब निवासियों के साथ यह विश्व का सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है और ९६,४१,१४४ वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ यह रूस और कनाडा के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा क्षेत्रफल वाला देश है। इतना विशाल क्षेत्रफल होने के कारण इसकी सीमा से लगते देशों की संख्या भी विश्व में सर्वाधिक (रूस के बराबर) है जो इस प्रकार है (उत्तर से दक्षिणावर्त्त): रूस, मंगोलिया, उत्तर कोरिया, वियतनाम, लाओस, म्यान्मार, भारत, भूटान, नेपाल, तिबत देश,पाकिस्तान, अफ़्गानिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान और कज़ाख़िस्तान। उत्तर पूर्व में जापान और दक्षिण कोरिया मुख्य भूमि से दूरी पर स्थित हैं। चीनी जनवादी गणराज्य की स्थापना १ अक्टूबर, १९४९ को हुई थी, जब साम्यवादियों ने गृहयुद्ध में कुओमिन्तांग पर जीत प्राप्त की। कुओमिन्तांग की हार के बाद वे लोग ताइवान या चीनी गणराज्य को चले गए और मुख्यभूमि चीन पर साम्यवादी दल ने साम्यवादी गणराज्य की स्थापना की। लेकिन चीन, ताईवान को अपना स्वायत्त क्षेत्र कहता है जबकि ताइवान का प्रशासन स्वयं को स्वतन्त्र राष्ट्र कहता है। चीनी जनवादी गणराज्य और ताइवान दोनों अपने-अपने को चीन का वैध प्रतिनिधि कहते हैं। चीन विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जो अभी भी अस्तित्व में है। इसकी सभ्यता ५,००० वर्षों से अधिक भी पुरानी है। वर्तमान में यह एक "समाजवादी गणराज्य" है, जिसका नेतृत्व एक दल के हाथों में है, जिसका देश के २२ प्रान्तों, ५ स्वायत्तशासी क्षेत्रों, ४ नगरपालिकाओं और २ विशेष प्रशासनिक क्षेत्रों पर नियन्त्रण है। चीन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य भी है। यह विश्व का सबसे बड़ा निर्यातक और दूसरा सबसे बड़ा आयातक है और एक मान्यता प्राप्त नाभिकीय महाशक्ति है। चीनी साम्यवादी दल के अधीन रहकर चीन में "समाजवादी बाज़ार अर्थव्यवस्था" को अपनाया जिसके अधीन पूंजीवाद और अधिकारवादी राजनैतिक नियन्त्रण सम्मित्लित है। विश्व के राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक ढाँचे में चीन को २१वीं सदी की अपरिहार्य महाशक्ति के रूप में माना और स्वीकृत किया जाता है। यहाँ की मुख्य भाषा चीनी है जिसका पाम्परिक तथा आधुनिक रूप दोनों रूपों में उपयोग किया जाता है। प्रमुख नगरों में बीजिंग (राजधानी), शंघाई (प्रमुख वित्तीय केन्द्र), हांगकांग, शेन्ज़ेन, ग्वांगझोउ इत्यादी हैं। .

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द्वितीय चीन-जापान युद्ध

द्वितीय चीन-जापान युद्ध चीन तथा जापान के बीच 1937-45 के बीच लड़ा गया था। 1945 में अमेरिका द्वारा जापान पर परमाणु बम गिराने के साथ ही जापान ने समर्पण कर दिया और युद्ध की समाप्ति हो गई। इसके परिणामस्वरूप मंचूरिया तथा ताईवान चीन को वापस सौंप दिए गए जिसे जापान ने प्रथम चीन-जापान युद्ध में उससे लिया था। 1941 तक चीन इसमें अकेला रहा। 1941 में जापान द्वारा पर्ल हार्बर पर किए गए आक्रमण के बाद यह द्वितीय विश्व युद्ध का अंग बन गया। .

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बीजिंग

बीजिंग (北京) (या पेय्चीङ) चीनी जनवादी गणराज्य, की राजधानी है। बीजिंग का अर्थ है "उत्तरी राजधानी", जबकि नान्जिंग का अर्थ है "दक्षिणी राजधानी"। बीजिंग १९४९ में साम्यवादी क्रान्ति के बाद से निरन्तर चीन की राजधानी है और उस समय तक यह विभिन्न कालों में अलग-अलग अवधियों तक चीन की राजधानी रहा है। बीजिंग, देश के उत्तरपूर्वी भाग में स्थित है और चार नगरपालिकाओं में से एक है। इसका अर्थ है कि इन चारों नगरपालिकाओं को प्रान्तों के बराबर दर्जा प्राप्त है और यह उसी प्रकार का स्वशासन चलाते हैं जैसे कि कोई अन्य प्रान्त। १८२८ से पूर्व बीजिंग विश्व का सबसे बड़ा नगर था। मध्य बीजिंग में जनवरी २००७ में लगभग ७६ लाख लोग रह रहे थे। उपनगरीय क्षेत्रों को मिलाकर यहां की कुल जनसंख्या १ करोड़ ७५ लाख के लगभग है, जिसमें से १ करोड़ २० लाख के लगभग स्थाई निवासियों के रूप में पंजीकृत हैं और शेष ५५ लाख लोग अस्थाई अप्रवासी निवासी हैं। बीजिंग और उपनगरीय क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल बेल्जियम का लगभग आधा है। बीजिंग, चीन का सांस्कृतिक और राजनैतिक केन्द्र है, जबकि चीन का सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर शंघाई देश का वित्तीय केन्द्र है और जो हांगकांग के साथ इस पदवी के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा में है। अपने पूरे दीर्घकालिक इतिहास के दौरान बीजिंग ने अपनी एक विविध और विशिष्ट विरासत का विकास किया है। एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका, बीजिंग को "विश्व के महानतम" नगरों में से एक मानता है। सबसे प्रसिद्ध है त्यानमन चौक, जहां से "निषिद्ध नगर", "शाही महल" और "निषिद्ध नगर के मन्दिर" का मार्ग जाता है, जो १९८७ से यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। यूनेस्कों सूची में "स्वर्ग का मन्दिर", "ग्रीष्मकालीन महल", "लामा मन्दिर" और "कन्फ़्यूशियस मन्दिर" भी हैं।.

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यूजेन ओ' नील

यूजेन ग्लेडस्टोन ओ' नील (Eugene Gladstone O'Neill) अमेरिकी नाटककार थे। 1936 ई० में साहित्य में नोबेल पुरस्कार विजेता। .

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लु शिन्

लू रवि(चीनी:魯迅, चीनी:鲁迅; PinYin: Lǔ Xùn), झोउ शुरेन् (चीनी:周樹人; की कलम नाम था चीनी:周树人; PinYin: झोउ Shùrén) (25 सितंबर 1881 - 19 अक्टूबर 1936) एक 20 वीं सदी के प्रमुख चीनी लेखकों में से एक है। कई द्वारा विचार आधुनिक चीनी साहित्य के संस्थापक, वह बैहुअ में (白话) (बाद में स्थानीय भाषा) और साथ ही शास्त्रीय चीनी लिखा जाएगा.

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शंघाई

शंघाई (चीनी: 上海; पिनयिन) चीनी जनवादी गणराज्य का सबसे बड़ा नगर है। यह देश के पूर्वी भाग में यांग्त्ज़े नदी के डेल्टा पर स्थित है। यह अर्थव्यवस्था और जनसंख्या दोनों ही दृष्टि से चीन का सबसे बड़ा नगर है। यह देश की चार नगरपालिकाओं में से एक है और उसी स्तर पर है जिसपर कि चीन का कोई अन्य प्रान्त। नगर सीमा के भीतर की जनसंख्या ९३ लाख है और पूरी नगरपालिका में १ करोड़ ८१ लाख लोग रहते हैं। १ जनवरी, २००६ की स्थिति तक यहां १ करोड़ ३७ लाख स्थाई निवासी और ४४ लाख अस्थाई निवासी थे जिनके पास रहने का वैध परमिट था। इसके अतिरिक्त यहां ३० लाख लोग अवैध रूप से भी रहते है। .

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सांस्कृतिक क्रांति

सांस्कृतिक क्रांति (सरलीकृत चीनी: 无产阶级文化大革命; परंपरिक चीनी: 無產階級文化大革命, Long form: 'चीन की महान सर्वहारा सांस्कृतिक क्रांति') जनवादी गणराज्य चीन में माओ त्से-तुंग द्वारा चलाया गया एक सामाजिक-राजनीतिक आन्दोलन था सन् १९६६ से आरम्भ होकर सन् १९७६ तक चला। माओ उस समय चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष थे। 16 मई 1966 को शुरू हुई यह क्रांति 10 वर्षों तक चली और इसने चीन के सामाजिक ढांचे में कई बड़े परिवर्तन किए। इस क्रांति की शुरुआत की घोषणा करते हुए माओ-त्से-तुंग ने चेतावनी दी थी कि बुर्जुआ वर्ग कम्युनिस्ट पार्टी में अपना प्रभाव क़ायम करके एक तरह की तानाशाही स्थापित करना चाहता है। वास्तव में सांस्कृतिक क्रांति का अभियान माओ ने अपनी पार्टी को प्रतिद्वंद्वियों से छुटकारा दिलाने के लिए शुरू किया था। .

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ऑस्कर वाइल्ड

ऑस्कर वाइल्ड ऑस्कर वाइल्ड उस शख्स का नाम है, जिसने सारी दुनिया में अपने लेखन से हलचल मचा दी थी। शेक्सपीयर के उपरांत सर्वाधिक चर्चित ऑस्कर वाइल्ड सिर्फ उपन्यासकार, कवि और नाटककार ही नहीं थे, अपितु वे एक संवेदनशील मानव थे। उनके लेखन में जीवन की गहरी अनुभूतियाँ हैं, रिश्तों के रहस्य हैं, पवित्र सौन्दर्य की व्याख्या है, मानवीय धड़कनों की कहानी है। उनके जीवन का मूल्यांकन एक व्यापक फैलाव से गुजरकर ही किया जा सकता है। अपने धूपछाँही जीवन में उथल-पुथल और संघर्ष को समेटे 'ऑस्कर फिंगाल ओं फ्लाहर्टी विल्स वाइल्ड' मात्र 46 वर्ष पूरे कर अनंत आकाश में विलीन हो गए। ऑस्कर वाइल्ड 'कीरो' के समकालीन थे। एक बार भविष्यवक्ता कीरो किसी संभ्रांत महिला के यहांं भोज पर आमंत्रित थे। काफी संख्या में यहाँ प्रतिष्ठित लोग मौजूद थे। कीरो उपस्थित हों और भविष्य न पूछा जाए, भला यह कैसे संभव होता। एक दिलचस्प अंदाज में भविष्य दर्शन का कार्यक्रम आरंभ हुआ। एक लाल मखमली पर्दा लगाया गया। उसके पीछे से कई हाथ पेश किए गए। यह सब इसलिए ताकि कीरो को पता न चल सके कि कौन सा हाथ किसका है? दो सुस्पष्ट, सुंदर हाथ उनके सामने आए। उन हाथों को कीरो देखकर हैरान रह गए। दोनों में बड़ा अंतर था। जहाँ बाएँ हाथ की रेखाएँ कह रही थीं कि व्यक्ति असाधारण बुद्धि और अपार ख्याति का मालिक है। वहीं दायाँ हाथ..? कीरो ने कहा 'दायाँ हाथ ऐसे शख्स का है जो अपने को स्वयं देश निकाला देगा और किसी अनजान जगह एकाकी और मित्रविहीन मरेगा। कीरो ने यह भी कहा कि 41 से 42वें वर्ष के बीच यह निष्कासन होगा और उसके कुछ वर्षों बाद मृत्यु हो जाएगी। यह दोनों हाथ लंदन के सर्वाधिक चर्चित व्यक्ति ऑस्कर वाइल्ड के थे। संयोग की बात कि उसी रात एक महान नाटक 'ए वुमन ऑफ नो इम्पोर्टेंस' मंचित किया गया। उसके रचयिता भी और कोई नहीं ऑस्कर वाइल्ड ही थे। बहरहाल, 15 अक्टूबर 1854 को ऑस्कर वाइल्ड जन्मे थे। कीरो की भविष्यवाणी पर दृष्टिपात करें तो 1895 में ऑस्कर वाइल्ड ने समाज के नैतिक नियमों का उल्लंघन कर दिया। फलस्वरूप समाज में उनकी अब तक अर्जित प्रतिष्ठा, मान-सम्मान और सारी उपलब्धियाँ ध्वस्त हो गईं। यहाँ तक कि उन्हें दो वर्ष का कठोर कारावास भी भुगतना पड़ा। जब ऑस्कर वाइल्ड ने अपने सौभाग्य के चमकते सितारे को डूबते हुए और अपनी कीर्ति पताका को झुकते हुए देखा तो उनके धैर्य ने जवाब दे दिया। अब वे अपने उसी गौरव और प्रभुता के साथ समाज के बीच खड़े नहीं हो सकते थे। हताशा की हालत में उन्होंने स्वयं को देश निकाला दे दिया। वे पेरिस चले गए और अकेले गुमनामी की जिंदगी गुजारने लगे। कुछ वर्षों बाद 30 नवम्बर 1900 को पेरिस में ही उनकी मृत्यु हो गई। उस समय उनके पास कोई मित्र नहीं था। यदि कुछ था तो सिर्फ सघन अकेलापन और पिछले सम्मानित जीवन की स्मृतियों के बचे टुकड़े। ऑस्कर वाइल्ड का पूरा नाम बहुत लंबा था, लेकिन वे सारी दुनिया में केवल ऑस्कर वाइल्ड के नाम से ही जाने गए। उनके पिता सर्जन थे और माँ कवयित्री। कविता के संस्कार उन्हें अपनी माँ से ही मिले। क्लासिक्स और कविता में उनकी विशेष गति थी। 19वीं शताब्दी के अंतिम दशक में उन्होंने सौंदर्यवादी आंदोलन का नेतृत्व किया। इससे उनकी कीर्ति चारों ओर फैली। ऑस्कर वाइल्ड विलक्षण बुद्धि, विराट कल्पनाशीलता और प्रखर विचारों के स्वामी थे। परस्पर बातचीत से लेकर उद्भट वक्ता के रूप में भी उनका कोई जवाब नहीं था। उन्होंने कविता, उपन्यास और नाटक लिखे। अँग्रेजी साहित्य में शेक्सपीयर के बाद उन्हीं का नाम प्राथमिकता से लिया जाता है। 'द पिक्चर ऑफ डोरियन ग्रे' उनका प्रथम और अंतिम उपन्यास था, जो 1890 में पहली बार प्रकाशित हुआ। विश्व की कई भाषाओं में उनकी कृतियाँ अनुवादित हो चुकी हैं। 'द बैलेड ऑफ रीडिंग गोल' और 'डी प्रोफनडिस', उनकी सुप्रसिद्ध कृतियाँ हैं। लेडी विंडरम'र्स फेन और द इम्पोर्टेंस ऑफ बीइंग अर्नेस्ट जैसे नाटकों ने भी खासी लोकप्रियता अर्जित की। उनकी लिखी परिकथाएँ भी विशेष रूप से पसंद की गईं। उनके एक नाटक 'सलोमी' को प्रदर्शन के लिए इंग्लैंड में लाइसेंस नहीं मिला। बाद में उसे सारा बरनार्ड ने पेरिस में प्रदर्शित किया। ऑस्कर वाइल्ड ने जीवन मूल्यों, पुस्तकों, कला इत्यादि के विषय में अनेक सारगर्भित रोचक टिप्पणियाँ की हैं। उन्होंने कहा- 'पुस्तकें नैतिक या अनैतिक नहीं होतीं। वे या तो अच्छी लिखी गई होती हैं या बुरी।' अपने अनंत अनुभवों के आधार पर एक जगह उन्होंने लिखा- 'विपदाएँ झेली जा सकती हैं, क्योंकि वे बाहर से आती हैं, किंतु अपनी गलतियों का दंड भोगना हाय, वही तो है जीवन का दंश। कला के विषय में उनके विचार थे- 'कला, जीवन को नहीं, बल्कि देखने वाले को व्यक्त करती है अर्थात तब किसी कलात्मक कृति पर लोग विभिन्ना मत प्रकट करते हैं तब ही कृति की पहचान निर्धारित होती है कि वास्तव में वह कैसी है, आकर्षक या उलझी हुई।' ऑस्कर वाइल्ड ने अपने साहित्य में कहीं न कहीं अपनी पीड़ा, अवसाद और अपमान को ही अभिव्यक्त किया है। बावजूद इसके उनकी रचनाएँ एक विशेष प्रकार का कोमलपन लिए एक विशेष दिशा में चलती हैं। कई बड़े साहित्यकारों की तरह उन्होंने भी विषपान किया, नीलकंठ बने और खामोश रहे। विश्व साहित्य का यह तेजस्वी हस्ताक्षर आज भी पूरी दुनिया में स्नेह के साथ पढ़ा और सराहा जाता है। .

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