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बांग्लादेश के यूनियन परिषद्

सूची बांग्लादेश के यूनियन परिषद्

यूनियन परिषद्, बांग्लादेश में स्थानीय प्रशासन के हीनतम् ग्राम्य प्रशासन निकाय हैं। प्रत्येक यूनियन ९ "वार्डों" के सम्मिलन से बनता है, जिनमे सामान्यतः एक ग्राम को ही एक वार्ड के रूप में अंकित किया जाता है। प्रत्येक परिषद् १२ पार्षदों द्वारा रचित होता है, जिनमे से ३ सदस्य महिला होतीं हैं।यह परिषद् एक अध्यक्ष को चुनती है, जो इस पडिसह का प्रमुख होता है। प्रत्येक यूनियन की भौगोलिक सीमाएँ, जिले के उपायुक्त(डिप्टी कमिश्नर) निर्धारित करते हैं। यह निकाय संबंधित यूनियन में कृषि, औद्योदिक तथा सामाजिक विकास के किये जिम्मेदार, प्रमुख निकाय है। इन परिषदों को आमने कर्तव्यों की आपूर्ति हेतु विभिन्न अधिकार तथा वित्तीय स्रोत प्रदान किये गए हैं। .

5 संबंधों: बांग्लादेश, बांग्लादेश सरकार, बांग्लादेश का प्रशासनिक भूगोल, बांग्लादेश के जिले, बांग्लादेश की राजनीति

बांग्लादेश

बांग्लादेश गणतन्त्र (बांग्ला) ("गणप्रजातन्त्री बांग्लादेश") दक्षिण जंबूद्वीप का एक राष्ट्र है। देश की उत्तर, पूर्व और पश्चिम सीमाएँ भारत और दक्षिणपूर्व सीमा म्यान्मार देशों से मिलती है; दक्षिण में बंगाल की खाड़ी है। बांग्लादेश और भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल एक बांग्लाभाषी अंचल, बंगाल हैं, जिसका ऐतिहासिक नाम “বঙ্গ” बंग या “বাংলা” बांग्ला है। इसकी सीमारेखा उस समय निर्धारित हुई जब 1947 में भारत के विभाजन के समय इसे पूर्वी पाकिस्तान के नाम से पाकिस्तान का पूर्वी भाग घोषित किया गया। पूर्व और पश्चिम पाकिस्तान के मध्य लगभग 1600 किमी (1000 मील) की भौगोलिक दूरी थी। पाकिस्तान के दोनों भागों की जनता का धर्म (इस्लाम) एक था, पर उनके बीच जाति और भाषागत काफ़ी दूरियाँ थीं। पश्चिम पाकिस्तान की तत्कालीन सरकार के अन्याय के विरुद्ध 1971 में भारत के सहयोग से एक रक्तरंजित युद्ध के बाद स्वाधीन राष्ट्र बांग्लादेश का उदभव हुआ। स्वाधीनता के बाद बांग्लादेश के कुछ प्रारंभिक वर्ष राजनैतिक अस्थिरता से परिपूर्ण थे, देश में 13 राष्ट्रशासक बदले गए और 4 सैन्य बगावतें हुई। विश्व के सबसे जनबहुल देशों में बांग्लादेश का स्थान आठवां है। किन्तु क्षेत्रफल की दृष्टि से बांग्लादेश विश्व में 93वाँ है। फलस्वरूप बांग्लादेश विश्व की सबसे घनी आबादी वाले देशों में से एक है। मुसलमान- सघन जनसंख्या वाले देशों में बांग्लादेश का स्थान 4था है, जबकि बांग्लादेश के मुसलमानों की संख्या भारत के अल्पसंख्यक मुसलमानों की संख्या से कम है। गंगा-ब्रह्मपुत्र के मुहाने पर स्थित यह देश, प्रतिवर्ष मौसमी उत्पात का शिकार होता है और चक्रवात भी बहुत सामान्य हैं। बांग्लादेश दक्षिण एशियाई आंचलिक सहयोग संस्था, सार्क और बिम्सटेक का प्रतिष्ठित सदस्य है। यह ओआइसी और डी-8 का भी सदस्य है।.

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बांग्लादेश सरकार

बांग्लादेश सरकार(বাংলাদেশ সরকার, बांलादेश सरकार), बांग्लादेश के संविधान द्वारा स्थापित, बांग्लादेश की प्रशासनिक एवं नियंत्रक प्राधिकारिणी है। यह, संपूर्ण बांग्लादेशी भूमि के शासन पर अपनी प्रभुसत्ता का दावा रखती है। संविधान के अनुसार, देश को लोकतांत्रिक, गणतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत्, एक स्वतंत्र न्यायपालिका के साथ, परिचालित किये जाने की बात की गई है। संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति बांग्लादेश के राष्ट्राध्यक्ष हैं, जबकि सरकार, प्रधानमंत्री व उनके द्वारा नामांकित मंत्रियों के नियंत्रण में कार्य करती है। प्रधानमंत्री और अन्य मंत्री मिलकर बांग्लादेश की उच्चतम् शासनिक एवं निर्णयात्मक निकाय का गठन करते हैं, जिसे बांग्लादेशी लहजे में, मंत्रिसभा(মন্ত্রিসভা) या कैबिनेट कहते हैं। 1971 के अस्थायी सरकार के गठन एवं अंतरिम संविधान के परवर्तन पश्चात् से बांग्लादेश की सरकारी व्यवस्था न्यूनतम् पाँचबार बदली जा चुकी है। बांग्लादेश की वर्तमान सरकारी व्यवस्था बहुदलीय संसदीय प्रणाली पर आधारित है। वरतमान व्यवस्था में प्रधानमंत्री को सरकार प्रमुख का दर्जा प्राप्त है, एवं बहुदलीय लोकतांत्रिक ढाँचे में, सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के सिद्धांतों पर राष्ट्रीय संसद के सदस्यगण निर्वाचित होते हैं। कार्यपालिका पूर्णतः सरकार के नियंत्रण में होती है, जिसे प्रधानमंत्री व मंत्रिसभा के अन्य सदस्यगण परिचालित करते हैं। सरकार व सरकार के समस्त मंत्रियों की, संसद के प्रति उत्तरदेही है, और राष्ट्रीय संसद में सरकार के कीसी भी निर्णय, कार्य, कदम या योजना पर प्रश्न किया जा सकता है। इसके अलावा, संविधान संशोधन, महाभियोग व कानूनी फेरबदल जैसे कार्य भी संसदीय बहुमत द्वारा किया जाता है। न्यायपालिका और विधानपालिका के अलाव बांग्लादेश में एक स्वतंत्र श्रेणीबद्ध न्यायपालिका भी स्थापित है, जो न्यायिक मामलों को देखती है। .

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बांग्लादेश का प्रशासनिक भूगोल

बांग्लादेश एक एकात्मक राज्य है, अतः उसकी शासन प्रणाली किसी एकमेव शक्ति के रूप में सुनियोजित है, जिसमें केन्द्रीय सरकार अन्ततः सर्वोच्च है, तथा सारी उपराष्ट्रीय इकाइयाँ और उनको प्राप्त होने वाले अधिकार केन्द्रीय सरकार के पूर्णतः अधीन हैं और केन्द्रीय सरकार के अंतर्गत् कार्य करती हैं(जोकि भारत या अमेरिका जैसे संघात्मक देशों के विरुद्ध है, जहाँ राज्य सरकारें संघीय सरकार से स्वतंत्र रूप से कार्य करती हैं)। अतः बांग्लादेश के उपराष्ट्रीय इकाइयाँ पूर्णतः प्रशासनिक निकाय हैं, और इनका राष्ट्रीय राजनीती में कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं होती है। .

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बांग्लादेश के जिले

बांग्लादेश में जिले,(জেলা, उच्चारण:जेला) विभागों के अधीनस्थ, बांग्लादेश के द्वितीय स्तर के प्रशासनिक उपविभाजन हैं। बांग्लादेश को ऐसे, कुल ६४ जनपदों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक जिलों को कई उपजिलों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक जिले में औसतन ८ से १५ उपजिले होते हैं। जबकि न्यूनतम ४ और अधिक्तम् २२ उपजिले हैं। २०१६ की स्थितिनुसार, बांग्लादेश में कुल ४९३ उपजिले हैं। जिलों का नाम, सामान्यतः संभंधित जनपदीय मुख्यालय के नाम पर रखा जाता है, जिन्हें जिला सदर कहा जाता है। प्रत्येक जिले में, एक जिला आयुक्त नियुक्त किया जाता है, जोकि जिले का सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी होता है। तथा सरे जिलों में एक जिला परिषद् होती है, जोकि जिले की मुख्य प्रशासनिक निकाय होती है। .

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बांग्लादेश की राजनीति

बांग्लादेश में राजनीति संविधान, में दिए गए संसदीय, प्रतिनिधित्व वादी लोकतांत्रिक, गणतांत्रिक प्रणाली के अंतर्गत होती है जिसके अनुसार: राष्ट्रपति बांग्लादेश के राष्ट्राध्यक्ष एवं बांग्लादेश के प्रधानमंत्री, सरकार एवं एक बहुदलीय जनतांत्रिक प्रणाली के प्रमुख होते हैं। कार्यकारी शक्तियाँ, बांग्लादेश की सरकार के अधिकारक्षेत्र के अंतर्गत आती हैं, एवं विधाई शक्तियां सरकार और संसद दोनों पर न्योछावर की गई हैं। इसके अलावा, बांग्लादेश में एक स्वतंत्र श्रेणीबद्ध न्यायपालिका भी है, जिसके शिखर पर बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय है। बांग्लादेश के संविधान को सन 1972 में लिखा गया था और तब से लेकर आज तक इसमें कुल 16 संशोधन किए गए हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

बांग्लादेश के यूनियन परिषद, यूनियन परिषद् (बांग्लादेश)

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