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बन्दूक

सूची बन्दूक

बन्दूक (अंग्रेजी: Coach gun) बीसवीं सदी तक सैनिकों द्वारा प्रयुक्त एक प्रमुख हथियार रहा है। यह आकार में बड़ा एवं वजनी होता है। साम्राज्यवाद के दौर में मुख्यतः इसी अस्त्र के कारण यूरोपीय सेनाओं ने एशियाई, अफ्रीकी एवं अमेरिकी भूभागों पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया था। इकनाली बन्दूक में एक बार मे केवल एक ही गोली भर कर दागी जाती है जबकि दुनाली बन्दूक में दो गोलियाँ भरकर क्रमश: दागी जा सकती हैं। आजकल भारत की आम जनता में जो लाइसेंसी बन्दूकें मिलती हैं उनमें प्राय: बारह बोर के ही कारतूस प्रयोग में लाये जाते हैँ। ब्रिटिश भारत में प्राय: विदेश में बनी बन्दूकें ही अमीर लोगों के पास होती थीं किन्तु अब भारतीय आयुध निर्माणी द्वारा बनायी गयीं इकनाली व दुनाली बन्दूकें यहाँ के शस्त्र विक्रेता अपने पास रखने लगे हैं। इन्हें कोई भी शस्त्र अनुज्ञप्ति धारक उनसे सीधे मूल्य देकर खरीद सकता है। .

11 संबंधों: ब्रिटिश राज, भारतीय आयुध निर्माणी, माउज़र पिस्तौल, रिवॉल्वर (.32 बोर), रेमिंग्टन 1100 (बन्दूक), शस्त्र, साम्राज्यवाद, हथियार, गोली, कारतूस, अंग्रेज़ी भाषा

ब्रिटिश राज

ब्रिटिश राज 1858 और 1947 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश द्वारा शासन था। क्षेत्र जो सीधे ब्रिटेन के नियंत्रण में था जिसे आम तौर पर समकालीन उपयोग में "इंडिया" कहा जाता था‌- उसमें वो क्षेत्र शामिल थे जिन पर ब्रिटेन का सीधा प्रशासन था (समकालीन, "ब्रिटिश इंडिया") और वो रियासतें जिन पर व्यक्तिगत शासक राज करते थे पर उन पर ब्रिटिश क्राउन की सर्वोपरिता थी। .

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भारतीय आयुध निर्माणी

भारतीय आयुध निर्माणियाँ एक भव्य औद्योगिक संरचना हैं जो रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग के अंतर्गत कार्य करती हैं। भारतीय आयुध निर्माणियाँ जिसका मुख्यालय कोलकाता में है, वह 39 निर्माणियों, 9 प्रशिक्षण संस्थान, 3 क्षेत्रीय विपणन केन्द्र ओर 4 क्षेत्रीय संरक्षा नियंत्रणालयों का समूह है। आज आयुध निर्माणी बोर्ड भारतवर्ष में फैली 39 निर्माणियों के साथ प्रदान करता है:-.

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माउज़र पिस्तौल

माउज़र पिस्तौल (अंग्रेजी: Mauser C96) मूल रूप से जर्मनी में बनी एक अर्द्ध स्वचालित पिस्तौल है। इस पिस्तौल का डिजाइन जर्मनी निवासी दो माउज़र बन्धुओं ने सन् 1895 में तैयार किया था। बाद में 1896 में जर्मनी की ही एक शस्त्र निर्माता कम्पनी माउज़र ने इसे माउज़र सी-96 के नाम से बनाना शुरू किया। 1896 से 1937 तक इसका निर्माण जर्मनी में हुआ। 20वीं शताब्दी में इसकी नकल करके स्पेन और चीन में भी माउज़र पिस्तौलें बनीं। इसकी मैगज़ीन ट्रिगर के आगे लगती थी जबकि सामान्यतया सभी पिस्तौलों में मैगज़ीन ट्रिगर के पीछे और बट के अन्दर होती है। इस पिस्तौल का एक अन्य मॉडल लकड़ी के कुन्दे के साथ सन 1916 में बनाया गया। इसमें बट के साथ लकड़ी का बड़ा कुन्दा अलग से जोड़ कर किसी रायफल या बन्दूक की तरह भी प्रयोग किया जा सकता था। विंस्टन चर्चिल को यह पिस्तौल बहुत पसन्द थी। भारतीय क्रान्तिकारी रामप्रसाद 'बिस्मिल' ने महज़ 4 माउज़र पिस्तौलों के दम पर 9 अगस्त 1925 को काकोरी के पास ट्रेन रोक कर सरकारी खजाना लूट लिया था। स्पेन ने सन् 1927 में इसी की नक़ल करते हुए अस्त्र मॉडल बनाया। रेलवे गार्डों की सुरक्षा हेतु सन् 1929 में चीन ने इसकी नकल करके.45 कैलिबर का माउज़र बनाया। .

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रिवॉल्वर (.32 बोर)

.32 बोर रिवॉल्वर (अंग्रेजी:IOF 32 Revolver) भारतीय आयुध निर्माणी, कानपुर द्वारा निर्मित एक छोटा हथियार है जो अब भारत में आम शस्त्र लाइसेंस धारकों के लिये उपलब्ध है। 6 फॉयर वाला यह रिवॉल्वर पूरी तरह से भारतीय आयुध निर्माणी फैक्ट्रियों द्वारा भारत में बनाया जाने लगा है। यह कम दूरी तक मार करने वाला आग्नेय अस्त्र है जिसे स्वयं तोड़कर चैम्बर में बाकी बचे कारतूस के खोखों को बाहर निकालना पड़ता है। इसमें.32 बोर के स्मिथ एण्ड वेसन (लांग रेंज) वाले 7.65 मिलीमीटर के कारतूस प्रयोग किये जाते हैं। यह रिवॉल्वर विदेशी वेब्ले सर्विस रिवॉल्वर (मार्क-IV) की तर्ज पर बनाया गया है। विदेशी वेब्ले स्कॉट कम्पनी का.38 बोर एस० एण्ड डब्लू० मॉडल रिवॉल्वर सिंगापुर की पुलिस द्वारा आज भी प्रयुक्त होता है। इसके बोर को.38 बोर से कुछ कम करके.32 बोर में बनाने के पीछे भारतीय आयुध निर्माणी कम्पनियों का उद्देश्य यही है कि इसे भारत में रहने वाले आम नागरिक आत्म रक्षा के लिये भारतीय शस्त्र अधिनियम के अन्तर्गत लाइसेंस प्राप्त कर खरीद सकें। अमूमन भारत में.38 बोर का रिवॉल्वर प्रोहिबिटेड बोर के अन्तर्गत आता है। कानूनी रूप से आम जनता को इसे अपने पास रखने की मनाही है। भारत में.32 बोर का रिवॉल्वर एन०पी० बोर (नॉन प्रॉहिबिटेड बोर) के अन्तर्गत शामिल किया गया है अत: आम नागरिक उसे शस्त्र लाइसेंस प्राप्त कर खरीद सकता है। .

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रेमिंग्टन 1100 (बन्दूक)

रेमिंग्टन 1100 (बन्दूक) (अंग्रेजी: Remington Model 1100) यूनाइटेड स्टेट्स की शस्त्र निर्माता कम्पनी रेमिंग्टन आर्म्स द्वारा बनायी गयी 12 बोर की एक नाल वाली अर्द्ध स्वचालित बन्दूक है। इसकी आन्तरिक नलीनुमा मैगज़ीन में 10 और 1 चैम्बर में यानी 11 कारतूस एक के बाद एक फायर किये जा सकते हैं। 12 बोर के अलावा अब यह बन्दूक 16, 20, 28 और.410 के गेज़ (बोर व्यास) में भी बनने लगी है। यह वजन में काफी हल्की है और इससे फायर करना भी बहुत आसान है। इसका उत्पादन सन् 1963 में प्रारम्भ हुआ था तब से अब तक इस बन्दूक के कई मॉडल बाजार में आ चुके हैं और अभी भी आ रहे हैं। .

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शस्त्र

भारत में प्रयुक्त मध्ययुगीन हथियार कोई भी उपकरण जिसका प्रयोग अपने शत्रु को चोट पहुँचाने, वश में करने या हत्या करने के लिये किया जाता है, शस्त्र या आयुध (weapon) कहलाता है। शस्त्र का प्रयोग आक्रमण करने, बचाव करने अथवा डराने-धमकाने के लिये किया जा सकता है। शस्त्र एक तरफ लाठी जितना सरल हो सकता है तो दूसरी तरफ बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र जितना जटिल भी। .

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साम्राज्यवाद

सन १४९२ से अब तक के उपनिवेशी साम्राज्य विश्व के वे क्षेत्र जो किसी न किसी समय ब्रितानी साम्राज्य के भाग थे। साम्राज्यवाद (Imperialism) वह दृष्टिकोण है जिसके अनुसार कोई महत्त्वाकांक्षी राष्ट्र अपनी शक्ति और गौरव को बढ़ाने के लिए अन्य देशों के प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लेता है। यह हस्तक्षेप राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक या अन्य किसी भी प्रकार का हो सकता है। इसका सबसे प्रत्यक्ष रूप किसी क्षेत्र को अपने राजनीतिक अधिकार में ले लेना एवं उस क्षेत्र के निवासियों को विविध अधिकारों से वंचित करना है। देश के नियंत्रित क्षेत्रों को साम्राज्य कहा जाता है। साम्राज्यवादी नीति के अन्तर्गत एक राष्ट्र-राज्य (Nation State) अपनी सीमाओं के बाहर जाकर दूसरे देशों और राज्यों में हस्तक्षेप करता है। साम्राज्यवाद का विज्ञानसम्मत सिद्धांत लेनिन ने विकसित किया था। लेनिन ने 1916 में अपनी पुस्तक "साम्राज्यवाद पूंजीवाद का अंतिम चरण" में लिखा कि साम्राज्यवाद एक निश्चित आर्थिक अवस्था है जो पूंजीवाद के चरम विकास के समय उत्पन्न होती है। जिन राष्ट्रों में पूंजीवाद का चरमविकास नहीं हुआ वहाँ साम्राज्यवाद को ही लेनिन ने समाजवादी क्रांति की पूर्ववेला माना है। चार्ल्स ए-बेयर्ड के अनुसार "सभ्य राष्ट्रों की कमजोर एवं पिछड़े लोगों पर शासन करने की इच्छा व नीति ही साम्राज्यवाद कहलाती है।" .

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हथियार

* हथियार हिन्दी फ़िल्म जो १९८९ में बनी।.

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गोली

सीसे की सोफ्ट पॉइंट, बोट-टेल्ड, कॉपर जेकेटेड बुलेट्स. एक गोली एक प्रक्षेप्य है जिसे एक रिवॉल्वर (firearm), गुलेल (sling), या हवाई बंदूक (air gun) से चलाया (या दागा) जाता है। गोलियों में सामान्यतः विस्फोटक नहीं होते, लेकिन ये अपने लक्ष्य को पूरे प्रभाव के साथ भेदित कर उसे नुकसान पहुंचाती है। शब्द "गोली" का उपयोग कभी कभी बारूद, या एक कारतूस के लिए भी आमतौर पर किया जाता है, जो गोली, खोल, पाउडर और प्राइमर का मिश्रण होता है। इसलिए गोला बारूद या कारतूस के वर्णन के लिए "गोली" शब्द का प्रयोग तकनीकी रूप से सही नहीं है। .

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कारतूस

बन्दूक़ के कारतूस पिस्तौल के कारतूस कारतूस किसी बंदूक़, पिस्तौल या अन्य हथियार में डाली जाने वाली ऐसी वास्तु को कहते हैं जिसमें किसी धातु, प्लास्टिक या काग़ज़ के खोल में गोली और उसे धमाके के साथ तेज़ गति पर चला देने वाला पदार्थ हो। कारतूस का आकार विशेष रूप से हथियार की नली में डलने के लिए ठीक बनाया जाता है।, Vin T. Sparano, Macmillan, pp.

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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