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बनिहाल दर्रा

सूची बनिहाल दर्रा

बनिहाल दर्रा हिमालय का एक प्रमुख दर्रा हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 1अ एनएच1ए इस दर्रे से होकर निकलता है। यही दर्रा कश्मीर घाटी को जवाहर सुरंग के माध्यम से जम्मू के रास्ते शेष भारत से जोड़ता है। बनिहाल दर्रा हिमालय की पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला पर है, जिसे चीरते हुए भारत की सबसे बड़ी सुरंग के रास्ते, जून २०१३ में क़ाज़ीगुंड से बनिहाल तक, रेल सेवा शुरु कर दी गयी है। .

6 संबंधों: द इकॉनोमिक टाइम्स, पीर पंजाल पर्वतमाला, बनिहाल, राष्ट्रीय राजमार्ग १ए, हिमालय, जवाहर सुरंग

द इकॉनोमिक टाइम्स

दि इकॉनोमिक टाइम्स (The Economic Times) भारत से प्रकाशित होने वाला एक अंग्रेजी भाषा का समाचार पत्र है।.

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पीर पंजाल पर्वतमाला

पीर पंजाल पर्वतमाला (Pir Panjal Range) हिमालय की एक पर्वतमाला है जो भारत के हिमाचल प्रदेश व जम्मू और कश्मीर राज्यों और पाक-अधिकृत कश्मीर में चलती है। हिमालय में धौलाधार और पीर पंजाल शृंख्लाओं की ओर ऊँचाई बढ़ने लगती है और पीर पंजाल निचले हिमालय की सर्वोच्च शृंख्ला है। सतलुज नदी के किनारे यह हिमालय के मुख्य भाग से अलग होकर अपने एक तरफ़ ब्यास और रावी नदियाँ और दूसरी तरफ़ चेनाब नदी रखकर चलने लगती है। पश्चिम में आगे जाकर उत्तरी पाकिस्तानी पंजाब और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा की पहाड़ी गलियाँ इसी पीर पंजाल शृंख्ला का अंतिम कम-ऊँचाई वाला भाग है। इसी में उत्तरी पंजाब का मरी हिल-स्टेशन स्थित है। पाक-अधिकृत कश्मीर के बाग़ ज़िले में गंगा चोटी पीर पंजाल शृंख्ला का एक प्रसिद्ध ३,०४४ मीटर (९,९८७ फ़ुट) ऊँचा पर्वत व पर्यटन-स्थल है। .

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बनिहाल

बनिहाल जम्मू कश्मीर का एक शहर है जो हिमालय की पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला पर स्थित है। बनिहाल, कश्मीर घाटी को जवाहर सुरंग के माध्यम से जम्मू के रास्ते शेष भारत से जोड़ता है। बनिहाल दर्रा को चीरते हुए भारत की सबसे बड़ी सुरंग के रास्ते, जून 2013 में क़ाज़ीगुंड से बनिहाल तक, रेल सेवा शुरु कर दी गयी है। श्रेणी:जम्मू कश्मीर के शहर श्रेणी:जम्मू और कश्मीर.

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राष्ट्रीय राजमार्ग १ए

६६३ किलोमीटर लंबा यह राजमार्ग जालंधर को उरी, कश्मीर से जोड़ता है। इसका रूट जालंधर – माधोपुर - जम्मू - बनिहाल – श्रीनगर – बारामूला - उरी है। श्रेणी:भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग.

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हिमालय

हिमालय पर्वत की अवस्थिति का एक सरलीकृत निरूपण हिमालय एक पर्वत तन्त्र है जो भारतीय उपमहाद्वीप को मध्य एशिया और तिब्बत से अलग करता है। यह पर्वत तन्त्र मुख्य रूप से तीन समानांतर श्रेणियों- महान हिमालय, मध्य हिमालय और शिवालिक से मिलकर बना है जो पश्चिम से पूर्व की ओर एक चाप की आकृति में लगभग 2400 कि॰मी॰ की लम्बाई में फैली हैं। इस चाप का उभार दक्षिण की ओर अर्थात उत्तरी भारत के मैदान की ओर है और केन्द्र तिब्बत के पठार की ओर। इन तीन मुख्य श्रेणियों के आलावा चौथी और सबसे उत्तरी श्रेणी को परा हिमालय या ट्रांस हिमालय कहा जाता है जिसमें कराकोरम तथा कैलाश श्रेणियाँ शामिल है। हिमालय पर्वत पाँच देशों की सीमाओं में फैला हैं। ये देश हैं- पाकिस्तान, भारत, नेपाल, भूटान और चीन। अन्तरिक्ष से लिया गया हिमालय का चित्र संसार की अधिकांश ऊँची पर्वत चोटियाँ हिमालय में ही स्थित हैं। विश्व के 100 सर्वोच्च शिखरों में हिमालय की अनेक चोटियाँ हैं। विश्व का सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट हिमालय का ही एक शिखर है। हिमालय में 100 से ज्यादा पर्वत शिखर हैं जो 7200 मीटर से ऊँचे हैं। हिमालय के कुछ प्रमुख शिखरों में सबसे महत्वपूर्ण सागरमाथा हिमाल, अन्नपूर्णा, गणेय, लांगतंग, मानसलू, रॊलवालिंग, जुगल, गौरीशंकर, कुंभू, धौलागिरी और कंचनजंघा है। हिमालय श्रेणी में 15 हजार से ज्यादा हिमनद हैं जो 12 हजार वर्ग किलॊमीटर में फैले हुए हैं। 72 किलोमीटर लंबा सियाचिन हिमनद विश्व का दूसरा सबसे लंबा हिमनद है। हिमालय की कुछ प्रमुख नदियों में शामिल हैं - सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र और यांगतेज। भूनिर्माण के सिद्धांतों के अनुसार यह भारत-आस्ट्र प्लेटों के एशियाई प्लेट में टकराने से बना है। हिमालय के निर्माण में प्रथम उत्थान 650 लाख वर्ष पूर्व हुआ था और मध्य हिमालय का उत्थान 450 लाख वर्ष पूर्व हिमालय में कुछ महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी है। इनमें हरिद्वार, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गोमुख, देव प्रयाग, ऋषिकेश, कैलाश, मानसरोवर तथा अमरनाथ प्रमुख हैं। भारतीय ग्रंथ गीता में भी इसका उल्लेख मिलता है (गीता:10.25)। .

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जवाहर सुरंग

जवाहर सुरंग (Jawahar Tunnel) या बानिहाल सुरंग भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य में राष्ट्रीय राजमार्ग ४४ पर बनिहाल और काज़ीगुंड के बीच स्थित एक सुरंग है। इसका निर्माण १९५४ में आरम्भ हुआ था और उदघाटन २२ दिसम्बर १९५६ में (हालांकि निर्माणकार्य पूरा १९६० में जाकर हुआ)। यह २.८५ किमी (१.७७ मील) लम्बी सुरंग २,१९४ मीटर (७,१९८ फ़ुट) की ऊँचाई पर स्थित है और इसमें दोनों दिशाओं के लिए एक-एक लेन का प्रबन्ध है। इस सुरंग के द्वारा वर्षभर जम्मू और श्रीनगर के बीच सड़क यातायात जारी रहता है। शुरु में इसकी क्षमता प्रत्येक दिशा में १५० वाहन प्रतिदिन थी लेकिन अब यह बढ़कर ७,००० वाहनों द्वारा प्रयोग हो रही है। सीमा सड़क संगठन ने कई मरम्म्तों के बाद सुरंग में अंदर-बाहर दोनों दिशाओं में वायुप्रवाह, प्रदूषण और तापमान मापनयंत्र, प्रकाश प्रबन्ध और आपातकालीन दूरभाष का बन्दोबस्त किया गया है। सुरक्ष के लिए इसपर चौबीस घंटे सेना की निगरानी रहती है और सुरंग के अंदर किसी भी प्रकार की तस्वीर लेने पर सख़्त प्रतिबंध है। किसी वाहन के अंदर प्रवेश करने पर उसका सामान्य गति से बिना रुके चलते रहना अनिवार्य है और स्थान-स्थान पर लगे कैमरों से अन्दर की हर परिस्थिति पर नज़र रखी जाती है। सन् २००९ तक सुरंग रात्रि के १२ बजे से सुबह के ८ बजे तक यातायात के लिए बंद रहती थी लेकिन अब इसमें ट्रैफ़िक चौबीस घंटो चलता है। २०१८ में इस से अधिक क्षमता वाली बनिहाल-काज़ीगुंड सड़क सुरंग का निर्माण होने की अपेक्षा है और उसके पूरे होते ही जवाहर सुरंग में वाहन का यातायात हल्का होने की उम्मीद है। .

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बनिहाल दर्रे, बानिहाल दर्रा

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