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बच्चों में मिर्गी

सूची बच्चों में मिर्गी

मिर्गी किसी भी आयु के व्यक्ति को हो सकती है। बच्चों में मिर्गी से सम्बन्धित कुछ मुद्दे हैं जो उनके बचपन को प्रभावित कर सकते हैं। कुछ प्रकार की मिर्गी बचपन बीतने के बाद समाप्त हो जातीं हैं। लगभग 70% बच्चे जिनको बचपन में मिर्गी थी, बड़े होने पर इससे छुटकारा पा जाते हैं। कुछ मिर्गी के ऐसे भी दौरे हैं जैसे फेब्राइल दौरा (febrile seizures) जो बचपन में केवल एक बार आते हैं और बाद में कभी नहीं। .

2 संबंधों: हेलमेट, अपस्मार

हेलमेट

हेलमेट एक सुरक्षात्मक सामग्री का एक रूप है जो चोटों से सिर की रक्षा के लिए पहना जाता है। अधिक विशेष रूप से, एक हेलमेट मानव मस्तिष्क की रक्षा करने में खोपड़ी की सहायता करता है। सुरक्षात्मक कार्य के अलावा प्रतीकात्मक हेलमेट कभी-कभी उपयोग होते हैं। हेलमेट का सबसे पुराना ज्ञात प्रयोग सुमेर सभ्यता में २५०० ईसा पूर्व में दिखाई देता हैं। तब मोटी चमड़े या ऊन की टोपी पर ताम्र पत्र जोड कर हेलमेट पहनते थे और युद्ध में तलवार से वार और तीर के हमले से बचाव करते थे। भारत में १६०० ईसा पूर्व के वेदों में भी हेलमेट का उल्लेख है जहा उन्हे शिप्र कहा गया हैं। अब हेलमेट अक्सर हल्के प्लास्टिक सामग्री से बने होते हैं। .

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अपस्मार

अपस्मार या मिर्गी (वैकल्पिक वर्तनी: मिरगी, अंग्रेजी: Epilepsy) एक तंत्रिकातंत्रीय विकार (न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर) है जिसमें रोगी को बार-बार दौरे पड़ते है। मस्तिष्क में किसी गड़बड़ी के कारण बार-बार दौरे पड़ने की समस्या हो जाती है।, हिन्दुस्तान लाइव, १८ नवम्बर २००९ दौरे के समय व्यक्ति का दिमागी संतुलन पूरी तरह से गड़बड़ा जाता है और उसका शरीर लड़खड़ाने लगता है। इसका प्रभाव शरीर के किसी एक हिस्से पर देखने को मिल सकता है, जैसे चेहरे, हाथ या पैर पर। इन दौरों में तरह-तरह के लक्षण होते हैं, जैसे कि बेहोशी आना, गिर पड़ना, हाथ-पांव में झटके आना। मिर्गी किसी एक बीमारी का नाम नहीं है। अनेक बीमारियों में मिर्गी जैसे दौरे आ सकते हैं। मिर्गी के सभी मरीज एक जैसे भी नहीं होते। किसी की बीमारी मध्यम होती है, किसी की तेज। यह एक आम बीमारी है जो लगभग सौ लोगों में से एक को होती है। इनमें से आधों के दौरे रूके होते हैं और शेष आधों में दौरे आते हैं, उपचार जारी रहता है। अधिकतर लोगों में भ्रम होता है कि ये रोग आनुवांशिक होता है पर सिर्फ एक प्रतिशत लोगों में ही ये रोग आनुवांशिक होता है। विश्व में पाँच करोड़ लोग और भारत में लगभग एक करोड़ लोग मिर्गी के रोगी हैं। विश्व की कुल जनसँख्या के ८-१० प्रतिशत लोगों को अपने जीवनकाल में एक बार इसका दौरा पड़ने की संभावना रहती है।, वेब दुनिया, डॉ॰ वोनोद गुप्ता। १७ नवम्बर को विश्व भर में विश्व मिरगी दिवस का आयोजन होता है। इस दिन तरह-तरह के जागरुकता अभियान और उपचार कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।।। द टाइम्स ऑफ इंडिया।, याहू जागरण, १७ नवम्बर २००९ .

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