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बक्सर का युद्ध

सूची बक्सर का युद्ध

बक्सर का युद्ध २२ अक्टूबर १७६४ में बक्सर नगर के आसपास ईस्ट इंडिया कंपनी के हैक्टर मुनरो और मुगल तथा नबाबों की सेनाओं के बीच लड़ा गया था। बंगाल के नबाब मीर कासिम, अवध के नबाब शुजाउद्दौला, तथा मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय की संयुक्त सेना अंग्रेज कंपनी से लड़ रही थी। लड़ाई में अंग्रेजों की जीत हुई और इसके परिणामस्वरूप पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उड़ीसा और बांग्लादेश का दीवानी और राजस्व अधिकार अंग्रेज कंपनी के हाथ चला गया। .

38 संबंधों: चटगाँव (शहर), झारखण्ड, तोप, द्वैध शासन, पश्चिम बंगाल, पानीपत का तृतीय युद्ध, प्लासी का पहला युद्ध, पूर्व मेदिनीपुर जिला, बांग्लादेश, बिहार, बंगाल, बंगाल के नवाब, बक्सर, मराठा, मिर्ज़ा नजफ खां, मुग़ल शासकों की सूची, मुग़ल साम्राज्य, मुंगेर, मीर जाफ़र, मीर कासिम, राजा बलवंत सिंह, शाह आलम, शाह आलम द्वितीय, शुजाउद्दौला, सिराजुद्दौला, ईस्ट इण्डिया कम्पनी, वाराणसी, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, ओडिशा, इलाहाबाद, अहमद शाह अब्दाली, अवध, अवध के नवाब, अक्टूबर, १७६०, १७६४, २३ अक्टूबर, २७ सितम्बर

चटगाँव (शहर)

चटगाँव या चटगांव (बांग्ला: চট্টগ্রাম चट्टोग्राम), बांग्लादेश का एक प्रमुख बंदरगाह और दूसरा सबसे बड़ा शहर है। चटगांव एक गहरे पानी का प्राकृतिक बंदरगाह है। बंगाल की खाड़ी के पूर्वी तट और कर्णफुली नदी के मुहाने पर स्थित यह शहर, देश के दक्षिणी विभाग में पड़ता है। 2011 में इसकी अनुमानित जनसंख्या 65 लाख से अधिक थी। दक्षिण एशिया में यह वाणिज्य, उद्योग और जहाजरानी (शिपिंग) का एक प्रमुख केंद्र है। यह दुनिया के सबसे तेजी से विकसित होते महानगरों में से भी एक है। सदियों से चटगाँव के इस प्राचीन प्राकृतिक बंदरगाह ने बंगाल और बंगाल की खाड़ी के प्रमुख व्यापारिक केंद्रों के लिए एक प्रवेश द्वार का कार्य किया है। इस बंदरगाह ने मध्य पूर्व, दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप और चीन के व्यापारियों को आकर्षित किया है। अरब अन्वेषक इब्न-बतूता, वेनिस के व्यापारी निकोलो डे' कोंटी और चीनी एडमिरल झेंग ही समेत कई ऐतिहासिक यात्री इस बंदरगाह से होकर गुजरे हैं। 16 वीं सदी के पुर्तगाली साम्राज्य में इसे पोर्टो ग्रांडे डी बेंगाला के नाम से जाना जाता था। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल के अंतिम स्वतंत्र नवाब को हराने के बाद 1760 में बंदरगाह का नियंत्रण प्राप्त किया। 19 वीं सदी में ब्रिटिश राज के तहत, आधुनिक चटगाँव बंदरगाह के विकास के लिए असम-बंगाल रेलवे का निर्माण किया गया। द्वितीय विश्व युद्ध में बर्मा अभियान के दौरान यह मित्र देशों की सेना के लिए एक महत्वपूर्ण आधार बना। 1947 में ब्रिटिश भारत के विभाजन के बाद, चटगाँव पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा बन गया। 1971 में बांग्लादेश मुक्ति युद्ध की शुरुआत में बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा चटगाँव से की गयी। .

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झारखण्ड

झारखण्ड यानी 'झार' या 'झाड़' जो स्थानीय रूप में वन का पर्याय है और 'खण्ड' यानी टुकड़े से मिलकर बना है। अपने नाम के अनुरुप यह मूलतः एक वन प्रदेश है जो झारखंड आंदोलन के फलस्वरूप सृजित हुआ। प्रचुर मात्रा में खनिज की उपलबध्ता के कारण इसे भारत का 'रूर' भी कहा जाता है जो जर्मनी में खनिज-प्रदेश के नाम से विख्यात है। 1930 के आसपास गठित आदिवासी महासभा ने जयपाल सिंह मुंडा की अगुआई में अलग ‘झारखंड’ का सपना देखा.

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तोप

एक तोप तोप (cannon) वह हथियार है जो किसी भारी गोले को बहुत दूर तक प्रक्षिप्त कर (छोड़) सकती है। ये प्राय: बारूद या किसी विस्फोटक के द्वारा उत्पन्न गैसीय दाब के बल से गोले को दागते हैं। आधुनिक युग में तोप का प्रयोग सामान्यत: नहीं होता है। इसके स्थान मोर्टार, होविट्जर आदि का प्रयोग किया जाता है। तोपें अपनी क्षमता, परास, चलनीयता (मोबिलिटी), दागने की गति, दागने का कोण एवं दागने की शक्ति आदि के आधार पर अनेक प्रकार की होतीं हैं। .

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द्वैध शासन

जब दो शासक एक साथ सत्ता का उपभोग करते है तो इसे द्वैध शासन (Diarchy) कहते है। प्रायः देखा गया है की शासक अपने पद को आजीवन ग्रहण किया रहता है तथा वो इसे अपने पुत्र या सगे-संबंधियो को सुपुर्द करता है। 'द्वैध शासन' का सिद्धान्त सबसे पहले लियोनेल कर्टिस नामक अंग्रेज ने प्रतिपादित किया था जो बहुत दिनों तक 'राउण्ड टेबिल' का सम्पादक रहा। बाद में यह सिद्धान्त 1919 ई. के 'भारतीय शासन विधान' में लागू किया गया, जिसके अनुसार प्रान्तों में द्वैध शासन स्थापित हुआ। उदाहरण के लिए, १७६५ में बंगाल, बिहार और ऊड़ीसा में भू-राजस्व वसूलने का अधिकार ईस्ट इंडिया कम्पनी के पास था जबकि प्रशासन बंगाल के नवाब के नाम से चलता था। अतः सत्ता के दो केन्द्र थे। .

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पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल (भारतीय बंगाल) (बंगाली: পশ্চিমবঙ্গ) भारत के पूर्वी भाग में स्थित एक राज्य है। इसके पड़ोस में नेपाल, सिक्किम, भूटान, असम, बांग्लादेश, ओडिशा, झारखंड और बिहार हैं। इसकी राजधानी कोलकाता है। इस राज्य मे 23 ज़िले है। यहां की मुख्य भाषा बांग्ला है। .

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पानीपत का तृतीय युद्ध

पानीपत का तृतीय युद्ध अहमद शाह अब्दाली और मराठों के बीच हुआ। पानीपत की तीसरी लड़ाई (95.5 किमी) उत्तर में मराठा साम्राज्य और अफगानिस्तान के अहमद शाह अब्दाली, दो भारतीय मुस्लिम राजा Rohilla अफगान दोआब और अवध के नवाब Shuja-उद-Daula (दिल्ली के सहयोगी दलों) के एक गठबंधन के साथ अहमद शाह अब्दाली के एक उत्तरी अभियान बल के बीच पर 14 जनवरी 1761, पानीपत, के बारे में 60 मील की दूरी पर हुआ। लड़ाई018 वीं सदी में सबसे बड़े, लड़ाई में से एक माना जाता है और एक ही दिन में एक क्लासिक गठन दो सेनाओं के बीच लड़ाई की रिपोर्ट में मौत की शायद सबसे बड़ी संख्या है। मुग़ल राज का अंत (१६८०-१७७०) में शुरु हो गया था, जब मुगलों के ज्यादातर भू भागों पर मराठाओं का अाधिपत्य हो गया था। गुजरात और मालवा के बाद बाजी राव ने १७३७ में दिल्ली पर मुगलों को हराकर अपने अधीन कर लिया था और दक्षिण दिल्ली के ज्यादातर भागों पर अपने मराठाओं का राज था। बाजी राव के पुत्र बाला जी बाजी राव ने बाद में पंजाब को भी जीतकर अपने अधीन करके मराठाओं की विजय पताका उत्तर भारत में फैला दी थी। पंजाब विजय ने १७५८ में अफगानिस्तान के दुर्रानी शासकों से टकराव को अनिवार्य कर दिया था। १७५९ में दुर्रानी शासक अहमद शाह अब्दाली ने कुछ पसतून कबीलो के सरदारों और भारत में अवध के नवाबों से मिलकर गंगा के दोआब क्षेत्र में मराठाओं से युद्ध के लिए सेना एकत्रित की। इसमें रोहलिआ अफगान ने भी उसकी सहायता की। पानीपत का तीसरा युद्ध इस तरह सम्मिलित इस्लामिक सेना और मराठाओं के बीच लड़ा गया। अवध के नवाब ने इसे इस्लामिक सेना का नाम दिया और बाकी मुसल्मानों को भी इस्लाम के नाम पर इकट्ठा किया। जबकि मराठा सेना ने अन्य हिन्दू राजाओं से सहायता की उम्मीद की १४ जनवरी १७६१ को हुए इस युद्ध में भूखे ही युद्ध में पहुँचे मराठाओं को सुरवती विजय के बाद हार का मुख देखना पड़ा.

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प्लासी का पहला युद्ध

प्लासी का युद्ध 23 जून 1757 को मुर्शिदाबाद के दक्षिण में २२ मील दूर नदिया जिले में गंगा नदी के किनारे 'प्लासी' नामक स्थान में हुआ था। इस युद्ध में एक ओर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना थी तो दूसरी ओर थी बंगाल के नवाब की सेना। कंपनी की सेना ने रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में नवाब सिराज़ुद्दौला को हरा दिया था। किंतु इस युद्ध को कम्पनी की जीत नही मान सकते कयोंकि युद्ध से पूर्व ही नवाब के तीन सेनानायक, उसके दरबारी, तथा राज्य के अमीर सेठ जगत सेठ आदि से कलाइव ने षडंयत्र कर लिया था। नवाब की तो पूरी सेना ने युद्ध मे भाग भी नही लिया था युद्ध के फ़ौरन बाद मीर जाफ़र के पुत्र मीरन ने नवाब की हत्या कर दी थी। युद्ध को भारत के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण माना जाता है इस युद्ध से ही भारत की दासता की कहानी शुरू होती है। .

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पूर्व मेदिनीपुर जिला

पूर्व मेदिनीपुर भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल का एक प्रशासकीय जिला है। श्रेणी:पश्चिम बंगाल के जिले.

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बांग्लादेश

बांग्लादेश गणतन्त्र (बांग्ला) ("गणप्रजातन्त्री बांग्लादेश") दक्षिण जंबूद्वीप का एक राष्ट्र है। देश की उत्तर, पूर्व और पश्चिम सीमाएँ भारत और दक्षिणपूर्व सीमा म्यान्मार देशों से मिलती है; दक्षिण में बंगाल की खाड़ी है। बांग्लादेश और भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल एक बांग्लाभाषी अंचल, बंगाल हैं, जिसका ऐतिहासिक नाम “বঙ্গ” बंग या “বাংলা” बांग्ला है। इसकी सीमारेखा उस समय निर्धारित हुई जब 1947 में भारत के विभाजन के समय इसे पूर्वी पाकिस्तान के नाम से पाकिस्तान का पूर्वी भाग घोषित किया गया। पूर्व और पश्चिम पाकिस्तान के मध्य लगभग 1600 किमी (1000 मील) की भौगोलिक दूरी थी। पाकिस्तान के दोनों भागों की जनता का धर्म (इस्लाम) एक था, पर उनके बीच जाति और भाषागत काफ़ी दूरियाँ थीं। पश्चिम पाकिस्तान की तत्कालीन सरकार के अन्याय के विरुद्ध 1971 में भारत के सहयोग से एक रक्तरंजित युद्ध के बाद स्वाधीन राष्ट्र बांग्लादेश का उदभव हुआ। स्वाधीनता के बाद बांग्लादेश के कुछ प्रारंभिक वर्ष राजनैतिक अस्थिरता से परिपूर्ण थे, देश में 13 राष्ट्रशासक बदले गए और 4 सैन्य बगावतें हुई। विश्व के सबसे जनबहुल देशों में बांग्लादेश का स्थान आठवां है। किन्तु क्षेत्रफल की दृष्टि से बांग्लादेश विश्व में 93वाँ है। फलस्वरूप बांग्लादेश विश्व की सबसे घनी आबादी वाले देशों में से एक है। मुसलमान- सघन जनसंख्या वाले देशों में बांग्लादेश का स्थान 4था है, जबकि बांग्लादेश के मुसलमानों की संख्या भारत के अल्पसंख्यक मुसलमानों की संख्या से कम है। गंगा-ब्रह्मपुत्र के मुहाने पर स्थित यह देश, प्रतिवर्ष मौसमी उत्पात का शिकार होता है और चक्रवात भी बहुत सामान्य हैं। बांग्लादेश दक्षिण एशियाई आंचलिक सहयोग संस्था, सार्क और बिम्सटेक का प्रतिष्ठित सदस्य है। यह ओआइसी और डी-8 का भी सदस्य है।.

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बिहार

बिहार भारत का एक राज्य है। बिहार की राजधानी पटना है। बिहार के उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और दक्षिण में झारखण्ड स्थित है। बिहार नाम का प्रादुर्भाव बौद्ध सन्यासियों के ठहरने के स्थान विहार शब्द से हुआ, जिसे विहार के स्थान पर इसके अपभ्रंश रूप बिहार से संबोधित किया जाता है। यह क्षेत्र गंगा नदी तथा उसकी सहायक नदियों के उपजाऊ मैदानों में बसा है। प्राचीन काल के विशाल साम्राज्यों का गढ़ रहा यह प्रदेश, वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था के सबसे पिछड़े योगदाताओं में से एक बनकर रह गया है। .

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बंगाल

बंगाल (बांग्ला: বঙ্গ बॉंगो, বাংলা बांला, বঙ্গদেশ बॉंगोदेश या বাংলাদেশ बांलादेश, संस्कृत: अंग, वंग) उत्तरपूर्वी दक्षिण एशिया में एक क्षेत्र है। आज बंगाल एक स्वाधीन राष्ट्र, बांग्लादेश (पूर्वी बंगाल) और भारतीय संघीय प्रजातन्त्र का अंगभूत राज्य पश्चिम बंगाल के बीच में सहभाजी है, यद्यपि पहले बंगाली राज्य (स्थानीय राज्य का ढंग और ब्रिटिश के समय में) के कुछ क्षेत्र अब पड़ोसी भारतीय राज्य बिहार, त्रिपुरा और उड़ीसा में है। बंगाल में बहुमत में बंगाली लोग रहते हैं। इनकी मातृभाषा बांग्ला है। .

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बंगाल के नवाब

यह सूची बंगाल के नवाबओं की है:- .

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बक्सर

बक्सर भारत के बिहार प्रान्त का शहर है। भारत के पूर्वी प्रदेश बिहार के पश्चिम भाग में गंगा नदी के तट पर स्थित एक ऐतिहासिक शहर है। यहाँ की अर्थ-व्यवस्था मुख्य रूप से खेतीबारी पर आधारित है। यह शहर मुख्यतः धर्मिक स्थल के नाम से जाना जाता है। प्राचीन काल में इसका नाम 'व्याघ्रसर' था। क्योंकि उस समय यहाँ पर बाघों का निवास हुआ करता था तथा एक बहुत बड़ा सरोवर भी था जिसके परिणामस्वरुप इस जगह का नाम व्याघ्रसर पड़ा। बक्सर पटना से लगभग ७५ मील पश्चिम और मुगलसराय से ६० मील पूर्व में पूर्वी रेलवे लाइन के किनारे स्थित है। यह एक व्यापारिक नगर भी है। यहाँ बिहार का एक प्रमुख कारागृह हैं जिसमें अपराधी लोग कपड़ा आदि बुनते और अन्य उद्योगों में लगे रहते हैं। सुप्रसिद्ध बक्सर की लड़ाई शुजाउद्दौला और कासिम अली खाँ की तथा अंग्रेज मेजर मुनरो की सेनाओं के बीच यहाँ ही १७६४ ई॰ में लड़ी गई थी जिसमें अंग्रेजों की विजय हुई। इस युद्ध में शुजाउद्दौला और कासिम अली खाँ के लगभग २,००० सैनिक डूब गए या मारे थे। कार्तिक पूर्णिमा को यहाँ बड़ा मेला लगता है, जिसमें लाखों व्यक्ति इकट्ठे होते हैं। .

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मराठा

मराठा (पुरातन रूप से मरहट्टा या मारहट्टा के रूप में लिप्यंतरित) भारत में जातियों का एक समूह मुख्य रूप से महाराष्ट्र राज्य में रहता है। एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के मुताबिक, "मराठा, भारत के इतिहास के बहादुर लोग हैं, इतिहास में प्रचलित हैं और हिंदू धर्म के विजेता हैं।" वे मुख्यतः भारतीय राज्य महाराष्ट्र में रहते हैं। ब्रिटिश राज काल के एक अप्रशिक्षित नृवंशविद वैज्ञानिक रॉबर्ट वाणे रसेल, जो वैदिक साहित्य पर बड़े पैमाने पर अपने शोध का आधार था, ने लिखा कि मराठों को 96 विभिन्न कुलों में विभाजित किया जाता है, जिसे 96 कुलि मराठों या 'शाहनु कुले', के रूप में जाना जाता है, जो की क्षत्रिय है मराठी, में शाहन्नौ का मतलब है 96। सूचियों का सामान्य निकाय अक्सर एक-दूसरे के साथ महान विचरण होता है। .

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मिर्ज़ा नजफ खां

मिर्ज़ा नजफ़ खां मिर्ज़ा नजफ़ खां (१७२२-१७८२) मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय के दरबार में एक फारसी एडवेंचरर था। इसके सफ़ावी वंश को नादिर शाह ने १७३५ में पदच्युत कर दिया था। नजफ़ खां भारत १७४० में आया था। इसकी बहन का विवाह अवध के नवाब से हुआ था। इसे अवध के उप-वज़ीर का पद भी मिला था। मिर्ज़ा १७२२ से अपनी मृत्यु पर्यन्त मुगल सेना का सिपहसालार रहा था। अप्रैल, १७८२ में इसकी मृत्यु हुई। इसके बाद इसका मकबरा नई दिल्ली के लोधी रोड के निकट कर्बला क्षेत्र में स्थित है। दक्षिण-पश्चिमी दिल्ली में स्थित नजफगढ़ का नाम नजफ़ खां के नाम पर ही पड़ा है। इलाहाबाद के फौजदार मोहम्मद कुली खाँ का मामा। मोहम्मद कुली के समय में (1753-59) नजफ़ खाँ इलाहाबाद के किले का रक्षक था। .

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मुग़ल शासकों की सूची

मुग़ल सम्राटों की सूची कुछ इस प्रकार है।.

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मुग़ल साम्राज्य

मुग़ल साम्राज्य (फ़ारसी:, मुग़ल सलतनत-ए-हिंद; तुर्की: बाबर इम्परातोरलुग़ु), एक इस्लामी तुर्की-मंगोल साम्राज्य था जो 1526 में शुरू हुआ, जिसने 17 वीं शताब्दी के आखिर में और 18 वीं शताब्दी की शुरुआत तक भारतीय उपमहाद्वीप में शासन किया और 19 वीं शताब्दी के मध्य में समाप्त हुआ। मुग़ल सम्राट तुर्क-मंगोल पीढ़ी के तैमूरवंशी थे और इन्होंने अति परिष्कृत मिश्रित हिन्द-फारसी संस्कृति को विकसित किया। 1700 के आसपास, अपनी शक्ति की ऊँचाई पर, इसने भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश भाग को नियंत्रित किया - इसका विस्तार पूर्व में वर्तमान बंगलादेश से पश्चिम में बलूचिस्तान तक और उत्तर में कश्मीर से दक्षिण में कावेरी घाटी तक था। उस समय 40 लाख किमी² (15 लाख मील²) के क्षेत्र पर फैले इस साम्राज्य की जनसंख्या का अनुमान 11 और 13 करोड़ के बीच लगाया गया था। 1725 के बाद इसकी शक्ति में तेज़ी से गिरावट आई। उत्तराधिकार के कलह, कृषि संकट की वजह से स्थानीय विद्रोह, धार्मिक असहिष्णुता का उत्कर्ष और ब्रिटिश उपनिवेशवाद से कमजोर हुए साम्राज्य का अंतिम सम्राट बहादुर ज़फ़र शाह था, जिसका शासन दिल्ली शहर तक सीमित रह गया था। अंग्रेजों ने उसे कैद में रखा और 1857 के भारतीय विद्रोह के बाद ब्रिटिश द्वारा म्यानमार निर्वासित कर दिया। 1556 में, जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर, जो महान अकबर के नाम से प्रसिद्ध हुआ, के पदग्रहण के साथ इस साम्राज्य का उत्कृष्ट काल शुरू हुआ और सम्राट औरंगज़ेब के निधन के साथ समाप्त हुआ, हालाँकि यह साम्राज्य और 150 साल तक चला। इस समय के दौरान, विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने में एक उच्च केंद्रीकृत प्रशासन निर्मित किया गया था। मुग़लों के सभी महत्वपूर्ण स्मारक, उनके ज्यादातर दृश्य विरासत, इस अवधि के हैं। .

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मुंगेर

मुंगेर भारत गणराज्य के बिहार प्रान्त में स्थित एक शहर एवं जिला है। .

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मीर जाफ़र

मीर जाफ़र १७५७ से १७६० तक बंगाल का नवाब था। शुरु में वह सिराजुद्दौला का सेनापति था। वह ऐसा आदमी था जो दिन रात एक ही सपना देखता था की वो कब बंगाल का नवाब बनेगा। वह प्लासी के युद्ध में रोबर्ट क्लाइव के साथ मिल गया क्योंकि रोबर्ट क्लाइव ने मीर जाफ़र को बंगाल का नवाब बनाने का लालच दे दिया था। इस घटना को भारत में ब्रिटिश राज की स्थापना की शुरुआत माना जाता है और आगे चलकर मीर जाफ़र का नाम भारतीय उपमहाद्वीप में 'देशद्रोही' व 'ग़द्दार' का पर्रयायवाची बन गया। .

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मीर कासिम

श्रेणी:बंगाल का इतिहास श्रेणी:बंगाल.

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राजा बलवंत सिंह

श्री बलवंत सिंह सन १७४० से १७७० तक काशी राज्य के नरेश रहे। मनसाराम ने भवनों के क्षीण होते साम्राज्य के अन्तिम काल में जान-माल लूट लेने वाले क्रूर दस्युओं से अपनी राजनीतिक सूझबूझ एवं रण-कौशल द्वारा प्रजा की सुरक्षा की और इन अराजक तत्वों की गतिविधियों पर पूर्ण अंकुश लगाकर छिन्न-भिन्न शासन को सुदृढ़ करते हुए नवी राजवंश की स्थापना का श्रेय प्राप्त किया। मनसाराम की नन्दकुमारी नायक पत्नी से बलवन्त मिंह (बरिबन्ड सिंह) का जन्म हुआ, जिन्होंने अपनी शूरवीरता से जीते हुए भूखण्डों का पिता से भी अधिक विस्तार करते हुए गंगापुर से हटकर रामनगर को अपनी राजधानी बनाया और मन् १७४० ई. के आस-पास एक विशआल दुर्ग का निर्माण कराया। दुर्ग में पश्चिम ओर शिव मंदिर का निर्माण करा कर उसमें शिव लिंग की स्थापना की और सुयोग्य सन्तान होने की प्रतिष्ठा प्राप्त की। इस मंदिर के द्वार पर अंकित श्लोकों से महाराज की वंश परम्परा तथआ शासन क्षेत्र का संकेत मिलता है। काशी नरेश पुस्तकालय में उपलब्ध उर्दू ग्रन्थ, 'बलवन्त नामा' से राजा बलवन्त सिंह का जीवन-परिचय एवं शासनकाल का विस्तृत विवरण प्राप्त होता है। आपके दरबार के फलित ज्योतिष के प्रकाण्ड विद्वान पं॰ परमानन्द पाठक ने रामनगर दुर्ग के मुहूर्त-शोधन का कार्य सम्पन्न कराया था। फलित ज्योतिष के उत्कृष्ट ग्रन्थ 'प्रथ्नमाणिक्य-माला' के रचयिता पं॰ परमानन्द पाठक ही थे। महाराजा बलवन्त सिंह शौर्य सम्पन्न शासक के साथ-साथ धर्मनिष्ठ, संस्कृत्यनुरागी राजपुरुष थे। आपकी गुण-ग्राहकता से राज दरबार में सरस्वती, पुत्रों के पूर्ण आदर एवं सम्मान प्राप्त था, जिससे पं॰ परमानन्द पाठक एवं अनेक कवि तथा विद्वानों में सुप्रसिद्ध कवि रघुनाथ इत्यादि आपके दरबार में सुप्रसिद्ध कवि रघुनाथ इत्यादि आपके दरबार की शोभा बढ़ाते थे, जिनके द्वारा रचित 'काव्यकलाधर', 'रसिक मोहन', 'इश्क महोत्सव' आदि कृतियों की ठा.

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शाह आलम

शाह आलम दक्षिणपूर्व एशिया के मलेशिया देश के सेलांगोर राज्य की राजधानी है। यह मलेशिया के सबसे बड़े शहर कुआला लम्पुर से २५ किमी पश्चिम में स्थित है। जब सन् १९७४ में कुआला लम्पुर को सेलांगोर राज्य से अलग कर के एक संघीय क्षेत्र घोषित कर दिया गया तो शाह आलम को राज्य की राजधानी बना दिया गया। शाह आलम मलेशिया का पहला योजना के तहत विकसित किया गया शहर था और इसका निर्माण १९५७ में मलेशिया की ब्रिटेन से स्वतंत्रता के बाद हुआ। .

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शाह आलम द्वितीय

The Mughal Emperor Shah Alam II, negotiates territorial changes with a member of the British East India Company शाह आलम द्वितीय (१७२८-१८०६), जिसे अली गौहर भी कहा गया है, भारत का मुगल सम्राट रहा। इसे गद्दी अपने पिता, आलमगीर द्वितीय से १७६१ में मिली। १४ सितंबर १८०३ को इसका राज्य ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन आ गया और ये मात्र कठपुतली बनकर रह गया। १८०५ में इसकी मृत्यु हुई। इसकी कब्र १३ शताब्दी के संत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की महरौली में दरगाह के निकट एक संगमर्मर के परिसर में बहादुर शाह प्रथम (जिसे शाह आलम प्रथम भी कहा जाता है) एवं अकबर द्वितीय के साथ बनी है। .

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शुजाउद्दौला

शुजाउद्दौला (१९ जनवरी१७३२, दारा शिकोह के महल में, दिल्ली – १७७५) अवध के नवाब थे। उन्हें वज़ीर उल ममालिक ए हिंदुस्तान, शुजा उद् दौला, नवाब मिर्ज़ा जलाल उद् दीन हैदर खान बहादुर, अवध के नवाब वज़ीर आदि नामों से भी जाना जाता था। अवध का साम्राज्य उस समय औरंगज़ेब की मौत की वजह से मुग़ल साम्राज्य के पतन के बाद एक छोटी रियासत बन गया था। एक छोटे शासक होने के बावजूद वे भारत के इतिहास के दो प्रमुख युद्धों में भाग लेने के लिए जाने जाते हैं - पानीपत की तीसरी लड़ाई, जिसने भारत में मराठों का वर्चस्व समाप्त किया और बक्सर की लड़ाई, जिसने अंग्रेज़ों की हुकूमत स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई। .

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सिराजुद्दौला

मिर्ज़ा मुहम्मद सिराज उद-दावला, (फारसी:مرزا محمد سراج الدولہ,बांग्ला: নবাব সিরাজদৌল্লা) प्रचलित नाम सिराज-उद्दौला (१७३३-२ जुलाई,१७५७) बंगाल, बिहार और उड़ीसा का संयुक्त नवाब था। उसके शासन का अंत ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन का आरंभ माना जाता है। अंग्रेज़ उसे हिन्दुस्तानी सही ना बोल पाने के कारण सर रोजर डॉवलेट कहते थे। .

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ईस्ट इण्डिया कम्पनी

लन्दन स्थित ईस्ट इण्डिया कम्पनी का मुख्यालय (थॉमस माल्टन द्वारा चित्रित, १८०० ई) ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना ३१ दिसम्बर १६०० ईस्वी में हुई थी। इसे यदाकदा जॉन कंपनी के नाम से भी जाना जाता था। इसे ब्रिटेन की महारानी ने भारत के साथ व्यापार करने के लिये २१ सालो तक की छूट दे दी। बाद में कम्पनी ने भारत के लगभग सभी क्षेत्रों पर अपना सैनिक तथा प्रशासनिक अधिपत्य जमा लिया। १८५८ में इसका विलय हो गया। .

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वाराणसी

वाराणसी (अंग्रेज़ी: Vārāṇasī) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का प्रसिद्ध नगर है। इसे 'बनारस' और 'काशी' भी कहते हैं। इसे हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र नगरों में से एक माना जाता है और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी इसे पवित्र माना जाता है। यह संसार के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक और भारत का प्राचीनतम बसा शहर है। काशी नरेश (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था। वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़ और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका भोजपुरी बोलते हैं, जो हिन्दी की ही एक बोली है। वाराणसी को प्रायः 'मंदिरों का शहर', 'भारत की धार्मिक राजधानी', 'भगवान शिव की नगरी', 'दीपों का शहर', 'ज्ञान नगरी' आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है। प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।" .

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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस (ओयूपी) दुनिया की सबसे बड़ी विश्वविद्यालय प्रेस है। यह ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय का एक विभाग है और इसका संचालन उपकुलपति द्वारा नियुक्त 15 शिक्षाविदों के एक समूह द्वारा किया जाता है जिन्हें प्रेस प्रतिनिधि के नाम से जाना जाता है। उनका नेतृत्व प्रतिनिधियों के सचिव द्वारा किया जाता है जो ओयूपी के मुख्य कार्यकारी और अन्य विश्वविद्यालय निकायों के प्रमुख प्रतिनिधि की भूमिका निभाता है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय सत्रहवीं सदी के बाद से प्रेस की देखरेख के लिए इसी तरह की प्रणाली का इस्तेमाल करता आ रहा है। विश्वविद्यालय ने 1480 के आसपास मुद्रण व्यापार में कदम रखा और बाइबल, प्रार्थना पुस्तकों और अध्ययनशील रचनाओं का प्रमुख मुद्रक बन गया। इसकी प्रेस द्वारा शुरु की गयी एक परियोजना उन्नीसवीं सदी के अंतिम दौर में ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी बन गई और बढ़ती लागतों से निपटने के लिए इसने अपना विस्तार जारी रखा। नतीजतन अपने शैक्षणिक और धार्मिक शीर्षकों से मेल स्थापित करने के लिए ऑक्सफोर्ड ने पिछले सौ सालों में बच्चों की पुस्तकों, स्कूल की पाठ्य पुस्तकों, संगीत, पत्रिकाओं, वर्ल्ड्स क्लासिक्स सीरीज और सबसे ज्यादा बिकने वाली अंग्रेजी भाषा शिक्षण पाठ्य पुस्तकों का प्रकाशन किया है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कदम रखने के फलस्वरूप 1896 में न्यूयॉर्क से शुरुआत करने वाली इस प्रेस ने यूनाइटेड किंगडम के बाहर भी अपना कार्यालय खोलना शुरू कर दिया। कंप्यूटर प्रौद्योगिकी के आगमन और उत्तरोत्तर बढ़ती व्यापारिक दशाओं की वजह से 1989 में ऑक्सफोर्ड में स्थित प्रेस के छापेखाने को बंद कर दिया गया और वोल्वरकोट में स्थित उसकी पूर्व कागज़ की मिल को 2004 में ध्वस्त कर दिया गया। अपनी छपाई और जिल्दसाजी कार्य का ठेका देकर आधुनिक प्रेस हर साल दुनिया भर में लगभग 6000 नए शीर्षकों का प्रकाशन करता है और दुनिया भर में इसके कर्मचारियों की संख्या लगभग 4000 है। एक धर्मार्थ संगठन के हिस्से के रूप में ओयूपी अपने मूल विश्वविद्यालय को अधिक से अधिक वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए और इसके अलावा अपनी प्रकाशन गतिविधियों के माध्यम से छात्रवृत्ति, अनुसन्धान और शिक्षा में बेहतरीन प्रदर्शन करने में विश्वविद्यालय के लक्ष्यों को पूरा करने में उसकी सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध है। ओयूपी को सबसे पहले 1972 में यूएस कॉर्पोरेशन टैक्स से और उसके बाद 1978 में यूके कॉर्पोरेशन टैक्स से मुक्त किया गया। एक धर्मार्थ संगठन का एक विभाग होने के नाते ओयूपी को अधिकांश देशों में आयकर और निगम कर से मुक्त कर दिया गया है लेकिन इसे अपने उत्पादों पर बिक्री और अन्य वाणिज्यिक करों का भुगतान करना पड़ता है। प्रति वर्ष कम से कम 12 मिलियन पाउंड का हस्तांतरण करने की वचनबद्धता के साथ यह प्रेस वर्तमान में विश्वविद्यालय के शेष हिस्सों को अपने वार्षिक अधिशेष का 30% हस्तांतरित करता है। प्रकाशन की संख्या की दृष्टि से ओयूपी दुनिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय प्रेस है जो हर साल 4500 से अधिक नई पुस्तकों का प्रकाशन करता है और जहां लगभग 4000 लोग काम करते हैं। ओयूपी ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी, कंसाइस ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी, ऑक्सफोर्ड वर्ल्ड्स क्लासिक्स, ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ऑफ नेशनल बायोग्राफी और कंसाइस डिक्शनरी ऑफ नेशनल बायोग्राफी सहित कई सन्दर्भ, पेशेवर और शैक्षणिक रचनाओं का प्रकाशन करता है। इसके कई सबसे महत्वपूर्ण शीर्षक अब "ऑक्सफोर्ड रेफरेंस ऑनलाइन" नामक एक पैकेज के रूप में इंटरनेट पर उपलब्ध है और इन्हें यूके की कई सार्वजनिक पुस्तकालयों के पाठक कार्ड धारकों को मुफ्त में प्रदान किया जाता है। ऑक्सफोर्ड द्वारा प्रकाशित पुस्तकों में अंतर्राष्ट्रीय मानक पुस्तक संख्या होती है जो 0-19 से शुरू होती है जो प्रेस को आईएसबीएन सिस्टम में दो-अंकीय पहचान संख्या वाले कई छोटे-छोटे प्रकाशकों में से एक बनाती है। आतंरिक समझौते द्वारा व्यक्तिगत संस्करण संख्या का पहला अंक (0-19- के बाद) एक विशेष प्रभाग का संकेत दे सकता है, उदाहरण के लिए: संगीत के लिए 3 (आईएसएमएन को परिभाषित करने से पहले); न्यूयॉर्क कार्यालय के लिए 5; क्लेयरेंडन प्रेस प्रकाशनों के लिए 8.

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ओडिशा

ओड़िशा, (ओड़िआ: ଓଡ଼ିଶା) जिसे पहले उड़ीसा के नाम से जाना जाता था, भारत के पूर्वी तट पर स्थित एक राज्य है। ओड़िशा उत्तर में झारखंड, उत्तर पूर्व में पश्चिम बंगाल दक्षिण में आंध्र प्रदेश और पश्चिम में छत्तीसगढ से घिरा है तथा पूर्व में बंगाल की खाड़ी है। यह उसी प्राचीन राष्ट्र कलिंग का आधुनिक नाम है जिसपर 261 ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट अशोक ने आक्रमण किया था और युद्ध में हुये भयानक रक्तपात से व्यथित हो अंतत: बौद्ध धर्म अंगीकार किया था। आधुनिक ओड़िशा राज्य की स्थापना 1 अप्रैल 1936 को कटक के कनिका पैलेस में भारत के एक राज्य के रूप में हुई थी और इस नये राज्य के अधिकांश नागरिक ओड़िआ भाषी थे। राज्य में 1 अप्रैल को उत्कल दिवस (ओड़िशा दिवस) के रूप में मनाया जाता है। क्षेत्रफल के अनुसार ओड़िशा भारत का नौवां और जनसंख्या के हिसाब से ग्यारहवां सबसे बड़ा राज्य है। ओड़िआ भाषा राज्य की अधिकारिक और सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। भाषाई सर्वेक्षण के अनुसार ओड़िशा की 93.33% जनसंख्या ओड़िआ भाषी है। पाराद्वीप को छोड़कर राज्य की अपेक्षाकृत सपाट तटरेखा (लगभग 480 किमी लंबी) के कारण अच्छे बंदरगाहों का अभाव है। संकीर्ण और अपेक्षाकृत समतल तटीय पट्टी जिसमें महानदी का डेल्टा क्षेत्र शामिल है, राज्य की अधिकांश जनसंख्या का घर है। भौगोलिक लिहाज से इसके उत्तर में छोटानागपुर का पठार है जो अपेक्षाकृत कम उपजाऊ है लेकिन दक्षिण में महानदी, ब्राह्मणी, सालंदी और बैतरणी नदियों का उपजाऊ मैदान है। यह पूरा क्षेत्र मुख्य रूप से चावल उत्पादक क्षेत्र है। राज्य के आंतरिक भाग और कम आबादी वाले पहाड़ी क्षेत्र हैं। 1672 मीटर ऊँचा देवमाली, राज्य का सबसे ऊँचा स्थान है। ओड़िशा में तीव्र चक्रवात आते रहते हैं और सबसे तीव्र चक्रवात उष्णकटिबंधीय चक्रवात 05बी, 1 अक्टूबर 1999 को आया था, जिसके कारण जानमाल का गंभीर नुकसान हुआ और लगभग 10000 लोग मृत्यु का शिकार बन गये। ओड़िशा के संबलपुर के पास स्थित हीराकुंड बांध विश्व का सबसे लंबा मिट्टी का बांध है। ओड़िशा में कई लोकप्रिय पर्यटक स्थल स्थित हैं जिनमें, पुरी, कोणार्क और भुवनेश्वर सबसे प्रमुख हैं और जिन्हें पूर्वी भारत का सुनहरा त्रिकोण पुकारा जाता है। पुरी के जगन्नाथ मंदिर जिसकी रथयात्रा विश्व प्रसिद्ध है और कोणार्क के सूर्य मंदिर को देखने प्रतिवर्ष लाखों पर्यटक आते हैं। ब्रह्मपुर के पास जौगदा में स्थित अशोक का प्रसिद्ध शिलालेख और कटक का बारबाटी किला भारत के पुरातात्विक इतिहास में महत्वपूर्ण हैं। .

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इलाहाबाद

इलाहाबाद उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित एक नगर एवं इलाहाबाद जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। इसका प्राचीन नाम प्रयाग है। इसे 'तीर्थराज' (तीर्थों का राजा) भी कहते हैं। इलाहाबाद भारत का दूसरा प्राचीनतम बसा नगर है। हिन्दू मान्यता अनुसार, यहां सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद प्रथम यज्ञ किया था। इसी प्रथम यज्ञ के प्र और याग अर्थात यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना और उस स्थान का नाम प्रयाग पड़ा जहाँ भगवान श्री ब्रम्हा जी ने सृष्टि का सबसे पहला यज्ञ सम्पन्न किया था। इस पावन नगरी के अधिष्ठाता भगवान श्री विष्णु स्वयं हैं और वे यहाँ माधव रूप में विराजमान हैं। भगवान के यहाँ बारह स्वरूप विध्यमान हैं। जिन्हें द्वादश माधव कहा जाता है। सबसे बड़े हिन्दू सम्मेलन महाकुंभ की चार स्थलियों में से एक है, शेष तीन हरिद्वार, उज्जैन एवं नासिक हैं। हिन्दू धर्मग्रन्थों में वर्णित प्रयाग स्थल पवित्रतम नदी गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है। यहीं सरस्वती नदी गुप्त रूप से संगम में मिलती है, अतः ये त्रिवेणी संगम कहलाता है, जहां प्रत्येक बारह वर्ष में कुंभ मेला लगता है। इलाहाबाद में कई महत्त्वपूर्ण राज्य सरकार के कार्यालय स्थित हैं, जैसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय, प्रधान महालेखाधिकारी (एजी ऑफ़िस), उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग (पी.एस.सी), राज्य पुलिस मुख्यालय, उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय एवं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्यालय। भारत सरकार द्वारा इलाहाबाद को जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण योजना के लिये मिशन शहर के रूप में चुना गया है। .

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अहमद शाह अब्दाली

अहमद शाह अब्दाली अहमद शाह अब्दाली, जिसे अहमद शाह दुर्रानी भी कहा जाता है, सन 1748 में नादिरशाह की मौत के बाद अफ़ग़ानिस्तान का शासक और दुर्रानी साम्राज्य का संस्थापक बना। उसने भारत पर सन 1748 से सन 1758 तक कई बार चढ़ाई की। उसने अपना सबसे बड़ा हमला सन 1757 में जनवरी माह में दिल्ली पर किया। अहमदशाह एक माह तक दिल्ली में ठहर कर लूटमार करता रहा। वहाँ की लूट में उसे करोड़ों की संपदा हाथ लगी थी।, Library of Congress Country Studies on Afghanistan, 1997, Accessed 2010-08-25 .

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अवध

अवध अवध वर्तमान उत्तर प्रदेश के एक भाग का नाम है जो प्राचीन काल में कोशल कहलाता था। इसकी राजधानी अयोध्या थी। अवध शब्द अयोध्या से ही निकला है। अवध की राजधानी प्रांरभ में फैजाबाद थी किंतु बाद को लखनऊ उठ आई थी। अवध पर नवाबों का आधिपत्य था जो प्राय: स्वतंत्र थे, क्योंकि अवध के नवाब शिया मुसलमान थे अत: अवध में इसलाम के इस संप्रदाय को विशेष संरक्षण मिला। लखनऊ उर्दू कविता का भी प्रसिद्ध केंद्र रहा। दिल्ली केंद्र के नष्ट होने पर बहुत से दिल्ली के भी प्रसिद्ध उर्दू कवि लखनऊ वापस चले आए थे। अवध की पारम्परिक राजधानी लखनऊ है। भौगोलिक रूप से अवध की आधुनिक परिभाषा - लखनऊ, सुल्तानपुर, रायबरेली, उन्नाव, कानपुर, भदोही, इलाहाबाद, बाराबंकी, फैजाबाद, प्रतापगढ़, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा, हरदोई, लखीमपुर खीरी, कौशाम्बी, सीतापुर, श्रावस्ती, बस्ती, सिद्धार्थ नगर, खलीलाबाद, उन्नाव, फतेहपुर, कानपुर, (जौनपुर, और मिर्जापुर के पश्चिमी हिस्सों), कन्नौज, पीलीभीत, शाहजहांपुर से बनती है। .

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अवध के नवाब

भारत के अवध के १८वीं तथा १९वीं सदी में शासकों को अवध के नवाब कहते हैं। अवध के नवाब, इरान के निशापुर के कारागोयुन्लु वंश के थे। नवाब सआदत खान प्रथम नवाब थे। .

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अक्टूबर

अक्टूबर ग्रेगोरी कैलंडर और जूलियन कैलेंडर का दसवाँ महीना है। और यह उन सात महीनों में से एक है जिनके दिनों की संख्या ३१ होती है। श्रेणी:चित्र जोड़ें .

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१७६०

1760 ग्रेगोरी कैलंडर का एक अधिवर्ष है। .

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१७६४

1764 ग्रेगोरी कैलंडर का एक अधिवर्ष है। .

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२३ अक्टूबर

23 अक्टूबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 296वॉ (लीप वर्ष में 297 वॉ) दिन है। साल में अभी और 69 दिन बाकी है। .

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२७ सितम्बर

27 सितंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 270वॉ (लीप वर्ष मे 271 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 95 दिन बाकी है। .

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