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प्रेमचंद पुरस्कार

सूची प्रेमचंद पुरस्कार

प्रेमचंद पुरस्कार महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी की ओर से साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले साहित्यकार को दिया जाता है। पुरस्कार में २५,०००, रुपये नकद, स्मृति चिह्न, शॉल और श्रीफल प्रदान किए जाते हैं। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा भी एक साहित्य पुरस्कार "प्रेमचंद स्‍मृति पुरस्कार" नाम से प्रदान किया जाता है। श्रेणी:साहित्य पुरस्कार.

2 संबंधों: महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ

महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी

महाराष्ट्र में 'हिन्दी अकादमी' स्थापित होनी चाहिए, इसकी प्रेरणा स्व॰ हरिशंकरजी को सर्वप्रथम हुई। उन्होंने नंदकिशोर नौटियाल, महावीर अधिकारी, गिरिजाशंकर त्रिवेदी तथा अन्य हिन्दी सेवियों से संपर्क किया और दो-तीन बार तत्कालीन मुख्य मंत्री स्व॰ वसंतराव दादा पाटिल से चर्चा हुई। दादा ने कुछ करने का आश्वासन दिया, परंतु दुर्भाग्य से महीने भर बाद ही उनकी सरकार गिर गई। मुख्य मंत्री बाबा साहेब भोसले से सदन में सवाल पूछा गया और सदन में र॰ सू॰ गवई, कविवर महानोर आदि के साथ राममनोहर त्रिपाठी को मुख्यमंत्री को आखिर यह आश्वासन देना पड़ा कि अगले सत्र के पहले तक अकादमी घोषित की जाएगी। परिणामस्वरूप हिन्दी अकादमी अस्तित्व में आ गयी पर सालभर यह अकादमी यों ही कागज़ों, अखबारों में चलती रही। फिर विधान परिषद के सदन में त्रिपाठीजी ने यह मसला नये सिरे से उठाया। इसी बीच नागपुर में हिन्दी-सेवी विट्ठल चौधरी के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ। बम्बई के 'नवभारत टाइम्स', 'हिन्दी ब्लिट्ज़' और नागपुर के 'नवभारत' ने भी हिन्दी अकादमी के पक्ष में लिखा। अंततः एक लंबी लड़ाई के बाद हिन्दी अकादमी बनी, मगर अड़चनें दूर नहीं हुईं। अभी भी काफी अड़चने हैं। मराठीभाषी हिन्दी-साधकों ने हिन्दी के विकास के लिए जो साधना की है, वह अफसरों, नेताओं और बाबुओं को मालूम नहीं, इसीलिए अड़चनें हैं। फिर भी महाराष्ट्र एक ऐसा प्रदेश है, जहाँ मराठी और हिन्दी के अलावा उर्दू, गुजराती और सिंधी भाषा की शासकीय अकादमियाँ बनायी गई। महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी की स्थापना 1982 में तत्कालीन विधायक तथा हिन्दी साहित्यकार-पत्रकार डॉ॰ राममनोहर त्रिपाठी की अध्यक्षता में हुई, किंतु आवश्यक अनुदान, कर्मचारी और कार्यालय के अभाव में कोई काम नहीं हो सका और त्रिपाठीजी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। पुनः 1986 में प्रा॰ राम मेघे की अध्यक्षता में, जो महाराष्ट्र में शिक्षा मंत्री थे, अकादमी का पुर्नगठन हुआ। 'महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी' का आधारभूत उद्देश्य है हिन्दी के मंच से राष्ट्रीय एकता के लिए काम करना। इस उद्देश्य को दृष्टि में रखकर 'हिन्दी अकादमी' हिन्दी भाषा एवं साहित्य की प्रोन्नति के लिए केन्द्र तथा राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित योजनाओं का यथारूप राज्य में कार्यान्वन करती है। प्रारंभ के वर्षों में हिन्दी अकादमी का वार्षिक बजट केवल डेढ़ लाख रुपये था। उसके बाद के वर्षों में 5 लाख रु वार्षिक हुआ और 1990 के वर्षों में आकर यह राशि वार्षिक 11 लाख रु.

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उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ का भवन उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिये कार्यरत प्रमुख संस्था है। यह उत्तर प्रदेश शासन के भाषा विभाग के अधीन है। अन्य कार्यक्रमों के अलावा हिन्दी के प्रचार प्रसार हेतु विभिन्न क्षेत्रों में योगदान के लिये साहित्यकारों को यह कई पुरस्कार भी प्रदान करती है। प्रदेश का मुख्य मन्त्री इसका पदेन अध्यक्ष होता है। वही कार्यकारी अध्यक्ष व निदेशक की नियुक्ति करता है। .

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