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प्रवर्धक

सूची प्रवर्धक

एक सामान्य प्रवर्धक बक्सा जिसमें इनपुट और आउटपुट के लिए बाहर पिन दिए होते हैं। प्रवर्धक और रिपीटर जो संकेत की शक्ति को बढ़ाकर उन्हें 'उपयोग के लायक' बनाते हैं। प्रवर्धक या एम्प्लिफायर (amplifier) ऐसी युक्ति है जो किसी विद्युत संकेत का मान (अम्प्लीच्यूड) बदल दे (प्रायः संकेत का मान बड़ा करने की आवश्यकता अधिक पड़ती है।) विद्युत संकेत विभवान्तर (वोल्टेज) या धारा (करेंट) के रूप में हो सकते है। आजकल सामान्य प्रचलन में प्रवर्धक से आशय किसी 'इलेक्ट्रॉनिक प्रवर्धक' से ही होता है। .

20 संबंधों: ऊष्मा, चुम्बकीय प्रवर्धक, धारा, प्रवर्धक, पृथक्कारी प्रवर्धक, भेद प्रवर्धक, माइक्रोफोन, रिले, रव, रेडियो शक्ति प्रवर्धक, रेडियो आवृत्ति, लब्धि, शक्ति प्रवर्धक, श्रव्य प्रवर्धक, ह्रासक प्रतिपुष्टि प्रवर्धक, विद्युत संकेत, विभवांतर, आपरेशनल एम्प्लिफायर, आवृत्ति, इंस्ट्रुमेंटेशन एम्प्लिफायर

ऊष्मा

इस उपशाखा में ऊष्मा ताप और उनके प्रभाव का वर्णन किया जाता है। प्राय: सभी द्रव्यों का आयतन तापवृद्धि से बढ़ जाता है। इसी गुण का उपयोग करते हुए तापमापी बनाए जाते हैं। ऊष्मा या ऊष्मीय ऊर्जा ऊर्जा का एक रूप है जो ताप के कारण होता है। ऊर्जा के अन्य रूपों की तरह ऊष्मा का भी प्रवाह होता है। किसी पदार्थ के गर्म या ठंढे होने के कारण उसमें जो ऊर्जा होती है उसे उसकी ऊष्मीय ऊर्जा कहते हैं। अन्य ऊर्जा की तरह इसका मात्रक भी जूल (Joule) होता है पर इसे कैलोरी (Calorie) में भी व्यक्त करते हैं। .

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चुम्बकीय प्रवर्धक

चुम्बकीय प्रवर्धक के कार्य का सिद्धान्त; I2 डीसी धारा है जिसे बढ़ा-घटाकर प्रेरक का प्रेरकत्व घटाया-बढ़ाया जाता है। लार्स लन्ढाल नामक स्विस इंजीनियर द्वारा डिजाइन किया गया एक चुम्बकीय श्रव्य प्रवर्धक चुम्बकीय प्रवर्धक (magnetic amplifier या "mag amp") एक विद्युतचुम्बकीय युक्ति है जिसके द्वारा विद्युत संकेतों को प्रवर्धित किया जाता है। इसका विकास २०वीं शताब्दी के आरम्भिक दिनों में हुआ था। यह निर्वात नलिका प्रवर्धकों का एक विकल्प हुआ करता था। इसकी मजबूती तथा अधिक विद्युत धारा प्रदान करने की क्षमता इसकी विशेषता थी। द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी ने इसकी डिजाइन को उँचाई प्रदान की और इसका उपयोग V-2 रॉकेट में किया। शक्ति के नियन्त्रण के लिए १९४७ से १९५७ तक इसका खूब प्रयोग किया गया, किन्तु उसके बाद ट्रांजिस्टर के आ जाने से इसका उपयोग क्षीण होता गया। आज इसका उपयोग नहीं के बराबर होता है। आज भी कहीं-कहीं चुम्बकीय प्रवर्धक तथा ट्रांजिस्टर मिलाकर काम में लिए जाते हैं। देखने पर चुम्बकीय प्रवर्धक, ट्रान्सफॉर्मर जैसा ही दिखता है किन्तु इसके कार्य का सिद्धान्त बिल्कुल अलग है। वास्तव में, चुम्बकीय प्रवर्धक, एक संतृप्त्य प्रेरक (saturable reactor) है। .

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धारा

धारा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के एटा जिले के अलीगंज प्रखण्ड का एक गाँव है। धारा एक मध्यम आकार का गांव है जो उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले में स्थित है, जिसमें कुल ३१५ परिवार रहते हैं। धरारा गांव की आबादी १८६० है, जिसमें ९६५ पुरुष हैं जबकि ८९५ जनसंख्या जनगणना २०११ के अनुसार महिलाएं हैं। धरारा गांव में ०-६ साल के बच्चों की जनसंख्या ३५० है जो गांव की कुल आबादी का १८।८२ प्रतिशत है। धारा गांव का औसत लिंग अनुपात ९२७ है जो उत्तर प्रदेश राज्य की औसत ९१२ से अधिक है। जनगणना के अनुसार धारा के लिए बाल लिंग अनुपात ७२४ है, उत्तर प्रदेश की औसत ९०२ से कम है। धरारा गांव में उत्तर प्रदेश की तुलना में कम साक्षरता दर है। २०११ में, उत्तर प्रदेश के ६७।६८ प्रतिशत की तुलना में धारा गांव की साक्षरता दर ६५।५० प्रतिशत थी। धारा पुरुष साक्षरता में ७७।९५ प्रतिशत है जबकि महिला साक्षरता दर ५२।८१ प्रतिशत है। भारत और पंचायत राज अधिनियम के संविधान के अनुसार, धरा गांव को सरपंच (ग्राम प्रमुख) द्वारा प्रशासित किया जाता है, जो गांव के प्रतिनिधि चुने जाते हैं। .

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प्रवर्धक

एक सामान्य प्रवर्धक बक्सा जिसमें इनपुट और आउटपुट के लिए बाहर पिन दिए होते हैं। प्रवर्धक और रिपीटर जो संकेत की शक्ति को बढ़ाकर उन्हें 'उपयोग के लायक' बनाते हैं। प्रवर्धक या एम्प्लिफायर (amplifier) ऐसी युक्ति है जो किसी विद्युत संकेत का मान (अम्प्लीच्यूड) बदल दे (प्रायः संकेत का मान बड़ा करने की आवश्यकता अधिक पड़ती है।) विद्युत संकेत विभवान्तर (वोल्टेज) या धारा (करेंट) के रूप में हो सकते है। आजकल सामान्य प्रचलन में प्रवर्धक से आशय किसी 'इलेक्ट्रॉनिक प्रवर्धक' से ही होता है। .

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पृथक्कारी प्रवर्धक

पृथक्कारी प्रवर्धक का प्रतीक ट्रान्सफॉर्मर के माध्यम से पृथक्करण प्रदान करने वाले पृथक्कारी प्रवर्धक का सिद्धान्त प्रकाशिक कपुलिंग के द्वारा पृथक्करण प्रदान करने वाले पृथक्कारी प्रवर्धक का सिद्धान्त पृथक्कारी प्रवर्धक (Isolation amplifiers) वे प्रवर्धक हैं जिनके इन्पुट और आउटपुट के बीच उच्च प्रतिरोध (या प्रतिबाधा) होती है तथा इनपुट और आउटपुट के बीच हजारों वोल्ट (एसी या डीसी) होने के वावजूद ये अपना काम करते हैं। दूसरे शब्दों में, इनके इन्पुट और आउटपुट के बीच कोई सीधा विद्युत चालक मार्ग नहीं होता। पृथक्कारी प्रवर्धक डिजाइन करने के लिये तीन विधियाँ प्रयोग में लायीं जातीं हैं-.

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भेद प्रवर्धक

भेद प्रवर्धक का प्रतीकVs+: धनात्मक सप्लाईVs-: ऋणात्मक सप्लाईV+: नॉन-इन्वर्टिंग इनपुटV-: इन्वर्टिंग इनपुटVout: आउटपुट दो बीजेटी से निर्मित क्लासिकल भेद प्रवर्धक जिसे 'लम्बी पूँछ वाला भेद प्रवर्धक' कहते हैं। एक ऑप-ऐम्प से निर्मित भेद प्रवर्धक। तीन ऑप-ऐम्प से निर्मित भेद प्रवर्धक कई मामलों में इसकी अपेक्षा उत्कृष्ट होता है। भेद प्रवर्धक एक विशेष प्रकार का इलेक्ट्रानिक प्रवर्धक है जो दो इनपुट के बीच के अन्तर को प्रवर्धित करता है किन्तु उनके योग (अथवा 'कॉमन मोड सिगनल) को कम करता है। भेद प्रवर्धक में दो इन्पुट \scriptstyle V_\text^- तथा \scriptstyle V_\text^+ होते हैं और एक आउटपुट \scriptstyle V_\text होता है। किसी भेद प्रवर्धक का आउटपुट निम्नलिखित व्यंजक (इक्सप्रेशन) द्वारा लिखा जाता है- जहाँ \scriptstyle Ad इस प्रवर्धक का 'डिफरेंशियल मोड गेन' तथा Ac 'कॉमन मोड गेन' है। आदर्श भेद प्रवर्धक के लिये Ac .

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माइक्रोफोन

एक माइक्रोफोन (जिसे बोलचाल की भाषा में Mic या Mike कहा जाता है) एक ध्वनिक-से-वैद्युत ट्रांसड्यूसर (en:Transducer) या संवेदक होता है, जो ध्वनि को विद्युतीय संकेत में रूपांतरित करता है। 1876 में, एमिली बर्लिनर (en:Emile Berliner) ने पहले माइक्रोफोन का आविष्कार किया, जिसका प्रयोग टेलीफोन स्वर ट्रांसमीटर के रूप में किया गया। माइक्रोफोनों का प्रयोग अनेक अनुप्रयोगों, जैसे टेलीफोन, टेप रिकार्डर, कराओके प्रणालियों, श्रवण-सहायता यंत्रों, चलचित्रों के निर्माण, सजीव तथा रिकार्ड की गई श्राव्य इंजीनियरिंग, FRS रेडियो, मेगाफोन, रेडियो व टेलीविजन प्रसारण और कम्प्यूटरों में आवाज़ रिकार्ड करने, स्वर की पहचान करने, VoIP तथा कुछ गैर-ध्वनिक उद्देश्यों, जैसे अल्ट्रासॉनिक परीक्षण या दस्तक संवेदकों के रूप में किया जाता है। शॉक माउंट वाला एक न्यूमन U87 कंडेंसर माइक्रोफोन वर्तमान में प्रयोग किये जाने वाले अधिकांश माइक्रोफोन यांत्रिक कंपन से एक विद्युतीय आवेश संकेत उत्पन्न करने के लिये एक विद्युतचुंबकीय प्रवर्तन (गतिज माइक्रोफोन), धारिता परिवर्तन (दाहिनी ओर चित्रित संघनित्र माइक्रोफोन), पाइज़ोविद्युतीय निर्माण (Piezoelectric Generation) या प्रकाश अधिमिश्रण का प्रयोग करते हैं। .

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रिले

relay maximam and minimum volts kitne ka hota ha चार अलग-अलग प्रकार के रिले रिले एक विद्युत स्विच या कुंजी है जो एक दूसरे विद्युत परिपथ के द्वारा खोली या बंद की जाती है जो कि मुख्य परिपथ से असम्बद्ध (आइसोलेटेड) होती है। रिले की एक या एक से अधिक कुंजियाँ एक विद्युत चुम्बक की सहायता से बंद या चालू होती हैं। रिले को भी एक सामान्यीकृत विद्युत प्रवर्धक (अम्प्लिफ़ायर) माना जा सकता है क्योंकि कम शक्ति वाले परिपथ की सहायता से एक अपेक्षाकृत अधिक शक्ति वाले परिपथ को नियंत्रित किया जाता है। कान्टैक्टर भी रिले के सिद्धांत पर ही काम करता है किन्तु प्राय: १५ अम्पीयर से अधिक धारा वाले कान्टेक्ट को बंद/चालू करने के लिए प्रयुक्त होता है। .

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रव

रव या 'शोर' (noise) का सामान्य अर्थ 'अवांछित ध्वनि' से है। किन्तु भौतिकी तथा एनालॉग एलेक्ट्रॉनिकी में रव से अभिप्राय 'किसी विद्युत संकेत में अवांछित यादृच्छ संकेत का जुड़ना' है। यदि रव से युक्त इस संकेत को ध्वनि में परिवर्तित किया जाय तो ये अवांछित संकेत शोर के रूप में प्रकट होंगे। इसी तरह यदि किसी विडियो संकेत में रव जुड़ जाय तो वह पर्दे पर छबि के साथ 'स्नो' के रूप में दिखेगा। यदि किसी संकेत पर रव की मात्रा बहुत अधिक हो जाय तो मूल अर्थ ही बदल जाय, भ्र्ष्ट हो जाय या पूर्णतः गायब हो जाय। किसी संकेत में मौजूद उपयोगी सूचना तथा अप्रासंगिक अनुपयोगी रव की मात्रा के अनुपात को सिगनल-रव अनुपात (Signal-to-noise ratio) कहते हैं जो एक अत्यन्त उपयोगी मापदण्ड है। श्रेणी:एलेक्ट्रॉनिकी.

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रेडियो शक्ति प्रवर्धक

रेडियो आवृत्ति शक्ति प्रवर्धक (radio frequency power amplifier या RF power amplifier) एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक प्रवर्धक है जो कम शक्ति के रेडियो-आवृत्ति संकेत की शक्ति को आवर्धित करता (बढ़ा देता) है। प्रायः आर एफ ऐम्प्लिफायर, ट्रान्समीटरों के एन्टेना को ड्राइव करने के काम आते हैं। श्रेणी:प्रवर्धक.

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रेडियो आवृत्ति

3 किलोहर्ट्ज से 300 गीगा हर्ट्ज़ की आवृत्ति वाली तरंगों को रेडियो आवृत्ति (RF) कहते हैं। रेडियो तरंगें, रेडियो आवृत्ति की तरंगे ही होतीं हैं। रेडियो आवृत्ति के कम्पन - यांत्रिक कम्पन और वैद्युत कम्पन दोनों हो सकते हैं किन्तु प्रायः रेडियो आवृत्ति से आशय विद्युत कम्पन से ही होता है न कि यांत्रिक कम्पन से। .

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लब्धि

प्रवर्धकों की लब्धि, इनपुट संकेत पर निर्भर करती है। अतः लब्धि का ग्राफ आवृत्ति के फलन के रूप में बनाया जाता है। इलेक्ट्रॉनिक्स में किसी निर्बल संकेत के आयाम (या शक्ति) को बढ़ाना प्रवर्धन (Amplification) कहलाता है। वह परिपथ जो किसी संकेत का आवर्धन करता है, प्रवर्धक कहलाता है। आमतौर पर किसी प्रणाली के संकेत आउटपुट और संकेत इनपुट के अनुपात को प्रवर्धक का प्रवर्धन गुणांक (Amplification factor) अथवा लब्धि (Gain) अथवा अभिलाभ कहते हैं। इसे उसी अनुपात के दशमलव लघुगणक के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है। .

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शक्ति प्रवर्धक

शक्ति प्रवर्धक का कार्य वोल्टेज प्रवर्धक से प्राप्त आउटपुट को शक्ति प्रदान करना है। उदाहरणत: माइक्रोफोन द्वारा प्राप्त विद्युत तरंग को वोल्टेज एम्पलीफायर प्रवर्धित करता है, इसे सीधे लाउडस्पीकर को देने पर यह पुन: इन्हे ध्वनि तरंगो मे बदल नही पायेगा। अतः वोल्टेज प्रवर्धक से प्राप्त आउटपुट को एक शक्ति प्रवर्धक को दिया जाता है। जिससे लाउडस्पीकर को संचालित करने योग्य पावर प्राप्त हो जाता है। परिभाषा- "वह ट्राँजिस्टर प्रवर्धक जो ऑडियो आवृत्ति सिगनलोँ के पॉवर स्तर को बढ़ाता है, ट्राँजिस्टर आडियो शक्ति प्रवर्धक कहलाता है"। विशेषताएँ- 1.

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श्रव्य प्रवर्धक

एकीकृत परिपथ (आईसी) से बना एक श्रव्य शक्ति प्रवर्धक आईसी के रूप में एक श्रव्य-आवृत्ति प्रवर्धक (Lm3886tf) ऐसे एलेक्ट्रानिक प्रवर्धक को श्रव्य प्रवर्धक या आडियो एम्प्लिफायर (audio amplifier) कहते हैं जो कम शक्ति के श्रव्य संकेतों का प्रवर्धन कर सकें। श्रव्य-आवृत्‍ति शक्ति प्रवर्धक (audio power amplifier) वह एलेक्ट्रॉनिक प्रवर्धक है जो कम शक्ति के श्रव्य आवृत्ति वाले विद्युत संकेतों को प्रवर्धित करके उनको इतना शक्तिशाली बना दे कि वे लाउडस्पीकर को चला सकें। उन संकेतों को श्रव्य संकेत (आडियो सिगनल) कहते हैं जिनकी आवृत्ति २० हर्ट्ज से लेकर २० हजार हर्ट्ज के बीच होती है। इस सीमा के भीतर की आवृत्तियों वाले संकेत ही मानव कर्ण को सुनाई पड़ते हैं, इससे कम या अधिक के नहीं। श्रव्य प्रवर्धकों का निवेश संकेत (इनपुट सिगनल) कुछ सौ माइक्रोवाट के स्तर का होता है जबकि आउटपुट दस, सौ या हजार वाट के स्तर का हो सकता है। श्रव्य प्रवर्धक, रेडियो, टीवी, टेलीफोन, सेलफोन आदि के आवश्यक अंग है। .

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ह्रासक प्रतिपुष्टि प्रवर्धक

ह्रासक प्रतिपुष्टि प्रवर्धक (negative-feedback amplifier) उस इलेक्ट्रानिक प्रवर्धक को कहते हैं जिसके इनपुट में से उसके आउटपुट का एक अंश घटाकर फिर उसे प्रवर्धित किया जाता है। अर्थात इसमें ह्रासक प्रतिपुष्टि का उपयोग किया जाता है। ह्रासक प्रतिपुष्टि के कारण इसका परफॉर्मैंस कई दृष्टियों से बेहतर हो जाता है, जैसे लब्धि स्थायित्व (गेन स्तैबिलिटी), रैखिकता, अधिक विस्तृत आवृति रिस्पॉन्स, बेहतर स्टेप रिस्पॉन्स, ताप आदि पर्यावरणीय प्राचलों के बदलने या निर्माण सम्बन्धी असमताओं के कारण आये संवेदनशीलता में कमी आती है। इन सभी लाभों के कारण अनेकों प्रवर्धक और नियंत्रण प्रणालियाँ ह्रासक प्रतिपुष्टि का उपयोग करतीं हैं।.

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विद्युत संकेत

संचार, संकेत प्रसंस्करण और सामान्य रूप से विद्युत इंजीनियरी के सन्दर्भ में समय के साथ परिवर्तनशील या अवकाश के साथ परिवर्तनशील (spatial-varying) कोई भी राशि संकेत (signal) कहलाती है। उदाहरण के लिये किसी तापयुग्म से प्राप्त वोल्टता एक संकेत है जो तापमान की सूचना देती है। .

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विभवांतर

सूत्र- Va-Vb.

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आपरेशनल एम्प्लिफायर

भिन्न-भिन्न आकार-प्रकार के ऑप-एम्प संक्रियात्मक प्रवर्धक का प्रतीक 741 ऑप-एम्प का आन्तरिक परिपथ 741 ऑप-ऐम्प के पिनों का विवरण संक्रियात्मक प्रवर्धक या आपरेशनल एम्प्लिफायर (या, ऑप-ऐम्प) एक एकीकृत परिपथ (आइ सी) के रूप में निर्मित DC-कपल्ड (DC-coupled), अत्यधिक-लब्धि (गेन) वाला वोल्टेज एम्प्लिफायर है। इसमें प्राय: डिफरेंसियल इनपुट और एकमेव आउटपुट होता है। आधुनिक एलेक्ट्रानिकी में इसके अनेकानेक उपयोग हैं। प्राय: इसे ऋणात्मक (निगेटिव) फीडबैक देकर अम्प्लिफायर आदि के रूप में प्रयोग किया जाता है या धनात्मक (पॉजिटिव) फीडबैक देकर आसिलेटर आदि बनाये जाते हैं। इसका इनपुट इम्पीडेंस बहुत अधिक तथा आउटपुट इम्पीडेंस बहुत कम होता है। .

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आवृत्ति

विभिन्न आवृतियों की तरंगें कोई आवृत घटना (बार-बार दोहराई जाने वाली घटना), इकाई समय में जितनी बार घटित होती है उसे उस घटना की आवृत्ति (frequency) कहते हैं। आवृति को किसी साइनाकार (sinusoidal) तरंग के कला (phase) परिवर्तन की दर के रूप में भी समझ सकते हैं। आवृति की इकाई हर्त्ज (साकल्स प्रति सेकण्ड) होती है। एक कम्पन पूरा करने में जितना समय लगता है उसे आवर्त काल (Time Period) कहते हैं। आवर्त काल .

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इंस्ट्रुमेंटेशन एम्प्लिफायर

तीन ऑप-ऐम्प का उपयोग करके निर्मित इंस्ट्रुमेंटेशन एम्प्लिफायर का स्कीमैटिक डायग्रामU_a .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

एम्प्लिफायर, एलेक्ट्रॉनिक प्रवर्धक, प्रवर्धन, प्रवर्धन (भौतिकी), प्रवर्धन(भौतिकी)

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