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प्रयत्‍न-त्रुटि विधि

सूची प्रयत्‍न-त्रुटि विधि

प्रयत्‍न-त्रुटि विधि (Trial and error method) समस्याओं को हल करने की एक मूलभूत विधि है। इसकी विशेषता यह है कि इसमें 'सम्भावित हल' को तब तक बदल-बदल कर बार-बार प्रयत्न किया जाता है जब तक सफलता न मिले। .

2 संबंधों: पुनरावृत्तिमूलक विधि, अनुभववाद

पुनरावृत्तिमूलक विधि

पुनरावृत्तिमूलक विधि की व्याख्या ज्यामितीय। संख्यात्मक गणित में पुनरावृत्‍तिमूलक विधि (iterative method) गणना की वह विधि है जिसमें किसी अनुमानित हल से शुरू करते हैं और एक ही सूत्र या कलनविधि का बारबार प्रयोग करते हुए अधिक शुद्ध हल प्राप्त करते हैं। यह हल पुनः उस सूत्र में प्रयुक्त होकर और भी अधिक शुद्ध हल देता है। उदाहरण के लिए किसी समीकरण का मूल निकालने के लिए या इष्टतमकरण के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। पुनरावृत्तिमूलक विधियों के विपरीत एक ही चरण में हल प्रदान करने वाली विधियों को प्रत्यक्ष विधि (डाइरेक्ट मेथड) कहते हैं। उदाहरण के लिए, रैखिक समीकरणों के निकाय Ax .

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अनुभववाद

अनुभववाद (एंपिरिसिज्म) एक दार्शनिक सिद्धांत है जिसमें इंदियों को ज्ञान का माध्यम माना जाता है और जिसका मनोविज्ञान के संवेदनवाद (सेंसेशनलिज़्म) का विकास अनुभववाद में हुआ। इस वाद के अनुसार प्रत्यक्षीकरण संवेदनाओं और प्रतिमाओं का साहचर्य हैं। हॉब्स और लॉक की परंपरा के अनूभववादियों ने स्थापना की कि मन स्थिति जन्मजात न होकर अनुभवजन्य होती हैं। बर्कले ने प्रथम बार यह प्रमाणित करने का प्रयास किया कि मूलत: अनुभव में स्पर्श और दृश्य संस्कारों के साथ सहचरित हो जानेवाले पदार्थों की गति का प्रत्यक्ष आधारित रहता हैं। अनुभववाद के प्रमुख समथर्क हॉक, बर्कले, ह्मम तथा हार्टले हैं। फ्रांस मे कांडीलिक, लामेट्री और बीने, स्काटलैंड में रीड,डेविड ह्यूम और थामस ब्राउन तथा इंग्लैड में जेम्स मिल,जान स्टूअर्ट मिल एवं बेन का समर्थन इस वाद को मिला। सर चार्ल्स बुल, जोहनेस मिलर, हैलर, लॉट्ज और वुंट इत्यादि उन्नीसवीं शती के दैहिक मनोवैज्ञानिकों ने अनुभववाद को दैहिकी रूप प्रदान किया। अंतत: शरीरवेत्ताओं की दैहिकी व्याख्या और दार्शनिकों के संवेदनात्मक मनोविज्ञान का समन्वय हो गया। इस समन्वय का प्रतिनिधित्व ब्राउन, लॉट्ज, हेल्महोलत्ज तथा वुंट का अनुभववादी मनोविज्ञान करता है जिसमें सहजज्ञानवाद का स्पष्ट खंडन है। बीसवीं शताब्दी के मनोविज्ञान में प्राकृत बोधवाद तथा अनुभववाद की समस्याएँ नहीं है। प्राकृत बोधवाद की समस्या ने घटना-क्रिया-विज्ञान (फिनॉमिनॉलॉजी) एवं अनुभववाद मं व्यवहारवाद (बिहेवियरिज़्म) तथा संक्रियावाद (आपरेशनिज्म) का रूप ले लिया हैं। .

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