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प्रमस्तिष्क अंगघात

सूची प्रमस्तिष्क अंगघात

प्रमस्तिष्क पक्षाघात या सेरेब्रल पाल्सी (cerebral palsy) सेरेब्रल का अर्थ मसि्तष्क के दोनो भाग तथा पाल्सी का अर्थ किसी ऐसा विकार या क्षति से है जो शारीरिक गति के नियंत्रण को क्षतिग्रस्त करती है। एक प्रसिद्ध शल्य चिकित्सक विलियम लिटिल ने 1860 ई में बच्चो में पाई जाने वाली असामान्यता से सम्बंधित चिकित्सा की चर्चा की थी जिसमे हाथ एवं पाव की मांसपेशियों में कड़ापन पाया जाता है। ऐसे बच्चों को वस्तु पकड़ने तथा चलने में कठिनाई होती है जिसे लम्बे समय तक लिटिल्स रोग के नाम से जाना जाता था। अब इसे प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात (सेरिब्रल पाल्सी) कहते हैं। 'सेरेब्रल' का अर्थ है मस्तिष्क के दोनों भाग तथा पाल्सी का अर्थ है ऐसी असामान्यता या क्षति जो शारीरिक गति के नियंत्रण को नष्ट करती है प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात का अर्थ है मस्तिष्क का लकवा। यह मस्तिष्कीय क्षति बच्चो के जन्म के पहले, जन्म के समय और जन्म के बाद कभी भी हो सकता है इसमें जितनी ज्यादा मस्तिष्क की क्षति होगी उतनी ही अधिक बच्चो में विकलांगता की गंभीरता बढ़ जाती है।;परिभाषा- बैटसो एवंं पैरट (1986) के अनुसार "सेरेब्रल पाल्सी एक जटिल, अप्रगतिशील अवस्था है जो जीवन के प्रथम तीन वर्षो मे हुई मस्तिष्कीय क्षति के कारण होती है जिसके फलस्वरूप मांसपेशियों में सामंजस्य न होने के कारण तथा कमजोरी से अपंगता होती है।" यह एक प्रमस्तिष्क संबंधी विकार है। यह विकार विकसित होते मस्तिष्क के मोटर कंट्रोल सेंटर (संचलन नियंत्रण केन्द्र) में हुई किसी क्षति के कारण होता है। यह बीमारी मुख्यत: गर्भधारण (७५ प्रतिशत), बच्चे के जन्म के समय (लगभग ५ प्रतिशत) और तीन वर्ष तक की आयु के बच्चों को होती है। सेरेब्रल पाल्सी पर अभी शोध चल रहा है, क्योंकि वर्तमान उपलब्ध शोध सिर्फ बाल्य (पीडियाट्रिक) रोगियों पर केन्द्रित है। इस बीमारी की वजह से संचार में समस्या, संवेदना, पूर्व धारणा, वस्तुओं को पहचानना और अन्य व्यवहारिक समस्याएं आती है। .

14 संबंधों: प्रसव, पूर्वोत्तर भारत, पेशी, बैल अंगघात, बीमारी, भौतिक चिकित्सा, मस्तिष्क, रक्त समूह, श्रवण नक्षत्र, गर्भावस्था, आनुवंशिकी, इलाहाबाद, अंग्रेज़ी भाषा, १८६०

प्रसव

प्रसव का अर्थ होता है जनन या बच्चे को जन्म देना। गर्भावस्था के निर्धारित काल पूरा होने पर बच्चे का जन्म बिना किसी अवरोध (रूकावट) के ही होना साधारण और सरल जन्म कहलाता है। बच्चे के जन्म को ध्यान से देखने पर यह महसूस होता है कि बच्चे के जन्म लेने की विधि को हम तीन भागों में बांट सकते हैं। प्रथम भाग में बच्चेदानी का मुंह खुलना और फैलना, दूसरे भाग में बच्चे में सिर का दिखाई पड़ना और तीसरा भाग जिसमें औवल बाहर आता है। प्रथम भाग बच्चे के जन्म का प्रथम चरण लगभग 10 से 12 घंटे या अधिक समय का होता है। प्रथम चरण का समय इस बात पर निर्भर करता है कि महिला का कौन सा बच्चा है। पहले बच्चे में यह चरण अधिक समय लेता है। दूसरे बच्चे में कम तथा तीसरे बच्चे में और कम समय लगता है। प्रथम चरण में योनि की दीवारों का पतला होना, फैलना, खिंचना और धीरे-धीरे करके बच्चे के सिर का खिसकना होता है। योनि का फैला और खिंचा हुआ भाग धीरे-धीरे बच्चेदानी के मुंह को आगे आने में मदद करता है। इस चरण के साथ ही एक चिकना पदार्थ भी निकलता है जो कि एक झिल्ली के समान होता है जिसको शो कहते हैं। कभी-कभी सुकुचन जे साथ-साथ एमनीओटिक सैक फट जाता है तथा एमनीओटिक द्रव निकलने लगता है। दूसरा भाग बच्चे के जन्म के दूसरे चरण में बच्चेदानी का दबाव प्रत्येक दो-दो मिनट बाद होता है तथा आधे या एक मिनट तक रहता है। इस दबाव के कारण बच्चा धीरे-धीरे नीचे ढकेला जाता है। इस चरण में बच्चे का सिर देखा जा सकता है। इसके बाद योनि धीरे-धीरे सिमटते हुए परतों के रूप में एक परत दूसरे के ऊपर चढ़ती रहती है। साधारणतया बच्चे का सिर ऊपर की ओर तथा उसका धड़ नीचे की ओर होता है। कभी-कभी दर्द के साथ बच्चे को निकालने के लिए पेट से भी बच्चे को हल्के हाथों से दबाया जाता है। इस चरण में महिला को लम्बी सांस का व्यायाम लाभकारी होता है। क्योंकि सांस को रोककर ही महिला का जोर लगाना पड़ता है। कई बार बच्चों को निकालने के लिए औजारों का भी प्रयोग किया जाता है। बच्चे का जन्म होते समय जब बच्चा बाहर आता है मां को ऐसा महसूस होता है कि जैसे कि उनके शरीर से मल बाहर आ रहा हो। प्रसव के समय सबसे पहले बच्चे का सिर बहर आता है। फिर एक कंधा, दूसरा कंधा तथा बाद में पूरा धड़ बाहर निकल आता है इस प्रकार के बच्चे के जन्म लेते ही दूसरा चरण पूरा हो जाता है। गाय के बच्चे के प्रसव के अनेक चरण .

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पूर्वोत्तर भारत

पूर्वोत्तर भारत से आशय भारत के सर्वाधिक पूर्वी क्षेत्रों से है जिसमें एक साथ जुड़े 'सात बहनों' के नाम से प्रसिद्ध राज्य, सिक्किम तथा उत्तरी बंगाल के कुछ भाग (दार्जीलिंग, जलपाईगुड़ी और कूच बिहार के जिले) शामिल हैं। पूर्वोत्तर भारत सांस्कृतिक दृष्टि से भारत के अन्य राज्यों से कुछ भिन्न है। भाषा की दृष्टि से यह क्षेत्र तिब्बती-बर्मी भाषाओँ के अधिक प्रचलन के कारण अलग से पहचाना जाता है। इस क्षेत्र में वह दृढ़ जातीय संस्कृति व्याप्त है जो संस्कृतीकरण के प्रभाव से बची रह गई थी। इसमें विशिष्ट श्रेणी के मान्यता प्राप्त आठ राज्य भी हैं। इन आठ राज्यों के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए 1971 में पूर्वोतर परिषद (नॉर्थ ईस्टर्न काउंसिल / NEC) का गठन एक केन्द्रीय संस्था के रूप में किया गया था। नॉर्थ ईस्टर्न डेवेलपमेंट फाइनेंस कारपोरेशन लिमिटेड (NEDFi) का गठन 9 अगस्त 1995 को किया गया था और उत्तरपूर्वीय क्षेत्र विकास मंत्रालय (DoNER) का गठन सितम्बर 2001 में किया गया था। उत्तरपूर्वीय राज्यों में सिक्किम 1947 में एक भारतीय संरक्षित राज्य और उसके बाद 1975 में एक पूर्ण राज्य बन गया। पश्चिम बंगाल में स्थित सिलीगुड़ी कॉरिडोर जिसकी औसत चौड़ाई 21 किलोमीटर से 40 किलोमीटर के बीच है, उत्तरपूर्वीय क्षेत्र को मुख्य भारतीय भू-भाग से जोड़ता है। इसकी सीमा का 2000 किलोमीटर से भी अधिक क्षेत्र अन्य देशों: नेपाल, चाइना, भूटान, बर्मा और बांग्लादेश के साथ लगती है। .

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पेशी

पेशी की संरचना पेशी (Muscle) प्राणियों का आकुंचित होने वाला (contractile) ऊतक है। इनमें आंकुंचित होने वाले सूत्र होते हैं जो कोशिका का आकार बदल देते हैं। पेशी कोशिकाओं द्वारा निर्मित उस ऊतक को पेशी ऊतक कहा जाता है जो समस्त अंगों में गति उत्पन्न करता है। इस ऊतक का निर्माण करने वाली कोशिकाएं विशेष प्रकार की आकृति और रचना वाली होती हैं। इनमें कुंचन करने की क्षमता होती है। पेशिया रेखित, अरेखित एवं हृदय तीन प्रकार की होती हैं। मनुष्य के शरीर में 40 प्रतिशत भाग पेशियों का होता है। मानव शरीर में 693 मांसपेशियां पाई जाती हैं। इनमें से 400 पेशियाँ रेखित होती है। शरीर में सर्वाधिक पेशियां पीठ में पाई जाती है। पीठ में 180 पेशियां पाई जाती हैं। पेशियां तीन प्रकार की होती हैं। ऐच्छिक मांसपेशियाँ, अनैच्छिक मांसपेशियाँ और हृदय मांसपेशियाँ। .

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बैल अंगघात

बेल अंगघात से प्रभावित व्यक्ति का चेहरा बैल अंगघात (Bell's palsy/बेल्स पाल्सी) चेहरे के पक्षाघात का एक प्रकार है जो कपाल तंत्रिका सप्तम (cranial nerve VII) के काम करने में गड़्बड़ी के कारण होती है। इसके कारण उस तरफ की चेहरे की पेशियों को नियंत्रित करना सम्भव नहीं हो पाता। .

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बीमारी

बीमारी (कभी-कभी रुग्ण-स्वास्थ्य या व्याधि के रूप में भी जाना जाता है) स्वास्थ्य की ख़राब अवस्था होती है। बीमारी को कभी-कभी रोग के पर्याय के रूप में भी देखा जाता है। दूसरे वक्तवयों में भेद है। कुछ लोग बीमारी को व्यक्तिपरक रूप से परिभाषित रोग के रोगी की स्वानुभूत धारणा के रूप में वर्णित करते हैं। .

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भौतिक चिकित्सा

पोलियोग्रस्त दो बच्चों को फिजियोथिरैपी कराती हुई एक विशेषज्ञ व्यायाम के जरिए मांसपेशियों को सक्रिय बनाकर किए जाने वाले इलाज की विधा भौतिक चिकित्सा या फिजियोथेरेपी या 'फिजिकल थेरेपी' (Physical therapy कहलाती है। चूंकि इसमें दवाइयां नहीं लेना पडतीं इसलिए इनके दुष्प्रभावों का प्रश्न ही नहीं उठता। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि फिजियोथेरेपी तब ही अपना असर दिखाती है जब इसे समस्या दूर होते तक नियमित किया जाए। अगर शरीर के किसी हिस्से में दर्द है और आप दवाइयां नहीं लेना चाहते तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। फिजियोथेरेपी की सहायता लेने पर आप दवा का सेवन किए बिना अपनी तकलीफ दूर कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह अत्यंत आवश्यक है। फिजिकल थेरपी या फिसिओथेरपी को पी. टी. के नाम से भी जाना जाता हैं। फिसिओथेरपी का मतलब जीवन को पहचानना और उसकी गुणवत्ता को बढना है, साथ ही साथ लोगों को उनकी शरीरिक कमियों से बाहर निकालना, निवारण, इलाज बताना और पूर्ण रूप से आत्म-निर्भर बनाना हैं। यह शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक क्षेत्र में अच्छी तरह से काम करने में मदद देता हैं। फिसिओथेरपी में डाक्टर, शारीरिक चिकित्सक, मरीज, पारिवारिक लोग और दूसरे चिकित्सको का बहुत योगदान होता हैं। .

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मस्तिष्क

मानव मस्तिष्क मस्तिष्क जन्तुओं के केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का नियंत्रण केन्द्र है। यह उनके आचरणों का नियमन एंव नियंत्रण करता है। स्तनधारी प्राणियों में मस्तिष्क सिर में स्थित होता है तथा खोपड़ी द्वारा सुरक्षित रहता है। यह मुख्य ज्ञानेन्द्रियों, आँख, नाक, जीभ और कान से जुड़ा हुआ, उनके करीब ही स्थित होता है। मस्तिष्क सभी रीढ़धारी प्राणियों में होता है परंतु अमेरूदण्डी प्राणियों में यह केन्द्रीय मस्तिष्क या स्वतंत्र गैंगलिया के रूप में होता है। कुछ जीवों जैसे निडारिया एंव तारा मछली में यह केन्द्रीभूत न होकर शरीर में यत्र तत्र फैला रहता है, जबकि कुछ प्राणियों जैसे स्पंज में तो मस्तिष्क होता ही नही है। उच्च श्रेणी के प्राणियों जैसे मानव में मस्तिष्क अत्यंत जटिल होते हैं। मानव मस्तिष्क में लगभग १ अरब (१,००,००,००,०००) तंत्रिका कोशिकाएं होती है, जिनमें से प्रत्येक अन्य तंत्रिका कोशिकाओं से १० हजार (१०,०००) से भी अधिक संयोग स्थापित करती हैं। मस्तिष्क सबसे जटिल अंग है। मस्तिष्क के द्वारा शरीर के विभिन्न अंगो के कार्यों का नियंत्रण एवं नियमन होता है। अतः मस्तिष्क को शरीर का मालिक अंग कहते हैं। इसका मुख्य कार्य ज्ञान, बुद्धि, तर्कशक्ति, स्मरण, विचार निर्णय, व्यक्तित्व आदि का नियंत्रण एवं नियमन करना है। तंत्रिका विज्ञान का क्षेत्र पूरे विश्व में बहुत तेजी से विकसित हो रहा है। बडे-बड़े तंत्रिकीय रोगों से निपटने के लिए आण्विक, कोशिकीय, आनुवंशिक एवं व्यवहारिक स्तरों पर मस्तिष्क की क्रिया के संदर्भ में समग्र क्षेत्र पर विचार करने की आवश्यकता को पूरी तरह महसूस किया गया है। एक नये अध्ययन में निष्कर्ष निकाला गया है कि मस्तिष्क के आकार से व्यक्तित्व की झलक मिल सकती है। वास्तव में बच्चों का जन्म एक अलग व्यक्तित्व के रूप में होता है और जैसे जैसे उनके मस्तिष्क का विकास होता है उसके अनुरुप उनका व्यक्तित्व भी तैयार होता है। मस्तिष्क (Brain), खोपड़ी (Skull) में स्थित है। यह चेतना (consciousness) और स्मृति (memory) का स्थान है। सभी ज्ञानेंद्रियों - नेत्र, कर्ण, नासा, जिह्रा तथा त्वचा - से आवेग यहीं पर आते हैं, जिनको समझना अर्थात् ज्ञान प्राप्त करना मस्तिष्क का काम्र है। पेशियों के संकुचन से गति करवाने के लिये आवेगों को तंत्रिकासूत्रों द्वारा भेजने तथा उन क्रियाओं का नियमन करने के मुख्य केंद्र मस्तिष्क में हैं, यद्यपि ये क्रियाएँ मेरूरज्जु में स्थित भिन्न केन्द्रो से होती रहती हैं। अनुभव से प्राप्त हुए ज्ञान को सग्रह करने, विचारने तथा विचार करके निष्कर्ष निकालने का काम भी इसी अंग का है। .

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रक्त समूह

रक्त प्रकार (या रक्त समूह) भाग में, निर्धारित होता है, ABO रक्त समूह प्रतिजानो से जो लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद होता है। रक्त समूह या रक्त प्रकार, रक्त का एक वर्गीकरण है जो रक्त की लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर पर पाये जाने वाले पदार्थ मे वंशानुगत प्रतिजन की उपस्थिति या अनुपस्थिति पर आधारित होता है। रक्त प्रणाली के अनुसार यह प्रतिजन प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, ग्लाइकोप्रोटीन, या ग्लाइकोलिपिड हो सकते हैं और इनमे से कुछ प्रतिजन अन्य प्रकारों जैसे कि ऊतकों और कोशिकाओं की सतह पर भी उपस्थित हो सकते हैं। अनेक लाल रक्त कोशिका सतह प्रतिजन, जो कि एक ही एलील या बहुत नजदीकी रूप से जुड़े जीन से उत्पन्न हुए हैं, सामूहिक रूप से रक्त समूह प्रणाली की रचना करते हैं। रक्त प्रकार वंशानुगत रूप से प्राप्त होते हैं और माता व पिता दोनों के योगदान का प्रतिनिधित्व करते हैं। अंतरराष्ट्रीय रक्ताधान संस्था(ISBT).

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श्रवण नक्षत्र

यह एक नक्षत्र है .

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गर्भावस्था

गर्भवती महिला प्रजनन सम्बन्धी अवस्था, एक मादा के गर्भाशय में भ्रूण के होने को गर्भावस्था (गर्भ + अवस्था) कहते हैं, तदुपरांत महिला शिशु को जन्म देती है। आमतौर पर यह अवस्था मां बनने वाली महिलाओं में ९ माह तक रहती है, जिसे गर्भवधी कहते है। कभी कभी संयोग से एकाधिक गर्भावस्था भी अस्तित्व में आ जति है जिस्से जुडवा एक से अधिक सन्तान कि उपस्थिति होती है। .

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आनुवंशिकी

पैतृक गुणसूत्रों के पुनर्संयोजन के फलस्वरूप एक ही पीढी की संतानें भी भिन्न हो सकती हैं। आनुवंशिकी (जेनेटिक्स) जीव विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत आनुवंशिकता (हेरेडिटी) तथा जीवों की विभिन्नताओं (वैरिएशन) का अध्ययन किया जाता है। आनुवंशिकता के अध्ययन में ग्रेगर जॉन मेंडेल की मूलभूत उपलब्धियों को आजकल आनुवंशिकी के अंतर्गत समाहित कर लिया गया है। प्रत्येक सजीव प्राणी का निर्माण मूल रूप से कोशिकाओं द्वारा ही हुआ होता है। इन कोशिकाओं में कुछ गुणसूत्र (क्रोमोसोम) पाए जाते हैं। इनकी संख्या प्रत्येक जाति (स्पीशीज) में निश्चित होती है। इन गुणसूत्रों के अंदर माला की मोतियों की भाँति कुछ डी एन ए की रासायनिक इकाइयाँ पाई जाती हैं जिन्हें जीन कहते हैं। ये जीन गुणसूत्र के लक्षणों अथवा गुणों के प्रकट होने, कार्य करने और अर्जित करने के लिए जिम्मेवार होते हैं। इस विज्ञान का मूल उद्देश्य आनुवंशिकता के ढंगों (पैटर्न) का अध्ययन करना है अर्थात्‌ संतति अपने जनकों से किस प्रकार मिलती जुलती अथवा भिन्न होती है। .

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इलाहाबाद

इलाहाबाद उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित एक नगर एवं इलाहाबाद जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। इसका प्राचीन नाम प्रयाग है। इसे 'तीर्थराज' (तीर्थों का राजा) भी कहते हैं। इलाहाबाद भारत का दूसरा प्राचीनतम बसा नगर है। हिन्दू मान्यता अनुसार, यहां सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद प्रथम यज्ञ किया था। इसी प्रथम यज्ञ के प्र और याग अर्थात यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना और उस स्थान का नाम प्रयाग पड़ा जहाँ भगवान श्री ब्रम्हा जी ने सृष्टि का सबसे पहला यज्ञ सम्पन्न किया था। इस पावन नगरी के अधिष्ठाता भगवान श्री विष्णु स्वयं हैं और वे यहाँ माधव रूप में विराजमान हैं। भगवान के यहाँ बारह स्वरूप विध्यमान हैं। जिन्हें द्वादश माधव कहा जाता है। सबसे बड़े हिन्दू सम्मेलन महाकुंभ की चार स्थलियों में से एक है, शेष तीन हरिद्वार, उज्जैन एवं नासिक हैं। हिन्दू धर्मग्रन्थों में वर्णित प्रयाग स्थल पवित्रतम नदी गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है। यहीं सरस्वती नदी गुप्त रूप से संगम में मिलती है, अतः ये त्रिवेणी संगम कहलाता है, जहां प्रत्येक बारह वर्ष में कुंभ मेला लगता है। इलाहाबाद में कई महत्त्वपूर्ण राज्य सरकार के कार्यालय स्थित हैं, जैसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय, प्रधान महालेखाधिकारी (एजी ऑफ़िस), उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग (पी.एस.सी), राज्य पुलिस मुख्यालय, उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय एवं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्यालय। भारत सरकार द्वारा इलाहाबाद को जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण योजना के लिये मिशन शहर के रूप में चुना गया है। .

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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१८६०

1860 ग्रेगोरी कैलंडर का एक अधिवर्ष है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

Cerebral palsy, प्रतिमष्तिस्क रोग, प्रमस्तिष्क घात, सेरेब्रल पाल्सी, सेरीब्रल पाल्सी

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