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प्रबल अन्योन्य क्रिया

सूची प्रबल अन्योन्य क्रिया

प्रबल अन्योन्य क्रिया (अक्सर प्रबल बल, प्रबल नाभिकीय बल और कलर अन्योन्य क्रिया के नाम से भी जाना जाता है) (Strong Interaction.) प्रकृति की चार मूलभूत अन्योन्य क्रियाओं में से एक है, अन्य तीन अन्योन्य क्रियाएं गुरुत्वाकर्षण, विद्युत चुम्बकीय अन्योन्य क्रिया और दुर्बल अन्योन्य क्रिया हैं। नाभिकीय स्तर पर यह अन्योन्य क्रिया विद्यत चुम्बकीय अन्योन्य क्रिया से १०० गुना प्रबल है अतः दुर्बल व गुरुत्वीय अन्योन्य क्रियाओं से यह बहुत ज्यादा प्रबल है। इस अन्योन्य क्रिया को प्रोटोनों व न्यूट्रोनों के बन्धन बल के रूप में भी पहचाना जाता है। .

7 संबंधों: दुर्बल अन्योन्य क्रिया, नाभिकीय भौतिकी, प्रमात्रा क्षेत्र सिद्धान्त, मानक प्रतिमान, विद्युत्चुम्बकत्व, गुरुत्वाकर्षण, क्वार्क

दुर्बल अन्योन्य क्रिया

दुर्बल अन्योन्य क्रिया (अक्सर दुर्बल बल व दुर्बल नाभिकीय बल के नाम से भी जाना जाता है) प्रकृति की चार मूलभूत अन्योन्य क्रियाओं में से एक है, अन्य चार अन्योन्य क्रियाएं गुरुत्वाकर्षण, विद्युत चुम्बकीय अन्योन्य क्रिया और प्रबल अन्योन्य क्रिया हैं। यह अन्योन्य क्रिया, उप-परमाणविक कणों के रेडियोधर्मी क्षय और नाभिकीय संलयन के लिए उत्तरदायी है। सभी ज्ञात फर्मिऑन (वे कण जिनका स्पिन अर्द्ध-पूर्ण संख्या होती है) यह अन्योन्य क्रिया करते हैं। कण भौतिकी मेंमानक प्रतिमान के अनुसार दुर्बल अन्योन्य क्रिया Z अथवा W बोसॉन के विनिमय (उत्सर्जन अथवा अवशोषण) से होती है और अन्य तीन बलों की भांती यह भी अस्पृशी बल माना जाता है। बीटा क्षय रेडियोधर्मिता का एक उदाहरण इस क्रिया का सबसे ज्ञात उदाहरण है। W व Z बोसॉनों का द्रव्यमान प्रोटोन व न्यूट्रोन की तुलना में बहुत अधीक होता है और यह भारीपन ही दुर्बल बल की परास कम होने का मुख्य कारण है। इसे दुर्बल बल कहने का कारण इस बल का अन्य दो बलों विद्युत चुम्बकीय व प्रबल की तुलना में इसका मान का परिमाण की कोटि कई गुणा कम होना है। अधिकतर कण समय के साथ दुर्बल बल के अधीन क्षय होते हैं। क्वार्क फ्लेवर परिवर्तन भी केवल इस बल के अधीन ही होता है। .

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नाभिकीय भौतिकी

यह भौतिकी की एक शाखा है, जो अणु के नाभि से सम्बंधित है। इसके तीन मुख्य पहलू हैं:-.

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प्रमात्रा क्षेत्र सिद्धान्त

क्वांटम क्षेत्र सिद्धान्त (QFT) या प्रमात्रा क्षेत्र सिद्धांत, क्वांटम यांत्रिकी के निर्माण के लिए एक सैद्धांतिक ढांचा प्रदान करता है जिसमें क्वांटम यांत्रिक प्रणालियों को अनंत स्वतंत्रता की डिग्री प्रदर्शित किया जाता है। प्रमात्रा क्षेत्र सिद्धान्त में कणों को आधारभूत भौतिक क्षेत्र की उत्तेजित अवस्था के रूप में काम में लिया जाता है अतः इसे क्षेत्र क्वांटा कहते हैं। उदाहरण के लिए प्रमात्रा विद्युतगतिकी में एक इलेक्ट्रॉन क्षेत्र एवं एक फोटोन क्षेत्र होते हैं; प्रमात्रा क्रोमोगतिकी में प्रत्येक क्वार्क के लिए एक क्षेत्र निर्धारित होता है और संघनित पदार्थ में परमाणवीय विस्थापन क्षेत्र से फोटोन कण की उत्पति होती है। एडवर्ड विटेन प्रमात्रा क्षेत्र सिद्धान्त को भौतिकी के "अब तक" के सबसे कठिन सिद्धान्तों में से एक मानते हैं। .

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मानक प्रतिमान

मूलभूत कणों का, आमान बोसॉनों (सबसे दायां स्तम्भ) के साथ मानक प्रतिमान। मानक प्रतिमान या मानक मॉडल, भौतिकशास्त्र का एक सिद्धान्त है जिसका संबंध विद्युत्-चुम्बकीय, दुर्बल तथा प्रबल नाभिकीय अन्तःक्रियाओं से है। ये ऐसी अन्तःक्रियाएँ हैं, जो कि ज्ञात उपपारमाण्विक कणों की गतिकी की व्याख्या करती हैं। इसका विकास बीसवीं सदी के मध्य से लेकर देर-सदी तक हुआ। ये कई हाथों से बुना हुआ एक पट है, जो कि कभी तो नई प्रायोगिक खोजों से आगे बढ़ा तो कभी सैद्धान्तिक प्रगतियों से। इसका विकास सही अर्थों में सहकार के साथ हुआ है, जो महाद्वीपों और दशकों में विस्तृत है। इसका आज का प्रारूप 1970 के दशक के मध्य में बना, जबकि क्वार्क का अस्तित्व सुनिश्चित किया गया। उसके बाद तो तल क्वार्क (1977), शीर्ष क्वार्क (1995) और टॉ क्वार्क (2000) की खोज ने मानक प्रतिमान की साख और बढ़ा दी। अधिक हाल की घटना के रूप में 2011-2012 में हिग्स बोसॉन की खोज ने इसके सारे अनुमानित कणों का समुच्चय पूरा कर दिया है। प्रायोगिक परिणामों की दीर्घ शृंख्ला की सफलतापूर्वक व्याख्या कररने के कारण मानक प्रतिमान को कभी कभी "लगभग सबकुछ का सिद्धान्त" भी कहा जाता है। मानक प्रतिमान मौलिक अन्तःक्रियाओं का सम्पूर्ण सिद्धान्त होते होते रह जाता है, क्योंकि इसमें से गुरुत्वाकर्षण का समूचा सिद्धान्त ही गायब है, साथ ही यह विश्व के त्वरित विस्तार की भविष्यवाणी भी नहीं करता है (जैसा कि अन्धकार-ऊर्जा द्वारा वर्णित है)। .

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विद्युत्चुम्बकत्व

'''चिद्युत्चुम्बक''': विद्युत्चुम्बकीय बल के अनुप्रयोग का एक उदाहरण है। विद्युत्चुम्बकत्व (Electromagnetism) या विद्युतचुम्बकीय बल (electromagnetic force) प्रकृति में पाये जाने वाले चार प्रकार के मूलभूत बलों या अन्तःक्रियाओं में से एक है। अन्य तीन मूलभूत बल हैं - प्रबल अन्योन्यक्रिया, दुर्बल अन्योन्यक्रिया तथा गुरुत्वाकर्षण। विद्युत्चुम्बकीय बल को विद्युत्चुंबकीय क्षेत्र की सहायता से अभिव्यक्त किया जाता है। विद्युतचुम्बकीय बल कई रूपों में देखने को मिलता है, जैसे विद्युत आवेशित कणों के बीच बल, चुम्बकीय क्षेत्र में रखे विद्युतवाही चालक पर लगने वाला बल आदि। विद्युत्चुम्बकीय बल को प्रायः दो प्रकार का बताया जाता है-.

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गुरुत्वाकर्षण

गुरुत्वाकर्षण के कारण ही ग्रह, सूर्य के चारों ओर चक्कर लगा पाते हैं और यही उन्हें रोके रखती है। गुरुत्वाकर्षण (ग्रैविटेशन) एक पदार्थ द्वारा एक दूसरे की ओर आकृष्ट होने की प्रवृति है। गुरुत्वाकर्षण के बारे में पहली बार कोई गणितीय सूत्र देने की कोशिश आइजक न्यूटन द्वारा की गयी जो आश्चर्यजनक रूप से सही था। उन्होंने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत का प्रतिपादन किया। न्यूटन के सिद्धान्त को बाद में अलबर्ट आइंस्टाइन द्वारा सापेक्षता सिद्धांत से बदला गया। इससे पूर्व वराह मिहिर ने कहा था कि किसी प्रकार की शक्ति ही वस्तुओं को पृथिवी पर चिपकाए रखती है। .

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क्वार्क

प्रोटॉन क्वार्क एक प्राथमिक कण है तथा यह पदार्थ का मूल घटक है। क्वार्क एकजुट होकर सम्मिश्र कण हेड्रॉन बनाते है, परमाणु नाभिक के मुख्य अवयव प्रोटॉन व न्यूट्रॉन इनमें से सर्वाधिक स्थिर हैं। नैसर्गिक घटना रंग बंधन के कारण, क्वार्क ना कभी सीधे प्रेक्षित हुआ या एकांत में पाया गया; वे केवल हेड्रॉनों के भीतर पाये जा सकते है, जैसे कि बेरिऑनों (उदाहरणार्थ: प्रोटान और न्यूट्रान) और मेसॉनों के रूप में। क्वार्क के अनेक आंतरिक गुण है, जिनमे विद्युत आवेश, द्रव्यमान, रंग आवेश और स्पिन सम्मिलित है। कण भौतिकी के मानक मॉडल में क्वार्क एकमात्र प्राथमिक कण है जो सभी चार मूलभूत अंतःक्रिया या मौलिक बलों (विद्युत चुंबकत्व, गुरुत्वाकर्षण, प्रबल अंतःक्रिया और दुर्बल अंतःक्रिया) को महसूस करता है, साथ ही यह मात्र ज्ञात कण है जिसका विद्युत आवेश प्राथमिक आवेश का पूर्णांक गुणनफल नहीं है। क्वार्क के छह प्रकार है, जो जाने जाते है फ्लेवर से: अप, डाउन, स्ट्रेन्ज, चार्म, टॉप और बॉटम। अप व डाउन क्वार्क के द्रव्यमान सभी क्वार्को में सबसे कम है। अपेक्षाकृत भारी क्वार्क कणिका क्षय की प्रक्रिया के माध्यम से तीव्रता से अप व डाउन क्वार्क में बदल जाते हैं। कणिका क्षय, एक उच्च द्रव्य अवस्था का एक निम्न द्रव्य अवस्था में परिवर्तन है। इस वजह से, अप व डाउन क्वार्क आम तौर पर स्थिर होते है और ब्रह्मांड में सबसे आम हैं, वहीं स्ट्रेन्ज, चार्म, बॉटम और टॉप क्वार्क केवल उच्च ऊर्जा टक्करों में उत्पन्न किए जा सकते है। हर क्वार्क फ्लेवर के प्रतिकण होते है जिनके परिमाण तो क्वार्क के बराबर होते है परंतु चिन्ह विपरीत रखते है तथा यह एंटीक्वार्क के रूप में जाने जाते है। क्वार्क मॉडल स्वतंत्र रूप से भौतिकविदों मरे गेल-मन और जॉर्ज वाइग द्वारा 1964 में प्रस्तावित किया गया था। क्वार्क हेड्रॉनों के अंग के रूप में पेश किए गए थे। 1968 में स्टैनफोर्ड रैखिक त्वरक केंद्र पर प्रयोग होने तक उनके भौतिक अस्तित्व के बहुत कम प्रमाण थे। त्वरक प्रयोगों ने सभी छह फ्लेवरों के लिए प्रमाण प्रदान किए। टॉप क्वार्क सबसे अंत में फर्मीलैब पर 1995 में खोजा गया। .

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प्रबल अंतःक्रिया

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