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प्रतिरक्षादमन

सूची प्रतिरक्षादमन

उन सभी क्रियाओं को प्रतिरक्षादमन (Immunosuppression) कहते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली की क्षमता को कम करतीं हैं। कई स्थितियों में प्रतिरक्षादमन करने की जरूरत पड़ती है और प्रतिरक्षादमन करने से हानि के बजाय लाभ होता है। उदाहरण के लिये किसी अंग के प्रतिरोपण की स्थिति में शरीर उस अंग को अस्वीकार करे तो प्रतिरक्षादमन उपयोगी होता है। इसी प्रकार स्वप्रतिरक्षित रोगों की चिकित्सा के लिये भी इसका सहारा लिया जाता है। प्रतिरक्षादमन करने के लिये प्रायः दवाओं का उपयोग किया जाता है किन्तु शल्य (सर्जरी), प्लाज्माफेरेसिस या विकिरण का उपयोग भी करना पड़ सकता है। .

4 संबंधों: प्रतिरक्षा प्रणाली, स्वप्रतिरक्षा, स्वप्रतिरक्षित रोग, विकिरण

प्रतिरक्षा प्रणाली

A scanning electron microscope image of a single neutrophil (yellow), engulfing anthrax bacteria (orange). प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune system) किसी जीव के भीतर होने वाली उन जैविक प्रक्रियाओं का एक संग्रह है, जो रोगजनकों और अर्बुद कोशिकाओं को पहले पहचान और फिर मार कर उस जीव की रोगों से रक्षा करती है। यह विषाणुओं से लेकर परजीवी कृमियों जैसे विभिन्न प्रकार के एजेंट की पहचान करने मे सक्षम होती है, साथ ही यह इन एजेंटों को जीव की स्वस्थ कोशिकाओं और ऊतकों से अलग पहचान सकती है, ताकि यह उन के विरुद्ध प्रतिक्रिया ना करे और पूरी प्रणाली सुचारु रूप से कार्य करे।। हिन्दुस्तान लाइव। २४ नवम्बर २००९ रोगजनकों की पहचान करना एक जटिल कार्य है क्योंकि रोगजनकों का रूपांतर बहुत तेजी से होता है और यह स्वयं का अनुकूलन इस प्रकार करते हैं कि प्रतिरक्षा प्रणाली से बचकर सफलतापूर्वक अपने पोषक को संक्रमित कर सकें। शरीर की प्रतिरक्षा-प्रणाली में खराबी आने से रोग में प्रवेश कर जाते हैं। प्रतिरक्षा-प्रणाली में खराबी को इम्यूनोडेफिशिएंसी कहते हैं। इम्यूनोडेफिशिएंसी या तो किसी आनुवांशिक रोग के कारण हो सकता है, या फिर कुछ खास दवाओं या संक्रमण के कारण भी संभव है। इसी का एक उदाहरण है एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) जो एचआईवी वायरस के कारण फैलता है। ठीक इसके विपरीत स्वप्रतिरक्षित रोग (ऑटोइम्यून डिजीज) एक उत्तेजित ऑटो इम्यून सिस्टम के कारण होते हैं जो साधारण ऊतकों पर बाहरी जीव होने का संदेह कर उन पर आक्रमण करता है। प्रतिरक्षा प्रणाली के अध्ययन को प्रतिरक्षा विज्ञान (इम्म्यूनोलॉजी) का नाम दिया गया है। इसके अध्ययन में प्रतिरक्षा प्रणाली संबंधी सभी बड़े-छोटे कारणों की जांच की जाती है। इसमें प्रणाली पर आधारित स्वास्थ्य के लाभदायक और हानिकारक कारणों का ज्ञान किया जाता है। प्रतिरक्षा प्रणाली के क्षेत्र में खोज और शोध निरंतर जारी हैं एवं इससे संबंधित ज्ञान में निरंतर बढोत्तरी होती जा रही है। यह प्रणाली लगभग सभी उन्नत जीवों जैसे हरेक पौधे और जानवरों में मिलती मिलती है। प्रतिरक्षा प्रणाली के कई प्रतिरोधक (बैरियर) जीवों को बीमारियों से बचाते हैं, इनमें यांत्रिक, रसायन और जैव प्रतिरोधक होते हैं। .

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स्वप्रतिरक्षा

किसी जीव द्वारा अपने ही भागों को अपने होने की पहचान करने में विफल होने को स्वरोगक्षमता या स्वप्रतिरक्षा (autoimmunity) कहते हैं, जिसके फलस्वरूप उसकी अपनी कोशिकाओं और ऊतकों के प्रति एक प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया होती है। ऐसी पदभ्रमित प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया के काऱण होने वाले किसी भी रोग को स्वप्रतिरक्षी रोग कहते हैं। स्वप्रतिरक्षा अकसर लक्ष्यित पिंड में जीवनपदार्थ के विकास को अभाव के कारण होती है और इस तरह प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया उसकी अपनी कोशिकाओं और ऊतकों के विरूद्ध कार्य करती है (फ्लावर्स 2009).

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स्वप्रतिरक्षित रोग

वे रोग स्वप्रतिरक्षित रोग (Autoimmune diseases) कहलाते हैं जिनके होने पर किसी जीव की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही ऊतकों या शरीर में उपस्थित अन्य पदार्थों को रोगजनक (pathogen) समझने की गलती कर बैठती है और उन्हें समाप्त करने के लिये उन पर हमला कर देती है। इस प्रकार का रोग शरीर के किसी एक अंग में सीमित हो सकता है (जैसे स्वप्रतिरक्षित थॉयराय शोथ (autoimmune thyroiditis) या शरीर के विभिन्न स्थानों पर एक विशेष प्रकार के ऊतक को प्रभावित कर सकता है। स्वप्रतिरक्षित रोगों की चिकित्सा में प्रायः दवाओं का उपयोग करके प्रतिरक्षा प्रणाली की सक्रियता को कम किया जाता है जिसे प्रतिरक्षादमन (immunosuppression) कहते हैं। .

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विकिरण

भौतिकी में प्रयुक्त विकिरण ऊर्जा का एक रूप है जो तरंगों या किसी परमाणु या अन्य निकाय द्वारा उत्सर्जित गतिशील उपपरमाणुविक कणों के रूप में उच्च से निम्न ऊर्जा अवस्था की ओर चलती है। विकिरण को परमाणु पदार्थ पर उसके प्रभाव के आधार पर या विआयनीकारक के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। विकिरण जो अणु या परमाणु का आयनीकरण करने मे सक्षम होता है उसमे उर्जा का स्तर विआयनीकारक विकिरण से अधिक होता है। रेडियोधर्मी पदार्थ वो भौतिक पदार्थ है जो कि आयनीकारक विकिरण उत्सर्जित करती है। तीन भिन्न प्रकार के विकिरण और उनका भेदन .

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