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प्रक्षेप्य

सूची प्रक्षेप्य

एक प्रक्षेप्य वह वस्तु कहलाती है जिसे दिक् (खाली अथवा नहीं) में किसी बल के अधीन प्रक्षेपित किया जाता है। यद्यपि समष्टि (दिक्) में किसी भी वस्तु की गति (उदाहरण के लिए क्रिकेट के खेल में क्षेत्ररक्षक द्वारा गेंद को फैंकना) को प्रक्षेप्य कहा जा सकता है, यह शब्द सामान्यतः कम मारक क्षमता वाली वस्तुओं के लिए काम में ली जाती है। प्रक्षेप्य वक्र के विश्लेषण के लिए गणितीय गति के समीकरणों का उपयोग किया जाता है। .

14 संबंधों: चाल, टॉरपीडो, दिक्, प्राक्षेपिकी, प्रक्षेपास्त्र, बल (भौतिकी), बाण, बारूद, बंदूक़, भाला, रॉकेट, विशिष्ट गतिज ऊर्जा, गति के समीकरण, क्रिकेट

चाल

प्रतिदिन के जीवन में और शुद्ध गतिकी में किसी वस्तु की चाल इसके वेग (इसकी स्थिति में परिवर्तन की दर) का परिमाण है; अतः यह एक अदिश राशि है। किसी वस्तु की औसत चाल उस वस्तु द्वारा चली गई कुल दूरी में लगने वाले समय से भाजित करने पर प्राप्त भागफल का मान है; ताक्षणिक चाल, औसत चाल का परिसिमा मान है जिसमें समयान्तराल शून्य की ओर अग्रसर हो। .

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टॉरपीडो

तॉरपीडो तारपीडो (Toropedo) एक स्वचलित विस्पोटक प्रक्षेपास्त्र है जिसे किसी पोत से जल की सतह के ऊपर या नीचे दागा जा सकता है। यह प्रक्षेपास्त्र जल सतह के नीचे ही चलता है। लक्ष्य से टकराने से अथवा समीप आने पर इसमे विस्पोट हो जाता है। तारपीडो अंतर्जलीय (.

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दिक्

तीन आयाम या डिमॅनशन वाली दिक् में तीन निर्देशांकों से किसी भी बिंदु के स्थान का पता चल जाता है दिक् जगह के उस विस्तार या फैलाव को कहते हैं जिसमें वस्तुओं का अस्तित्व होता है और घटनाएँ घटती हैं। मनुष्यों के नज़रिए से दिक् के तीन पहलू होते हैं, जिन्हें आयाम या डिमॅनशन भी कहते हैं - ऊपर-नीचे, आगे-पीछे और दाएँ-बाएँ। .

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प्राक्षेपिकी

प्रक्षेपिकी क्षेपण विज्ञान या प्राक्षेपिकी (Ballistics, यूनानी भाषा में βάλλειν ('ba'llein') .

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प्रक्षेपास्त्र

भारत का अग्नि ३ प्रक्षेपास्त्र प्रक्षेपित कर उपयोग में लाया जाने वाला अस्त्र। इसका प्रयोग दूर स्थित लक्ष्य को बेधने के लिए किया जाता है। इसकी सहायता से विस्फोटकों को हजारों किलोमीटर दूर के लक्ष्य तक पहुंचाया जा सकता है। इस प्रकार सुदूर स्थित दुश्मन के ठिकाने भी कुछ ही समय में नष्ट किए जा सकते हैं। प्रक्षेपास्त्र रासायनिक विस्फोटकों से लेकर परमाणु बम तक का वहन और प्रयोग कर सकता है। .

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बल (भौतिकी)

बल अनेक प्रकार के होते हैं जैसे- गुरुत्वीय बल, विद्युत बल, चुम्बकीय बल, पेशीय बल (धकेलना/खींचना) आदि। भौतिकी में, बल एक सदिश राशि है जिससे किसी पिण्ड का वेग बदल सकता है। न्यूटन के गति के द्वितीय नियम के अनुसार, बल संवेग परिवर्तन की दर के अनुपाती है। बल से त्रिविम पिण्ड का विरूपण या घूर्णन भी हो सकता है, या दाब में बदलाव हो सकता है। जब बल से कोणीय वेग में बदलाव होता है, उसे बल आघूर्ण कहा जाता है। प्राचीन काल से लोग बल का अध्ययन कर रहे हैं। आर्किमिडीज़ और अरस्तू की कुछ धारणाएँ थीं जो न्यूटन ने सत्रहवी सदी में ग़लत साबित की। बीसवी सदी में अल्बर्ट आइंस्टीन ने उनके सापेक्षता सिद्धांत द्वारा बल की आधुनिक अवधारणा दी। प्रकृति में चार मूल बल ज्ञात हैं: गुरुत्वाकर्षण बल, विद्युत चुम्बकीय बल, प्रबल नाभकीय बल और दुर्बल नाभकीय बल। बल की गणितीय परिभाषा है: जहाँ \vec बल, \vec संवेग और t समय हैं। एक ज़्यादा सरल परिभाषा है: जहाँ m द्रव्यमान है और \vec त्वरण है। .

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बाण

यह धनुष के साथ प्रयुक्त होने वाला एक अस्त्र है जिसका अग्र भाग नुकीला होता है। बाण का सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद संहिता में मिलता है। इषुकृत् और इषुकार शब्दों का प्रयोग सिद्ध करता है कि उन दिनों बाण-निर्माण-कार्य व्यवस्थित व्यवसाय था। ऋग्वेदकालीन लोहार केवल लोहे का काम ही नहीं करता था, बाण भी तैयार करता था। बाण का अग्र भाग लोहार बनाता था और शेष बाण-निर्मातानिकाय बनाता था। ऐतरेय ब्राह्मण (ई. पू. 600 वर्ष) में देवताओं के धनुष का रोचक वर्णन मिलता है। देवताओं ने सोमयज्ञ के उपसद् में एक धनुष तैयार किया। धनुष का अग्रभाग अग्नि, आधार सोम, दंड विष्णु और पंख वरुण था। बाण का नाम शर कैसे पड़ा, इसका वर्णन शतपथ ब्राह्मण में मिलता है। जब वृत्रासुर पर इंद्र ने वज्र चलाया तब वज्र के चार खंड हो गए - स्फाय, यूप, रथ और अंतिम भाग शर के रूप में धरती पर गिर पड़ा। टूटने के कारण इनका नाम शर पड़ा। उसमें यह भी लिखा है कि बाण का शीर्ष वैसा ही है जैसे यज्ञ के लिए अग्नि। अग्निपुराण में बाण के निर्माण का वर्णन है। यह लोहे या बाँस से बनता है। बाँस सोने के रंग का और उत्तम कोटि के रेशोंवाला होना चाहिए। बाण के पुच्छभाग पर पंख होते हैं। उसपर तेल लगा रहना चाहिए, ताकि उपयोग में सुविधा हो। इसकी नोक पर स्वर्ण भी जड़ा होता है। हरिहरचतुरंग के अनुसार बाण तालतृण के दंत, शृंग या शारभ द्रुम (साल या वेणु) के बनते थे। विष्णुधर्मोत्तर में उनके धातु के, शृंग के तथा दारु (बाँस) के बने होने का उल्लेख है। इससे सिद्ध होता है कि ज्यों ज्यों समय बीतता गया पुरानी चीजें छोड़ दी गई। धातु का उपयोग महत्व का है और युद्धकला का अंतिम विकास है। अग्निपुराण में उत्कृष्ट, सामान्य और निकृष्ट तीन प्रकार के बाणों की पहचान दी है। बाण को निर्मुक्त करने के लिए उसके पंखदार सिरे को अँगूठे की सहायता से पकड़ना चाहिए। उत्कृष्ट बाण के दंत की माप 12 मुष्टि (1 मुष्टि संभवत: 1 पल के बराबर थी), सामान्यकी 11 मुष्टि और निकृष्ट की 10 मुष्टि होती थी। मनु ने भी इन आयुधों का उल्लेख किया है। कालिदास ने तेज, गहरे और दृढ़ दंडों का वर्णन किया है: वेणु, शर, शलाका, दंडसार और नाराच। कुछ बाणों पर लोहे की नोक की, कुछ पर काटने के लिए अस्थि की नोक की और कुछ पर छेदने के लिए लकड़ी की नोक की व्यवस्था रहती थी। जो धनुर्धर आधे अंगुल मोटी धातु की पट्टी को अथवा चमड़े की 24 परतों को बेध देता था, वह अत्यत कुशल माना जाता था। .

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बारूद

बारूद एक विस्फोटक रासायनिक मिश्रण है। इसे गन पाउडर (gunpowder) या अपने काले रंग के कारण काला पाउडर (black powder) भी कहते हैं। बारूद गंधक, कोयला एवं शोरा (पोटैसिअम नाइट्रेट या साल्टपीटर) का मिश्रण होता है और यह मानव इतिहास का सर्वप्रथम निर्मित विस्फोटक था। बारूद का प्रयोग पटाखों एवं नोदक (प्रोपेलन्ट) के रूप में अग्निशस्त्रों (firearms) में किया जाता है। बारूद चिंगारी पाकर तेजी से जलता है जिससे भारी मात्रा में गैस एवं गरम ठोस पैदा होता है। आधुनिक काल में बारूद एक "कमजोर विस्फोटक" (low explosive) के रूप में जाना जाता है क्योंकि विस्फोट होने पर यह अपश्रव्य तरंगें (subsonic) पैदा करता है न कि पराश्रव्य तरंगें (supersonic)। इसलिये बारूद के जलने से उत्पन्न गैसे इतना ही दाब पैदा कर पाती हैं जो गोली को आगे फेंकने में सहायक होती है किन्तु बन्दूक की नली को क्षति नहीं पहुंचा पाती। किसी चट्टान के विध्वंस या किसी किले को तोडने के लिये बारूद का प्रयोग उपयुक्त नहीं होता बल्कि इनके लिये "टी एन टी" आदि अच्छे रहते हैं। वर्तमान समय में बारूद के मानक मिश्रण में ७५% शोरा, १५% कोमल लकड़ी का कोयला तथा १०% गंधक होता है। .

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बंदूक़

बंदूक साधारणतया ऐसे किसी भी यंत्र को कहते हैं जिससे किसी प्रक्षेप को कहीं प्रक्षेपित किया जाता है। इसे प्रायः आग्नेयास्त्र से अर्थभ्रमित किया जाता है जिसका अर्थ कोई भी विस्फोटक या घातक अस्त्र होता है। File:Early matchlocks.jpg|Early matchlocks as illustrated in the Baburnama (16th century) File:A Mughal Infantryman.jpg|A Mughal Infantryman .

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भाला

भाला एक शस्त्र को कहते हैं जो आम तौर पर लकड़ी के एक डंडे से बना होता है जिसपर धातु से बनी नोक होती है। एक मुगल योद्ध .

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रॉकेट

अपोलो १५ अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण रॉकेट एक प्रकार का वाहन है जिसके उड़ने का सिद्धान्त न्यूटन के गति के तीसरे नियम क्रिया तथा बराबर एवं विपरीत प्रतिक्रिया पर आधारित है। तेज गति से गर्म वायु को पीछे की ओर फेंकने पर रॉकेट को आगे की दिशा में समान अनुपात का बल मिलता है। इसी सिद्धांत पर कार्य करने वाले जेट विमान, अंतरिक्ष यान एवं प्रक्षेपास्त्र विभिन्न प्रकार के राकेटों के उदाहरण हैं। रॉकेट के भीतर एक कक्ष में ठोस या तरल ईंधन को आक्सीजन की उपस्थिति में जलाया जाता है जिससे उच्च दाब पर गैस उत्पन्न होती है। यह गैस पीछे की ओर एक संकरे मुँह से अत्यन्त वेग के साथ बाहर निकलती है। इसके फलस्वरूप जो प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है वह रॉकेट को तीव्र वेग से आगे की ओर ले जाती है। अंतरिक्ष यानों को वायुमंडल से ऊपर उड़ना होता है इसलिए वे अपना ईंधन एवं आक्सीजन लेकर उड़ते हैं। जेट विमान में केवल ईँधन रहता है। जब विमान चलना प्रारम्भ करता है तो विमान के सिरे पर बने छिद्र से बाहर की वायु इंजन में प्रवेश करती है। वायु के आक्सीजन के साथ मिलकर ईँधन अत्यधिक दबाव पर जलता है। जलने से उत्पन्न गैस का दाब बहुत अधिक होता है। यह गैस वायु के साथ मिलकर पीछे की ओर के जेट से तीव्र वेग से बाहर निकलती है। यद्यपि गैस का द्रव्यमान बहुत कम होता है किन्तु तीव्र वेग के कारण संवेग और प्रतिक्रिया बल बहुत अधिक होता है। इसलिए जेट विमान आगे की ओर तीव्र वेग से गतिमान होता है। रॉकेट का इतिहास १३वी सदी से प्रारंभ होता है। चीन में राकेट विद्या का विकास बहुत तेज़ी से हुआ और जल्दी ही इसका प्रयोग अस्त्र के रूप में किया जाने लगा। मंगोल लड़ाकों के द्वारा रॉकेट तकनीक यूरोप पहुँची और फिर विभिन्न शासकों द्वारा यूरोप और एशिया के अन्य भागों में प्रचलित हुई। सन १७९२ में मैसूर के शासक टीपू सुल्तान ने अंग्रेज सेना के विरुद्ध लोहे के बने रॉकेटों का प्रयोग किया। इस युद्ध के बाद अंग्रेज सेना ने रॉकेट के महत्त्व को समझा और इसकी तकनीक को विकसित कर विश्व भर में इसका प्रचार किया। स्पेस टुडे पर--> .

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विशिष्ट गतिज ऊर्जा

विशिष्ट गतिज ऊर्जा किसी वस्तु के इकाई द्रव्यमान की गतिज ऊर्जा है। इसे \begin e_k .

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गति के समीकरण

गति के समीकरण, ऐसे समीकरणों को कहते हैं जो किसी पिण्ड के स्थिति, विस्थापन, वेग आदि का समय के साथ सम्बन्ध बताते हैं। गति के समीकरणों का स्वरूप भिन्न-भिन्न हो सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि गति में स्थानान्तरण हो रहा है या केवल घूर्णन है या दोनो हैं; एक ही बल काम कर रहा है या कई; बल (त्वरण) नियत है या परिवर्तनशील; पिण्ड का द्रव्यमान स्थिर है या बदल रहा है (जैसे रॉकेट में) आदि। परम्परागत भौतिकी (क्लासिकल फिजिक्स) में गति का समीकरण इस प्रकार है: m \cdot \frac .

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क्रिकेट

क्रिकेट एक बल्ले और गेंद का दलीय खेल है जिसकी शुरुआत दक्षिणी इंग्लैंड में हुई थी। इसका सबसे प्राचीन निश्चित संदर्भ १५९८ में मिलता है, अब यह १०० से अधिक देशों में खेला जाता है। क्रिकेट के कई प्रारूप हैं, इसका उच्चतम स्तर टेस्ट क्रिकेट है, जिसमें वर्तमान प्रमुख राष्ट्रीय टीमें इंडिया(भारत), ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैण्ड, श्रीलंका, वेस्टइंडीज, न्यूजीलैण्ड, पाकिस्तान, ज़िम्बाब्वे, बांग्लादेश अफ़ग़ानिस्तान और आयरलैण्ड हैं। अप्रैल 2018 में, आईसीसी ने घोषणा की कि वह 1 जनवरी 2019 से अपने सभी 104 सदस्यों को ट्वेन्टी-२० अंतरराष्ट्रीय की मान्यता प्रदान करेगी। वरीयता में टेस्ट क्रिकेट के बाद एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को गिना जाता है जिसका 2011 का क्रिकेट विश्वकप भारत ने जीता था; इस टूर्नामेंट को २०० से अधिक देशों में टेलीविजन पर दिखाया गया था और अनुमानतः २ बिलियन से अधिक दर्शकों ने देखा था। एक क्रिकेट मुकाबले में ११ खिलाड़ियों के दो दल होते हैं इसे घास के मैदान में खेला जाता है, जिसके केन्द्र में भूमि की एक समतल लम्बी पट्टी होती है जिसे पिच कहते हैं। विकेट लकड़ी से बनी होती हैं, जिसे पिच के प्रत्येक सिरे में लगाया जाता है और उसका प्रयोग एक लक्ष्य के रूप में किया जाता है। गेंदबाज क्षेत्ररक्षण टीम का एक खिलाड़ी होता है, जो गेंदबाजी के लिए एक सख्त, चमड़े की मुट्ठी के आकार की क्रिकेट की गेंद को एक विकेट के पास से दूसरे विकेट की और डालता है, जिसे विपक्षी टीम के एक खिलाड़ी बल्लेबाज के द्वारा बचाया जाता है। आम तौर पर गेंद बल्लेबाज के पास पहुँचने से पहले एक बार टप्पा खाती है। अपने विकेट की रक्षा करने के लिए बल्लेबाज लकड़ी के क्रिकेट के बल्ले से गेंद को खेलता है। इसी बीच गेंदबाज की टीम के अन्य सदस्य मैदान में क्षेत्ररक्षक के रूप में अलग-अलग स्थितियों में खड़े रहते हैं, ये खिलाड़ी बल्लेबाज को दौड़ बनाने से रोकने के लिए गेंद को पकड़ने का प्रयास करते हैं और यदि सम्भव हो तो उसे आउट करने की कोशिश करते हैं। बल्लेबाज यदि आउट नहीं होता है तो वो विकेटों के बीच में भाग कर दूसरे बल्लेबाज ("गैर स्ट्राइकर") से अपनी स्थिति को बदल सकता है, जो पिच के दूसरी ओर खड़ा होता है। इस प्रकार एक बार स्थिति बदल लेने से एक रन बन जाता है। यदि बल्लेबाज गेंद को मैदान की सीमारेखा तक हिट कर देता है तो भी रन बन जाते हैं। स्कोर किए गए रनों की संख्या और आउट होने वाले खिलाड़ियों की संख्या मैच के परिणाम को निर्धारित करने वाले मुख्य कारक हैं। यह कई बातों पर निर्भर करता है कि क्रिकेट के खेल को ख़त्म होने में कितना समय लगेगा। पेशेवर क्रिकेट में यह सीमा हर पक्ष के लिए २० ओवरों से लेकर ५ दिन खेलने तक की हो सकती है। खेल की अवधि के आधार पर विभिन्न नियम हैं जो खेल में जीत, हार, अनिर्णीत (ड्रा), या बराबरी (टाई) का निर्धारण करते हैं। क्रिकेट मुख्यतः एक बाहरी खेल है और कुछ मुकाबले कृत्रिम प्रकाश (फ्लड लाइट्स) में भी खेले जाते हैं। उदाहरण के लिए, गरमी के मौसम में इसे संयुक्त राजशाही, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका में खेला जाता है जबकि वेस्ट इंडीज, भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश में ज्यादातर मानसून के बाद सर्दियों में खेला जाता है। मुख्य रूप से इसका प्रशासन दुबई में स्थित अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के द्वारा किया जाता है, जो इसके सदस्य राष्ट्रों के घरेलू नियंत्रित निकायों के माध्यम से विश्व भर में खेल का आयोजन करती है। आईसीसी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेले जाने वाले पुरूष और महिला क्रिकेट दोनों का नियंत्रण करती है। हालांकि पुरूष, महिला क्रिकेट नहीं खेल सकते हैं पर नियमों के अनुसार महिलाएं पुरुषों की टीम में खेल सकती हैं। मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप, आस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम, आयरलैंड, दक्षिणी अफ्रीका और वेस्टइंडीज में क्रिकेट का पालन किया जाता है। नियम संहिता के रूप में होते हैं जो, क्रिकेट के कानून कहलाते हैं और इनका अनुरक्षण लंदन में स्थित मेरीलेबोन क्रिकेट क्लब (एम सी सी) के द्वारा किया जाता है। इसमें आई सी सी और अन्य घरेलू बोर्डों का परामर्श भी शामिल होता है। .

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