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भूतंत्र

सूची भूतंत्र

''Physiocratie, ou Constitution naturelle du gouvernement le plus avantageux au genre humain (भूतंत्र, या मानव के लिये सर्वाधिक उपयोगी सरकार का नैसर्गिक संविधान)'' का मुखपृष्ठ फ्रांसोआ क़्वेसने भूतंत्र या प्रकृतितंत्र (फिजियोक्रेसी) एक आर्थिक सिद्धान्त है जिसका प्रतिपादन १८वीं शताब्दी के फ्रांसीसी अर्थशास्त्रियों एवं दार्शनिकों के एक समूह ने किया था। इस सम्प्रदाय का विश्वास था कि देशों की सम्पति केवल कृषि भूमि तथा उसके विकास से ही उत्पन्न होती है। उनका यह भी विचार था कि कृषि उत्पादों के मूल्य बहुत अधिक रखने चाहिये। इस दृष्टिकोण का प्रतिपादन सर्वप्रथम १७५५ में कैंटिलों नामक व्यापारी ने किया, और फ्रांसोआ क़्वेसने (Francois Quesnay) तथा जां क्लोद मारी वैंसैं सिअ द गूर्ने (Jean claude Marie vincent, Sieur de Gournay) ने सम्बद्ध क्रियात्मक सिद्धान्त का रूप दिया। इस सिद्धान्त को 'निर्बाधावादी व्यवस्था', निर्बाधावाद या प्रकृतिराज्यवाद भी कह सकते हैं। इस संप्रदाय का सामान्य राजनीतिक विश्वास यह था कि समाज में सब व्यक्तियों में समान योग्यताएँ न होते हुए भी उनके समान प्राकृतिक अधिकार हैं। प्रत्येक व्यक्ति के हित को सबसे अच्छी तरह स्वयं वह ही समझता है, और स्वभाव से ही उसका अनुसरण करता है। व्यवस्था एक अनुबंध है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने प्राकृतिक अधिकारों को वहाँ तक सीमाबद्ध कर लेगा, जहाँ से आगे यह दूसरों के अधिकारों में बाधा डालने लगते हैं। इसी प्रकार राज्य सरकार के द्वारा शासन भी एक आवश्यक अनिष्ट (necessary evil) है। जनस्वीकृति के ऊपर आधारित होने पर भी उसके द्वारा सत्ता का उपयोग इस अनुबंध का पालन कराने के लिए आवश्यक न्यूनतम हस्तक्षेप तक सीमित रहना चाहिए। इस संप्रदाय ने यह माँग की कि आर्थिक जीवन में प्रत्येक व्यक्ति को अपने श्रम से प्राप्त प्राकृतिक सुखों के भोग का अधिकार होना चाहिए। इसलिए व्यक्तिगत श्रम अबाध्य एवं अक्षुण्ण होना चाहिए। अपने श्रम के फल अर्थात् अपनी संपत्ति पर व्यक्ति का अछूता नियंत्रण होना चाहिए। विनियम (exchange) की स्वतंत्रता सुरक्षित रहनी चाहिए, और बाजार में प्रतियोगिता निरंकुश होनी चाहिए। कोई एकाधिकार (monopolies) अथवा विशेषाधिकार नहीं होना चाहिए। इस संप्रदाय का मत था कि वास्तव में केवल कृषि और खनिज ही उत्पादक व्यवसाय हैं। कारण यह कि केवल इन व्यवसायों से ही मनुष्य को अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कच्चा माल मिलता है। शेष सभी व्यवसाय माल का केवल रूपान्तर तथा वितरण करते हैं और इनमें राष्ट्र के धन का व्यय ही होता है। वे उपयोगी तो हैं, परन्तु निरुत्पादक होने के कारण कृषकों की आवश्यकताओं से अधिक होनेवाली आय पर पलते हैं। इसलिए राज्य की आय सीधे कृषकों पर भूमिकर लगा कर ही प्राप्त होना चाहिए। इस संप्रदाय के लोग सरकार को विधानकारी एवं कार्यकारी दोनों क्षेत्रों में 'सर्वोच्च वैध ज्ञानवन्त तानाशाही' का रूप देने के पक्ष में थे। ऐसी सरकार उद्योग को स्वतंत्रता दिला सकती थी। उससे यह आशा भी की जा सकती थी कि वह स्वयं कुछ न करती हुई विधियों (laws) को प्रकृति के अनुरूप करके उन्हें राज्य करने देगी। यह निर्बाधावादी विचारक बड़े सच्चरित्र, विशेषतया श्रमिकों के भौतिक तथा नैतिक उत्थान की इच्छा से प्रेरित, स्पष्टवादी, सरल, निष्कपट, सत्यभाषी, एकचित्त तथा बात के पक्के होते थे। परन्तु अपने मत के प्रतिपादन में उनकी शैली नीरस, कठोर, एवं बोझिल थी। परिणामस्वरूप वे कुछ प्रतिभाशील व्यक्तियों को छोड़कर साधारण जनता को अपनी ओर आकर्षित न कर पाए। साहित्यिकों द्वारा उनका उपहास भी हुआ। फिर भी उनकी अच्छी बातें आगे चलकर विख्यात विचारक एडम स्मिथ (Adam Smith) के सिद्धांतों में समाविष्ट हो गई। श्रेणी:आर्थिक सिद्धान्त.

9 संबंधों: एडम स्मिथ, प्राकृतिक और विधिक अधिकार, फ़्रान्स, बाज़ार, संविदा निर्माण, विधि, खनिज, कच्चा माल, कृषि

एडम स्मिथ

अर्थशास्त्री '''एडम स्मिथ''' एडम स्मिथ (५जून १७२३ से १७ जुलाई १७९०) एक स्कॉटिश नीतिवेत्ता, दार्शनिक और राजनैतिक अर्थशास्त्री थे। उन्हें अर्थशास्त्र का पितामह भी कहा जाता है।आधुनिक अर्थशास्त्र के निर्माताओं में एडम स्मिथ (जून 5, 1723—जुलाई 17, 1790) का नाम सबसे पहले आता है.

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प्राकृतिक और विधिक अधिकार

प्राकृतिक और विधिक अधिकार (Natural and legal rights) अधिकारों के दो रूप हैं। विधिक अधिकार वे हैं जो किसी दत्त विधिक प्रणाली द्वारा किसी व्यक्ति को प्रदान किये जाते हैं (अर्थात्, वे अधिकार जो मानवीय नियमों द्वारा परिवर्तित, निरसित और निरुद्ध किये जा सकते)। प्राकृतिक अधिकार वे हैं जो किसी विशेष संस्कृति या सरकार के नियमों या रिवाजों पर निर्भर नहीं होते, अतः सार्वभौमिक और अविच्छेद्य होते हैं (अर्थात्, वे अधिकार जो मानवीय नियमों द्वारा निरसित या निरुद्ध नहीं कियें जा सकते)। .

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फ़्रान्स

फ़्रान्स,या फ्रांस (आधिकारिक तौर पर फ़्रान्स गणराज्य; फ़्रान्सीसी: République française) पश्चिम यूरोप में स्थित एक देश है किन्तु इसका कुछ भूभाग संसार के अन्य भागों में भी हैं। पेरिस इसकी राजधानी है। यह यूरोपीय संघ का सदस्य है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह यूरोप महाद्वीप का सबसे बड़ा देश है, जो उत्तर में बेल्जियम, लक्ज़मबर्ग, पूर्व में जर्मनी, स्विट्ज़रलैण्ड, इटली, दक्षिण-पश्चिम में स्पेन, पश्चिम में अटलांटिक महासागर, दक्षिण में भूमध्यसागर तथा उत्तर पश्चिम में इंग्लिश चैनल द्वारा घिरा है। इस प्रकार यह तीन ओर सागरों से घिरा है। सुरक्षा की दृष्टि से इसकी स्थिति उत्तम नहीं है। लौह युग के दौरान, अभी के महानगरीय फ्रांस को कैटलिक से आये गॉल्स ने अपना निवास स्थान बनाया। रोम ने 51 ईसा पूर्व में इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया गया। फ्रांस, गत मध्य युग में सौ वर्ष के युद्ध (1337 से 1453) में अपनी जीत के साथ राज्य निर्माण और राजनीतिक केंद्रीकरण को मजबूत करने के बाद एक प्रमुख यूरोपीय शक्ति के रूप में उभरा। पुनर्जागरण के दौरान, फ्रांसीसी संस्कृति विकसित हुई और एक वैश्विक औपनिवेशिक साम्राज्य स्थापित हुआ, जो 20 वीं सदी तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी थी। 16 वीं शताब्दी में यहाँ कैथोलिक और प्रोटेस्टैंट (ह्यूजेनॉट्स) के बीच धार्मिक नागरिक युद्धों का वर्चस्व रहा। फ्रांस, लुई चौदहवें के शासन में यूरोप की प्रमुख सांस्कृतिक, राजनीतिक और सैन्य शक्ति बन कर उभरा। 18 वीं शताब्दी के अंत में, फ्रेंच क्रांति ने पूर्ण राजशाही को उखाड़ दिया, और आधुनिक इतिहास के सबसे पुराने गणराज्यों में से एक को स्थापित किया, साथ ही मानव और नागरिकों के अधिकारों की घोषणा के प्रारूप का मसौदा तैयार किया, जोकि आज तक राष्ट्र के आदर्शों को व्यक्त करता है। 19वीं शताब्दी में नेपोलियन ने वहाँ की सत्ता हथियाँ कर पहले फ्रांसीसी साम्राज्य की स्थापना की, इसके बाद के नेपोलियन युद्धों ने ही वर्तमान यूरोप महाद्वीपीय के स्वरुप को आकार दिया। साम्राज्य के पतन के बाद, फ्रांस में 1870 में तृतीय फ्रांसीसी गणतंत्र की स्थापना हुई, हलाकि आने वाली सभी सरकार लचर अवस्था में ही रही। फ्रांस प्रथम विश्व युद्ध में एक प्रमुख भागीदार था, जहां वह विजयी हुआ, और द्वितीय विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्र में से एक था, लेकिन 1940 में धुरी शक्तियों के कब्जे में आ गया। 1944 में अपनी मुक्ति के बाद, चौथे फ्रांसीसी गणतंत्र की स्थापना हुई जिसे बाद में अल्जीरिया युद्ध के दौरान पुनः भंग कर दिया गया। पांचवां फ्रांसीसी गणतंत्र, चार्ल्स डी गॉल के नेतृत्व में, 1958 में बनाई गई और आज भी यह कार्यरत है। अल्जीरिया और लगभग सभी अन्य उपनिवेश 1960 के दशक में स्वतंत्र हो गए पर फ्रांस के साथ इसके घनिष्ठ आर्थिक और सैन्य संबंध आज भी कायम हैं। फ्रांस लंबे समय से कला, विज्ञान और दर्शन का एक वैश्विक केंद्र रहा है। यहाँ पर यूरोप की चौथी सबसे ज्यादा सांस्कृतिक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल मौजूद है, और दुनिया में सबसे अधिक, सालाना लगभग 83 मिलियन विदेशी पर्यटकों की मेजबानी करता है। फ्रांस एक विकसित देश है जोकि जीडीपी में दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तथा क्रय शक्ति समता में नौवीं सबसे बड़ा है। कुल घरेलू संपदा के संदर्भ में, यह दुनिया में चौथे स्थान पर है। फ्रांस का शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, जीवन प्रत्याशा और मानव विकास की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में अच्छा प्रदर्शन है। फ्रांस, विश्व की महाशक्तियों में से एक है, वीटो का अधिकार और एक आधिकारिक परमाणु हथियार संपन्न देश के साथ ही यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से एक है। यह यूरोपीय संघ और यूरोजोन का एक प्रमुख सदस्यीय राज्य है। यह समूह-8, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो), आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी), विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) और ला फ्रैंकोफ़ोनी का भी सदस्य है। .

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बाज़ार

भारत की एक दुकान में मौजूद वस्तुओं का चित्र Wet market in Singapore बाज़ार ऐसी जगह को कहते हैं जहाँ पर किसी भी चीज़ का व्यापार होता है। आम बाज़ार और ख़ास चीज़ों के बाज़ार दोनों तरह के बाज़ार अस्तित्व में हैं। बाज़ार में कई बेचने वाले एक जगह पर होतें हैं ताकि जो उन चीज़ों को खरीदना चाहें वे उन्हें आसानी से ढूँढ सकें। बाजार जहां पर वस्तुओं और सेवाओं का क्रय व विक्रय होता है उसे बाजार कहते हैं.

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संविदा निर्माण

वह प्रत्येक वचन अथवा करार जो कानून द्वारा प्रवर्तनीय हो अथवा जिसका कानून द्वारा पालन कराया जा सके, संविदा (ठीका, अनुबन्ध, कान्ट्रैक्ट) कहलाता है। वर्तमान संविदा की विशेषता उसकी कानूनी मान्यता है। .

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विधि

विधि (या, कानून) किसी नियमसंहिता को कहते हैं। विधि प्रायः भलीभांति लिखी हुई संसूचकों (इन्स्ट्रक्शन्स) के रूप में होती है। समाज को सम्यक ढंग से चलाने के लिये विधि अत्यन्त आवश्यक है। विधि मनुष्य का आचरण के वे सामान्य नियम होते है जो राज्य द्वारा स्वीकृत तथा लागू किये जाते है, जिनका पालन अनिवर्य होता है। पालन न करने पर न्यायपालिका दण्ड देता है। कानूनी प्रणाली कई तरह के अधिकारों और जिम्मेदारियों को विस्तार से बताती है। विधि शब्द अपने आप में ही विधाता से जुड़ा हुआ शब्द लगता है। आध्यात्मिक जगत में 'विधि के विधान' का आशय 'विधाता द्वारा बनाये हुए कानून' से है। जीवन एवं मृत्यु विधाता के द्वारा बनाया हुआ कानून है या विधि का ही विधान कह सकते है। सामान्य रूप से विधाता का कानून, प्रकृति का कानून, जीव-जगत का कानून एवं समाज का कानून। राज्य द्वारा निर्मित विधि से आज पूरी दुनिया प्रभावित हो रही है। राजनीति आज समाज का अनिवार्य अंग हो गया है। समाज का प्रत्येक जीव कानूनों द्वारा संचालित है। आज समाज में भी विधि के शासन के नाम पर दुनिया भर में सरकारें नागरिकों के लिये विधि का निर्माण करती है। विधि का उदेश्य समाज के आचरण को नियमित करना है। अधिकार एवं दायित्वों के लिये स्पष्ट व्याख्या करना भी है साथ ही समाज में हो रहे अनैकतिक कार्य या लोकनीति के विरूद्ध होने वाले कार्यो को अपराध घोषित करके अपराधियों में भय पैदा करना भी अपराध विधि का उदेश्य है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1945 से लेकर आज तक अपने चार्टर के माध्यम से या अपने विभिन्न अनुसांगिक संगठनो के माध्यम से दुनिया के राज्यो को व नागरिकों को यह बताने का प्रयास किया कि बिना शांति के समाज का विकास संभव नहीं है परन्तु शांति के लिये सहअस्तित्व एवं न्यायपूर्ण दृष्टिकोण ही नहीं आचरण को जिंदा करना भी जरूरी है। न्यायपूर्ण समाज में ही शांति, सदभाव, मैत्री, सहअस्तित्व कायम हो पाता है। .

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खनिज

विभिन्न प्रकार के खनिज खनिज ऐसे भौतिक पदार्थ हैं जो खान से खोद कर निकाले जाते हैं। कुछ उपयोगी खनिज पदार्थों के नाम हैं - लोहा, अभ्रक, कोयला, बॉक्साइट (जिससे अलुमिनियम बनता है), नमक (पाकिस्तान व भारत के अनेक क्षेत्रों में खान से नमक निकाला जाता है!), जस्ता, चूना पत्थर इत्यादि। .

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कच्चा माल

रबर के वृक्ष से दूध इकट्ठा किया जा रहा है। कच्चा माल (raw material) उन मूल द्रव्यों को कहते हैं जिनका उपयोग विविध शिल्पों में उत्पादन कार्य के लिए होता है। उदाहरणार्थ, चीनी मिल के लिए गन्ना, वस्त्र उद्योग के लिए रुई, कागज बनाने के लिए बाँस, ईख की छोई तथा सन और लोहे के कारखानों के लिए कच्चा लोहा आदि कच्चा माल है। औद्योगिक दृष्टि से यूरोप के विकसित पूँजीवादी देशों को कच्चे माल की आवश्यकता पड़ी तो उन्होंने संसार के अन्य महाद्वीपों में अपने अनेक उपनिवेश स्थापित किए और वहाँ के कच्चे माल से विविध वस्तुएँ तैयार करके उन्हें पुन: उन्हीं के देशों में खपाया तथा अकल्पित लाभ प्राप्त किया। श्रेणी:पदार्थ श्रेणी:खनिज श्रेणी:आपूर्ति शृंखला प्रबंधन शब्दावली.

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कृषि

कॉफी की खेती कृषि खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य और अन्य सामान के उत्पादन से संबंधित है। कृषि एक मुख्य विकास था, जो सभ्यताओं के उदय का कारण बना, इसमें पालतू जानवरों का पालन किया गया और पौधों (फसलों) को उगाया गया, जिससे अतिरिक्त खाद्य का उत्पादन हुआ। इसने अधिक घनी आबादी और स्तरीकृत समाज के विकास को सक्षम बनाया। कृषि का अध्ययन कृषि विज्ञान के रूप में जाना जाता है तथा इसी से संबंधित विषय बागवानी का अध्ययन बागवानी (हॉर्टिकल्चर) में किया जाता है। तकनीकों और विशेषताओं की बहुत सी किस्में कृषि के अन्तर्गत आती है, इसमें वे तरीके शामिल हैं जिनसे पौधे उगाने के लिए उपयुक्त भूमि का विस्तार किया जाता है, इसके लिए पानी के चैनल खोदे जाते हैं और सिंचाई के अन्य रूपों का उपयोग किया जाता है। कृषि योग्य भूमि पर फसलों को उगाना और चारागाहों और रेंजलैंड पर पशुधन को गड़रियों के द्वारा चराया जाना, मुख्यतः कृषि से सम्बंधित रहा है। कृषि के भिन्न रूपों की पहचान करना व उनकी मात्रात्मक वृद्धि, पिछली शताब्दी में विचार के मुख्य मुद्दे बन गए। विकसित दुनिया में यह क्षेत्र जैविक खेती (उदाहरण पर्माकल्चर या कार्बनिक कृषि) से लेकर गहन कृषि (उदाहरण औद्योगिक कृषि) तक फैली है। आधुनिक एग्रोनोमी, पौधों में संकरण, कीटनाशकों और उर्वरकों और तकनीकी सुधारों ने फसलों से होने वाले उत्पादन को तेजी से बढ़ाया है और साथ ही यह व्यापक रूप से पारिस्थितिक क्षति का कारण भी बना है और इसने मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। चयनात्मक प्रजनन और पशुपालन की आधुनिक प्रथाओं जैसे गहन सूअर खेती (और इसी प्रकार के अभ्यासों को मुर्गी पर भी लागू किया जाता है) ने मांस के उत्पादन में वृद्धि की है, लेकिन इससे पशु क्रूरता, प्रतिजैविक (एंटीबायोटिक) दवाओं के स्वास्थ्य प्रभाव, वृद्धि हॉर्मोन और मांस के औद्योगिक उत्पादन में सामान्य रूप से काम में लिए जाने वाले रसायनों के बारे में मुद्दे सामने आये हैं। प्रमुख कृषि उत्पादों को मोटे तौर पर भोजन, रेशा, ईंधन, कच्चा माल, फार्मास्यूटिकल्स और उद्दीपकों में समूहित किया जा सकता है। साथ ही सजावटी या विदेशी उत्पादों की भी एक श्रेणी है। वर्ष 2000 से पौधों का उपयोग जैविक ईंधन, जैवफार्मास्यूटिकल्स, जैवप्लास्टिक, और फार्मास्यूटिकल्स के उत्पादन में किया जा रहा है। विशेष खाद्यों में शामिल हैं अनाज, सब्जियां, फल और मांस। रेशे में कपास, ऊन, सन, रेशम और सन (फ्लैक्स) शामिल हैं। कच्चे माल में लकड़ी और बाँस शामिल हैं। उद्दीपकों में तम्बाकू, शराब, अफ़ीम, कोकीन और डिजिटेलिस शामिल हैं। पौधों से अन्य उपयोगी पदार्थ भी उत्पन्न होते हैं, जैसे रेजिन। जैव ईंधनों में शामिल हैं मिथेन, जैवभार (बायोमास), इथेनॉल और बायोडीजल। कटे हुए फूल, नर्सरी के पौधे, उष्णकटिबंधीय मछलियाँ और व्यापार के लिए पालतू पक्षी, कुछ सजावटी उत्पाद हैं। 2007 में, दुनिया के लगभग एक तिहाई श्रमिक कृषि क्षेत्र में कार्यरत थे। हालांकि, औद्योगिकीकरण की शुरुआत के बाद से कृषि से सम्बंधित महत्त्व कम हो गया है और 2003 में-इतिहास में पहली बार-सेवा क्षेत्र ने एक आर्थिक क्षेत्र के रूप में कृषि को पछाड़ दिया क्योंकि इसने दुनिया भर में अधिकतम लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया। इस तथ्य के बावजूद कि कृषि दुनिया के आबादी के एक तिहाई से अधिक लोगों की रोजगार उपलब्ध कराती है, कृषि उत्पादन, सकल विश्व उत्पाद (सकल घरेलू उत्पाद का एक समुच्चय) का पांच प्रतिशत से भी कम हिस्सा बनता है। .

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