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प्रकाशिक यंत्र

सूची प्रकाशिक यंत्र

सन् १८५८ में इंग्लैण्ड में उपलब्ध कुछ प्रकाशिक यन्त्र प्रकाशिक यंत्र (optical instrument) किसी प्रकाश तरंगों का प्रसंस्करण करते हैं ताकि किसी छवि की गुणवत्ता बढ़ायी जा सके या प्रकाश तरंगों (फोटॉन) का विश्लेषण करते हैं ताकि उस तरंग के बहुत से वैशिष्ट्यों में से किसी एक का मान निकाला जा सके। .

8 संबंधों: द्विनेत्री दूरदर्शी, दूरदर्शी, प्रकाश, लेंस, सूक्ष्मदर्शी, वर्णक्रममापी, व्यतिकरणमिति, कैमरा

द्विनेत्री दूरदर्शी

एक विशिष्ट पोर्रो प्रिज़्म द्विनेत्री दूरदर्शी की डिजाइन फादर चेरुबिन डी'ऑर्लियंस द्वारा निर्मित द्विनेत्री दूरदर्शी, 1681, मुसी डेस कला एट मैटियर्स द्विनेत्री (binocular), फील्ड ग्लास अथवा द्विनेत्री दूरदर्शी (binocular telescope) समान अथवा दर्पण सममिति वाले दूरदर्शी-युग्म है, जो साथ-साथ लगे होते हैं तथा एक दिशा में देखने के लिए परिशुद्धता से लगाए जाते हैं। एक साधरण द्विनेत्री दूरदर्शी, गैलिलिओ किस्म के दो दूरदर्शियों का युग्म होता है। द्विनेत्री का उपयोग पार्थिव वस्तुओं के देखने में होता है, इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि इस प्रकार के द्विनेत्री में वस्तु का सीधा प्रतिबिंब बने। गैलिलियों किस्म के दूरदर्शी सीधा प्रतिबिंब बनाते हैं। इसलिए साधारण द्विनेत्री दूरदर्शी के निर्माण में इसी प्रकार के दूरदर्शी का उपयोग होता है। साधारण द्विनेत्री दूरदर्शी को नाट्य दूरबीन कहते हैं। टेलिस्कोप (मोनोक्युलर) के विपरीत दूरबीन (बाइनोक्युलर) उपयोगकर्ता को त्रि-आयामी छवि प्रस्तुत कराती है: अपेक्षाकृत नज़दीक की वस्तुओं को देखते समय दर्शक की दोनों आंखों के लिए थोड़े से अलग दृष्टिकोण से छवियां प्रस्तुत होती हैं जो कि मिल कर गहराई का प्रभाव प्रस्तुत करती हैं। मोनोक्युलर टेलिस्कोप के विपरीत इसमें भ्रम से बचने के लिए एक आंख को बंद अथवा ढकने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दोनों आंखों के प्रयोग से दृष्टिसंबंधी तीव्रता (रिज़ोल्यूशन) काफी बढ़ जाती है और ऐसा काफी दूर की वस्तुओं के लिए भी होता है जहां गहराई का आभास स्पष्ट नहीं होता। .

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दूरदर्शी

न्यूटनीय दूरदर्शी का आरेख दूरदर्शी वह प्रकाशीय उपकरण है जिसका प्रयोग दूर स्थित वस्तुओं को देख्नने के लिये किया जाता है। दूरदर्शी से सामान्यत: लोग प्रकाशीय दूरदर्शी का अर्थ ग्रहण करते हैं, परन्तु दूरदर्शी विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम के अन्य भागों मै भी काम करता है जैसे X-रे दूरदर्शी जो कि X-रे के प्रति संवेदनशील होता है, रेडियो दूरदर्शी जो कि अधिक तरंगदैर्घ्य की विद्युत चुंबकीय तरंगे ग्रहण करता है। दूरदर्शी साधारणतया उस प्रकाशीय तंत्र (optical system) को कहते हैं जिससे देखने पर दूर की वस्तुएँ बड़े आकार की और स्पष्ट दिखाई देती हैं, अथवा जिसकी सहायता से दूरवर्ती वस्तुओं के साधारण और वर्णक्रमचित्र (spectrograms) प्राप्त किए जाते हैं। दूरवर्ती वस्तुओं का ज्ञान प्राप्त करने के लिए आजकल रेडियो तरंगों का भी उपयोग किया जाने लगा है। इस प्रकार का यंत्र रेडियो दूरदर्शी (radio telescope) कहलाता है। बोलचाल की भाषा में दूरदर्शी को दूरबीन भी कहते हैं। दूरबीन के आविष्कार ने मनुष्य की सीमित दृष्टि को अत्यधिक विस्तृत बना दिया है। ज्योतिर्विद के लिए दूरदर्शी की उपलब्धि अंधे व्यक्ति को मिली आँखों के सदृश वरदान सिद्ध हुई है। इसकी सहायता से उसने विश्व के उन रहस्यमय ज्योतिष्पिंडों तक का साक्षात्कार किया है जिन्हें हम सर्पिल नीहारिकाएँ (spiral nebulae) कहते हैं। ये नीहारिकाएँ हमसे करोड़ों प्रकाशवर्ष की दूरी पर हैं। आधुनिक ज्योतिर्विज्ञान (astronomy) और ताराभौतिकी (astrophysics) के विकास में दूरदर्शी का महत्वपूर्ण योग है। दूरदर्शी ने एक ओर जहाँ मनुष्य की दृष्टि को विस्तृत बनाया है, वहाँ दूसरी ओर उसने मानव को उन भौतिक तथ्यों और नियमों को समझने में सहायता भी दी है जो भौतिक विश्व के गत्यात्मक संतुलन (dynamic equilibirium) के आधार हैं। .

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प्रकाश

सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित एक मेघ प्रकाश एक विद्युतचुम्बकीय विकिरण है, जिसकी तरंगदैर्ध्य दृश्य सीमा के भीतर होती है। तकनीकी या वैज्ञानिक संदर्भ में किसी भी तरंगदैर्घ्य के विकिरण को प्रकाश कहते हैं। प्रकाश का मूल कण फ़ोटान होता है। प्रकाश की तीन प्रमुख विमायें निम्नवत है।.

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लेंस

ताल का चित्र ताल का उपयोग प्रकाश को फोकस करने के लिये किया जा सकता है ताल (लेंस) एक प्रकाशीय युक्ति है जो प्रकाश के अपवर्तन के सिद्धान्त पर काम करता है। ताल गोलीय, बेलनाकार आदि जैसे नियमित, ज्यामिती रूप की दो सतहों से घिरा हुआ पारदर्शक माध्यम, जिससे अपवर्तन के पश्चात् किसी वस्तु का वास्तविक अथवा काल्पनिक प्रतिबिंब बनता है, ताल कहलाता है। उत्तल (convex) ताल मसूर की आकृति का होता है। ताल की सतह प्राय: गोलीय (spherical) होती है, परंतु आवश्यकतानुसार बेलनाकर, या अगोली ताल भी प्रयुक्त होते हैं। आँख के क्रिस्टलीय ताल ही एकमात्र प्राकृतिक ताल है। हजारों वर्ष पहले भी लोग ताल के विषय में जानते थे और माइसनर (Meissner) के अनुसार प्राचीन काल में भी चश्मे से लाभ उठाया जाता था। चश्में के अलावा प्रकाशविज्ञान में ताल का उपयोग दूरदर्शी, सूक्ष्मदर्शी, प्रकाशस्तंभ, द्विनेत्री (बाइनॉक्युलर) इत्यादि में होता है। .

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सूक्ष्मदर्शी

सूक्ष्मदर्शी या सूक्ष्मबीन (माइक्रोस्कोप) वह यंत्र है जिसकी सहायता से आँख से न दिखने योग्य सूक्ष्म वस्तुओं को भी देखा जा सकता है। सूक्ष्मदर्शी की सहायता से चीजों का अवलोकन व जांच किया जाता है वह सूक्ष्मदर्शन कहलाता है। सूक्ष्मदर्शी का इतिहास लगभग ४०० वर्ष पुराना है। सबसे पहले नीदरलैण्ड में सन १६०० के आस-पास किसी काम के योग्य सूक्ष्मदर्शी का विकास हुआ। .

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वर्णक्रममापी

वर्णक्रममापी (स्पेक्ट्रोमीटर, स्पेक्ट्रोफोटोमीटर, स्पेक्ट्रोग्राफ या स्पेक्ट्रोस्कोप) विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम के एक विशिष्ट भाग के लिए प्रकाश की विशेषतायों के मापन हेतु उपयोग किया जाना वाला यंत्र है जो आम तौर पर सामग्री की पहचान के लिए स्पेक्ट्रोस्कोपी विश्लेषण में इस्तेमाल किया जाता है। मापित चर अक्सर प्रकाश की तीव्रता होता है, लेकिन उदाहरण के लिए यह ध्रुवीकरण स्थिति भी हो सकती है। स्वतंत्र चर आमतौर पर या तो प्रकाश की तरंग दैर्ध्य या फोटोन उर्जा के लिए सीधे आनुपातिक एक इकाई होता है जैसे वेवनंबर या इलेक्ट्रॉन वोल्ट जिसका तरंग दैर्ध्य के साथ व्युत्क्रम संबंध होता है। स्पेक्ट्रोमीटर स्पेक्ट्रोस्कोपी में वर्णक्रमीय पंक्तियों के उत्पादन तथा तरंगदैर्य और तीव्रता के मापन हेतु प्रयोग किया जाता है। स्पेक्ट्रोमीटर एक शब्दावली है जो गामा रेज़ और एक्स रेज़ से लेकर फार इन्फ्रारेड की व्यापक रेंज के तरंग दैर्ध्य पर संचालित होने वाले उपकरणों पर लागू की जाती है। अगर रूचि का क्षेत्र विजिबिल स्पेक्ट्रम के पास प्रतिबंधित है, तो अध्ययन को स्पेक्ट्रोफोटोमेट्री कहा जाता है। सामान्यत: कोई भी विशेष उपकरण इस पूर्ण रेंज के एक छोटे से हिस्से पर संचालित हो सकता है ऐसा स्पेक्ट्रम के विभिन्न भागों को मापने के लिए इस्तेमाल की जानी वाली तकनीक की वजह से होता है। ऑप्टिकल आवृत्तियों के नीचे (जैसे माइक्रोवेव और रेडियो आवृत्तियों में), स्पेक्ट्रम विश्लेषक एक निकटीय संबंधित इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है। .

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व्यतिकरणमिति

न्यू मेक्सिको के 'वेरी लार्ज अर्रे' के परिसर में व्यतिकरणमिति व्यतिकरणमिति (Interferometry) के अन्तर्गत कई तकनीके हैं जिनमें विद्युतचुम्बकीय तरंगों का व्यतिकरण कराया जाता है ताकि इससे उन तरंगों के बारे में जानकारी निकाली जा सके। तरंगों का व्यतिकरण कराने के लिये जिस उपकरण (इंस्टूमेंट) का उपयोग किया जाता है उसे व्यतिकरणमापी (interferometer) कहते हैं। खगोलविज्ञान, फाइबर प्रकाशिकी, इंजीनियरिंग मापन, प्रकाशीय मापन, भूकंप विज्ञान, समुद्रविज्ञान, क्वांटम यांत्रिकी, नाभिकीय एवं कण भौतिकी, प्लाज्मा भौतिकी, सुदूर संवेदन, बायोमालिक्युलर इंटरैक्शन्स आदि में व्यतिकरणमिति एक महत्वपूर्ण परीक्षण तकनीक है। .

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कैमरा

कोई भी आधुनिक, एक ताल (लेंस) वाला, प्रतिबिम्ब (रिफ्लेक्स) कैमरा बायें से दायें: '''एग्फा''' का बक्सानुमा कैमरा; पोलरायड लैण्ड कैमरा; याशिका ३५ मिमी एस एल आर कैमरा एक प्रकाशीय युक्ति है जिसकी सहायता से कोई स्थिर छवि (फोटोग्राफ) या चलचित्र (मूवी या विडियो) खींचा जा सकता है। चलचित्र वस्तुतः किसी परिवर्तनशील या चलायमान वस्तु के बहुत छोटे समयान्तरालों पर खींची गयी बहुत से छवियों का एक क्रमिक समूह होता है। कैमरा शब्द लैटिन के कैमरा ऑब्स्क्योरा से आया है जिसका अर्थ अंधेरा कक्ष होता है। ध्यान रखने योग्य है कि सबसे पहले फोटो लेने के लिये एक पूरे कमरे का प्रयोग होता था, जो अंधकारमय होता था। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

प्रकाशीय यंत्र, प्रकाशीय उपकरण

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