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प्रकाश-विलगक

सूची प्रकाश-विलगक

कुछ प्रकाश-युग्मक एक प्रकाश-युग्मक की क्रियाविधि इलेक्ट्रॉनिकी में प्रकाश-विलगक (opto-isolator) वह इलेक्ट्रॉनिक अवयव है जो किसी विद्युत संकेत को प्रकाश के माध्यम से एक परिपथ से दूसरे परिपथ में भेज सकता है, जो पहले परिपथ से विलगित (आइसोलेटेड) हो। इस प्रकार यह दो अलग-अलग वोल्तता पर स्थित परिपथों के बीच संकेतों का आदान-प्रदान कर सकता है। इस प्रकार इसका कार्य एक विलगक (आइसोलेटर) का है। किन्तु इसे प्रकाश-युग्मक (optocoupler या photocoupler) भी कहते हैं क्योंकि यह परस्पर विलगित दो परिपथों को संकेत द्वारा 'जोड़ने' का काम भी करता है। वाणिज्यिक रूप से उपलब्ध प्रकाश-विलगक १० हजार वोल्ट तक विलगन प्रदान करते हैं तथा 10 kV/μs तक के वोल्टेज परिवर्तन सह सकते हैं। सबसे सामान्य प्रकाश-विलगक में एक प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED) तथा एक फोटोट्रान्जिस्टर होता है। ये दोनों एक ही अपारदर्शी पैकेज के अन्दर निर्मित होते हैं। प्रायः प्रकाश-विलगकों का उपयोग अंकीय संकेतों (on-off) के संचार के लिये किया जाता है किन्तु कुछ विधियों का उपयोग करके इन्हें अनुरूप संकेतों के साथ भी काम में लिया जा सकता है। .

11 संबंधों: ठोस अवस्था रिले, प्रकाश उत्सर्जक डायोड, प्रकाश-विगलकों की सूची, पृथक्कारी प्रवर्धक, फोटोडायोड, सेंसर, विद्युत संकेत, इलैक्ट्रॉनिक्स, कैडमियम सेलेनाइड, अनुरूप संकेत, अंकीय संकेत

ठोस अवस्था रिले

ठोस-अवस्था रिले (solid-state relay (SSR)) एक प्रकार की इलेक्ट्रानिक स्विच है जिसके नियंत्रण-सिरे स्विच से विलगित (isolated) होते हैं। इसके नियंत्रण सिरों के बीच थोड़ा सा वोल्टेज लगाने पर स्विच चालू या बन्द होती है। कई मामलों में यह विद्युतचुम्बकीय रिले जैसा ही काम करती है, किन्तु इसमें कोई भी चलने-फिरने वाला भाग नहीं होता। इस कारण यह विद्युतचुम्बकीय रिले की अपेक्षा बहुत तेज होती है। .

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प्रकाश उत्सर्जक डायोड

एल.ई.डी की आंतरिक संरचना प्रकाश उत्सर्जन डायोड (अंग्रेज़ी:लाइट एमिटिंग डायोड) एक अर्ध चालक-डायोड होता है, जिसमें विद्युत धारा प्रवाहित करने पर यह प्रकाश उत्सर्जित करता है। यह प्रकाश इसकी बनावट के अनुसार किसी भी रंग का हो सकता है। एल.ई.डी.

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प्रकाश-विगलकों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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पृथक्कारी प्रवर्धक

पृथक्कारी प्रवर्धक का प्रतीक ट्रान्सफॉर्मर के माध्यम से पृथक्करण प्रदान करने वाले पृथक्कारी प्रवर्धक का सिद्धान्त प्रकाशिक कपुलिंग के द्वारा पृथक्करण प्रदान करने वाले पृथक्कारी प्रवर्धक का सिद्धान्त पृथक्कारी प्रवर्धक (Isolation amplifiers) वे प्रवर्धक हैं जिनके इन्पुट और आउटपुट के बीच उच्च प्रतिरोध (या प्रतिबाधा) होती है तथा इनपुट और आउटपुट के बीच हजारों वोल्ट (एसी या डीसी) होने के वावजूद ये अपना काम करते हैं। दूसरे शब्दों में, इनके इन्पुट और आउटपुट के बीच कोई सीधा विद्युत चालक मार्ग नहीं होता। पृथक्कारी प्रवर्धक डिजाइन करने के लिये तीन विधियाँ प्रयोग में लायीं जातीं हैं-.

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फोटोडायोड

अलग-अलग प्रकार के फोटोडायोड फोटोडायोड (photodiode) एक अर्धचालक युक्ति है जो प्रकाश को विद्युत ऊर्जा (या, विद्युत धारा) में बदलती है। दूसरे शब्दों में, यदि फोटोडायोड किसी लोड से जुडा है और इस पर प्रकाश आपतित होता है, तो इसमें विद्युत धारा बहने लगती है। सौर सेल (solar cell) भी एक फोटोडायोड है जिसका उपयोग प्रकाश से विद्युत ऊर्जा प्राप्त करने के लिये किया जाता है। फोटोडायोड का उपयोग प्रकाश संसूचक (फोटो-डिटेक्टर) की तरह भी किया जा सकता है।;फोटो डायोड के लिए प्रयोग किये जाने वाले पदार्थ: * सिलिकन - वेव लेंथ रेंज (nm) १९० - ११०० * जेर्मेनियम - वेव लेंथ रेंज (nm) ४०० - १७०० * इन्डियम गालियम आर्सेनाइड - ८०० - २६०० * लेड सल्फाइड - < १००० - ३५०० .

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सेंसर

हाल प्रभाव पर आधारित सेंसर सेंसर (संवेदक) एक ऐसा उपकरण है जो किसी भौतिक राशि को मापने का कार्य करता है तथा इसे एक ऐसे संकेत में परिवर्तित कर देता है जिसे किसी पर्यवेक्षक या यंत्र द्वारा पढ़ा जा सकता है। उदाहरणस्वरूप, एक पारे से भरा कांच का थर्मामीटर मापित तापमान को एक तरल पदार्थ के विस्तार तथा संकुचन में परिवर्तित कर देता है जिसे एक अंशांकित कांच की नली पर पढ़ा जा सकता है। एक थर्मोकपल तापमान को एक आउटपुट वोल्टेज में परिवर्तित कर देता है जिसे एक वोल्टमीटर द्वारा पढ़ा जा सकता है। सटीकता की दृष्टि से, सभी सेंसरों को ज्ञात मानकों के अनुरूप अंशांकित करने की आवश्यकता है। .

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विद्युत संकेत

संचार, संकेत प्रसंस्करण और सामान्य रूप से विद्युत इंजीनियरी के सन्दर्भ में समय के साथ परिवर्तनशील या अवकाश के साथ परिवर्तनशील (spatial-varying) कोई भी राशि संकेत (signal) कहलाती है। उदाहरण के लिये किसी तापयुग्म से प्राप्त वोल्टता एक संकेत है जो तापमान की सूचना देती है। .

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इलैक्ट्रॉनिक्स

तल पर जुड़ने वाले (सरफेस माउंट) एलेक्ट्रानिक अवयव विज्ञान के अन्तर्गत इलेक्ट्रॉनिक्स या इलेक्ट्रॉनिकी विज्ञान और प्रौद्योगिकी का वह क्षेत्र है जो विभिन्न प्रकार के माध्यमों (निर्वात, गैस, धातु, अर्धचालक, नैनो-संरचना आदि) से होकर आवेश (मुख्यतः इलेक्ट्रॉन) के प्रवाह एवं उन पर आधारित युक्तिओं का अध्ययन करता है। प्रौद्योगिकी के रूप में इलेक्ट्रॉनिकी वह क्षेत्र है जो विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों (प्रतिरोध, संधारित्र, इन्डक्टर, इलेक्ट्रॉन ट्यूब, डायोड, ट्रान्जिस्टर, एकीकृत परिपथ (IC) आदि) का प्रयोग करके उपयुक्त विद्युत परिपथ का निर्माण करने एवं उनके द्वारा विद्युत संकेतों को वांछित तरीके से बदलने (manipulation) से संबंधित है। इसमें तरह-तरह की युक्तियों का अध्ययन, उनमें सुधार तथा नयी युक्तियों का निर्माण आदि भी शामिल है। ऐतिहासिक रूप से इलेक्ट्रॉनिकी एवं वैद्युत प्रौद्योगिकी का क्षेत्र समान रहा है और दोनो को एक दूसरे से अलग नही माना जाता था। किन्तु अब नयी-नयी युक्तियों, परिपथों एवं उनके द्वारा सम्पादित कार्यों में अत्यधिक विस्तार हो जाने से एलेक्ट्रानिक्स को वैद्युत प्रौद्योगिकी से अलग शाखा के रूप में पढाया जाने लगा है। इस दृष्टि से अधिक विद्युत-शक्ति से सम्बन्धित क्षेत्रों (पावर सिस्टम, विद्युत मशीनरी, पावर इलेक्ट्रॉनिकी आदि) को विद्युत प्रौद्योगिकी के अन्तर्गत माना जाता है जबकि कम विद्युत शक्ति एवं विद्युत संकेतों के भांति-भातिं के परिवर्तनों (प्रवर्धन, फिल्टरिंग, मॉड्युलेश, एनालाग से डिजिटल कन्वर्शन आदि) से सम्बन्धित क्षेत्र को इलेक्ट्रॉनिकी कहा जाता है। .

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कैडमियम सेलेनाइड

कैडमियम सेलेनाइड एक अकार्बनिक यौगिक है। सेलेनाइड, कैडमियम.

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अनुरूप संकेत

अनुरूप संकेत या एनालॉग सिग्नल (अंग्रेजी:Analog signal), एक सतत संकेत है जिसका समय परिवर्ती गुण (चर) किसी अन्य समय परिवर्ती राशि को निरूपित करता है, यानि यह उस दूसरे समय परिवर्ती संकेत के अनुरूप होता है। उदाहरण के लिए, एक अनुरूप श्रव्य संकेत (एनालॉग ऑडियो सिग्नल) में, संकेत की तात्कालिक वोल्टता (वोल्टेज) ध्वनि तरंगों के दाब के साथ लगातार बदलती रहती है। यह एक अंकीय संकेत (डिजिटल सिग्नल) से भिन्न होता है, जिसमें एक सतत राशि का निरूपण एक असतत फलन द्वारा किया जाता है जो परिमित संख्या के मूल्यों मे से सिर्फ एक को ही ले सकता है। आमतौर पर अनुरूप संकेत, विद्युत संकेतों को संदर्भित करता है, तथापि, यांत्रिक, वायवीय, हाइड्रोलिक और अन्य प्रणालियां भी अनुरूप संकेतों की वाहक हो सकती हैं। .

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अंकीय संकेत

अंकीय संकेत (अंग्रेज़ी:Digital signal) असतत् संकेत है जिसका समय परिवर्ती गुण (चर) किसी अन्य समय परिवर्ती राशि को निरूपित नहीं करता है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

प्रकाश-युग्मक, प्रकाश-वियोजक, ऑप्टोकपुलर

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