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विद्युत प्रदायी

सूची विद्युत प्रदायी

व्यक्तिगत कम्प्यूटर (पीसी) की पॉवर सप्लाई विद्युत शक्ति के किसी स्रोत को सामान्य रूप से विद्युत प्रदायी या 'विद्युत प्रदायक' या 'पॉवर सप्लाई' कहा जाता है। यह शब्द अधिकांशतः वैद्युत शक्ति आपूर्ति के सन्दर्भ में ही प्रयुक्त होता है; यांत्रिक शक्ति के सन्दर्भ में यह बहुत कम प्रयुक्त होता है; अन्य उर्जा के सन्दर्भ में लगभग इसका कभी भी उपयोग नहीं होता।.

21 संबंधों: दिष्टकारी, दूरदर्शन, प्रत्यावर्ती धारा, मोबाइल फ़ोन, रैखिक शक्ति आपूर्ति, साइक्लोकन्वर्टर, स्विच मोड पॉवर सप्लाई, जेनरेटर, विद्युत धारा, विद्युत प्रदायी, विद्युत शक्ति, विद्युत कोष, वेल्डिंग, वोल्टता नियंत्रक, गतिपालक चक्र, इन्वर्टर (शक्ति एलेक्ट्रानिकी), इलेक्ट्रॉनिक फिल्टर, कंप्यूटर, अल्टरनेटर, उद्भार, उपग्रह

दिष्टकारी

दिष्टकारी या ऋजुकारी या रेक्टिफायर (rectifier) ऐसी युक्ति है जो आवर्ती धारा (alternating current या AC) को दिष्टधारा (DC) में बदलने का कार्य करती है। अर्थात रेक्टिफायर, ए.सी.

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दूरदर्शन

दूरदर्शन या टेलीविजन (या संक्षेप में, टीवी) एक ऐसी दूरसंचार प्रणाली है जिसके द्वारा चलचित्र व ध्वनि को दो स्थानों के बीच प्रसारित व प्राप्त किया जा सके। यह शब्द दूरदर्शन सेट, दूरदर्शन कार्यक्रम तथा प्रसारण के लिये भी प्रयुक्त होता है। दूरदर्शन का अंग्रेजी शब्द 'टेलिविज़न' लैटिन तथा यूनानी शब्दों से बनाया गया है जिसका अर्थ होता है दूर दृष्टि (यूनानी - टेली .

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प्रत्यावर्ती धारा

प्रत्यावर्ती धारा वह धारा है जो किसी विद्युत परिपथ में अपनी दिशा बदलती रहती हैं। इसके विपरीत दिष्ट धारा समय के साथ अपनी दिशा नहीं बदलती। भारत में घरों में प्रयुक्त प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति ५० हर्ट्स होती हैं अर्थात यह एक सेकेण्ड में पचास बार अपनी दिशा बदलती है। वेस्टिंगहाउस का आरम्भिक दिनों का प्रत्यावर्ती धारा निकाय प्रत्यावर्ती धारा या पत्यावर्ती विभव का परिमाण (मैग्निट्यूड) समय के साथ बदलता रहता है और वह शून्य पर पहुंचकर विपरीत चिन्ह का (धनात्मक से ऋणात्मक या इसके उल्टा) भी हो जाता है। विभव या धारा के परिमाण में समय के साथ यह परिवर्तन कई तरह से सम्भव है। उदाहरण के लिये यह साइन-आकार (साइनस्वायडल) हो सकता है, त्रिभुजाकार हो सकता है, वर्गाकार हो सकता है, आदि। इनमें साइन-आकार का विभव या धारा का सर्वाधिक उपयोग किया जाता है। आजकल दुनिया के लगभग सभी देशों में बिजली का उत्पादन एवं वितरण प्रायः प्रत्यावर्ती धारा के रूप में ही किया जाता है, न कि दिष्ट-धारा (डीसी) के रूप में। इसका प्रमुख कारण है कि एसी का उत्पादन आसान है; इसके परिमाण को बिना कठिनाई के ट्रान्सफार्मर की सहायता से कम या अधिक किया जा सकता है; तरह-तरह की त्रि-फेजी मोटरों की सहायता से इसको यांत्रिक उर्जा में बदला जा सकता है। इसके अलावा श्रव्य आवृत्ति, रेडियो आवृत्ति, दृश्य आवृत्ति आदि भी प्रत्यावर्ती धारा के ही रूप हैं। .

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मोबाइल फ़ोन

अनु-फ्लिप मोबाइल फोन के कई उदाहरण. मोबाइल फ़ोन या मोबाइल (इसे सेलफोन और हाथफोन भी बुलाया जाता है, या सेल फोन, सेलुलर फोन, सेल, वायरलेस फोन, सेलुलर टेलीफोन, मोबाइल टेलीफोन या सेल टेलीफोन) एक लंबी दूरी का इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जिसे विशेष बेस स्टेशनों के एक नेटवर्क के आधार पर मोबाइल आवाज या डेटा संचार के लिए उपयोग करते हैं इन्हें सेल साइटों के रूप में जाना जाता है। मोबाइल फोन, टेलीफोन, के मानक आवाज कार्य के अलावा वर्तमान मोबाइल फोन कई अतिरिक्त सेवाओं और उपसाधन का समर्थन कर सकते हैं, जैसे की पाठ संदेश के लिए SMS, ईमेल, इंटरनेट के उपयोग के लिए पैकेट स्विचिंग, गेमिंग, ब्लूटूथ, इन्फ़रा रेड, वीडियो रिकॉर्डर के साथ कैमरे और तस्वीरें और वीडियो भेजने और प्राप्त करने के लिए MMS, MP3 प्लेयर, रेडियो और GPS.

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रैखिक शक्ति आपूर्ति

बीजेटी और आप-एम्प की सहायता से 'रैखिक शक्ति आपूर्ति' का स्कीमैटिक रैखिक शक्ति आपूर्ति (लिनियर पॉवर सप्लाई) वह शक्ति आपूर्ति है जिसमें आउटपुट को नियंत्रित करने वाली मुख्य शक्ति-युक्ति 'लिनियर रेंज' में काम करती है न कि 'स्विच मोड' या आन-आफ मोड में नहीं। उदाहरण के लिये १५ वोल्ट आउटपुट वाला 7815 वोल्टेज नियंत्रक आईसी एक रैखिक शक्ति आपूर्ति है। इसी तरह 7812, 7805, 7915, 7912 आदि भी लिनियर पॉवर सप्लाई ही हैं। .

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साइक्लोकन्वर्टर

ब्लॉकिंग मोड साइक्लोकन्वर्टर की संरचना साइक्लोकन्वर्टर (cycloconverter (CCV)) या साइक्लोइन्वर्टर वह युक्ति है जो किसी आवृत्ति की प्रत्यावर्ती विद्युत को (सीधे, बिना डी.सी. में बदले) कम आवृत्ति की प्रत्यावर्ती विद्युत शक्ति में बदलता है। उदाहरण के लिए, ५० हर्ट्ज की विद्युत से १६.६६७ हर्ट्ज की विद्युत पैदा करने वाला साइक्लोकन्वर्टर कहीं-कहीं विद्युत कर्षण में प्रयोग किया जाता है। .

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स्विच मोड पॉवर सप्लाई

एक '''एस एम पी एस''' के अन्दर का दृष्य स्विच मोड पॉवर सप्लाई (Switch-mode power supply) या एसएमपीएस उन शक्ति-परिवर्तकों (पावर कन्वर्टर्स) को कहते हैं जिनमें पॉवर-कन्वर्शन के लिये किसी स्विच (जैसे आईजीबीटी) को उच्च आवृत्ति पर चालू-बन्द (ON/OFF) किया जाता है। इनकी दक्षता उन कन्वर्टरों से बहुत अधिक होती है जिन्हें रेखीय शक्ति आपूर्ति (लिनियर पॉवर सप्लाईज) कहते हैं जिनमें किसी शक्ति को नियंत्रित करने वाली युक्ति न तो पूरी तरह चालू होती है न पूरी तरह बन्द (अर्थात वह युक्ति ऐक्टिव रीजन में काम करती है)। आजकल उच्च गुणवत्ता वाली स्विचों की उपलब्धता के कारण अधिकांश शक्ति आपूर्तियाँ एसएमपीएस प्रकार की ही निर्मित की जा रही हैं। उच्च दक्षता के अतिरिक्त इनका आकार (साइज) भी समान क्षमता के लिनियर पॉवर सप्लाई से छोटा होता है। .

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जेनरेटर

बीसवीं शताब्दी के आरम्भिक दिनों का अल्टरनेटर, जो बुडापेस्ट में बना हुआ है। विद्युत जनित्र (एलेक्ट्रिक जनरेटर) एक ऐसी युक्ति है जो यांत्रिक उर्जा को विद्युत उर्जा में बदलने के काम आती है। इसके लिये यह प्रायः माईकल फैराडे के विद्युतचुम्बकीय प्रेरण (electromagnetic induction) के सिद्धान्त का प्रयोग करती है। विद्युत मोटर इसके विपरीत विद्युत उर्जा को यांत्रिक उर्जा में बदलने का कार्य करती है। विद्युत मोटर एवं विद्युत जनित्र में बौत कुछ समान होता है और कई बार एक ही मशीन बिना किसी परिवर्तन के दोनो की तरह कार्य कर सकती है। विद्युत जनित्र, विद्युत आवेश को एक वाह्य परिपथ से होकर प्रवाहित होने के लिये वाध्य करता है। लेकिन यह आवेश का सृजन नहीं करता। यह जल-पम्प की तरह है जो केवल जल-को प्रवाहित करने का कार्य करती है, जल पैदा नहीं करती। विद्युत जनित्र द्वारा विद्युत उत्पादन के लिये आवश्यक है कि जनित्र के रोटर को किसी बाहरी शक्ति-स्रित की सहायता से घुमाया जाय। इसके लिये रेसिप्रोकेटिंग इंजन, टर्बाइन, वाष्प इंजन, किसी टर्बाइन या जल-चक्र (वाटर्-ह्वील) पर गिरते हुए जल, किसी अन्तर्दहन इंजन, पवन टर्बाइन या आदमी या जानवर की शक्ति का प्रयोग किया जा सकता है। किसी भी स्रोत से की गई यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करना संभव है। यह ऊर्जा, जलप्रपात के गिरते हुए पानी से अथवा कोयला जलाकर उत्पन्न की गई ऊष्मा द्वारा भाव से, या किसी पेट्रोल अथवा डीज़ल इंजन से प्राप्त की जा सकती है। ऊर्जा के नए नए स्रोत उपयोग में लाए जा रहे हैं। मुख्यत:, पिछले कुछ वर्षों में परमाणुशक्ति का प्रयोग भी विद्युत्शक्ति के लिए बड़े पैमाने पर किया गया है और बहुत से देशों में परमाणुशक्ति द्वारा संचालित बिजलीघर बनाए गए हैं। ज्वार भाटों एवं ज्वालामुखियों में निहित असीम ऊर्जा का उपयोग भी विद्युत्शक्ति के जनन के लिए किया गया है। विद्युत्शक्ति के उत्पादन के लिए इन सब शक्ति साधनों का उपयोग, विशालकाय विद्युत् जनित्रों द्वारा ही हाता है, जो मूलत: फैराडे के 'चुंबकीय क्षेत्र में घूमते हुए चालक पर वेल्टता प्रेरण सिद्धांत पर आधारित है। .

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विद्युत धारा

आवेशों के प्रवाह की दिशा से धारा की दिशा निर्धारित होती है। विद्युत आवेश के गति या प्रवाह में होने पर उसे विद्युत धारा (इलेक्ट्रिक करेण्ट) कहते हैं। इसकी SI इकाई एम्पीयर है। एक कूलांम प्रति सेकेण्ड की दर से प्रवाहित विद्युत आवेश को एक एम्पीयर धारा कहेंगे। .

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विद्युत प्रदायी

व्यक्तिगत कम्प्यूटर (पीसी) की पॉवर सप्लाई विद्युत शक्ति के किसी स्रोत को सामान्य रूप से विद्युत प्रदायी या 'विद्युत प्रदायक' या 'पॉवर सप्लाई' कहा जाता है। यह शब्द अधिकांशतः वैद्युत शक्ति आपूर्ति के सन्दर्भ में ही प्रयुक्त होता है; यांत्रिक शक्ति के सन्दर्भ में यह बहुत कम प्रयुक्त होता है; अन्य उर्जा के सन्दर्भ में लगभग इसका कभी भी उपयोग नहीं होता।.

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विद्युत शक्ति

किसी विद्युत परिपथ में जिस दर से विद्युत उर्जा स्थानान्तरित होती है उसे विद्युत शक्ति (Electric power) कहते हैं। इसका एसआई मात्रक 'वाट' (W) है। किसी परिपथ के दो नोडों के बीच विभवान्तर v(t) हो तथा इस शाखा में धारा i(t) हो तो उस शाखा द्वारा ली गयी विद्युतशक्ति, .

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विद्युत कोष

विभिन्न प्रकार की विद्युत कोष (बांयी तरफ् नीचे से दक्षिणावर्त): दो 9-वोल्ट; दो AA; दो AAA; एक D विद्युत कोष; एक C विद्युत कोष; एक हैम-रेडियो की विद्युत कोष; कार्डलेस फोन की विद्युत कोष; और एक कैमराकार्डर विद्युत कोष (लेटी हुई) विद्युत कोष (Battery) विद्युत ऊर्जा का स्रोत है जिसे रासायनिक उर्जा से प्राप्त किया जाता है। वैद्युत अभियांत्रिकी एवं एलेक्ट्रानिक्स में दो या दो से अधिक विद्युतरासायनिक सेलों के संयोजन को विद्युत कोष कहते हैं। ये रासायनिक उर्जा भण्डारित करते हैं एवं इस उर्जा को विद्युत उर्जा के रूप में उपलब्ध करते हैं। सन १८०० में अलेसान्द्रो वोल्टा द्वारा sabse पहले बैटरी का आविष्कार हुआ। आजकल अधिकांश घरेलू एवं औद्योगिक उपयोगों के लिये विद्युत कोष ही विद्युत उर्जा का प्रमुख साधन है। सन २००५ के एक अनुमान के अनुसार विश्व भर में विद्युत कोष की बिक्री लगभग ४८ बिलियन अमेरिकी डालर के बराबर होता है। .

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वेल्डिंग

दिल्ली के लौह स्तम्भ के निर्माण में वेल्डिंग का उपयोग हुआ था। झलाई या वेल्डन, निर्माण (fabrication) की एक प्रक्रिया है जो चीजों को जोडने के काम आती है। झलाई द्वारा मुख्यतः धातुएँ तथा थर्मोप्लास्टिक जोड़े जाते हैं। इस प्रक्रिया में सम्बन्धित टुकड़ों को गर्म करके पिघला लिया जाता है और उसमें एक फिलर सामग्री को भी पिघलाकर मिलाया जाता है। यह पिघली हुई धातुएं एवं फिलर सामग्री ठण्डी होकर एक मजबूत जोड़ बन जाता है। झलाई के लिये कभी-कभी उष्मा के साथ-साथ दाब का प्रयोग भी किया जाता है। झलाई, दबाव द्वारा और द्रवण द्वारा किया जाता है। लोहार लोग दो धातुपिंडों को पीटकर जोड़ देते हैं यह दबाव द्वारा झलाई है। दबाव देने के लिए आज अनेक द्रवचालित दाबक (Hydraulic press) बने हैं, जिनका उपयोग उत्तरोत्तर बढ़ रहा है। द्रवण द्वारा झलाई में दोनों तलों को संपर्क में लाकर गलित अवस्था में कर देते हैं, जो ठंडा होने पर आपस में मिलकर ठोस और स्थायी रूप से जुड़ जाते हैं। गलाने का कार्य विद्युत् आर्क द्वारा संपन्न किया जाता है। .

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वोल्टता नियंत्रक

चुम्बकीय वोल्टता नियंत्रक जो ए सी विद्युत (मेन्स) के लिये बना है। +12 V DC निर्गत करने वाली लोक-प्रचलित 3-पिन वाली आईसी (7812) वोल्टता नियंत्रक (voltage regulator) वह एलेक्ट्रॉनिक युक्ति है जो स्वत: वोल्टता को एक निश्चित मान के पास बनाकर रखती है। यह प्रत्यावर्ती वोल्तता के नियंत्रण के लिये बनायी जा सकती है या दिष्ट वोल्टता के लिये। इसमें विद्युतयांत्रिक युक्तियाँ (जैसे मोटर, रिले, जनित्र आदि) लगी होतीं हैं; या ये आधुनिक अर्धचालक युक्तियों (डायोड, ट्रांजिस्टर, मॉसफेट, आईजीबीटी आदि) एवं कुछ पैसिव युक्तियों (प्रतिरोध, संधारित्र आदि) के योग से बनायी जा सकती है। इसके द्वारा नियंत्रित वोल्टता मिलने से जो युक्तियाँ चलती हैं वे खराब नहीं होतीं एवं अपना काम भी नियत तरीके से करती हैं। उदाहरण के लिये जिन गाँवों में सप्लाई वोल्टेज बहुत घटता-बढ़ता रहता है वहाँ टीवी चलाने के लिये उसके साथ २२० वोल्ट का वोल्टता-नियंत्रक भी लगाया जाता है। .

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गतिपालक चक्र

गतिपालक चक्र यद्यपि इंजनों के शाफ्ट (लाल रंग) को पिस्टनों से मिलने वाली ऊर्जा लगातार नहीं आती बल्कि रूक-रूक कर आती है फिर भी क्रैंक शाफ्ट पर लगे गतिपालक चक्र के कारण शाफ्ट की गति को लगभग एकसमान बनी रहती है। गतिपालक चक्र या फ्लाईह्वील (flywheel) एक घूर्णन करने वाला वाला चक्र (पहिया) है जिसका उपयोग अनेक यन्त्रों में किया जाता है। घूमते हुए इस चक्र में घूर्णन की गतिज ऊर्जा संग्रहित होती है जिसके कारण यन्त्र पर लगने वाले लोड के अचानक परिवर्तन से भी इसकी गति पर विशेष प्रभाव नहीं पड़ता। डिजाइन के समय गतिपालक चक्र का जड़त्वाघूर्ण भी अधिक रखा जाता है ताकि उसके घूर्णन की गतिज ऊर्जा एवं कोणीय संवेग अधिक रहें क्योंकि इनके अधिक रहने से यह चक्र अपने कोणीय वेग में परिवर्तन का विरोध आसानी से कर पाता है। गतिपालक चक्र में संग्रहित गतिज ऊर्जा उसके जड़त्वाघूर्ण एवं कोणीय वेग के वर्ग के गुणनफल के समानुपाती होती है। गतिपालक चक्र में ऊर्जा संग्रहित करने के लिये इस पर किसी बाहरी स्रोत के द्वारा बलाघूर्ण लगाकर इसका कोणीय वेग बढ़ाकर किया जाता है। इसके विपरीत यदि घूमते हुए किसी चक्र पर इसकी गति के विपरीत दिशा में बलाघूर्ण लगाया जाय तो यह अपनी ऊर्जा उस यान्त्रिक लोड को दे देता है जो इस पर उल्टी दिशा में बलाघूर्ण लगा रहा हो। श्रेणी:यन्त्र.

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इन्वर्टर (शक्ति एलेक्ट्रानिकी)

सोलर पैनेल से प्राप्त डीसी को एसी में बदलने के लिए प्रयुक्त एक इन्वएटर के परिपथ का अन्तरिक दृष्य शक्ति प्रतीपक या पॉवर इन्वर्टर एक ऐसी पॉवर सप्लाई को कहते हैं जो डीसी (DC) को एसी (AC) में परिवर्तित करता है। इससे प्राप्त ए.सी.

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इलेक्ट्रॉनिक फिल्टर

टेलीविजन में प्रयुक्त एक फिल्टर एलेक्ट्रॉनिक निस्यन्दक या इलेक्ट्रॉनिक फिल्टर ऐसे परिपथों को कहते हैं जो, संकेत प्रसंस्करण का काम करते हैं। ये विद्युत संकेतकों में से अवांछित आवृत्ति वाले अवयवों को कम करते हैं; वांछित आवृत्ति वाले अवयवों को बढ़ाते हैं; या ये दोनो ही कार्य करते हैं। ये विभिन्न प्रकार के होते हैं जैसे: -.

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कंप्यूटर

निजी संगणक कंप्यूटर (अन्य नाम - संगणक, कंप्यूटर, परिकलक) वस्तुतः एक अभिकलक यंत्र (programmable machine) है जो दिये गये गणितीय तथा तार्किक संक्रियाओं को क्रम से स्वचालित रूप से करने में सक्षम है। इसे अंक गणितीय, तार्किक क्रियाओं व अन्य विभिन्न प्रकार की गणनाओं को सटीकता से पूर्ण करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से निर्देशित किया जा सकता है। चूंकि किसी भी कार्य योजना को पूर्ण करने के लिए निर्देशो का क्रम बदला जा सकता है इसलिए संगणक एक से ज्यादा तरह की कार्यवाही को अंजाम दे सकता है। इस निर्देशन को ही कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग कहते है और संगणक कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा की मदद से उपयोगकर्ता के निर्देशो को समझता है। यांत्रिक संगणक कई सदियों से मौजूद थे किंतु आजकल अभिकलित्र से आशय मुख्यतः बीसवीं सदी के मध्य में विकसित हुए विद्दुत चालित अभिकलित्र से है। तब से अबतक यह आकार में क्रमशः छोटा और संक्रिया की दृष्टि से अत्यधिक समर्थ होता गया हैं। अब अभिकलक घड़ी के अन्दर समा सकते हैं और विद्युत कोष (बैटरी) से चलाये जा सकते हैं। निजी अभिकलक के विभिन्न रूप जैसे कि सुवाह्य संगणक, टैबलेट आदि रोजमर्रा की जरूरत बन गए हैं। परंपरागत संगणकों में एक केंद्रीय संचालन इकाई (सीपीयू) और सूचना भन्डारण के लिए स्मृति होती है। संचालन इकाई अंकगणित व तार्किक गणनाओ को अंजाम देती है और एक अनुक्रमण व नियंत्रण इकाई स्मृति में रखे निर्देशो के आधार पर संचालन का क्रम बदल सकती है। परिधीय या सतह पे लगे उपकरण किसी बाहरी स्रोत से सूचना ले सकते है व कार्यवाही के फल को स्मृति में सुरक्षित रख सकते है व जरूरत पड़ने पर पुन: प्राप्त कर सकते हैं। एकीकृत परिपथ पर आधारित आधुनिक संगणक पुराने जमाने के संगणकों के मुकबले करोड़ो अरबो गुना ज्यादा समर्थ है और बहुत ही कम जगह लेते है। सामान्य संगणक इतने छोटे होते है कि मोबाइल फ़ोन में भी समा सकते है और मोबाइल संगणक एक छोटी सी विद्युत कोष (बैटरी) से मिली ऊर्जा से भी काम कर सकते है। ज्यादातर लोग “संगणकों” के बारे में यही राय रखते है कि अपने विभिन्न स्वरूपों में व्यक्तिगत संगणक सूचना प्रौद्योगिकी युग के नायक है। हालाँकि embedded system|सन्निहित संगणक जो कि ज्यादातर उपकरणों जैसे कि आंकिक श्रव्य वादक|एम.पी.३ वादक, वायुयान व खिलौनो से लेकर औद्योगिक मानव यन्त्र में पाये जाते है लोगो के बीच ज्यादा प्रचलित है। .

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अल्टरनेटर

अल्टरनेटर का कार्य-सिद्धान्त अल्टरनेटर प्रत्यावर्ती धारा उत्पन्न करने वाला विद्युत जनित्र है। वस्तुतः यह एक तुल्यकालिक मशीन है। वर्तमान समय में अधिकांश शक्ति संयंत्रों में विद्युत उत्पादन का कार्य अलटरनेटर ही करते हैं। समय के साथ साथ बहुत बड़े बड़े आकार के अलटरनेटर बनने लगते हैं। ५०,००० से १,५०,००० किलोवाट की क्षमतावाले जनित्र अब सामान्य हो गए हैं। ये निरंतर प्रवर्तन करनेवाली मशीनें हैं, इसलिए इनकी संरचना भी अत्यंत मानक आधार (exacting standards) पर होती है। मुख्यत:, यह स्वत: कार्यकारी मशीन होती है और इसके सारे प्रवर्तन दूरस्थ नियंत्रण (remote control) द्वारा नियंत्रित किए जा सकते हैं। क्षेत्र धारा के विचरण से वोल्टता नियंत्रण सुगमता से किया जा सकता है। भार के अनुरूप निवेश (input) स्वयं ही नियंत्रित हो जाता है। इन सब कारणों से वर्तमान विद्युत् जनित्र बहुत ही दक्ष एवं विश्वसनीय होते हैं। वास्तव में इनके विश्वसनीय प्रवर्तन के कारण ही विद्युत् संभरण को विश्वसनीय बनाया जाना संभव हो सका है। .

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उद्भार

उद्भार या लोड (load) से विभिन्न सन्दर्भों में भिन्न-भिन्न अर्थ निकल सकते हैं, जैसे-.

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उपग्रह

ERS 2) अन्तरिक्ष उड़ान (spaceflight) के संदर्भ में, उपग्रह एक वस्तु है जिसे मानव (USA 193) .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

पॉवर सप्लाई, पॉवर कन्वर्टर, शक्ति परिवर्तक, शक्ति आपूर्ति

निवर्तमानआने वाली
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