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उदरावरणीय अपोहन

सूची उदरावरणीय अपोहन

उदरावरणीय अपोहन (पेरीटोनियल डायलिसिस) 'एपीडी' अपोहन यानि कृत्रिम रक्त शोधन हेतु गुर्दे का एक विकल्प है। उदरावरणीय अपोहन के तहत पेट की लाइनिंग या उदरावरणीय झिल्ली को कुदरती छन्ना की तरह प्रयोग कर रक्तधारा से गंदगी को निकाल दिया जाता है, इसलिए यह तरीका शरीर के भीतर काम करता है। कैथेटर कही जाने वाली एक छोटी चोंगा छिद्र द्वारा पेट में डाली जाती है और तरल को पेट में अंतक्षेपण (इंजैक्ट) किया जाता है। इस तरह अपोहन तरल उदरावरणीय झिल्ली से फालतू पानी और अवांछित पदार्थों को निकाल लेता है। .

1 संबंध: डायलिसिस

डायलिसिस

रक्तापोहन की एक मशीन अपोहन (डायलिसिस) रक्त शोधन की एक कृत्रिम विधि होती है। इस डायलिसिस की प्रक्रिया को तब अपनाया जाता है जब किसी व्यक्ति के वृक्क यानि गुर्दे सही से काम नहीं कर रहे होते हैं। गुर्दे से जुड़े रोगों, लंबे समय से मधुमेह के रोगी, उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियों में कई बार डायलसिस की आवश्यकता पड़ती है। स्वस्थ व्यक्ति में गुर्दे द्वारा जल और खनिज (सोडियम, पोटेशियम क्लोराइड, फॉस्फोरस सल्फेट) का सामंजस्य रखा जाता है। डायलसिस स्थायी और अस्थाई होती है। यदि अपोहन के रोगी के गुर्दे बदल कर नये गुर्दे लगाने हों, तो अपोहन की प्रक्रिया अस्थाई होती है। यदि रोगी के गुर्दे इस स्थिति में न हों कि उसे प्रत्यारोपित किया जाए, तो अपोहन अस्थायी होती है, जिसे आवधिक किया जाता है। ये आरंभ में एक माह से लेकर बाद में एक दिन और उससे भी कम होती जाती है। सामान्यतः दो तरह की अपोहन की जाती है,; उदरावरणीय अपोहन उदरावरणीय अपोहन घर में रोगी द्वारा अकेले या किसी की मदद से की जा सकती है। इसमें ग्लूकोज आधारित उदर समाधान में तकरीबन दो घंटे तक रहता है, उसके बाद उसे निकाल दिया जाता है। इस प्रक्रिया में सर्जन रोगी के एब्डोमेन के अंदर टाइटेनियम प्लग लगा देता है। यह प्रक्रिया उनके लिए असरदार साबित नहीं होती, जिनका इम्यून सिस्टम सिकुड़ चुका है। इस प्रक्रिया में अपोहन प्रतिदिन नहीं करानी पड़ती। यह रक्तापोहन की तुलना में कम प्रभावी होती है।। पत्रिका.कॉम पर उदरावरणीय अपोहन घर पर ही किया जा सकता है। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार यह प्रणाली दस वर्ष से अधिक समय से उपलब्ध है, किन्तु महंगी होने के कारण इसका प्रयोग नहीं किया जाता।। याहू जागरण। १९ जुलाई, २००९। देशब्म्धु.को.इन। ३१ अगस्त, २००९; रक्तापोहन रक्तापोहन प्रक्रिया का आरेख रक्तापोहन आम प्रक्रिया है, ज्यादातर रोगी इसी का प्रयोग करते हैं। इसमें रोगी के खून को डायलाइजर द्वारा पंप किया जाता है। इसमें खून साफ करने में तीन से चार घंटे लगते है। इसे सप्ताह में दो-तीन बार कराना पड़ता है। इसमें मशीन से रक्त को शुद्ध किया जाता है। उदरावरणीय अपोहन बेहतर सिद्ध हुआ है। यह निरंतर होने वाला अपोहन है, इसलिए इससे गुर्दे बेहतर तरीके से काम करती है। रू बिन ऎट ऑल द्वारा किए गए अघ्ययन से पता लग कि इसका प्रयोग करने वाले मरीजों का उपचार हीमो करने वालों के मुकाबले अधिक अच्छा हो रहा है। चॉइस कहलाने वाली यह अध्ययन चिकित्सा अमेरिकी संघ पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। आठ वर्ष से कम आयु के मरीजों के लिए पीडी की सिफारिश की जाती है। भारत में लगभग सभी बड़े शहरों में अपोहन की सुविधा पर्याप्त उपलब्ध है। देश का सबसे बड़ा अपोहन केन्द्र चंडीगढ़ में संजय गाँधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में खुलने वाला है। इसमें वृक्कीय निवेश विफलता के प्रतीक्षा के मरीजों के अलावा पुरानी विफलता के मरीजों की भी अपोहन हो सकेगी। .

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पेरीटोनियल डायलिसिस

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