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उड़न गिलहरी

सूची उड़न गिलहरी

उड़न गिलहरी (Flying squirrel), जो वैज्ञानिक भाषा में टेरोमायनी (Pteromyini) या पेटौरिस्टाइनी (Petauristini) कहलाये जाते हैं, कृंतक (रोडेंट, यानि कुतरने वाले जीव) के परिवार के जंतु हैं जो पाल-उड़ान (ग्लाइडिंग) की क्षमता रखते हैं। इनकी विश्व भर में ४४ जीववैज्ञानिक जातियाँ हैं जिनमें १२ जातियाँ भारत में पाई जाती हैं। .

13 संबंधों: निशाचर, परभक्षी, पाल-उड़ान, प्राणी, भारत, रज्जुकी, रंगबिरंगी उड़न गिलहरी, स्तनधारी, जाति (जीवविज्ञान), वन, गिलहरी, कश्मीर उड़न गिलहरी, कृंतक

निशाचर

निशाचर उन प्राणियों को कहते हैं जो रात में विचरण करके भोजन की तलाश करते हैं। इस श्रेणी में शाकाहारी, मांसाहारी तथा परभक्षी- सभी प्रकार के प्राणी आते हैं। श्रेणी:प्राणी विज्ञान.

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परभक्षी

भारतीय अजगर एक चीतल को मुदुमलाई वन्यजीव अभयारण्य, केरल में निगलता हुआ परभक्षी (predator) वह वन्य जीव होता है जो अन्य प्राणियों का शिकार करके उन्हें खाकर अपना तथा अपने परिवार का पेट भरता है।Begon, M., Townsend, C., Harper, J. (1996).

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पाल-उड़ान

पाल-उड़ान या ग्लाइडिंग (gliding, ग्लाइडिंग) ऐसी मनोरंजन क्रिया व खेल है जिसमें बिना किसी मोटर या अन्य कृत्रिम ऊर्जा की खपत से चलने वाले साधन का प्रयोग करे किसी विमान को अपने पंखों का पाल (sail) के रूप में इस्तेमाल कर के उसे प्राकृतिक वायु बहाव से भूमि से ऊपर हवा में उड़ते हुए रखा जाता है। ऐसे विमानों को ग्लाइडर (gliders) या पालविमान (sailplane) कहते हैं। कई प्राणी और वनस्पति-अंश (जैसे कि कुछ प्रकार के बीज) भी इस सिद्धांत के प्रयोग से स्थान-से-स्थान तक वायु में यातायात करते हैं। पाल-उड़ान में कौशल हवा के ऊपर उठते प्रवाहों को खोजने-पहचानने और फिर विमान को उनके ऊपर ले जाकर उठवाने में महारत को समझा जाता है। अनुकूल स्थितियों में निपुण विमानचालक हलके विमानों को पाल-उड़ान द्वारा सैंकड़ों किलोमीटर तक बिना किसी कृत्रिम ऊर्जा के ले जा सकते हैं और विचित्र परिस्थितियों में १००० किमी तक की ऐसी उड़ाने देखी गई हैं। .

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प्राणी

प्राणी या जंतु या जानवर 'ऐनिमेलिया' (Animalia) या मेटाज़ोआ (Metazoa) जगत के बहुकोशिकीय और सुकेंद्रिक जीवों का एक मुख्य समूह है। पैदा होने के बाद जैसे-जैसे कोई प्राणी बड़ा होता है उसकी शारीरिक योजना निर्धारित रूप से विकसित होती जाती है, हालांकि कुछ प्राणी जीवन में आगे जाकर कायान्तरण (metamorphosis) की प्रकिया से गुज़रते हैं। अधिकांश जंतु गतिशील होते हैं, अर्थात अपने आप और स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। ज्यादातर जंतु परपोषी भी होते हैं, अर्थात वे जीने के लिए दूसरे जंतु पर निर्भर रहते हैं। अधिकतम ज्ञात जंतु संघ 542 करोड़ साल पहले कैम्ब्रियन विस्फोट के दौरान जीवाश्म रिकॉर्ड में समुद्री प्रजातियों के रूप में प्रकट हुए। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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रज्जुकी

रज्जुकी (संघ कॉर्डेटा) जीवों का एक समूह है जिसमें कशेरुकी (वर्टिब्रेट) और कई निकट रूप से संबंधित अकशेरुकी (इनवर्टिब्रेट) शामिल हैं। इनका इस संघ मे शामित होना इस आधार पर सिद्ध होता है कि यह जीवन चक्र मे कभी न कभी निम्न संरचनाओं को धारण करते हैं जो हैं, एक पृष्ठ‍रज्जु (नोटोकॉर्ड), एक खोखला पृष्ठीय तंत्रिका कॉर्ड, फैरेंजियल स्लिट एक एंडोस्टाइल और एक पोस्ट-एनल पूंछ। संघ कॉर्डेटा तीन उपसंघों मे विभाजित है: यूरोकॉर्डेटा, जिसका प्रतिनिधित्व ट्युनिकेट्स द्वारा किया जाता है; सेफालोकॉर्डेटा, जिसका प्रतिनिधित्व लैंसलेट्स द्वारा किया जाता है और क्रेनिएटा, जिसमे वर्टिब्रेटा शामिल हैं। हेमीकॉर्डेटा को चौथे उपसंघ के रूप मे प्रस्तुत किया जाता है पर अब इसे आम तौर पर एक अलग संघ के रूप में जाना जाता है। यूरोकॉर्डेट के लार्वा में एक नोटॉकॉर्ड और एक तंत्रिका कॉर्ड पायी जाती है पर वयस्क होने पर यह लुप्त हो जातीं हैं। सेफालोकॉर्डेट एक नोटॉकॉर्ड और एक तंत्रिका कॉर्ड पायी जाती है लेकिन कोई मस्तिष्क या विशेष संवेदना अंग नहीं होता और इनका एक बहुत ही सरल परिसंचरण तंत्र होता है। क्रेनिएट ही वह उपसंघ है जिसके सदस्यों में खोपड़ी मिलती है। इनमे वास्तविक देहगुहा पाई जाती है। इनमे जनन स्तर सदैव त्री स्तरीय पाया जाता है। सामान्यत लैंगिक जनन पाया जाता है। सामान्यत प्रत्यक्ष विकास होता है। इनमे RBC उपस्थित होती है। इनमे द्वीपार्शविय सममिती पाई जाती है। इसके जंतु अधिक विकसित होते है। श्रेणी:जीव विज्ञान *.

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रंगबिरंगी उड़न गिलहरी

रंगबिरंगी उड़न गिलहरी (Particolored flying squirrel), जिसका वैज्ञानिक नाम हायलोपीटीस ऐल्बोनाइजर (Hylopetes alboniger), एक प्रकार की उड़न गिलहरी है जो भारत, भूटान, नेपाल, बंग्लादेश, बर्मा, युन्नान (चीन), थाइलैण्ड, वियतनाम और लाओस में पाई जाती है। जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की दृष्टि से यह कृतंक (रोडेन्ट) गण के हायलोपीटीस वंश की सदस्य है। इसका प्राकृतिक पर्यावास उपोष्णकटिबन्ध और उष्णकटिबन्ध शुष्क वनों में होता है और इन वनों के कटने से इस जाति पर दबाव बन आया है। .

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स्तनधारी

यह प्राणी जगत का एक समूह है, जो अपने नवजात को दूध पिलाते हैं जो इनकी (मादाओं के) स्तन ग्रंथियों से निकलता है। यह कशेरुकी होते हैं और इनकी विशेषताओं में इनके शरीर में बाल, कान के मध्य भाग में तीन हड्डियाँ तथा यह नियततापी प्राणी हैं। स्तनधारियों का आकार २९-३३ से.मी.

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जाति (जीवविज्ञान)

जाति (स्पीशीज़) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी है जाति (अंग्रेज़ी: species, स्पीशीज़) जीवों के जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी होती है। जीववैज्ञानिक नज़रिए से ऐसे जीवों के समूह को एक जाति बुलाया जाता है जो एक दुसरे के साथ संतान उत्पन्न करने की क्षमता रखते हो और जिनकी संतान स्वयं आगे संतान जनने की क्षमता रखती हो। उदाहरण के लिए एक भेड़िया और शेर आपस में बच्चा पैदा नहीं कर सकते इसलिए वे अलग जातियों के माने जाते हैं। एक घोड़ा और गधा आपस में बच्चा पैदा कर सकते हैं (जिसे खच्चर बुलाया जाता है), लेकिन क्योंकि खच्चर आगे बच्चा जनने में असमर्थ होते हैं, इसलिए घोड़े और गधे भी अलग जातियों के माने जाते हैं। इसके विपरीत कुत्ते बहुत अलग आकारों में मिलते हैं लेकिन किसी भी नर कुत्ते और मादा कुत्ते के आपस में बच्चे हो सकते हैं जो स्वयं आगे संतान पैदा करने में सक्षम हैं। इसलिए सभी कुत्ते, चाहे वे किसी नसल के ही क्यों न हों, जीववैज्ञानिक दृष्टि से एक ही जाति के सदस्य समझे जाते हैं।, Sahotra Sarkar, Anya Plutynski, John Wiley & Sons, 2010, ISBN 978-1-4443-3785-3,...

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वन

National Park)). एक क्षेत्र जहाँ वृक्षों का घनत्व अत्यधिक रहता है उसे वन कहते हैं। पेड़ जंगल के कई परिभाषाएँ, है जो कि विभिन्न मानदंडों पर आधारित हैं। वनों ने पृथ्वी के लगभग ९.४% भाग को घेर रखा है और कुल भूमि क्षेत्र का लगभग 30% भाग घेर रखा है। कभी वन कुल भूमि क्षेत्र के ५०% भाग में फैल हुए थे। वन जीव जन्तुओं के लिए आवास स्थल, जल-चक्र को प्रभावित करते हैं और मृदा संरक्षण के काम आते हैं इसी कारण यह पृथ्वी के जैवमण्डल का अहम हिस्सा कहलाते हैं। इतिहास बताता है, कि "वन" एक बीहड़ क्षेत्र जिसका मतलब कानूनी तौर पर बाजू के लिए निर्धारित शिकार के द्वारा सामंती कुलीनता है और इन शिकार जंगलों जरूरी ज्यादा अगर में सभी (देखें जंगली नहीं थे रॉयल वन। हालांकि, शिकार के जंगलों अक्सर वुडलैंड के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को शामिल किया जबकि, शब्द वन अंततः जंगली भूमि अधिक सामान्यतः मतलब करने के लिए आया था। एक वुडलैंड जो की एक जंगल से भिन्न है। .

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गिलहरी

गिलहरी की कई प्रजातियों में कालेपन की प्रावस्था पाई जाती है। संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के बड़े हिस्से में शहरी क्षेत्रों में सर्वाधिक आसानी से देखी जा सकने वाली गिलहरियाँ पूर्वी ग्रे गिलहरियों का कालापन लिया हुआ एक रूप है। गिलहरियाँ छोटे व मध्यम आकार के कृन्तक प्राणियों की विशाल परिवार की सदस्य है जिन्हें स्कियुरिडे कहा जाता है। इस परिवार में वृक्षारोही गिलहरियाँ, भू गिलहरियाँ, चिम्पुंक, मार्मोट (जिसमे वुड्चक भी शामिल हैं), उड़न गिलहरी और प्रेइरी श्वान भी शामिल हैं। यह अमेरिका, यूरेशिया और अफ्रीका की मूल निवासी है और आस्ट्रेलिया में इन्हें दूसरी जगहों से लाया गया है। लगभग चालीस मिलियन साल पहले गिलहरियों को पहली बार, इयोसीन में साक्ष्यांकित किया गया था और यह जीवित प्रजातियों में से पर्वतीय ऊदबिलाव और डोरमाइस से निकट रूप से सम्बद्ध हैं। .

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कश्मीर उड़न गिलहरी

कश्मीर उड़न गिलहरी (Kashmir flying squirrel), जिसका वैज्ञानिक नाम इओग्लाओकोमिस फ़िम्ब्रीऐटस (Eoglaucomys fimbriatus), एक प्रकार की उड़न गिलहरी है जो उत्तर भारत और पाकिस्तान में पाई जाती है। जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की दृष्टि से यह कृतंक (रोडेन्ट) गण के स्क्यूरिडाए कुल की सदस्य है। इसका प्राकृतिक पर्यावास उपोष्णकटिबन्ध और उष्णकटिबन्ध शुष्क वनों में होता है और इन वनों के कटने से इस जाति पर दबाव बन आया है। .

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कृंतक

गिलहरी '''कैपीबारा''': सबसे बड़ा जीवित कृंतक प्राणी वर्तमान स्तनधारियों में सर्वाधिक सफल एवं समृद्ध गण कृंतक (Rodentia) का है, जिसमें १०१ जातियाँ जीवित प्राणियों की तथा ६१ जातियाँ अश्मीभूत (Fossilized) प्राणियों की रखी गई हैं। जहाँ तक जातियों का प्रश्न है, समस्त स्तनधारियों के वर्ग में लगभग ४,५०० जातियों के प्राणी आजकल जीवित पाए जाते हैं, जिनमें से आधे से भी अधिक (२,५०० के लगभग) जातियों के प्राणी कृंतकगण में ही आ जाते हैं। शेष २,००० जातियों के प्राणी अन्य २० गणों में आते हैं। इस गण में गिलहरियाँ, हिममूष (Marmots), उड़नेवाली गिलहरियाँ (Flyiug squirrels) श्वमूष, (Prairie dogs) छछूँदर (Musk rats), धानीमूष, (Pocket dogs) ऊद (Beavers), चूहे (Rats), मूषक (Mice), शाद्वलमूषक (Voles), जवितमूष (Gerbille), वेणमूषक (Bamboo rats), साही (Porcupines), बंटमूष (Guinea pigs), आदि स्तनधारी प्राणी आते हैं। पृथ्वी पर जहाँ भी प्राणियों का आवास संभव है वहाँ कृंतक अवश्य पाए जाते हैं। ये हिमालय पर्वत पर २०,००० फुट की ऊँचाई तक और नीचे समुद्र तल तक पाए जाते हैं। विस्तार में ये उष्णकटिबंध से लेकर लगभग ध्रुवीयप्रदेशों तक मिलते हैं। ये मरु स्थल उष्णप्रधान वर्षावन, दलदल और मीठे जलाशय-सभी स्थानों पर मिलते हैं: कोई समुद्री कृंतक अभी तक देखने में नहीं आया है। अधिकांश कृंतक स्थलचर हैं और प्राय: बिलों में रहते हैं, किंतु कुछेक जैसे गिलहरियाँ आदि, वृक्षाश्रयी हैं। कुछ कृंतक उड़ने का प्रयत्न भी कर रहे हैं, फलत: उड़नेवाली गिलहरियों का विकास हो चुका है। इसी प्रकार, यद्यपि अभी तक पूर्ण रूप से जलाश्रयी कृंतकों का विकास नहीं हो सका है, फिर भी ऊद तथा छछूँदर इस दिशा में पर्याप्त आगे बढ़ चुके हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

पेटौरिस्टाइनी, टेरोमायनी, उड़न गिलहरियों, उड़ने वाली गिलहरी

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