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पुस्तक:क़ुरआन

सूची पुस्तक:क़ुरआन

;Main article;कलाम;विषय-वस्तु(अवयव);क़ुरआन पाठन(पढ़ना);तर्जुमात(अनुवाद);इतिहास(तारीख़);व्याख्या;संबंधित क़ुरआन Ω.

13 संबंधों: तफ़्सीर, पारा (क़ुरआन), मदीनन सूरा, मक्कन सूरा, सूरा, हाफ़िज़ (क़ुरआन), हुरुफ़ मुक़त्तआत, आयत (क़ुरआन), इस्लाम और विज्ञान, इस्लाम के पैग़म्बर, क़यामत, क़ुरआन, क़ुरआन की आलोचना

तफ़्सीर

तफ़्सीर (अरबी: تفسير): यह एक अरबी शब्द है। आम तौर पर क़ुरान के व्याख्या के लिये प्रयोग किया जाता है। तफ़्सीर के लेखक को "मुफ़स्सिर" कहते हैं। तफ़्सीर, अक्सर क़ुरान को अच्छी तरह समझाने के लिये इस्तेमाल किया जाता है। मतलब, छंद, विचार, तात्पर्य, अर्थ, हेतु, वगैरा को समझाने के लिये तफ़्सीर का प्रयोग किया जाता है। अलग अलग विद्वानों ने अलग अलग तफ़्सीर लिखी है, मगर मूलार्थ एक ही पाया जाता है। .

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पारा (क़ुरआन)

एक पारा(پارہ) यानी एक भाग, क़ुरआन के तीस भागो में से जिन में कभी-कभी क़ुरआन को अलग-अलग लंबाई में बाँटा जाता है। जिसे अरबी माअना में (جُزْءْजुज़’); बहुवचन(أَجْزَاءْ अजज़ाʼ), शाब्दिक अर्थ "भाग" है।.

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मदीनन सूरा

मदीनन सूरतें क़ुरआन की सब से बाद की वो 24 सूरतें हैं जो ईस्लामी परंपरा के अनुसार, मदीना में मुहम्मद(सल्ल) और उनके साथियों के मक्का से हिजरत (देश त्याग) के बाद में प्रकट (प्रकाशित) हुई थीं। ये सूरतें ईश्वर (अल्लाह) नें अवतरित की, जब मुस्लिम समुदाय मक्का में पहले वाली अल्पसंख्यक स्थिति की तुलना में तादाद में ज़्यादा और अधिक विकसित था। श्रेणी:क़ुरआन.

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मक्कन सूरा

मक्कन सूरा ज़मानि तौर पर क़ुरआन की वो सूरतें हैं जो ईस्लामी परंपरा के अनुसार, मुहम्मद(सल्ल) और उनके साथियों के मक्का से मदिना हिजरत (देश त्याग) से पहले प्रकट (प्रकाशित) हुई थीं। श्रेणी:क़ुरआन.

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सूरा

सूरा (यदा कदा सूरह भी कहा जाता है سورة, سور) एक अरबी शब्द है। इसका अक्षरशः अर्थ है "कोई वस्तु, जो किसी दीवार या बाडः से घिरी है"। यह शब्द कुरान के अध्याय के लिए प्रयोग होता है, जो कि परंपरा अनुसार कम होती लम्बाई के क्रम से लिखे हैं। प्रत्येक सूरा का नाम एक शब्द पर है, जो उस सूरा के अयाह (भाग) में उल्लेखित है। कुछ सूरा मुस्लिमों के लिए अपने रहस्योद्घाटन काल में विस्मयकारी थे। उदाहरणतः ईशू मसीह की माँ - मरियम का अति उच्च स्तर, जो कि इसाइयत (ईशू) की माँ थीं - जैसा सूरा 19 में उल्लेखित है। .

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हाफ़िज़ (क़ुरआन)

औरंगज़ेब आलमगीर हाफ़िज़-ए-क़ुरआन थे हाफ़िज़-ए-क़ुरआन (حافظة नस्तालीक़:, حُفَّاظ, बहुवचन हुफ़ाज़; स्त्रीलिंग हाफ़िज़ा), शाब्दिक अर्थ "हिफ़ाज़त करने वाला", एक शब्द है जो आधुनिक मुसलमानों के द्वारा ऐसे शख़्स के लिए प्रयुक्त है जिनको संपूर्ण क़ुरआन मुँह-ज़ुबानी याद हों। हाफ़िज़ा इसका स्त्रीलिंग रूप है।Ludwig W. Adamec (2009), Historical Dictionary of Islam, pp.113-114.

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हुरुफ़ मुक़त्तआत

हुरुफ़ मुक़त्तʿआत ('حروف مقطعات' huruf muqatta'at "पृथक शब्द" या "बेमेल शब्द"; बहुवचन: साथ ही " गुप्त(अस्पष्ट) शब्द ") एक से पाँच अरबी अक्षरों का जोड़, जो क़ुरआन की 114 में से 29 सूरहों में बिस्मिल्लाह के बाद में निरूपित किये गए हैं।Massey, Keith.

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आयत (क़ुरआन)

क़ुरआन के सूरा अन-नज्म की अंतिम आयत आयत ('آية'; बहुवचन: 'آيات' आयात) अरबी भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ 'निशान' होता है। इस्लाम के धार्मिक ग्रन्थ क़ुरआन की सबसे छोटी ईकाई को आयत कहते हैं। क़ुरआन के हर अध्याय का नाम सूरा होता है और हर सूरे में बहुत सी आयत होती हैं। अलग सूरे अलग लम्बाई के हैं और इनमें ३ से लेकर २८६ आयत हैं। पूरे क़ुरआन में कुल मिलकर ६,२४० आयत हैं।, Sohaib Sultan, John Wiley & Sons, 2011, ISBN 978-1-118-05398-0,...

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इस्लाम और विज्ञान

विज्ञान पर इस्लाम के संदर्भ में मुस्लिम विद्वानों ने दृष्टिकोण की स्पेक्ट्रम (पहुँच) का विकास किया है ।Seyyid Hossein Nasr.

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इस्लाम के पैग़म्बर

इस्लाम के पैग़म्बर (अरबी: الأنبياء في الإسلام) में "दूत" (रसूल, बहुवचन: रुसुल) शामिल हैं, एक मलक के माध्यम से एक दिव्य प्रकाशन के लायक (अरबी: ملائكة, malā'ikah); Shaatri, A. I. (2007).

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क़यामत

क़यामत शब्द का सरल हिन्दी में अर्थ प्रलय होता है। अर्थात क़यामत सामान्यतः उस स्थिति को कहा जाता है जब पृथ्वी पर एक बार जीवन समाप्त हो जायेगा। इसके अलग-अलग धर्मों और संस्कृतियों के भिन्न-भिन्न विचार हैं। इस तरह की बहुत भविष्यवाणियाँ भी समय-समय पर की जाती हैं। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। मुस्लिम धर्म के मानने वालों के अनुसार, इस सकल चराचर जगत का एक न एक दिन अन्त होना है, उसी अन्त होने वाले दिन को यौम अल-क़ियामा कहते हैं। .

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क़ुरआन

'''क़ुरान''' का आवरण पृष्ठ क़ुरआन, क़ुरान या कोरआन (अरबी: القرآن, अल-क़ुर्'आन) इस्लाम की पवित्रतम किताब है और इसकी नींव है। मुसलमान मानते हैं कि इसे अल्लाह ने फ़रिश्ते जिब्रील द्वारा हज़रत मुहम्मद को सुनाया था। मुसलमान मानते हैं कि क़ुरआन ही अल्लाह की भेजी अन्तिम और सर्वोच्च किताब है। यह ग्रन्थ लगभग 1400 साल पहले अवतरण हुई है। इस्लाम की मान्यताओं के मुताबिक़ क़ुरआन अल्लाह के फ़रिश्ते जिब्रील (दूत) द्वारा हज़रत मुहम्मद को सन् 610 से सन् 632 में उनकी मौत तक ख़ुलासा किया गया था। हालांकि आरंभ में इसका प्रसार मौखिक रूप से हुआ पर पैग़म्बर मुहम्मद की मौत के बाद सन् 633 में इसे पहली बार लिखा गया था और सन् 653 में इसे मानकीकृत कर इसकी प्रतियाँ इस्लामी साम्राज्य में वितरित की गईं थी। मुसलमानों का मानना है कि ईश्वर द्वारा भेजे गए पवित्र संदेशों के सबसे आख़िरी संदेश क़ुरआन में लिखे गए हैं। इन संदेशों की शुरुआत आदम से हुई थी। हज़रत आदम इस्लामी (और यहूदी तथा ईसाई) मान्यताओं में सबसे पहला नबी (पैग़म्बर या पयम्बर) था और इसकी तुलना हिन्दू धर्म के मनु से एक हद तक की जा सकती है। जिस तरह से हिन्दू धर्म में मनु की संतानों को मानव कहा गया है वैसे ही इस्लाम में आदम की संतानों को आदमी कहा जाता है। तौहीद, धार्मिक आदेश, जन्नत, जहन्नम, सब्र, धर्म परायणता (तक्वा) के विषय ऐसे हैं जो बारम्बार दोहराए गए। क़ुरआन ने अपने समय में एक सीधे साधे, नेक व्यापारी इंसान को, जो अपने ‎परिवार में एक भरपूर जीवन गुज़ार रहा था। विश्व की दो महान शक्तियों ‎‎(रोमन तथा ईरानी) के समक्ष खड़ा कर दिया। केवल यही नहीं ‎उसने रेगिस्तान के अनपढ़ लोगों को ऐसा सभ्य बना दिया कि पूरे विश्व पर ‎इस सभ्यता की छाप से सैकड़ों वर्षों बाद भी इसके निशान पक्के मिलते हैं। ‎क़ुरआन ने युध्द, शांति, राज्य संचालन इबादत, परिवार के वे आदर्श प्रस्तुत ‎किए जिसका मानव समाज में आज प्रभाव है। मुसलमानों के अनुसार कुरआन में दिए गए ज्ञान से ये साबित होता है कि हज़रत मुहम्मद एक नबी है | .

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क़ुरआन की आलोचना

जब से पश्चिमी विद्वान क़ुरआन में कहे गये इस्लामी विचारों को देखना-समझना शुरू किये, तभी से अक्सर क़ुरआन की आलोचना होती रही है। श्रेणी:धर्म की समालोचना श्रेणी:क़ुरआन.

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