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पुनर्योजी ब्रेक

सूची पुनर्योजी ब्रेक

पुनर्योजी ब्रेक (Regenerative braking) किसी वाहन की गति को कम करने का ऐसा साधन है जो उस वाहन की चाल को तो कम कर देता है किन्तु इस कार्य में वाहन की गतिज ऊर्जा को ऊष्मा के रूप में नष्ट करने के बजाय उसे कहीं भण्डारित कर लिया जाता है, जो आगे चलकर काम आ जाती है। अस्थायी/स्थायी रूप से भण्डारित करने के लिए बैटरी, गतिपालक चक्र, दाबित गैस, सुपर संधारित्र आदि का उपयोग किया जाता है। पुनर्योजी ब्रेक, उस वाहन की सकल ऊर्जा दक्षता को बढ़ा देता है। इसके अलावा, इस प्रकार से ब्रेक करना वाली प्रणाली का जीवनकाल भी अधिक होगा क्योंकि वहाँ कोई घिसने वाला अवयव नहीं होता। श्रेणी:ऊर्जा.

5 संबंधों: ऊर्जा दक्षता, ऊष्मा, विद्युत कोष, गतिपालक चक्र, अतिसंधारित्र

ऊर्जा दक्षता

सी एफ एल बल्ब, जो ऊर्जा दक्षता बढ़ाता है। ऊर्जा दक्षता एक लक्ष्य है, जो दैनिक जीवन में और कारखाने आदि में लगने वाले ऊर्जा को कम करने और पूरी तरह से सही उपयोग करने का है। जिसमें इस प्रकार से ऊर्जा का उपयोग करना है कि जिससे अधिक ऊर्जा व्यर्थ न हो और तापमान अधिक न हो। उससे वातावरण का तापमान भी नहीं बढ़ेगा और ऊर्जा का सही उपयोग हो पाएगा। .

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ऊष्मा

इस उपशाखा में ऊष्मा ताप और उनके प्रभाव का वर्णन किया जाता है। प्राय: सभी द्रव्यों का आयतन तापवृद्धि से बढ़ जाता है। इसी गुण का उपयोग करते हुए तापमापी बनाए जाते हैं। ऊष्मा या ऊष्मीय ऊर्जा ऊर्जा का एक रूप है जो ताप के कारण होता है। ऊर्जा के अन्य रूपों की तरह ऊष्मा का भी प्रवाह होता है। किसी पदार्थ के गर्म या ठंढे होने के कारण उसमें जो ऊर्जा होती है उसे उसकी ऊष्मीय ऊर्जा कहते हैं। अन्य ऊर्जा की तरह इसका मात्रक भी जूल (Joule) होता है पर इसे कैलोरी (Calorie) में भी व्यक्त करते हैं। .

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विद्युत कोष

विभिन्न प्रकार की विद्युत कोष (बांयी तरफ् नीचे से दक्षिणावर्त): दो 9-वोल्ट; दो AA; दो AAA; एक D विद्युत कोष; एक C विद्युत कोष; एक हैम-रेडियो की विद्युत कोष; कार्डलेस फोन की विद्युत कोष; और एक कैमराकार्डर विद्युत कोष (लेटी हुई) विद्युत कोष (Battery) विद्युत ऊर्जा का स्रोत है जिसे रासायनिक उर्जा से प्राप्त किया जाता है। वैद्युत अभियांत्रिकी एवं एलेक्ट्रानिक्स में दो या दो से अधिक विद्युतरासायनिक सेलों के संयोजन को विद्युत कोष कहते हैं। ये रासायनिक उर्जा भण्डारित करते हैं एवं इस उर्जा को विद्युत उर्जा के रूप में उपलब्ध करते हैं। सन १८०० में अलेसान्द्रो वोल्टा द्वारा sabse पहले बैटरी का आविष्कार हुआ। आजकल अधिकांश घरेलू एवं औद्योगिक उपयोगों के लिये विद्युत कोष ही विद्युत उर्जा का प्रमुख साधन है। सन २००५ के एक अनुमान के अनुसार विश्व भर में विद्युत कोष की बिक्री लगभग ४८ बिलियन अमेरिकी डालर के बराबर होता है। .

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गतिपालक चक्र

गतिपालक चक्र यद्यपि इंजनों के शाफ्ट (लाल रंग) को पिस्टनों से मिलने वाली ऊर्जा लगातार नहीं आती बल्कि रूक-रूक कर आती है फिर भी क्रैंक शाफ्ट पर लगे गतिपालक चक्र के कारण शाफ्ट की गति को लगभग एकसमान बनी रहती है। गतिपालक चक्र या फ्लाईह्वील (flywheel) एक घूर्णन करने वाला वाला चक्र (पहिया) है जिसका उपयोग अनेक यन्त्रों में किया जाता है। घूमते हुए इस चक्र में घूर्णन की गतिज ऊर्जा संग्रहित होती है जिसके कारण यन्त्र पर लगने वाले लोड के अचानक परिवर्तन से भी इसकी गति पर विशेष प्रभाव नहीं पड़ता। डिजाइन के समय गतिपालक चक्र का जड़त्वाघूर्ण भी अधिक रखा जाता है ताकि उसके घूर्णन की गतिज ऊर्जा एवं कोणीय संवेग अधिक रहें क्योंकि इनके अधिक रहने से यह चक्र अपने कोणीय वेग में परिवर्तन का विरोध आसानी से कर पाता है। गतिपालक चक्र में संग्रहित गतिज ऊर्जा उसके जड़त्वाघूर्ण एवं कोणीय वेग के वर्ग के गुणनफल के समानुपाती होती है। गतिपालक चक्र में ऊर्जा संग्रहित करने के लिये इस पर किसी बाहरी स्रोत के द्वारा बलाघूर्ण लगाकर इसका कोणीय वेग बढ़ाकर किया जाता है। इसके विपरीत यदि घूमते हुए किसी चक्र पर इसकी गति के विपरीत दिशा में बलाघूर्ण लगाया जाय तो यह अपनी ऊर्जा उस यान्त्रिक लोड को दे देता है जो इस पर उल्टी दिशा में बलाघूर्ण लगा रहा हो। श्रेणी:यन्त्र.

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अतिसंधारित्र

अतिसंधारित्र (supercapacitor (SC)) वे संधारित्र हैं जिनकी धारिता अन्य प्रकार के संधारित्रों की तुलना में बहुत अधिक होती है। अपने इस गुण के कारण इनका उपयोग वहाँ होता है जिसकी ऊर्जा-आवश्यकताएँ विद्युत अपघट्य संधारित्र से अधिक किन्तु तथा पुनर्भरणीय बैटरी से कम होतीं है। अतिसंधारित्र अपेक्षाकृत बहुत कम वोल्टेज तक ही आवेशित किये जा सकते है (अथवा उनकी वोल्टता धारण की सीमा कम होती है।) विद्युत-अपघट्य संधारित्रों की तुलना में अतिसंधारित्रों की (प्रति आयतन, या प्रति किलोग्राम) ऊर्जा-संग्रह की क्षमता सामान्यतः १० से १०० गुना तक अधिक होती है। इसके अलावा वे पुनर्भरणीय बैटरी की तुलना में बहुत तेज गति से आवेशित एवं अनावेशित किये जा सकते हैं और उनकी तुलना में बहुत अधिक बार आवेशित-अनावेशित किये जा सकते हैं। .

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