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प्रोग्रैमेबल लाजिक कंट्रोलर

सूची प्रोग्रैमेबल लाजिक कंट्रोलर

PLC और निवेश/निर्गम व्यवस्था प्रोग्रैमेबल लाजिक कंट्रोलर (PLC) या प्रोग्राम कंट्रोलर एक डिजिटल कंप्यूटर है जो विद्युत-यांत्रिक प्रक्रिया को स्वचालित बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। यह फैक्टरी समायोजन लाइन पर मशीनरी के नियंत्रण, मनोरंजन सवारीयों, या प्रकाश स्थिरता आदि विद्युतयांत्रिक प्रक्रमों के स्वचालन में काम मेंलिया जा सकता है। PLC कई उद्योगों और मशीनों में इस्तेमाल किया जाता है। सामान्य कंप्यूटर के विपरीत, PLC एकाधिक निवेश और निर्गम व्यवस्था, विस्तृत तापमान श्रृंखला, बिजली के शोर से उन्मुक्ति के लिए और कम्पन और प्रभाव के प्रतिरोध के लिए डिजाइन किया गया होता है। मशीन ऑपरेशन नियंत्रित करने वाले प्रोग्राम आमतौर पर बैटरी-समर्थित या स्थिर मैमोरी में जमा किये जाते हैं। एक PLC वास्तविक समयसिस्टम का एक उदहारण है क्यूंकि निर्गम परिणाम निवेश शर्तों के जवाब में एक समय सीमा में प्रस्तुत किये जाने चाहिए अन्यथा परिणाम अनियमित ऑपरेशन होगा। .

13 संबंधों: निवेश/निर्गम, परिनालिका, संचार प्रोटोकॉल, संचालक, संगणक नेटवर्क, स्वचालन, स्विच, सेंसर, ईथरनेट, वाल्व, विद्युत, विद्युत मोटर, विभवांतर

निवेश/निर्गम

निवेश/निर्गम (input/output, इन्पुट/आउटपुट) या आई/ओ (I/O) किसी संगणक (कम्प्यूटर) और प्रयोगकर्ता या किसी अन्य सूचना प्रणाली के बीच में सूचना के संचार को कहते हैं। निवेश (input) वह संकेत होते हैं जो बाहरी दुनिया से संगणक को प्राप्त होते हैं और निर्गम (output) वह संकेत होते हैं जो संगणक से बाहरी दुनिया को जाते हैं। आमतौर से इन संकेतों का प्रसार परिधीय यंत्रों के द्वारा करा जाता है। .

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परिनालिका

परिनालिका परिनालिका द्वारा उत्पादित चुम्बकीय क्षेत्र परिनालिका (solenoid) एक त्रिबिमीय (three-dimensional) कुण्डली (coil) को कहते हैं। भौतिकी में परिनालिका स्प्रिंग की भांति बनाये गये तार की संरचना को कहते हैं जिसमें से धारा प्रवाहित करने पर चुम्बकीय क्षेत्र निर्मित होता है। प्राय: ये तार किसी अचुम्बकीय पदार्थ (जैसे प्लास्टिक) के बेलनाकार आधार पर लिपटे रहते हैं जिसके अन्दर कोई अचुम्बकीय क्रोड, (जैसे हवा) या चुम्बकीय क्रोड (जैसे लोहा) हो सकता है। परिनालिकाएँ इसलिये महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उनकी सहायता से नियंत्रित चुम्बकीय क्षेत्र का निर्माण किया जा सकता है तथा वे विद्युतचुम्बकों की तरह प्रयोग की जा सकती हैं। .

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संचार प्रोटोकॉल

दूरसंचार के क्षेत्र मे, एक संचार प्रोटोकॉल या संचार नवाचार आँकड़ा निरूपण, संकेत प्रणाली, प्रमाणीकरण और त्रुटि संसूचन के लिए एक मानक नियमों का सेट है जिनका प्रयोग एक संचार चैनल पर जानकारी भेजने के लिए आवश्यक होता है। संगणक विज्ञान मे संचार प्रोटोकॉल या प्रोटोकॉल कंप्यूटरों के बीच सूचना विनिमय करने के लिए नियमों का एक सेट है। आसान शब्दों मे यह वह भाषा है जिसके माध्यम से दो (या अधिक) संगणक आपस मे संपर्क स्थापित करते हैं। श्रेणी:संचार.

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संचालक

किसी मशीन का जो भाग गति कराने, या ऊर्जा प्रवाहित करने का काम करता है, उसे संचालक या प्रवर्तक (actuator) कहते हैं। संचालक में नियन्त्रण संकेत और ऊर्जा का स्रोत दोनों ही जुड़े होते हैं। संचालक, नियन्त्रण संकेत के अनुसार ऊर्जा को कम या अधिक करने का काम करता है। उदाहरण के लिये मोटर एक संचालक है। .

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संगणक नेटवर्क

एक कम्प्यूटर नेटवर्क का योजनामूलक चित्र आर-जे-४५ कनेक्टर दो या दो से अधिक परस्पर जुड़े हुए कम्प्यूटर या अन्य डिजिटल युक्तियों और उन्हें जोडने वाली व्यवस्था को कंप्यूटर नेटवर्क कहते हैं। ये कम्प्यूटर आपस में इलेक्ट्रोनिक सूचना का आदान-प्रदान क‍र सकते हैं और आपस में तार या बेतार से जुडे रहते हैं। सूचना का यह आवागमन खास परिपाटी से होता है, जिसे प्रोटोकॉल कहते हैं और नेटवर्क के प्रत्येक कम्प्यूटर को इसका पालन करना पड़ता है। कई नेटवर्क जब एक साथ जुड़ते हैं तो इसे इंटरनेटवर्क कहते हैं जिसका संक्षिप्त रूप इन्टरनेट (अंतर्जाल, अंग्रेज़ी में Internet) काफ़ी प्रचलित है। अलग अलग प्रकार की सूचनाओं के कार्यकुशल आदान-प्रदान के लिये विशेष प्रोटोकॉल हैं। सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए एनालॉग तथा डिजिटल विधियों का प्रयोग होता है। नेटवर्क के उपादानों में तार, हब, स्विच, राउटर आदि उपकरणों का नाम लिया जा सकता है। स्थानीय कम्प्यूटर नेटवर्किंग में बेतार नेटवर्क का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। .

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स्वचालन

एक औद्योगिक रोबोट स्वयंचालित मशीनें (Automatic Machines) ऐसी मशीनें हैं जो मानव प्रयास के बिना भी किसी प्रचालन चक्र को पूर्णत: या अंशत: संचालित करती हैं। ऐसी मशीनें केवल पेशियों का ही कार्य नहीं करतीं वरन् मस्तिष्क का कार्य भी करती हैं। स्वयंचालित मशीनें पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से स्वयंचालित हो सकती हैं। ये निम्नलिखित प्रकार का कार्य कर सकती हैं: .

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स्विच

भांति-भांति के वैद्युत स्विच: उपर से बाएं से दांयें: सर्कित ब्रेकर, mercury switch, wafer switch, DIP switch, surface mount switch, reed switch. Bottom, left to right: wall switch (U.S. style), miniature toggle switch, in-line switch, push-button switch, rocker switch, microswitch. स्विच या कुंजी उस यांत्रिक युक्ति को कहते हैं जो किसी विद्युत परिपथ को इच्छानुसार जोडने (connect) या तोडने (disconnect) के काम आती है। आकार-प्रकार एवं कार्य के आधार पर स्विचें अनेकानेक प्रकार की होती हैं - लघु से लघुतर आकार से लेकर लाखों किलोवाट की शक्ति को नियंत्रित करने वाली औद्योगिक प्लान्ट की स्विचें। .

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सेंसर

हाल प्रभाव पर आधारित सेंसर सेंसर (संवेदक) एक ऐसा उपकरण है जो किसी भौतिक राशि को मापने का कार्य करता है तथा इसे एक ऐसे संकेत में परिवर्तित कर देता है जिसे किसी पर्यवेक्षक या यंत्र द्वारा पढ़ा जा सकता है। उदाहरणस्वरूप, एक पारे से भरा कांच का थर्मामीटर मापित तापमान को एक तरल पदार्थ के विस्तार तथा संकुचन में परिवर्तित कर देता है जिसे एक अंशांकित कांच की नली पर पढ़ा जा सकता है। एक थर्मोकपल तापमान को एक आउटपुट वोल्टेज में परिवर्तित कर देता है जिसे एक वोल्टमीटर द्वारा पढ़ा जा सकता है। सटीकता की दृष्टि से, सभी सेंसरों को ज्ञात मानकों के अनुरूप अंशांकित करने की आवश्यकता है। .

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ईथरनेट

कैट-5 केबल पर अधिक प्रयोग किया जाने वाला, एक मानक 8P8C (प्रायः RJ45 कहलाता है) कनेक्टर, मुख्य रूप से ईथरनेट नेटवर्क में प्रयोग किया जाने वाला केबल। ईथरनेट, लोकल एरिया नेटवर्क तैयार करने का एक प्रोटोकॉल होता है। यह १९७० के आरंभिक दशक से चली आ रही विश्वसनीय नेटवर्किग उपलब्ध कराने वाली सेवा है। इसकी अभिकल्पना १९७३ में बॉब मेटकॉफ ने की थी। बाद में डिजिटल, इंटेल और जेरॉक्स के प्रयासों से यह लोकल एरिया नेटवर्क का एक मानक प्रतिरूप बन गया। ईथरनेट केबलों के माध्यम से विस्तार किया जाता है। इसके केबल कई रूपों में उपलब्ध होते हैं।|हिन्दुस्तान लाइव। ७ जून २०१० इसमें CAT3, CAT5, CAT5ई और CAT6 सबसे अधिक प्रचलित हैं। इनकी डिजाइन इनके प्रयोग पर निर्भर होती है और इनकी कीमत गुणवत्ता के अनुसार बढ़ती जाती है। ईथरनेट केबिल का प्रयोग प्रायः उच्च-गति वाले कंप्यूटर नेटवर्क के लिए किया जाता है। साथ ही इसका प्रयोग ब्रॉडबैंड के लिए भी होता है। कंप्यूटर के साथ लैन/ईथरनेट को जोड़ने के लिए कंप्यूटर में ईथरनेट कार्ड की आवश्यकता पड़ती है। एक लोकल एरिया नेटवर्क में कुछ आवश्यक चीजें होती हैं, जैसे, दो या दो से अधिक कंप्यूटर, जो नेटवर्क से जुड़े हों, हर कंप्यूटर में एक नेटवर्क इंटरफेस कार्ड, कंप्यूटर को जोड़ने के लिए एक ईथरनेट केबिल, नेटवर्क यातायात को निर्देशित करने के लिए एक नेटवर्किंग हब और समर्थक सॉफ्टवेयर। नेटवर्क इंटरफेस कार्ड को हर कंप्यूटर में लगाकर इसे एक विशेष एड्रेस आवंटित किया जाता है। हर इंटरफेस कार्ड एक ईथरनेट केबिल के माध्यम से केन्द्रीय हब से जुड़ा होता है। इस हब में लोकल एरिया नेटवर्क के सारे डाटा को प्राप्त और पुनर्निर्देशित किया जाता है। इस तरह ईथरनेट, आंकड़ों के संग्रह, उनकी शेयरिंग के साथ ही प्रिंटर्स, फैक्स मशीन और स्कैनर के पूरे सिस्टम का समूह तैयार करता है। १९९० के दशक का एक नेटवर्क इंटरफेस कार्ड। यह एक संयोजन कार्ड (कॉम्बिनेशन) है जो दोनों, समाक्षीय-आधारित, 10BASE2 के प्रयोग से (कनेक्टर BNC, बाएं) और ट्विस्टेड-पेयर आधारित 10BASE-T, RJ45 का उपयोग कर (8P8C मॉड्यूलर योजक, दाहिना), पर कार्य करता है। ईथरनेट प्रणाली का विस्तार करने हेतु तारों का बड़ा जंजाल फैला होता है। इन तारों को बड़े ही व्यवस्थित ढंग से स्रोत से गंतव्य तक पहुंचाना होता है, जिससे कि किसी समस्या के समय तारों की पहचान हो सके साथ ही सुधार भी संभव हो। इस समस्या से निबटने हेतु बेतार ईथरनेट भी प्रचलन में आ गये हैं जिनमें वेव का प्रयोग किया जाता है। इसमें वायरलेस नेटवर्क इंटरफेस कार्ड का प्रयोग होता है, जिसमें एक एंटीना लगा होता है। ये नेटवर्क अपेक्षाकृत अधिक मजबूत होता है लेकिन इसमें अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता होती है, क्योंकि तारों को तो किन्हीं निश्चित कंप्यूटरों से जोड़ा जा सकता है, किन्तु जब सारा डाटा बेतार वातावरण में उपलब्ध हो तो कोई भी कंप्यूटर इसे प्राप्त कर सकता है। अतः इसके लिये पासकी आदि कूटशब्दों का प्रयोग किया जाता है। ईथरनेट के विकल्प के रूप में आईबीएम के तैयार किए गए प्रोटोकॉल और एटीएम (तुल्यकालिक स्थानांतरण माध्यम/एसाइनोक्रोनस ट्रांसफर मोड) तकनीक का भी प्रयोग किया जा सकता है। .

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वाल्व

एक वाल्व और उसकी आन्तरिक संरचना वाल्व (Valve) वे यांत्रिक युक्तियाँ हैं जिनका उपयोग पाइप तथा जैविक वाहिकाओं (vessels) में तरल के प्रवाह को रोकने के लिए किया जाता है1 शरीर-क्रिया विज्ञान (physiology) में भी इस शब्द (वाल्व) का प्रयोग उन प्राकृतिक युक्तियों के लिए किया जाता है, जो शरीर में वे ही कार्य करती हैं जिन्हें यांत्रिक वाल्व करते हैं। इन प्राकृतिक युक्तियों में हृदय के वाल्व उल्लेखनीय हैं, जो खुलकर या बंद होकर हृदयकोष्ठ से रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करते हैं। .

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विद्युत

वायुमण्डलीय विद्युत विद्युत आवेशों के मौजूदगी और बहाव से जुड़े भौतिक परिघटनाओं के समुच्चय को विद्युत (Electricity) कहा जाता है। विद्युत से अनेक जानी-मानी घटनाएं जुड़ी है जैसे कि तडित, स्थैतिक विद्युत, विद्युतचुम्बकीय प्रेरण, तथा विद्युत धारा। इसके अतिरिक्त, विद्युत के द्वारा ही वैद्युतचुम्बकीय तरंगो (जैसे रेडियो तरंग) का सृजन एवं प्राप्ति सम्भव होता है? विद्युत के साथ चुम्बकत्व जुड़ी हुई घटना है। विद्युत आवेश वैद्युतचुम्बकीय क्षेत्र पैदा करते हैं। विद्युत क्षेत्र में रखे विद्युत आवेशों पर बल लगता है। समस्त विद्युत का आधार इलेक्ट्रॉन हैं। इलेक्ट्रानों के हस्तानान्तरण के कारण ही कोई वस्तु आवेशित होती है। आवेश की गति ही विद्युत धारा है। विद्युत के अनेक प्रभाव हैं जैसे चुम्बकीय क्षेत्र, ऊष्मा, रासायनिक प्रभाव आदि। जब विद्युत और चुम्बकत्व का एक साथ अध्ययन किया जाता है तो इसे विद्युत चुम्बकत्व कहते हैं। विद्युत को अनेकों प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है किन्तु सरल शब्दों में कहा जाये तो विद्युत आवेश की उपस्थिति तथा बहाव के परिणामस्वरूप उत्पन्न उस सामान्य अवस्था को विद्युत कहते हैं जिसमें अनेकों कार्यों को सम्पन्न करने की क्षमता होती है। विद्युत चल अथवा अचल इलेक्ट्रान या प्रोटान से सम्बद्ध एक भौतिक घटना है। किसी चालक में विद्युत आवेशों के बहाव से उत्पन्न उर्जा को विद्युत कहते हैं। .

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विद्युत मोटर

विभिन्न आकार-प्रकार की विद्युत मोटरें विद्युत मोटर (electric motor) एक विद्युतयांत्रिक मशीन है जो विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलती है; अर्थात इसे उपयुक्त विद्युत स्रोत से जोड़ने पर यह घूमने लगती है जिससे इससे जुड़ी मशीन या यन्त्र भी घूमने लगती है। अर्थात यह विद्युत जनित्र का उल्टा काम करती है जो यांत्रिक ऊर्जा लेकर विद्युत उर्जा पैदा करता है। कुछ मोटरें अलग-अलग परिस्थितियों में मोटर या जनरेटर (जनित्र) दोनो की तरह भी काम करती हैं। विद्युत् मोटर विद्युत् ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिणत करने के साधन हैं। विद्युत् मोटर औद्योगिक प्रगति का महत्वपूर्ण सूचक है। यह एक बड़ी सरल तथा बड़ी उपयोगी मशीन है। उद्योगों में शायद ही कोई ऐसा प्रयोजन हो जिसके लिए उपयुक्त विद्युत मोटर का चयन न किया जा सके। .

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विभवांतर

सूत्र- Va-Vb.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

पीएलसी

निवर्तमानआने वाली
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