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पाल

सूची पाल

पाल या बादबान पवन की शक्ति द्वारा किसी वाहन को जल, हिम या धरती पर आगे धकेलने के एक साधन को कहते हैं। आमतौर पर पाल कपड़े या अन्य किसी सामग्री से बनी एक सतह होती है जो वाहन में जड़े हुए मस्तूल (mast) कहलाने वाले एक सख़्त खम्बे के साथ लगी हुई होती है। जब पाल पर वायू प्रवाह का प्रहार होता है तो पाल फूल-सा जाता है और आगे को धकेला जाता है। यह बल मस्तूल द्वारा यान को प्रसारित होता है। कुछ पालों का आकार ऐसा होता है जिनपर पवन एक ऊपर की ओर उठाने वाला बल भी प्रस्तुत करती है। इस से भी वाहन को आगे धकेलने में असानी होती है। पाल और पतंग दोनों में पवन के बल का प्रयोग वस्तुओं को गति देने के लिये होता है। .

12 संबंधों: नौकायन, पतंग, पालनौका, पवन, पृथ्वी, बल (भौतिकी), मस्तूल, सौर पाल, हिम, जल, वाहन, गति (भौतिकी)

नौकायन

एक डॉक्ड नौका शौकिया तौर पर या मनोरंजन के लिए अथवा खेल के उद्देश्य से नाव चलाने या अन्य प्रकार के जलयानों के उपयोग को नौकायन कहा जाता है। .

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पतंग

योकाइची विशाल पतंग महोत्सव्स, जो हर वर्ष मई के चौथे रविवार को जापान के हिगाशियोमी में मनाया जाता है। पतंग एक धागे के सहारे उड़ने वाली वस्तु है जो धागे पर पडने वाले तनाव पर निर्भर करती है। पतंग तब हवा में उठती है जब हवा (या कुछ मामलों में पानी) का प्रवाह पतंग के ऊपर और नीचे से होता है, जिससे पतंग के ऊपर कम दबाव और पतंग के नीचे अधिक दबाव बनता है। यह विक्षेपन हवा की दिशा के साथ क्षैतिज खींच भी उत्पन्न करता है। पतंग का लंगर बिंदु स्थिर या चलित हो सकता है। पतंग आमतौर पर हवा से भारी होती है, लेकिन हवा से हल्की पतंग भी होती है जिसे हैलिकाइट कहते है। ये पतंगें हवा में या हवा के बिना भी उड़ सकती हैं। हैलिकाइट पतंगे अन्य पतंगों की तुलना में एक अन्य स्थिरता सिद्धांत पर काम करती हैं क्योंकि हैलिकाइट हीलियम-स्थिर और हवा-स्थिर होती हैं। .

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पालनौका

बादबानी (sailboat), जिसे पालनौका (sail+boat) भी कहा जा सकता है, ऐसी नौका होती है जिसे गति देने का प्रमुख साधन एक या अनेक पाल (sail) होते हैं जो पवन पकड़कर नौका को आगे घकेलने का काम करते हैं। औद्योगिक युग से पहले नौकाओं को चलाने का यही प्रमुख साधन था। .

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पवन

पवन की दिशा बताने वाला यन्त्र पवनवेगदर्शी गतिशील वायु को पवन (Wind) कहते हैं। यह गति पृथ्वी की सतह के लगभग समांतर रहती है। पृथ्वी से कुछ मीटर ऊपर तक के पवन को सतही पवन और २०० मीटर या अधिक ऊँचाई के पवन को उपरितन पवन कहते हैं। जब किसी स्थान और ऊँचाई के पवन का निर्देश करना हो तब वहाँ के पवन की चाल और उसकी दिशा दोनों का उल्लेख होना चाहिए। पवन की दिशा का उल्लेख करने में जिस दिशा से पवन बह रहा है उसका उल्लेख दिक्सूचक के निम्नलिखित १६ संकेतों से करते हैं: अधिक यथार्थता (precision) से पवन की दिशा बताने के लिए यह दिशा अंशों में व्यक्त की जाती है। जब पवन दक्षिणावर्त (clockwise) दिशा में परिवर्तित होता है (जैसे उ से उ पू और पू), तब ऐसे परिवर्तन को पवन का दक्षिणावर्तन और वामावर्त दिश में परिवर्तन (जैसे उ से उप और प) का विपरीत पवन कहते हैं। वेधशाला में पवनदिक्सूचक नामक उपकरण हवा की दिशा बताता है। इसका नुकीला सिरा हमेशा उधर रहता है जिधर से हवा आ रही होती है। पवन का वेग मील प्रति घंटे, या मीटर प्रति सेकंड, में व्यक्त किया जाता है। सतह के पवन को मापने के लिए प्राय: प्याले के आकार का पवनमापी काम में आता है। पवनवेग का लगातार अभिलेख करने के लिए अनेक उपकरण काम में आते हैं, जिनमें दाबनली एवं पवनलेखक (Anemograph) महत्वपूर्ण एवं प्रचलित है। भिन्न भिन्न ऊँचाई के उपरितन पवन का निर्धारण करने के लिए हाइड्रोजन से भरा गुब्बारा उड़ाया जाता है और ऊपर उठते हुए तथा पवनहित बैलून की ऊँचाई और दिगंश (azimuth) ज्ञात करने के लिए इसका निरीक्षण सामान्य थियोडोलाइट (theodolite) या रेडियो थियोडोलाइट से करते हैं। तब बैलून की उड़ान का प्रक्षेपपथ (trajectory) तैयार किया जाता है और प्राय: बैलून के ऊपर उठने के वेग की दर की कल्पना करके, प्रक्षेपपथ के विभिन्न बिंदुओं से बैलून की संगत ऊँचाई की गणना की जाती है। प्रक्षेपपथ से, इच्छित ऊँचाई पर, पवन की चाल और दिशा ज्ञात की जाती है। .

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पृथ्वी

पृथ्वी, (अंग्रेज़ी: "अर्थ"(Earth), लातिन:"टेरा"(Terra)) जिसे विश्व (The World) भी कहा जाता है, सूर्य से तीसरा ग्रह और ज्ञात ब्रह्माण्ड में एकमात्र ग्रह है जहाँ जीवन उपस्थित है। यह सौर मंडल में सबसे घना और चार स्थलीय ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है। रेडियोधर्मी डेटिंग और साक्ष्य के अन्य स्रोतों के अनुसार, पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 बिलियन साल हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण, अंतरिक्ष में अन्य पिण्ड के साथ परस्पर प्रभावित रहती है, विशेष रूप से सूर्य और चंद्रमा से, जोकि पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह हैं। सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान, पृथ्वी अपनी कक्षा में 365 बार घूमती है; इस प्रकार, पृथ्वी का एक वर्ष लगभग 365.26 दिन लंबा होता है। पृथ्वी के परिक्रमण के दौरान इसके धुरी में झुकाव होता है, जिसके कारण ही ग्रह की सतह पर मौसमी विविधताये (ऋतुएँ) पाई जाती हैं। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण के कारण समुद्र में ज्वार-भाटे आते है, यह पृथ्वी को इसकी अपनी अक्ष पर स्थिर करता है, तथा इसकी परिक्रमण को धीमा कर देता है। पृथ्वी न केवल मानव (human) का अपितु अन्य लाखों प्रजातियों (species) का भी घर है और साथ ही ब्रह्मांड में एकमात्र वह स्थान है जहाँ जीवन (life) का अस्तित्व पाया जाता है। इसकी सतह पर जीवन का प्रस्फुटन लगभग एक अरब वर्ष पहले प्रकट हुआ। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिये आदर्श दशाएँ (जैसे सूर्य से सटीक दूरी इत्यादि) न केवल पहले से उपलब्ध थी बल्कि जीवन की उत्पत्ति के बाद से विकास क्रम में जीवधारियों ने इस ग्रह के वायुमंडल (the atmosphere) और अन्य अजैवकीय (abiotic) परिस्थितियों को भी बदला है और इसके पर्यावरण को वर्तमान रूप दिया है। पृथ्वी के वायुमंडल में आक्सीजन की वर्तमान प्रचुरता वस्तुतः जीवन की उत्पत्ति का कारण नहीं बल्कि परिणाम भी है। जीवधारी और वायुमंडल दोनों अन्योन्याश्रय के संबंध द्वारा विकसित हुए हैं। पृथ्वी पर श्वशनजीवी जीवों (aerobic organisms) के प्रसारण के साथ ओजोन परत (ozone layer) का निर्माण हुआ जो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र (Earth's magnetic field) के साथ हानिकारक विकिरण को रोकने वाली दूसरी परत बनती है और इस प्रकार पृथ्वी पर जीवन की अनुमति देता है। पृथ्वी का भूपटल (outer surface) कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेटों में विभाजित है जो भूगर्भिक इतिहास (geological history) के दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान को विस्थापित हुए हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से धरातल का करीब ७१% नमकीन जल (salt-water) के सागर से आच्छादित है, शेष में महाद्वीप और द्वीप; तथा मीठे पानी की झीलें इत्यादि अवस्थित हैं। पानी सभी ज्ञात जीवन के लिए आवश्यक है जिसका अन्य किसी ब्रह्मांडीय पिण्ड के सतह पर अस्तित्व ज्ञात नही है। पृथ्वी की आतंरिक रचना तीन प्रमुख परतों में हुई है भूपटल, भूप्रावार और क्रोड। इसमें से बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और एक ठोस लोहे और निकल के आतंरिक कोर (inner core) के साथ क्रिया करके पृथ्वी मे चुंबकत्व या चुंबकीय क्षेत्र को पैदा करता है। पृथ्वी बाह्य अंतरिक्ष (outer space), में सूर्य और चंद्रमा समेत अन्य वस्तुओं के साथ क्रिया करता है वर्तमान में, पृथ्वी मोटे तौर पर अपनी धुरी का करीब ३६६.२६ बार चक्कर काटती है यह समय की लंबाई एक नाक्षत्र वर्ष (sidereal year) है जो ३६५.२६ सौर दिवस (solar day) के बराबर है पृथ्वी की घूर्णन की धुरी इसके कक्षीय समतल (orbital plane) से लम्बवत (perpendicular) २३.४ की दूरी पर झुका (tilted) है जो एक उष्णकटिबंधीय वर्ष (tropical year) (३६५.२४ सौर दिनों में) की अवधी में ग्रह की सतह पर मौसमी विविधता पैदा करता है। पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (natural satellite) है, जिसने इसकी परिक्रमा ४.५३ बिलियन साल पहले शुरू की। यह अपनी आकर्षण शक्ति द्वारा समुद्री ज्वार पैदा करता है, धुरिय झुकाव को स्थिर रखता है और धीरे-धीरे पृथ्वी के घूर्णन को धीमा करता है। ग्रह के प्रारंभिक इतिहास के दौरान एक धूमकेतु की बमबारी ने महासागरों के गठन में भूमिका निभाया। बाद में छुद्रग्रह (asteroid) के प्रभाव ने सतह के पर्यावरण पर महत्वपूर्ण बदलाव किया। .

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बल (भौतिकी)

बल अनेक प्रकार के होते हैं जैसे- गुरुत्वीय बल, विद्युत बल, चुम्बकीय बल, पेशीय बल (धकेलना/खींचना) आदि। भौतिकी में, बल एक सदिश राशि है जिससे किसी पिण्ड का वेग बदल सकता है। न्यूटन के गति के द्वितीय नियम के अनुसार, बल संवेग परिवर्तन की दर के अनुपाती है। बल से त्रिविम पिण्ड का विरूपण या घूर्णन भी हो सकता है, या दाब में बदलाव हो सकता है। जब बल से कोणीय वेग में बदलाव होता है, उसे बल आघूर्ण कहा जाता है। प्राचीन काल से लोग बल का अध्ययन कर रहे हैं। आर्किमिडीज़ और अरस्तू की कुछ धारणाएँ थीं जो न्यूटन ने सत्रहवी सदी में ग़लत साबित की। बीसवी सदी में अल्बर्ट आइंस्टीन ने उनके सापेक्षता सिद्धांत द्वारा बल की आधुनिक अवधारणा दी। प्रकृति में चार मूल बल ज्ञात हैं: गुरुत्वाकर्षण बल, विद्युत चुम्बकीय बल, प्रबल नाभकीय बल और दुर्बल नाभकीय बल। बल की गणितीय परिभाषा है: जहाँ \vec बल, \vec संवेग और t समय हैं। एक ज़्यादा सरल परिभाषा है: जहाँ m द्रव्यमान है और \vec त्वरण है। .

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मस्तूल

मस्तूल (mast) एक स्थिरता से खड़े हुए लम्बें खम्बे को कहते हैं, विशेषकर नौकाओं में उन खम्बों को जिनपर पाल (sail) लगाया जाता है। अक्सर इन्हें सहारा देने के लिये गाई तारों (guy wires) का प्रयोग किया जाता है। आमतौर में मस्तूल लकड़ी या धातु के बने हुए होते हैं। .

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सौर पाल

सौर पाल (solar sail), जिसे प्रकाश पाल (light sail) या फ़ोटोन पाल (photon sail) भी कहते हैं सौर प्रकाश को बड़े दर्पणों से किसी अंतरिक्ष यान पर लगे बड़े आकार के परावर्तक पाल पर दाग़कर उस से बनने बाले विकिरण दाब द्वारा करे गये अंतरिक्ष यान प्रणोदन (गतिमान करने की क्रिया) को कहते हैं। जिस प्रकार कोई पालनौका पवन के प्रहार से चल पड़ती है, उसी प्रकार विचार है कि अंतरिक्ष यानों को प्रकाश के प्रहार से चलाया जा सकता है। वैज्ञानिकों की सोच है कि इस सिद्धांत से बनाये गये यानों पर ख़र्च कम होगा क्योंकि उन्हें अपने साथ ईन्धन ले जाने की आवश्यकता नहीं होगी। कुछ प्रस्तावों में सौर प्रकाश के स्थान पर पथ्वी या चंद्रमा पर लेज़र किरणों का स्रोत लगाकर उन्हें पाल पर चमकाने का सुझाव दिया गया है। पृथ्वी की कक्षा के पास स्थित ८०० मीटर चौड़े और ८०० मीटर लम्बे सौर पाल पर सूरज की किरणों का बल लगभग ५ न्य्यूटन के बराबर पड़ेगा। यह एक हल्का बल है। लेकिन जहाँ आज के राकेट कुछ अरसे तक चलकर ईन्धन समाप्त होने पर रुक जाते हैं वहाँ सौर पाल यान को महीनों, वर्षों, दशकों या शताब्दियों तक लगातार अधिक गतिशील कर सकता है। विकिरण दाब एक वास्तविकता है और बिना पाल वाले अंतरिक्ष यानों पर भी इसका प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है। .

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हिम

हिम क्रिस्टलीय जलीय बर्फ के रूप में हुआ एक प्रकार का वर्षण है, जिसमे एक बड़ी मात्रा में हिमकण शामिल होते है जो बादलों से गिरते हैं। चूंकि हिम बर्फ के महीन कणों से बनी होती है, इसलिए यह एक दानेदार पदार्थ है। इसकी संरचना खुली और इसलिए नरम होती है, जब तक कि कोई बाहरी दाब डाल कर इसे दबाया ना जाए। हिमपात हिमपातबर्फ के क्रिस्टल के रूपों को दर्शाता है जो वायुमंडल (आमतौर पर बादलों से) से निकलता है और पृथ्वी की सतह पर परिवर्तन से गुजरता है। यह अपने जीवन चक्र में जमे हुए क्रिस्टलीय पानी से संबंधित है, जब उचित परिस्थितियों में, वातावरण में बर्फ के क्रिस्टल का निर्माण होता है, मिलिमीटर का आकार बढ़ाता है, सतह पर तरक्की हो जाती है और सतह पर जमा होता है, फिर जगह में बदल जाता है, और अंततः पिघल, स्लाइड या दूर जाना जाता है । वायुमंडलीय नमी और ठंडी हवा के स्रोतों पर खिलाकर बर्फ के तूफान व्यवस्थित और विकसित होते हैं। स्नोफ्लेक्स सुपरकोलाइड पानी की बूंदों को आकर्षित करके वातावरण में कणों के चारों ओर घूमती है, जो हेक्सागोनल-आकार के क्रिस्टल में स्थिर होते हैं। स्नोफ्लेक विभिन्न आकारों पर लेते हैं, इनमें से मूल प्लेटलेट्स, सुई, स्तंभ और शिलाएं हैं। जैसा कि बर्फ एक बर्फ के टुकड़े में जमा हो जाता है, यह बहाव में उड़ सकता है समय के साथ, सिमेंटर, नीचीकरण और फ्रीज-पिघलना द्वारा, बर्फ का आकार संचित किया गया। जहां साल-दर-वर्ष संचय के लिए जलवायु ठंडा होती है, एक ग्लेशियर हो सकता है। अन्यथा, बर्फ आमतौर पर मौसम में पिघला देता है, जिससे नदियों और नदियों में जल प्रवाह और भूजल रिचार्ज होता है .

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जल

जल या पानी एक आम रासायनिक पदार्थ है जिसका अणु दो हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु से बना है - H2O। यह सारे प्राणियों के जीवन का आधार है। आमतौर पर जल शब्द का प्प्रयोग द्रव अवस्था के लिए उपयोग में लाया जाता है पर यह ठोस अवस्था (बर्फ) और गैसीय अवस्था (भाप या जल वाष्प) में भी पाया जाता है। पानी जल-आत्मीय सतहों पर तरल-क्रिस्टल के रूप में भी पाया जाता है। पृथ्वी का लगभग 71% सतह को 1.460 पीटा टन (पीटी) (1021 किलोग्राम) जल से आच्छदित है जो अधिकतर महासागरों और अन्य बड़े जल निकायों का हिस्सा होता है इसके अतिरिक्त, 1.6% भूमिगत जल एक्वीफर और 0.001% जल वाष्प और बादल (इनका गठन हवा में जल के निलंबित ठोस और द्रव कणों से होता है) के रूप में पाया जाता है। खारे जल के महासागरों में पृथ्वी का कुल 97%, हिमनदों और ध्रुवीय बर्फ चोटिओं में 2.4% और अन्य स्रोतों जैसे नदियों, झीलों और तालाबों में 0.6% जल पाया जाता है। पृथ्वी पर जल की एक बहुत छोटी मात्रा, पानी की टंकिओं, जैविक निकायों, विनिर्मित उत्पादों के भीतर और खाद्य भंडार में निहित है। बर्फीली चोटिओं, हिमनद, एक्वीफर या झीलों का जल कई बार धरती पर जीवन के लिए साफ जल उपलब्ध कराता है। जल लगातार एक चक्र में घूमता रहता है जिसे जलचक्र कहते है, इसमे वाष्पीकरण या ट्रांस्पिरेशन, वर्षा और बह कर सागर में पहुॅचना शामिल है। हवा जल वाष्प को स्थल के ऊपर उसी दर से उड़ा ले जाती है जिस गति से यह बहकर सागर में पहँचता है लगभग 36 Tt (1012किलोग्राम) प्रति वर्ष। भूमि पर 107 Tt वर्षा के अलावा, वाष्पीकरण 71 Tt प्रति वर्ष का अतिरिक्त योगदान देता है। साफ और ताजा पेयजल मानवीय और अन्य जीवन के लिए आवश्यक है, लेकिन दुनिया के कई भागों में खासकर विकासशील देशों में भयंकर जलसंकट है और अनुमान है कि 2025 तक विश्व की आधी जनसंख्या इस जलसंकट से दो-चार होगी।.

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वाहन

वाहन वाहन का अर्थ होता है एक ऐसी मशीन जो यातायात ले लिये मनुष्यों या सामान-असबाब को ढो कर एक जगह से दूसरी जगह पहुँचा सके। .

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गति (भौतिकी)

किसी ग्रह के चारो ओर उसके किसी उपग्रह की गति; इसमें ग्रह के ताक्षणिक वेग और त्वरण की दिशा पर ध्यान दीजिये। स्प्रिंग द्वारा लटका द्रव्यमान सरल आवर्त गति कर रहा है अंगूठाकार यदि कोई वस्तु अन्य वस्तुओं की तुलना में समय के सापेक्ष में स्थान परिवर्तन करती है, तो वस्तु की इस अवस्था को गति (motion/मोशन) कहा जाता है। सामान्य शब्दों में गति का अर्थ - वस्तु की स्थिति में परिवर्तन गति कहलाती है। गति (Motion).

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