लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

१९५६ का पाकिस्तानी संविधान

सूची १९५६ का पाकिस्तानी संविधान

1956 का संविधान पाकिस्तान में मार्च 1956 से अक्टूबर 1958 तक लागू पाकिस्तान की सर्वोच्च विधि संहिता व संविधान थी, जिसे 1958 के तख्तापलट को बाद निलंबित कर दिया गया था। यह पाकिस्तान का पहला संविधान था। .

17 संबंधों: पाकिस्तान, पाकिस्तान दिवस, पाकिस्तान का संविधान, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, पाकिस्तान के राष्ट्रपति, भारत का संविधान, मुसलमान, सरकार, संसदीय प्रणाली, संविधान, सुन्नह्, इस्लामी गणराज्य, इस्कंदर मिर्ज़ा, क़ुरआन, अयूब ख़ान, उद्देश्य संकल्प, १९६२ का पाकिस्तानी संविधान

पाकिस्तान

इस्लामी जम्हूरिया पाकिस्तान या पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र या सिर्फ़ पाकिस्तान भारत के पश्चिम में स्थित एक इस्लामी गणराज्य है। 20 करोड़ की आबादी के साथ ये दुनिया का छठा बड़ी आबादी वाला देश है। यहाँ की प्रमुख भाषाएँ उर्दू, पंजाबी, सिंधी, बलूची और पश्तो हैं। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और अन्य महत्वपूर्ण नगर कराची व लाहौर रावलपिंडी हैं। पाकिस्तान के चार सूबे हैं: पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान और ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा। क़बाइली इलाक़े और इस्लामाबाद भी पाकिस्तान में शामिल हैं। इन के अलावा पाक अधिकृत कश्मीर (तथाकथित आज़ाद कश्मीर) और गिलगित-बल्तिस्तान भी पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित हैं हालाँकि भारत इन्हें अपना भाग मानता है। पाकिस्तान का जन्म सन् 1947 में भारत के विभाजन के फलस्वरूप हुआ था। सर्वप्रथम सन् 1930 में कवि (शायर) मुहम्मद इक़बाल ने द्विराष्ट्र सिद्धान्त का ज़िक्र किया था। उन्होंने भारत के उत्तर-पश्चिम में सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब तथा अफ़गान (सूबा-ए-सरहद) को मिलाकर एक नया राष्ट्र बनाने की बात की थी। सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली ने पंजाब, सिन्ध, कश्मीर तथा बलोचिस्तान के लोगों के लिए पाक्स्तान (जो बाद में पाकिस्तान बना) शब्द का सृजन किया। सन् 1947 से 1970 तक पाकिस्तान दो भागों में बंटा रहा - पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। दिसम्बर, सन् 1971 में भारत के साथ हुई लड़ाई के फलस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बना और पश्चिमी पाकिस्तान पाकिस्तान रह गया। .

नई!!: १९५६ का पाकिस्तानी संविधान और पाकिस्तान · और देखें »

पाकिस्तान दिवस

पाकिस्तान दिवस(یوم پاکستان; यौम-ए पाकिस्तान) या(पूर्वतः) गणतंत्रता दिवस(यौम-ए-जम्हूरिया) पाकिस्तान में मनाया जाने वाला एक राष्ट्रीय दिवस है। इसे लाहौर संकल्प और पाकिस्तान के पहले संविधान के पारित होने के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 23 मार्च को मनाया जाता है। इस दिन को पाकिस्तान में पाकिस्तानी इतिहास का एक बहुत महत्वपूर्ण दिवस माना जाता है, क्योंकि इसी दिन सन 1940 में, 22 से 24 मार्च तक चले, अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के लाहौर सत्र में, लाहौर प्रस्ताव(जिसे पाकिस्तान में क़रारदाद-ए पाकिस्तान(पाकिस्तान संकल्पना) भी कहा जाता है) की पेशकश की गई थी जिसके आधार पर ही मुस्लिम लीग ने भारत के मुसलमानों के लिये अलग देश के अधिग्रहण के लिए आंदोलन शुरू किया था। साथ ही 23 मार्च 1956 को पाकिस्तान के पहले संविधान को अपनाया गया था, जिसने रियासत-ए-पाकिस्तान को, अधिराजकीय, पाकिस्तान अधिराज्य से विश्व के पहले इस्लामी गणराज्य, इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान में परिवर्तित कर दिया। इस दिन ("23 मार्च") को पूरे पाकिस्तान में आम छुट्टी होती है। .

नई!!: १९५६ का पाकिस्तानी संविधान और पाकिस्तान दिवस · और देखें »

पाकिस्तान का संविधान

पाकिस्तान का संविधान (آئین پاکستان;आईन(ए) पाकिस्तान) या दस्तूरे पाकिस्तान دستور پاکستان) को १९७३ का क़ानून भी कहते हैं। यह पाकिस्तान का सर्वोच्च दस्तूर है। पाकिस्तान का संविधान संविधान सभा द्वारा १० अप्रैल १९७३ को पारित हुआ तथा 14 अगस्त 1973 से प्रभावी हुआ। इस का प्रारूप ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो की सरकार और विपक्ष ने मिल कर तैयार किया। ये पाकिस्तान का तीसरा दस्तूर है और इस में कई बार रद्दोबदल की जा चुकी है। .

नई!!: १९५६ का पाकिस्तानी संविधान और पाकिस्तान का संविधान · और देखें »

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री

पाकिस्तान के प्रधान मंत्री (وزیر اعظم پاکستان —) इस्लामी गणतंत्र पाकिस्तान की सरकार का मुखिया होता है। राष्ट्रीय विधानसभा के सदस्यों द्वारा प्रधानमंत्री का चयन किया जाता है। प्रधानमंत्री का ये पद पाँच वर्षके लिए होता है। प्रधानमंत्री अपनी सहायता के लिए मंत्रियों का चयन करता है। .

नई!!: १९५६ का पाकिस्तानी संविधान और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री · और देखें »

पाकिस्तान के राष्ट्रपति

पाकिस्तान के राष्ट्रपति (صدر مملكت —) पाकिस्तान इस्लामिक गणतंत्र के सर्वेसर्वा का पद है। .

नई!!: १९५६ का पाकिस्तानी संविधान और पाकिस्तान के राष्ट्रपति · और देखें »

भारत का संविधान

भारत का संविधान, भारत का सर्वोच्च विधान है जो संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। यह दिन (26 नवम्बर) भारत के संविधान दिवस के रूप में घोषित किया गया है जबकि 26 जनवरी का दिन भारत में गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतांत्रिक देश का सबसे लंबा लिखित संविधान है। .

नई!!: १९५६ का पाकिस्तानी संविधान और भारत का संविधान · और देखें »

मुसलमान

मिसरी (ईजिप्ट) मुस्लिमान नमाज़ पढ रहे हैं, एक तस्वीर। मुसलमान (अरबी: مسلم، مسلمة फ़ारसी: مسلمان،, अंग्रेजी: Muslim) का मतलब वह व्यक्ति है जो इस्लाम में विश्वास रखता हो। हालाँकि मुसलमानों के आस्था के अनुसार इस्लाम ईश्वर का धर्म है और धर्म हज़रत मुहम्मद से पहले मौजूद था और जो लोग अल्लाह के धर्म का पालन करते रहे वह मुसलमान हैं। जैसे कुरान के अनुसार हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम भी मुसलमान थे। मगर आजकल मुसलमान का मतलब उसे लिया जाता है जो हज़रत मुहम्मद लाए हुए दीन का पालन करता हो और विश्वास रखता हो। मध्यकालीन मुस्लिम इतिहासकारों ने भारत को हिन्द अथवा हिन्दुस्तान कहा है । .

नई!!: १९५६ का पाकिस्तानी संविधान और मुसलमान · और देखें »

सरकार

सरकार कुछ निश्चित व्यक्तियों का समूह होती है जो राष्ट्र तथा राज्यों में निश्चित काल के लिए तथा निश्चित पद्धति द्वारा शासन करता है। प्रायः इसके तीन अंग होते हैं - व्यवस्थापिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका। सरकार के माध्यम से राज्य में राजशासन नीति लागू होती है। सरकार के तंत्र का अभिप्राय उस राजनितिक व्यवस्था से होता है जिसके द्वारा राज्य की सरकार को जाना जाता है। राज्य निरन्तर बदलती हुयी सरकारों द्वारा प्रशासित होते हैं। हर नई सरकार कुछ व्यक्तियों का समूह होती है जो राजनितिक फ़ैसले लेती है या उनपर नियन्त्रण रखती है। सरकार का कार्य नए कानून बनाना, पुराने कानूनों को लागू रखना तथा झगड़ों में मध्यस्थता करना होता है। कुछ समाजों में यह समूह आत्म-मनोनीत या वंशानुगत होता है। बाकी समाजों में, जैसे लोकतंत्र, राजनितिक भूमिका का निर्वाह निरन्तर बदलते हुये व्यक्तियों द्वारा किया जाता है। संसदीय पद्धति में सरकार का अभिप्राय राष्ट्रपतीय पद्धति के अधिशासी शाखा से होता है। इस पद्धति में राष्ट्र में प्रधान मन्त्री एवं मन्त्री परीषद् तथा राज्य में मुख्य मन्त्री एवं मन्त्री परीषद् होते हैं। पाश्चात् देशों में सरकार और तंत्र में साफ़ अन्तर है। जनता द्वारा सरकार का दोबारा चयन न करना इस बात को नहीं दर्शाता है कि जनता अपने राज्य के तंत्र से नाख़ुश है। लेकिन कुछ पूर्णवादी शासन पद्धतियों में यह भेद इतना साफ़ नहीं है। इसका कारण यह है कि वहाँ के शासक अपने फ़ायदे के लिये यह लकीर मिटा देते हैं। .

नई!!: १९५६ का पाकिस्तानी संविधान और सरकार · और देखें »

संसदीय प्रणाली

संसदीय प्रणाली (parliamentary system) लोकतांत्रिक शासन की वह प्रणाली है जिसमें कार्यपालिका अपनी लोकतांत्रिक वैधता विधायिकता (संसद) से प्राप्त करती है तथा विधायिकता के प्रति उत्तरदायी होती है। इस प्रकार संसदीय प्रणाली में कार्यपालिका और विधायिका परस्पर सम्बन्धित (जुड़े हुए) होते हैं। इस प्रणाली में राज्य का मुखिया तथा सरकार का मुखिया अलग-अलग व्यक्ति होते हैं। भारत में संसदीय शासन प्रणाली है। इसके विपरीत अध्यक्षीय प्रणाली (presidential system) में प्रायः राज्य का अध्यक्ष सरकार (कार्यपालिका) का भी अध्यक्ष होता है। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि अध्यक्षीय प्रणाली में कार्यपालिका अपनी लोकतांत्रिक वैधता विधायिका से नहीं प्राप्त करती। शासन प्रणालियाँ लाल: अध्यक्षीय प्रणाली नारंगी: संसदीय प्रणाली हरा: संसदीय गणतंत्र जहाँ अध्यक्ष का चुनाव संसद करती है। श्रेणी:राजनीति विज्ञान.

नई!!: १९५६ का पाकिस्तानी संविधान और संसदीय प्रणाली · और देखें »

संविधान

संविधान, मूल सिद्धान्तों या स्थापित नज़ीरों का एक समुच्चय है, जिससे कोई राज्य या अन्य संगठन अभिशासित होते हैं। वह किसी संस्था को प्रचालित करने के लिये बनाया हुआ संहिता (दस्तावेज) है। यह प्रायः लिखित रूप में होता है। यह वह विधि है जो किसी राष्ट्र के शासन का आधार है; उसके चरित्र, संगठन, को निर्धारित करती है तथा उसके प्रयोग विधि को बताती है, यह राष्ट्र की परम विधि है तथा विशेष वैधानिक स्थिति का उपभोग करती है सभी प्रचलित कानूनों को अनिवार्य रूप से संविधान की भावना के अनुरूप होना चाहिए यदि वे इसका उल्लंघन करेंगे तो वे असंवैधानिक घोषित कर दिए जाते है। भारत का संविधान विश्व के किसी भी सम्प्रभु देश का सबसे लम्बा लिखित संविधान है, जिसमें, उसके अंग्रेज़ी-भाषी संस्करण में १४६,३८५ शब्दों के साथ, २२ भागों में ४४४ अनुच्छेद, १२ अनुसूचियाँ और १०१ संशोधन हैं, जबकि मोनाको का संविधान सबसे छोटा लिखित संविधान है, जिसमें ९७ अनुच्छेदों के साथ १० अध्याय, और कुल ३,८१४ शब्द हैं। .

नई!!: १९५६ का पाकिस्तानी संविधान और संविधान · और देखें »

सुन्नह्

सुन्नत (अरबी سنة (एक वचन) سنن (बहुवचन): हज़रत मुहम्मद के प्रवचन, शिक्षा, मार्गदर्शन को सुन्नत कहते हैं। हज़रत मुहम्मद के काल में उनके अनुयायी या सहाबा को दिए गए मार्गदर्शन या ज्ञान को सुन्नह या सुन्नत (फ़ारसी और उर्दू शब्द) कहते हैं, जो सारे मुस्लिम जगत को अमल करने के लिए कहा गया। इस्लाम धर्म में क़ुरान और हदीस साबित पुस्तकें हैं। और इन्हीं की बुनियाद पर इस्लामीय न्याय शास्त्र बना है। सुन्नत का मतलब "मार्ग" या "जीवन शैली" या "जीवन विधी" के भी होते हैं, जिसे मुसल्मान अपने जीवन में अपनाता है। यह एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ "आसानी से बहना या सीधा चलने वाली राह "। सही तौर पर इसका अर्थ साफ़-सुथरा सीधा रास्ता है। .

नई!!: १९५६ का पाकिस्तानी संविधान और सुन्नह् · और देखें »

इस्लामी गणराज्य

इस्लामी गणराज्य, या इस्लामी जम्हूरिया(अरबी:الجمهورية الإسلامية;अल्'जम्हूरियत् अल्'इस्लामियाह्/उर्दू:اسلامی جمہوریہ;इस्लामी जम्हूरिया/फ़ारसी:جمهوری اسلامی;जम्हूरी इस्लामी) एक ऐसी रियासत या राजनैतिक व्यवस्था होती है, जिसे संविधान में बतौर इस्लामिक गणराज्य निर्दिष्ट एवं वर्णित किया गया हो। इस शब्दावली की विस्तृत परिभाषा, देश-दर-देश एवं संविधान-दर-संविधान भिन्न हो सकती है, परंतु सैद्धांतिक तौर पर ऐसी व्यवस्था की मूल-विचारधारा में इस्लामीक सिद्धांतों एवं गणतांत्रिक सिद्धांतों का सम्मिलन होता है। अर्थात् इस व्यवस्था में नाहीं संपूर्णतः इस्लामिक सिद्धांत होते हैं, नाहीं संपूर्णतः गणतांत्रिक सिद्धांत होते हैं, बलकी इन दोनों विचारधाराओं का सम्मिलित रूप होता है। आधिकतर परिस्थितियों में, राजनयिक तंत्र व कार्यप्रणाली, गणतांत्रिक सिद्धांतों पर होती है, और न्यायिक व्यवस्था एवं नागरिक व दंड संहिता इस्लामिक उसूलों पर आधारित होती है। पाकिस्तान विश्व का पहला ऐसा देश था जिसने संवैधानिक तौर पर स्वयं को एक "इस्लामिक गणराज्य" घोषित किया था, एवं इस शब्द का उपयोग भी सर्वप्रथम पाकिस्तान के 1956 के संविधान में ही किया गया था। तत्पश्चात, मॉरीतानिया ने 28 नवंबर 1958 में अपने नाम के साथ इस्लामी गणराज्य शब्द का इस्तेमाल किया, ईरान ने ईरानी क्रांती के बाद और अफगानिस्तान ने 2001 में तालिबान सरकार समाप्ति के बाद अपने नाम के साथ इस्लामी गणराज्य शब्द को जोड़ा। वर्ष 2015 में गाम्बिया ने भी स्वयं को एक इस्लामी गणराज्य घोषित कर लिया था। .

नई!!: १९५६ का पाकिस्तानी संविधान और इस्लामी गणराज्य · और देखें »

इस्कंदर मिर्ज़ा

सैयद इस्कंदर अली मिर्ज़ा, (१३ नवंबर १८९९-१३ नवंबर १९६९) पाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति(१९५६-१९५८ तक) और अंतिम गवर्नर-जनरल थे। उनका गवर्नर-जनरल का कार्यकाल १९५५ से १९५६ तक था। वे मीर ज़फ़र के प्रपौत्र थे। वे पाकिस्तानी सेना में मेजर-जनरल के पद तक पहुंचे थे। पाकिस्तान की आज़ादी के बाद, वे पाकिस्तान के पहले रक्षा सचिव नियुक्त किये गए थे, जोकि एक अत्यंत महह्वपूर्ण औदा था। उनके कार्यकाल में उन्होंने बलोचिस्तान की समस्या और प्रथम भारत-पाकिस्तान युद्ध की सरपरस्ती की थी। साथ ही पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली भाषा आंदोलन से आई समस्या की भी उन्होंने निगरानी की थी। पाकिस्तान में एक इकाई व्यवस्था लागु करने में उनका महत्वपूर्ण स्थान था, और उसके लागु होने के बाद, उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री ख़्वाजा नज़ीमुद्दीन द्वारा पूर्वी पाकिस्तान का राज्यपाल भी नियुक्त किया गया था। १९५५ में वे मालिक ग़ुलाम मुहम्मद के उत्तराधिकारी के रूप में पाकिस्तान के अगले गवर्नर-जनरल नियुक्त हुए। १९५६ के संविधान के परवर्तन के बाद, उन्हें पाकिस्तान का पहला राष्ट्रपति नियुक्त किया गया। उनका राष्ट्रपतित्व अत्यंत राजनैतिक अस्थिरता का पात्र रहा, और दो वर्षों के कल में ही चार प्रधानमंत्रीयों को बदला गया। अंत्यतः उन्होंने पाकिस्तान में सैन्य शासन लागु कर दिया। इसी के साथ मिर्ज़ा ने पाकिस्तान की राजनीति में सैन्य दखलंदाज़ी का प्रारंभ किया, जब उन्होंने अपने सेना प्रमुख अयूब खान को मुख्य सैन्य शासन प्रशासक नियुक्त किया। इस सैन्य शासन के दौरान, पाकिस्तानी सेना और व्यवस्थापिका के बीच बढ़ते मुठभेड़ के कारण बिगड़े हालातों के बाद, सैन्य शासन लागु होने के 20 दिनों के बाद ही अयूब खान ने राष्ट्रपतित्व से हटा दिया और देश से निष्काषित कर दिया। देश-निष्कासन के बाद वे लंदन चले गए, जहाँ उनकी मृत्यु १९६९ को हुई। मृत्यु के बाद, उनके शव को पाकिस्तान लाने से इनकार कर दिया गया, और अन्यतः उन्हें तेहरान में दफ़नाया गया। .

नई!!: १९५६ का पाकिस्तानी संविधान और इस्कंदर मिर्ज़ा · और देखें »

क़ुरआन

'''क़ुरान''' का आवरण पृष्ठ क़ुरआन, क़ुरान या कोरआन (अरबी: القرآن, अल-क़ुर्'आन) इस्लाम की पवित्रतम किताब है और इसकी नींव है। मुसलमान मानते हैं कि इसे अल्लाह ने फ़रिश्ते जिब्रील द्वारा हज़रत मुहम्मद को सुनाया था। मुसलमान मानते हैं कि क़ुरआन ही अल्लाह की भेजी अन्तिम और सर्वोच्च किताब है। यह ग्रन्थ लगभग 1400 साल पहले अवतरण हुई है। इस्लाम की मान्यताओं के मुताबिक़ क़ुरआन अल्लाह के फ़रिश्ते जिब्रील (दूत) द्वारा हज़रत मुहम्मद को सन् 610 से सन् 632 में उनकी मौत तक ख़ुलासा किया गया था। हालांकि आरंभ में इसका प्रसार मौखिक रूप से हुआ पर पैग़म्बर मुहम्मद की मौत के बाद सन् 633 में इसे पहली बार लिखा गया था और सन् 653 में इसे मानकीकृत कर इसकी प्रतियाँ इस्लामी साम्राज्य में वितरित की गईं थी। मुसलमानों का मानना है कि ईश्वर द्वारा भेजे गए पवित्र संदेशों के सबसे आख़िरी संदेश क़ुरआन में लिखे गए हैं। इन संदेशों की शुरुआत आदम से हुई थी। हज़रत आदम इस्लामी (और यहूदी तथा ईसाई) मान्यताओं में सबसे पहला नबी (पैग़म्बर या पयम्बर) था और इसकी तुलना हिन्दू धर्म के मनु से एक हद तक की जा सकती है। जिस तरह से हिन्दू धर्म में मनु की संतानों को मानव कहा गया है वैसे ही इस्लाम में आदम की संतानों को आदमी कहा जाता है। तौहीद, धार्मिक आदेश, जन्नत, जहन्नम, सब्र, धर्म परायणता (तक्वा) के विषय ऐसे हैं जो बारम्बार दोहराए गए। क़ुरआन ने अपने समय में एक सीधे साधे, नेक व्यापारी इंसान को, जो अपने ‎परिवार में एक भरपूर जीवन गुज़ार रहा था। विश्व की दो महान शक्तियों ‎‎(रोमन तथा ईरानी) के समक्ष खड़ा कर दिया। केवल यही नहीं ‎उसने रेगिस्तान के अनपढ़ लोगों को ऐसा सभ्य बना दिया कि पूरे विश्व पर ‎इस सभ्यता की छाप से सैकड़ों वर्षों बाद भी इसके निशान पक्के मिलते हैं। ‎क़ुरआन ने युध्द, शांति, राज्य संचालन इबादत, परिवार के वे आदर्श प्रस्तुत ‎किए जिसका मानव समाज में आज प्रभाव है। मुसलमानों के अनुसार कुरआन में दिए गए ज्ञान से ये साबित होता है कि हज़रत मुहम्मद एक नबी है | .

नई!!: १९५६ का पाकिस्तानी संविधान और क़ुरआन · और देखें »

अयूब ख़ान

अयूब ख़ान कई विख्यात व्यक्तियों का नाम है -.

नई!!: १९५६ का पाकिस्तानी संविधान और अयूब ख़ान · और देखें »

उद्देश्य संकल्प

उद्देश्य संकल्प(Objectives Resolution, ऑब्जेक्टिव्स् रेज़ोल्यूशन्; قرارداد مقاصد, क़रारदाद मक़ासद) एक संकल्प था जिसे पाकिस्तान की संविधान सभा ने 12 मार्च सन 1949 को पारित कर दिया। इस संकल्प 7 मार्च सन 1949 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने क़ौमी असेम्ब्ली(पाकिस्तान की विधायिका) में पेश की। इसे पाकिस्तानी रियासत व हुकूमत के नीती निर्देशक के रूप में पारित किया गया था। इसके अनुसार भविष्य में पाकिस्तान संविधान संरचना यूरोपीय शैली का कतई नहीं होगा, लेकिन इसके आधार इस्लामी लोकतंत्र और सिद्धांतों पर होगी। कहा जाता है कि इस बारे में पाकिस्तानियों ने भारतीयों की पैरवी की थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत की संविधान सभा में 13 दिसंबर 1946 में संकल्प लक्ष्य रखा था, जिसे सर्वसम्मति के साथ 22 जनवरी 1947 में स्वीकार कर लिया गया। इसमें दिये गए संकल्प पाकिस्तान को "कुरान और सुन्नत में दिये गए लोकतांत्रिक के आदर्शों" पर विकसित व खड़ा करने का संकल्प लेते हैं। साथ ही इसमें पाकिस्तान में मुसलमानों को कुरान और सुन्नत में दिये गए नियमों के अनुसार जीवन व्यतीत करने का अवसर देने की एवं अल्पसंख्यकों के धार्मिक, सामाजिक व अन्य वैध अधिकारों की रक्षा की भी बात की गई है। इसे कई माएनों में पाकिस्तान के सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ में मनाआ जाता है। साथ ही इसकी इस्लाम-प्रोत्साहक चरित्र के लिये, यह हमेशा से ही विवादास्पक भी रहा है और कई बार, गैर-मुसलमालों व कई बुद्धिजीवियों द्वारा इस्का विरोध होता रहा है। .

नई!!: १९५६ का पाकिस्तानी संविधान और उद्देश्य संकल्प · और देखें »

१९६२ का पाकिस्तानी संविधान

1962 का पाकिस्तानी संविधान एक कानूनी दस्तावेज था, जिसे जून 1962 में लागू किया गया था। रह जून 1962 से मार्च 1969 तक पाकिस्तान की सर्वोच्च विधि संहिता थी। 1956 के संविधान की तरह इसे 1969 में निलंबित कर दिया गया था। अंत्यतः इसे 1973 के संविधान से बदल दिया गया, जो अब भी लागू है। .

नई!!: १९५६ का पाकिस्तानी संविधान और १९६२ का पाकिस्तानी संविधान · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

पाकिस्तान का पहला संविधान, पाकिस्तान का संविधान, 1956, पाकिस्तान का संविधान, १९५६, पाकिस्तानी संविधान, 1956, पाकिस्तानी संविधान, १९५६

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »