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पाकिस्तान का संविधान

सूची पाकिस्तान का संविधान

पाकिस्तान का संविधान (آئین پاکستان;आईन(ए) पाकिस्तान) या दस्तूरे पाकिस्तान دستور پاکستان) को १९७३ का क़ानून भी कहते हैं। यह पाकिस्तान का सर्वोच्च दस्तूर है। पाकिस्तान का संविधान संविधान सभा द्वारा १० अप्रैल १९७३ को पारित हुआ तथा 14 अगस्त 1973 से प्रभावी हुआ। इस का प्रारूप ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो की सरकार और विपक्ष ने मिल कर तैयार किया। ये पाकिस्तान का तीसरा दस्तूर है और इस में कई बार रद्दोबदल की जा चुकी है। .

49 संबंधों: चुनाव, एक इकाई व्यवस्था, पाकिस्तान, पाकिस्तान दिवस, पाकिस्तान का संविधान, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, पाकिस्तान के राष्ट्रपति, पाकिस्तानी संविधान का चौथा संशोधन, पाकिस्तानी संविधान का चौदहवाँ संशोधन, पाकिस्तानी संविधान का तेरहवाँ संशोधन, पाकिस्तानी संविधान का तीसरा संशोधन, पाकिस्तानी संविधान का दसवाँ संशोधन, पाकिस्तानी संविधान का दूसरा संशोधन, पाकिस्तानी संविधान का नौवाँ संशोधन, पाकिस्तानी संविधान का पहला संशोधन, पाकिस्तानी संविधान का पाँचवाँ संशोधन, पाकिस्तानी संविधान का पंद्रहवाँ संशोधन, पाकिस्तानी संविधान का बारहवाँ संशोधन, पाकिस्तानी संविधान का बीसवाँ संशोधन, पाकिस्तानी संविधान का सतरहवाँ संशोधन, पाकिस्तानी संविधान का सातवाँ संशोधन, पाकिस्तानी संविधान का सोलहवाँ संशोधन, पाकिस्तानी संविधान का ग्यारहवाँ संशोधन, पाकिस्तानी संविधान का आठवाँ संशोधन, पाकिस्तानी संविधान का इक्कीसवाँ संशोधन, पाकिस्तानी संविधान का अठारहवाँ संशोधन, पाकिस्तानी संविधान का उन्नीसवाँ संशोधन, पाकिस्तानी संविधान का छठा संशोधन, पाकिस्तानी संविधान के संशोधन, भारत का संविधान, मजलिस-ए-शूरा, मुसलमान, मुहम्मद, मोहम्मद शहाबुद्दीन, याह्या ख़ान, सरकार, संसदीय प्रणाली, संविधान, ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो, इस्लाम, इस्लामी गणराज्य, इस्कंदर मिर्ज़ा, क़ुरआन, अयूब ख़ान, अरबी, उद्देश्य संकल्प, उर्दू भाषा, १९५६ का पाकिस्तानी संविधान, १९६२ का पाकिस्तानी संविधान

चुनाव

चुनाव पेटी चुनाव या निर्वाचन (election), लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसके द्वारा जनता (लोग) अपने प्रतिनिधियों को चुनती है। चुनाव के द्वारा ही आधुनिक लोकतंत्रों के लोग विधायिका (और कभी-कभी न्यायपालिका एवं कार्यपालिका) के विभिन्न पदों पर आसीन होने के लिये व्यक्तियों को चुनते हैं। चुनाव के द्वारा ही क्षेत्रीय एवं स्थानीय निकायों के लिये भी व्यक्तिओं का चुनाव होता है। वस्तुतः चुनाव का प्रयोग व्यापक स्तर पर होने लगा है और यह निजी संस्थानों, क्लबों, विश्वविद्यालयों, धार्मिक संस्थानों आदि में भी प्रयुक्त होता है। .

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एक इकाई व्यवस्था

एक इकाई व्यवस्था या नीति, (अथवा वन-यूनिट् सिस्टम्), पाकिस्तान की एक पुर्वतः परवर्तित प्रशासनिक व्यवस्था थी, जिसके अंतर्गत, तत्कालीन पाकिस्तानी भूमि के दोनों भिन्न टुकड़ों को "एक प्रशासनिक इकाई" के रूप में ही शासित किये जाने की योजना रखी गई थी। इस तरह की प्रशासनिक नीति को अपनाने का मुख्य कारण, सर्कार द्वारा, पाकिस्तानी अधिराज्य के दो विभक्त एवं पृथक भौगोलिक आंचलों की एक ही केंद्रीय व्यवस्था के अंतर्गत शासन में आने वाली घोर प्रशासनिक असुविधाएँ, एवं भौगोलिक कठिनाईयाँ बताई गई थी। अतः इस भौगोलिक व प्रशासनिक विषय के समाधान के रूप में, सरकार ने इन दो भौगोलीय हिस्सों को ही, एक महासंघीय ढांचे के अंतर्गत, पाकिस्तान के दो वाहिद प्रशासनिक इकाइयों के रूप में स्थापित करने की नीति बनाई गई। इस्के तहत, तत्कालीन मुमलिकात-ए-पाकिस्तान के, पूर्वी भाग में मौजूद स्थिति के अनुसार ही, पश्चिमी भाग के पाँचों प्रांतों व उनकी प्रांतीय सरकारों को भंग कर, एक प्रांत, पश्चिमी पाकिस्तान गठित किया गया, वहीं पूर्वी भाग (जो अब बांग्लादेश है) को पूर्वी पाकिस्तान कह कर गठित किया गया। तत्प्रकार, पाकिस्तान, एक इकाई योजना के तहत, महज दो प्रांतों में विभाजित एक राज्य बन गया। वन यूनिट योजना की घोषणा प्रधानमंत्री मोहम्मद अली बोगरा के शासनकाल के दौरान 22 नवंबर 1954 को की गई, और 14 अक्टूबर 1955 को देश के पश्चिमी भाग के सभी प्रांतों को एकीकृत कर, पश्चिमी पाकिस्तान प्रांत गठित किया गया, जिसमें, सभी प्रांतों के अलावा तत्कालीन, राजशाहियों और कबाइली इलाके भी शामिल थे। इस प्रांत में 12 प्रमंडल थे, और इसकी राजधानी लाहौर थी। दूसरी ओर पूर्वी बंगाल के प्रांत को पूर्वी पाकिस्तान का नाम दिया गया, जिसकी राजधानी ढाका थी। संघीय राजधानी(कार्यपालिका) को वर्ष 1959 में कराँची से रावलपिंडी स्थानांतरित किया गया, जहां सेना मुख्यालय था, और नई राजधानी, इस्लामाबाद के पूरा होने तक यहां मौजूद रहा जबकि संघीय विधानपालिका को ढाका में स्थापित किया गया। इस नीति का उद्देश्य बज़ाहिर प्रशासनिक सुधार लाना था लेकिन कई लिहाज से यह बहुत विनाशकारी कदम था। पश्चिमी पाकिस्तान में मौजूद बहुत सारी राज्यों ने इस आश्वासन पर विभाजन के समय पाकिस्तान में शामिल हो गए थे कि उनकी स्वायत्तता कायम रखी जाएगी लेकिन वन इकाई बना देने के फैसले से सभी स्थानीय राज्यों का अंत हो गया। इस संबंध में बहावलपुर, खीरिपोर और कलात के राज्य विशेषकर उल्लेखनीय हैं। मामले इस समय अधिक गंभीर समय 1958 ई। के तख्तापलट के बाद मुख्यमंत्री का पद समाप्त कर दिया गया और राष्ट्रपति ने पश्चिमी पाकिस्तान के विकल्प अपने पास रख लिए। राजनीतिक विशेषज्ञों यह भी समझते हैं कि पश्चिमी पाकिस्तान के सभी प्रांतों को एकजुट करने के उद्देश्य पूर्वी पाकिस्तान की भाषाई और राजनीतिक इकाई का जोर तोड़ना था। अंततः एक जुलाई 1970 को राष्ट्रपति याह्या खान ने एक इकाई का सफाया करते हुए पश्चिमी पाकिस्तान के सभी प्रांतों बहाल कर दिया। .

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पाकिस्तान

इस्लामी जम्हूरिया पाकिस्तान या पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र या सिर्फ़ पाकिस्तान भारत के पश्चिम में स्थित एक इस्लामी गणराज्य है। 20 करोड़ की आबादी के साथ ये दुनिया का छठा बड़ी आबादी वाला देश है। यहाँ की प्रमुख भाषाएँ उर्दू, पंजाबी, सिंधी, बलूची और पश्तो हैं। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और अन्य महत्वपूर्ण नगर कराची व लाहौर रावलपिंडी हैं। पाकिस्तान के चार सूबे हैं: पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान और ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा। क़बाइली इलाक़े और इस्लामाबाद भी पाकिस्तान में शामिल हैं। इन के अलावा पाक अधिकृत कश्मीर (तथाकथित आज़ाद कश्मीर) और गिलगित-बल्तिस्तान भी पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित हैं हालाँकि भारत इन्हें अपना भाग मानता है। पाकिस्तान का जन्म सन् 1947 में भारत के विभाजन के फलस्वरूप हुआ था। सर्वप्रथम सन् 1930 में कवि (शायर) मुहम्मद इक़बाल ने द्विराष्ट्र सिद्धान्त का ज़िक्र किया था। उन्होंने भारत के उत्तर-पश्चिम में सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब तथा अफ़गान (सूबा-ए-सरहद) को मिलाकर एक नया राष्ट्र बनाने की बात की थी। सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली ने पंजाब, सिन्ध, कश्मीर तथा बलोचिस्तान के लोगों के लिए पाक्स्तान (जो बाद में पाकिस्तान बना) शब्द का सृजन किया। सन् 1947 से 1970 तक पाकिस्तान दो भागों में बंटा रहा - पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। दिसम्बर, सन् 1971 में भारत के साथ हुई लड़ाई के फलस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बना और पश्चिमी पाकिस्तान पाकिस्तान रह गया। .

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पाकिस्तान दिवस

पाकिस्तान दिवस(یوم پاکستان; यौम-ए पाकिस्तान) या(पूर्वतः) गणतंत्रता दिवस(यौम-ए-जम्हूरिया) पाकिस्तान में मनाया जाने वाला एक राष्ट्रीय दिवस है। इसे लाहौर संकल्प और पाकिस्तान के पहले संविधान के पारित होने के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 23 मार्च को मनाया जाता है। इस दिन को पाकिस्तान में पाकिस्तानी इतिहास का एक बहुत महत्वपूर्ण दिवस माना जाता है, क्योंकि इसी दिन सन 1940 में, 22 से 24 मार्च तक चले, अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के लाहौर सत्र में, लाहौर प्रस्ताव(जिसे पाकिस्तान में क़रारदाद-ए पाकिस्तान(पाकिस्तान संकल्पना) भी कहा जाता है) की पेशकश की गई थी जिसके आधार पर ही मुस्लिम लीग ने भारत के मुसलमानों के लिये अलग देश के अधिग्रहण के लिए आंदोलन शुरू किया था। साथ ही 23 मार्च 1956 को पाकिस्तान के पहले संविधान को अपनाया गया था, जिसने रियासत-ए-पाकिस्तान को, अधिराजकीय, पाकिस्तान अधिराज्य से विश्व के पहले इस्लामी गणराज्य, इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान में परिवर्तित कर दिया। इस दिन ("23 मार्च") को पूरे पाकिस्तान में आम छुट्टी होती है। .

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पाकिस्तान का संविधान

पाकिस्तान का संविधान (آئین پاکستان;आईन(ए) पाकिस्तान) या दस्तूरे पाकिस्तान دستور پاکستان) को १९७३ का क़ानून भी कहते हैं। यह पाकिस्तान का सर्वोच्च दस्तूर है। पाकिस्तान का संविधान संविधान सभा द्वारा १० अप्रैल १९७३ को पारित हुआ तथा 14 अगस्त 1973 से प्रभावी हुआ। इस का प्रारूप ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो की सरकार और विपक्ष ने मिल कर तैयार किया। ये पाकिस्तान का तीसरा दस्तूर है और इस में कई बार रद्दोबदल की जा चुकी है। .

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री

पाकिस्तान के प्रधान मंत्री (وزیر اعظم پاکستان —) इस्लामी गणतंत्र पाकिस्तान की सरकार का मुखिया होता है। राष्ट्रीय विधानसभा के सदस्यों द्वारा प्रधानमंत्री का चयन किया जाता है। प्रधानमंत्री का ये पद पाँच वर्षके लिए होता है। प्रधानमंत्री अपनी सहायता के लिए मंत्रियों का चयन करता है। .

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पाकिस्तान के राष्ट्रपति

पाकिस्तान के राष्ट्रपति (صدر مملكت —) पाकिस्तान इस्लामिक गणतंत्र के सर्वेसर्वा का पद है। .

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पाकिस्तानी संविधान का चौथा संशोधन

पाकिस्तानी संविधान का चौथा संशोधन 21 नवंबर 1975 को लागू हो गईं जिनकी रो से संसद में अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित सीटों का नए सिरे से समीक्षा की गई और इसके अलावा किसी भी व्यक्ति की गारंटी पहले से गिरफ्तारी के संबंध में किसी भी निचली अदालत के विकल्प में कमी कर दी गई, यानी कि किसी भी अपराध में शामिल कथित आरोपी को जमानत देने के न्यायिक विकल्प को खत्म कर दिया गया। .

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पाकिस्तानी संविधान का चौदहवाँ संशोधन

पाकिस्तान के संविधान का चौदहवें संशोधन (उर्दू:'آئین پاکستان میں چودہویں ترمی) को 1997 में पारित किया गया था। इसे प्रधानमंत्री नवाज शरीफ (पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) के अध्यक्ष)की सरकार के दौरान पारित किया गया था। इसके द्वारा सांसदों के लिए बहुत सख्त पार्टी अनुशासन अधीन काया गया था। इसके जरिए, पार्टी नेताओं को संसद से उनके विधायकों को, उनकी पार्टी के खिलाफ वोट करने पर, के किसी भी समय बर्खास्त करने की असीमित शक्ति प्राप्त कर दी गई थी। .

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पाकिस्तानी संविधान का तेरहवाँ संशोधन

पाकिस्तानी संविधान का तेरहवें संशोधन कि संविधान (तेरहवीं संशोधन) अधिनियम 1997 के नाम से जानी जाती है और यह 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मियां मोहम्मद नवाज शरीफ सरकार ने पारित किया। इस संशोधन की रो से राष्ट्रपति पाकिस्तान विकल्प कृपया भंग एनए समाप्त कर दिए गए और प्रधानमंत्री को निलंबित करने और नए चुनाव कराने बारे राष्ट्रपति पाकिस्तान विकल्प का भी अंत हो गया। इस संशोधन को सरकार और विपक्ष का समर्थन प्राप्त था। इस संशोधन के बाद संविधान पाकिस्तान अनुच्छेद पु 2 ख संपादित हुई जिसकी रो राष्ट्रपति पाकिस्तान नेशनल असेंबली भंग करने की अनुमति थी अगर वह अपनी राय में यह समझते हैं कि देश या राज्य में ऐसी स्थिति जन्म ले कि जब सरकार या राज्य को आत्मसात संविधान पाकिस्तान रो संभव न रहे और इस बारे में नए चुनावों का आयोजन अपरिहार्य हो जाए। .

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पाकिस्तानी संविधान का तीसरा संशोधन

पाकिस्तानी संविधान का तीसरा संशोधन' 18 फरवरी 1975 को लागू किया गया। .

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पाकिस्तानी संविधान का दसवाँ संशोधन

पाकिस्तानी संविधान का दसवां संशोधन(Urdu: آئین پاکستان میں دسویں ترمیم) को 29 मार्च 1987 को पारित किया गया था इस अधिनियम द्वारा पाकिस्तान के संविधान की अनुसूचियां 54 और 61 को संशोधित किया गया था इस संशोधन के द्वारा पाकिस्तान की संसद के दोनों सदनों के सत्रों के बीच की अवधि को 160 दिन से घटाकर 130 दिन कर दिया गया था .

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पाकिस्तानी संविधान का दूसरा संशोधन

पाकिस्तानी संविधान में दूसरा संशोधन सितंबर 7,1974 को की गई थी। इसमें एक "मुसलमान" को पूर्णतः परिभाषित किया गया था, एवं इस परिभाषा के आधार पर, पाकिस्तान में कादियानी और अहमदियों को गैर-मुसलमान(अल्पसंख्यक) घोषित कर दिया गया था। .

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पाकिस्तानी संविधान का नौवाँ संशोधन

पाकिस्तान के संविधान का नौवा संशोधन(उर्दू: آئین پاکستان میں نویں ترمیم), इस विधायक को वसीम साजिद, केंद्रीय मंत्री, विधि व संविधानिक गतिविधियों, द्वारा 7 अगस्त 1986 को राष्ट्रीय एसेंबली में पेश की गई थी। यह विधायक पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद दो 203B और 203D को को संशोधित कर शरीयत को पाकिस्तान की सर्वोच्च विधि संहिता के रूप में काबिज करने के लिए पेश की गई थी, परंतु कौमी असेंबली के सत्र के समापन के कारण इसे पारित नहीं किया जा सका। .

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पाकिस्तानी संविधान का पहला संशोधन

पाकिस्तान के संविधान का पहला संशोधन दस्तावेजों में आधिकारिक तौर पर संविधान (पहला संशोधन) अधिनियम, 1974 कहा जाता है। यह संशोधन 4 मई 1974 को लागू हुई। इस संशोधन की रो से संविधान पाकिस्तान के अनुच्छेद 1, 8, 17, 61, 101, 193, 199, 200, 209, 212, 250, 260 और 272 में जबकि संविधान पाकिस्तान के पहले कार्यक्रम में परिवर्तन की गईं। इस संशोधन के बाद पाकिस्तान सीमाओं ाज़सर नौ निर्धारित किया गया और पूर्वी पाकिस्तान के संदर्भ को पाकिस्तान से बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्र राज्य स्वीकार करने के बाद हटा दिया गया। .

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पाकिस्तानी संविधान का पाँचवाँ संशोधन

पाकिस्तानी संविधान के पांचवें संशोधन द्वारा पाकिस्तान के सभी प्रांतीय न्यायालय से वे सभी विकल्प वापस ले लिए गए जिनकी मदद से कोई भी अदालत किसी व्यक्ति के बारे में बुनियादी मानव अधिकार तय कर सकते थे। इस संशोधन पाकिस्तानन के संविधान के अध्याय (1) घटक (2) में गईं। इन संशोधनों को पाकिस्तान में 5 सितंबर 1976 को लागू कर दिया गया। .

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पाकिस्तानी संविधान का पंद्रहवाँ संशोधन

पाकिस्तानी संविधान का 15वां संशोधन विधायक को 28 अगस्त 1948 में नेशनल असेंबली में पारित किया गया था। इसके बाद उसे सेनेट में ले जाया गया, जहां वह कभी भी पारित नहीं किया गया। इस विधायक का मूल उद्देश्य अनुच्छेद 2B और अनुच्छेद 239 को संशोधित कर उद्देश्य संकल्प में दिए गए सिद्धांतों के प्रकाश में शरिया को पाकिस्तान की सर्वोच्च विधि के रूप में स्थापित करना था। .

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पाकिस्तानी संविधान का बारहवाँ संशोधन

पाकिस्तानी संविधान के बारहवें संशोधन(उर्दू: آئین پاکستان میں بارہویں ترمیم) को 28 जुलाई 1991 में संसद में पारित किया गया था। इस अधिनियम द्वारा विशेष न्यायालयों की स्थापना की गई जिन्हें घोर कुटिल अपराधों के लिए बनाया गया था साथी इसके द्वारा न्यायाधीशों के वेतन को भी बढ़ा दिया गया था। .

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पाकिस्तानी संविधान का बीसवाँ संशोधन

बीसवीं संशोधन विधेयक पाकिस्तान के संविधान को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली द्वारा 14 फरवरी, 2012 को पारित किया गया था। यह सीनेट में 20 फरवरी, 2012 को पारित किया गया था। यह पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा 28 फरवरी, 2012 को हस्ताक्षर किए गए थे। इसके द्वारा संशोधन के अनुच्छेद 48, अनुच्छेद 214, अनुच्छेद 215, अनुच्छेद 216, अनुच्छेद 218, अनुच्छेद 219, अनुच्छेद 224, अनुच्छेद 224A पाकिस्तान के संविधान के दूसरे व तीसरे अनुसूची में किया गया और। यह नीचे एक कार्यवाहक व्यवस्था स्थापित करने और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव और मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयोग के सदस्य के पद के लिए संबंधित मामलों धारण करने के लिए एक प्रक्रिया निर्धारित की है। .

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पाकिस्तानी संविधान का सतरहवाँ संशोधन

पाकिस्तान के संविधान का सतरहवॉं संशोधन जिसे सत्रहवीं संशोधन 2003 ए के नाम से जाना जाता है, दिसंबर 2003 में की गई। यह संशोधन लगभग एक साल तक तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल मुशर्रफ के समर्थकों और विरोधियों के बीच बहस बहस और कई मौकों पर तलखयों के बाद पारित किया गया था। यह संशोधन इस लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है कि संविधान पाकिस्तान में व्यापक रूप से कई संशोधन किए गए। इन संशोधनों में कई राष्ट्रपति पाकिस्तान के पद से संबंधित थीं और संविधान पाकिस्तान में तेरहवें संशोधन में की गई लगभग संशोधन वापस ले ली गईं। .

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पाकिस्तानी संविधान का सातवाँ संशोधन

पाकिस्तानी संविधान का सातवें संपादित 1977 में पारित हुआ। उसकी तहत प्रधानमंत्री को यह अधिकार दिया गया कि वह राष्ट्रपति पाकिस्तान की अनुमति से एक राष्ट्रीय जनमत संग्रह के कृीिे देश में जनता से विश्वास मत ले सकते थे। .

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पाकिस्तानी संविधान का सोलहवाँ संशोधन

पाकिस्तानी संविधान के सोलहवें संशोधन (उर्दू: آئین پاکستان میں سولہویں ترمیم) को निम्नसदन में 27 जुलाई 1999 को और उच्चसदन में 5अगस्त 1999 को पारित किया गया था। इसका मूलतः उद्देश्य अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधित्व को प्रोत्साहित करने हेतु उनके आरक्षण सीमा को 20 वर्ष से बढ़ा कर 40 करना था। .

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पाकिस्तानी संविधान का ग्यारहवाँ संशोधन

पाकिस्तानी संविधान की ग्यारहवीं संशोधन विधायक(उर्दू: آئین پاکستان میں گیارہویں ترمیم) को पाकिस्तानी उच्चसदन में 31 अगस्त 1989 को पेश की गई थी। इसे मोहम्मद अली खान, डॉक्टर नूरजहां पनेज़ाई और सैयद फ़ासेही इकबाल ने पेश किया था। इसका मूल उद्देश्य विधायिका में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की संख्या को पुनः 20 कर देना था इस विधायक को बाद में सरकार द्वारा वापस ले लिया गया था। .

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पाकिस्तानी संविधान का आठवाँ संशोधन

पाकिस्तानी संविधान का आठवॉं संशोधन जिसे आधिकारिक तौर पर संविधान (आठवें संशोधन) अधिनियम, 1985 के नाम से जाना जाता है और उसे 1985 में लागू होगा किया गया। इस संशोधन की रो से पाकिस्तान संसदीय शासन आंशिक राष्ट्रपति शासन में बदल गया और राष्ट्रपति पाकिस्तान कई अतिरिक्त विकल्प और संवैधानिक शक्ति मिलती आ गई। इस विकल्प है कि संविधान पाकिस्तान के उप भाग 2 (ख) के अनुच्छेद 58 में शामिल हुए जिससे पाकिस्तान के राष्ट्रपति को यह अधिकार प्राप्त है कि वह पाकिस्तान की राष्ट्रीय असेंबली को भंग कर सकते थे, जबकि सेनेट को भंग करने का कोई अधिकार नहीं था। इस संशोधन के तहत अगर पाकिस्तान के राष्ट्रपति की राय में देश में ऐसी स्थिति उपजी है जिसके तहत सरकार और राज्य व्यवस्था संविधान पाकिस्तान के तहत न चलाए जा सकते हैं और नए चुनावों का आयोजन अपरिहार्य हो तो वह पाकिस्तान की नेशनल असेंबली को भंग सकते हैं। संविधान पाकिस्तान के अनुच्छेद 58 में किए गए इस संशोधन की रो से पाकिस्तान के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल को भी समाप्त कर सकते थे। .

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पाकिस्तानी संविधान का इक्कीसवाँ संशोधन

पाकिस्तान के संविधान का इक्कीसवीं संशोधन (उर्दू: 'آئین پاکستان میں اکیسویں ترمیم') दोनों पाकिस्तान की नेशनल असेंबली और पाकिस्तान के सीनेट द्वारा पारित किया गया था 6 जनवरी 2015 को। इसने 7 जनवरी 2015 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त किया। इस विधेयक ने अनुच्छेद 175 और संविधान की पहली अनुसूची में संशोधन किया था। यह एक आत्म निहित खंड है, जो संशोधन 7 जनवरी, 2017 को समाप्त हो करने का कारण बनता है। .

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पाकिस्तानी संविधान का अठारहवाँ संशोधन

पाकिस्तानी संविधान का अठारहवीं संशोधन 8 अप्रैल 2010 को एनए पाकिस्तान ने पास किया। अठारहवीं संपादित ने राष्ट्रपति के पास मौजूद सभी कार्यपालिक विकल्प संसद को दिए, चूंकि प्रधानमंत्री नेता सदन (Leader of the House) होता है तो अधिक विकल्प प्रधानमंत्री के पास आए। इस के अलावा पाकिस्तान के उत्तरी पश्चिमी सीमांत प्रांत का नाम बदलकर खैबर पख्तूनख्वा रखा गया था। संघ के अधिकांश विकल्प लेकर राज्यों को दिए गए। .

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पाकिस्तानी संविधान का उन्नीसवाँ संशोधन

पाकिस्तान के संविधान की उन्नीसवीं संशोधन(उर्दू) 21 दिसंबर 2010 को नेशनल असेंबली के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। इसे रजा रब्बानी (संसदीय संवैधानिक सुधारों पर समिति 'के अध्यक्ष) द्वारा प्रस्तुत किया गया था। संशोधन 22 दिसंबर 2010 को नेशनल असेंबली द्वारा पारित किया गया था और सीनेट द्वारा 30 दिसंबर, 2010 पर। यह राष्ट्रपति द्वारा 1 जनवरी 2011 को अनुमति प्राप्त करनी होती गया था। .

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पाकिस्तानी संविधान का छठा संशोधन

पाकिस्तानी संविधान का छठा संशोधन द्वारा पाकिस्तान उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश प्रधानमंत्री के हवाले से यह बिंदुओं सम्मिलित किए गए कि 65 साल की उम्र में रिटायर हुए प्रांतीय अदालत सदा के न्यायाधीश को 62 साल की उम्र में अवश्य रिटायर हो जाना चाहिए। पाकिस्तान के एनए में यह संशोधन 22 दिसंबर 1976 को पारित किए गए। .

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पाकिस्तानी संविधान के संशोधन

पाकिस्तान के पीछे संविधानों में दिए गए प्रावधानों के विरुद्ध इस संविधान में संशोधन पाकिस्तान कि संसद की मंजूरी से ही लाया जा सकता है मौजूदा कानून के अनुसार संशोधन के लिए प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पारित होना चाहिए। इसके अलावा संधत्व-संबंधिन प्रस्तावों को प्रांतीय विधायिकाओं में भी पारित होना होगता है। मौजूदा संविधान में लाए गए संशोधनों की सूची नीचे दी गई है: .

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भारत का संविधान

भारत का संविधान, भारत का सर्वोच्च विधान है जो संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। यह दिन (26 नवम्बर) भारत के संविधान दिवस के रूप में घोषित किया गया है जबकि 26 जनवरी का दिन भारत में गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतांत्रिक देश का सबसे लंबा लिखित संविधान है। .

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मजलिस-ए-शूरा

मजलिस-ए-शूरा (उर्दू) यानी पाकिस्तान की संसद पाकिस्तान में संघीय स्तर पर सर्वोच्च विधायी संस्था है। इस संस्थान में दो सदन हैं, निचले सदन या कौमी एसेंबली और ऊपरी सदन या सीनेट। पाकिस्तान का संविधान की धारा 50 के मुताबिक़ राष्ट्रपति भी मजलिस-ए-शूरा का हिस्सा हैं। इसकी दोनों सदनों में से निम्नसदन नैशनल असेम्बली एक अस्थाई इकाई है, और प्रती पाँचवे वर्ष, आम निर्वाचन द्वारा यह परिवर्तित होती रहती है, वहीं उच्चसदन सेनेट एक स्थाई इकाई है, जो कभी भंग नहीं होती है, परंतु भाग-दर-भाग इसके सदस्यों को बदल दिया जाता है। संसद की दोनों सदनों हेतु सभागृह इस्लामाबाद को पार्लिआमेंट हाउस में है। 1960 में संसद के आसन को कराँची से इस्लामाबाद लाया गया था। .

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मुसलमान

मिसरी (ईजिप्ट) मुस्लिमान नमाज़ पढ रहे हैं, एक तस्वीर। मुसलमान (अरबी: مسلم، مسلمة फ़ारसी: مسلمان،, अंग्रेजी: Muslim) का मतलब वह व्यक्ति है जो इस्लाम में विश्वास रखता हो। हालाँकि मुसलमानों के आस्था के अनुसार इस्लाम ईश्वर का धर्म है और धर्म हज़रत मुहम्मद से पहले मौजूद था और जो लोग अल्लाह के धर्म का पालन करते रहे वह मुसलमान हैं। जैसे कुरान के अनुसार हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम भी मुसलमान थे। मगर आजकल मुसलमान का मतलब उसे लिया जाता है जो हज़रत मुहम्मद लाए हुए दीन का पालन करता हो और विश्वास रखता हो। मध्यकालीन मुस्लिम इतिहासकारों ने भारत को हिन्द अथवा हिन्दुस्तान कहा है । .

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मुहम्मद

हज़रत मुहम्मद (محمد صلی اللہ علیہ و آلہ و سلم) - "मुहम्मद इब्न अब्दुल्लाह इब्न अब्दुल मुत्तलिब" का जन्म सन ५७० ईसवी में हुआ था। इन्होंने इस्लाम धर्म का प्रवर्तन किया। ये इस्लाम के सबसे महान नबी और आख़िरी सन्देशवाहक (अरबी: नबी या रसूल, फ़ारसी: पैग़म्बर) माने जाते हैं जिन को अल्लाह ने फ़रिश्ते जिब्रईल द्वारा क़ुरआन का सन्देश' दिया था। मुसलमान इनके लिये परम आदर भाव रखते हैं। .

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मोहम्मद शहाबुद्दीन

न्यायमूर्ति मोहम्मद शहाबुद्दीन, पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश थे, जोकी पाकिस्तान का उच्चतम् न्यायिक पद है। उन्होंने न्यायमूर्ति मोहम्मद मुनीर की सेवानिवृत्ति के बाद यह पद संभाला था। सर्वोच्च न्यायालय में, बतौर न्यायाधीश नियुक्त होने से पूर्व, वे मद्रास उच्च न्यायालय में न्यायाधीश थे। .

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याह्या ख़ान

याहया ख़ान जनरल आग़ा मुहम्मद याहया ख़ान क़िज़िलबश (जन्म: ४ फ़रवरी १९१७, मृत्यु: १० अगस्त १९८०) पाकिस्तान के सैनिक तानाशाह और तीसरे राष्ट्रपति थे। उनका शासन सन् १९६९ में शुरू हुआ और दिसम्बर १९७१ में भारत-पाकिस्तान के दरम्यान लड़े गए बंगलादेश युद्ध के बाद ख़त्म हुआ। वे अयूब ख़ान के शासन से इस्तीफ़ा देने के बाद पाकिस्तान के मुख्य शासक बने थे और उनके बाद ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो ने शासन की बागडोर संभाली। पूर्वी पाकिस्तान के बंगाली समुदाय में विद्रोह की भावना को कुचलने के प्रयास में उसे और भी भड़का देने और फिर भारतीय सहायता से बंगलादेश के टूटकर अलग होने जाने के लिए अक्सर याहया ख़ान की नीतियों को ज़िम्मेदार ठहराया जाता है। .

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सरकार

सरकार कुछ निश्चित व्यक्तियों का समूह होती है जो राष्ट्र तथा राज्यों में निश्चित काल के लिए तथा निश्चित पद्धति द्वारा शासन करता है। प्रायः इसके तीन अंग होते हैं - व्यवस्थापिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका। सरकार के माध्यम से राज्य में राजशासन नीति लागू होती है। सरकार के तंत्र का अभिप्राय उस राजनितिक व्यवस्था से होता है जिसके द्वारा राज्य की सरकार को जाना जाता है। राज्य निरन्तर बदलती हुयी सरकारों द्वारा प्रशासित होते हैं। हर नई सरकार कुछ व्यक्तियों का समूह होती है जो राजनितिक फ़ैसले लेती है या उनपर नियन्त्रण रखती है। सरकार का कार्य नए कानून बनाना, पुराने कानूनों को लागू रखना तथा झगड़ों में मध्यस्थता करना होता है। कुछ समाजों में यह समूह आत्म-मनोनीत या वंशानुगत होता है। बाकी समाजों में, जैसे लोकतंत्र, राजनितिक भूमिका का निर्वाह निरन्तर बदलते हुये व्यक्तियों द्वारा किया जाता है। संसदीय पद्धति में सरकार का अभिप्राय राष्ट्रपतीय पद्धति के अधिशासी शाखा से होता है। इस पद्धति में राष्ट्र में प्रधान मन्त्री एवं मन्त्री परीषद् तथा राज्य में मुख्य मन्त्री एवं मन्त्री परीषद् होते हैं। पाश्चात् देशों में सरकार और तंत्र में साफ़ अन्तर है। जनता द्वारा सरकार का दोबारा चयन न करना इस बात को नहीं दर्शाता है कि जनता अपने राज्य के तंत्र से नाख़ुश है। लेकिन कुछ पूर्णवादी शासन पद्धतियों में यह भेद इतना साफ़ नहीं है। इसका कारण यह है कि वहाँ के शासक अपने फ़ायदे के लिये यह लकीर मिटा देते हैं। .

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संसदीय प्रणाली

संसदीय प्रणाली (parliamentary system) लोकतांत्रिक शासन की वह प्रणाली है जिसमें कार्यपालिका अपनी लोकतांत्रिक वैधता विधायिकता (संसद) से प्राप्त करती है तथा विधायिकता के प्रति उत्तरदायी होती है। इस प्रकार संसदीय प्रणाली में कार्यपालिका और विधायिका परस्पर सम्बन्धित (जुड़े हुए) होते हैं। इस प्रणाली में राज्य का मुखिया तथा सरकार का मुखिया अलग-अलग व्यक्ति होते हैं। भारत में संसदीय शासन प्रणाली है। इसके विपरीत अध्यक्षीय प्रणाली (presidential system) में प्रायः राज्य का अध्यक्ष सरकार (कार्यपालिका) का भी अध्यक्ष होता है। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि अध्यक्षीय प्रणाली में कार्यपालिका अपनी लोकतांत्रिक वैधता विधायिका से नहीं प्राप्त करती। शासन प्रणालियाँ लाल: अध्यक्षीय प्रणाली नारंगी: संसदीय प्रणाली हरा: संसदीय गणतंत्र जहाँ अध्यक्ष का चुनाव संसद करती है। श्रेणी:राजनीति विज्ञान.

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संविधान

संविधान, मूल सिद्धान्तों या स्थापित नज़ीरों का एक समुच्चय है, जिससे कोई राज्य या अन्य संगठन अभिशासित होते हैं। वह किसी संस्था को प्रचालित करने के लिये बनाया हुआ संहिता (दस्तावेज) है। यह प्रायः लिखित रूप में होता है। यह वह विधि है जो किसी राष्ट्र के शासन का आधार है; उसके चरित्र, संगठन, को निर्धारित करती है तथा उसके प्रयोग विधि को बताती है, यह राष्ट्र की परम विधि है तथा विशेष वैधानिक स्थिति का उपभोग करती है सभी प्रचलित कानूनों को अनिवार्य रूप से संविधान की भावना के अनुरूप होना चाहिए यदि वे इसका उल्लंघन करेंगे तो वे असंवैधानिक घोषित कर दिए जाते है। भारत का संविधान विश्व के किसी भी सम्प्रभु देश का सबसे लम्बा लिखित संविधान है, जिसमें, उसके अंग्रेज़ी-भाषी संस्करण में १४६,३८५ शब्दों के साथ, २२ भागों में ४४४ अनुच्छेद, १२ अनुसूचियाँ और १०१ संशोधन हैं, जबकि मोनाको का संविधान सबसे छोटा लिखित संविधान है, जिसमें ९७ अनुच्छेदों के साथ १० अध्याय, और कुल ३,८१४ शब्द हैं। .

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ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो

ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो (उर्दू व सिंधी: ذوالفقار علی بھٹو, जन्म: 5 जनवरी 1928 - मौत: 4 अप्रैल 1979) पाकिस्तान के प्रधान मन्त्री थे। वे 1973 से 1977 तक प्रधानमंत्री रहे और इससे पहले अय्यूब ख़ान के शासनकाल में विदेश मंत्री रहे थे। लेकिन अय्यूब ख़ान से मतभेद होने के कारण उन्होंने अपनी नई पार्टी (पीपीपी) 1967 में बनाई। 1962 के भारत-चीन युद्ध, 65 और 71 के पाकिस्तान युद्ध, तीनों के समय वे महत्वपूर्ण पदों पर आसीन थे। 1965 के युद्ध के बाद उन्होंने ही पाकिस्तानी परमाणु कार्यक्रम का ढाँचा तैयार किया था। पूर्व पाकिस्तानी नेता बेनज़ीर भुट्टो इन्ही की बेटी थी। पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के एक फ़ैसले पर उन्हें 1979 में फ़ाँसी पर लटका दिया गया था जिसमें सैन्य शासक ज़िया उल हक़ का हाथ समझा जाता है। श्रेणी:पाकिस्तानी राजनीतिज्ञ श्रेणी:पाकिस्तान के प्रधान मन्त्री.

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इस्लाम

इस्लाम (अरबी: الإسلام) एक एकेश्वरवादी धर्म है, जो इसके अनुयायियों के अनुसार, अल्लाह के अंतिम रसूल और नबी, मुहम्मद द्वारा मनुष्यों तक पहुंचाई गई अंतिम ईश्वरीय पुस्तक क़ुरआन की शिक्षा पर आधारित है। कुरान अरबी भाषा में रची गई और इसी भाषा में विश्व की कुल जनसंख्या के 25% हिस्से, यानी लगभग 1.6 से 1.8 अरब लोगों, द्वारा पढ़ी जाती है; इनमें से (स्रोतों के अनुसार) लगभग 20 से 30 करोड़ लोगों की यह मातृभाषा है। हजरत मुहम्मद साहब के मुँह से कथित होकर लिखी जाने वाली पुस्तक और पुस्तक का पालन करने के निर्देश प्रदान करने वाली शरीयत ही दो ऐसे संसाधन हैं जो इस्लाम की जानकारी स्रोत को सही करार दिये जाते हैं। .

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इस्लामी गणराज्य

इस्लामी गणराज्य, या इस्लामी जम्हूरिया(अरबी:الجمهورية الإسلامية;अल्'जम्हूरियत् अल्'इस्लामियाह्/उर्दू:اسلامی جمہوریہ;इस्लामी जम्हूरिया/फ़ारसी:جمهوری اسلامی;जम्हूरी इस्लामी) एक ऐसी रियासत या राजनैतिक व्यवस्था होती है, जिसे संविधान में बतौर इस्लामिक गणराज्य निर्दिष्ट एवं वर्णित किया गया हो। इस शब्दावली की विस्तृत परिभाषा, देश-दर-देश एवं संविधान-दर-संविधान भिन्न हो सकती है, परंतु सैद्धांतिक तौर पर ऐसी व्यवस्था की मूल-विचारधारा में इस्लामीक सिद्धांतों एवं गणतांत्रिक सिद्धांतों का सम्मिलन होता है। अर्थात् इस व्यवस्था में नाहीं संपूर्णतः इस्लामिक सिद्धांत होते हैं, नाहीं संपूर्णतः गणतांत्रिक सिद्धांत होते हैं, बलकी इन दोनों विचारधाराओं का सम्मिलित रूप होता है। आधिकतर परिस्थितियों में, राजनयिक तंत्र व कार्यप्रणाली, गणतांत्रिक सिद्धांतों पर होती है, और न्यायिक व्यवस्था एवं नागरिक व दंड संहिता इस्लामिक उसूलों पर आधारित होती है। पाकिस्तान विश्व का पहला ऐसा देश था जिसने संवैधानिक तौर पर स्वयं को एक "इस्लामिक गणराज्य" घोषित किया था, एवं इस शब्द का उपयोग भी सर्वप्रथम पाकिस्तान के 1956 के संविधान में ही किया गया था। तत्पश्चात, मॉरीतानिया ने 28 नवंबर 1958 में अपने नाम के साथ इस्लामी गणराज्य शब्द का इस्तेमाल किया, ईरान ने ईरानी क्रांती के बाद और अफगानिस्तान ने 2001 में तालिबान सरकार समाप्ति के बाद अपने नाम के साथ इस्लामी गणराज्य शब्द को जोड़ा। वर्ष 2015 में गाम्बिया ने भी स्वयं को एक इस्लामी गणराज्य घोषित कर लिया था। .

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इस्कंदर मिर्ज़ा

सैयद इस्कंदर अली मिर्ज़ा, (१३ नवंबर १८९९-१३ नवंबर १९६९) पाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति(१९५६-१९५८ तक) और अंतिम गवर्नर-जनरल थे। उनका गवर्नर-जनरल का कार्यकाल १९५५ से १९५६ तक था। वे मीर ज़फ़र के प्रपौत्र थे। वे पाकिस्तानी सेना में मेजर-जनरल के पद तक पहुंचे थे। पाकिस्तान की आज़ादी के बाद, वे पाकिस्तान के पहले रक्षा सचिव नियुक्त किये गए थे, जोकि एक अत्यंत महह्वपूर्ण औदा था। उनके कार्यकाल में उन्होंने बलोचिस्तान की समस्या और प्रथम भारत-पाकिस्तान युद्ध की सरपरस्ती की थी। साथ ही पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली भाषा आंदोलन से आई समस्या की भी उन्होंने निगरानी की थी। पाकिस्तान में एक इकाई व्यवस्था लागु करने में उनका महत्वपूर्ण स्थान था, और उसके लागु होने के बाद, उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री ख़्वाजा नज़ीमुद्दीन द्वारा पूर्वी पाकिस्तान का राज्यपाल भी नियुक्त किया गया था। १९५५ में वे मालिक ग़ुलाम मुहम्मद के उत्तराधिकारी के रूप में पाकिस्तान के अगले गवर्नर-जनरल नियुक्त हुए। १९५६ के संविधान के परवर्तन के बाद, उन्हें पाकिस्तान का पहला राष्ट्रपति नियुक्त किया गया। उनका राष्ट्रपतित्व अत्यंत राजनैतिक अस्थिरता का पात्र रहा, और दो वर्षों के कल में ही चार प्रधानमंत्रीयों को बदला गया। अंत्यतः उन्होंने पाकिस्तान में सैन्य शासन लागु कर दिया। इसी के साथ मिर्ज़ा ने पाकिस्तान की राजनीति में सैन्य दखलंदाज़ी का प्रारंभ किया, जब उन्होंने अपने सेना प्रमुख अयूब खान को मुख्य सैन्य शासन प्रशासक नियुक्त किया। इस सैन्य शासन के दौरान, पाकिस्तानी सेना और व्यवस्थापिका के बीच बढ़ते मुठभेड़ के कारण बिगड़े हालातों के बाद, सैन्य शासन लागु होने के 20 दिनों के बाद ही अयूब खान ने राष्ट्रपतित्व से हटा दिया और देश से निष्काषित कर दिया। देश-निष्कासन के बाद वे लंदन चले गए, जहाँ उनकी मृत्यु १९६९ को हुई। मृत्यु के बाद, उनके शव को पाकिस्तान लाने से इनकार कर दिया गया, और अन्यतः उन्हें तेहरान में दफ़नाया गया। .

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क़ुरआन

'''क़ुरान''' का आवरण पृष्ठ क़ुरआन, क़ुरान या कोरआन (अरबी: القرآن, अल-क़ुर्'आन) इस्लाम की पवित्रतम किताब है और इसकी नींव है। मुसलमान मानते हैं कि इसे अल्लाह ने फ़रिश्ते जिब्रील द्वारा हज़रत मुहम्मद को सुनाया था। मुसलमान मानते हैं कि क़ुरआन ही अल्लाह की भेजी अन्तिम और सर्वोच्च किताब है। यह ग्रन्थ लगभग 1400 साल पहले अवतरण हुई है। इस्लाम की मान्यताओं के मुताबिक़ क़ुरआन अल्लाह के फ़रिश्ते जिब्रील (दूत) द्वारा हज़रत मुहम्मद को सन् 610 से सन् 632 में उनकी मौत तक ख़ुलासा किया गया था। हालांकि आरंभ में इसका प्रसार मौखिक रूप से हुआ पर पैग़म्बर मुहम्मद की मौत के बाद सन् 633 में इसे पहली बार लिखा गया था और सन् 653 में इसे मानकीकृत कर इसकी प्रतियाँ इस्लामी साम्राज्य में वितरित की गईं थी। मुसलमानों का मानना है कि ईश्वर द्वारा भेजे गए पवित्र संदेशों के सबसे आख़िरी संदेश क़ुरआन में लिखे गए हैं। इन संदेशों की शुरुआत आदम से हुई थी। हज़रत आदम इस्लामी (और यहूदी तथा ईसाई) मान्यताओं में सबसे पहला नबी (पैग़म्बर या पयम्बर) था और इसकी तुलना हिन्दू धर्म के मनु से एक हद तक की जा सकती है। जिस तरह से हिन्दू धर्म में मनु की संतानों को मानव कहा गया है वैसे ही इस्लाम में आदम की संतानों को आदमी कहा जाता है। तौहीद, धार्मिक आदेश, जन्नत, जहन्नम, सब्र, धर्म परायणता (तक्वा) के विषय ऐसे हैं जो बारम्बार दोहराए गए। क़ुरआन ने अपने समय में एक सीधे साधे, नेक व्यापारी इंसान को, जो अपने ‎परिवार में एक भरपूर जीवन गुज़ार रहा था। विश्व की दो महान शक्तियों ‎‎(रोमन तथा ईरानी) के समक्ष खड़ा कर दिया। केवल यही नहीं ‎उसने रेगिस्तान के अनपढ़ लोगों को ऐसा सभ्य बना दिया कि पूरे विश्व पर ‎इस सभ्यता की छाप से सैकड़ों वर्षों बाद भी इसके निशान पक्के मिलते हैं। ‎क़ुरआन ने युध्द, शांति, राज्य संचालन इबादत, परिवार के वे आदर्श प्रस्तुत ‎किए जिसका मानव समाज में आज प्रभाव है। मुसलमानों के अनुसार कुरआन में दिए गए ज्ञान से ये साबित होता है कि हज़रत मुहम्मद एक नबी है | .

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अयूब ख़ान

अयूब ख़ान कई विख्यात व्यक्तियों का नाम है -.

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अरबी

अरबी बहुविकल्पी शब्द है जिस्का संबंध निम्नलिखित पृष्ठों से होता है। साहित्य और धर्म में-.

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उद्देश्य संकल्प

उद्देश्य संकल्प(Objectives Resolution, ऑब्जेक्टिव्स् रेज़ोल्यूशन्; قرارداد مقاصد, क़रारदाद मक़ासद) एक संकल्प था जिसे पाकिस्तान की संविधान सभा ने 12 मार्च सन 1949 को पारित कर दिया। इस संकल्प 7 मार्च सन 1949 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने क़ौमी असेम्ब्ली(पाकिस्तान की विधायिका) में पेश की। इसे पाकिस्तानी रियासत व हुकूमत के नीती निर्देशक के रूप में पारित किया गया था। इसके अनुसार भविष्य में पाकिस्तान संविधान संरचना यूरोपीय शैली का कतई नहीं होगा, लेकिन इसके आधार इस्लामी लोकतंत्र और सिद्धांतों पर होगी। कहा जाता है कि इस बारे में पाकिस्तानियों ने भारतीयों की पैरवी की थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत की संविधान सभा में 13 दिसंबर 1946 में संकल्प लक्ष्य रखा था, जिसे सर्वसम्मति के साथ 22 जनवरी 1947 में स्वीकार कर लिया गया। इसमें दिये गए संकल्प पाकिस्तान को "कुरान और सुन्नत में दिये गए लोकतांत्रिक के आदर्शों" पर विकसित व खड़ा करने का संकल्प लेते हैं। साथ ही इसमें पाकिस्तान में मुसलमानों को कुरान और सुन्नत में दिये गए नियमों के अनुसार जीवन व्यतीत करने का अवसर देने की एवं अल्पसंख्यकों के धार्मिक, सामाजिक व अन्य वैध अधिकारों की रक्षा की भी बात की गई है। इसे कई माएनों में पाकिस्तान के सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ में मनाआ जाता है। साथ ही इसकी इस्लाम-प्रोत्साहक चरित्र के लिये, यह हमेशा से ही विवादास्पक भी रहा है और कई बार, गैर-मुसलमालों व कई बुद्धिजीवियों द्वारा इस्का विरोध होता रहा है। .

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उर्दू भाषा

उर्दू भाषा हिन्द आर्य भाषा है। उर्दू भाषा हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप मानी जाती है। उर्दू में संस्कृत के तत्सम शब्द न्यून हैं और अरबी-फ़ारसी और संस्कृत से तद्भव शब्द अधिक हैं। ये मुख्यतः दक्षिण एशिया में बोली जाती है। यह भारत की शासकीय भाषाओं में से एक है, तथा पाकिस्तान की राष्ट्रभाषा है। इस के अतिरिक्त भारत के राज्य तेलंगाना, दिल्ली, बिहार और उत्तर प्रदेश की अतिरिक्त शासकीय भाषा है। .

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१९५६ का पाकिस्तानी संविधान

1956 का संविधान पाकिस्तान में मार्च 1956 से अक्टूबर 1958 तक लागू पाकिस्तान की सर्वोच्च विधि संहिता व संविधान थी, जिसे 1958 के तख्तापलट को बाद निलंबित कर दिया गया था। यह पाकिस्तान का पहला संविधान था। .

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१९६२ का पाकिस्तानी संविधान

1962 का पाकिस्तानी संविधान एक कानूनी दस्तावेज था, जिसे जून 1962 में लागू किया गया था। रह जून 1962 से मार्च 1969 तक पाकिस्तान की सर्वोच्च विधि संहिता थी। 1956 के संविधान की तरह इसे 1969 में निलंबित कर दिया गया था। अंत्यतः इसे 1973 के संविधान से बदल दिया गया, जो अब भी लागू है। .

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