पांडव नृत्य उत्तराखंड राज्य का एक प्रमुख लोकनृत्य के रूप में जाना जाता है।यह नृत्य महाभारत में पांच पांडवो के जीवन से सम्बंधित है।पांडव नृत्य के बारे में हर वो व्यक्ति जानता है जिसने अपना जीवन उत्तराखंड की सुंदर वादियों, अनेको रीति रिवाजों,सुंदर परम्पराओं के बीच बिताया हो।पांडव नृत्य के माध्यम से पांच पांडवो व द्रोपदी की पूजा अर्चना करने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है।उत्तराखंड को पांडवो की धरा भी कहा जाता है। पांडव नृत्य का आयोजन हर साल नवंबर से फरवरी तक केदारघाटी में किया जाता है।इसमें लोग वाद्य यंत्रों की थाप और धुनों पर नृत्य करते हैं। मुख्यतः जिन स्थानों पर पांडव अस्त्र छोड़ गए थे वहां पांडव नृत्य का आयोजन होता है।.
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